Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--3

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--3
. दरवाजे के पास भीड़ कम होने पर मैं अपना समान उठा कर इठलाती हुई दुपट्टा संभालते...दरवाजे के पास आई....सामने भाई खड़ा था मगर वो आगे नही बढ़ा फिर अचानक चौंक कर आगे आया....मेरे हाथ से बैग ले लिया...मैं धीरे से इठलाती हुई नीचे उतरी और भाई को सलाम किया....और मुस्कुराते हुए कहा....ही भाई आप तो मुझे अंजानो की तरह से देख रहे थे...इतनी जल्दी अपनी बहन को भूल गये....भाई ने मुस्कुराते हुए कहा....अर्रे नही घर में तो तू ऐसे ही घरेलू कपड़ों में रहती है.....एक दम बदली हुई लग रही हो...मैं थोड़ा शरमाई फिर अदा के साथ बोली....आप भी तो भाई बदले बदले से लग रहे हो....बड़े शहर के स्टाइल …. सारे मज़े ले लिए क्या....भाई इस पर थोड़ा झेप गया और दाँत दिखाते हुए बोला....अर्रे ये सब करना पड़ता है...



मैं भी हस्ती हुई बोली....हा बड़ा शहर बड़ा कॉलेज...फिर अगर स्टाइल से ना रहे तो सब मेरे भाई को जाहिल समझेंगे....भाई भी हँसने लगा. स्टेशन से बाहर आकर हमने टॅक्सी पकड़ी और फ्लॅट के तरफ चल दिए. फ्लॅट छ्होटा सा था एक मास्टर बेडरूम एक किचन एक ड्रॉयिंग रूम कम डाइनिंग हॉल था उसी में एक तरफ बेड लगा हुआ था. भाई ने दिखाते हुए कहा....यही हमारा घर है...तू अपना समान बेडरूम में डाल दे....अब से वो तेरा कमरा हो गया.....मैं यहा बाहर वाले बेड पर सो जाऊँगा ....तुझे पूरी प्राइवसी रहेगी....मैने मन ही मन मे कहा प्राइवसी की किसको फ़िकर है....तुम भी इसी कमरे में आ जाओ पब्लिक प्रॉपर्टी बना दो....



फिर अपने रण्डीपना पर खुद ही हसी आ गई....मैं भी कैसे कैसे ख्याल रखती हूँ...थोड़ी देर बाद भाई कॉलेज के लिए निकल गया.....मैं घर के काम में मसरूफ़ हो गई....अकेला लड़का घर को जंगल बना देता है......खैर मैने पूरे घर की सॉफ सफाई कर दी....सारा समान अपने ठिकाने पर जमा दिया......खाना बना कर भाई का इंतेज़ार करने लगी.....देर रात वो घर आया और उसने मुझे अपने कॉलेज के कंप्यूटर साइन्स की डिग्री कोर्सस का अप्लिकेशन फार्म दिखाए.....बोले ले इसे भर लेना...कल तेरा अड्मिशन हो जाएगा....और कल से ही क्लास भी शुरू हो जाएगी....मैने कहा.....इतनी जल्दी भाई....मैं तो सोच रही थी अड्मिशन के कुछ दिन बाद क्लास शुरू होगी....
भाई इस पर हँसते हुए बोले....अर्रे अड्मिशन्स तो क्लोज़ हो गये थे....मैने प्रोफेसर से बात कर ज़बरदस्ती अड्मिशन कराया है तेरा....मैने उठ कर भाई को गले लगा लिया...ओह थॅंक यो भाई.....भाई ने हँसते हुए कहा.....मुझे भी खाना बनाने वाली की ज़रूरत थी...अड्मिशन तो मैं कैसे भी करवा लेता....हम दोनो हँसने लगे...मैने उसकी छाती पर प्यार से एक मुक्का मारा और कहा....जाओ मैं नही बोलती तुमसे...मैं कोई खाना बनाने आई हूँ....फिर भाई ने प्यारा से मेरा माथा चूम लिया और बोले...ही बन्नो मेरी गुड़िया....तेरा अगर दिल नही है तो मत बना खाना....मेरी गुड़िया सिर्फ़ आराम करेगी...भाई के इस प्यार भरे चुंबन से पूरे जिस्म में सनसनी दौर गई....मुझे नही पता था की उसने क्या सोच कर मेरा माथा चूमा था....मैं तो मर्द के बदन की प्यासी थी....हाथ लगते ही लहरा गई...मगर भाई ने फिर छोड़ दिया....आसमान से ज़मीन पर आ गई.


खाना खाने के बाद मैं सोने चली गई. ट्रेन का सफ़र और दिन भर काम करने के कारण थकान थी....जल्दी ही आँख लग गई....सुबह आँख खुली तो जल्दी जल्दी तैय्यर होने लगी...कपड़े पहनते वक़्त पेशोपस में थी...नक़ाब पहनु या नही....फिर सोचा चलो भाई से....पूछ लेती हूँ.......उसने कहा....यहा इसकी कोई पाबंदी नही है....कोई नही पहनता.....फिर यहाँ कौन सी अम्मी की सहेलियाँ तेरी जासूसी करने वाली है.....जो मर्ज़ी आए वो पहन ले....फिर मैने सलवार कमीज़ पहन ली......काले रंग की....जिसमे मेरा गोरा हुस्न और निखार गया...भाई भी मुझे देख कर मुस्कुरा दिए और कहा....ताबीज़ बाँध ले नज़र लग जाएगी...बहुत प्यारी लग रही है...मैं हँसते हुए उनके बाइक पर पीछे बैठ गई और उसकी पीठ पर एक मुक्का हल्के से जमा दिया. कॉलेज में अड्मिशन लेने के बाद क्लास शुरू हो गये. बिज़ी रहने के कारण ज़यादा कुछ नोटीस करने का मौका ही नही मिला....



फिर हम लोगो का यही रूटीन बन गया कॉलेज जाना 3 बजे के आस पास घर वापस आना....धीरे धीरे मैं सेट्ल हो गई....नई नई सहेलियाँ मिल गई....को-एजुकेशन वाले कॉलेज में लड़को की नज़रो की दहक भी मुझे महसूस होने लगी...पैसे वालो का कॉलेज था.... अपनी निगहों की तपिश से जलाने वालो की कमी नही थी....जायदातर की नज़रे मेरी चूचियों और चूतड़ों के उपर ही जमी रहती थी....क्लास नही होने पर.....दोस्तो के साथ गॅप सॅप करते हुए वक़्त गुजर जाता था. कुच्छेक के बॉय फ्रेंड भी थे.....मैं भी एक बॉय फ्रेंड बनाने की ख्वाहिशमंद थी......



जब से इस बड़े शहर में आई थी.....बिज़ी होने के वज़ह से.....चूत और लंड के बारे में सोचने का मौका ही नही मिला था....घर पर तो अम्मी अब्बू और मामू की हरकतों की जासूसी करने की वज़ह से हर वक़्त दिल में अपनी प्यारी सि चूत को चुदवाने के ख़याल मे डूबी रहती थी......वही जिन्न एक दफ़ा फिर मेरे अंदर कुलबुलाने लगा....जब सेट्ल हो गई तो फिर से चूत में कीड़ों ने रेंगना शुरू कर दिया.....शहर की आज़ादी ने सुलगते जज़्बातो को हवा दी....किसी मर्द के बाहों में समा जाने की ज़रूरत बड़ी शिद्दत के साथ महसूस होने लगी.....कॉलेज के लड़को को देख-देख कर जिस्म की आग और ज़यादा भड़क जाती थी....


उनके अंडरवेर में कसे लंड के बारे में सोच सोच चूत पानी छोड़ने लगती ....ख्वाब में एक आध लड़को का लंड भी अपनी नीचे की सहेली में पायबस्त करवा लिया...पर कहते है थूक चाटने से प्यास नही भुजती....ख्वाब में पिलवाने से फुद्दी की आग तो भुजने से रही....कई दफ़ा रातो को फ्रिड्ज में से बरफ का टुकड़ा निकल कर नीचे की गुलाबी छेद में डाल लेती थी....मगर इस से आग और भड़क जाती थी.....निगोरी बुर में ऐसी खुजली मची थी की बिना सख़्त लंड के अब शायद सकूँ नही मिलने वाला था.

कॉलेज में मेरी सबसे प्यारी सहेली फ़रज़ाना और तबस्सुम थी...दोनो वैसे तो मेरे से उमर में दो साल बड़ी थी मगर हम तीनो में खूब बनती थी....वो भी मेरी ही तरह मस्त....जवानी के गुरूर में उपर से नीचे तक सारॉबार थी....हम तीनो आपस में हर तरह की बाते करते थे...मैं उनको प्यार से फर्रू और तब्बू कह कर बुलाती थी.....हम तीनो आपस में लड़को के बारे में बहुत सारी बाते करते थे...तब्बू बड़ा खुल कर बताती थी....उसे चुदाई और चुदवाने के बारे में बहुत कुछ पता था.....मैं भी जानती थी....अम्मी की जासूसी करने की वजह से तजुर्बेकार हो गई थी....मगर फ़रज़ाना जायदातर इन बातो के बीच में चुप रहती.....हमारी बातो पर हस्ती और मज़ा लेती.....मगर कभी खुद से उसने कोई गंदी बात नही की.....


मगर तब्बू कुछ ऐसी बाते बतलती जो वही बता सकता है जिसने लंड ले लिया हो.....वैसे तो हमे पता था की उसकी दो तीन लड़को के साथ दोस्ती है मगर.....फिर धीरे-धीरे उसने खुद ही बता दिया की कैसे और किस किस के साथ उसने चुदाई का मज़ा लिया है....फिर क्या था हम हर रोज उसके साथ उसकी रंगीनियों की नये नये किससे सुनती थी..... कुछ दिनों बाद अचानक से तब्बासुम का कॉलेज आना बंद हो गया......किसी को कुछ पता नही था.....उसके घरवालो के साथ हमारी कोई जान पहचान तो थी नही......फिर एक लड़की ने बताया की.....उसके अब्बा का कही दूसरी जगह ट्रान्स्फर हो गया है......



रंगीन सहेली के जाने के बाद दो बेरंग सहेलियों की बीच क्या बाते होती.....मज़े की बाते धीरे धीरे कम हो गई थी..... मैं एक बार फर्रू से पुछा की उसका कोई बाय्फ्रेंड है क्या......तब उसने मुँह बिचकाया और कहा....बाय्फ्रेंड का झंझट मैं नही पालती....वो साले तो जी का जंजाल होते है....मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ....मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा...ही क्या बात कर रही है फर्रू जान....तूने तो मेरा दिल तोड़ दिया...मैं तो सोच रही थी काश मेरे भी दो तीन बॉय फ्रेंड होते तब्बू के जैसे....फ़रज़ाना ने मेरे गाल पर प्यार भरी चपत लगते हुए कहा....रंडी बनेगी क्या.....मैने उसकी कमर में चिकोटी काट ली और कहा....है मेरी जान.... बातो में तो हम रंडियों को भी मॅट कर देगी....और हम दोनो हँसने लगे....



फिर फर्रू ने बताया की वो इन सब चक्करो में नही पड़ती....और मुझे शराफ़त और खानदानी लड़की होने का लेक्चर पीला दिया....मैने मन ही मन गली दी साली कुतिया .....शरिफजदी बनती है....चूत में ढक्कन लगा कर घूमती रह जाएगी हरामखोर ....... फिर बातो का रुख़ दूसरी तरफ मुड़ गया.

कुछ दिन के बाद एक दिन हम इंटरनेट की प्रॅक्टिकल कर रहे थे....क्लास ख़तम हो चुका था पर मैं और मेरी एक क्लास मेट शबनम वैसे ही बैठे बाते कर रहे थे.....बात घूम फिर कर लड़को और फिर बाय्फरेंड्स पर आई तो....शबनम ने कहा....रुक मैं तुझे कुछ दिखती हू....फिर उसने एक वेबसाइट खोली उस पर बहुत सारी गंदी गंदी....तस्वीरे थी....लड़के और लड़कियों की....फिर उसने कुछ क्लिक किया और फिर एक वीडियो चालू हो गया....उसमे एक लड़की एक लड़के का लंड चूस रही थी....मेरा तो शर्म से बुरा हाल हो रहा था....दर लग रहा था कही कोई आ ना जाए....पर धड़कते दिल से मैं वो वीडियो भी देख रही थी....लड़का लड़की क्या बाते कर रहे थे ये तो नही पता....मगर लड़की का चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लगा....
आँखे नचा नचा कर खूब प्यार से लंड चूस रही थी.....लगभग दो मिनिट का वीडियो था....जब फिल्म ख़तम हो गया तो शबनम ने पुछा क्यों समझ में आया....मैं सन्न रह गई थी... बेशखता मेरे मुँह से गलिया निकालने लगी.....ही अल्लाह कामिनी....तब्बासुम इतनी बेशरम होगी मुझे पता नही था....हरामजादी ने ऐसा क्यों किया..... अल्लाह कसम जिस दिन मिल गई कुतिया से पुच्हूँगी ज़रूर की....अपनी तस्वीर क्यों बनवाई...साली को बदनामी का दर नही लगा....इतनी गंदी वीडियो बनवा कर इंटरनेट पर डाल दी.....किसी को पता चल गया की मैं ऐसी बेशरम की सहेली थी......मैं अभी और कुछ बोलती इसके पहले ही शबनम ने मुझे रोकते हुए कहा.....मेरी जान, उसने नही बनाई ये तस्वीर.... उसके बाय्फ्रेंड ने बनाई.....



है मारजवा! मुए ने ऐसे क्यों किया.... शबनम ने समझाया ये दुनिया बड़ी हरामी.....ये जो बाय्फ्रेंड का चक्कर है बड़ा ख़तरनाक है....अगर दिलो-जान से मुहाबत करने वाला मिल जाए तो ठीक....कमीना और बेमूर्रोवत निकला तो फिर लड़की बर्बाद....तब्बासुम बेचारी ज़ज्बात और जिस्म की आग की रौ में हरमियों के चक्कर में पर गई....साले ने अपने मोबाइल से तस्वीर बना कर अपने दोस्तो के बीच बाँट दी....उन्ही में से किसी ने इंटरनेट पर डाल दिया....तभी तो शहर छोड़ कर जाना पड़ा बेचारी को....मैने तो ख्वाब में भी नही सोचा था की लड़के इतने हरामी होते है की जिसके साथ मज़ा करे....उसी को बर्बाद कर दे....लंड का नशा एक पल में ही उतार गया....मैने सुना था की लड़के तो चूत के पिस्सू होते है.....बुर के लिए गुलामी करने लगते है.....पर अब समझ में आ गया की मज़ा ख़तम होने के बाद साले हरामीपाने पर भी उतार आते है.....



मैने सब कुछ फर्रू बतलाया तो उसने मुँह बिचका कर कहा.....मैने तो पहले से कहती थी ये सब चक्कर बेकार है.....कौन कब धोखा दे जाए इसका कोई भरोसा नही.... फिर प्रेग्नेंट हो जाने का ख़तरा भी होता है.....तो यूँ कहिए की बाय्फ्रेंड बनाने का सरूर मेरे सिर से उतार गया......फर्रू की तरह अब मैं भी शरीफ बन गई थी.....एक जमाना था जब मैं और तब्बू मिल कर.....लौंडों को लंड की लंबाई चौरई का डिस्कशन करते थे.....कैसे सुपाड़े वाला लंड कितनी देर तक चोद सकता है.....कुछ लड़को का लंड टेढ़ा होता है.....वो कितना मज़ा देता है....मोटे सुपाड़े वाला कितना मज़ा देता होगा.....
 
 

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