Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--15end

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--15
. मैं तो यही चाहती थी की...भाई अब मेरे साथ मेरे कमरे मे आए...और मुझे चोद दे...फिर भी मई थोड़ा सा नखड़ा करते हुए बोली.. हाए !!! भाई...क्यू परेशन करते हो....जो करना थॉ ओ तुमने कर लिया ना...अब क्या है...मुझे नींद आ रही है.. हाए !!! मेरी गुड़िया ...तू अब इतनी भी नासमझ नही है...आ ना एक बार...भाई ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ऊपर खींचा...मई भी...थोड़ा नाटक करते हुए उसके...खड़े लंड से अपनी गाँड सटा कर खड़ी हो गयी....उफफफ्फ़...उसका लंड अभी भी खड़ा था...बहुत गरम...मेरी गाँड की दरारों मे घुस जाना चाहता था... हाए !!! भाई...क्या करते हो....कल कॉलेज भी जाना है...सोने दो ना... हाए !!! मेरी प्यारी गुड़िया ...कहते हुए भाई ने मेरी एक चूंची को पकड़ मसलने लगा....उफफफफ्फ़....एक बार झड़ जाने के बाद भी जैसे मेरा बदन सनसनाने लगा था...मेरी बुर मे फिर कुछ होने लगा...


उफफफ्फ़...भाई क्या करते हो...मुझे कुछ होता है...क्या होता मेरी गुड़िया को....अपने एकक हाथ को मेरी रानों पर ले जाते हुए बोला...धत्त भाई...आप भी ना..बड़े बेशरम हो.. हाए !!! मेरी जान..मेरी प्यारी गुड़िया ...बता ना क्या होता है...उफ़फ्फ़..तुम भी ना...भाई मेरी पैंटी के उपर से मेरी बुर को सहलाने लगा...उफ़फ्फ़..भाई..नीचे कुछ हो रहा है.. हाए !!!...क्या हो रहा है..ज़रा देखु तो...और भाई ने बेशर्मी की हद पर करते हुए मेरी पैंटी को नीचे खींच वही बैठ गया....और गौर से मेरी लाल हो चुकी सहेली के फांको को फैला कर देखने लगा.. हाए !!!....भाई...क्या कर रहे हो...मेरा पूरा बदन काँपने लगा था....मेरी आँखे बंद हो गयी थी..
भाई ने मेरी बुर के फांको को फैला के चुम्मी ले ली.. हाए !!!...मेरे मूह से मस्ती की सिसकारी निकल गयी....भाई को भी अब ये एहसास हो गया था की मै भी मदहोश हो गयी हूँ.. हाए !!! मेरी प्यारी गुड़िया ..कैसा लग रहा है....उफ़फ्फ़ भाई...अब मैने भी बेशरम बनने का फ़ैसला कर लिया था...मेरी जवानी मे आग लग गयी थी... अब भी अपनी फुद्दी को भाई के लंड से पेलवना चाहती थी.. हाए !!!...भाई...बहुत अचााआअ.....आअहह....अब भाई मेरी लाल गुलाबी बुर पर चुम्मी लेता रहा...और मस्ती से पागल हुए जा रही थी.... ही भाई..छोड़ो ना...मेरी गुड़िया अभी तो तुम कह रही थी.... अच्छा लग रहा है अब...उफ़फ्फ़...कुछ हो जाएगा...अम्मी क्या कहेगी.. मस्ती से लाल होते हुए...भाई से अपनी बुर को सहलवते कहा...




हाए !!!.. मेरी रबिया...अम्मी को कुछ ..पता नही चलेगा...वो कैसे जानेगी.. हाए !!! भाई..फिर भी..कुछ मत बोलो मेरी प्यारी गुड़िया ...देखो..तुम्हारी चूत ...कैसे..पानी छोड़ रही है..अया..मै तो गंगना उठी...भाई ने अपना मूह मेरी नंगी बुर पे रख दी.....मेरा पूरा बदन...सनसना गया...बदन ऐंठ ने लगा.. हाए !!! भाई...और मैने भाई के सर को...पकड़ ...अपनी लाल बुर पे ज़ोर से दबा दिया...भाई के मूः से आहह निकल गया...आआहह..मेरी प्यारी गुड़िया ..तेरी बुर कितनी अच्छी लग रही है....उफ़फ्फ़..भाई तुम बेशरम हो गये हो...बहन की ...क्या बहन की मेरी रबिया.. हाए !!!...शरम आती है...उन्ह..अब छोड़ो ना शरम...बोलो ना...प्लीज़...क्या बहन की....

 उफ़फ्फ़ भाई..तुम भी ना...हाँ क्या..बोलो ना मेरी प्यारी गुड़िया ...आआहह..भाई..मेरी बुर.. ..मैने शर्माते हुए कहा...भाई की साँसे ज़ोर से चलने चल रही थी...वो..हानफते हुए बोला..हाँ बता ना मेरी जान.. हाए !!! ..भाई..ये मै बहन से जान कब बन गयी...श..मेरी बहन..अब तो तू मेरी जान हे नही सब कुछ बनेगी...हन बोल ना क्या हुआ तेरी बुर को..और भाई ने...मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया...उफ़फ्फ़..मै तो पागल होकर..शर्मो हया छोड़ ..भाई के सख़्त लंड..को...उसके कपडे के उपर से पकड़ मसलने लगी...भाई मेरी बुर को कुत्टो की तरह चाट रहा था. हाए !!!..भाई ...ये क्या गंदा काम कर रहे हो...मूतने की जगह..अरी छोड़ ना..मेरी जान..भाई अब बार बार मुझे जान बोलने लगा..था...देख तेरी बुर का जाएका कितना अच्छा और खट्टा लग रहा है...
मेरी रबिया जान...कहते हुए भाई ने मेरी बुर को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.. हाए !!! भाई..मर डालोगे क्या अपनी बहन को...तेरी जैसी परी को मारने से पहले मै खुद न मर जाऊं ...आअहह..कितनी प्यारी बुर है....मैने भी भाई के कपड़ों को खींचना शुरू कर दिया..भाई समझदार था...उसने झट..अपना कपड़ा निकाल...अपने मूसल जैसे तने हुए लौड़े को मेरे सामने खोल....खड़ा हो गया...और मेरे भी कपडे खोलने लगा...मैने थोड़ा शरमाते हुए..अपना मूह दूसरी तरफ कर लिया.. हाए !!!...रबिया जान..देखो ना..इसको पकड़ो ना..ऐसे.. शरमाओगी तो.. हाए !!! भाई..धत्त..क्या करते हो..और मैने तिरछी निगाहों से उसके बड़े लौड़े को देखा..मेरा पूरा बदन ..जैसे झंझना गया..

भाई ने मुझे नंगा कर दिया...मेरी बुर को घूरता हुआ बोला. हाए !!!..जान..क्या बुर है तेरी...धत्त भाई..बहन की बुर के बारे मे ऐसे बेशर्मी से बोलते हो.. हाए !!!..जान..अब शरम छोड़ो ना...और मेरी तनी हुई खूबसरत गोरी चूंचीयों को मसलते हुए..मेरा हाथ पकड़ कर..अपने सख़्त लौड़े पर रख दिया...उफफफ्फ़..कितना गरम और लोहे की तरह सख़्त था..भाई का..लंड...वो मेरी हाथ मे फुदक रहा था...भाई..ने एक हाथ मेरी बुर पर ले जाकर सहलाते हुए बोला.. हाए !!!..जान तुम भी...सहलाओ.. हाए !!!..भाई..शरम आती है..मैने अपने हाथ की पकड़ उसके..लंड पर बढ़ा दिया....

आअहह...भाई..सिसकारी भरते हुए बोला...हाँ जान बस..ऐसे हे...थोड़ा सहलाओ..प्यार करो ना...मेरी साँसे उखड़ने लगी थी...मैने भाई के सख़्त लोहे को पकड़...आगे पीछे करना शुरू कर दिया...भाई..आँखे बंद कर...सिसक रहा था...तभी...भाई नीचे घुटनो के बल बैठ मेरी बुर को...फिर से चाटने लगा...आअहह...उउउफ़फ्फ़..भाई...आअहह...मत करो...तभी भाई ने..अपनी एक उंगली मेरी बुर मे डाल दी..और मेरी बुर को पेलने लगा....उन्ह...भाई... मार डालोगे क्या....क्यू तेरी सहेली फ़रज़ाना चुदने से मर गयी थी...आहह...भाई.. 


भाई ने मुझे उठा कर सोफे पर बिठा दिया..और अपना लंड..मेरे मूह के पास ला ...मेरी चूचियों को मसलता हुआ...बोला. हाए !!!..रबिया..मेरी प्यारी बहन...लो ना इसको.. हाए !!! भाई..किसको...आहह...इतना..अंजान ना बनो..लो ना..क्या भाई...लंड.. हाए !!! अल्ला..क्या कहते हो भाई..कुछ तो शरम करो...अब शर्म छोड़ ..देख..तू भी नंगी है..और मै भी..अब कैसी शरम...ले लंड को..और चूस ना...धत्त भाई...ये तो गंदा है..जब की मन मे मेरी यही इच्छा हो रही थी की कब...भाई मेरे मूह मे अपना सख़्त लंड डाल कर मेरे मूह को चोद दे.. हाए !!!..रबिया...लो ना जान..और भाई ने लंड..मेरे गुलाबी होंठो के बीच..रख दिया...मैने भी अपनी गुलाबी होंठों की पंखुड़ियों मे भाई के खड़े लौड़े को दबा ....उसके चिकने फूले ...सुपाड़े पर हलके से जीभ चलाई...आआहह...मेरी प्यारी बहना..भाई के मूह से...सिसकारी निकल गयी.

मै उसके लंड..को आँखे नचा कर..गाल गुलाबी करते...रंडी की तरह चूसने लगी..आख़िर..रंडी मा की बेटी हूँ..भाई सिसकते हुए...मेरे बालों पर हाथ फिरता..कभी..मेरी चूंचीयों को मसल देता...मेरी साँसे भी..लौड़ा चूसते....उखड़ने लगी थी...फिर मुझे पीछे धकेल सोफे पर गिरा, मेरी गोरी टॅंगो के बीच बैठ.....दोनो हाथो से मेरी दोनो चूचियों को अपनी हथेली में भर मसल दिया.....उफफफ्फ़....छोड़ों.... ना भाई..इतने ज़ोर से मसलते हो...


पर उसने अनसुना कर दिया....अपना चेहरा झुकते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में भर मेरी चूचियों को और कस कस कर मसलने लगा.....मैं उसे पीछे धकेल तो रही थी मगर पूरी ताक़त से नही....वो लगातार मसले जा रहा था.....मैं भी इस मस्त खेल का मज़ा लेना चाहती थी.....देखना था की भाई अपनी गरम बहन की बुर की प्यास कैसे बुझता है......कुछ लम्हो के बाद ऐसा लगा जैसे जाँघो के बीच सुरसुरी हो रही है......मुझे एक अजीब सा मज़ा आने लगा......मैने उसको धखेलना बंद कर दिया...... मेरे हाथ उसके सिर के बालो में घूमने लगे.....तभी उसने मेरे होंठों को छोड़ दिया....हम दोनो हाँफ रहे थे....वो अभी भी हल्के हल्के मेरी छातियों को सहला रहा था.....मुस्कुराते हुए अपनी आँखो को नचाया जैसे पूछ रहा हो क्यों कैसा लगा....मेरे चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गयी......उसकी समझ में आ गया....

मेरी आँखे मेरे मज़े को बयान कर रही थी......नीचे झुक मेरे होंठों को चूमते, मेरी कानो में सरगोशी करते बोला......ऐसे होता है ये खेल......कुछ पल तक हम ऐसे हे गहरी साँसे लेते रहे.....मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट और शर्म की लाली फैली हुई थी..... मै भाई के लंड को हाथ से पकड़ सहलाने लगी.....भाई ने फिर से मेरी दोनो चूंचीयों को दबोच लिया और बोला.... हाए !!! मेरी गुड़िया तूने आज मेरी आग भड़का दी.....अब पूरा खेल खेलेंगे......कहते हुए वो ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठों और गालो को चूमने चाटने लगा....मुझे फिर से मज़ा आने लगा....और मैं भी उकसा साथ देने लगी......हम दोनो आपस में एक दूसरे से लिपट गये....


एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए पूरे सोफे पर लुढ़क रहे थे....तेज चलती सांसो की आवाज़ कमरे में गूज़्ने लगी....दोनो के दिल की धरकन रेलगाड़ी की तरह दौड़ रही थी.....भाई मेरी गालो को ज़ोर से काट ते हुए चीखा... हाए !!! रबिया तेरे गाल... काट लूँगा....बहुत बक बक करती है....देखे तेरी चूत में कितनी खुजली.....कहते हुए वो अपनी कमर को नाचते हुए मेरी कमर से चिपका रगड़ने लगा....उफ़फ्फ़..भाई का गरम ..सख़्त लंड मेरी बुर को टच करने लगा ....उसके लंड की रगड़ाई का अहसास मुझे अपनी चूत पर महसूस हो रहा था.....मैं भी उसको नोचने लगी....उसके होंठों को अपनी दाँत से काट ते हुए हाथो को उसके चूतड़ों पर ले गई....चूतड़ों के गुन्दाज़ माँस को अपनी हथेली में भर कर मसलती.....दोनो चूतड़ों को बीच उसकी गाँड की दरार में उपर से नीचे तक अपनी हथेली चला रही थी....हम दोनों बेकाबू हो चुके थे..... मेरी धडकनें और तेज़ हो गयी........एक हाथ से वो भी मेरे मांसल चूतड़ों की गहराइयों मे उंगली चला रहा था......चूची अब भी उसके मुँह में थी.....मैं तड़प रही थी.....मेरी जवानी में आग लग चुकी थी.......मेरे हाथ पैर काँप रहे थे....सुलगते जिस्म ने बेबस कर दिया.....

कुछ देर तक इसी तरह चूसते रहने के बाद....उसने होठों को अलग किया......मेरी साँसें रुकती हुई लग रही थी......थोड़ी राहत महसूस हुई....उउफफफफ्फ़... .भाई ये कौन सा खेल है....मैं मर जाउंगी....मैं बेकाबू होती बोली.....पूरा जिस्म सुलग रहा है.....क्यों बेताब होती है...मेरी गुलबदन बहना....तेरे सुलगते जिस्म की आग को अभी ठंडा किए देता हू.....उसने फिर से मेरे होंठों को अपने होंठों के आगोश में ले लिया.....बदन की आग फिर से सुलग उठी.....होंठों और गालो को चूसते हुए धीरे धीरे नीचे की चूचियों को चूमने के बाद मेरे पेट पर अपनी जीभ फिरते हुए नीचे बढ़ता चला गया....गुदगुदी और सनसनी की वजह से मैं अपने बदन को सिकोड़ रही थी......जाँघो को भीच रही थी....तभी उसने अपने दोनो हाथो से मेरी जाँघो को फैला दिया.....ये पहला मौका था किसी मर्द ने मेरी जाँघो को ऐसे खोल कर फैला दिया था.......आदतन मैने अपनी हथेली से चूत ढकने की कोशिश की......भाई ने हथेली को एक तरफ झटक दिया.....मैने गर्दन उठा कर देकने की कोशिश की....भाई मेरी खुली जाँघो के बीच बैठ चुका था....अफ ये क्या कर रहे हो भाई... हाए !!! ज़रा भी शरम नही.....

 वो एकदम बेकाबू हो चुका था...मेरी तरह...उसका सख़्त लंड मेरे मूह को सटा सट चोद रहा था......हम सोफे पर एक दूसरे से उल्टी दिशा मे लेटे हुए थे....उसने मेरी चूंची के निपल को ज़ोर से दबाते हुए अपनी एक उंगली मेरी चूत में पेल दी....अचानक उसके निपल दबाने और बुर में उंगली पेलने से मेरी चीख निकल गई....मैने भी उसके लंड को ज़ोर से चोसा और सुपाड़े को हल्के से कटा.......पर शायद वो कुछ ज़्यादा हे उत्तेजित था.....भाई भी कच कच मेरी बुर में उंगली पेल रहा था....तभी उसने कहा... हाए !!! गुड़िया तेरी चूत तो मज़े का पानी फेंक रही है...सीईईई....चल लेट जा जानेमन....तेरी रसीली बुर का रस....कहते हुए उसने मुझे पीछे धकेला....मेरे मूह से अपना लंड निकाला और थोड़ा पीछे खिसक मेरी चूत के उपर झुकता चला गया...

मैं समझ गई की अब मेरी चूत चाटेगा....दोनो जाँघो को फैला मैं उसको होंठों का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी.....ज़ुबान निकाल चूत के उपरी सिरे पर फिरते हुए.....लाल नुकीले टीट से जैसे ही उसकी ज़ुबान टकराई....मेरी साँसे रुक गई....बदन ऐंठ गया....लगा जैसे पूरे बदन का खून चूत की तरफ दौड़ लगा रहा है.....सुरसुरी की लहर ने बदन में कपकपि पैदा कर दी....मैं आँखे बंद किए इस अंजाने मज़े का रस चख रही थी....तभी उसने टीट पर से अपनी ज़ुबान को हटा....एक कुत्ते की तरह से मेरी चूत को लपर लपर चाटना शुरू कर दिया....वो बोलता भी जा रहा था... हाए !!! क्या रबड़ी जैसी चूत है....सीईईईईईई....चूत मरानी कितना पानी छोड़ रही है....लॅप लॅप करते हुए चाट रहा था....मेरी तो बोलती बंद थी....


ज़ुबान काम नही कर रहा था....मज़े के सातवे आसमान पर उड़ते हुए मेरे मुँह से सिर्फ़ गुगनाने और सिसकारी के सिवा कोई और आवाज़ नही निकल रही थी....उसने मेरी चूत के दोनो फांको को चुटकी में पकड़ फैला दिया....मैने गर्दन उठा कर देखा....मेरी बुर की गुलाबी छेद उसके सामने थी....जीभ नुकीला कर चप से उसने जब चूत में घुसा अंदर बाहर किया तो....मैं मदहोश हो उसके सिर के बालो को पकड़ अपनी बुर पर दबा चिल्ला उठी....चूक चुस्स्स्स्सस्स हीईीईईईईईईई कभी सीईईईईईईईईईईईईईईईईई.... हाए !!!....भाई....ये क्या कर रहे हो.......उईईईई....मेरी जान लेगा....पहले क्यों नही........उईईई.....सीईईईई.....चूस्स्स्स्सस्स....चा... आअट ... हाए !!! मेरी बुर में जीभ.....ओह अम्मी.... हाए !!!ईिइ....मेरी अच्छा भाई......बहुत मज़ा.....उफफफ्फ़ चााअटतत्त.....मेरी तो निकल....मैं गाइिईईईईईई...


 मेरी सिसकयारी और कराहों को बिना तब्बाज़ो दिए वो लगातार चाट रहा था....चूत में कच कच जीभ पेल रहा था.....मैं भी नीचे से कमर उचका कर उसकी ज़ुबान अपनी चूत में ले रही थी...तभी उसने चूत की दरार में से जीभ निकाल लिया और मेरी तरफ देखता हुआ बोला......है ना जन्नत का मज़ा.....अपनी सिसकियों के बीच मैने हा में गर्दन हिला दिया....मेरी अधखुली आँखो में झांकती उसने अपनी दो उंगलियाँ अपने मुँह के अंदर डाली और अपने थूक से भिगो कर बाहर निकाल लिया....इस से पहले की मैं कुछ समझ पाती....अपने एक हाथ से मेरी चूत की फांको को चिदोर....अपनी थूक से भीगी दोनो उंगालियाँ मेरी बुर के गुलाबी छेद पर लगा.....कच से पेल दिया....उईईईई.......मर गई.....मेरी चीख निकल गई....अपने हाथ से मैं ज़यादा से ज़यादा एक उंगली डालती थी.....भाई ने बिना आगाह किए दो उंगलियाँ मेरी चूत की संकरी गली में घुसेड़ दी थी....


उस पर मेरे चीखने का कोई असर नही था....उल्टा मेरी आँखो में झँकता अढ़लेता हुआ...अपने दाँत पर दाँत बैठाए पूरे ताक़त के साथ कच कच कर मेरी चूत में उंगली पेले जा रहा था.... ऊऊउउउईई....आअहह... ..सस्स्सिईईई... .भाई...अब अपना लंड मेरी बुर मे डाल मुझे चोद दो...मस्ती और मदहोशी मे मै ....ना जाने कैसे ये बोल गयी....भाई ने मेरी बुर से उंगली निकाल मेरी टाँगों को चौड़ी...करते हुए...मेरी टाँगों के बीच बैठ ....अपने लंड के फूले सुपाड़े को मेरी लपलपाति बुर के गुलाबी छेड़ पर...रख..रगड़ने लगा....उफफफ्फ़...उईईइ..अम्मी.....सनसनी से...मेरा पूरा बदन...कंपकपा रहा था...


मेरी बुर पर लंड को...रगड़ते हुए...पूछा...मेरी जान कैसा लग रहा है.. हाए !!! भाई अब मत पूछो ...पेल डालो अपनी बहन की बुर.. ...उईईइ...बहुत जल रही है...अचानक बात करते...भाई ने कच से जोरदार झटका..देते हुए...मेरी ...बुर मे अपने लंड को पेल दिया...उईईईईईई अम्मी...मै मरररर गयी.. हाए !!!..भाई...निकालो...मै दर्द से बिलबिला उठी...लग रहा था..कोई सख़्त लोहे का गरम रोड मेरी बुर को चीरता हुआ घुस गया है...बस मेरी प्यारी गुड़िया ...कुछ नही ...और भाई...मेरे उपर लेट ...मेरे निप्पल को मूह मे ले कर चूसने लगा..और एक हाथ मेरी चूतड़ों के नीचे दल...दरारों मे उंगली डाल चलाने लगा...कुछ हे देर मे..मेरा दर्द.. गायब सा हो गया...भाई मेरे होंठों को अपने होंठों मे दबा...चूस रहा था...की फिर मै..दरद से बिलबिला उठी...उसने बिना आगाह किया...मेरे होंठो को अपने मयह मे दबाए...ना जाने कब अपना चूतड़ उठा..एक ज़ोर का झटका मार..मेरी बुर को अपने पूरे लंड पेल दिया...मै..बोल नही पा रही थी.. 


बस मेरे मूह से गु गु की आवाज़ निकाल रही थी...भाई ने मेरे होंठो को चूसना जारी रखा..और एक हाथ से मेरी चूची को मसल रहा था...कुछ देर..मे मुझे खुद मस्ती का एहसास होने लगा...मै...अपने मस्त गोल चूतड़ों को उठाए लगी....भाई भी अब..अपने लंड को धीरे धीरे..मेरी बुर मे अंदर बाहर करने लगा....आआहह...भाई...करो...पूरा अन्दर तक ..हम दोनों की तेज सांसो से...गूँज रहा था...पेलाई जोरो से चालू थी...भाई..अब मेरी कमर को पकड़ मेरी बुर मे सटा सट..अपना लंड पेले जा रहा था...मै अपने गाँड को उठा उठा..कर गोल गोल नाचती...उसके हर धक्के का जबाब दे रही थी...

ही मेरी गुड़िया कैसा लग रहा है.. हाए !!! भाई...उईईई...पेलते रहो...अपनी बहन के बुर को...जब तक हम यहाँ हैं ....रोज चोदना मेरी इस कुतिया को...बहुत खुजली करती है साली...आअहह....ज़ोर से चोदा ना...मै रंडिओ की तरह..बड़बड़ा रही थी..भाई भी कस कस के कुछ कुछ मेरी बुर को पेल रहा था....ह..भाई..मै अपने गाँड को खूब गोल गोल घुमा ...उसके लंड को अपन्नी बुर की गहराइयों तक ले रही थी..उईईई...अम्म्मि....मेरी रंडी अम्मी...देख...आज तेरी बेटी भी अपने भाई के लंड को अपनी बुर मे ले ही लिया...मैने मन मे बड़बड़या....


है भा.....उईईईईईईईई..... मेरी......छूटने ....वालीइीई....हुउऊउ....सीईए.. .भैईई....छोद्द्द्द्द्द्दद्ड....मैं गाइिईई और मै झड़ गई....मुझे अहसास हुआ जैसे मैं हवा में उड़ रही हू....मेरी आँखे बंद हो गई...कमर अब भी धीरे धीरे उछल रही थी...पर एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था.... बदन की सारी ताक़त जैसे ख़तम चुकी....ऐसा लग रहा था...हम दोनो पसीने से भर चुके थे....भाई अब भी अपने लंड से कच कच मेरी बुर को मार रहा था...उसके धक्के तेज होते जा थे...आहह...मेरी गुड़िया ...मैईईईईईई...भीईीईई..... करते हुए भाई... फच्च फच्च करते हुए मेरी बुर मे हे झड़ने लगा...उसका वीर्य..जैसे मेरी बुर मे..लग रहा था की...पानी की गरम धार..गिर रही हो...मुझे एक सुखद एहसास हो रहा था..

भाई भी झड़ कर मेरे उपर लेट... कुत्ते की तरह हाँफ रहा था और मै भी....कुछ देर हम...वैसे हे पड़े रहे...फिर मैने भाई को अपने उपर से धकेला...और उठ कर बैठ गयी...मेरी बुर से..रस..टपक रहा था..जो शाएद मेरा और भाई...दोनो का था..मैने झुक कर अपनी बुर का..मुआयना किया...वो काफ़ी सूज गयी थी..लाल...खून जैसी...और वीर्य भी सफेद की जगह लाल और मटमैला हो गया था..मेरी बुर.. .फट चुकी थी...अचानक भाई उठ कर मेरी टाँगों के बीच अपना मूह कर मेरी सूजी हुई बुर को हाथ से फैला कर देखने लगा..


मुझे शरम आ रही थी...लेकिन भाई को इस तरह से अपनी बुर को देखता...देख बहुत अच्छा लग रहा था...तभी भाई अपनी जीभ निकाल मेरी बुर को चाटने लगा.. हाए !!! भाई अब के...मेरी गुड़िया का बुर.. .इतना सुंदर लग रहा की ...मै चाट कर सॉफ करूँगा...भाई..भी बेशर्म हो चुका था..भाई...मुझे पेशाब करना है..भाई मेरी बुर चोद कर हट गया.. मैंने उठने की कोशिश की...लेकिन..उठ नही जा रहा था..भाई ने मुझे अपनी बाहों मे उठाया और...बाथरूम मे गया...मै उसके सामने हे छर्र छर्र कर मूतने लगी....और भाई भी एक तरफ अपने झूलते लंड से मूत रहा था.

उस रात के बाद हम दोनो ना जाने कितनी रातें...चुदाई की.....मेरी बेकाबू जवानी का ये हाल था की मैने अपने भाई को अपनी रण्डीपना दिखा कर फसा हे लिया और शादी तक चुदवाती रही....अब भी मयके आने पर भाई के लंड को अपनी बुर मे ज़रूर लेती हूँ.... इस बीच..अम्मी, मामू..सबको पता चल चुका था की हुम लोग क्या करते हैं..और इस खेल मे वो भी शामिल हो गये थे...... 




  

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator