Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--4

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--4
रह चलते कुत्ते को कुतिया को चोदते हुए देखने की कोशिश करते....दीवार और पेड़ की ऊट में खड़े मर्दो को पेशाब करते हुए देखने की कोशिश करते......अगर किसी का लंड दिख जाता फिर चूत साला सहला कर याद करते.....वगिरह वगैरह....पर वो सब अब बंद हो चुका था....मैने भी इस तरह बाते करना अब छोड़ दिया....निकाह के बाद जैसा नसीब में होगा वो मिलेगा........सेक्सी बातो से तो और आग भड़क जाती है....रात में उंगली डाल डाल कर अब कुछ होता जाता नही....



फिर एक दिन मैं फर्रू के घर गई.....फर्रू अपनी अम्मी और अपने बड़े भाई के साथ रहती थी....उसका भाई एंटी करप्षन यूनिट में किसी उची जगह पर था.....फर्रू ने बताया की उसका भाई उस से उमर में करीब सात साल बड़ा था....वैसे फर्रू भी मेरे से दो साल बड़ी थी मेरे भाई की उमर की थी....मैं ड्रॉयिंग रूम में बैठी थी तभी एक लड़का दाखिल हुआ.....मुझे देख एक पल के लिए चौंका....फिर अंदर चला गया....थोड़ी देर बाद फर्रू के खिलखिलती हुई हसी सुनाई दी....ही भाई छ्चोड़ो बाहर मेरी दोस्त है....बेचारी बोर हो रही होगी.....



ही अल्लाह बड़ी खूबसूरत पायल है....कब खरीदी आपने....उई छ्चोड़िए ना....ठीक है....कसम से....हा...पहन कर....ठीक है भाई....फिर एक दम खामोशी च्छा गई....थोड़ी देर बाद फर्रू आई तो उसके बॉल थोड़े से बिखरे हुए लग रहे थे....आँखो में अजीब सी चमक थी.....होंठो पर हल्की मुस्कुराहट तैर रही थी.....मैने सोचा क्या माजरा है....कितने मज़े से बाते कर रहे थे दोनो भाई बहन...जैसे की....मैने फर्रू से पुछा .....क्यों मुस्कुरा रही हो....वो जो लड़का अंदर गया क्या तेरा भाई था....फर्रू ने अपने चेहरे को उपर उठा कर जवाब दिया....हा....भाई जान थे....वो आज जल्दी ऑफीस से आ गये...



उसके गाल गुलाबी से सुर्ख लाल हो चुके थे....वो थोड़ा घबराई सी लग रही थी....मैने कहा....तो इसमे इतना घबराने की कौन सी बात है....अरे नही यार वो बहुत गुस्से वाले है....मैने कहा...अर्रे अभी तो तू उनसे हंस हंस कर बाते कर रही थी....बाहर तक आवाज़ आ रही थी.....शायद तेरे लिए कोई गिफ्ट लाए है.....मेरे ऐसा बोलने से फर्रू सकपका गई.....बात को इधर उधर घुमाने लगी....फिर मैं भी उठ कर चली गई ....ये सब बाते यही पर ख़तम हो गई....इसी तरह मैं एक दो दफ़ा और फर्रू के घर गई....       

एक दफ़ा मैं सुबह के करीब आठ बजे उसके घर गई....उस रोज भाई को कही जाना था.... भाई ने फर्रू के घर तक छोड़ दिया.....दरवाजा थोड़ा सा लगा हुआ था....मैने धक्का दे कर हल्के से खोला और अंदर दाखिल हो गई..... मैने सोचा आवाज़ डू मगर....मुझे आई....उईईइ.....इश्स की आवाज़ सुनाई दी....जैसे अम्मी अपनी चूंची मसळवते या चुदवाते वक़्त आवाज़ निकलती थी....मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा....ये क्या चक्कर है....जासूस राबिया ने ड्रॉयिंग रूम का परदा हल्का सा हटाया.....अंदर झाँका....है अल्लाह मेरे होश फाख्ता हो गये.....फर्रू का भाई पीछे से उसको अपनी आगोश में दबोचे खड़ा था...दोनो की पीठ दरवाजे की तरफ थी.... पुच पुच की आवाज़ के साथ स...इसस्स...की आवाज़...उसके भाई के दोनो हाथ उसकी छाती के नज़दीक....मेरे तो पैर काँपने लगे....दिल धड़ धड़ कर बजने लगा....वाहा खड़ा होना मेरे लिए मुस्किल हो गया....अपने आप को संभालती जल्दी से बाहर आ गई....कुछ देर तक वही खड़े रह कर अपने जज़्बातो को संभाला फिर...कॉल बेल दबा दिया....



थोड़ी देर के बाद फर्रू बाहर आई....अपने बालो को संभालते हुए....होंठो का रंग थोड़ा उड़ा हुआ लग रहा था....पर चेहरे का रंग सुर्ख लाल हो रखा था....अपनी छाती पर दुपट्टा संभालते हुए अपने बैग को कंधे पर लटकाए....थोड़ी घबराई सी बोली.....ज़यादा देर तो नही हुई....मैने उसको उपर से नीचे देखते हुए कहा.....नही यार....उसकी समीज़ की इस्त्री उसके छाती के पास खराब हो चुकी थी....सलवते पर चुकी थी.....जाहिर था की उसके भाई जान ने वाहा हाथ लगा कर मसला है....अल्लाह क्या क्या तमाशे दिखा रहा था मुझे....मेरी प्यारी सहेली फर्रू जिसको मैं सीधा समझती थी अपने सगे बड़े भाई से अपनी चूंची मसलवा रही थी.....मेरे पैर अभी भी काँप रहे थे....साली अपने भाई से फंसी है....तभी कहती है बाय्फ्रेंड की ज़रूरत नही....



जब घर में ही लंड का मज़ा मिल रहा है तो फिर बाहर....ही कसम से मैने खवाब में भी नही सोचा था....रंडी....शराफ़त का कितना जबरदस्त ढोंग करती थी.....हम दोनो कॉलेज के लिए पैदल ही चल दिया, वाहा से जयदा दूर नही था....पर मेरा दिल जितनी देर तक कॉलेज में रही धाड़ धाड़ कर बजता रहा.....



दो बजे दिन में वापस घर आई फ्रेश होकर आराम करने के लिए बिस्तर पर लेती तो.....आज सुबह हुआ वाक़या मेरे दिलो दिमाग़ में फिर से चक्कर लगाने लगा.....ही मेरी फर्रू जान अपनी बुर फड़वा चुकी है.....साली कितनी चालक है.....सब कुछ निकाह के बाद....साली ने फड़वा या भी किस से अपने सगे भाईजान से.....बाहर किसी को पता ही नही की शरिफजादी कितनी बड़ी हरामजादी और चुदक्कड़ है.....भाई का लंड बुर में लेकर सिर पर दुपट्टा डाल कर घूमती है......जैसे नीचे के छेद में कौन हलचल मचा रहा है पता ही नही......कुछ भी हो मेरे जासूसी मिज़ाज को भी थोड़ा करार आ गया था....मैं हमेशा सोचती थी की क्या साली की चूत नही खुजलाती.....उंगली करती होगी या नही.....हमेशा मेरी बातो को ताल देती थी....इधर उधर कर देती.....जैसे कितनी पाकदामन है.....
जैसे इन सब चीज़ो की उसे कोई मतलब ही नही.....खैर मज़े है साली के ....चूत की खुजली आराम से मिट रही है......भाई गिफ्ट ला कर भी दे रहा है.....मज़े कर रही है......फर्रू ने अपने भाई से कैसे अपनी फड़वाई ये राज भी किसी ना किसी तरह उगलवा लूँगी....फिलहाल तो मुझे अपनी फ़िक्र करनी चाहिए.....तब्बसुम के किस्से के बाद से तो लड़को के बारे में सोचना बंद ही हो गया था....मगर फ़रज़ाना ने नई राह दिखला दी थी.


आख़िर थी तो अपनी रंडी अम्मी की बेटी....उसका कीड़ा तो मेरे अंदर भी था.....फिर फर्रू ने आज एक ऐसी राह दिखला दी थी जिसकी मुझे शिद्दत से तलाश थी.....अपनी कुँवारी अनचुदी गुलाबी रानी का सील तोड़ने के लिए एक ऐसे बंदे की तलाश थी जो प्यार से मज़ा दे.....मेरी इज़्ज़त का ख्याल रखे.....और मुसीबतो से भी बचाए...इस सब के लिए मेरी निगाहो में आज तक कोई मर्द नही था.....पर सुबह के सबक ने मेरी निगाह को अपने भाई की तरफ मोड़ दिया......हू भी तो एक जवान मर्द है....तंदुरुस्त है.....अल्लाह ने उसे भी लंड से नवाज़ा है......उसका लंड भी तो किसी ना किसी चूत को चोदने के लिए ही तो है....पता नही मेरी निगहों पर अब तक परदा क्यों कर परा था.....भाई था तो क्या हुआ..... जिसकी चूत में वो अपना लंड पेलेगा वो भी तो किसी ना किसी की बहन ही होगी....किसी और की बहन को चोदेगा.....तो फिर अपनी बहन की चूत क्यों नहीं.....
कहानी की सुरुआत शुरू से ही करती हूँ. मैं रुखसाना हूँ, मेरी उमर अभी 22 साल की है. प्यार से मुझे सब राबिया कहते है. मेरी शादी हो चुकी है और मेरे हज़्बेंड एक प्राइवेट फर्म में मॅनेजर हैं. माएके में मेरी अम्मी और अब्बा हैं. शहर में हमारे खानदान की बहुत ही अच्छी इज़्ज़त है. इज़्ज़तदार घराना होने के कारण पर्दे की पाबंदी है...लेकिन पर्दे के पीछे...




चूत पर कहा लिखा होता है की बहन की चूत है....और मैने आज तक कभी नही सुना की लंड पर लिखा होता है की भाई का लंड है......चूत चूत है, लंड, लंड.....चूत होती है लंड से चुदवाने के लिए.....चूत वाली कौन है और लंड वाला कौन इस से चूत और लंड को क्या लेना-देना.....इस तरह अपने दिल को समझाते हुए.... मैने सोच लिया की अब वक़्त बर्बाद करने से कोई फायदा नही...... भाई को ही अपनी मस्त जवानी सौंप जवानी का मज़ा लूटा जाए......आख़िर जिसकी निगाह के सामने जवान हुई उसका हक़ क्यों ना हो इस जवानी पर.....फिर ये कोई ग़लत रह या गुनाह भी नही होगा.....मैं तो अपनी अम्मी और सहेली के दिखाए रास्ते पर ही चलूंगी....वो दोनो तो ना जाने कब्से अपने अपने भाइयों का लंड अपनी बुर में पेल्वा रही है.....ये सब उपरवाले की मर्ज़ी है जो उसने मुझे ऐसा मंज़र दिखला कर रह दिखाई है......अब इस से पीछे हटना ठीक नही.....
ये सब सोच कर मैने फ़ैसला कर लिया की किसी भी तरह भाई को फसा लेना है......घर का काम करते हुए मेरा दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था......मैं सोच रही थी की भाई को कैसे कर फसाया जाए.....कही वो बिदक तो नही जाएगा....कही उल्टा तो नही सोच लेगा की मैं कैसी रंडी हूँ....मुझे समझदारी के साथ धीरे धीरे कदम बढ़ाना होगा..... अपना सागा भाई होने की वजह से उसको फसाने का खेल ख़तरनाक हो सकता था....वो अम्मी को बतला सकता था.....पर एक बार भाई अगर फस जाता तो फिर ऐश ही ऐश थी....... मैं ने भाई पर ही डोरे डालने का पक्का इरादा कर लिया.....पर शुरुआत कैसे करू यही मेरी समझ में नही आ रहा था.....वैसे भी आज तक ना तो किसी लड़के को फसाया है ना खुद किसी के साथ फंसी थी....



अब सीधे सीधे जा कर बोल तो नही सकती थी की भाई मुझे चोदो ....मेरी जवानी का रस चूस लो.....मेरी चूत में अपना लंड पेल दो....मैं इसी उलझन में डूबी सोचती रही की जिस राह पर चलने की मैने ठनी है....उस राह पर कदम बढ़ने के सही तरीका क्या है.....


शाम में भाई ने मुझे सोच में डूबा देखा तो बोला....क्या सोच रही है राबिया....कॉलेज में कुछ हुआ है क्या....मैने कहा नही भाई.....कुछ नही....फिर क्या हुआ....उदास है....अम्मी की याद आ रही है क्या.....मैने कहा नही भाई बस ऐसे ही फिर उठ कर किचन में चली गई....अब कैसे बताऊँ की मैं नही मेरी चूत उदास है......साले को कुछ समझ में भी तो नही आता....इतना तो समझना चाहिए की बेहन जवान हो गई है उसको लंड चाहिए....


पूछ रहा है क्यों उदास हो.....अर्रे गमगीन ना रहूँ तो और क्या करू....सारी जहाँ की लड़कियाँ चुद रही है....यहाँ मेरी चूत की खुजली मिटाने वाला कोई नही....किसी दिन सलवार खोल के चूत दिखा दूँगी.....



सुबह कॉलेज में शबनम मिली तो बड़ी खुश दिख रही थी....मैने उसके चूतड़ पर चिकोटी कटी....और जानी बहुत चहक रही हो.... माजरा क्या है....ये नये पायल...अंगूठी....नई ड्रेस.....बदले बदले से नज़र आ रहे है सरकार.....शबनम एकदम से शर्मा गई.... गाल गुलाबी हो गये फिर हँसते हुए बोली..... कुछ भी नही बस ऐसे ही काफ़ी दिनों से ये ड्रेस नही पहनी थी इसलिए....चल साली किसको बना रही है....कुछ तो बात है....कल कॉलेज क्यों नही आई थी.....फिर उसने थोड़ा शरमाते थोड़ा जीझकते हुए बताया.....अर्रे यार मेरी सगाई हो गई है....मैं एकदम से चोंक गई....कब....किसके के साथ....कैसे....एकसाथ कई सवाल मैने दाग दिए....शबनम मेरा हाथ पकड़ घसीट ती हुई बोली....कितने सवाल करती है....सब कुछ एक बार में ही जान लेगी क्या....
 

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator