Thursday, December 26, 2013

मेरी मस्त दीदी--5

मेरी मस्त दीदी--5

 

" मुन्ना प्लीज ! मेरी गांड मत मार , बहुत दर्द हो रहा है .... तू मेरी चूत क्यों नहीं मारता है बहनचोद " दीदी गिडगिडाते हुए बोली लेकिन मेरा लंड दीदी की फुल टायट गांड में जाकर दुबारा घुसने के लिए बुरी तरह फनफना रहा था और दीदी बुरी तरह से जकड़ी मेरे नीचे बेबस भी थी सो मैंने उनकी चीखों पर ध्यान न देते हुए अपने लंड पर थूक लगाकर फिर से उनकी गांड पर टिका कर अबकी बार एक झटके में तकरीबन आधा ठांस दिया।
" हाय हाय कोई मुझे इस बहन के लौड़े से बचाओ , कमीने मेरी गांड फट गयी है मादरचोद , अब तो छोड़ दे " दीदी मेरे नीचे फडफड़ाने की कोशिश करते हुए चिल्लाई। मै तो जैसे बहरा हो गया था। ये मौक़ा मुद्दत बाद मेरे हाथ आया था जिसे मै किसी भी कीमत पर गवां नहीं सकता था सो मैंने उसी पोजीशन में थोड़ी सी कमर उचका कर एक कस के धक्का मार कर पूरा का पूरा लंड दीदी की गांड में ठांस दिया।
" हाय अल्ला , मर गयी ........ अरे मादरचोद छोड़ दे , मेरी गांड बुरी तरह से फट गयी है .......... ऐसा लग रहा है कि गांड में किसी ने पूरा का पूरा भाला घुसा दिया है ........ छोड़ दे बहनचोद ...... छोड़ दे " दीदी अब बुरी तरह से चिल्ला रही थी लेकिन मै जानता था कि उनकी चीखें सुनने वाला वहां कोई नहीं था सो मै निश्चिन्त होकर उनकी चीखें अनसुनी करता हुआ गांड मार रहा था। अब दीदी की गांड पूरी तरह से रवां हो चुकी थी सो वह अब शांत होकर गांड मरवा रही थी। फिर मैंने दीदी की गांड से लंड को बाहर निकाल लिया और उन्हें चित्त लिटा कर उनकी चूत में फिर से पेल दिया। दीदी की चूत गांड मरने से भकाभक पानी फ़ेंक रही थी सो मैंने अपने लंड को निकाल कर अपना लंड और उनकी चूत को ढंग से पास पडी नाइटी से पोंछ लिया। अब मैंने दुबारा अपने फनफनाते लंड का सुपाडा दीदी की चूत पर टिका कर एक झटके में पूरा का पूरा लंड जड़ तक ठांस दिया।
" हाय हाय कुत्ते !! आज क्या तू मेरे सारे छेद फाड़ कर ही दम लेगा कमीने ....... मादरचोद ....... भोसड़ी के ...... मुझसे क्या दुश्मनी है जो इतनी बेरहमी से ठोंक रहा है , ये तो देख लेता कि चूत सूखी है या गीली" दीदी फिर से चिल्लाई
" चिंता मत कर मेरी रानी दीदी ......... आज तेरे सारे छेद रवां हो जायेंगे ...... तेरी सारी की सारी खुजली मिटा दूंगा " मैंने दीदी की रसीली मस्त मस्त चूचियों को कस कस के मसलते हुए उनकी चूत की पटरी पर अपने लंड की रेलगाड़ी दौडाते हुए कहा।
" आआआआआह बहनचोद ! आज तो तूने वाकई सारे नट बोल्ट ढीले कर दिए कमीने ..... ऒऒऒओह ............ आआआआआह ............. हा s s य ......... हाआआआय" कहते हुए दीदी का शरीर अचानक तन कर ढीला पड़  गया , मेरे लंड पर दीदी की चूत ने गरमागरम पानी छोड़ दिया। मेरा लंड भी अब फुल स्पीड से दीदी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था , उनकी चूत से पानी रिस रिस कर उनकी गांड के चौड़े छेद में जा रहा था। मुझे भी अब अपना स्टेशन नज़र आ गया था सो मेरे लंड ने दीदी की चूत में गाढ़ा गाढ़ा वीर्य छोड़ दिया। अब हम दोनों ही बुरी तरह से थक कर चूर हो चुके थे। हम दोनों एक दूसरे की बांहों में पड़े हांफ रहे थे फिर कब हम दोनों उसी पोजीशन में सो गए ये पता ही नहीं चला।  

 हमेशा की तरह सुबह तकरीबन साढ़े छः बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा दीदी बेड पर हाथ ऊपर को किये टाँगे फैलाये सो रही थी। उनकी बड़ी बड़ी गुलाबी मस्त चूचियां उन्नत पर्वत शिखरों सी मुझे ललकारती लग रहीं थीं। मैंने उठ कर उनकी चूत को इस वक़्त ध्यान से देखा तब पता चला कि रात में जो मैंने बुरी तरह से चोदा था इस वज़ह से वह सूज गयी थी व चारों तरफ खून निकल कर सूख कर चिपका था, थोडा नीचे झुक के देखने पर पता चला कि गांड का छेद अभी तक चौड़ा था।
फिर मैंने अपने लंड पर एक निगाह डाली जो रात की कुश्ती के बाद अब मस्त होकर शांत पड़ा था। मैंने चारों तरफ देखा , हर तरफ सन्नाटा था जिसका मतलब था कि रज़िया अभी तक नीचे नहीं आयी थी। मैंने सोच लिया था कि इस रज़िया नाम की मुसीबत का कोई ना कोई हल तो ढूँढना ही पड़ेगा। मैं धीरे से दीदी के बालों को सहलाते हुए उनके होठों को चूसने लगा। दीदी ने कराहते हुए धीरे से आँखे खोल दीं। " अब उठ जाओ दीदी , सुबह हो चुकी है। कभी भी कोई आ सकता है "
दीदी भी सारी बात समझते हुए बिना देर लगाए एक झटके में उठ कर बेड से उतर गयीं। जैसे ही उन्होंने बेड से ज़मीन पर पैर रक्खे उनके मुंह से एक चीख सी निकल गयी ,
" हाय अल्ला s s s s s s मर गयी " कहते हुए दीदी फिर से बेड पर धम्म से बैठ गई।
" क्या हुआ दीदी ! सब ठीक तो है " मैंने दीदी के नंगे बदन को सहलाते हुए पूछा
" क्या खाक़ ठीक है , कमीने पूरी रात चोद चोद के सारे दरवाजे खिड़कियाँ सब तोड़ डाले , कोई भी छेद नहीं छोड़ा तूने हरामी जिसमे अपना लंड न पेला हो और अब पूछता है क्या हुआ दीदी " दीदी गुस्से और दर्द से भिन्नाते हुए बोली।
" अरे दीदी ! रात गयी बात गयी और फिर मज़ा तो तुमने भी पूरा लिया था , कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है पर तुम चिंता मत करो मै अभी तुम्हे नाश्ते के बाद दवा लाकर दे दूंगा जिससे दो खुराकों में ही तुम रात तक बिल्कुल ठीक हो जाओगी। अब फ़टाफ़ट नहा धोकर तैयार हो जाओ कहीं रज़िया नीचे ना आ जाये और फिर हमें अस्पताल भी तो जाना है" मैंने दीदी को समझाया
" रज़िया तो आठ बजे से पहले नीचे नहीं आयेगी लेकिन हाँ हमें जल्दी से अस्पताल के लिए तैयार हो जाना चाहिए" दीदी ने कहा
किसी तरह से दर्द को बर्दाश्त करते हुए दीदी उठ कर खड़ी हुई और नंगी ही बाथरूम की तरफ चल दी। पूरी रात चुदने के बाद अब उसमें किसी भी तरह की शर्म या हया बाकी नहीं बची थी। उसकी टाँगे v शेप में ज़मीन पर पड़ रहीं थीं , उसने अपने निचले होंठ को दाँतों से कस कर दबा रक्खा था। हाय हाय करते हुए किसी तरह वह बाथरूम में घुस गयी लेकिन उसने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था। अन्दर से छु र्र र्र र्र र र र र र की आवाज़ मुझे सुनायी दी , मै समझ गया कि अब वह पेशाब कर रही थी। मैं भी फ़टाफ़ट बेड से नीचे उतरा और अपनी बनियान व अंडरविअर ढूंढ कर पहने व ऊपर से लुंगी लपेट ली। तभी मेरी निगाह बेडशीट पर चली गयी जिस पर खून के ढेर सारे निशान थे। मैंने अलमारी से दूसरी बेडशीट निकाल कर तुरंत बदली और उस बेडशीट को वाशिंग मशीन में डाल कर ब्लीच और सर्फ़ मिला के मशीन ऑन कर दी। तभी दीदी ने बाथरूम से आवाज़ लगाई , " अरे मुन्ना ! ज़रा तौलिया तो देना " मै तौलिया लेकर बाथरूम में पहुँचा , मैंने देखा दीदी नहा धोकर नंगी खडी थी। पूरी रात ढंग से चुदने के बाद सुबह नहा कर उनका हुस्न और निखर आया था लेकिन मैंने अपने अन्दर के ज़ज्बातों को दबाते हुए उन्हें तौलिया देकर कहा , " दीदी ! रात में एक गड़बड़ हो गयी है , जब हम तुम चुदाई करके सो रहे थे तो रज़िया नीचे शायद खाना लेने आयी थी और उसने तुम्हे मेरे बगल में नंगे लेटे देख लिया। वह समझ गयी होगी कि मैं तुम्हे चोद चुका हूँ "
" सत्यानाश ! ये तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी मुन्ना , अगर उसने अब्बू को बता दिया तो वो मुझे जान से मार डालेंगे" दीदी घबराते हुए बोली
" दीदी घबराने से काम नहीं चलेगा , हमें ठन्डे दिमाग से इस समस्या का हल ढूँढना होगा " मैंने दीदी को समझाते हुए कहा
" लेकिन इस समस्या का आखिर क्या हल हो सकता है " दीदी ने कपडे पहनते हुए कहा
" एक हल मेरे दिमाग में आ रहा है , अगर किसी तरह से रज़िया चुदवाने को तैयार हो जाय तो सारी प्रॉब्लम ही सोल्व हो जायेगी" मैंने दीदी को आइडिया देते हुए कहा
" तुम्हारा दिमाग खराब हो चुका है , पहले तो शायद वह चुदने को तैयार ही नहीं होगी और अगर मान लो वो तैयार हो भी गयी तो तुम्हारे इस मूसल जैसे लंड से उसकी छोटी सी चूत का क्या हाल होगा ये सोचा है क्या ? " दीदी ने थोडा गुस्से से कहा
" अरे दीदी ! कल रात तुम्हारी चूत भी तो छोटी सी थी लेकिन मेरा पूरा का पूरा लंड पिलवा पिलवा के खूब चुदी , गलत कह रहा हूँ मै ? मैंने दीदी को समझाते हुए कहा
" हाँ हाँ , रात की चुदाई अभी तक भुगत रही हूँ , कमीने दो कदम भी चलना मुश्किल होरहा है , टाँगे फैला फैला के चल रही हूँ .... चूत अभी तक सूज़ के कुप्पा रक्खी है और गांड वो तो इतना दर्द कर रही है कि लेट्रिन भी बड़ी मुश्किल से कर पाई हूँ नाशपीटे , तू बहुत ही बुरी तरह से चोदता है। रज़िया तो मर ही जायेगी तेरी इस चुदाई से, पूरे साढ़े चार साल मुझसे छोटी है " दीदी ने रात की भड़ास निकालते हुए कहा
लेकिन मै जानता था कि बिना रज़िया को चोदे इस समस्या का हल नहीं निकलेगा सो मैंने भी किसी ना किसी तरह दीदी को पटाने की ठान ली और हम दोनों सोती हुयी रजिया को घर में ही लॉक करके अस्पताल को निकल गए। अस्पताल में मामू और अम्मी हम दोनों का ही वेट कर रहे थे। जब हम दोनों वहाँ पहुँच गए तो अम्मी और मामू बारी बारी फ्रेश हो आये और हम सब ने मिल कर नाश्ता कर लिया।
" क्यों रे मुन्ना ! तू यह सोच कर आया होगा कि मामू के यहाँ चल कर मौज मस्ती करेंगे लेकिन तू इस लफड़े में पड़ गया" मामू मुझसे बोले
" अरे नहीं मामू ! ये तो बाई चांस की बात है कि मामी गिर गयीं और फिर सिर्फ आज की ही तो और बात है , कल तो मामी घर पहुँच ही जायेगी। मौज मस्ती दो दिन बाद सही , कौन सी आफत आ जायेगी" मैंने ज़बाब दिया
" अच्छा अब तुम लोग घर जाओ , रजिया भी जाग गयी होगी " मामू ने कहा
" ठीक है मामू ! अगर कोई बात हो तो फोन कर देना " यह कह कर मै दीदी को बाइक पर बिठा कर घर की तरफ चल दिया। रस्ते में मैंने दीदी के लिए दो खुराक दवा कीं लीं और घर पहुँच गया। घर पहुँच के हमने देखा कि रजिया अभी तक नीचे नहीं उतरी है सो मैंने दीदी को दवा खाने की हिदायत दी और खुद रज़िया को देखने ऊपर की तरफ चल दिया।

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