Monday, March 24, 2014

FUN-MAZA-MASTI दिलो की फरियाद--10

 FUN-MAZA-MASTI

 दिलो की फरियाद--10

 इसी बीच छुटकी का घर से बुलावा आ जाता है तो छुटकी चली जाती है, रेखा भी चलने के लिए उठती है तब मोहन उसे रुकने के लिए कहता है।
मोहन – आप थोड़ा सा रुको ना, आप साथ मुझे अच्छा लगता है इसलिए जब पुकारेंगे तब चले जाना
रेखा ठीक है कहकर बैठ जाती है और दोनो के बीच की बात आगे बढ़ती है।
मोहन – रेखा अगर आप बुरा ना माने तो मै आपसे एक बात कहना चाह्ता हूँ
रेखा – मैं आपकी किसी भी बात का बुरा नही मानूंगी, आप कहिए!
मोहन – आप तन और मन दोनो से बहुत सुंदर है, आप लोगो भले की के बारे में सोचती है, यह बात आपकी मुझे बहुत अच्छी लगी जैसे मै आपके लिए अंजान होते हुए भी आप मेरी कितनी मदद कर रही है, दूसरी तरफ पिंकी है जो कुछ ही दिनों में यहा से भाग जाती है। जब मै पिंकी के बारे में सोचता हूँ तब मुझे समझ में नही आता कि मै इसका क्या करु वहीं जब आप मेंरे सामने होती है आपका खूबसूरत चेहरा, सुगठित बदन और आपकी अच्छी आदते मुझे आपकी ओर खींच ले जाती है। वह आदमी कैसा होगा जिसने सिर्फ पैसे की लालच में इतनी सुलक्षणा एवं मनमोहनी और सुंदर पत्नी को छोड़ दिया
रेखा – प्लीज आप इस अभागन की इतनी तारीफ़ मत कीजिए। मै इस लायक नही हूँ अगर होती तो मेरे साथ कदापि ऐसा व्यवहार नही होता
मोहन – रेखा आप में कोई बुराई नही है, आप बहुत सुंदर, व्यवहार कुशल है आपको अफसोस करने की कोई आवश्यकता नही है। एक और बात जिस दिन आपका के साथ हादसा हुआ था उस समय मेरी नजर आपके ब्रा के अंदर छिपे हुए स्तन पर पड़ी मै उसकी सुंदरता, आकार और बनावट देखकर उसे देखते ही रह गया.......
मोहन के मुह से उसके के लिए ऐसी बाते सुनकर रेखा झनझना गई और उसने मोहन कि ओर नजरे पल भर के लिए भी नही उठाई और शर्म से आंखे नीची कर दी, कहा – छी मोहन जी आप भी कैसी गंदी बात करते है, भला ऐसी बात किसी लड़की के सामने कोई करता है क्या?’ और रेखा शर्म के मारे वहा से उठकर चलने लगी, तब मोहन ने उससे कहा-
मोहन – रेखा रुको न कहां जा रही हो
रेखा – मुझे थोड़ा अच्छा नही लग रहा है, फिर कभी बाद में बात करेंगे,’ कहकर वहां से चली गई।

(इधर नेहा, संगीता, पिंकी और शरद सभी पिकनिक से लौट चुके है और चारो अपने- अपने कामो मे व्यस्त हो चुके है। सब को लौटे करीब एक सप्ताह से ज्यादा हो चुका है)
एक दिन पिंकी, संगीता और नेहा ऑफिस से लौटते समय पिकनिक के बारे मे बाते करते हुए आ रहे थे। थे। नेहा ने संगीता ने बताया कि उन्होने टुर में किस तरह एंजाय किया तब पिंकी ने मजाकिए ढंग से नेहा और संगीता से पूछा – ‘क्या तुम दोनो ने अपने अपने ब्वायफ्रेंड के साथ कुछ मस्ती की भी है कि नहीं?
नेहा –‘ मैंने तो खूब मस्ती की है और संगीता तुमने?
संगीता –‘ मैंने भी की है पर पिंकी से पूछ लो वो वह क्या पूछना चाह्ती है’
पिंकी –‘तुम लोगो ने जो मस्ती की है वह मुझे भी पता है पर मै रात को जब तुम्हारे साथ सिर्फ ब्वायफ्रेंड था उस समय तुमने क्या क्या किया मैं वह जानना चाहती हूँ’
संगीता और नेहा ने एक दुसरे कि ओर देखा और देखकर हंस दिए, संगीता ने नेहा को कहा –‘ नेहा तु ही बता तुने क्या किया फिर मै बोलूगी’
नेहा –‘ नही तू ही पहले बता’
पिन्की –‘ मै समझ गई, मुझे जो यकीन था की यही हुआ होगा’
संगीता और नेहा –‘ क्या?’
पिंकी –‘ ए नेहा बताना शरद ने तेरे साथ क्या किया और कैसे किया, और संगीता तु भी बताना’
संगीता –‘ ऐसी बाते कोई सड़क पर थोड़े ही बताता है, किसी शाम को आना या फिर किसी संडे को आना और फिर इतमिनान से पुरी कहनी सुनना”
पिंकी ने कहा कि वह बिल्कुल जाएगी। और सभी बाते करते हुए तीनो अपने अपने निवास तक पहुंच गए।
घर में पहुंचने के बाद पिंकी ने वक्त नही गंवाया, वह तुरंत ही नेहा और संगीता से मिलने के लिए उनके निवास में चली गई। पहुचते ही पिन्की ने नेहा से पुछा कि शरद और उसने रात को अकेले में क्या किए।
पिंकी ने पुछा –‘ ए नेहा बताना शरद ने तुझे कैसे प्यार किया?’


 नेहा तो पहले शर्मायी लेकिन पिंकी के जोर देने पर नेहा बोली –‘ उस रात मै और शरद जब हॉटल के मेंरे कमरे सिर्फ हम दोनो थे मैं पलंग में बैठी हुई थी और शरद सिर को मेरे गोदी में रखकर लेटा हुआ था, मै शरद की आंखो को एकटक देख रही थी मेरी नजरे उससे नही ह्ट रही थी। थी। फिर शरद ने अपने होंठो को मेरे होंठ के पास लाकर आहिस्ते से छुआ, उसके होंठो के स्पर्श से मेरा तन हिल गया, उसके बाद शरद ने होंठो कि जकड़ को मजबुत किया और मेरे भी होंठ उसका साथ देने लगा। पहली बार मैंने किसी को चुमा मै तो सातवे आसमान में थी। मेरी मदहोशी को देखते हुए शरद ने मुझे बिस्तर में लेटा दिया, शरद अपने हाथो से मेरे शरीर को कपड़ो के ऊपर से ही सहलाते रहा था। रात के अंधेरे में शरद मेरे बदन को कपड़ो के ऊपर से ही छुने लगा पहली बार में शरद का स्पर्श मेरे लिए काफ़ी था, मेरे लिए यह नया अहसास था। शरद के हांथो के स्पर्श मात्र से ही मै मदहोश होने लगी मेरी साँसे तेज होने लगी है। शरद ने आहिस्ते से मेरे कपड़ो को उतारने लगा शरद ने मेरे कपड़ो को कब खोला मुझे पता ही नही चला। अब मै सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी शरद मेरे शरीर के ऊपर लेट गया था, और मेरे हर अंग को बेतहसा चुमे जा रहा था। फिर उसने कपड़ो के फिर बाद में मेरी ब्रा और पेनटी भी निकाल दी , शरद ने भी अपने कपड़ो को निकालकर मुझे अपनी बाँहो में लेकर लेट गया। अब हम दोनो नंगे बिना किसी कपड़े के एक साथ लेटे हुए थे। ऐसे में शरद का नंगा बदन मेरे बदन से स्पर्श कर रहा था और यह अजीब सा रोमांचित कर देने वाला अहसास मुझको उत्तेजित कर रहा था। शरद मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठो को चूमना शुरू किया। मुझसे ये सब सहन नहीं हो पाया तो मैंने भी शरद के होन्ठ को अपने मूह से चूमने चाट्ने लगी। हम दोनो पागलो की तरह एक दूसरे को चूमे जा रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं ऐसी ही बिना कपड़ो के जिंदगी भर शरद साथ चिपक कर लेटी रहूं,,,,,,,और वह मेरे होंठो को मेरे बदन चूमते रहे।” शरद अब मुझे सिर से पावं तक चूमने लगा, मैं आँखो को बंद कर लेटी रही। शरद ने हाथों मेरे स्तानो को सहलाने लगा, जिससे नेहा के शरीर की झंझनाहट बादने लगी। उसने दोनो हाथों से स्तानो को अब मसालने लगा, मेरे से तड़प नहीं सहा जर आहा था। तब मैंने कहा- “प्लीज़ उसको धीरे से प्यार करो, मुझसे दर्द नहीं सहा जा रहा है, ऐसा लग रहा है की मैं दर्द के मारे मार जाऊंगी” शरद ने मेरे स्तानो को छोड़ दिया, थोड़ा नीचे उत्तर कर मेरे नाभि को चूमने लगा। मेरे शरीर में बिजली सी करेंट दौड़ गयी। उसका शरीर ऊपर की ओर तन गया। मुझे मेरे नीचे की अजीस सा अहसास होने लगा। नीचे योनि के पास ऐसा लग रहा था मानो कि कि चीज उसमे घुस जाए तो मुझे सुकुन मिले। मेरी तड़्प बढ़ रही थी और मै तेज तेज सांसे ले रही थी। फिर शरद ने अवसर देखते हुए उसने अपना लंड मेरे चुत मे घुसेड़ दिया। मुझे लगा कि शरद ने कोई कठोर चीज मेरे अंदर घुसा दिया हो मै दर्द से जोर से चिल्लाई, मै चीख पडी। और एक जोरदार धक्के के साथ शरद का लंड मेरे अंदर पूरा घुस गया था। जैसे ही शरद का लंड पुरा अंदर गया मै दर्द के और जोर से चीख पड़ी, और मेरे आंखो में आँसू आ गये थे। शरद ने धीरे धीरे से ही लंड को अंदर बाहर करने लगा, जब उसने देखा की मै शांत हूँ तो उसने ने ज़ोर-जोर से उसे धक्का देने लगता था । और मेरे मुहं से दर्द से करहने की आवाज़े शुरू हो गयी थी। मै दर्द और मस्ती में डुबने के कारण बीच-बीच मे आह,,आह,,आह,,आह,, आह,,आह,, आह,,आह,, शरद मुझे दर्द हो रहा है प्लीज़ आह,,आह,,आह,,आह,, आह,,आह,, आह,,आह तोड़ा धीरे करो, ऐसी अवाजे निकलने लगी।
शरद ने मुझसे कहा कि “बस तोड़ा दर्द सहो फिर मज़ा आने लगेगा”
मेरे मुह से लगातार उः,,,,,,आह,,आह,,आह,,आह,, आह,,आह,, आह,,आह कराहने के आवाज़े आ रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद वही दर्द अब मुझे मज़ा देने लगा था। शरद अब मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के मार कर मुझको चोदे जा रहा था, मै मस्ती में उः,,,,,,आह,,आह,,आह,,आह,, आह,,आह,, आह,,आह कर रही थी, शरद ने मेरे पैरो को उठा कर पकड़ लिया और अब एक्सप्रेस की तरह जल्दी जल्दी करने लगा, कमरे में मेरी सिसकिया और पक-पक की आवाज़ गूँज़ रही थी। जब शरद अपने चरम पर पहुँच वह झड़ गया, उसके वीर्य की धार मेरे अंदर समा गयी। तब तक मेरा बुरा हाल हो गया था दर्द के कारण उसे लग रहा था जैसे की मै मर जाऊंगी। इसके बाद मैं शरद के सीने से लिपट कर सो गई, जब मै शरद से लिपटी हुई थी तब शरद मेरे बालो में अपने हाथ फेर रहा था जिसके कारण मेरी नींद लग गई।“







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