FUN-MAZA-MASTI
जब मैं शाम को भाभी के घर पहुँचा तो जाने से पहले 15-20 गिरियाँ बादाम की खाकर गया कि आज तो दोनों की चूत लूँगा और कहीं कल की तरह थकावट ना हो जाए, पर जैसे ही मैं भाभी के घर पहुँचा तो भाभी बड़ी थकी सी लग रही थी।
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ? ऐसे थकी सी क्यों लग रही हो?
तो वो बोली- कुछ नहीं यार, मेरे पेट में दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- दवाई ला दूँ क्या?
तो भाभी बोली- यह दवाई से नहीं जायेगा, यह महीने का दर्द है।
मैं मन ही मन खुश हो गया कि चलो नई चूत मिलेगी पुरानी का मौका तो मिलता ही रहेगा।
भाभी बोली- बिट्टू, मैं तो कुछ कर नहीं पाऊँगी आज !
मैंने अपनापन जताते हुए कहा- भाभी कोई बात बात नहीं, आप ठीक हो जाओ, यह सब तो होता ही रहेगा, जब आप ठीक हो जाओगी तब कर लेंगे, अभी आप आराम करो।
यह कहते हुए मैं बैडरूम में चला गया, माला वहाँ बैठी थी और कोई मैग्जीन पढ़ रही थी। मैंने धीरे से जाकर पीछे से उसकी आंखें बंद कर ली, उसने भी कोई विरोध नहीं किया, शायद वो समझ गई थी कि यह मैं ही हूँ। उसने अपना शरीर और ढीला छोड़ दिया मैंने भी हिम्मत करते हुए अपना हाथ उसकी आँखों से हटा कर आराम से नीचे की ओर खिसका दिए और कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर फेरने शुरू कर दिए।
10-12 सेकेण्ड में उसकी साँसें तेज़ होने लगीं, पर फिर वो खुद संभाल कर बोली- बहुत जल्दी है क्या? थोड़ा तो सब्र करो।
मैंने भी उसकी बात समझते हुए अपने हाथ पीछे खींच लिए।
माला उठी और बोली- सब्ज़ी तो तैयार है, मैंने टाइम से ही बना ली थी, बस फुल्के उतारने हैं।
इतने में भाभी भी अंदर आ गई और बोली- माला, खाना अभी खाओगे क्या तुम लोग? तो मैं रोटियाँ सेक दूं !
तो माला बोली- भाभी, आप आराम कर लो, रोटी मैं बना लेती हूँ, बल्कि आप गर्म गर्म खा लो, मैं रोटी सेकती हूँ और बिट्टू आपको पकड़ा देगा।
एक बार मना करके फिर भाभी मान गई माला ने गैस जलाई और रोटी सेकने लगी, मैंने भाभी को खाना खिला दिया।
फिर माला बोली- बिट्टू, एक काम करो तुम भी यहीं मेरे पास आ जाओ, मैं तुम्हे भी गर्म गर्म खिला देती हूँ।
मैंने बोला- ठीक है जानू !
मैं भाभी के खाने के बर्तन लेकर रसोई में आ गया और दोबारा बैडरूम में जा कर भाभी को रजाई निकाल कर दे आया कि भाभी आप आराम कर लो।
मैंने रसोई में आने के बाद माला से कहा- लाओ डार्लिंग, खाना दो !
उसने मेरी तरफ तिरछी नज़र से देखा और मुस्कुरा कर बोली- अभी लो जी !
जैसे औरतें अपने पति को बुलाती हैं।
उसका ऐसे कहने का अंदाज़ बड़ा मस्त था। माला ने मुझे खाना लगा कर दिया और मैं भी उसके पास ही बैठ गया और अपने साथ साथ उसे भी खाना अपने हाथ से खिलाने लगा और वो भी रोटी बिल्कुल प्यार से पका कर मुझे दे रही थी और साथ साथ खुद भी खा रही थी। यह भी एक ऐसा अनुभव था जो मुझे अपने जीवन में पहली ही बार हासिल हो रहा था।
हम दोनों ने साथ खाना खाया और मैं उसे बोला- एक काम करो, तुम बर्तन मांज लो, मैं दूध गर्म कर लेता हूँ।
तो माला बोली- तुम रहने दो।
मैंने कहा- इससे टाइम बचेगा !
तो उसने सहमति में अपना सर हिला दिया और बोली- ठीक है !
जितनी देर में उसने बर्तन मांजे, मैंने दूध गर्म कर लिया था। इसके बाद माला ने बाहर का गेट लॉक किया और मैं दूध लेकर अंदर चला गया, अंदर जाकर मैंने रूम हीटर चालू कर दिया और दूध का पतीला उसके सामने रख दिया, फिर भाभी से बोला- भाभी, सोना कैसे कैसे है?
भाभी बोली- मैं छोटी वाली रज़ाई ले रही हूँ, तुम दोनों बड़ी रज़ाई में लेट जाओ !
माला भी अंदर आ चुकी थी और अब वो बाथरूम में चली गई थी पेशाब करने तो भाभी बोली- बिट्टू, आज मैं तो कुछ कर नहीं सकती, तुझे इसी से अपना काम चलाना है, आज ढंग से सब कुछ कर लेना और कोई कपड़ा रख लेना साफ़ करने के लिए !
मैं मन ही मन सोच रहा था 'अँधा क्या मांगे, दो आँखें'
माला पेशाब करके आई तो मैं भी पेशाब करने चला गया और आज के बारे में सोच कर रोमंचित हो रहा था और मेरे लण्ड महाराज तो अभी से अपना सर उठाये तैयार हो रहे थे और तनाव की वजह से मुझे पेशाब करने में कुछ अधिक समय लगा क्योंकि पुरुषों की पेशाब और वीर्य के लिए एक ही नलकी होती है और जब लण्ड तना हुआ हो तो पेशाब वाली नलकी पर दबाव पड़ता है इससे सभी पुरुषों को तनाव के समय पेशाब करने में ज्यदा टाइम लगता है।
मेरे पेशाब करके आने तक माला रजाई में घुस चुकी थी मैंने भी बाथरूम से बाहर आकर हाथ पोंछे और मैं भी रजाई में घुस गया, आज सोने की स्थिति थोड़ी सी बदली हुई थी, भाभी दीवार की तरफ सोई थी फिर माला और फिर बाहर की तरफ मैं था।
लेटने के बाद कुछ पल तो मैं शांत लेटा रहा और उम्मीद कर रहा था कि माला पहल करेगी, पर कुछ देर तक उसकी तरफ से पहल न होने पर मैंने ही पहल की, मैंने माला की तरफ करवट ले ली और अपना बांया हाथ उसके पेट पर रख दिया।
मेरे हाथ रखते ही उसके जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ गई जो कि मैंने स्पष्ट महसूस की। हालांकि कल हमारे बीच में सब कुछ हो चुका था पर फिर भी एक अनजान सी झिझक लग रही थी। मैंने सर उठा कर भाभी की तरफ देखा, भाभी भी हमारी तरफ देख रही थी और मुझसे आँखें मिलते ही बोली- क्या हुआ? आज मेरी तो छुट्टी है अब तुम दोनों तो एन्जॉय कर लो, दो दिन का ही समय है फिर तो इसके भैया आ जायेंगे फिर कोई मौका नहीं मिलेगा।
भाभी की बात मैंने अंदर तक महसूस की और सोचा कि अब देर करना ठीक नहीं है, मैंने अपने हाथों को हरकत देनी शुरू कर दी और धीरे से अपने हाथ को उसके पेट से ऊपर की तरफ सरकाते हुए उसकी चूचियों की तरफ बढ़ाया और धीरे से उसकी चूचियों पर ले गया, यह जान कर मुझे बड़े ज़ोर का झटका लगा कि उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी, यानि कि वो पहले से ही तैयार थी बस मेरी पहल की ही ज़रूरत थी और जैसे ही मैंने उसकी कमीज़ के ऊपर से ही उसकी घुंडियों को पकड़ा, चने के दाने के बराबर के निप्पल मेरे हाथ लगते ही टाईट होने लगे थे, साथ ही उसके मुंह से आवाज़ निकली- सीईईई आआह्हह्हह्हह !
और इस आवाज़ ने मेरे लिए सिग्नल का काम किया, इसके साथ ही मैंने अपना हाथ कमीज़ के ऊपर से हटा कर उसकी कमीज़ के अंदर डाल दिया और बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों के सहलाने और दबाने लगा।
अब उसने करवट लेकर अपना मुँह मेरी तरफ कर लिया और अपने तपते हुए मेरे होंठों पर रख कर चुम्बन करने लगी। अब जब सामने से बत्ती हरी हो तो फिर मौका कौन गंवाता है, मैंने भी तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया और लगा बड़े प्यार से चूसने कभी, उसका निचला होंठ मेरे मुँह में आ जाता और कभी ऊपर वाला और वो भी बराबर प्रत्युत्तर दे रही थी।
जैसे ही मैं उसका ऊपर वाला होंठ अपने मुंह में भरता तो वो मेरा निचला होंठ चूसना शुरू कर देती और जब मैं उसका निचला होंठ चूसता तो वो मेरा ऊपर वाला होंठ अपने मुंह में भर के चूसना शुरू कर देती और साथ ही हमारे दोनों के मुंह से मंहह अमूउह्ह की अस्प्ष्ट सी आवाज़ें निकल रही थीं।
उसके करवट लेने से मेरा सीधा हाथ तो उसके सर के नीचे आ गया था पर मेरा बायाँ हाथ बराबर अपना काम कर रहा था और बारी बारी से दोनों चूचियों को मसल रहा था। उसकी चूचियों को मसलते हुए कब मेरे हाथ नर्म से सख्त हो गए, मुझे पता ही नहीं चला, अब मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर की ओर उठाना शुरू कर दिया और उसके भरे भरे मम्मों को कमीज़ से बाहर निकाल लिया और अपना मुंह उसके होंठों से हटा कर उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया बारी बारी से कभी एक तो कभी दूसरी, उसके निप्पल एकदम सख्त हो गए थे।
इधर मैंने अपना हाथ जो उसकी चूचियों से हटाया था उसकी सलवार के अंदर डाल दिया अब मुझे दूसरा झटका लगा जब मैंने देखा कि आज उसने पेन्टी भी नहीं पहन रखी थी जैसे ही मेरा हाथ सरकता हुआ उसकी छोली (भग्नासा) पर लगा तो वो एकदम से मचल उठी और एकदम ऐसे फ़ड़फ़ड़ाई जैसे पानी से निकलने पर मछली तड़पती है और साथ ही 'आआअह्ह आआआःहह' की आवाज़ उसके मुंह से निकली और उसके हाथ ने मेरे पजामे के ऊपर से ही मेरे तनतनाते हुए लौड़े को एकदम कस कर पकड़ लिया और पूरे जोर से भींचने लगी।
जोश तो पूरा आ रहा था पर मैं तो आज दो को चोदने की तैयारी करके आया था इस लिए आने से पहले मैं एक बार मुठ मार के आया था क्योंकि अगर एक बार पहले से ही मुठ मार ली जाये तो फिर आदमी को झड़ने में समय ज्यादा लगता है और आदमी ज्यादा देर तक चुदाई कर सकता है। इस लिए मुझे कल की भांति यह डर नहीं था कि काम जल्दी हो जायेगा। मैंने उठ कर अपनी कमीज़ और बनियान एक साथ ही उतार दिए और पजामे का नाड़ा भी खोल दिया। इसके बाद मैंने माला के सर के
नीचे हाथ डाल कर उसे उठाया और जैसे ही उसकी कमीज़ को पकड़ा उसने अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठा दिए और कमीज़ उतारने में मेरी सहायता कर दी।
दोनों के ऊपर के कपड़े उतर चुके थे, मेरे पजामे का नाड़ा भी खुल चुका था और उसकी सलवार खोलनी बाकी थी जिसमें कि मैंने एक मिनट भी नहीं लगाया और उसका नाड़ा खींच कर खोल दिया और सलवार को नीचे की तरफ खींचा तो उसने अपने चूतड़ उठा दिए और मैंने उसकी सलवार भी जल्दी से उतार दी।
अब माला के जिस्म पर तो एक धागा तक नहीं था और मेरे जिस्म पर पजामा था और मैं चाहता था किसी तरह से माला को गर्म कर दूँ क्योंकि औरत पूरी तरह से सहयोग सिर्फ तब ही करती है कि या तो वो सेक्स अभ्यस्त हो या फिर पूरी तरह से गर्म हो !
आज मैं अपने पूरे के पूरे ज्ञान को आजमाना चाहता था इसलिए मैंने अपने आप को आज चूत चाटने के लिए तैयार किया था पर अभी मानसिक रूप से पूरी तरह से मैं तैयार नहीं था, मैं यह भी चाहता था कि आज माला की चुदाई कुछ इस तरीके से करूँ कि उसे मज़ा भी आ जाये और वो याद भी रखे।
मैं उसकी चूत चाटना चाह रहा था पर साथ ही मन में कुछ घिन सी भी थी। फिर मैंने अपने आप को मानसिक रूप से तैयार किया और पलटी मर के अपना मुंह रजाई के अंदर कर के अपना मुंह मैंने माला की चूत की तरफ कर लिया और अब मेरी टाँगें माला के सर की तरफ थीं। मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर लगाया, थोड़ा सा उबकाई जैसा महसूस हुआ पर फिर भी मैंने अपना मन कड़ा करके अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी, उसकी चूत काफी गीली थी और उसमें से जो पानी सा निकला था वो बिल्कुल उसी तरह का था जो मुठ मरने से पहले चिपचिपा सा मेरे लण्ड में से निकलता था, उसकी चूत में थोड़ी अलग तरह की गन्ध थी।
मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी थोड़ा चिपचिपा और नमकीन सा स्वाद चूत का और मेरे जीभ लगते ही उसके मुंह से आह्ह्ह की आवाज़ निकली और उसने मेरा पजामा और अंडरवियर एक साथ नीचे को खींच कर मेरी टांगों में से निकाल दिया।
मैंने सोचा कि अब वो मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेगी।
अब माला के जिस्म पर तो एक धागा तक नहीं था और मेरे जिस्म पर पजामा था और मैं चाहता था किसी तरह से माला को गर्म कर दूँ क्योंकि औरत पूरी तरह से सहयोग सिर्फ तब ही करती है कि या तो वो सेक्स अभ्यस्त हो या फिर पूरी तरह से गर्म हो !
आज मैं अपने पूरे के पूरे ज्ञान को आजमाना चाहता था इसलिए मैंने अपने आप को आज चूत चाटने के लिए तैयार किया था पर अभी मानसिक रूप से पूरी तरह से मैं तैयार नहीं था, मैं यह भी चाहता था कि आज माला की चुदाई कुछ इस तरीके से करूँ कि उसे मज़ा भी आ जाये और वो याद भी रखे।
मैं उसकी चूत चाटना चाह रहा था पर साथ ही मन में कुछ घिन सी भी थी। फिर मैंने अपने आप को मानसिक रूप से तैयार किया और पलटी मर के अपना मुंह रजाई के अंदर कर के अपना मुंह मैंने माला की चूत की तरफ कर लिया और अब मेरी टाँगें माला के सर की तरफ थीं। मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर लगाया, थोड़ा सा उबकाई जैसा महसूस हुआ पर फिर भी मैंने अपना मन कड़ा करके अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी, उसकी चूत काफी गीली थी और उसमें से जो पानी सा निकला था वो बिल्कुल उसी तरह का था जो मुठ मरने से पहले चिपचिपा सा मेरे लण्ड में से निकलता था, उसकी चूत में थोड़ी अलग तरह की गन्ध थी।
मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी थोड़ा चिपचिपा और नमकीन सा स्वाद चूत का और मेरे जीभ लगते ही उसके मुंह से आह्ह्ह की आवाज़ निकली और उसने मेरा पजामा और अंडरवियर एक साथ नीचे को खींच कर मेरी टांगों में से निकाल दिया।
मैंने सोचा कि अब वो मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेगी पर उसने मुंह में नहीं लिया, बस बहुत बुरी तरह से सिस्कार रही थी और मचल रही थी। मैं अपने दोनों हाथ उसके कूल्हों के नीचे ले आया और दोनों हाथों से उसके नर्म चूतड़ों को कस कस के दबा रहा था और कभी-कभी अपनी उंगली उसकी गांड के छेद पर फ़िरा कर सहला रहा था।
जैसे ही उंगली उसकी गांड के छेद पर पहुँचती, वो बड़े जोर से अपने चूतड़ ऊपर को उछाल देती और मुंह से 'आआआह्हह' की आवाज़ निकाल देती जिससे मेरा जोश और दुगना-चौगुना हो जाता और मैं भी अपनी जीभ पूरे जोर से उसकी चूत पर फेरता और जीभ को अंदर घुसेड़ने की कोशिश करता।
इधर मेरा लण्ड भी फट पड़ने कि तैयार हो रहा था, मैंने अपने चूतड़ ऊपर को उठा कर अपना लण्ड उसके मुँह में देने की कोशिश की पर उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। अब मेरी सहन शक्ति जवाब दे रही थी चाह तो वो भी यही रही थी कि अंदर डाल दूँ पर शायद शर्म के मारे कह नहीं पा रही थी।
लगभग 15-20 मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद मैं सीधा हो गया, उसकी बगल में आकर लेट गया और दोबारा से उसके मम्मे अपने मुँह में लेकर चूसने शुरू कर दिए। अब मेरी हर हरकत उसको और अधिक उत्तेजित कर रही थी और उसके मुँह से निकलने वाली 'उह… आह… उई…' की आवाज़ें बढ़ती जा रही थीं।
जैसे जैसे उसकी कामुकता और तेज़ हो रही थी वैसे वैसे अब वो शर्म छोड़ कर मुझ से कस कर लिपट रही थी। अब उसने मेरी बांह पकड़ कर अपने ऊपर की ओर खींचना शुरू कर दिया तो मैं समझ गया कि अब उससे सहन नहीं हो रहा।
जैसे ही मैं उसके ऊपर आया और मैंने हाथ से पकड़ कर अपना लण्ड उसके छेद पर फिट किया, लण्ड के स्पर्श मात्र से ही वो एकदम से गनगना गई, उसने अपनी गांड ऊपर को उठा दी और बिना किसी खास प्रयास के ही मेरा आधे से अधिक लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
उसके मुंह से दर्द और मस्ती की सम्मिश्रित आवाज़ निकल गई 'उउईई… ईह्ह…' और उसके चेहरे पर भी दर्द के भाव साफ़ दिख रहे थे इतनी देर के बाद भाभी की आवाज़ आई- बिट्टू, आराम से !मैं तो अब तक भूल ही गया था कि कमरे में हम दोनों के अलावा भी कोई है और मुझे याद आया कि कल ही तो इसकी चूत का उद्घाटन हुआ है।
मैंने कहा- हाँ भाभी, ठीक है।
और इसके बाद मैं अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा।
मुझे पूरा लण्ड अंदर डालने में लगभग आधा या पौना मिनट लगा होगा। जैसे जैसे मेरा लण्ड अंदर जा रहा था, उसे दर्द का एहसास हो रहा था पर अब मैं इस स्थिति था कि न तो मैं रुक सकता था ना ही उसके दर्द के बारे में चिंता कर सकता था और इस बात की गारंटी थी कि मुझे चुदाई में समय तो पूरा लगेगा ही क्योंकि मैं आने से पहले एक बार मुठ मर के आया था।
कुछ ही देर में मेरा लण्ड पूरा उसकी चूत में उतर गया। कुछ देर के लिए मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसके भरे भरे चुच्चों को मुंह में भर लिया और बड़े प्यार से चूसने लगा। अब माला भी कुछ शांत सी हो गई थी, उसके चेहरे से दर्द के भाव गायब हो गए और उसकी आँखें मुंदने लगीं, मुँह से सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं।
यह महसूस करते ही मैंने भी धीरे धीरे हिलना शुरू कर दिया, मेरी इस क्रिया से उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी नीचे से थोड़ा थोड़ा कसमसाने लगी, मैं भी समझ गया कि अब इसे मज़ा आ रहा है।
धीरे धीरे मैंने भी अपनी गति बढ़ानी शुरू कर दी, मेरे हर धक्के के साथ उस के मुख से 'उह… आह…' की आवाज़ें आ रही थीं और इससे मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी, मैं कभी तो उसके होंठ चूस रहा था कभी उसकी चूची को मुंह में भर लेता था, कभी कभी उसके चूचों पर हल्के हल्के दाँत से काट भी लेता था, इससे उसे दर्द नहीं हो रहा था बल्कि मज़ा आ रहा था।
लगभग 8-10 मिनट की ठुकाई के बाद अब उसकी तरफ से पूरा सहयोग शुरू हो गया था और आज वो कल से ज्यादा मजा लेकर चुदवा थी और साथ ही मुंह से अजीब अजीब आवाज़ें निकल रही थी- आआआ… आह्ह… आअ… अईई…
मैं बीच में धीरे हो जाता था तो वो जोर लगाती और उसके मुँह से 'आह… आह्ह…' आवाज़ें मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर देतीं, मेरी गति फिर से बढ़ जाती, मैं फिर से ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लग जाता था।
अब मैंने उसके होंठों को अपने मुंह में भर लिया और अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी, बांये हाथ से उसकी चूची का निप्पल मसल रहा था और दांया हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड के छेद पर फेरना शुरू कर दिया। इससे उसकी उत्तेजना और आवाज़ें बहुत बढ़ गई थीं और उसके मुँह से हाये हाये और 'आह… आआ… आआ… अई' की आवाज़ आ रही थी और आवाज़ों का रिदम उसके हिलते हुए चूतड़ों के साथ बन रहा था। जैसे ही वो गांड उठाती, साथ ही उसके मुंह से आवाज़ आती- हाय !
अब उसकी आवाज़ें इतनी तेज़ हो गई थीं कि मैं समझ गया कि अब इसका काम तो होने वाला है और मैंने जोर का धक्का लगाया और पूरा लण्ड अंदर तक धकेल कर वहीं पर रुक गया तो वो 2-3 सेकंड तक तो समझ ही नहीं पाई और फिर एकाएक बोली- करओओ ना… रुक क्यों गए…
और नीचे से जोर का धक्का मारा ऊपर की तरफ को, तो मैंने दोबारा से धक्के मारने शुरू कर दिए। अब अपना पूरा जोर लगा कर मैं उसको चोद रहा था, मैंने सोचा कि अब तो मेरा भी हो जाये तो ही ठीक है, मैंने 8-10 धक्के और मारे होंगे कि माला ने मुझे बहुत कस कर अपनी बाँहों में भींच लिया और उसकी चूत में से काफी सारा पानी निकल गया और वो अपने चूतड़ एकदम ऊपर को उठा कर रुक गई जिस वजह से मेरे धक्के फिर से रुक गए थे पर मैंने दोबारा से जब जोर लगाया तो वो नीचे को हो गई और मैं भी उसे पूरे जोर से चोदने लगा।
माला की चूत से निकले पानी के कारण चूत पूरी तरह गीली और चिकनी हो गई थी जिस कारण लन्ड आराम से अंदर बाहर जा रहा था अब मेरे मुंह से भी खूब ज़ोर की 'आह… आह…' की आवाज़ें निकल रही थीं, लण्ड तो एकदम लकड़ी की तरह सख्त हो गया था। अब मुझे लग रहा था कि अब मेरा काम भी होने वाला है, मेरी स्पीड और तेज़ हो गई और मुझे दुनिया की और कोई भी चीज़ नहीं सूझ रही थी ,बस मैं था और माला की चूत और मेरे जोर जोर से धक्के।
करीब 20-25 धक्के और मारने के बाद मेरा लण्ड भी जवाब दे गया, मेरे टोपे पर बड़े ज़ोर की गुदगुदी सी हुई, मेरे लण्ड ने भी पूरे जोर के साथ अपना माल बाहर निकाल दिया और पूरे जोर की पिचकारी मारी और फिर एक के बाद एक कई सारी पिचकारियों में अपनी पूरी गर्मी उसकी चूत में ही निकाल दी और मेरा शरीर भी निढाल सा हो गया।
मेरी सांस ऐसे चल रही थी जैसे मैं कई मील की दौड़ लगा कर आ रहा होऊं, मेरे माल की गर्मी से माला भी एक बार और झड़ गई और उसने मुझे बहुत जोर से अपनी बाँहों में कस लिया, हम दोनों दीन दुनिया से बेखबर एकदम बेहोशी की सी हालत में सो गए।
करीब एक घंटे बाद मेरी नींद खुली तो देखा कि भाभी भी सो गई थी और माला भी अभी सो रही थी। सोती हुई माला एकदम से मासूम सी लग रही थी। नींद में ही मेरा लण्ड सिकुड़ कर उसकी चूत में से बाहर आ चुका था। मैं माला के ऊपर से उतरा और सिरहाने रखा हुआ कपड़ा ले कर पहले अपना लण्ड साफ़ करा फिर माला की चूत भी पोंछी पर वो सोती ही रही फिर बिना कोई कपड़ा पहने ही माला के साथ चिपक कर सो गया।
पर नींद किसे आ रही थी, थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैंने फिर से उसकी चूचियों में अपना मुंह लगा दिया। कुछ देर की चूची चुसाई के बाद उसकी भी नींद खुल गई। तब मैंने उठ कर पहले उसे गर्म दूध पिलाया और खुद भी पिया और एक बार और चुदाई की।
सुबह जब मंदिर का घंटा बजा तो फिर से मेरी नींद खुल गई और हमने एक बार और चुदाई करी पर लगातार चुदाई करने के कारण मुझे कमजोरी सी महसूस होने लगी थी, सुबह उठ कर भाभी ने ही पहले चाय बना कर पिलाई और फिर गर्म दूध के साथ बादाम और परांठों का नाश्ता करवाया।
उसके बाद अगले तीन दिन तक रोजाना माला की चूत कभी दो बार और कभी तीन बार लेता रहा।
इसके बाद फिर कभी भी माला के साथ कोई मौका नहीं मिला हालाँकि भाभी की चूत उसके बाद भी कई बार मिली।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और माला की चुदाई कथा ! इसके बाद और भी कई सारी घटनाएँ जीवन में हुईं। पर सबसे बुरा यह हुआ कि मेरी पत्नी की सेक्स में कभी भी कोई ज़यादा रूचि नहीं रही। पिछले 7-8 सालों से उसकी रूचि बिल्कुल ख़त्म सी हो गई है और गुज़रे एक साल में तो हमने एक बार भी कुछ नहीं किया और आजकल तो मुठ मार कर गुजारा करना पड़ता है।
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भाभी और उस की ननद -3
जब मैं शाम को भाभी के घर पहुँचा तो जाने से पहले 15-20 गिरियाँ बादाम की खाकर गया कि आज तो दोनों की चूत लूँगा और कहीं कल की तरह थकावट ना हो जाए, पर जैसे ही मैं भाभी के घर पहुँचा तो भाभी बड़ी थकी सी लग रही थी।
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ? ऐसे थकी सी क्यों लग रही हो?
तो वो बोली- कुछ नहीं यार, मेरे पेट में दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- दवाई ला दूँ क्या?
तो भाभी बोली- यह दवाई से नहीं जायेगा, यह महीने का दर्द है।
मैं मन ही मन खुश हो गया कि चलो नई चूत मिलेगी पुरानी का मौका तो मिलता ही रहेगा।
भाभी बोली- बिट्टू, मैं तो कुछ कर नहीं पाऊँगी आज !
मैंने अपनापन जताते हुए कहा- भाभी कोई बात बात नहीं, आप ठीक हो जाओ, यह सब तो होता ही रहेगा, जब आप ठीक हो जाओगी तब कर लेंगे, अभी आप आराम करो।
यह कहते हुए मैं बैडरूम में चला गया, माला वहाँ बैठी थी और कोई मैग्जीन पढ़ रही थी। मैंने धीरे से जाकर पीछे से उसकी आंखें बंद कर ली, उसने भी कोई विरोध नहीं किया, शायद वो समझ गई थी कि यह मैं ही हूँ। उसने अपना शरीर और ढीला छोड़ दिया मैंने भी हिम्मत करते हुए अपना हाथ उसकी आँखों से हटा कर आराम से नीचे की ओर खिसका दिए और कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर फेरने शुरू कर दिए।
10-12 सेकेण्ड में उसकी साँसें तेज़ होने लगीं, पर फिर वो खुद संभाल कर बोली- बहुत जल्दी है क्या? थोड़ा तो सब्र करो।
मैंने भी उसकी बात समझते हुए अपने हाथ पीछे खींच लिए।
माला उठी और बोली- सब्ज़ी तो तैयार है, मैंने टाइम से ही बना ली थी, बस फुल्के उतारने हैं।
इतने में भाभी भी अंदर आ गई और बोली- माला, खाना अभी खाओगे क्या तुम लोग? तो मैं रोटियाँ सेक दूं !
तो माला बोली- भाभी, आप आराम कर लो, रोटी मैं बना लेती हूँ, बल्कि आप गर्म गर्म खा लो, मैं रोटी सेकती हूँ और बिट्टू आपको पकड़ा देगा।
एक बार मना करके फिर भाभी मान गई माला ने गैस जलाई और रोटी सेकने लगी, मैंने भाभी को खाना खिला दिया।
फिर माला बोली- बिट्टू, एक काम करो तुम भी यहीं मेरे पास आ जाओ, मैं तुम्हे भी गर्म गर्म खिला देती हूँ।
मैंने बोला- ठीक है जानू !
मैं भाभी के खाने के बर्तन लेकर रसोई में आ गया और दोबारा बैडरूम में जा कर भाभी को रजाई निकाल कर दे आया कि भाभी आप आराम कर लो।
मैंने रसोई में आने के बाद माला से कहा- लाओ डार्लिंग, खाना दो !
उसने मेरी तरफ तिरछी नज़र से देखा और मुस्कुरा कर बोली- अभी लो जी !
जैसे औरतें अपने पति को बुलाती हैं।
उसका ऐसे कहने का अंदाज़ बड़ा मस्त था। माला ने मुझे खाना लगा कर दिया और मैं भी उसके पास ही बैठ गया और अपने साथ साथ उसे भी खाना अपने हाथ से खिलाने लगा और वो भी रोटी बिल्कुल प्यार से पका कर मुझे दे रही थी और साथ साथ खुद भी खा रही थी। यह भी एक ऐसा अनुभव था जो मुझे अपने जीवन में पहली ही बार हासिल हो रहा था।
हम दोनों ने साथ खाना खाया और मैं उसे बोला- एक काम करो, तुम बर्तन मांज लो, मैं दूध गर्म कर लेता हूँ।
तो माला बोली- तुम रहने दो।
मैंने कहा- इससे टाइम बचेगा !
तो उसने सहमति में अपना सर हिला दिया और बोली- ठीक है !
जितनी देर में उसने बर्तन मांजे, मैंने दूध गर्म कर लिया था। इसके बाद माला ने बाहर का गेट लॉक किया और मैं दूध लेकर अंदर चला गया, अंदर जाकर मैंने रूम हीटर चालू कर दिया और दूध का पतीला उसके सामने रख दिया, फिर भाभी से बोला- भाभी, सोना कैसे कैसे है?
भाभी बोली- मैं छोटी वाली रज़ाई ले रही हूँ, तुम दोनों बड़ी रज़ाई में लेट जाओ !
माला भी अंदर आ चुकी थी और अब वो बाथरूम में चली गई थी पेशाब करने तो भाभी बोली- बिट्टू, आज मैं तो कुछ कर नहीं सकती, तुझे इसी से अपना काम चलाना है, आज ढंग से सब कुछ कर लेना और कोई कपड़ा रख लेना साफ़ करने के लिए !
मैं मन ही मन सोच रहा था 'अँधा क्या मांगे, दो आँखें'
माला पेशाब करके आई तो मैं भी पेशाब करने चला गया और आज के बारे में सोच कर रोमंचित हो रहा था और मेरे लण्ड महाराज तो अभी से अपना सर उठाये तैयार हो रहे थे और तनाव की वजह से मुझे पेशाब करने में कुछ अधिक समय लगा क्योंकि पुरुषों की पेशाब और वीर्य के लिए एक ही नलकी होती है और जब लण्ड तना हुआ हो तो पेशाब वाली नलकी पर दबाव पड़ता है इससे सभी पुरुषों को तनाव के समय पेशाब करने में ज्यदा टाइम लगता है।
मेरे पेशाब करके आने तक माला रजाई में घुस चुकी थी मैंने भी बाथरूम से बाहर आकर हाथ पोंछे और मैं भी रजाई में घुस गया, आज सोने की स्थिति थोड़ी सी बदली हुई थी, भाभी दीवार की तरफ सोई थी फिर माला और फिर बाहर की तरफ मैं था।
लेटने के बाद कुछ पल तो मैं शांत लेटा रहा और उम्मीद कर रहा था कि माला पहल करेगी, पर कुछ देर तक उसकी तरफ से पहल न होने पर मैंने ही पहल की, मैंने माला की तरफ करवट ले ली और अपना बांया हाथ उसके पेट पर रख दिया।
मेरे हाथ रखते ही उसके जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ गई जो कि मैंने स्पष्ट महसूस की। हालांकि कल हमारे बीच में सब कुछ हो चुका था पर फिर भी एक अनजान सी झिझक लग रही थी। मैंने सर उठा कर भाभी की तरफ देखा, भाभी भी हमारी तरफ देख रही थी और मुझसे आँखें मिलते ही बोली- क्या हुआ? आज मेरी तो छुट्टी है अब तुम दोनों तो एन्जॉय कर लो, दो दिन का ही समय है फिर तो इसके भैया आ जायेंगे फिर कोई मौका नहीं मिलेगा।
भाभी की बात मैंने अंदर तक महसूस की और सोचा कि अब देर करना ठीक नहीं है, मैंने अपने हाथों को हरकत देनी शुरू कर दी और धीरे से अपने हाथ को उसके पेट से ऊपर की तरफ सरकाते हुए उसकी चूचियों की तरफ बढ़ाया और धीरे से उसकी चूचियों पर ले गया, यह जान कर मुझे बड़े ज़ोर का झटका लगा कि उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी, यानि कि वो पहले से ही तैयार थी बस मेरी पहल की ही ज़रूरत थी और जैसे ही मैंने उसकी कमीज़ के ऊपर से ही उसकी घुंडियों को पकड़ा, चने के दाने के बराबर के निप्पल मेरे हाथ लगते ही टाईट होने लगे थे, साथ ही उसके मुंह से आवाज़ निकली- सीईईई आआह्हह्हह्हह !
और इस आवाज़ ने मेरे लिए सिग्नल का काम किया, इसके साथ ही मैंने अपना हाथ कमीज़ के ऊपर से हटा कर उसकी कमीज़ के अंदर डाल दिया और बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों के सहलाने और दबाने लगा।
अब उसने करवट लेकर अपना मुँह मेरी तरफ कर लिया और अपने तपते हुए मेरे होंठों पर रख कर चुम्बन करने लगी। अब जब सामने से बत्ती हरी हो तो फिर मौका कौन गंवाता है, मैंने भी तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया और लगा बड़े प्यार से चूसने कभी, उसका निचला होंठ मेरे मुँह में आ जाता और कभी ऊपर वाला और वो भी बराबर प्रत्युत्तर दे रही थी।
जैसे ही मैं उसका ऊपर वाला होंठ अपने मुंह में भरता तो वो मेरा निचला होंठ चूसना शुरू कर देती और जब मैं उसका निचला होंठ चूसता तो वो मेरा ऊपर वाला होंठ अपने मुंह में भर के चूसना शुरू कर देती और साथ ही हमारे दोनों के मुंह से मंहह अमूउह्ह की अस्प्ष्ट सी आवाज़ें निकल रही थीं।
उसके करवट लेने से मेरा सीधा हाथ तो उसके सर के नीचे आ गया था पर मेरा बायाँ हाथ बराबर अपना काम कर रहा था और बारी बारी से दोनों चूचियों को मसल रहा था। उसकी चूचियों को मसलते हुए कब मेरे हाथ नर्म से सख्त हो गए, मुझे पता ही नहीं चला, अब मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर की ओर उठाना शुरू कर दिया और उसके भरे भरे मम्मों को कमीज़ से बाहर निकाल लिया और अपना मुंह उसके होंठों से हटा कर उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया बारी बारी से कभी एक तो कभी दूसरी, उसके निप्पल एकदम सख्त हो गए थे।
इधर मैंने अपना हाथ जो उसकी चूचियों से हटाया था उसकी सलवार के अंदर डाल दिया अब मुझे दूसरा झटका लगा जब मैंने देखा कि आज उसने पेन्टी भी नहीं पहन रखी थी जैसे ही मेरा हाथ सरकता हुआ उसकी छोली (भग्नासा) पर लगा तो वो एकदम से मचल उठी और एकदम ऐसे फ़ड़फ़ड़ाई जैसे पानी से निकलने पर मछली तड़पती है और साथ ही 'आआअह्ह आआआःहह' की आवाज़ उसके मुंह से निकली और उसके हाथ ने मेरे पजामे के ऊपर से ही मेरे तनतनाते हुए लौड़े को एकदम कस कर पकड़ लिया और पूरे जोर से भींचने लगी।
जोश तो पूरा आ रहा था पर मैं तो आज दो को चोदने की तैयारी करके आया था इस लिए आने से पहले मैं एक बार मुठ मार के आया था क्योंकि अगर एक बार पहले से ही मुठ मार ली जाये तो फिर आदमी को झड़ने में समय ज्यादा लगता है और आदमी ज्यादा देर तक चुदाई कर सकता है। इस लिए मुझे कल की भांति यह डर नहीं था कि काम जल्दी हो जायेगा। मैंने उठ कर अपनी कमीज़ और बनियान एक साथ ही उतार दिए और पजामे का नाड़ा भी खोल दिया। इसके बाद मैंने माला के सर के
नीचे हाथ डाल कर उसे उठाया और जैसे ही उसकी कमीज़ को पकड़ा उसने अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठा दिए और कमीज़ उतारने में मेरी सहायता कर दी।
दोनों के ऊपर के कपड़े उतर चुके थे, मेरे पजामे का नाड़ा भी खुल चुका था और उसकी सलवार खोलनी बाकी थी जिसमें कि मैंने एक मिनट भी नहीं लगाया और उसका नाड़ा खींच कर खोल दिया और सलवार को नीचे की तरफ खींचा तो उसने अपने चूतड़ उठा दिए और मैंने उसकी सलवार भी जल्दी से उतार दी।
अब माला के जिस्म पर तो एक धागा तक नहीं था और मेरे जिस्म पर पजामा था और मैं चाहता था किसी तरह से माला को गर्म कर दूँ क्योंकि औरत पूरी तरह से सहयोग सिर्फ तब ही करती है कि या तो वो सेक्स अभ्यस्त हो या फिर पूरी तरह से गर्म हो !
आज मैं अपने पूरे के पूरे ज्ञान को आजमाना चाहता था इसलिए मैंने अपने आप को आज चूत चाटने के लिए तैयार किया था पर अभी मानसिक रूप से पूरी तरह से मैं तैयार नहीं था, मैं यह भी चाहता था कि आज माला की चुदाई कुछ इस तरीके से करूँ कि उसे मज़ा भी आ जाये और वो याद भी रखे।
मैं उसकी चूत चाटना चाह रहा था पर साथ ही मन में कुछ घिन सी भी थी। फिर मैंने अपने आप को मानसिक रूप से तैयार किया और पलटी मर के अपना मुंह रजाई के अंदर कर के अपना मुंह मैंने माला की चूत की तरफ कर लिया और अब मेरी टाँगें माला के सर की तरफ थीं। मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर लगाया, थोड़ा सा उबकाई जैसा महसूस हुआ पर फिर भी मैंने अपना मन कड़ा करके अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी, उसकी चूत काफी गीली थी और उसमें से जो पानी सा निकला था वो बिल्कुल उसी तरह का था जो मुठ मरने से पहले चिपचिपा सा मेरे लण्ड में से निकलता था, उसकी चूत में थोड़ी अलग तरह की गन्ध थी।
मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी थोड़ा चिपचिपा और नमकीन सा स्वाद चूत का और मेरे जीभ लगते ही उसके मुंह से आह्ह्ह की आवाज़ निकली और उसने मेरा पजामा और अंडरवियर एक साथ नीचे को खींच कर मेरी टांगों में से निकाल दिया।
मैंने सोचा कि अब वो मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेगी।
अब माला के जिस्म पर तो एक धागा तक नहीं था और मेरे जिस्म पर पजामा था और मैं चाहता था किसी तरह से माला को गर्म कर दूँ क्योंकि औरत पूरी तरह से सहयोग सिर्फ तब ही करती है कि या तो वो सेक्स अभ्यस्त हो या फिर पूरी तरह से गर्म हो !
आज मैं अपने पूरे के पूरे ज्ञान को आजमाना चाहता था इसलिए मैंने अपने आप को आज चूत चाटने के लिए तैयार किया था पर अभी मानसिक रूप से पूरी तरह से मैं तैयार नहीं था, मैं यह भी चाहता था कि आज माला की चुदाई कुछ इस तरीके से करूँ कि उसे मज़ा भी आ जाये और वो याद भी रखे।
मैं उसकी चूत चाटना चाह रहा था पर साथ ही मन में कुछ घिन सी भी थी। फिर मैंने अपने आप को मानसिक रूप से तैयार किया और पलटी मर के अपना मुंह रजाई के अंदर कर के अपना मुंह मैंने माला की चूत की तरफ कर लिया और अब मेरी टाँगें माला के सर की तरफ थीं। मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर लगाया, थोड़ा सा उबकाई जैसा महसूस हुआ पर फिर भी मैंने अपना मन कड़ा करके अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी, उसकी चूत काफी गीली थी और उसमें से जो पानी सा निकला था वो बिल्कुल उसी तरह का था जो मुठ मरने से पहले चिपचिपा सा मेरे लण्ड में से निकलता था, उसकी चूत में थोड़ी अलग तरह की गन्ध थी।
मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी थोड़ा चिपचिपा और नमकीन सा स्वाद चूत का और मेरे जीभ लगते ही उसके मुंह से आह्ह्ह की आवाज़ निकली और उसने मेरा पजामा और अंडरवियर एक साथ नीचे को खींच कर मेरी टांगों में से निकाल दिया।
मैंने सोचा कि अब वो मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेगी पर उसने मुंह में नहीं लिया, बस बहुत बुरी तरह से सिस्कार रही थी और मचल रही थी। मैं अपने दोनों हाथ उसके कूल्हों के नीचे ले आया और दोनों हाथों से उसके नर्म चूतड़ों को कस कस के दबा रहा था और कभी-कभी अपनी उंगली उसकी गांड के छेद पर फ़िरा कर सहला रहा था।
जैसे ही उंगली उसकी गांड के छेद पर पहुँचती, वो बड़े जोर से अपने चूतड़ ऊपर को उछाल देती और मुंह से 'आआआह्हह' की आवाज़ निकाल देती जिससे मेरा जोश और दुगना-चौगुना हो जाता और मैं भी अपनी जीभ पूरे जोर से उसकी चूत पर फेरता और जीभ को अंदर घुसेड़ने की कोशिश करता।
इधर मेरा लण्ड भी फट पड़ने कि तैयार हो रहा था, मैंने अपने चूतड़ ऊपर को उठा कर अपना लण्ड उसके मुँह में देने की कोशिश की पर उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। अब मेरी सहन शक्ति जवाब दे रही थी चाह तो वो भी यही रही थी कि अंदर डाल दूँ पर शायद शर्म के मारे कह नहीं पा रही थी।
लगभग 15-20 मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद मैं सीधा हो गया, उसकी बगल में आकर लेट गया और दोबारा से उसके मम्मे अपने मुँह में लेकर चूसने शुरू कर दिए। अब मेरी हर हरकत उसको और अधिक उत्तेजित कर रही थी और उसके मुँह से निकलने वाली 'उह… आह… उई…' की आवाज़ें बढ़ती जा रही थीं।
जैसे जैसे उसकी कामुकता और तेज़ हो रही थी वैसे वैसे अब वो शर्म छोड़ कर मुझ से कस कर लिपट रही थी। अब उसने मेरी बांह पकड़ कर अपने ऊपर की ओर खींचना शुरू कर दिया तो मैं समझ गया कि अब उससे सहन नहीं हो रहा।
जैसे ही मैं उसके ऊपर आया और मैंने हाथ से पकड़ कर अपना लण्ड उसके छेद पर फिट किया, लण्ड के स्पर्श मात्र से ही वो एकदम से गनगना गई, उसने अपनी गांड ऊपर को उठा दी और बिना किसी खास प्रयास के ही मेरा आधे से अधिक लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
उसके मुंह से दर्द और मस्ती की सम्मिश्रित आवाज़ निकल गई 'उउईई… ईह्ह…' और उसके चेहरे पर भी दर्द के भाव साफ़ दिख रहे थे इतनी देर के बाद भाभी की आवाज़ आई- बिट्टू, आराम से !मैं तो अब तक भूल ही गया था कि कमरे में हम दोनों के अलावा भी कोई है और मुझे याद आया कि कल ही तो इसकी चूत का उद्घाटन हुआ है।
मैंने कहा- हाँ भाभी, ठीक है।
और इसके बाद मैं अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा।
मुझे पूरा लण्ड अंदर डालने में लगभग आधा या पौना मिनट लगा होगा। जैसे जैसे मेरा लण्ड अंदर जा रहा था, उसे दर्द का एहसास हो रहा था पर अब मैं इस स्थिति था कि न तो मैं रुक सकता था ना ही उसके दर्द के बारे में चिंता कर सकता था और इस बात की गारंटी थी कि मुझे चुदाई में समय तो पूरा लगेगा ही क्योंकि मैं आने से पहले एक बार मुठ मर के आया था।
कुछ ही देर में मेरा लण्ड पूरा उसकी चूत में उतर गया। कुछ देर के लिए मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसके भरे भरे चुच्चों को मुंह में भर लिया और बड़े प्यार से चूसने लगा। अब माला भी कुछ शांत सी हो गई थी, उसके चेहरे से दर्द के भाव गायब हो गए और उसकी आँखें मुंदने लगीं, मुँह से सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं।
यह महसूस करते ही मैंने भी धीरे धीरे हिलना शुरू कर दिया, मेरी इस क्रिया से उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी नीचे से थोड़ा थोड़ा कसमसाने लगी, मैं भी समझ गया कि अब इसे मज़ा आ रहा है।
धीरे धीरे मैंने भी अपनी गति बढ़ानी शुरू कर दी, मेरे हर धक्के के साथ उस के मुख से 'उह… आह…' की आवाज़ें आ रही थीं और इससे मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी, मैं कभी तो उसके होंठ चूस रहा था कभी उसकी चूची को मुंह में भर लेता था, कभी कभी उसके चूचों पर हल्के हल्के दाँत से काट भी लेता था, इससे उसे दर्द नहीं हो रहा था बल्कि मज़ा आ रहा था।
लगभग 8-10 मिनट की ठुकाई के बाद अब उसकी तरफ से पूरा सहयोग शुरू हो गया था और आज वो कल से ज्यादा मजा लेकर चुदवा थी और साथ ही मुंह से अजीब अजीब आवाज़ें निकल रही थी- आआआ… आह्ह… आअ… अईई…
मैं बीच में धीरे हो जाता था तो वो जोर लगाती और उसके मुँह से 'आह… आह्ह…' आवाज़ें मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर देतीं, मेरी गति फिर से बढ़ जाती, मैं फिर से ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लग जाता था।
अब मैंने उसके होंठों को अपने मुंह में भर लिया और अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी, बांये हाथ से उसकी चूची का निप्पल मसल रहा था और दांया हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड के छेद पर फेरना शुरू कर दिया। इससे उसकी उत्तेजना और आवाज़ें बहुत बढ़ गई थीं और उसके मुँह से हाये हाये और 'आह… आआ… आआ… अई' की आवाज़ आ रही थी और आवाज़ों का रिदम उसके हिलते हुए चूतड़ों के साथ बन रहा था। जैसे ही वो गांड उठाती, साथ ही उसके मुंह से आवाज़ आती- हाय !
अब उसकी आवाज़ें इतनी तेज़ हो गई थीं कि मैं समझ गया कि अब इसका काम तो होने वाला है और मैंने जोर का धक्का लगाया और पूरा लण्ड अंदर तक धकेल कर वहीं पर रुक गया तो वो 2-3 सेकंड तक तो समझ ही नहीं पाई और फिर एकाएक बोली- करओओ ना… रुक क्यों गए…
और नीचे से जोर का धक्का मारा ऊपर की तरफ को, तो मैंने दोबारा से धक्के मारने शुरू कर दिए। अब अपना पूरा जोर लगा कर मैं उसको चोद रहा था, मैंने सोचा कि अब तो मेरा भी हो जाये तो ही ठीक है, मैंने 8-10 धक्के और मारे होंगे कि माला ने मुझे बहुत कस कर अपनी बाँहों में भींच लिया और उसकी चूत में से काफी सारा पानी निकल गया और वो अपने चूतड़ एकदम ऊपर को उठा कर रुक गई जिस वजह से मेरे धक्के फिर से रुक गए थे पर मैंने दोबारा से जब जोर लगाया तो वो नीचे को हो गई और मैं भी उसे पूरे जोर से चोदने लगा।
माला की चूत से निकले पानी के कारण चूत पूरी तरह गीली और चिकनी हो गई थी जिस कारण लन्ड आराम से अंदर बाहर जा रहा था अब मेरे मुंह से भी खूब ज़ोर की 'आह… आह…' की आवाज़ें निकल रही थीं, लण्ड तो एकदम लकड़ी की तरह सख्त हो गया था। अब मुझे लग रहा था कि अब मेरा काम भी होने वाला है, मेरी स्पीड और तेज़ हो गई और मुझे दुनिया की और कोई भी चीज़ नहीं सूझ रही थी ,बस मैं था और माला की चूत और मेरे जोर जोर से धक्के।
करीब 20-25 धक्के और मारने के बाद मेरा लण्ड भी जवाब दे गया, मेरे टोपे पर बड़े ज़ोर की गुदगुदी सी हुई, मेरे लण्ड ने भी पूरे जोर के साथ अपना माल बाहर निकाल दिया और पूरे जोर की पिचकारी मारी और फिर एक के बाद एक कई सारी पिचकारियों में अपनी पूरी गर्मी उसकी चूत में ही निकाल दी और मेरा शरीर भी निढाल सा हो गया।
मेरी सांस ऐसे चल रही थी जैसे मैं कई मील की दौड़ लगा कर आ रहा होऊं, मेरे माल की गर्मी से माला भी एक बार और झड़ गई और उसने मुझे बहुत जोर से अपनी बाँहों में कस लिया, हम दोनों दीन दुनिया से बेखबर एकदम बेहोशी की सी हालत में सो गए।
करीब एक घंटे बाद मेरी नींद खुली तो देखा कि भाभी भी सो गई थी और माला भी अभी सो रही थी। सोती हुई माला एकदम से मासूम सी लग रही थी। नींद में ही मेरा लण्ड सिकुड़ कर उसकी चूत में से बाहर आ चुका था। मैं माला के ऊपर से उतरा और सिरहाने रखा हुआ कपड़ा ले कर पहले अपना लण्ड साफ़ करा फिर माला की चूत भी पोंछी पर वो सोती ही रही फिर बिना कोई कपड़ा पहने ही माला के साथ चिपक कर सो गया।
पर नींद किसे आ रही थी, थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैंने फिर से उसकी चूचियों में अपना मुंह लगा दिया। कुछ देर की चूची चुसाई के बाद उसकी भी नींद खुल गई। तब मैंने उठ कर पहले उसे गर्म दूध पिलाया और खुद भी पिया और एक बार और चुदाई की।
सुबह जब मंदिर का घंटा बजा तो फिर से मेरी नींद खुल गई और हमने एक बार और चुदाई करी पर लगातार चुदाई करने के कारण मुझे कमजोरी सी महसूस होने लगी थी, सुबह उठ कर भाभी ने ही पहले चाय बना कर पिलाई और फिर गर्म दूध के साथ बादाम और परांठों का नाश्ता करवाया।
उसके बाद अगले तीन दिन तक रोजाना माला की चूत कभी दो बार और कभी तीन बार लेता रहा।
इसके बाद फिर कभी भी माला के साथ कोई मौका नहीं मिला हालाँकि भाभी की चूत उसके बाद भी कई बार मिली।
तो दोस्तो, यह थी मेरी और माला की चुदाई कथा ! इसके बाद और भी कई सारी घटनाएँ जीवन में हुईं। पर सबसे बुरा यह हुआ कि मेरी पत्नी की सेक्स में कभी भी कोई ज़यादा रूचि नहीं रही। पिछले 7-8 सालों से उसकी रूचि बिल्कुल ख़त्म सी हो गई है और गुज़रे एक साल में तो हमने एक बार भी कुछ नहीं किया और आजकल तो मुठ मार कर गुजारा करना पड़ता है।
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