Friday, March 21, 2014

FUN-MAZA-MASTI रूको मत करते रहो--1

FUN-MAZA-MASTI
 रूको मत करते रहो--1 

 ये कहानी है दो जुड़वा बहनो की सोनलप्रीत कौर और मनप्रीत कौर, दो बहुत ही खूबसूरत सीखनीयाँ.

जहाँ मनप्रीत ( उर्फ मोनी) कामुकता का प्रतिबिंब है तो वहाँ सोनलप्रीत (उर्फ सोनी) एक सीधी साधी लड़की है. मोनी नये नये अमीर लड़कों के पीछे रहती है और अपनी जिंदगी ऐश के साथ गुज़ार रही है.
सोनी को काम से टर्की भेजा जाता है जहाँ उसकी मुलाकात विशाल से होती है जो सोनी की कामुकता को हवा दिखा देता है.

जब मनप्रीत उसकी जुड़वा बहन एक दम गायब हो गई वलाज़ूर के दक्षिण हिस्से से, सोनलप्रीत उर्फ सोनी जानती थी की उसे हर संभव प्रयत्न करना होगा उसे ढूँडने के लिए.

लेकिन वलाज़ूर के उस गाँव में जहाँ मनप्रीत आखरी बार देखी गई, एक अजीब वातावरण था जो उसे जानते थे उनके बीच, अनियंत्रित कामुकता से भरा महॉल.

जब सोनी का डर मनप्रीत की सुरक्षा के लिए बॅड गया, तब वो एक शॅक्स के पास गई जो उसकी मदद कर सकता था : रहस्यमय राजेश, रहस्यमय कामुकता का भंडार जिसका प्रभावी जादू अंतिम त्याग की कामना करता था.

अब सोनी कैसे मोनी तक पहुँचती है, आए पढ़ते  हैं इस सफ़र को


 मेरी प्यारी सोनी, तुम विश्वास नही करोगी, कितनी मस्ती और कितना मज़ा ले रही हूँ मैं यहाँ गोआ के दक्षिण में……
मनप्रीत आरामदेह कुर्सी पे पीछे को ढलक गई, अपने घुँगराले लंबे सुनहरी बालों में पेन के पिछले हिस्से को फेरते हुए. अपना चेहरा उठा कर उसने उप्पर झूलते हुए पंखे को देखा जो किसी आलसी मधुमखि की तरहा भीनभीना रहा था गोल गोल घूमता हुआ अपनी छाया दीवार पे फेंकता हुआ.

पंखे की ठंडी हवा भगवान से भेजी लग रही थी, इस शांत दमघोनटू रात में. फिर भी आप उमीद करोगे की एक आमिर और प्रगतिशील आदमी जैसे सॅम्यूल के अपने विला मैं अरकोंडीटिओनिंग तो होगी ही, और उसने मनप्रीत ( मोनी) को निराश नही किया.

विला ले राक इतरता था अपने स्विम्मिंग पूल, घोड़े के अस्तबल, लौंबे हेर बाग, लक्सरी से भरपूर बाथरूम्स, और एक मास्टर बेडरूम जिसके बीच में दिल के आकर जैसा बेड और छत पे शीशे, सच में मोनी की किस्मत अच्छी थी की उसकी मुलाकात सॅम्यूल से हो गई .

जब सॅम्यूल ने उसे कुछ दिन अपने विला में बिताने के लिए नयोता दिया,तो एक लड़की भला कैसे मना कर पाती, ख़ासकर जब एक चुंबकीया शक्ति , शानदार व्यक्तित्व और तंदुरुस्त जिस्म का मालिक साथ में समय गुजरने के लिए मिल रहा हो.

अपने आप पे हस्ते हुए मोनी उस पत्र पे गौर करने लगी जो वो सोनी अपनी जुड़वा बहन को लिख रही थी. मोनी कभी ज़यादा संपर्क नही रखती थी सोनी से, लेकिन सोनी उस से काफ़ी अलग थी, अपनी पड़ाई के बाद दोनो के रास्ते अलग हो गये और दोनो एक दूसरे से दूर होती गयी.

मोनी जहाँ इष्क़बाज़, चंचल और हमेशा भ्रमण लालसा में लिप्त रहती थी वहीं सोनी अपने करियर के प्रति बहुत सीरीयस थी. मोनी सोचती थी की एक दिन वो एक लेखिका बनेगी , जब वो कुछ समय अच्छी तरहा जीले, सोनी एक आरकेवलोजिस्ट बन चुकी थी, और मध्य प्रदेश के किसी खंडहर पे काम कर रही थी.

25 साल की उम्र में सोनी नौकरी में पॅड गई, कितने दुख की बात है, जबकि मोनी इस चक्कर में नही पड़नेवाली थी. सोनी ने उसे बहुत समझाया, अपनी जिंदगी को एक रास्ते पे ढालने के लिए और जिंदगी में सेट्ल होने के लिए. तभी मोनी ने सोच लिया की वो 6 महीने सिर्फ़ घूमेगी और फिर सोचेगी आगे क्या करना है … शायद कोई अमीर लड़का इस दौरान उसे मिल जाए….

इतना मज़ा आ रहा है बहन तुम्हें क्या बताउँ – तुम यहाँ आजाओ मेरे पास. मुझे एक बहुत ही बढ़िया लड़का मिला है, पता है मैं उसके विला में ही रह रही हूँ, मुझे यकीन है की अगर तुम भी आज़ाओगी तो वो मना नही करेगा……….
जब तक तुम उसके साथ रात उसके बिस्तर में गुजारने के लिए तयार हो, सोचते हुए मोनी हंस पड़ी.
तींन एक साथ एक बिस्तर में – थ्रीसम ……ये क्या ख़याल उसके दिमाग़ में आया. जहाँ तक नयी नयी संभोग मुद्राओं का प्रॅष्न है , मोनी ने काफ़ी कुछ किया है, पर सॅम्यूल ने उसे जो मुद्राएँ सिखाई वो उसके लिए एक दम नयी थी. शायद सोनी को भी अड्वेंचरस सेक्स की ज़रूरत थी, कुछ आराम पाने के लिए.


मोनी की चीठठी बीच में ही रह गई जब सॅम्यूल उसे अपने साथ फ्रॅन्स ले गया. मोनी की तो लॉटरी लग गई. सॅम्यूल उसे अपने दूसरे विला में ले गया जो फ्रॅन्स के दक्षिण में था और गोआ वाले विला से भी भव्य था. मोनी ने सोचा वहीं जेया कर अपनी चीठठी ख़तम करेगी और ऐसे ही उसे साथ ले गई.

इधर सोनी को सरकार ने एक टीम के साथ इस्तांबुल भेज दिया, खबर आई थी की एक खुदाई में एक पुराने किले का खंडहर मिला है जिसमे कुछ ऐसे चीज़ें निकली हैं जिनका संबंध पुरातन भारत से हो सकता है. उनकी पहचान के लिए इस टीम को वहाँ भेजा गया.

मोनी सॅम्यूल के साथ उसके विला पहुँची, जो की भव्य था. ये जगह फ्रॅन्स के दक्षिण में एक गाँव थी जिसका नाम वलाजूर था.

मोनी की चीठठी फिर शुरू हो जाती है .
ये गाँव बहुत ही प्यारा है, थोड़ा दूर ज़रूर है बिल्कुल अकेला पर नाइस और रिवीयेरा के पास है. यहाँ बहुत चोदु किस्म के लोग रहते हैं – तुम्हें यहाँ आना चाहिए, मुझे ज़ाइन कर लो. कुछ दिन की छुट्टियाँ लो और यहाँ आजाओ. मैं तुम्हें यहाँ खूब घुमाउंगी और तुम्हारी पहचान कुछ लड़कों से करवाउंगी. तुम्हें इस वक़्त मस्ती की बहुत ज़रूरत है.


मस्ती. जब से वो वलाजूर आई उसकी मस्ती में इज़ाफ़ा हो गया. एक तरफ सॅम्यूल था, जवान, हसीन प्लेबाय, और जीन जो वाइनयार्ड का मालिक था . और था राजेश, लेकिन राजेश उसकी पसंद के टाइप का नही था. राजेश में कुछ था, वो बहुत ख़तरनाक लगता था. ना राजेश नही , बहुत से और भी लड़के थे चुदाई के लिए वलाजूर में.

सॅम्यूल उसके लिए बहुत पोज़ेसिव हो गया था और हमेशा राजेश से दूर रहने के लिए कहता था. पर राजेश की आँखों में ऐसा क्या था जो उसे अपनी और खींचता था, जिन्हें वो अपने दिमाग़ से नही निकल पाती थी.
उसने एक नज़र अपनी घड़ी पे डाली. रात के 12 बाज रहे थे. तेज़ तेज़ सायँ सायँ करती हुई हवा जो पेड़ों के बीच से गुजर रही थी उसकी आवाज़ उसे अपनी खिड़की से सुनाई दे रही थी.
स्प्रिंग का मौसम था और वातावरण कुछ ऐसा था जो उसमे उत्तेजना भर रहा था. उसके जिस्म का पोर पोर उत्तेजित हो रहा था.

‘मोनी’

उसने सर उठा के देखा किसी ने ने उसका नाम फुसफुसाया था. क्या वो हवा थी. या उसने वाकय में सुना था. बाहर चलती हुई हवा पत्तों के हिलने की आवाज़ और खिड़की के खड़खड़ाने की आवाज़.
खड़ी हो कर उसने खिड़की से बाहर बाग की तरफ देखा. खिड़की से निकलती हुई लाइट उसे सिर्फ़ एक छोटा सा हरा घास का टुकड़ा दिखा रही थी,. वहाँ कोई नहीं था.

‘मोनी’

इस बार आवाज़ काफ़ी सॉफ सुनाई दी., लेकिन फिर भी खिड़की से कोई नज़र नही आ रहा था. उसने खिड़की खोली और बाहर झाँक कर बोली – सॅम्यूल --- जीन --- कोई जवाब नही.

जैसे ही वो वापस कमरे में आई, उसे यकीन हुआ की कोई उसका चाहने वाला मज़ाक कर रहा है. उसने फिर अपना नाम सुना इस बार थरथरती हुई फुसफुसाहट थी. वो मजबूर हो गई, अपना गाउन पहना और नीचे चली गई.

नीचे बिल्कुल अंधेरा था, हल्की हल्की रोशनी थी. वो दरवाजा खोल के बाहर नंगे पैर ही चली गई.
समुद्र से आती हुई गरम हवा में कुछ अजीब सा नमकीन टेस्ट था. रात काफ़ी सुंदर लग रही थी.
पेड़ों की खुश्बू उसके चारों तरफ फैल रही थी, जो उसमे उत्तेजना भर रही थी और उसे सॅम्यूल का इंतेज़ार था जो कल आने वाला था फिर वो उसके साथ भरपूर रात भर चुदाई करेगी.

‘मोनी’

आवाज़ काफ़ी पास से आई थी, वो आवाज़ की तरफ मूडी पर उसे कुछ नज़र नही आया. अचानक उसकी आँखों पे एक पट्टी पॅड गई और किसी के हाथों ने उसके मुँह को बंद कर दिया. उसका दम घुटने लगा और उसकी चीखें उसके मुँह में ही रह गई.

उसके बाद कुछ नही था . बस अंधेरा ही अंधेरा.


‘मेरी जान सोनी, तुम्हारे बूब्स, कितने खूबसूरत हैं, मैने ऐसे आज तक नही देखे. क्या तुम जानती हो मेरी प्यारी’
सोनी के मुँह से सिसकी निकल पड़ी अहह जब विशाल ने उसके उपर झुक कर उसके गुलाबी निपल्स को चाटना शुरू किया.


‘तुम्हारी स्किन कितनी मुलायम है सीखनी जो ठहरी, और यहा की टर्किश औरतों ने टोन के चक्कर में अपना कबाड़ा कर रखा है. लेकिन तुम सोनी तुम तो किसी देवी का अवतार हो……’

सोनी के अधरों पे मुस्कान खेल उठी उसका जिस्म विशाल की हर हरकत के साथ उत्तेजित हो रहा था बल खा रहा था. उसे कोई गुमान नही था खुद पे वो खूबसूरत थी,उसके उरोज़ भरे हुए थे, पर देवी का अवतार कभी नही. विशाल बहुत ही बड़ा चड़ा के बोल रहा था. पर आज की रात कुछ फरक नही पड़ता.
उसकी बातों को वो सच मानने लगी और उसकी बाँहों में खोती चली गई. सारी रात दोनो एक दूसरे की जिस्म से खेलते रहे.

सोनी को जो कमरा मिला था बहुत छोटा था, कमरे में एक गॅस लॅंप जल रहा था जो बेड के पास एक लकड़ी के क्रेट को उल्टा करकेरखा गया था. दीवारों पर उनके टकराते हुए जिस्मों की परछाईयाँ आती जाती रही.
एक फोल्डिंग टेबल जिसपे टाइप राइटर था और कोने में खुला हुआ सूटकेस. बेड भी कोई खास नही था, एक पुराना मेट्रेस्स और दो कंबल.

भारत के आर्कियोलॉजिकल इन्स्टिट्यूट में एक जूनियर को और क्या मिलता. उसे कम से कम कमरे का एकांत तो मिला था, बाकी टीम के मेंबर्ज़ तो चार चार एक कमरे में थे.

उसे मोनी के पोस्टकार्ड की याद आई, जो उसे आज ही मिला था. कोई उसका कोलीग जो आज आया था ऑफीस से ये पोस्टकार्ड लेता आया था.
भव्या विलास, अमीर आशिकों के बारे में हिंट….. कितना फरक था दोनो बहनो में – एक वो जो यहाँ खंडारों से जुड़ी हुई है और एक वो जो सिर्फ़ मस्ती ही मस्ती में डूबी रहती थी.

उसे मोनी के सपने आने शुरू हो गये , जिनका कोई मतलब नही निकलता था, एक डर दिमाग़ में बैठता जा रहा था. शायद उसके दिमाग़ के किसी कोने में ये चाहत थी की वो मोनी जैसी बनना चाहती थी, या उसे के भी दो कदम आगे ………कामुकता की पूरी आज़ादी .

खुली चुदाई जो वो विशाल के साथ अनुभव करने लगी थी.
यहाँ इस छोटे कमरे की भी कुछ ख़ासियत थी, पता नही कैसे ये ख़याल सोनी के दिमाग़ में आए.
विशाल की उंगलियाँ उसके जिस्म में गुदगुदी मचा रही थी.

अहह बहुत अच्छा लग रहा है. वो सिसक के बोली.

‘मैं जानता हूँ तुम्हें कैसे खुश करना है मेरी जान’ विशाल उसके नेवल को चूमते हुए बोला.

उसकी बेल्ली को चूमते हुए विशाल नीचे की तरफ बॅडने लगा उसकी चूत से थोड़ा उपर, जो तड़प रही थी लंड के लिए.
उसने उसके हाथ को पकड़ने की कोशिश करी पर विशाल ने अपना हाथ छुड़ा लिया.

‘आराम से , आराम से मेरी जान, पहले तो मैं बहुत कुछ तुम्हारे साथ करना चाहता हूँ, क्या तुम्हें नही लग रहा तुम स्वर्ग में पहुँच गई हो?’


उसने हल्केसे उसकी बेल्ली को काट लिया. सोनी के जिस्म में एक आनंद की लहर ढोढ़ गई.
‘विशाल, क्या कर रहे हो……?’

उसने अचानक उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उसे चुप करा दिया. उसके चुंबन ने उसके सारे विरोध को ख़तम कर दिया. सोनी का जिस्म एक कमान की तरहा उपर उठ गया और उसके जिस्म ने उसका साथ छोड़ आनंद की तरफ अपना ध्यान मोड़ लिया. उसके उभरे हुए उरोज़ विशाल की छाती में धसने की कोशिश करने लगे. निपल्स लंबे और बादाम के नट जैसे सख़्त हो गये, और उसकी बदती हुई उत्तेजना को सॉफ सॉफ दिखाने लगे.
विशाल अब उसके उपर लेट चुका था और उसके बालों में लगे हुए पिन को खोल रहा था. जैसे ही उसके बॉल आज़ाद हो कर लहराने लगे

‘आह मेरी जान, देखो अब तुम और भी ज़यादा खूबसूरत लग रही हो’ उसने उसके आतमविश्वास को और बड़ाया की वो वाक्य में बहुत खूबसूरत है ‘ एक बार फिर तुम ही मेरी देवी हो. सिर्फ़ मैं ही तुम्हारी असलियत को पहचान सकता हूँ’

उसके सुनहरी बालों की लट्टों को खोलते हुए उसने तकिया पर उन्हें फैला दिया. विशाल ने अपना चेहरा उसके बालों में धसा लिया और उनकी खुश्बू से खुद को आनंदित करने लगा. उसका खड़ा लंड सोनी के पेट में चुब रहा था जो अपना प्रिकम निकाल रहा था और उसकी नमकीन सुगंध सोनी की उत्तेजना को भड़का रही थी.
सोनी ने उसकी पीठ पे हाथ फेरना शुरू कर दिया, उसके जिस्म में निकले हुए छोटे छोटे बालों को खींचने लगी और उसके नितंबों को सहलाने और दबाने लगी, विशाल के जिस्म में उत्तेजना की लहरें सर उठाने लगी.

‘आह आह आह आह’ विशाल भी सिसक उठा, और उसके होंठों को चूसने लग गया, जैसे भूखा बच्चा अपने मा के निपल्स को चूस्ता है.

सोनी तेज़ी से सीख रही थी. अगर यहाँ उसे 6 महीने रुकना पद गया तो विशाल से चुदाई के सारे तरीके सीख लेगी. विशाल टर्की में ही काम करता था और उसने सोनी को लप्पेट लिया था उसका आशिक़ बन गया था.
सोनी ने अपनी दाई टांग उसकी झांग से रगड़ते हुए उसकी पीठ को क़ब्ज़े में ले लिया. और अपने पैर से उसे सहलाती हुई सिड्यूस करने लगी. वो जानती थी की अब उससे और सहा नही जाएगा उसे बड़ी शिदत से लंड अपनी चूत में चाहिए था, विशाल भी ये समझ रहा था. लेकिन वो मज़े को और बदाना चाहता था.
‘प्लीज़ विशाल अब डाल दो’
‘बहुत जल्द मेरी जान’
‘प्लीज़ अब बर्दाश्त नही होता, अब चोद डालो मुझे’
वो हल्की गुर्राहट के साथ हसा.
‘मेरी बुद्धू लड़की, इतनी जल्दी, इतनी आधीरता तुम्हारे अंदर है. भरोसा रखो मुझ पे आज तुम्हें वो आनंद दूँगा जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नही करी होगी…….’
सोनी हताश होते हुए आह भर उठी, उसने फिर उसे सहलाना शुरू कर दिया और इस बार उसका सारा धयान उसके उरोज़ पे था. कितनी देर से दो जिस्म नग्न एक दूसरे से लिपटे हुए इस कमरे में बंद थे?
समय जैसे रुक ही नही रहा था, ऐसा लग रहा था पता नही कब से वो उसके साथ खेलता जा रहा है और अभी तक उसने उसकी चूत को हाथ तक नही लगाया था. उसकी उत्तेजना को भड़काता ही जा रहा है अपनी उंगलियों और अपनी ज़ुबान से. आह कितनी देर और…..कितनी देर और लगेगी जब उसकी उंगलियाँ उसकी चूत तक पहुँचेंगी – उसकी दीवानगी का घर ?
विशाल ने जब उसके निपल को मुँह में डाल कर चूसना शुरू किया तो सोनी के मुँह से अहह निकल पड़ी, वो बिल्कुल एक बच्चे की तरहा उसका दूध पीने की कोशिश कर रहा था

आह कितना अच्छा लग रहा था. विशाल की उंगलियों ने उसके उरोज़ की जड़ को दबोच रखा था और उसे फूला रहा था, एक ग्लोब की तरहा, उसकी नीली नसें सॉफ सॉफ चमकने लगी और उसका निपल और भी सख़्त हो गया, हद से ज़यादा संवेदनशील. हर नया चुंबन और ज़ुबान की चॅट्काहेट उसके जिस्म में बिज़लियाँ दोढ़ा रही थी. उसके निपल से उसकी झांग तक, उसकी बाजून तक और……..उसके क्लाइटॉरिस तक.
उसकी चूत की पंखुड़ियों के बीच में छुपा बेचारा क्लाइटॉरिस फुदक रहा था, फेडक रहा था और चूत से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था आवाज़ उठाने के लिए की मेरी तरफ भी धयान दो, मुझे भी छुओ, मुझे भी चाटो. सोनी को उसके क्लाइटॉरिस की हालत महसूस हो रही थी, जो उसकी चूत की फांकों को अंदर से रगड़ रहा था उसके मज़े को बड़ा रहा था पर खुद उदास हो रहा था घर्षण के लिए.
‘ आह तुम बहुत जालिम लड़की हो’ विशाल फुसफुसाया और उसके निपल को छोड़ दिया जो उसकी थूक से सना हुआ चमक रहा था. विशाल ने अपनी झांग उसकी चूत से रगड़नी शुरू कर दी. वो उस तडपा रहा था.
’ आह ज़ोर से और ज़ोर से- अब नही बर्दाश्त होता’ सोनी सिसक पड़ी

विशाल उसे चिड़ा रहा था, तडपा रहा था, वो अपनी झांग उसकी चूत के आसपास रगड़ रहा था और उसकी चूत से दूर रख रहा था जो फुदक रही थी अपना मुँह खोल और बंद कर रही थी उसके जिस्म का अहसास पाने के लिए.

सोनी ने खुद को उठाने की कोशिश करी ताकि उसकी झांग की रगड़ उसकी चूत तक पहुँचे पर विशाल के ज़ोर की आगे उसकी एक ना चली , वो उसकी गुलाम थी, उसके पॅशन की गुलाम, वो मनचाहे तरीके से उस से खेल रहा था और उसकी उत्तेजना को भड़काता ही चला जा रहा था.

उसके होंठों ने उसके निपल को ज़ोर से चूसना शुरू किया और खींचने लगे, उसकी ज़ुबान निपल के टिप को चूस्ते चाटते हुई निकल जाती और एक तेज़ उत्तेजना की लहर उसके जिस्म को हिला के रख देती. हर नये चुंबन के साथ एक नये किस्म की लहर उठ जाती उसके जिस्म में, हर बार जब भी उसकी ज़ुबान उसके निपल को छूती एक अलग ही अहसास होता.

और अब तो उसने उसके निपल्स को काटना शुरू कर दिया, पहले हल्के हल्के फिर तेज़ तेज़ पर धयान रखते हुए की उसे चोट ना लगे. पहले दर्द होता फिर दर्द के बाद एक ऐसे आनंद की अनुभूति होती जो ब्यान नही करी जा सकती.

‘आह और नही तद्पाओ ……….प्लीज़ अब दे दो …….अब डाल दो अहह’

सोनी ईस्वक़्त खुद को वो मामूली लड़की नही समझ रही थी,जिसका एक बार मोनी की वजह से स्कॅंडल बन गया था, क्यूंकी मोनी ने कॉलेज के किसी प्रोफेसर को अपने हुस्न के जाल में फसाने से नही छोड़ा था. जब सोनी ** साल की हुई थी तो वो गुडसवारी और जिम जाती थी, और मोनी ने राइडिंग सीखानेवाले के साथ ही अफएयर कर लिया था.

विश्वास नही हो रहा है की आज सोनी एक नयी दुनिया में खुद कदम रख चुकी है.

विशाल का बाँया हाथ उसके दाएँ उरोज़ को निचोड़, और दबोच रहा था और उसके होंठ दूसरे को प्रताड़ित कर रहे थे, उसके निपल को चूस,काट और चाट रहे थे और हाथ उसे दबा दबा के ईक सफेद ग्लोब की शक्ल दे रहा था.
उत्तेजना का तूफान सोनी के जिस्म में उठता ही जा रहा था जबकि उसने अभी तक उसके क्लिट को छुआ नही था.
जैसे ही उसने सोचा की आनंद की ये लहरें कभी ख़तम नही होंगी, विशाल ने उसके निपल को अपने मुँह से बाहर निकल लिया.

‘ आह नही ……रूको मत करते रहो’ उसकी आँखें जल रही थी, और याचना कर रही थी, जब उसने विशाल को घूरा तो उसकी आँखों में भी एक आग थी.

‘अब वक़्त आ गया है सोनी की तुम मुझे कुछ आनंद दो’

वो सोनी के जिस्म के उपर फिसलता गया जब तक वो उसके दोनो उरोज़ के पास घुटनो के बल नही आ गया, और उसका लंड एक साँप की तरहा लहराने लगा सोनी के होंठों के उपर, जो तयार थे उसे निगलने के लिए.
उसने उसके लंड को सहलाया फिर उसके टट्टों को सहलाने लगी दबाने लगी. विशाल का जिस्म अकड़ने लगा. वो उसके टट्टों को चाटने लगी.

‘ और पास आओ ताकि मैं अच्छी तरहा चूम सकूँ’ उसने विशाल से इल्तीज़ा करी.

विशाल को और कहने की ज़रूरत नही पड़ी वो और पास आ गया की उसकी गोलाइयाँ सोनी के मुँह के पास आ गई, सोनी ने अपने होंठ खोल दिए और उसकी एक गोलाई को मुँह में भर लिया. विशाल तड़प उठा और उसके मुँह से पता नही क्या क्या निकालने लगा. सोनी सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकती थी की विशाल को कितना आनंद आ रहा होगा अपने टट्टों को चुसवाने और चटवाने में.

आदमी के जिस्म का सबसे नाज़ुक हिस्सा एक औरत के मुँह के अंदर था और वो उसे निगलने की कोशिश कर रही थी, कितनी उत्तेजना उठ रही होगी इस वक़्त विशाल के जिस्म में.

‘ओह……..ओह सोनी……..ओह येस’

सोनी सोच रही थी की काश वो दोनो टट्टों को एक साथ अपने मुँह में भर सकती. ये सोच ही उसकी चूत में तूफान उठा बैठी जो सिकुड और फैल रही थी अपने चर्म तक पहुँचने के लिए. पर इतनी आसानी से उसका ओर्गसम कहाँ होना था.

सोनी ने उसके टट्टों को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया इतना के उसे एक हसीन दर्द हो पर चोट ना लगे.
एक डर उठ जाए की उसके टटटे उखड़ जाएँगे और ये डर उसे अपनी पिचकारी छोड़ने पे मजबूर कर दे.

‘सोनी ……….ओह सोनी में तुम्हारे अंदर अपना माल निकालना चाहता हूँ. आह मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ अभी इसी वक़्त'
 
 
 







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