Monday, March 24, 2014

FUN-MAZA-MASTI दिलो की फरियाद--6

 FUN-MAZA-MASTI

 दिलो की फरियाद--6

 संगीता “तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे तुम भी शादी से पहले बहुत कुछ कर चुकी थी” पिंकी चुप हो गयी। संगीता “अरी नेहा देख ना पिंकी कैसे शर्मा रही, तू ही पूछ शायद तुझे बता दे, कम से कम ये तो पता । उसका नाम क्या था।” नेहा “भाई आप हम तीनो में सीनियर हो, आप का अनुभव भी हम से ज़यादा है, अगर आपका ऐसा कोई अनुभव हो हमे भी बताइए।” पिंकी “नहीं नहीं मेरे कहने का मतल्ब बस इतना है की तुम लोगो को इस टूर का आनंद हर तरह से उठना चाहिए। बाकी तुम दोनो की मर्ज़ी,,,,,

 पिंकी मैं तुमको मेरे शादी से पहले की एक रोमॅंटिक बात बताती हूँ, मैने अपनी पूरी पढ़ाई घर के बाहर रहकर की हूँ, मैं एक हॉस्टल में रहा करती थी, और वही से कॉलेज आना जाना करती थी बात उस समय की है जब मैं स्नातक के बाद कंप्यूटर क्लासेस कर रही थी।उस समय मेरी क्लास में सागर नाम का एक लड़का भी पड़ता था, हम दोनो में काफ़ी अच्छी दोस्ती थी, शायद एक दूसरे को पसंद भी करते थे। एक दिन उसने मुझे प्रपोज़ किया मैं इनकार ना कर सकी। इसके बाद हम दोनो कॉलेज के बाद रोज शाम को काफ़ी समय गुज़रा करते थे। कॉलेज पास एक छोटी सी नदी थी, जिसके किनारे में चलते चलते हम दोनो दूर तक चले जाते थे, नदी के किनारे-किनारे कुछ दूर बाद खूब सारे छ्होटे बड़े पेंड़ थे, कहना चाहिए वा लगभग जंगल था। उधर मुझे डर भी लगता था इसलिए मैं सागर को उससे पहले ही वापस ले आती थी। पिंकी जनवरी का महीना चल रहा था ठंड भी अच्छी ख़ासी पड़ रही थी, ठंड के मौसम में शाम को घूमने अलग ही आनंद आता था, एक शाम हम दोनो बातें करते हुए नदी के किनारे किनारे काफ़ी दूर तो चले गये। मैं सागर के हांथो को पकड़ कर चल रही थी और बातों में यह ध्यान नहीं रहा की हम कहां पर है, हम दोनो उस जंगल से भी आगे निकल गये थे। मौसम ने करवट ली, अचानक से काले बादलो से आसमान घिर गया। मैं बादलो के देखार सागर से वापस चलने को कहा, लेकिन इससे पहले की हम लौट पाते, आँधी तूफान के साथ बारिश होने लगी। तेज हवा के कारण हमारा चलना मुस्किल हो गया। हम दोनो एक बड़े से पेंड़ के नीचे रुके, उस पेंड़ की डालियां भी ऐसे हिल रही थी मानो टूट कर जाए। पिंकी जब हवा पानी कुछ देर के लिए बंद हुई, हम तेज कदमो से घर के लिए चलने लगे, लेकिन कुछ दूर चलने के बाद पानी गिरना फिर शुरू हो गया, पानी गिरने के बावज़ूद हम लोग चले रहते रहे, लगातार गिर रही बड़ी बड़ी बूँदो के कारण मैं भीग गयी, सागर भी भीग गया। बदल भी अब गरजने लगे और बिजली चमकने लगी, मैं बिजली की चमक से डरकर सागर से लिपट गई और मैने सागर से कहा की चलो कहीं पर रुकते है।

 पिंकी आस पास कोई अच्छी जगह नहीं थी जहाँ रुका जा सके, हम दोनो बारिश में भीग रहे थे। आख़िरकार एक पेंड़ के नीचे बारिश से बचने के लिए कुछ जगह मिली, लेकिन तब तक सिर से पांव तक भीग चुकी, मेरे कपड पूर गीले हो गये थे, यही हाल सागर का भी था। मेरे पास एक स्कार्फ था जिसे मैं अक्सर चेहरे में बँधकर कॉलेज आना-जाना करती थी, उस कपड़े से मैं खुद को बीच बीच मैं पोंछती, जब मैने देखा की सागर भी भीग गया था तो मैने उसे भी वही स्कार्फ दिया। एक छोटा सा कपड़ा हम दोनो को कब तक सूखा रख सकता था। पानी लगातार गिरे जा रह था और हम दोनो अब भी भीग रहे थे। अब शाम से रात होने वाली थी, अंधेरे हो रहा था, तब सागर ने कहा सागर अब हुमको चलना ही होगा नहीं तो रात हो जाएगी, फिर रात को नहीं जा सकेंगे पिंकी हम दोनो फिर से चलने लगा, लेकिन फिर एक बार हवा के साथ होती हुई बारिश, बादलो की गरज़ और चमक ने हमे निकालने ना दिया, मैं वही पर डर के मारे सिकुड कर बैठ गयी, शाम हो गयी थी और मुझे ठंड लग रही लगी थी। सागर चलो कहीं कोई अच्छी सी जगह देख कर रुकते हैं पिंकी सागर ने मेरे हांथो को पकड़ कर चलने लगा, हम दोनो बारिश में भीगते भीगते इधर से उधर भटकने लगे, आख़िर में एक झोपड़ी मिली, शायद वा झोपड़ी गॉवों में सब्जी भाजी उगाने वाले, बाड़ी के देख रेख करने किसी किसान का होगा, वहाँ पर कोई नहीं था, हो सकता था वा बारिश को देखकर अपने घर चला गया हो, उस झोपड़ी में सिर्फ़ घास फूंस की एक छप्पर थी कोई दीवार नहीं था। सागर यह झोपड़ी शायद हुमको बारिश से बचा ले पिंकी मैने कहा अभी के समय यह भी बहुत है। लेकिन मैं पूरा अंदर से बाहर तक गीली हो गयी थी, यहाँ तक की मेरी पेन्टी और ब्रा भी गीली हो गयी थी, ठंड का मौसम और ऊपर से बिन मौसम बरसात, मैं ठंड के कारण कपने लगी थी। काँपते हुए मैं वहाँ पर पड़ी खाट में बैठ गयी, फिर मैं अपने शरीर को सिकोड़कर खाट में लेट गयी। सागर ने कहा ठंड और कंपकपी से बचने के लिए तुम अपने कपड़े उतार दो


 मैं बोली नहीं! मैं ऐसा नहीं करूँगी सागर ने अपने कपड़े उतार कर उसे टाँग दिया और मेरे स्कार्फ से अपनी बदन को पोंछते हुए मुझे कहा देखो पिंकी ठंडी का मौसम चल रहा है, और उसके ऊपर तुम बारिश के कारण पूरी तरह से भीग गयी हो, अगर अपने कपड़े नहीं सुखाए तो तुम बीमार पड़ सकती हो पिंकी मैं ने सागर की बात नहीं मानी और खाट पर ही सोई रही, बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और जैसे जैसे शाम से रात हो रही थी ठंड भी बढ़ने लगी थी। सागर ने देखा की उसी झोपड़ी एक अंगीठी रखी थी, शायद ठंड से बचने के लिए ही होगा, सागर ने उसे जलाने का प्रयास किया, उसने ज़रूरी चीज़ वहां से ढूंड कर अंगीठी को जलाई। पिंकी ठंड के कारण मैं अचेत होने लगी तो सागर ने मुझे । का प्रयास किया पर कोई । नहीं रहा, मेरी । स्तिथि को देखकर, मुझे अपने कपड़े बदलने को फिर कहा, लेकिन मैं ठंड के मारे थर थर काँप रही थी मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। नेहा इन अचानक बीच में कहा फिर क्या हुआ पिंकी मैं तो थर थर काँप रही थी, मैं कुछ नहीं कर पा रही थी। सागर ने मेरे कपड़े एक एक करके उत्तर दिए, मेरे कपड़ो को निचोड़ कर उसने सूखा दिए, मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्रा और पेन्टी था, मैं अचेत खाट पर काँपते हुए लेटी हुई थी। सागर ने मेरे पूरे बदन को मेरे स्कार्फ से पोछा, पता नहीं सागर के मान में उस समय क्या चल रहा था, स्कार्फ को भी उसने सूखने के लिए टाँग दिया। जलती हुई अंगीठी को सागर ने खाट के पास रख दिया ताकि मुझे गर्मी मिल सके, पर इतने ठंड में सिर्फ़ अंगीठी की गर्मी काफ़ी नहीं थी तो सागर भी मेरे साथ आकर सो गया। मेरी ब्रा और पेन्टी अभी भी गिली थी तो उसने उसे भी निकाल दिया और खुद भी अपने अंडरवेर को निकल कर मुझसे चिपक कर सो गया।

 पिंकी सागर भी ठंड के मारे ठिठुर रहा था, उसको भी गर्मी चाहिए थी, इसलिए वह खाट में मुझसे लिपट कर सो गया। हम दोनो खुले बदन में, नंगे बहुत देर तक चिपक कर सोए थे, धीरे धीरे हुमारा बदन गर्म होने लगा। मेरी कंपकपी जब कम हुई तो मैं पाया की मैं नंगी थी और सागर भी नंगा बदन मेरे साथ सोया हुआ था। मेरे स्तन सागर के सीने से चिपके हुए थे, और मेरे चुत के पास एक गर्म मोटा सा बहुत सख़्त चीज़ बार बार मेरे चुत को छू रहा था। मैने अपने हांथ से चीज़ को पकड़ा और देखा तो वह सागर का लॅंड था। मेरे बदन में आग सी लग गई, ऐसा लगा की मेरे पूरा शरीर झंझना गया हो, उस समय मेरी ठंडी ना जाने कान्हा कहाँ चली गयी थी। जब मैं सागर के लंड को पकड़ा, तब सागर का बदन में भी एक सरसराहट दौड़ गयी थी, उसने मुझे ज़ोर से पकड़ कर अपनी ओर खीच लिया। हम दोनो के शरीर के मिलन से बदन में अलग प्रकार का अहसास हो रहा था, मुझे मेरे स्तनो का इस उसके सीने से चिपके होना और नीच चूत के पास उसका गर्म लंड का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा थे। मेरे अंदर गर्मी और बादने लगी, नीचे की तरफ योनि में अजीब सा महसूस होने लगा और मैं भी सागर को अपने बाहों में कस कर भरने लगी। सागर का लंड मेरे चुत में इधर उधर धक्के मार रहा था,” पिंकी मैं अपनी आँखें बंद कर ली थी, फिर मैने महसूस किया कोई चीज़ मेरे निपल्स के गोल गोल घूम रही थी, मेरे आँख खोलने पर देखा की सागर अपने जीभ को मेरे चुचि के गोल गोल घुमा कर चाट रहा था। मेरे साँसे बढ़ने लगी, सागर जो मेरे बगल में सोया था अब मेरे ऊपर आ गया और अपने मेरे चुचियों को चूमने, चाटने लगा। मेरे साँसे तेज तेज चल रही थी, और शरीर ऊपर की ओर तन गया। पिंकी सागर अपने मुह से मेरे निपल्स को चाटते जा रहा था, साथ हीं मेरी एक टाँग को उसने ऊपर की ओर उठाकर अपने लंड को मेरे चुत के अंदर घुसने लगा। एक कठोर और सख़्त सी कोई चीज़ मेरे अंदर आ रही थी, मेरे सांसो को अजीब सी राहत मिली। सागर ने अब मेरे निपल को छोड़ दिया और अपने घुटने के बाल बैठकर मेरे दोनो टाँगो को ऊपर उठा दिया मेर ऊपर चढ़ गया। अब वह उसका लंड मेरे अंदर बाहर हो रहा था, मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी, अब मेरी तेज सांसो के साथ मेरे मूह अजीब अजीब आवाज़े निकालने लगी, दर्द के मारे उहह,,,,,,,,,यह सब चीलाई जेया रही थी। सागर अपने लंड से ज़ोर ज़ोर से धक्का मार रहा था, मैं दर्द में चूर होये जेया रही और वह तब तक मुझे चोद्ता रहा जब तक मैं बेहाल ना हो गाइइ। उस रात सागर ने मेरी खूब चुदाई की, मुझे कई बार चोदा, जो मेरे अंदर ठंडी घुस गयी थी ना जाने अब कहाँ पर चली गयी, इतनी ठंडी में भी हम दोनो पसीने से नहा चुके थे। पिंकी सुबह तक हुमारे कपड़े कुछ कुछ सुख गये थे, सुबह अपने कपड़े पहने और दिन पूरी तरह से निकालने तक इंतज़ार किया, ताकि हम पर किसी को शक नो, जब लोग आना जाना करने लगे तब मैं होस्टेल आ गयी।

 (अब वापस होटेल में) पिंकी इसलिए कहती हूँ पहला सेक्स अपने पहले प्यार के साथ होना चाहिए इन तीनो की बात ख़तम नहीं हुई थी मोहन लोग बाहर से घूम कर कमरे में आ गये। डिनर का समय हो चुका था तो सब मिलकर खाना खाने चले गये। जब सबका डिन्नर हो गया सभी अपने अपने कमरों में चले गये, नेहा और संगीता पिंकी की बातों को सोच रहे थे, इधर शरद और जीतू के दिमाग़ मोहन की बातों घूम रही थी। संगीता आज पहली बार जीतू के साथ संभोग कर चुकी रहती है लेकिन पिंकी ने बातों ने उसे और उकसा दिया था, रात को एक बार और करने की इच्छा रहती है। मगर नेहा ने अभी सेक्स का स्वाद नहीं चखा है, उसका भी मान ये सब करने को रहता है, पर नेहा को शर्म बहुत आ रही है। संगीता मैं सोचरही हूँ क्यों आज की रात मैं जीतू के साथ सोने जाऊं, और शरद को तुम्हारे पास भेज देती हूँ, अगर तुमको शरद के सात रात गुजरने में कोई प्राब्लम तो नहीं है नेहा मैं भी अपनी आज की रात शरद के साथ गुज़रना चाहती हूँ। संगीता ठीक है तो मैं जाती हूँ संगीता चली जाती है, जैसे ही वा जीतू के पास पहुचती है, जीतू उसे बोलता है। जीतू क्यों ना हम दोनो आज की रात एक बार फिर वही सब कुछ करें जो सुबह किया था,,,,,,,, संगीता मुस्करा देती है और मुस्करा कर हामी भर देती है। जीतू शरद को नेहा के कमरे में भेज देता है। शरद जब नेहा के पास उसके कमरे में में पहुचता है तब नेहा पलंग पर बैठी हुई रहती है, शरद पलंग के किनारे में वह भी बैठ जाता है। शरद नेहा क्या सोच रही हो?” नेहा बस आपका इंतज़ार कर रही थी, संगीत जो जीतू के पास सोने चली गयी शरद क्या तुम जानती हो संगीत जीतू के पास सोने क्यो चली गयी?” नेहा संगीत जीतू से प्यार जो करती है, अब उसको बाकी समय वहीं रहना चाहिए। शरद और तुम मुझसे कितना प्यार करती हो?, बताओ ना

 शरद नेहा की गोद में सिर रखकर लेट जाता है, नेहा की ओर अपनी नज़रें करके कहता है आई लव यू”, और नेहा की मूंदी को झुककर, अपने चेहरे के पास ले आता है और अपने होंठो से उसके होंठो को चूमता करता है। जैसे ही नेहा और शरद के होंठ अलग होते है नेहा भी ई लव यू टू माइ स्वीटहार्टबोलती है, अब इस बार नेहा ने शरद के होंठो को किस किया। नेहा और शरद होंठ से होंठ मिलकर चुंबन में खो जाते है। नेहा के हांथ शरद के सिर के पर हल्के हल्के सहलाते रहते है। शरद नेहा को बिस्तर पर लेता देता है और नेहा को चूमने लगता है। शरद के हांथ नेहा के बदन को सिर से पावं तक चुने लगता है, शरद अपने हांथो से नेहा के नर्म और मुलायम अंगो को कपड़ो के ऊपर से ही शहलाना शुरू करता है, गालो से शुरू कर, स्तनो के ऊपर से गुज़रते हुए हांथो को जाँघो तक सहलाना, नेहा को अहसास पहली बार था। नेहा शरद को प्यार तो करती थी, लेकिन उसको प्यार का यह तरीका आज मालूम हुआ।


उधर संगीता जब जीतू के पास उसके जैसे ही पहुचती है, जीतू तुरंत आकर संगीता से गले लग जाता है। दोनो एक दूसरे को चूमना शुरू कर देते है, जीतू संगीता के शरीर को बेतहासा चूमता है, चूमते-चूमते थोड़ी देर में; जीतू चलो बाथरूम में चलकर एक साथ फ्रेश होते फिर उसके बाद प्यार करेंगे जीतू बेडरूम में ही अपने सारे कपड़े उतार देता है, उसके बदन में केवल अंडरवेर ही रहता है, संगीता से भी बाथरूम के बाहर कपड़े उतरने को कहता है। संगीता शर्म के कारण जीतू के सामने नंगी नहीं होना चाहती है इसलिए वह पूरे कपड़े निकालने के बजाए वो सिर्फ़ ब्रा और पेनटी में रहती है, और उसके ऊपर एक पतली से टवेल को शरीर में लपेट लेती है, अब संगीता के बदन एक टवेल से ढका रहता है। जीतू का लंड संगीता को सिर्फ़ टवेल मे देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता है, संगीता को उठाकर वा बाथरूम में लेजाता है, और दोनो शावर के नीचे खड़े होकर नहाने लगते है। पानी की बूँदो की बौछार जब शवर से निकालकर संगीत के बदन पर गिरती है, तब पतला सा टवेल जो संगीता के टन को ढका होता गीला हो जात है। गीला हुआ टॉवेल संगीता के बदन से चिपक जाता है, और संगीता की जवानी छिप नहीं पाती है।

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