FUN-MAZA-MASTI
कामुक हसीनाएं पार्ट--2
पिच्छले भाग में आप ने पढ़ा कैसे नाज़ और नामिता की चुदाई के साथ मेरी चुदाई की शुरू आत हुई. उस दिन मैने सच में सेक्स का मज़ा लिया और जाना कि इस्को स्वर्ग का सुख किओं कहते हैं. मेरे सामने चुदाई का रास्ता खुल चुका था और एक नहीं दो दो लड़कियो से मैं चुदाई का खेल खेलने लगा.
अगले दिन से मुझे नाज़ और नामिता को दीदी पुकारने की आदत डालनी थी. वैसे भी प्रभा देवी मुझे बहुत प्यार करती थी. लेकिन मैं ये ज़ाहिर नहीं कर सकता था कि जिस घर ने मुझे रहने का असरा दिया है मैं उसी घर की बेटी से चुदाई का गंदा खेल खेल रहा हूँ. नामिता मेरी मुझ पर जान च्चिडकती थी और नाज़ मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी. रोज़ मैं नाज़ और नामिता की चुदाई करता और क़िस्सी को पता ना चलता. मेरी तो बस चाँदी ही थी.
फिर एक दिन मेरा और नाज़ के कमरे वाला हिस्सा प्रभा देवी की पार्टी के वर्कर्स के लिए खाली करवा लिया. पार्टी को एलेक्षन की तैयारी के लिए कुच्छ दिन वहीं रहना था. प्रभा देवी को भी पार्टी के सीनियर लीडर्स से मीटिंग्स करनी होती थी और वो अब सारा दिन सारी रात लीडर्स के साथ ही रहती. पार्टी के नेता मोहन लाल भी वहीं थे जिनको प्रभा देवी इज़्ज़त से पिता जी कहती थी. मुझे अब सुनील के कमरे में शिफ्ट कर दिया गया और नाज़ अब नामिता के कमरे में रहने लगी. चुदाई में रुकावट होने के चान्स थे. खैर रात को मैं अपनी किताब पढ़ कर बाहर सैर करने को निकला तो एक कमरे की बत्ती जल रही थी. रात के 2 बजे थे. मैं घूमता हुआ उधर ही निकला गया और उत्सुकतावश मैं कमरे के पास चला गया. मुझे कुच्छ आवाज़ें सुनाई पड़ी तो मैने खिड़की से झाँक लिया. अंदर का नज़ारा चौंका देने वाला था. मेरे पैरों से ज़मीन खिसक गयी.
मेरी मा समान औरत प्रभा देवी मदरजात नंगी थी. प्रभा देवी का रूप देवी का नहीं बल्कि रंडी का दिखाई दे रहा था. प्रभा देवी, पलंग के सामने झुकी हुई थी और मोहल लाल नंगा हो कर टाँगों को पसार कर लेटा हुआ था. चाहे मोहल लाल की उमर 60 साल से कम ना होगी, लेकिन उसस्का लंड सखत हो कर तना हुआ था और प्रभा उसस्के लंड को चूस रही थी. मेरी मूहबोली मा की गांद मेरी तरफ उठी हुई थी जिससे मुझे उसस्की गांद का छेद कभी खुलता और कभी बंद होता दिखाई देता. प्रभा की चुचि नीचे झूल रही थी.
मोहन लाल कभी प्रभा की चुचि को दबा देता और कभी उसस्के चूतड़ को स्पर्श कर लेता,” प्रभा बेटी, तुम बहुत कामुक औरत हो. मेरी पत्नी ने कभी मेरा लंड नहीं चूसा. साली बोलती है की लंड गंदी चीज़ है. बहनचोड़ अगर गंदी है तो चूत में किओं लेती है साली. प्रभा धीरे धीरे चूस वरना मैं चोदने से पहले ही झाड़ जायूंगा, मेरी रानी बेटी, और मैं अपनी प्यारी बेटी को चोदे बिना नहीं सो सकता. कितने दीनो के बाद ये मौका मिला है. साले अख़बार वाले हम नेता लोगों को अकेले कहाँ छ्चोड़ते हैं. कई बार सोचा है कि अपनी बीवी को तलाक़ दे कर तुझ से शादी कर लूँ, पर नेता लोगों की इज़्ज़त भी तो बहुत नाज़ुक होती है. एलेक्षन भी सिर पर हैं. पार्टी वाले तो पहले ही अफवाहें फैला रहे है कि मैं तुझे एमएलए का टिकेट इस लिए देता हूँ किओं के तुम मेरी रखैल हो. किस किस बेह्न्चोद का मूह बंद करूँ मैं? कोई सेफ रास्ता नही है हम दोनो के लिए?”
प्रभा देवी सीधी खड़ी हो गयी और अपनी चुचि को मोहन लाल के मूह में डालते हुए बोली,” पिताजी, सब के सामने आपको पिता कहती हूँ फिर भी लोग साले हमारी असलियत पहचान लेते हैं. जब से मेरे पति की मौत हुई है आप के लंड का ही तो असरा है मुझे. आपकी पत्नी भी मुझे सौतेन समझती है. वो भी अपनी जगह ठीक है किओं के मैने क़ब्ज़ा तो उसस्के अधिकार वाले लंड पर ही किया हुआ है. लेकिन, पिताजी, मैं आपके बिना नहीं रह सकती. आप ने जो मुझे एमएलए का टिकेट दिया है उस एहसान का बदला भी तो चुकाना है मुझे. आप मुझ से जो चाहें कर लो लेकिन मुझे अपने आप से अलग कभी मत करें. एक ख़याल आया है मेरे मन में. किओं ना नामिता की शादी आपके बेटे रमेश से कर दी जाए. हमारी राजनीतिक ताक़त भी बढ़ जाए गी और समाज में एक रिश्ता भी बन जाए गा. कल हमारे बच्चे ही तो नेता बनेंगे. मा के लिए समधी और बेटी के लिए पति उपलब्ध हो जाएगा और कोई कुच्छ बोलेगा भी नहीं.”
मोहन लाल प्रभा की चुचि को चूमते रहे जैसे बच्चा दूध पी रहा हो. प्रभा की चुचि उनके थूक से गीली हो कर चमक उठी. प्रभा प्यार से उनके बालों में उंगलियाँ चलती रही.’हां बेटी, रमेश की शादी तेरी बेटी से करना एक मास्टर स्ट्रोक होगा. इस से हमारी ताक़त भी बढ़ेगी और हमारा प्यार भी च्छूपा रहे गा. मैं अपनी पत्नी से बात करता हूँ. लेकिन अब जल्दी से पलंग के उप्पेर चढ़ जयो. आज मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लंड की सवारी करो और मैं तेरा दूध पीता रहूं और चोद्ता रहूं. मैं तेरे चूतादो को थाम कर नीचे से चोदना चाहता हूँ.चल प्रभा रानी जल्दी कर, मेरा लंड बेताब हो रहा है.” प्रभा गांद मटकाती हुई मोहल लाल के उप्पेर चढ़ गयी. इस उमर में भी प्रभा के जिस्म में क्या बात थी. उससने अपनी जांघों को फैला लिया और मोहल लाल की कमर के दोनो तरह अपनी टाँगों को फैलाते हुए अपनी चूत को उसस्के लंड पर गिराना शुरू कर दिया. मोहल लाल के हाथों ने मेरी मूहबोली मा की गांद को जाकड़ कर अपने लंड पर गिरा लिया.
“उईईए….मोहन……धीरे से…..बहुत मोटा है आपका…..अहह…मोहनजी आप का लंड मेरे गर्भाष्या से टकरा रहा है… ऐसे ही मसलो मेरी चुचियो को….आअहह….ह्म्म्म्ममम…..ओह…हा ई” प्रभा देवी बोल रही थी और उसस्की गांद अब मोहन लाल के लंड पर उप्पेर नीचे हो कर मस्ती से लंड की सवारी कर रही थी. प्रभा देवी के चूतड़ बहुत प्यारे लग रहे थे. मेरा लंड तो अपनी मूह बोली मा की गांद चोदने को ललचा रहा था. मोहन लाल नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर प्रभा को निहाल कर रहा था. वो अपने मूह में ले कर प्रभा के निपल्स चूसने लगा. प्रभा ने अपनी गांद तेज़ी से उप्पेर नीचे करनी शुरू कर दी. चुदाई ज़ोर पकड़ रही थी. मोहन लाल ने प्रभा के चूतड़ अपने हाथों में थाम लिए और तेज़ी से चोदने लगा.
“मोहन जी, पता है की औरत कैसी चुदाई की ख्वाइश रखती है? कि मर्द उस पर चढ़ कर चोदे, मर्द हमेश औरत के उप्पेर का स्थान रखता है. मैं आपके लंड की सवारी कर रही हूँ, मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा है. मैं उसी तरह से चुदाई करवाती रहूंगी जैसे आप कहेंगे, जैसा आप कहेंगे. लेकिन मुझे चुदाई के असली मज़े का एहसास तभी होता है जब आप अपनी प्रभा बेटी को उप्पेर चढ़ कर चोदते हैं, पिताजी, है अब ज़ोर से चोदो मुझे, प्लीज़ पिता जी” मोहन लाल ने अपनी एक उंगली प्रभा की गांद में पेल डाली और प्रभा चिहुनक उठी” ओह! ओह! मदरचोड़, अब मेरी गांद भी नहीं बक्षोगे…..चूत से मन नहीं भरा? आह पेल डालो गांद भी मोहन….दर्द होता है लेकिन आपके लिए दर्द भी झेल लूँगी मोहनजी….मुझे प्यार करो मोहन!”
मोहन लाल ने प्रभा के कंधे पर काट खाया और ज़ोर से चूमने लगा और तेज़ी से उंगली भी गांद में पेलने लगा. वो हानफते हुए बोला,” मेरी प्यारी बिटिया रानी, तुझे नीचे डाल कर भी चोदुन्गा….छ्चोड़ूँगा नहीं….पहले तुम तो मुझे चोद लो….फिर तुझे अपनी बीवी की तरह उप्पेर चढ़ कर भी चोदुन्गा…..तेरी गांद भी चोदना चाहता हूँ बेटी. कितनी सेक्सी है तेरी गांद? ओह रब्बा कितना मज़ा दे रही हो तुम मुझे.” दोनो पागलों की तरह चुदाई में मस्त थे. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मैने अपनी पॅंट खोल कर अपना लंड हाथ में ले लिया और अपनी मूह बोली मा की चुदाई देखते हुए मूठ मारने लगा. प्रभा देवी के चूतड़ उप्पेर नीचे होते हुए बहुत सेक्सी लग रहे थे और वो चिल्ला रही थी” चोदो ज़ोर से राजा…फाड़ डालो मेरी चूत….पेलो राजा…पेलो अपनी रंडी बेटी को”
अचानक मोहन लाल रुक गये और प्रभा के कान को चूमते हुए बोले,” प्रभा बेटी, अब तुझ पर सवारी करने का वक्त आ गया है. मोहन के नीचे पड़ कर चुदोगि क्या?” प्रभा नटखट अंदाज़ में बोली,” जल्दी से चोद राजा, पहले ही चूत जल रही है, लंड खा कर और भी भूख बढ़ चुकी है इससकी, राजा, अब उप्पेर चढ़ कर भी चोद डालो मुझे.” मोहन लाल ने प्रभा को घोड़ी बनाने को कहा,” क्या? घोड़ी बनूँ? ” मोहन हंस पड़ा” बेटी, औरत और घोड़ी में क्या फरक है? दोनो ही सवारी के काम आती हैं. औरत की छोटी घोड़ी की लगाम के बराबर होती है. मैं तुझे पीछे से चोदना चाहता हूँ, तुझे कोई एतराज है क्या?” प्रभा उसी वक्त पलंग पर झुकती हुई बोली,” नहीं मेरे सरकार, चुदना है तो नखरा कैसा? लंड पेल डालो मेरी प्यासी बुर में जल्दी से. मैं आपके लिए घोड़ी तो क्या कुतिया बन सकती हूँ”
जैसे ही प्रभा आगे झुकी, मोहन ने पीछे से लंड का प्रहार किया और प्रभा के चूतड़ की दरार से होता हुआ लंड उसस्की चूत में परवेश कर गया. मोहन ने अपनी रखैल की छोटी को कस के पकड़ लिया और ऐसे चोदने लगा जैसे वो घोड़ी हांक रहा हो. मोहन के अंडकोष ज़ोर ज़ोर से प्रभा की गांद से टकराने लगे. दोनो पसीने से भीग चुके थे. कमरा फ़चा फ़च की आवाज़ों से गूंजने लगा. मेरा हाथ भी तेज़ी से मेरे लंड के उप्पेर नीचे चलने लगा किओं की प्रभा देवी का नंगा जिस्म मुझे बहुत उतेज़ित कर रहा था. प्रभा अपने चूतड़ मोहन के लोड्े पर ज़ोर ज़ोर से मार रही थी. मेरा लंड भी झड़ने के करीब था. मोहन लाल प्रभा के चूतड़ नोच रहा था और हन्फ्ते हुए चुदाई में मस्त था.
“प्रभा बेटी, मैं झार रहा हूँ, बेटी ऐसी मस्त औरत मैने कभी नहीं देखी. तू बहुत मस्ती से चुदवाती हो रानी. ओह्ह्ह्ह मैं गया…..हाई बेटी…..” प्रभा भी मस्ती से भरी हुई थी जब मेरे लंड ने पिचकारी छ्चोड़ डी. मेरे लंड रस की धारा बहुत दूर तक गयी और अपने हाथों पर मुझे अपने लंड का रस महसूस हुआ. आख़िरी बारी अपनी मूह बोली मा के नंगे जिस्म को देखते हुए मैं सुनील के कमरे की तरफ लौट पड़ा. सारी रात प्रभा का नंगा बदन मेरी आँखों में छाया रहा और मेरा लंड सारी रात प्रभा को चोदने के लिए मचलता रहा.
अगले दिन से सारा काम रुटीन में चलने लगा लेकिन मेरी नज़र में अब प्रभा के लिए वासना जाग चुकी थी. मैं हर वक्त प्रभा को नंगे देखने की ताक में रहता, उस्स्को गले लगाने का बहाना ढूनडता रहता, उसस्कीे ब्लाउस से उसस्की चुचि की घाटी में झँकता.
एक महीने के बाद नामिता के नानाजी नामिता की शादी के सिलसिले में हमारे घर आने वाले थे. मैं उस वक्त प्रभा देवी के बाथ रूम के पास मंडरा रहा था के शायद मेरी मूह बोली मा के नंगे जिस्म की झलक मिल पड़े. तभी जब फोन बज उठा. फोन प्रभा ने बाथरूम से ही ले लिया.. “हेलो पापा, कैसे हो, कब आ रहे हो. मैं नहा रही हूँ, ओह पापा आप से क्या परदा, बिल्कुल नंगी हूँ…..बस आपके लिए……मैने अभी अभी झांते सॉफ की हैं पापा….मैं जानती हूँ मेरे पापा को अपनी बेटी की चूत पर बाल बिल्कुल अच्छे नहीं लगते….सच पापा आपकी आवाज़ सुनते ही मेरी चुचि कड़ी हो उठी है….अब मुझ से आपका इंतज़ार भी नहीं होगा….जल्दी आइए पापा, मैं आपकी बाहों में मचलना चाहती हूँ….आपका लंड चूसना चाहती हूँ, पापा, आप तो जानते ही हैं कि विधवा होने के बाद मुझे अगर क़िस्सी ने चोदा है तो आप ने…क्या आप भी नंगे हो चुके हैं? सच? आपका लंड भी खड़ा हो गया है? सच? नहीं पापा, इस्सको मूठ ना मारें, मैं मूह में ले कर चूसना चाहती हूँ, बिल्कुल वैसे जैसे मम्मी चुस्ती थी. आअप जल्दी आ जाएँ, पापा, प्लीज़”
मैं चौंक पड़ा. तो साली प्रभा देवी साली सभी बाज़ुर्ग मर्दों से चुदवाती है? अब अपने बाप से चुदाई के बातें कर रही है. मेरी बारी कब आएगी. साली का चक्कर अपने ही बाप से भी चल रहा है. बाथरूम का दरवाज़ख़्ुला और प्रभा देवी टवल लपेटे बाहर निकली. पानी से भीगा बदन कयामत ढा रहा था. उसस्के ठुमक ठुमक करते हुए कूल्हे मेरा लंड खड़ा कर रहे थे. प्रभा की जंघें अधिक दिखाई दे रही थी किओं की उसस्का टवल बहुत छ्होटा था. मैं जान बुझ कर दूसरी तरफ से तेज़ी से कमरे में आया और प्रभा से टकरा गया. टक्कर इतनी ज़ोर से मारी के प्रभा का टवल खुल गया और नीचे गिर पड़ा.” आइ आम सॉरी मा, मुझे दिखाई ही नहीं दिया कि आप आ रही हैं.” लेकिन मेरी ज़ुबान बंद हो गयी जब मेरी नज़र ने प्रभा को नगन हालत में देखा. उसस्की मस्त चुचि नज़दीक से क़िस्सी का हार्ट फैल करने के लिए काफ़ी थी. पेट एक दम सपाट और कमर पतली. मांसल जांघों के बीच फूली हुई चूत देख कर मेरे होश उड़ गये.
मेरा लंड पॅंट से सलामी देने लगा. मैं हड़बड़ा गया और दूसरी तरफ देखने लगा. प्रभा ने मेरी हालत देख ली और मुस्कुरा पड़ी.” क्या बात है बेटा, तुम तो पसीने पसीने हो रहे हो, इतनी गर्मी तो नहीं है….बेटा मेरे बदन पर मेरा टवल लपेटने में मदद कर दो ना…तुम तो घबरा ही गये हो….क्या बात है? क्या कभी क़िस्सी नंगन औरत को नहीं देखा? और मैं तो तेरी मा हूँ…मा से कैसा शरमाना? चल हेल्प कर मेरी” मैं सकपका गया और टवल उठा कर प्रभा को लपेटने लगा. इश्स वक्त मैं उसस्के पीच्छे खड़ा था और मेरा लंड सिर उठाए प्रभा की गांद से रगड़ रहा था. उससने ज़रूर मेरा खड़ा लंड अपनी गांद पर चुभता हुआ महसूस किया होगा. लेकिन वो बिना शरमाये टवल ले कर बाहर चली गयी. मैं क्या करता? बाथरूम में जा कर प्रभा को याद कर के मूठ मारने लगा. मेरी पॅंट मेरे गुटनो पर गिरी हुई थी और मेरा लंड मेरे हाथ में था जब बाथरूम का दरवाज़ा एक दम खुला और प्रभा देवी मुझे मूठ मारते देख कर बोली,” बेटे, मुझे तो पहले ही शक था कि तू यही कुच्छ कर रहा होगा. मैं तो तेरी पॅंट मेनबना हुआ तंबू देख कर समझ गयी थी के अब अपना हाथ जगन नाथ होने वाला है. लेकिन इतना बढ़िया रस हाथों पर किओं वेस्ट कर रहे हो? क्या इस पर मा का हक नहीं है? मेरा बेटा हो कर मेरी चुचि और चूतड़ को घूरते रहते हो लेकिन जब मा की चूत और चुचि पर लंड रगड़ने का टाइम आया तो अपने हाथ इस्तेमाल कर रहे हो…क्या प्रभा देवी तुझे पसंद नहीं आई?”
प्रभा बोलते हुए मेरी तरफ बढ़ी और मेरे लंड को देखते हुए आगे झुकी. मैं अब फ़ैसला कर चुका था. जो भी हो जाए आज प्रभा मुझ से चुदेगि ज़रूर. आज मेरा मदेर्चोद बनने का दिन आ चुका है. मैने हाथ बढ़ा कर प्रभा को अपनी तरफ खींच लिया और उसस्का टवल उतार फेंकते हुए मैने नंगा कर दिया और उस्स्को बाहों में भर कर होंठों पर किस करने लगा.
प्रभा का मांसल बदन बहुत मस्त था और उसस्के रसीले होंठ बहुत नमकीन. मैने उस्स्को उसस्की मस्तानी गांद के नीचे से पकड़ कर अपने साथ सटा लिया और आख बंद कर के चूमने लगा.” आप मा हैं, इसी लिए इतनी देर लग गयी वरना आप जैसी मस्त औरत को कब का चोद चुका होता. सच कहता हूँ मैने आप जैसी सेक्स औरत नहीं देखी. आप मोहन लाल जैसे बूढ़े से क्या चुदवा रही हैं, मेरे लंड का स्वाद ले कर तो देखो, मस्त कर दूँगा.” प्रभा कुच्छ समझती हुई बोली,” तो तुमने मोहन जी के साथ मुझे देख लिया है? क्या करूँ बेटा, मुझे बड़ी उमर के मर्दों से चुदवाने का शौक बचपन से ही है. और फिर एमएलए का टिकेट भी तो लेना है, खैर अब मेरे पास एक जवान लंड भी आ गया है अपने बेटे के रूप में जो पहले अपनी मा की चुदाई देखता है और फिर मदेर्चोद बन जाने को तैयार हो जाता है”
“ना केवल मोहनजी के साथ देखा, आप को अपने पापा के साथ चुदाई की बात करते भी सुना. क्या आप अपने सगे बाप के साथ भी….मेरा मन नहीं मानता कि बाप बेटी भी…..सच बतायो, मेरा लंड बेकाबू हो रहा है ये सब की कल्पना से ही.” मेरे दिल में कई किस्म के सवाल उठ रहे थे. प्रभा बे-झिझक बोली,” मेरी मा की मौत जब हुई तो मैं 17 साल की थी और मेरी चूत में आग लगी हुई थी. उधर मेरे पापा नयी नयी लड़कियो से इश्क लड़ा रहे थे. एक दिन तो हद हो गयी. मेरे पापा ने मेरी ही सहेली पर हाथ डाल दिया. जब मैं बाज़ार से वापिस आई तो मेरे पापा मेरी सहेली अनु की चुदाई उस बिस्तर पर कर रहे थे जिस पर मेरी मा की चुदाई होती थी. मैने सोच लिए की मर्द नाम का जानवर चूत के बिना नहीं रह सकता तो औरत भी तो जानवर ही है. और वैसे भी अनु की जगह लेने के लिए मेरा मन तड़प रहा था. पापा से अपनी सील तुड़वाने का फ़ैसला कर ही लिया और उस रात पापा को मैं खूबशराब पिलाई. नशे की हालत में पापा बेटी और पत्नी का फरक भूल कर मेरे साथ सुहागरात मनाने लगे. वो मेरी पहली चुदाई थी, तब से दुनिया से छुप कर ना जाने कितने मर्दों से हर तरह चुदवा चुकी हूँ. और हां, आज तुझ से भी तो चूड़ने जा रही हूँ. तुम भी तो मेरे बेटे ही हो. जब बेटा मा को चोद सकता है तो बाप किओं नहीं?”
“लेकिन आप तो मेरिमूह बोली मा हैं?” मेरा स्वाल था.” बात रिश्ते की है और उसस्की असलियत की है. मेरा बाप मेरा ख़सम तब बना जब उसने मुझे चोद लिया. जब तुम मुझे चोद लोगे तुम भी मेरे पति के बराबर हो जयोगे, बेशक दुनिया हुमको मा बेटा ही समझेंगे. जब मुझे नंगी देख कर तेरा लंड खड़ा हो जाता है तो मा बेटे के रिश्ते की वॅल्यू रह जाती है. दुनिया में बस औरत मर्द का ही रिश्ता रह जाता है, बाकी सब बेकार हैं, बेटे.” प्रभा देवी सच में एक कामुक औरत थी जिसने सभी तरह से सोच रखा था और मैं तो अब चुदाई के खेल में एक अनुभवी औरत से कयि सबक सीखने वाला था.
प्रभा ने मेरा लंड पकड़ लिया और मुठियाने लगी. मेरी साँस मुश्किल से चल रही थी. मैने उसस्के बालों को सहलाया और उसस्के नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा. प्रभा का जिस्म बिल्कुल रेशम था, मुलायम और कोमल. मेरे लंड से रस की एक बूँद बह निकली जिस्सको प्रभा ने जीभ से चाट लिया. “प्रभा, क्या बाथरूम में ही सब कुच्छ करोगी या फिर बेड पर चलना होगा?” मैने उसस्की ठुड्डी से मुखड़ा उप्पेर उठाते हुए पुचछा. अब मुझे प्रभा को मा कहते हुए शरम आ रही थी. इसी लिए मैने उस्स्को नाम से संबोधित किया. लेकिन वो पुराने अंदाज़ में ही बोली,” बेटे, मुझे मा कहते हुए शरमाते हो? माद्रचोड़, शरम किस बात की? जब तेरे पास नंगी खड़ी हूँ तो मा या बीवी कहने से कोई फरक नहीं पड़ेगा. जब चुदाई ही करनी है तो रिश्तों से क्या घबराना. आज तुझे तेरी मा ही चुदवाने को कह रही है. जब मेरे पापा ने मुझे चोद लिया तो बेटे को क्या प्राब्लम है. जो चोदे वो ही ख़सम, बेटे. चल तुझे बिस्तर पर ही ले चलती हूँ. चल बेटे”
प्रभा का पलंग बहुत बड़ा था जिसस पर रेशमी चादर बिछि हुई थी. प्रभा मेरे आगे आगे चल रही थी और मैं उसस्की गांद को घूर रहा था. ना जाने किओं मेरा मन उसस्की गांद मारने को कर रहा था. पलंग पर जब वो लेट गयी तो मैने उस्स्को पेट के बल लेटने को कहा. वो मान गयी. मैने उस्स्को पैरों से चूमते हुए टख़नो से होते हुए उसस्की जांघों को चूमा और फिर उसस्की गर्दन पर चूमा. प्रभा की साँस धौंकनी की तरह चलने लगी. मैने अपना सूपड़ा उसस्के चुतताड की दरार में फिट कर के उसस्की पीठ को किस करना शुरू कर दिया,” ओह बेटे मा की गांद मारोगे क्या? मेरी गांद चुदी ज़रूर है लेकिन जब भी गांद में लंड जाता है, मुझे दर्द होता है. मेरे बेटे, मैं गांद भी चुड़ववँगी तुझ से लेकिन आज नहीं, आज मुझे अपने लंड से चूत में ही पेलो बेटे”
मैं उसस्की गांद से लंड को हटाते हुए अपने होंठों को उसस्के चूतड़ पर ले गया और किस करने लगा. जब मेने उसस्के चूतड़ को काट खाया तो वो चिल्ला उठी,” आरीए बेह्न्चोद आराम से. अब मेरी गांद ही खा जयोगे क्या? एसा करो, तुम मुझे अपना लंड चूसने दो और मेरी चूत को तुम खा लो. देखो मा की चूत का स्वाद कैसा लगता है तुझे और मा को अपना केला खाने दो ज़रा” मैं तुरंत मान गया और हम 69 बन गये. प्रभा की चूत के फुल्ले हुए होंठ और नमकीन रस मुझे नशा चढ़ा रहा था. उधर प्रभा मेरे लंड को हाथ में ले कर उप्पेर नीचे करते हुए चूमने और चाटने लगी. उससने मेरे अंडकोषों को भी अपने हाथ से सहलाया और मुझे पागल बना दिया. मुझे पता चल चुका था की वासना एक दम आँधी होती है. मेरी ज़ुबान जब प्रभा के क्लाइटॉरिस पर रगड़ी तो वो चिल्ला उठी,” बस मदेर्चोद, अब और नहीं सहा जाता, बस चोद डालो मुझे बेटा. मैं बूढ़े मर्दों से बहुत चुदवा चुकी हूँ, तेरे जैसा जवान मर्द आज मिला है मुझे, चल चढ़ जाओ अपनी मा पर, बेटा”
मैं जानता था की वो मुझे जान बुझ कर बेटा बेटा कह रही थी. मैने उस्स्को नीचे रख कर उसस्की जांघों को खोल दिया और उसस्स्की चूत के मुख को खोल कर सूपदे को चूत पर रख दिया. वो बुरी तरह हाँफ रही थी,” किओं मा, चोद डालूं अब तुझे? तेरी चूत तो कुतिया की चूत की तरह फुदाक रही है. मर्द की तरह चोदु या फिर मोहन की तरह कुतिया बना कर? “मैने एक ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा लंड प्रभा की चूत में दनदनाता हुआ घुसता चला गया.” ह..तेरी माआ को मदेर्चोद….धीरे चोद….रंडी की औलाद प्यार से चोद, कितना बड़ा है तेरा लंड, बेटा…मेरी तो बुर फाड़ डाली तुमने…आराम से बेटा…”
नामिता और नाज़ ठीक थी लेकिन प्रभा की चूत का कोई जवाब ना था. साली की बुर ने मेरे लंड कस के जकड़ा हुआ था. प्रभा ने अपने जांघों का घेरा मेरी कमर पर इस तरह कसा हुआ था के उसस्की चूत बहुत टाइट लग रही थी,” बेटा, मेरी चुचि चूस…अपनी मा की चुचि चूस और चोद उस्स्को बेटा” मेरा लंड तेज़ी से बड़ी उमर की अनुभवी चूत को चोदने लगा. प्रभा ने मेरा सिर पकड़ कर अपने निपल पर झुका लिया और मैं उस्स्को अपनी मा की चुचि समझ कर चूसने लगा. एक हाथ से मैने उसस्का क्लिट छेड़ना शुरू कर दिया जिसस से वो भड़क उठी,”चोद मदरचोड़चोद….बेह्न्चोद चोद प्रभा को….चोद प्रभा गश्ती को…ओह्ह्ह्ह हरामी चोद मुझे”
मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी. प्रभा का जिस्म एंथने लगा. मेरी रंडी मूह बोली मा मेरे नीचे मचल मचल कर चुदवा रही थी और मुझे ज़ोर से चोदने को बिनति कर रही थी.” ओह्ह्ह्ह प्रभााअ…..तेरी मा को लंड….साली रंडी है तू….बहुत मज़ेदार चुदवाति हो रंडी….प्रभा मेरी मा….चोद अपने बेटे को साली….मैं झाड़ रहा हूँ….बोलो मा अपना लंड अंदर ही खाली करूँ या बाहर निकाल लूँ?” प्रभा अपनी गांद को उठा उठा कर मेरी थाप का जवाब देते हुए बोली,”मदरचोड़, अंदर डाल दे अपना रस…..मेरा ऑपरेशन हो चुका है….चोद डाल मुझे अंदर ही…मदेर्चोद मेरी बच्चेदानि पर ठोकर मार रहा है तेरा लोड्ा बेह्न्चोद” प्रभा की नीचे से स्पीड भी तूफ़ानी हो चुकी थी. वो भी झार रही थी. इधर मेरा लंड झड़ने लगा तो उधर उसस्की चूत खलास होने लगी. पागलों की तरह हानफते हुए हम दोनो एक साथ झाड़ गये. फिर तो मेरी मौज हो गई कभी प्रभा कभी नामिता कभी नौकरानी तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी बता ना मत भूलना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
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कामुक हसीनाएं पार्ट--2
पिच्छले भाग में आप ने पढ़ा कैसे नाज़ और नामिता की चुदाई के साथ मेरी चुदाई की शुरू आत हुई. उस दिन मैने सच में सेक्स का मज़ा लिया और जाना कि इस्को स्वर्ग का सुख किओं कहते हैं. मेरे सामने चुदाई का रास्ता खुल चुका था और एक नहीं दो दो लड़कियो से मैं चुदाई का खेल खेलने लगा.
अगले दिन से मुझे नाज़ और नामिता को दीदी पुकारने की आदत डालनी थी. वैसे भी प्रभा देवी मुझे बहुत प्यार करती थी. लेकिन मैं ये ज़ाहिर नहीं कर सकता था कि जिस घर ने मुझे रहने का असरा दिया है मैं उसी घर की बेटी से चुदाई का गंदा खेल खेल रहा हूँ. नामिता मेरी मुझ पर जान च्चिडकती थी और नाज़ मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी. रोज़ मैं नाज़ और नामिता की चुदाई करता और क़िस्सी को पता ना चलता. मेरी तो बस चाँदी ही थी.
फिर एक दिन मेरा और नाज़ के कमरे वाला हिस्सा प्रभा देवी की पार्टी के वर्कर्स के लिए खाली करवा लिया. पार्टी को एलेक्षन की तैयारी के लिए कुच्छ दिन वहीं रहना था. प्रभा देवी को भी पार्टी के सीनियर लीडर्स से मीटिंग्स करनी होती थी और वो अब सारा दिन सारी रात लीडर्स के साथ ही रहती. पार्टी के नेता मोहन लाल भी वहीं थे जिनको प्रभा देवी इज़्ज़त से पिता जी कहती थी. मुझे अब सुनील के कमरे में शिफ्ट कर दिया गया और नाज़ अब नामिता के कमरे में रहने लगी. चुदाई में रुकावट होने के चान्स थे. खैर रात को मैं अपनी किताब पढ़ कर बाहर सैर करने को निकला तो एक कमरे की बत्ती जल रही थी. रात के 2 बजे थे. मैं घूमता हुआ उधर ही निकला गया और उत्सुकतावश मैं कमरे के पास चला गया. मुझे कुच्छ आवाज़ें सुनाई पड़ी तो मैने खिड़की से झाँक लिया. अंदर का नज़ारा चौंका देने वाला था. मेरे पैरों से ज़मीन खिसक गयी.
मेरी मा समान औरत प्रभा देवी मदरजात नंगी थी. प्रभा देवी का रूप देवी का नहीं बल्कि रंडी का दिखाई दे रहा था. प्रभा देवी, पलंग के सामने झुकी हुई थी और मोहल लाल नंगा हो कर टाँगों को पसार कर लेटा हुआ था. चाहे मोहल लाल की उमर 60 साल से कम ना होगी, लेकिन उसस्का लंड सखत हो कर तना हुआ था और प्रभा उसस्के लंड को चूस रही थी. मेरी मूहबोली मा की गांद मेरी तरफ उठी हुई थी जिससे मुझे उसस्की गांद का छेद कभी खुलता और कभी बंद होता दिखाई देता. प्रभा की चुचि नीचे झूल रही थी.
मोहन लाल कभी प्रभा की चुचि को दबा देता और कभी उसस्के चूतड़ को स्पर्श कर लेता,” प्रभा बेटी, तुम बहुत कामुक औरत हो. मेरी पत्नी ने कभी मेरा लंड नहीं चूसा. साली बोलती है की लंड गंदी चीज़ है. बहनचोड़ अगर गंदी है तो चूत में किओं लेती है साली. प्रभा धीरे धीरे चूस वरना मैं चोदने से पहले ही झाड़ जायूंगा, मेरी रानी बेटी, और मैं अपनी प्यारी बेटी को चोदे बिना नहीं सो सकता. कितने दीनो के बाद ये मौका मिला है. साले अख़बार वाले हम नेता लोगों को अकेले कहाँ छ्चोड़ते हैं. कई बार सोचा है कि अपनी बीवी को तलाक़ दे कर तुझ से शादी कर लूँ, पर नेता लोगों की इज़्ज़त भी तो बहुत नाज़ुक होती है. एलेक्षन भी सिर पर हैं. पार्टी वाले तो पहले ही अफवाहें फैला रहे है कि मैं तुझे एमएलए का टिकेट इस लिए देता हूँ किओं के तुम मेरी रखैल हो. किस किस बेह्न्चोद का मूह बंद करूँ मैं? कोई सेफ रास्ता नही है हम दोनो के लिए?”
प्रभा देवी सीधी खड़ी हो गयी और अपनी चुचि को मोहन लाल के मूह में डालते हुए बोली,” पिताजी, सब के सामने आपको पिता कहती हूँ फिर भी लोग साले हमारी असलियत पहचान लेते हैं. जब से मेरे पति की मौत हुई है आप के लंड का ही तो असरा है मुझे. आपकी पत्नी भी मुझे सौतेन समझती है. वो भी अपनी जगह ठीक है किओं के मैने क़ब्ज़ा तो उसस्के अधिकार वाले लंड पर ही किया हुआ है. लेकिन, पिताजी, मैं आपके बिना नहीं रह सकती. आप ने जो मुझे एमएलए का टिकेट दिया है उस एहसान का बदला भी तो चुकाना है मुझे. आप मुझ से जो चाहें कर लो लेकिन मुझे अपने आप से अलग कभी मत करें. एक ख़याल आया है मेरे मन में. किओं ना नामिता की शादी आपके बेटे रमेश से कर दी जाए. हमारी राजनीतिक ताक़त भी बढ़ जाए गी और समाज में एक रिश्ता भी बन जाए गा. कल हमारे बच्चे ही तो नेता बनेंगे. मा के लिए समधी और बेटी के लिए पति उपलब्ध हो जाएगा और कोई कुच्छ बोलेगा भी नहीं.”
मोहन लाल प्रभा की चुचि को चूमते रहे जैसे बच्चा दूध पी रहा हो. प्रभा की चुचि उनके थूक से गीली हो कर चमक उठी. प्रभा प्यार से उनके बालों में उंगलियाँ चलती रही.’हां बेटी, रमेश की शादी तेरी बेटी से करना एक मास्टर स्ट्रोक होगा. इस से हमारी ताक़त भी बढ़ेगी और हमारा प्यार भी च्छूपा रहे गा. मैं अपनी पत्नी से बात करता हूँ. लेकिन अब जल्दी से पलंग के उप्पेर चढ़ जयो. आज मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लंड की सवारी करो और मैं तेरा दूध पीता रहूं और चोद्ता रहूं. मैं तेरे चूतादो को थाम कर नीचे से चोदना चाहता हूँ.चल प्रभा रानी जल्दी कर, मेरा लंड बेताब हो रहा है.” प्रभा गांद मटकाती हुई मोहल लाल के उप्पेर चढ़ गयी. इस उमर में भी प्रभा के जिस्म में क्या बात थी. उससने अपनी जांघों को फैला लिया और मोहल लाल की कमर के दोनो तरह अपनी टाँगों को फैलाते हुए अपनी चूत को उसस्के लंड पर गिराना शुरू कर दिया. मोहल लाल के हाथों ने मेरी मूहबोली मा की गांद को जाकड़ कर अपने लंड पर गिरा लिया.
“उईईए….मोहन……धीरे से…..बहुत मोटा है आपका…..अहह…मोहनजी आप का लंड मेरे गर्भाष्या से टकरा रहा है… ऐसे ही मसलो मेरी चुचियो को….आअहह….ह्म्म्म्ममम…..ओह…हा
“मोहन जी, पता है की औरत कैसी चुदाई की ख्वाइश रखती है? कि मर्द उस पर चढ़ कर चोदे, मर्द हमेश औरत के उप्पेर का स्थान रखता है. मैं आपके लंड की सवारी कर रही हूँ, मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा है. मैं उसी तरह से चुदाई करवाती रहूंगी जैसे आप कहेंगे, जैसा आप कहेंगे. लेकिन मुझे चुदाई के असली मज़े का एहसास तभी होता है जब आप अपनी प्रभा बेटी को उप्पेर चढ़ कर चोदते हैं, पिताजी, है अब ज़ोर से चोदो मुझे, प्लीज़ पिता जी” मोहन लाल ने अपनी एक उंगली प्रभा की गांद में पेल डाली और प्रभा चिहुनक उठी” ओह! ओह! मदरचोड़, अब मेरी गांद भी नहीं बक्षोगे…..चूत से मन नहीं भरा? आह पेल डालो गांद भी मोहन….दर्द होता है लेकिन आपके लिए दर्द भी झेल लूँगी मोहनजी….मुझे प्यार करो मोहन!”
मोहन लाल ने प्रभा के कंधे पर काट खाया और ज़ोर से चूमने लगा और तेज़ी से उंगली भी गांद में पेलने लगा. वो हानफते हुए बोला,” मेरी प्यारी बिटिया रानी, तुझे नीचे डाल कर भी चोदुन्गा….छ्चोड़ूँगा नहीं….पहले तुम तो मुझे चोद लो….फिर तुझे अपनी बीवी की तरह उप्पेर चढ़ कर भी चोदुन्गा…..तेरी गांद भी चोदना चाहता हूँ बेटी. कितनी सेक्सी है तेरी गांद? ओह रब्बा कितना मज़ा दे रही हो तुम मुझे.” दोनो पागलों की तरह चुदाई में मस्त थे. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मैने अपनी पॅंट खोल कर अपना लंड हाथ में ले लिया और अपनी मूह बोली मा की चुदाई देखते हुए मूठ मारने लगा. प्रभा देवी के चूतड़ उप्पेर नीचे होते हुए बहुत सेक्सी लग रहे थे और वो चिल्ला रही थी” चोदो ज़ोर से राजा…फाड़ डालो मेरी चूत….पेलो राजा…पेलो अपनी रंडी बेटी को”
अचानक मोहन लाल रुक गये और प्रभा के कान को चूमते हुए बोले,” प्रभा बेटी, अब तुझ पर सवारी करने का वक्त आ गया है. मोहन के नीचे पड़ कर चुदोगि क्या?” प्रभा नटखट अंदाज़ में बोली,” जल्दी से चोद राजा, पहले ही चूत जल रही है, लंड खा कर और भी भूख बढ़ चुकी है इससकी, राजा, अब उप्पेर चढ़ कर भी चोद डालो मुझे.” मोहन लाल ने प्रभा को घोड़ी बनाने को कहा,” क्या? घोड़ी बनूँ? ” मोहन हंस पड़ा” बेटी, औरत और घोड़ी में क्या फरक है? दोनो ही सवारी के काम आती हैं. औरत की छोटी घोड़ी की लगाम के बराबर होती है. मैं तुझे पीछे से चोदना चाहता हूँ, तुझे कोई एतराज है क्या?” प्रभा उसी वक्त पलंग पर झुकती हुई बोली,” नहीं मेरे सरकार, चुदना है तो नखरा कैसा? लंड पेल डालो मेरी प्यासी बुर में जल्दी से. मैं आपके लिए घोड़ी तो क्या कुतिया बन सकती हूँ”
जैसे ही प्रभा आगे झुकी, मोहन ने पीछे से लंड का प्रहार किया और प्रभा के चूतड़ की दरार से होता हुआ लंड उसस्की चूत में परवेश कर गया. मोहन ने अपनी रखैल की छोटी को कस के पकड़ लिया और ऐसे चोदने लगा जैसे वो घोड़ी हांक रहा हो. मोहन के अंडकोष ज़ोर ज़ोर से प्रभा की गांद से टकराने लगे. दोनो पसीने से भीग चुके थे. कमरा फ़चा फ़च की आवाज़ों से गूंजने लगा. मेरा हाथ भी तेज़ी से मेरे लंड के उप्पेर नीचे चलने लगा किओं की प्रभा देवी का नंगा जिस्म मुझे बहुत उतेज़ित कर रहा था. प्रभा अपने चूतड़ मोहन के लोड्े पर ज़ोर ज़ोर से मार रही थी. मेरा लंड भी झड़ने के करीब था. मोहन लाल प्रभा के चूतड़ नोच रहा था और हन्फ्ते हुए चुदाई में मस्त था.
“प्रभा बेटी, मैं झार रहा हूँ, बेटी ऐसी मस्त औरत मैने कभी नहीं देखी. तू बहुत मस्ती से चुदवाती हो रानी. ओह्ह्ह्ह मैं गया…..हाई बेटी…..” प्रभा भी मस्ती से भरी हुई थी जब मेरे लंड ने पिचकारी छ्चोड़ डी. मेरे लंड रस की धारा बहुत दूर तक गयी और अपने हाथों पर मुझे अपने लंड का रस महसूस हुआ. आख़िरी बारी अपनी मूह बोली मा के नंगे जिस्म को देखते हुए मैं सुनील के कमरे की तरफ लौट पड़ा. सारी रात प्रभा का नंगा बदन मेरी आँखों में छाया रहा और मेरा लंड सारी रात प्रभा को चोदने के लिए मचलता रहा.
अगले दिन से सारा काम रुटीन में चलने लगा लेकिन मेरी नज़र में अब प्रभा के लिए वासना जाग चुकी थी. मैं हर वक्त प्रभा को नंगे देखने की ताक में रहता, उस्स्को गले लगाने का बहाना ढूनडता रहता, उसस्कीे ब्लाउस से उसस्की चुचि की घाटी में झँकता.
एक महीने के बाद नामिता के नानाजी नामिता की शादी के सिलसिले में हमारे घर आने वाले थे. मैं उस वक्त प्रभा देवी के बाथ रूम के पास मंडरा रहा था के शायद मेरी मूह बोली मा के नंगे जिस्म की झलक मिल पड़े. तभी जब फोन बज उठा. फोन प्रभा ने बाथरूम से ही ले लिया.. “हेलो पापा, कैसे हो, कब आ रहे हो. मैं नहा रही हूँ, ओह पापा आप से क्या परदा, बिल्कुल नंगी हूँ…..बस आपके लिए……मैने अभी अभी झांते सॉफ की हैं पापा….मैं जानती हूँ मेरे पापा को अपनी बेटी की चूत पर बाल बिल्कुल अच्छे नहीं लगते….सच पापा आपकी आवाज़ सुनते ही मेरी चुचि कड़ी हो उठी है….अब मुझ से आपका इंतज़ार भी नहीं होगा….जल्दी आइए पापा, मैं आपकी बाहों में मचलना चाहती हूँ….आपका लंड चूसना चाहती हूँ, पापा, आप तो जानते ही हैं कि विधवा होने के बाद मुझे अगर क़िस्सी ने चोदा है तो आप ने…क्या आप भी नंगे हो चुके हैं? सच? आपका लंड भी खड़ा हो गया है? सच? नहीं पापा, इस्सको मूठ ना मारें, मैं मूह में ले कर चूसना चाहती हूँ, बिल्कुल वैसे जैसे मम्मी चुस्ती थी. आअप जल्दी आ जाएँ, पापा, प्लीज़”
मैं चौंक पड़ा. तो साली प्रभा देवी साली सभी बाज़ुर्ग मर्दों से चुदवाती है? अब अपने बाप से चुदाई के बातें कर रही है. मेरी बारी कब आएगी. साली का चक्कर अपने ही बाप से भी चल रहा है. बाथरूम का दरवाज़ख़्ुला और प्रभा देवी टवल लपेटे बाहर निकली. पानी से भीगा बदन कयामत ढा रहा था. उसस्के ठुमक ठुमक करते हुए कूल्हे मेरा लंड खड़ा कर रहे थे. प्रभा की जंघें अधिक दिखाई दे रही थी किओं की उसस्का टवल बहुत छ्होटा था. मैं जान बुझ कर दूसरी तरफ से तेज़ी से कमरे में आया और प्रभा से टकरा गया. टक्कर इतनी ज़ोर से मारी के प्रभा का टवल खुल गया और नीचे गिर पड़ा.” आइ आम सॉरी मा, मुझे दिखाई ही नहीं दिया कि आप आ रही हैं.” लेकिन मेरी ज़ुबान बंद हो गयी जब मेरी नज़र ने प्रभा को नगन हालत में देखा. उसस्की मस्त चुचि नज़दीक से क़िस्सी का हार्ट फैल करने के लिए काफ़ी थी. पेट एक दम सपाट और कमर पतली. मांसल जांघों के बीच फूली हुई चूत देख कर मेरे होश उड़ गये.
मेरा लंड पॅंट से सलामी देने लगा. मैं हड़बड़ा गया और दूसरी तरफ देखने लगा. प्रभा ने मेरी हालत देख ली और मुस्कुरा पड़ी.” क्या बात है बेटा, तुम तो पसीने पसीने हो रहे हो, इतनी गर्मी तो नहीं है….बेटा मेरे बदन पर मेरा टवल लपेटने में मदद कर दो ना…तुम तो घबरा ही गये हो….क्या बात है? क्या कभी क़िस्सी नंगन औरत को नहीं देखा? और मैं तो तेरी मा हूँ…मा से कैसा शरमाना? चल हेल्प कर मेरी” मैं सकपका गया और टवल उठा कर प्रभा को लपेटने लगा. इश्स वक्त मैं उसस्के पीच्छे खड़ा था और मेरा लंड सिर उठाए प्रभा की गांद से रगड़ रहा था. उससने ज़रूर मेरा खड़ा लंड अपनी गांद पर चुभता हुआ महसूस किया होगा. लेकिन वो बिना शरमाये टवल ले कर बाहर चली गयी. मैं क्या करता? बाथरूम में जा कर प्रभा को याद कर के मूठ मारने लगा. मेरी पॅंट मेरे गुटनो पर गिरी हुई थी और मेरा लंड मेरे हाथ में था जब बाथरूम का दरवाज़ा एक दम खुला और प्रभा देवी मुझे मूठ मारते देख कर बोली,” बेटे, मुझे तो पहले ही शक था कि तू यही कुच्छ कर रहा होगा. मैं तो तेरी पॅंट मेनबना हुआ तंबू देख कर समझ गयी थी के अब अपना हाथ जगन नाथ होने वाला है. लेकिन इतना बढ़िया रस हाथों पर किओं वेस्ट कर रहे हो? क्या इस पर मा का हक नहीं है? मेरा बेटा हो कर मेरी चुचि और चूतड़ को घूरते रहते हो लेकिन जब मा की चूत और चुचि पर लंड रगड़ने का टाइम आया तो अपने हाथ इस्तेमाल कर रहे हो…क्या प्रभा देवी तुझे पसंद नहीं आई?”
प्रभा बोलते हुए मेरी तरफ बढ़ी और मेरे लंड को देखते हुए आगे झुकी. मैं अब फ़ैसला कर चुका था. जो भी हो जाए आज प्रभा मुझ से चुदेगि ज़रूर. आज मेरा मदेर्चोद बनने का दिन आ चुका है. मैने हाथ बढ़ा कर प्रभा को अपनी तरफ खींच लिया और उसस्का टवल उतार फेंकते हुए मैने नंगा कर दिया और उस्स्को बाहों में भर कर होंठों पर किस करने लगा.
प्रभा का मांसल बदन बहुत मस्त था और उसस्के रसीले होंठ बहुत नमकीन. मैने उस्स्को उसस्की मस्तानी गांद के नीचे से पकड़ कर अपने साथ सटा लिया और आख बंद कर के चूमने लगा.” आप मा हैं, इसी लिए इतनी देर लग गयी वरना आप जैसी मस्त औरत को कब का चोद चुका होता. सच कहता हूँ मैने आप जैसी सेक्स औरत नहीं देखी. आप मोहन लाल जैसे बूढ़े से क्या चुदवा रही हैं, मेरे लंड का स्वाद ले कर तो देखो, मस्त कर दूँगा.” प्रभा कुच्छ समझती हुई बोली,” तो तुमने मोहन जी के साथ मुझे देख लिया है? क्या करूँ बेटा, मुझे बड़ी उमर के मर्दों से चुदवाने का शौक बचपन से ही है. और फिर एमएलए का टिकेट भी तो लेना है, खैर अब मेरे पास एक जवान लंड भी आ गया है अपने बेटे के रूप में जो पहले अपनी मा की चुदाई देखता है और फिर मदेर्चोद बन जाने को तैयार हो जाता है”
“ना केवल मोहनजी के साथ देखा, आप को अपने पापा के साथ चुदाई की बात करते भी सुना. क्या आप अपने सगे बाप के साथ भी….मेरा मन नहीं मानता कि बाप बेटी भी…..सच बतायो, मेरा लंड बेकाबू हो रहा है ये सब की कल्पना से ही.” मेरे दिल में कई किस्म के सवाल उठ रहे थे. प्रभा बे-झिझक बोली,” मेरी मा की मौत जब हुई तो मैं 17 साल की थी और मेरी चूत में आग लगी हुई थी. उधर मेरे पापा नयी नयी लड़कियो से इश्क लड़ा रहे थे. एक दिन तो हद हो गयी. मेरे पापा ने मेरी ही सहेली पर हाथ डाल दिया. जब मैं बाज़ार से वापिस आई तो मेरे पापा मेरी सहेली अनु की चुदाई उस बिस्तर पर कर रहे थे जिस पर मेरी मा की चुदाई होती थी. मैने सोच लिए की मर्द नाम का जानवर चूत के बिना नहीं रह सकता तो औरत भी तो जानवर ही है. और वैसे भी अनु की जगह लेने के लिए मेरा मन तड़प रहा था. पापा से अपनी सील तुड़वाने का फ़ैसला कर ही लिया और उस रात पापा को मैं खूबशराब पिलाई. नशे की हालत में पापा बेटी और पत्नी का फरक भूल कर मेरे साथ सुहागरात मनाने लगे. वो मेरी पहली चुदाई थी, तब से दुनिया से छुप कर ना जाने कितने मर्दों से हर तरह चुदवा चुकी हूँ. और हां, आज तुझ से भी तो चूड़ने जा रही हूँ. तुम भी तो मेरे बेटे ही हो. जब बेटा मा को चोद सकता है तो बाप किओं नहीं?”
“लेकिन आप तो मेरिमूह बोली मा हैं?” मेरा स्वाल था.” बात रिश्ते की है और उसस्की असलियत की है. मेरा बाप मेरा ख़सम तब बना जब उसने मुझे चोद लिया. जब तुम मुझे चोद लोगे तुम भी मेरे पति के बराबर हो जयोगे, बेशक दुनिया हुमको मा बेटा ही समझेंगे. जब मुझे नंगी देख कर तेरा लंड खड़ा हो जाता है तो मा बेटे के रिश्ते की वॅल्यू रह जाती है. दुनिया में बस औरत मर्द का ही रिश्ता रह जाता है, बाकी सब बेकार हैं, बेटे.” प्रभा देवी सच में एक कामुक औरत थी जिसने सभी तरह से सोच रखा था और मैं तो अब चुदाई के खेल में एक अनुभवी औरत से कयि सबक सीखने वाला था.
प्रभा ने मेरा लंड पकड़ लिया और मुठियाने लगी. मेरी साँस मुश्किल से चल रही थी. मैने उसस्के बालों को सहलाया और उसस्के नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा. प्रभा का जिस्म बिल्कुल रेशम था, मुलायम और कोमल. मेरे लंड से रस की एक बूँद बह निकली जिस्सको प्रभा ने जीभ से चाट लिया. “प्रभा, क्या बाथरूम में ही सब कुच्छ करोगी या फिर बेड पर चलना होगा?” मैने उसस्की ठुड्डी से मुखड़ा उप्पेर उठाते हुए पुचछा. अब मुझे प्रभा को मा कहते हुए शरम आ रही थी. इसी लिए मैने उस्स्को नाम से संबोधित किया. लेकिन वो पुराने अंदाज़ में ही बोली,” बेटे, मुझे मा कहते हुए शरमाते हो? माद्रचोड़, शरम किस बात की? जब तेरे पास नंगी खड़ी हूँ तो मा या बीवी कहने से कोई फरक नहीं पड़ेगा. जब चुदाई ही करनी है तो रिश्तों से क्या घबराना. आज तुझे तेरी मा ही चुदवाने को कह रही है. जब मेरे पापा ने मुझे चोद लिया तो बेटे को क्या प्राब्लम है. जो चोदे वो ही ख़सम, बेटे. चल तुझे बिस्तर पर ही ले चलती हूँ. चल बेटे”
प्रभा का पलंग बहुत बड़ा था जिसस पर रेशमी चादर बिछि हुई थी. प्रभा मेरे आगे आगे चल रही थी और मैं उसस्की गांद को घूर रहा था. ना जाने किओं मेरा मन उसस्की गांद मारने को कर रहा था. पलंग पर जब वो लेट गयी तो मैने उस्स्को पेट के बल लेटने को कहा. वो मान गयी. मैने उस्स्को पैरों से चूमते हुए टख़नो से होते हुए उसस्की जांघों को चूमा और फिर उसस्की गर्दन पर चूमा. प्रभा की साँस धौंकनी की तरह चलने लगी. मैने अपना सूपड़ा उसस्के चुतताड की दरार में फिट कर के उसस्की पीठ को किस करना शुरू कर दिया,” ओह बेटे मा की गांद मारोगे क्या? मेरी गांद चुदी ज़रूर है लेकिन जब भी गांद में लंड जाता है, मुझे दर्द होता है. मेरे बेटे, मैं गांद भी चुड़ववँगी तुझ से लेकिन आज नहीं, आज मुझे अपने लंड से चूत में ही पेलो बेटे”
मैं उसस्की गांद से लंड को हटाते हुए अपने होंठों को उसस्के चूतड़ पर ले गया और किस करने लगा. जब मेने उसस्के चूतड़ को काट खाया तो वो चिल्ला उठी,” आरीए बेह्न्चोद आराम से. अब मेरी गांद ही खा जयोगे क्या? एसा करो, तुम मुझे अपना लंड चूसने दो और मेरी चूत को तुम खा लो. देखो मा की चूत का स्वाद कैसा लगता है तुझे और मा को अपना केला खाने दो ज़रा” मैं तुरंत मान गया और हम 69 बन गये. प्रभा की चूत के फुल्ले हुए होंठ और नमकीन रस मुझे नशा चढ़ा रहा था. उधर प्रभा मेरे लंड को हाथ में ले कर उप्पेर नीचे करते हुए चूमने और चाटने लगी. उससने मेरे अंडकोषों को भी अपने हाथ से सहलाया और मुझे पागल बना दिया. मुझे पता चल चुका था की वासना एक दम आँधी होती है. मेरी ज़ुबान जब प्रभा के क्लाइटॉरिस पर रगड़ी तो वो चिल्ला उठी,” बस मदेर्चोद, अब और नहीं सहा जाता, बस चोद डालो मुझे बेटा. मैं बूढ़े मर्दों से बहुत चुदवा चुकी हूँ, तेरे जैसा जवान मर्द आज मिला है मुझे, चल चढ़ जाओ अपनी मा पर, बेटा”
मैं जानता था की वो मुझे जान बुझ कर बेटा बेटा कह रही थी. मैने उस्स्को नीचे रख कर उसस्की जांघों को खोल दिया और उसस्स्की चूत के मुख को खोल कर सूपदे को चूत पर रख दिया. वो बुरी तरह हाँफ रही थी,” किओं मा, चोद डालूं अब तुझे? तेरी चूत तो कुतिया की चूत की तरह फुदाक रही है. मर्द की तरह चोदु या फिर मोहन की तरह कुतिया बना कर? “मैने एक ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा लंड प्रभा की चूत में दनदनाता हुआ घुसता चला गया.” ह..तेरी माआ को मदेर्चोद….धीरे चोद….रंडी की औलाद प्यार से चोद, कितना बड़ा है तेरा लंड, बेटा…मेरी तो बुर फाड़ डाली तुमने…आराम से बेटा…”
नामिता और नाज़ ठीक थी लेकिन प्रभा की चूत का कोई जवाब ना था. साली की बुर ने मेरे लंड कस के जकड़ा हुआ था. प्रभा ने अपने जांघों का घेरा मेरी कमर पर इस तरह कसा हुआ था के उसस्की चूत बहुत टाइट लग रही थी,” बेटा, मेरी चुचि चूस…अपनी मा की चुचि चूस और चोद उस्स्को बेटा” मेरा लंड तेज़ी से बड़ी उमर की अनुभवी चूत को चोदने लगा. प्रभा ने मेरा सिर पकड़ कर अपने निपल पर झुका लिया और मैं उस्स्को अपनी मा की चुचि समझ कर चूसने लगा. एक हाथ से मैने उसस्का क्लिट छेड़ना शुरू कर दिया जिसस से वो भड़क उठी,”चोद मदरचोड़चोद….बेह्न्चोद चोद प्रभा को….चोद प्रभा गश्ती को…ओह्ह्ह्ह हरामी चोद मुझे”
मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी. प्रभा का जिस्म एंथने लगा. मेरी रंडी मूह बोली मा मेरे नीचे मचल मचल कर चुदवा रही थी और मुझे ज़ोर से चोदने को बिनति कर रही थी.” ओह्ह्ह्ह प्रभााअ…..तेरी मा को लंड….साली रंडी है तू….बहुत मज़ेदार चुदवाति हो रंडी….प्रभा मेरी मा….चोद अपने बेटे को साली….मैं झाड़ रहा हूँ….बोलो मा अपना लंड अंदर ही खाली करूँ या बाहर निकाल लूँ?” प्रभा अपनी गांद को उठा उठा कर मेरी थाप का जवाब देते हुए बोली,”मदरचोड़, अंदर डाल दे अपना रस…..मेरा ऑपरेशन हो चुका है….चोद डाल मुझे अंदर ही…मदेर्चोद मेरी बच्चेदानि पर ठोकर मार रहा है तेरा लोड्ा बेह्न्चोद” प्रभा की नीचे से स्पीड भी तूफ़ानी हो चुकी थी. वो भी झार रही थी. इधर मेरा लंड झड़ने लगा तो उधर उसस्की चूत खलास होने लगी. पागलों की तरह हानफते हुए हम दोनो एक साथ झाड़ गये. फिर तो मेरी मौज हो गई कभी प्रभा कभी नामिता कभी नौकरानी तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी बता ना मत भूलना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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