Friday, March 21, 2014

FUN-MAZA-MASTI रूको मत करते रहो--3

FUN-MAZA-MASTI
 रूको मत करते रहो--3
 वलाज़ूर उस वक़्त दोपहर की गर्मी से तप रहा था, सोनी ने ड्राइवर का शुक्रिया अदा किया जिसने उसे यहाँ तक छोड़ा.
अब सोनी के पास इतने पैसे तो नही थे की कार हायर करके आती, किसी भी तरहा, कहीं लिफ्ट, कहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करते करते आख़िर वलाज़ूर पहुँच ही गई. कोई और समय होता तो वो इस तरहा कभी ना ट्रॅवेल करती, पर अब तो उसके लिए एमर्जेन्सी थी.
फ्रेंच रिवीयेरा के आलीशान रिज़ॉर्ट्स से कुछ मील अंदर वलाज़ूर गाँव एकदम अकेला सा पड़ता था. चारों तरफ पेड़ों से लदे पहाड़ और वॅली के बीच में बसा, लाल क्ले से बनी छतेन सूरज की सीधी किरणों से तप रही थी.
वलाज़ूर उसके लिए एक आश्चर्य साबित हुआ, दोपहर को सड़के एक दम सुन सान,किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि नही. लंच समय के दोरान यहाँ सब आराम करते हैं, कोई भी हो, कोई काम नही करता है और इससे ये सीएसटा कहते हैं.
ताज़ूब की बात थी की रिवीयेरा, नाइस और आंटिब्स के इतने पास होते हुए भी, वलज़ूर दोपहर में सोता हुआ दिख रहा था. सोनी को जल्दी ही समझ में आ गया क्यूँ ऐसा हो रहा था. थोड़ी ही देर में उसके पैर तपने लगे, और उसकी गर्दन जैसे जलने ही लगी थी सड़क पे खड़ा होना भी मुहाल हो रहा था. ये जगह काम करने के लिए नही थी – ये तो अर्ध नग्न हो कर सुसताने और मस्ती मारने के लिए थी. कोई आश्चर्य नही लग रहा था की मोनी को ये जगह बहुत पसंद आई थी.
मनप्रीत कौर. सोचते ही उसका दिमाग़ उसे यथार्थ में ले आया, वो यहाँ छुट्टियाँ मानने नही आई थी, जैसा की उसका सीनियर ऑफीसर सोच रहा था. वो आई थी पता करने की उसकी जुड़वा बहन मोनी के साथ क्या हुआ.
सड़क पे धीरे धीरे चलते हुए वो दुकानों पे नज़र डाल रही थी . भूख और प्यास के मारे उसका बुरा हाल था, लेकिन दोपहर में सब दुकाने बंद थी, कुछ की ब्लाइंड्स नीचे गिरी हुई थी तो कुछ ने तो शटर ही नीचे गिरा रखे थे.
कुछ भी नही खुलने वाला कम से कम दो-ढाई बजे तक. और शायद इतनी देर तक भूखा प्यासा रहना उसके बस में नही था. और उसे रात में रुकने के लिए ठिकाना भी ढूंडना था.
एक दुकान उसे खुली नज़र आई, जहाँ से कुछ आवाज़ें आ रही थी, और अच्छी सुगंध आ रही थी पेटिस और सॉसेजस की. हान लंच!!!
जैसे ही उसने अंदर कदम रखा,आह क्या ठंडक थी, सब कुछ जैसे जम गया. सब की आँखें मूड के उसपे जम गई., मुँह खुले रह गये. एक के हाथ से वाइन ग्लास छूट कर तड़क ज़मीन पे गिरा और टुकड़े टुकड़े हो गया.
‘पोर ल’अमौर डू बॉन ड्यू….!’ ( मतलब फॉर गोद’स सेक!!!)
बार के पीछे से विस्मय से भरी आवाज़ आई, एक पतला, स्लेटी रंग वाले बॉल लिए आदमी एक ग्लास में किसी तरहा की शराब डाल रहा था. उसके चेहरे पे हैरानी थी, कुछ भयभीत सा दिख रहा था.
सोनी को समझने में कुछ पल लगे की क्यूँ सभी एक दम हैरान हो गये. वो बार के काउंटर पे गई और एक 50 फ्रॅंक का नोट रखते हुए कुछ खाने का ऑर्डर दिया. ( अपने पर्स से एक इंग्लीश टू फ्रेंच की डिक्षनरी निकाली कुछ पल देखा और बोली “बोनसिउर जे म'अप्पेल्ले मॅडमज़ेल कौर . मॅडमज़ेल सोनलप्रीत कौर. “ ( गुड दे . मेरा नाम है मिस कौर. सोनलप्रीत कौर)
एक राहत भरी साँस सब ने ली और बार में फिर पहले जैसी हलचल शुरू हो गई, जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
बार मेन ने एक वाइन का ग्लास और हेम और चीज़ बर्गर सोनी के सामने रख दिया. चेंज उसके हाथ में पकड़ाते हुए बोला
‘तो मिस कौर, आप शायद बहन हैं मनप्रीत कौर की?’
सोनी ने वाइन का सिप लिया.
‘बिल्कुल ठीक. मैं यहाँ आई हूँ जानने के लिए की क्या हुआ उसके साथ. क्या आपको कुछ पता है?’
उसने सीधा बार मेन की तरफ देखा पर वो नज़रें बचाने लगा.
‘नही. यहाँ कोई नही जानता. बहुत दुख की बात है. हम सोच भी नही सकते वो कहाँ गायब हो गई. हमने पुलिस को इनफॉर्म कर दिया था…पर….’
‘ह्म्म’ सोनी हैरान थी की सबके कान उनकी बातों पे लगे हुए थे पर हर कोई उसे अवाय्ड कर रहा था.
सोनी अपने चारों तरफ के वातावरण को ले कर बहुत ही सेन्सिटिव थी. और यहाँ उसे एक अजीब सा महॉल मिल रहा था. दुश्मनी तो नही पर दोस्ती जैसा भी नही , बस अनोखा….जैसे …..शायद ….एक षड्यंत्र हो खामोशी का.
उसने सोचा की बातों का सिलसिला कुछ बदल लेना चाहिए इसी में इस वक़्त अकल्मंदी है.
‘मैं कुछ रहने का ठिकाना ढूंड रही हूँ वलाज़ूर में, क्या आसपास कुछ है यहाँ …. महँगा नही ?’
बार मेन ने कंधे उचकाय.
‘हमारे पास कुछ कमरे हैं. ल्ग्ज़ुरी नही, पर कॉम्फर्टेब्ल हैं’
‘मैं यहाँ रह सकती हूँ, कुछ रातों के लिए?’
बर्मन ग्लासस सॉफ करता रहा और सोनी की तरफ धयान ना देते हुए बोला
‘काम वू वोलेज़’ - (जैसी आपकी मर्ज़ी)
सोनी को बार मेन की ये बेरूख़ी कुछ अखरी. वो बात ही नही करना चाहता था. वो अपनी प्लेट उठा कर एक टेबल की तरफ बड़ी. सबकी नज़रें उसी पर टिकी हुई थी. वो अचानक मूडी , सब कहीं और देख रहे थे – उसमे कोई भी कोई इंटेरस्ट नही दिखा रहा था.
सोनी बिल्कुल कोने की टेबल पे चली गई, अपने बॅक पे लटका हुआ बॅग उतारा और बैठ गई. उसने अपनी नज़रें वहाँ बैठे लोगो पे डाली. ज़यादा तर सब आदमी 30-40 की उम्र के बीच के थे, एक के साथ एक औरत थी जिसने एक सफेद शॉर्ट और एक टाइट टॉप पहना हुआ था जो उसके छोटे पर उन्नत उरोज़ दर्शा रहा था. उस औरत के साथ अधेड़ उम्र का आदमी था जो उसकी झांगें सहला रहा था पर उसकी नज़रें सोनी पे ही टिक्की हुई थी.
सोनी इस अजीब से महॉल को समझने की कोशिश कर रही थी और उसे पता ही नही चला की कोई उसके पास आ के बैठ गया है, जब तक उसने एक हाथ अपने कंधे पे महसूस ना किया और उसकी आवाज़ अपने कानो में ना सुनी.
‘मिस कौर? सोनलप्रीत?’ वो इंग्लीश में बोला
‘क्या?’ सोनी एक दम मूडी और सामने एक जवान 25-26 साल का लड़का था, चेहरे पे मुस्कान , बिखरे भूरे बॉल,दोस्ती सा अपनत्व. उसने डेनिम्स और चेक शर्ट पहनी हुई थी. कमीज़ के बाजू कोहनी तक रोल किए हुए थे और शर्ट के उप्पर वाले दो बटन खुले थे.
‘सॉरी, मैने शायद आपको डरा दिया’


 ‘वेल-----‘
‘देखो ये बहुत अजीब लग रहा होगा, इतनी दूर से यहाँ तक आना, और एक बार में एक क्रेज़ी अँग्रेज़ से टकरा जाना. जैसे ही मुझे पता चला तुम कौन हो. मैं रुक नही सका, मुझे तुमसे बात करनी है’
‘किस बारे में?’
‘ह्म…….. देखो, कुछ मुश्किल है यहाँ बात करना. ये जगह सेफ नही है’
सोनी उसकी तरफ देखने लगी कुछ उत्सुकता और कुछ संशय के साथ. वो हैरान हो रही थी की वलाज़ूर में क्या हो रहा है.
‘क्या मतलब है आपका की ये जगह सेफ नही है?’

‘कुछ बातें हैं जो तुम्हें जानी चाहिए. सच में अच्छा यही होता की तुम यहाँ ना आती. पर अब जब तुम आ ही गई हो तो ……’
‘क्या आप मुझे डरना चाहते हैं?’
‘नही, कम से कम, ऐसा तो नही जैसा तुम सोच रही हो.मुझे सिर्फ़ तुम्हारी सेफ्टी की चिंता है’
‘मैं बड़ी औरत हूँ, अपना ख़याल खुद रख सकती हूँ. थॅंकयू वेरी मच’
‘हन, मुझे यकीन है मनप्रीत ने भी यही कहा था’ उसने अपने ग्लास की तरफ देखते हुए कहा.
‘क्या जानते हो आप मनप्रीत के बारे में? क्या आप जानते हो क्या हुआ उसके साथ?’
‘मैं……नही,मुझे नही मालूम. लेकिन ये कह सकते हैं मुझे कुछ शक़ है. मैं तुम्हें बता सकता हूँ जितना मैं जानता हूँ……लेकिन मैं यहाँ कोई बात नही कर सकता. मैने कॅप कार्लोट्ते में कमरा लिया हुआ है, यहाँ से कुछ मील दूर समुद्र के किनारे के पास. अगर तुम मेरे साथ चलो…….’
सोनी ने अपना सर हिल्लाया.’ एक .मिंट एक मिंट. आप जो भी हो, जो भी आपका नाम है. मैं किसी अजनबी के साथ बिल्कुल नही जानेवाली. और तब तक तो बिल्कुल नही जब तक आप मुझे कुछ और ना बताओ. और मुझे क्या पता की कहीं आप ही तो नही मोनी के गायब होने के पीछे?’
उस अजनबी ने एक लंबी साँस छोड़ी ‘ देखो मैं समझता हूँ तुम्हारे दिमाग़ में क्या चल रहा है. लेकिन जैसा मैने पहले कहा यहाँ बात करना ख़तरनाक है. मेरा नाम इवान पीटरसन है और मैं एक फ्रीलॅन्स पत्रकार हूँ.इतना ही तुम्हें बता सकता हूँ’ वो टेबल पी आगे झुका और हल्की आवाज़ में बोला ‘ इस जगह से निकल जाओ सोनलप्रीत, यहाँ मत रूको. अगर तुम रुकी, तो बाद में तुम्हें पछताना पड़ेगा’
सोनी खड़ी हो गई . उसे बातों का रुख़ अच्छा नही लग रहा था. ‘क्या आप मुझे धमकी दे रहे हो मिस्टर. इवान पीटरसन?’
इवान ने हताश होते हुए गहरी साँस ली. ‘ ये बकवास मत करो, मैं कोई धमकी नही दे रहा ना डरा रहा. मैं सिर्फ़ तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा हूँ. बस और कुछ नही’
‘ मैं अपना धयान रख सकती हूँ’ सोनी जाने के लिए मूडी.’ अगर तुम्हारे पास इतनी जानकारी है तो तुम पुलिस को क्यूँ नही बताते?’
इवान अपनी कुर्सी पे पीछे सरक गया और बालों में हाथ फेरते हुए बोला’ जाओ, जा के बात करो उनसे अपने आप सोनलप्रीत. जा के इनस्पेक्टर डेफ़रगे से मिलना. शायद तब तुम्हें कुछ समझ में मेरी बातें आए’

एक लंबी हतोत्साहित (फ्रस्ट्रेटिंग) दोपहर के बाद, शाम को सोनी फिर बार में वापस आइी.
उसे अहसास होने लगा था की उसे इवान के साथ इतना रूखा नही पेश आना चाहिए था. अब उसे समझ में आ गया था की वो लोकल पुलिस पे क्यूँ विश्वास नही कर रहा था.
उप्पर से तो वो काफ़ी मिलनसार थे – शायद मदद करने वाले भी. हाँ, वो सब कुछ कर रहे हैं मोनी को ढूँडने के लिए. नही, उनके पास कोई सुराग नही. नही, कुछ भी नही, फिर भी वो पूरी कोशिश कर रहे हैं , अगर कोई खबर मिली तो…..
लेकिन वो इनस्पेक्टर डेफ़्रागे कुछ बाधक था. कुछ ऐसा था जो वो छुपा रहा था, लगभग ऐसा संशय था जैसे मोनी के साथ कुछ बहुत बुरा हो चुका है, पर वो बता नही रहा था.
उसने सोनी पे लाइन मारने की कोशिश करी, ये कहते हुए की वो बहुत खूबसूरत है, और उसके उरोज़ को छेड़ने की कोशिश करी. ऐसा लग रहा था जैसे वलाज़ूर का हर इंसान सिर्फ़ वासना का पुजारी था.


 बार में बैठी वो अकेली वाइन पी रही थी, और सोच रही थी की आगे क्या करे. ऐसा वो क्या कर सकती है जो अब तक पुलिस ने नही किया? या वाक्य में उन्होने ने कुछ किया भी है?

शायद उसे इवान के साथ उसके रूम में जाना चाहिए था? कोई बात नही वो दुबारा ज़रूर दिखेगा.

बार का मलिक बहुत रूखा बर्ताव कर रहा था और साथ साथ नींबू के छोटे छोटे स्लाइस काटता जा रहा था.

‘तो आज कोई कामयाबी नही मिली मिस कौर?’

‘ ना आज किस्मत अच्छी नही थी’

‘तो अब हिन्दुस्तान वापस जा रही हो?’

‘अभी नही’ सोनी थोड़ी खुश और थोड़ी हताश थी, हर कोई उस से पीछा छुड़ाना चाहता था. ‘ मैं हार मानने वाली नही. अभी तो सिर्फ़ एक दिन ही हुआ है’

बार मेन के चेहरे के भाव बदल गये, कोई कस्टमर आ गया था.

‘आह मोस्यूवर सॅम्यूल!’ वो ऐसे बोला जैसे कुत्ता अपने मालिक को खुश करना चाहता हो.

वो नया आदमी लंबा, शायद 30 के करीब होगा और बहुत ही हॅंडसम, घुँगराले ,गोलडेन ब्राउन बॉल, ग्रे-ब्लू चमकती हुई आँखें और बहुत ही शार्प चेहरे के फीचर्स थे.

केसुअल कपड़ों में भी बहुत परिष्कृत ( सोफिस्टीकेटेड) लग रहा था. उसकी शर्ट और ट्राउज़र के कट बता रहे थे की वो अथलेटिक जिस्म का मालिक है.
जब वो बार के पास आया तो उसने सोनी को एक तारीफ करती हुई स्माइल दी.

सोनी ने उसकी स्माइल का जवाब सर हिल्ला के दिया, उसने एक बियर ली ग्लास में डाली, सोनी की तरफ मुड़ा और बार के काउंटर पे अपनी कोहनी टीका कर उसकी तरफ थोड़ा झुक गया.

‘मोस्यूवर’ सोनी अपने दिमाग़ की नसों के अंदर अपनी यादश्त में कुछ पहचानने की कोशिश कर रही थी. सेमुअल? ये नाम उसे सुना हुआ लग रहा था. कहाँ सुना था?

‘ ये मिस सोनलप्रीत कौर हैं, मोन्सिीएउर सेमुअल’ बार मेन ने नये आदमी की कोहनी को थोड़ा हिलाया और सोनी की तरफ इशारा किया. ‘ मनप्रीत कौर की बहन…..’

‘इनडीड’ सेमुअल ने अपना ग्लास रखा और सोनी का हाथ थाम कर थोड़ा दबाया और अपने होंठों से लगा कर किस किया.

‘आह दोनो में कितनी समानता है. मुझे इज़ाज़त दो कुछ अपने बारे में बताने के लिए. मेरा नाम सेमुअल ले रोकक़ , हिन्दी में इसलिए बोल रहा हूँ क्यूंकी मेरी मा हिन्दुस्तानी थी. मेरा एक विला गोआ में है और एक यहाँ. मोनी मेरे साथ ही यहाँ आई थी.

मोनी और मैं अच्छे दोस्त थे इस से पहले की………’ वो कुछ झिहका ‘ शायद तुम जानती हो की मोनी मेरे विला में मेरी गेस्ट थी जब वो गायब हुई’


सोनी को याद आ गया मोनी ने अपनी चिठ्ठी में सेमुअल का ज़िक्र किया था. जिसकी वो मेहमान बन कर रह रही थी. तो ये है सेमुअल. सोनी को ये अहसास हो गया की कोई भी लड़की इस इंसान के लिए पागल तक हो सकती है इतना आकर्षण था इस इंसान में……………………..

‘ क्या तुम वहाँ थे जब वो गायब हुई?’

बदक़िस्मती से नही. जब मैं अपने बिज़्नेस टूर से वापस पहुँचा तो पूर गाँव में तहलका मचा हुआ था. ऐसा अनुमान है की वो रात में कहीं निकल गई वापस ना आने के लिए.

हम सब को बहुत शॉक लगा. खास कर मुझे क्यूंकी मैं खुद को ज़िम्मेदार समझता हूँ इस सब के लिए, ना मैं उसे यहाँ ले के आता ना ये हादसा होता. मुझे बहुत दुख है. ‘ वो कुछ देर रुका अपने ग्लास से एक लंबा घूँट भरा .



 ‘ जो हो चुका है, वो हो चुका है, काश मुझे पता होता वो कहाँ गई है , और वापस आएगी या नही’
सोनी का दिल उछल पड़ा ये जान कर की ये मोनी का दोस्त था, शायद उसका प्रेमी भी. मोनी की दोस्ती हमेशा इंटिमेट हुआ करती थी. खैर जो भी इनका आपस में रिश्ता था , ये तो सॉफ था की सेमुअल, कितना भी चार्मिंग हो, उसका कोई हाथ नही था मोनी के गायब होने में.

‘मिस……..?’

‘ मुझे सोनी कह कर बुलाओ, मुझे लगता है जैसे मैं तुम्हें जानती हूँ – अपनी बहन के द्वारा’

‘ बिल्कुल सोनी, मैं सोच रहा था … क्या तुम रात को यहीं रुक रही हो?’

‘हां’

‘ अगर तुम रात को मेरे साथ मेरे विला में डिन्नर करो तो मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत समझूंगा’

सोनी के जिस्म में एक ठंडी सिहरन फैलती चली गई, जिसका खुले दरवाजे से आती हुई ठंडी हवा से कोई लेना नही था. सेमुअल, वाक्य में एक आकर्षक आदमी था, चोडी छाती, उभरी हुई सकत मास्सपेशियाँ, भारी सेक्सी आवाज़, उसके कामुक होंठ सामने वाले के होंठों को अपनी और खींचते हैं चुंबन के लिए.

उसकी आँखों में जो चमक थी वो सॉफ सॉफ उसका रुझाव सोनी की तरफ दिखा रही थी.

अगर वो उसके साथ डिन्नर के लिए उसके विला गई, कौन कह सकता है क्या दोनो के बीच हो जाएगा?
लेकिन रूको……ये आदमी मोनी का दोस्त है, नही उसका प्रेमी. ये ठीक नही होगा. उसे नही जाना चाहिए, बिल्कुल नही.

‘वेल……’वो मुस्कुराइ , उत्तेजना की सिहरन ने उसे हिला दिया और वो खुद को बोलते हुए सुनी ‘ शुक्रिया सेमुअल, मुझे बहुत खुशी होगी’

सेमुअल का विला वलाज़ूर के एक दम कोने में था ऑलिव और नीम्बो के पेड़ों से घिरा हुआ चारों और द्रखतों से भरे हुए पहाड़.

सोनी ने ऐसा विला आज तक नही देखा था, किसी मॅगज़ीन के कवर पे भी नही. वो किसी ल्ग्ज़ुरी होटेल की तरहा फैला हुआ लग रहा था न की किसी एक आदमी का घर. एक लंबी ड्राइववे पे घूमते हुए वो पहुँचे और उसने कार विला के सामने रोक दी.

‘मेरे पास और भी कार हैं पर इसमे कुछ रोमॅन्स का मज़ा जिंदगी में जुड़ जाता है, तुम क्या सोचती हो?’

‘मैं……हाँ’ सोनी को लगा जैसे उसकी ज़ुबान पे ताला लग गया हो, वो इस हालत में नही थी की मोनी के बारे में कुछ सवाल पूछ सके. बार में उसने उसे खूब शेम्पेन पिलाई थी, जो सोनी के लिए ल्ग्ज़ुरी थी, पर सेमुअल के लिए जिंदगी की ज़रूरत.

सेमुअल ने जब उसका दरवाजा खोला तो उसे अपना सर हल्का लग रहा था ऐसा नही के नशा चॅड गया हो, वो कार से बाहर निकली और हल्के सरूर में थी, सारे संकोच वो भुला चुकी थी ………और विशाल.

एक काले सूट में बट्लर इंतज़ार कर रहा था उनके कोट लेने के लिए और उन्हें सिट्टिंग रूम में ले जाने के लिए.सिट्टिंग रूम में दुनिया की नायाब आर्ट कलेक्षन थी. कोई डाइनिंग टेबल नही थी.. दीवार के साथ एक छोटी साइड टेबल थी सफेद कपड़े से ढकी हुई और चाँदी की चमकती हुई कट्लरी.

‘प्लीज़ सोनी, आराम से बी कंफर्टेब्ल. क्या तुम ड्रिंक लेना चाहोगी जब तक जोसेफ डिन्नर ले के आता है.?’
‘नही मुझे नही लगता मुझे और लेनी चाहिए, इतनी पहले लेने……..’

‘नॉनसेन्स, शेम्पेन कोई मना करता है, इससे कोई नशा नही होता’ वो टेबल के पास गया और बरफ में लगी हुई बॉटल उठा कर उसका कॉर्क खोलने लगा ---- कोई शक़ नही – जोसेफ को तेलिपेथि द्वारा मेसेज मिल चुका होगा बॉटल को बरफ में लगाने के लिए.

‘ओह सेमुअल, नही सच मुझे नही लेनी चाहिए, ज़यादा शेम्पेन. मेरे ख़याल से मैं पहले ही बहुत ले चुकी हूँ.

उसने उसकी आँखों में देखा और उसे अचानक ऐसा लगा की वो खो चुकी है, तैरती जा रही वासना के समुद्र में’

‘शेम्पेन से कभी किसी का दिल नही भरता, और ना ही प्यार भारी रातों से एक खूबसूरत लड़की के साथ’

उसके शब्द एक तेज़ सर्जिकल छुरी की तरहा उसके दिल को चीर कर , बेरहमी से देख रहे थे, ढूंड रहे उसके अंदर छुपी वासना को और उसे नंगा कर बाहर निकाल रहे थे.

वो महसूस कर रही थी की जो भी थोड़ी बहुत प्रतिरोधिक क्षमता उसके अंदर बची थी वो हर पल कमजोर पड़ती जा रही थी.
उसने अपने आप को समेटने की कोशिश करी और अपनी आवाज़ धीमी और शांत कर ली.

‘क्या ये तुम्हारी जिंदगी का सिधान्त है सेमुअल?’

वो हस पड़ा, लेकिन उसके पीछे एक गहराई थी संजीदगी की, आनंद की पर, उसकी ब्लू-ग्रे आँखें शनील की तरहा नर्म , और बहुत, बहुत अपनी तरफ खींचती हुई.

‘जिंदगी के लिए, प्यार के लिए …………सबके लिए, हर चीज़ के लिए., मैं जिंदगी को खुल के पूरा जीना चाहता हूँ और मज़े लेने चाहता हूँ हर अच्छी चीज़ के और जैसे ये शॅंपेन उधारण के लिए सबसे बाड़िया है जो पैसा खरीद सकता है.और तुम, मेरी प्यारी सोनी, अत्यधिक सुंदर औरत हो.’

इस बार सोनी ने उसकी आँखों में गौर से देखा, उसे लगा उसके अंदर उत्तेजना फूट के बाहर आ रही है जैसे पानी किसी डॅम से फूट कर निकलता है, उसका प्रतिरोध टूट रहा था, मजबूर हो रही थी वो मानने के लिए, उसका जिस्म जवाब दे रहा था पूरे ज़ोर से खुशी के साथ सेमुअल को.


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