FUN-MAZA-MASTI
मालती एक कुतिया --13
आज के दिन का इंतज़ार पिछले 15 दिन से सब कर रहे थे... आज चुनाव का परिणाम आना था! सुबह से ही पार्टी ऑफिस में भीड़ थी! सबको बस इंतज़ार था तो फाइनल रिज़ल्ट का!
लल्लन जी की जीत में किसी को शक नहीं था... और जब परिणाम आया तो हुआ भी यही! लल्लन जी एक बार फिर जीत चुके थे... लल्लन के साथ साथ लल्लन के वो सारे साथी भी जीत गए थे जो कि उसके बाहुबली कुनबे में थे! होली-दिवाली जैसा माहौल था पूरे खेमे में! मालती अपने हाथों से सबको मिठाई बाँट रही थी... शहर में भी जगह जगह मिठाई बंट रही थी.... समर्थक ढोल-नगाड़े बजा रहे थे... पटाखे फोड़ रहे थे! लल्लन के पास बधाइयो के लिए फोन पे फोन आ रहे थे!
लल्लन की ख़ुशी का भी ठिकाना नहीं था... उसे अपनी जीत का विश्वास तो पहले से था... पर उसके साथीयों के जीत जाने से उसकी ताकत और भी बढ गई थी!
सेलिब्रेशन के बाद की सियासत अब शुरू हो चुकी थी!ये तो पक्का था कि अगली सरकार लल्लन जी के समर्थन के बिना नहीं बन सकती, इसलिए लल्लन का गुरूर भी सातवें आसमान पर था... वो किसी कीमत पर समझौता करने को तैयार नहीं था! मालती सुबह से फोन रिसीव कर कर के थक चुकी थी! लल्लन ने मालती को बुलाया और अपने साथियों के साथ एक मीटिंग फिक्स करने को कहा!
मालती ने सबको खुद फोन करके बुलाया!
मीटिंग कम सक्सेस पार्टी जादा थी ये.... अगले दिन शाम को सारे बाहुबली इकट्ठे हुए! फार्महाउस के टैरेस पर बैठका लगा! और फिर सियासत के पत्ते खुले! लल्लन अपने 6 साथी विधायकों के साथ आगे की रणनीति बना रहा था!
( विधायकों के नाम- जनार्दन चौधरी, चन्दन चतुर्वेदी, अब्दुल खलीफा, अब्बास सुल्तान, रॉकी और फैज़ल खान)
सबने अपनी अपनी बात रखी... और फिर करीब दो घंटे बाद आम सहमति भी बन गई!
“लल्लन जी इजाज़त हो तो शैम्पेन खुलवाई जाए....” चौधरी बोला!
“हाँ हाँ क्यों नहीं...” लल्लन बोला और फिर अपने पास खड़ी मालती को इशारा किया! मालती मुस्कुराई और नज़ाकत के साथ शैम्पेन निकाल कर ले आई... और लल्लन जी को पकड़ा दी!
एक चाँद ऊपर आसमान में निकला हुआ था और एक चाँद इस महफ़िल को भी रौशन कर रहा था... मालती की मौजूदगी से सबका हृदय मचल रहा था... पर लल्लन जी की वजह से किसी में हिम्मत नहीं थी कि वो एक शब्द बोल सके मालती के बारे में!
लल्लन जी ने शैम्पेन ली और टक्क से खोल दी...सबने ख़ुशी का इज़हार किया... और फिर बोतल मालती को पकड़ा दी... मालती ने सबको शैम्पेन दी!
“लल्लन जी आपका सिक्का एक बार फिर चल गया!” फैज़ल बोला!
“अरे लल्लन जी का सिक्का नहीं चलेगा तो किसका चलेगा... जनता मानती है लल्लन जी को” चतुर्वेदी ने मलाई लगाते हुए कहा!
सब शैम्पेन का आनंद ले रहे थे.... पर अब्दुल खलीफा की नजरें रह रह कर मालती पर जा कर टिक रही थी.... संयम हो नहीं रहा था अब्दुल खलीफा से!
“लल्लन जी... इस ख़ुशी के मौके पर कुछ नाच गाना तो बनता है...” रॉकी बोला!
“बात तो जबरजस्त बोली है तुमने... वो साला इतना व्यस्त हो गए कि इसका इंतजाम करवाना ही भूल गए” लल्लन बोला!
“क्या लल्लन जी... आपके लिए कुछ नामुमकिन है क्या? आप चाहो तो अभी रंडी प्रकट हो जाए हमारे मनोरंजन खातिर” अब्बास बोला!
इस पर सब ठहाके मार के हंसे....
“हाहाहा... अब तो साला इंतजाम करना ही पड़ेगा....” लल्लन बोला...
लल्लन ने फोन उठाया और अफ़रोज को मिलाया....
“अबे वो एमबीए वाली लौंडिया जो उस दिन लाये थे... इंतजाम हो सकता है क्या अभी उसका?””
“सरकार अचानक.... सरकार थोड़ा टाइम लगेगा... कम से कम तीन चार घंटा तो लग ही जायेगा उसे रेडी करने में”
“अरे उठा लाओ साली को... रेडी क्या करना है”
“हाहा... सरकार फिर भी कम से कम 3 घंटा तो लग ही न जायेगा...”
“माँ चुदाओ भोसड़ी के फिर तुम अपनी...”
और लल्लन ने फोन काट दिया!
“साला कह रहा है कि दू-तीन घंटा लगेगा” लल्लन ने फ्रस्ट्रेट होते हुए कहा...
“अरे लल्लन जी... आपके होते हुए....लौंडिया का कमी पड़ जाए... ऐसा कैसे...” चौधरी बोला!
अब तो नाच गाना हो के रहेगा... लल्लन की इज्ज़त पर आ गई थी अब!
आज किसी की आबरू लुटने वाली थी... वो भी खुले आसमान के नीचे....!
लल्लन ने मालती का हाथ पकड़ा और उसे अपनी जांघ पर बिठा लिया...
“उस दिन क्या बता रही थी तुम— कालिज में लीड डांसर हुआ करती थी...?”
“लल्लन जी... कैसी बातें कर रहे हैं... सेक्रेटरी हूँ आपकी...”
“अरे तो हम कौन सा कह रहे हैं की नौकरानी हो हमारी... अब देखो कठिन घड़ी है हमारे लिए... इतना तो कर ही सकती हो... अरे भंड हैं सब, सुबह किसी को याद नहीं रहेगा कि मालती नाची थी या कलावती.... जरा जलवा बिखेरो इनके सामने भी..” लल्लन ने थोड़ा समझाया!
“पर लल्लन जी...” मालती बोली!
“बेहेन की लौड़ी... पर वर छोड़ और चेंज कर के आ 10 मिनट के अन्दर...” लल्लन ने गुस्से में कहा!
मालती के पास अब और कोई रास्ता था भी नहीं... मरती क्या न करती... थोड़ी शर्म-लाज जो बचाई हुई थी अब तक उसने आज वो भी लल्लन जी पर न्योछावर कर दी उसने... वो उठी और किसी रांड की तरह मटकती हुई नीचे चेंज करने चली गई!
नीचे उसने अल्मिरा खोली... और सबसे सेक्सी घाघरा चोली निकाली!
मैरून-हरे और नीले रंग का घाघरा जो उसके घुटनों के नीचे तक आता था, जिसे उसने कुछ ज्यादा ही नीचे से पहन रखा था... और चोली ऐसी कि देखने वालों की आँखों से लार टपक जाए.... अपनी उमर से 15 साल जवान लग रही थी वो आज!
आँखों में सुरमा- और होंटों पर लाली लगा कर वो तैयार थी... खुद को आईने में देख कर वो सब कुछ भूल गई... उसे याद था तो बस ये कि लल्लन जी ऊपर उसका इंतज़ार कर रहे है! खुद को आखिरी बार आईने में देखा और फिर वो टैरेस की ओर चल दी....
मालती को सामने देख कर सबकी आँखे खुली की खुली रह गई...
किसी के मुह से सुभानअल्ला निकला तो किसी के मुह से हवस भरे दो शब्द, तो किसी का मुह खुला का खुला रह गया...!
“आजा मेरी रानी....” लल्लन ने मालती को इशारा किया!
मालती मटकती हुई लल्लन जी के पास पहुची और फिर लल्लन जी को झुक कर चूम लिया!
“आप लोगों के लिए थोड़ी और शराब लाऊं...” मालती ने बाकी लोगों से पूछा!
“अरे मोहतरमा आप किसी शराब से कम हैं क्या... आपके हुस्न का नशा ही काफी है” अब्दुल खलीफा बोला!
“अरे अब्दुल भाई आप तो आशिकाना हो गए.... जरा भावनाओं को काबू में रखिये...” रॉकी हँसते हुए बोला.... –“अभी पी ही कितनी है... ख़ुशी का मौका है आज.... एक और खम्बा खुलेगा...”
मालती मुस्कुराई... और मिनीबार से एक बोतल निकाल लाइ...
“मेरे लिए नीट...” लल्लन धीरे से बोला!
मालती मुस्कुराई और फिर सबको मदिरा परोसी!
लल्लन जी उठे और म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया...
“नाच मेरी बुलबुल तुझे पैसा मिलेगा.... हाहाहा...” लल्लन ने मालती को बीच में धकेलते हुए कहा.... शराब का नशा सर चढ़ कर बोल रहा था लल्लन के सर पर!
मालती के बीच में आते ही सबने अपनी नज़रें उस पर जमा लीं...
...मैं आई हूँ यूपी बिहार लूटने.... मालती ने ठुमके लगाने शुरू किये! उफ्फ्फ... लल्लन जी तो उसका नाच देख कर होश हो बैठे... लौड़ा हाथ में ले लिया... बाकी सबका भी लगभग यही हाल था... मालती के मुजरे ने सोये हुए शेरों को जगा दिया था... सब उसे बस एक बार चोदना चाहते थे...
फैज़ल उठा और मालती के साथ नाचने लगा और उसके ऊपर पैसे उड़ाने लगा... फैज़ल को ऐसा करते देख बाकी से भी रहा नहीं गया, बाकी भी आधे नशे में नाचने लगे और पैसे उड़ाने लगे...
लल्लन का शैतानी दिमाग आज कुछ ज्यादा ही शैतान हो रहा था आज... मालती को उन सबके साथ नाचता देख उसे एक अलग ही मजा आ रहा था! वो उठा और मालती के पास नाचते हुए गया और उसके घाघरे का नारा खींच दिया....
मालती का घाघरा नीचे सरक चुका था अब... उसने लल्लन जी की ओर देखा...मानो शिकायत कर रही हो...
लल्लन जी मुस्कुराए... “हमारी महफ़िल में लौंडियाँ नंगी ही नाचती हैं...”
लल्लन जी की इस बात पर बाकी सब हंसे.... और फिर थोड़ा हौसला दिखाते हुए अब्बास ने पीछे से उसकी चोली की डोरी खींच दी...
मालती ने नाचते हुए ही अपनी चोली उतारी और फैज़ल के ऊपर फेंक दी...
अब सब वापस अपनी अपनी जगह पर बैठ चुके थे... मालती केवल ब्रा-पैन्टी में हौले हौले ठुमके लगा रही थी...
“हाय क्या माल है....साली...” चतुर्वेदी बोला!
“गांड तो देखो साली की... लल्लन जी खूब मेहनत की है आपने...” रॉकी अपना लंड मसलते हुए बोला!
“अरे रांड है हमारी... रोज दो बार चुद्वाती है हमसे” लल्लन अपनी जांघ पर हाथ फेरते हुए बोला!
“लल्लन जी... लल्लन जी.... लौड़ा खड़ा कर दिया इसने हमारा..” चौधरी ने अपना लंड ये कहते हुए पकड़ लिया!
“माँ कसम अगर लल्लन जी इजाज़त दे दें तो अभी गांड मार लूं इस छिनार की” फैज़ल हवस भरी आवाज में बोला!
मालती की चूचियां ये सब सुन के तन चुकी थी... वो नाच रही थी... लल्लन और उसके दोस्तों की आँखों से चुदते हुए नाच रही थी!
“रुक...” लल्लन ने जोर से बोला.... मालती सहम कर रुक गई...
“सुन रही है क्या कह रहे हैं ये सब?”
“जी...”
“बोल... दे दूं इजाज़त?”
मालती मासूमियत भरी निगाहों से लल्लन को देख रही थी.. मनो गुजारिश कर रही हो कि “नहीं”...!
“हाहाहा... वैसे इस ख़ुशी के मौके पर अपने दोस्तों को दुखी तो नहीं करूंगा...” लल्लन जी बोले!
“बोल चुद्वायेगी न?”
“आप कहो तो जान दे दूं अपनी...”
“जान नहीं जानेमन... गांड देदे... गांड... हाहाहा...” लल्लन हँसते हुए बोला... बाकी सब भी लल्लन की इस बात पर हंसे....
“थीक है जी ले लो मेरी गांड.. पर शर्त है मेरी भी... आप में से केवल 4 से चुदवाउंगी... अब डिसाइड कर लो कौन कौन चोदेगा मुझे...” मालती नखरे के साथ बोली...
“सिर्फ चार? हाहाहा.... देखो देखो... रण्डी के नखरे देखो.... सब चोदेंगे तुझे... समझी....” रॉकी बोला!
आलम यह था मानो किसी पामेरियन कुतिया को लैब्राडोर कुत्तों के बेड़े में छोड़ दिया गया हो!
आज की रात रंगीनियाँ परवान चढ़ने वाली थीं... मालती की जवानी!
“देख... तू चुदेगी तो हम सबसे... पर एक और एक साथ तो हम चोदेंगे नहीं... अब तू ही बता कि किससे चुदेगी पहले” लल्लन शराब के नशे में बहकते हुए बोला... और मालती की गांड पर चपेट मारी...
“क्या लल्लन जी... अब रांड बताएगी कौन किससे चुदेगी पहले? हम ही डिसाइड करेंगे... क्यों दोस्तों...” रॉकी बोला... सबने रॉकी की बात पर सहमति जताई...!
“देखो भाई पहला हक तो हमारा ही है इस छिनार पर... लेकिन आप लोग मेहमान हो तो इसलिए कोई अच्छा तरीका बताओ किसका नंबर पहले आये?
“देखो भाई पहला हक तो हमारा ही है इस छिनार पर... लेकिन आप लोग मेहमान हो तो इसलिए कोई अच्छा तरीका बताओ किसका नंबर पहले आये?” लल्लन जी ने अपनी मूछें उमेठते हुए कहा...
चौधरी जी टपाक से बोल- “देखो भाइयो, अब सबर नहीं हो रहा... जल्दी बताओ कोई तरीका!”
अब्दुल ख़लीफा: “माशाअल्लाह लंड फटा जा रहा है मोहतरमा के लिए”
अब्बास: “अब तुम सब सपने ही देखते रहोगे या कोई कुछ बताएगा भी? इस छिनार को कौन चोदेगा पहले?”
मालती ये सब सुन रही थी... अपने ऊपर पड़ रही उन प्यासी नज़रों की हवस को समझ रही थी वो... इस सब में उसे मजा आ रहा था, खुश तो वो भी बहोत थी सबकी जीत से... और फिर उस जीत के लिए, लल्लन जी की ख़ुशी के लिए... एक रात तो वो भी कुर्बान कर सकती है... और फिर इसमें हर्ज ही क्या है? आस पास के इलाके के सबसे ताकतवर- रुतबेवाले- दबंग मर्दों को मजे देने में उसे भी तो मजे आयेंगे न!
उनमे से किसी को भी कोई तरकीब नहीं सूझी... सूझेगी भी कैसे... सब दो-दो पेग डाउन जो थे... और सबके सर में सवार था मालती की चूत का नशा!
मालती ने बची हुई शर्मोहया को अपनी गांड में डाला और मटकती हुई सबके बीच में पहुची- “आप लोगों की इजाज़त हो तो मैं एक तरीका बताऊँ?” मालती ने सेक्सी अंदाज में रिक्वेस्ट की!
“बता मेरी रानी... इंतज़ार किसका कर रही है...” लल्लन जी बोले!
“उम्म्म... आप लोग कार्ड्स क्यों नहीं खेलते? जो जीता वो चोदेगा मुझे... और बाकी टाइम में बाकी बचे लोग कार्ड्स खेलेंगे!” मालती बोली!
“अरे नहीं नहीं... ऐसे तो फिर फैज़ल ही चोदता रहेगा तुझे स्सारी रात” चतुर्वेदी थोड़ा परेशान होते हुए बोला!
सब हंस पड़े... सबको पता था कि ताश की बाजी में फैज़ल को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था!
“हाहाहा... चतुर्वेदी जी... वो तो वैसे भी हम ही चोदेंगे इन्हें रात भर... वो क्या है न की हमें आपकी तरह डायबटीज की बीमारी नहीं है” फैज़ल चतुर्वेदी के मजे लेते हुए बोला!
फैज़ल की इस बात पर सबने फिर से ठहाके लगाए!
“ओहो चतुर्वेदी जी... ये नम्बरिंग का तरीका है... एक बार जिसका नंबर आ गया, फिर दोबारा वो नहीं खेलेगा” मालती चतुर्वेदी को समझाते हुए बोली!
“मानना पड़ेगा लल्लन जी... कमाल की रखैल है आपकी... हुस्न का हुस्न और साथ में इतना गजब का दिमाग” चतुर्वेदी बोला!
चौधरी- “हाँ तो ठीक है फिर ये फाइनल... लाओ भाई ताश की गड्डी लाओ”
फैज़ल मुस्कुराया और अपने काले रेशमी कुरते की बाईं जेब से धीरे से ताश की गड्डी निकाली और मालती की ओर बढ़ा दी!
“क्या बात है फैज़ल जी... आप तो सच में उस्ताद निकले” मालती गड्डी लेते हुए बोली...
“वो तो बिस्तर पे पता चलेगा..” फैज़ल ठरक के साथ बोला!
मालती गड्डी हाथ में लेकर उसे फेंट रही है और सबके पास जा कर अपने हुस्न के जलवे भी बिखेर रही है!
“सोच क्या रही है जानेमन... बता कौन सा खेल खेलना है?” चौधरी बोला!
“उम्म्म... मैं ये सोच रही थी की जब मैं आपमें से किसी एक से चुद रही हूंगी... तो आप लोग क्या करोगे?” मालती छेड़ते हुए बोली!
“साली ब्लू फिल्म बनायेंगे तेरी.... बेहेन की लौड़ी कितना तडपाएगी?” लल्लन जी थोड़ा क्रोध में बोले!
मालती मुस्कुराई... वो मजे ले रही थी... सिचुएशन को वो समझ रही थी... वो ये अच्छी तरह जान चुकी थी कि सब एक साथ तो नहीं चोदेंगे उसे... और वो ये भी अच्छी तरह से जानती थी कि लाइन में लगे लोगों में से कुछ तो दो मिनट भी नहीं टिकेंगे उसके हुस्न के आगे...!
उसने म्यूजिक फिर से स्टार्ट कर दिया... और फिर ताश की गड्डी फैज़ल को दे दी... “फैज़ल जी आप ही डिसाइड करिए कौन सा गेम खेलना है..”
“तीन पत्ती... तीन पत्ती खेलेंगे...” अब्दुल खलीफा पीछे से बोला!
अब्दुल खलीफा, जैसा कि आप लोग जानते हैं कि उस दिन के रोडशो से ही मालती के हुस्न का दीवाना हो गया था...वो मालती को अकेले भोगना चाहता था... पर किस्मत.. लल्लन जी ने अपनी सेक्रेटरी की जवानी सबके हवाले कर दी..!
“इतना समय नहीं है हमारे पास...” लल्लन जी बोले!
रॉकी इतने में उठा और मेज पर रखी शैम्पेन की खाली बोतल उठाई... और मालती को पकड़ा दी- “इसे घुमा... और बोतल का मुह जिसकी तरफ रुका... उसकी बारी पहली”
मालती ने धीरे से बोतल पकड़ी... और लल्लन जी की तरफ इजाज़त मांगती नज़रों से देखा!
लल्लन जी- “वाह क्या तरीका निकाला है... और मालती को इशारा करके अपने पास बुलाया...”
मालती लल्लन जी की गोद में बैठ गई!
“साली मेरी रांड है तू... समझी... इन सबकी इज्ज़त लेके छोड़ियो... और हाँ एक बार कोई आउट हो तो दोबारा बैटिंग का मौका नहीं मिलना चाहिए किसी को... समझी... सिर्फ एक बार! आउट मतलब आउट! समझी..” लल्लन जी मालती की जांघ पर हाथ फिराते हुए बोले!
मालती ने हाँ में सर हिलाया... और लल्लन जी के गाल पर एक चुम्मी रख दी!
“चल अब बता इन सबको.. और खेला शुरू कर!” लल्लन बोला और मालती को महफ़िल के बीच में धकेल दिया!
मालती ने सबको प्यार भरी नज़रों से देखा और फिर बोतल को जमीन पर रखा...
“हाँ तो मेरे हुस्न के दीवानों... तैयार हैं आप लोग मेरे हुस्न की नीलामी के लिए?” मालती थोड़े शायराना अंदाज में बोली!
“हाँ मेरी रानी”...” “बोतल घुमा छाम्म्मकछल्लो” सबने हामी भरी!
“उम्म्म... घुमाती हूँ... घुमाती हूँ... पर पहले खेल के नियम तो सुन लीजिये?” मालती बोली!
“चुदाई में कोई नियम नहीं होते मेरी रानी... जिसका घोड़ा जितनी देर तक चला वो ही असली मर्द” चौधरी ने ठसक के साथ कहा!
“हाँ चौधरी जी... मैं भी वही कह रही थी... की अगर कोई एक बार आउट होता है तो उसे दुबारा बैटिंग का मौका नहीं मिलेगा... ये हुस्न आपके हवाले सिर्फ एक बार!” मालती बोली...
“मंजूर है मेरी अनारकली... चल अब तू बोतल घुमा!” फैज़ल बोला
मालती मुस्कुराई... और फिर बोतल को पकड़कर जोर से गोल गोल घुमा दिया!
सबकी आँखे बोतल पर टिकी हुई थी... मालती ऊपर वाले से दुआ कर रही थी...
और फिर बोतल रुकी...
और बोतल का मुह था- चन्दन चतुर्वेदी की तरफ!
मालती की नज़रें चन्दन चतुर्वेदी की ओर थीं... चन्दन चतुर्वेदी तो जैसे अपनी किस्मत पर उचल ही पड़ा!
“किस्मत के धनी है चतुर्वेदी जी....” लल्लन बोला!
“सिर्फ किस्मत के...” फैज़ल ने पीछे से टांट मारा!
फैज़ल की बात पर सब दबे मुह हंसे...
(ओह चतुर्वेदी जी के बारे में बताना तो मैं भूल ही गई... चन्दन चतुर्वेदी... पुश्तैनी हलवाई का इकलौता बेटा... दबंग नेता, लड़कियों का शौक़ीन...छोटे कद का, थोड़ा सा पेट निकला हुआ, और ऊपर से डायबटीज़, तो अब स्ट्राइक रेट थोड़ा कम हो गया है चतुर्वेदी जी का..!)
मालती मटकती हुई चतुर्वेदी जी के पास गई... और फिर चतुर्वेदी जी के गाल को सबके सामने चूम लिया... और फिर चतुर्वेदी जी को देखते हुए धीरे धीरे सीढियां उतरने लगी! चतुर्वेदी जी अभी भी वहीँ बैठे हुए थे!
“अरे जाओ चतुर्वेदी.... अब सोच क्या रहे हो...” लल्लन बोला!
चतुर्वेदी जी ख्वाबों से बाहर आये और फिर मुस्कुराकर खड़े हुए और वो भी मालती के पीछे पीछे सीढ़ियों से नीचे उतर गए!
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आज के दिन का इंतज़ार पिछले 15 दिन से सब कर रहे थे... आज चुनाव का परिणाम आना था! सुबह से ही पार्टी ऑफिस में भीड़ थी! सबको बस इंतज़ार था तो फाइनल रिज़ल्ट का!
लल्लन जी की जीत में किसी को शक नहीं था... और जब परिणाम आया तो हुआ भी यही! लल्लन जी एक बार फिर जीत चुके थे... लल्लन के साथ साथ लल्लन के वो सारे साथी भी जीत गए थे जो कि उसके बाहुबली कुनबे में थे! होली-दिवाली जैसा माहौल था पूरे खेमे में! मालती अपने हाथों से सबको मिठाई बाँट रही थी... शहर में भी जगह जगह मिठाई बंट रही थी.... समर्थक ढोल-नगाड़े बजा रहे थे... पटाखे फोड़ रहे थे! लल्लन के पास बधाइयो के लिए फोन पे फोन आ रहे थे!
लल्लन की ख़ुशी का भी ठिकाना नहीं था... उसे अपनी जीत का विश्वास तो पहले से था... पर उसके साथीयों के जीत जाने से उसकी ताकत और भी बढ गई थी!
सेलिब्रेशन के बाद की सियासत अब शुरू हो चुकी थी!ये तो पक्का था कि अगली सरकार लल्लन जी के समर्थन के बिना नहीं बन सकती, इसलिए लल्लन का गुरूर भी सातवें आसमान पर था... वो किसी कीमत पर समझौता करने को तैयार नहीं था! मालती सुबह से फोन रिसीव कर कर के थक चुकी थी! लल्लन ने मालती को बुलाया और अपने साथियों के साथ एक मीटिंग फिक्स करने को कहा!
मालती ने सबको खुद फोन करके बुलाया!
मीटिंग कम सक्सेस पार्टी जादा थी ये.... अगले दिन शाम को सारे बाहुबली इकट्ठे हुए! फार्महाउस के टैरेस पर बैठका लगा! और फिर सियासत के पत्ते खुले! लल्लन अपने 6 साथी विधायकों के साथ आगे की रणनीति बना रहा था!
( विधायकों के नाम- जनार्दन चौधरी, चन्दन चतुर्वेदी, अब्दुल खलीफा, अब्बास सुल्तान, रॉकी और फैज़ल खान)
सबने अपनी अपनी बात रखी... और फिर करीब दो घंटे बाद आम सहमति भी बन गई!
“लल्लन जी इजाज़त हो तो शैम्पेन खुलवाई जाए....” चौधरी बोला!
“हाँ हाँ क्यों नहीं...” लल्लन बोला और फिर अपने पास खड़ी मालती को इशारा किया! मालती मुस्कुराई और नज़ाकत के साथ शैम्पेन निकाल कर ले आई... और लल्लन जी को पकड़ा दी!
एक चाँद ऊपर आसमान में निकला हुआ था और एक चाँद इस महफ़िल को भी रौशन कर रहा था... मालती की मौजूदगी से सबका हृदय मचल रहा था... पर लल्लन जी की वजह से किसी में हिम्मत नहीं थी कि वो एक शब्द बोल सके मालती के बारे में!
लल्लन जी ने शैम्पेन ली और टक्क से खोल दी...सबने ख़ुशी का इज़हार किया... और फिर बोतल मालती को पकड़ा दी... मालती ने सबको शैम्पेन दी!
“लल्लन जी आपका सिक्का एक बार फिर चल गया!” फैज़ल बोला!
“अरे लल्लन जी का सिक्का नहीं चलेगा तो किसका चलेगा... जनता मानती है लल्लन जी को” चतुर्वेदी ने मलाई लगाते हुए कहा!
सब शैम्पेन का आनंद ले रहे थे.... पर अब्दुल खलीफा की नजरें रह रह कर मालती पर जा कर टिक रही थी.... संयम हो नहीं रहा था अब्दुल खलीफा से!
“लल्लन जी... इस ख़ुशी के मौके पर कुछ नाच गाना तो बनता है...” रॉकी बोला!
“बात तो जबरजस्त बोली है तुमने... वो साला इतना व्यस्त हो गए कि इसका इंतजाम करवाना ही भूल गए” लल्लन बोला!
“क्या लल्लन जी... आपके लिए कुछ नामुमकिन है क्या? आप चाहो तो अभी रंडी प्रकट हो जाए हमारे मनोरंजन खातिर” अब्बास बोला!
इस पर सब ठहाके मार के हंसे....
“हाहाहा... अब तो साला इंतजाम करना ही पड़ेगा....” लल्लन बोला...
लल्लन ने फोन उठाया और अफ़रोज को मिलाया....
“अबे वो एमबीए वाली लौंडिया जो उस दिन लाये थे... इंतजाम हो सकता है क्या अभी उसका?””
“सरकार अचानक.... सरकार थोड़ा टाइम लगेगा... कम से कम तीन चार घंटा तो लग ही जायेगा उसे रेडी करने में”
“अरे उठा लाओ साली को... रेडी क्या करना है”
“हाहा... सरकार फिर भी कम से कम 3 घंटा तो लग ही न जायेगा...”
“माँ चुदाओ भोसड़ी के फिर तुम अपनी...”
और लल्लन ने फोन काट दिया!
“साला कह रहा है कि दू-तीन घंटा लगेगा” लल्लन ने फ्रस्ट्रेट होते हुए कहा...
“अरे लल्लन जी... आपके होते हुए....लौंडिया का कमी पड़ जाए... ऐसा कैसे...” चौधरी बोला!
अब तो नाच गाना हो के रहेगा... लल्लन की इज्ज़त पर आ गई थी अब!
आज किसी की आबरू लुटने वाली थी... वो भी खुले आसमान के नीचे....!
लल्लन ने मालती का हाथ पकड़ा और उसे अपनी जांघ पर बिठा लिया...
“उस दिन क्या बता रही थी तुम— कालिज में लीड डांसर हुआ करती थी...?”
“लल्लन जी... कैसी बातें कर रहे हैं... सेक्रेटरी हूँ आपकी...”
“अरे तो हम कौन सा कह रहे हैं की नौकरानी हो हमारी... अब देखो कठिन घड़ी है हमारे लिए... इतना तो कर ही सकती हो... अरे भंड हैं सब, सुबह किसी को याद नहीं रहेगा कि मालती नाची थी या कलावती.... जरा जलवा बिखेरो इनके सामने भी..” लल्लन ने थोड़ा समझाया!
“पर लल्लन जी...” मालती बोली!
“बेहेन की लौड़ी... पर वर छोड़ और चेंज कर के आ 10 मिनट के अन्दर...” लल्लन ने गुस्से में कहा!
मालती के पास अब और कोई रास्ता था भी नहीं... मरती क्या न करती... थोड़ी शर्म-लाज जो बचाई हुई थी अब तक उसने आज वो भी लल्लन जी पर न्योछावर कर दी उसने... वो उठी और किसी रांड की तरह मटकती हुई नीचे चेंज करने चली गई!
नीचे उसने अल्मिरा खोली... और सबसे सेक्सी घाघरा चोली निकाली!
मैरून-हरे और नीले रंग का घाघरा जो उसके घुटनों के नीचे तक आता था, जिसे उसने कुछ ज्यादा ही नीचे से पहन रखा था... और चोली ऐसी कि देखने वालों की आँखों से लार टपक जाए.... अपनी उमर से 15 साल जवान लग रही थी वो आज!
आँखों में सुरमा- और होंटों पर लाली लगा कर वो तैयार थी... खुद को आईने में देख कर वो सब कुछ भूल गई... उसे याद था तो बस ये कि लल्लन जी ऊपर उसका इंतज़ार कर रहे है! खुद को आखिरी बार आईने में देखा और फिर वो टैरेस की ओर चल दी....
मालती को सामने देख कर सबकी आँखे खुली की खुली रह गई...
किसी के मुह से सुभानअल्ला निकला तो किसी के मुह से हवस भरे दो शब्द, तो किसी का मुह खुला का खुला रह गया...!
“आजा मेरी रानी....” लल्लन ने मालती को इशारा किया!
मालती मटकती हुई लल्लन जी के पास पहुची और फिर लल्लन जी को झुक कर चूम लिया!
“आप लोगों के लिए थोड़ी और शराब लाऊं...” मालती ने बाकी लोगों से पूछा!
“अरे मोहतरमा आप किसी शराब से कम हैं क्या... आपके हुस्न का नशा ही काफी है” अब्दुल खलीफा बोला!
“अरे अब्दुल भाई आप तो आशिकाना हो गए.... जरा भावनाओं को काबू में रखिये...” रॉकी हँसते हुए बोला.... –“अभी पी ही कितनी है... ख़ुशी का मौका है आज.... एक और खम्बा खुलेगा...”
मालती मुस्कुराई... और मिनीबार से एक बोतल निकाल लाइ...
“मेरे लिए नीट...” लल्लन धीरे से बोला!
मालती मुस्कुराई और फिर सबको मदिरा परोसी!
लल्लन जी उठे और म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया...
“नाच मेरी बुलबुल तुझे पैसा मिलेगा.... हाहाहा...” लल्लन ने मालती को बीच में धकेलते हुए कहा.... शराब का नशा सर चढ़ कर बोल रहा था लल्लन के सर पर!
मालती के बीच में आते ही सबने अपनी नज़रें उस पर जमा लीं...
...मैं आई हूँ यूपी बिहार लूटने.... मालती ने ठुमके लगाने शुरू किये! उफ्फ्फ... लल्लन जी तो उसका नाच देख कर होश हो बैठे... लौड़ा हाथ में ले लिया... बाकी सबका भी लगभग यही हाल था... मालती के मुजरे ने सोये हुए शेरों को जगा दिया था... सब उसे बस एक बार चोदना चाहते थे...
फैज़ल उठा और मालती के साथ नाचने लगा और उसके ऊपर पैसे उड़ाने लगा... फैज़ल को ऐसा करते देख बाकी से भी रहा नहीं गया, बाकी भी आधे नशे में नाचने लगे और पैसे उड़ाने लगे...
लल्लन का शैतानी दिमाग आज कुछ ज्यादा ही शैतान हो रहा था आज... मालती को उन सबके साथ नाचता देख उसे एक अलग ही मजा आ रहा था! वो उठा और मालती के पास नाचते हुए गया और उसके घाघरे का नारा खींच दिया....
मालती का घाघरा नीचे सरक चुका था अब... उसने लल्लन जी की ओर देखा...मानो शिकायत कर रही हो...
लल्लन जी मुस्कुराए... “हमारी महफ़िल में लौंडियाँ नंगी ही नाचती हैं...”
लल्लन जी की इस बात पर बाकी सब हंसे.... और फिर थोड़ा हौसला दिखाते हुए अब्बास ने पीछे से उसकी चोली की डोरी खींच दी...
मालती ने नाचते हुए ही अपनी चोली उतारी और फैज़ल के ऊपर फेंक दी...
अब सब वापस अपनी अपनी जगह पर बैठ चुके थे... मालती केवल ब्रा-पैन्टी में हौले हौले ठुमके लगा रही थी...
“हाय क्या माल है....साली...” चतुर्वेदी बोला!
“गांड तो देखो साली की... लल्लन जी खूब मेहनत की है आपने...” रॉकी अपना लंड मसलते हुए बोला!
“अरे रांड है हमारी... रोज दो बार चुद्वाती है हमसे” लल्लन अपनी जांघ पर हाथ फेरते हुए बोला!
“लल्लन जी... लल्लन जी.... लौड़ा खड़ा कर दिया इसने हमारा..” चौधरी ने अपना लंड ये कहते हुए पकड़ लिया!
“माँ कसम अगर लल्लन जी इजाज़त दे दें तो अभी गांड मार लूं इस छिनार की” फैज़ल हवस भरी आवाज में बोला!
मालती की चूचियां ये सब सुन के तन चुकी थी... वो नाच रही थी... लल्लन और उसके दोस्तों की आँखों से चुदते हुए नाच रही थी!
“रुक...” लल्लन ने जोर से बोला.... मालती सहम कर रुक गई...
“सुन रही है क्या कह रहे हैं ये सब?”
“जी...”
“बोल... दे दूं इजाज़त?”
मालती मासूमियत भरी निगाहों से लल्लन को देख रही थी.. मनो गुजारिश कर रही हो कि “नहीं”...!
“हाहाहा... वैसे इस ख़ुशी के मौके पर अपने दोस्तों को दुखी तो नहीं करूंगा...” लल्लन जी बोले!
“बोल चुद्वायेगी न?”
“आप कहो तो जान दे दूं अपनी...”
“जान नहीं जानेमन... गांड देदे... गांड... हाहाहा...” लल्लन हँसते हुए बोला... बाकी सब भी लल्लन की इस बात पर हंसे....
“थीक है जी ले लो मेरी गांड.. पर शर्त है मेरी भी... आप में से केवल 4 से चुदवाउंगी... अब डिसाइड कर लो कौन कौन चोदेगा मुझे...” मालती नखरे के साथ बोली...
“सिर्फ चार? हाहाहा.... देखो देखो... रण्डी के नखरे देखो.... सब चोदेंगे तुझे... समझी....” रॉकी बोला!
आलम यह था मानो किसी पामेरियन कुतिया को लैब्राडोर कुत्तों के बेड़े में छोड़ दिया गया हो!
आज की रात रंगीनियाँ परवान चढ़ने वाली थीं... मालती की जवानी!
“देख... तू चुदेगी तो हम सबसे... पर एक और एक साथ तो हम चोदेंगे नहीं... अब तू ही बता कि किससे चुदेगी पहले” लल्लन शराब के नशे में बहकते हुए बोला... और मालती की गांड पर चपेट मारी...
“क्या लल्लन जी... अब रांड बताएगी कौन किससे चुदेगी पहले? हम ही डिसाइड करेंगे... क्यों दोस्तों...” रॉकी बोला... सबने रॉकी की बात पर सहमति जताई...!
“देखो भाई पहला हक तो हमारा ही है इस छिनार पर... लेकिन आप लोग मेहमान हो तो इसलिए कोई अच्छा तरीका बताओ किसका नंबर पहले आये?
“देखो भाई पहला हक तो हमारा ही है इस छिनार पर... लेकिन आप लोग मेहमान हो तो इसलिए कोई अच्छा तरीका बताओ किसका नंबर पहले आये?” लल्लन जी ने अपनी मूछें उमेठते हुए कहा...
चौधरी जी टपाक से बोल- “देखो भाइयो, अब सबर नहीं हो रहा... जल्दी बताओ कोई तरीका!”
अब्दुल ख़लीफा: “माशाअल्लाह लंड फटा जा रहा है मोहतरमा के लिए”
अब्बास: “अब तुम सब सपने ही देखते रहोगे या कोई कुछ बताएगा भी? इस छिनार को कौन चोदेगा पहले?”
मालती ये सब सुन रही थी... अपने ऊपर पड़ रही उन प्यासी नज़रों की हवस को समझ रही थी वो... इस सब में उसे मजा आ रहा था, खुश तो वो भी बहोत थी सबकी जीत से... और फिर उस जीत के लिए, लल्लन जी की ख़ुशी के लिए... एक रात तो वो भी कुर्बान कर सकती है... और फिर इसमें हर्ज ही क्या है? आस पास के इलाके के सबसे ताकतवर- रुतबेवाले- दबंग मर्दों को मजे देने में उसे भी तो मजे आयेंगे न!
उनमे से किसी को भी कोई तरकीब नहीं सूझी... सूझेगी भी कैसे... सब दो-दो पेग डाउन जो थे... और सबके सर में सवार था मालती की चूत का नशा!
मालती ने बची हुई शर्मोहया को अपनी गांड में डाला और मटकती हुई सबके बीच में पहुची- “आप लोगों की इजाज़त हो तो मैं एक तरीका बताऊँ?” मालती ने सेक्सी अंदाज में रिक्वेस्ट की!
“बता मेरी रानी... इंतज़ार किसका कर रही है...” लल्लन जी बोले!
“उम्म्म... आप लोग कार्ड्स क्यों नहीं खेलते? जो जीता वो चोदेगा मुझे... और बाकी टाइम में बाकी बचे लोग कार्ड्स खेलेंगे!” मालती बोली!
“अरे नहीं नहीं... ऐसे तो फिर फैज़ल ही चोदता रहेगा तुझे स्सारी रात” चतुर्वेदी थोड़ा परेशान होते हुए बोला!
सब हंस पड़े... सबको पता था कि ताश की बाजी में फैज़ल को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था!
“हाहाहा... चतुर्वेदी जी... वो तो वैसे भी हम ही चोदेंगे इन्हें रात भर... वो क्या है न की हमें आपकी तरह डायबटीज की बीमारी नहीं है” फैज़ल चतुर्वेदी के मजे लेते हुए बोला!
फैज़ल की इस बात पर सबने फिर से ठहाके लगाए!
“ओहो चतुर्वेदी जी... ये नम्बरिंग का तरीका है... एक बार जिसका नंबर आ गया, फिर दोबारा वो नहीं खेलेगा” मालती चतुर्वेदी को समझाते हुए बोली!
“मानना पड़ेगा लल्लन जी... कमाल की रखैल है आपकी... हुस्न का हुस्न और साथ में इतना गजब का दिमाग” चतुर्वेदी बोला!
चौधरी- “हाँ तो ठीक है फिर ये फाइनल... लाओ भाई ताश की गड्डी लाओ”
फैज़ल मुस्कुराया और अपने काले रेशमी कुरते की बाईं जेब से धीरे से ताश की गड्डी निकाली और मालती की ओर बढ़ा दी!
“क्या बात है फैज़ल जी... आप तो सच में उस्ताद निकले” मालती गड्डी लेते हुए बोली...
“वो तो बिस्तर पे पता चलेगा..” फैज़ल ठरक के साथ बोला!
मालती गड्डी हाथ में लेकर उसे फेंट रही है और सबके पास जा कर अपने हुस्न के जलवे भी बिखेर रही है!
“सोच क्या रही है जानेमन... बता कौन सा खेल खेलना है?” चौधरी बोला!
“उम्म्म... मैं ये सोच रही थी की जब मैं आपमें से किसी एक से चुद रही हूंगी... तो आप लोग क्या करोगे?” मालती छेड़ते हुए बोली!
“साली ब्लू फिल्म बनायेंगे तेरी.... बेहेन की लौड़ी कितना तडपाएगी?” लल्लन जी थोड़ा क्रोध में बोले!
मालती मुस्कुराई... वो मजे ले रही थी... सिचुएशन को वो समझ रही थी... वो ये अच्छी तरह जान चुकी थी कि सब एक साथ तो नहीं चोदेंगे उसे... और वो ये भी अच्छी तरह से जानती थी कि लाइन में लगे लोगों में से कुछ तो दो मिनट भी नहीं टिकेंगे उसके हुस्न के आगे...!
उसने म्यूजिक फिर से स्टार्ट कर दिया... और फिर ताश की गड्डी फैज़ल को दे दी... “फैज़ल जी आप ही डिसाइड करिए कौन सा गेम खेलना है..”
“तीन पत्ती... तीन पत्ती खेलेंगे...” अब्दुल खलीफा पीछे से बोला!
अब्दुल खलीफा, जैसा कि आप लोग जानते हैं कि उस दिन के रोडशो से ही मालती के हुस्न का दीवाना हो गया था...वो मालती को अकेले भोगना चाहता था... पर किस्मत.. लल्लन जी ने अपनी सेक्रेटरी की जवानी सबके हवाले कर दी..!
“इतना समय नहीं है हमारे पास...” लल्लन जी बोले!
रॉकी इतने में उठा और मेज पर रखी शैम्पेन की खाली बोतल उठाई... और मालती को पकड़ा दी- “इसे घुमा... और बोतल का मुह जिसकी तरफ रुका... उसकी बारी पहली”
मालती ने धीरे से बोतल पकड़ी... और लल्लन जी की तरफ इजाज़त मांगती नज़रों से देखा!
लल्लन जी- “वाह क्या तरीका निकाला है... और मालती को इशारा करके अपने पास बुलाया...”
मालती लल्लन जी की गोद में बैठ गई!
“साली मेरी रांड है तू... समझी... इन सबकी इज्ज़त लेके छोड़ियो... और हाँ एक बार कोई आउट हो तो दोबारा बैटिंग का मौका नहीं मिलना चाहिए किसी को... समझी... सिर्फ एक बार! आउट मतलब आउट! समझी..” लल्लन जी मालती की जांघ पर हाथ फिराते हुए बोले!
मालती ने हाँ में सर हिलाया... और लल्लन जी के गाल पर एक चुम्मी रख दी!
“चल अब बता इन सबको.. और खेला शुरू कर!” लल्लन बोला और मालती को महफ़िल के बीच में धकेल दिया!
मालती ने सबको प्यार भरी नज़रों से देखा और फिर बोतल को जमीन पर रखा...
“हाँ तो मेरे हुस्न के दीवानों... तैयार हैं आप लोग मेरे हुस्न की नीलामी के लिए?” मालती थोड़े शायराना अंदाज में बोली!
“हाँ मेरी रानी”...” “बोतल घुमा छाम्म्मकछल्लो” सबने हामी भरी!
“उम्म्म... घुमाती हूँ... घुमाती हूँ... पर पहले खेल के नियम तो सुन लीजिये?” मालती बोली!
“चुदाई में कोई नियम नहीं होते मेरी रानी... जिसका घोड़ा जितनी देर तक चला वो ही असली मर्द” चौधरी ने ठसक के साथ कहा!
“हाँ चौधरी जी... मैं भी वही कह रही थी... की अगर कोई एक बार आउट होता है तो उसे दुबारा बैटिंग का मौका नहीं मिलेगा... ये हुस्न आपके हवाले सिर्फ एक बार!” मालती बोली...
“मंजूर है मेरी अनारकली... चल अब तू बोतल घुमा!” फैज़ल बोला
मालती मुस्कुराई... और फिर बोतल को पकड़कर जोर से गोल गोल घुमा दिया!
सबकी आँखे बोतल पर टिकी हुई थी... मालती ऊपर वाले से दुआ कर रही थी...
और फिर बोतल रुकी...
और बोतल का मुह था- चन्दन चतुर्वेदी की तरफ!
मालती की नज़रें चन्दन चतुर्वेदी की ओर थीं... चन्दन चतुर्वेदी तो जैसे अपनी किस्मत पर उचल ही पड़ा!
“किस्मत के धनी है चतुर्वेदी जी....” लल्लन बोला!
“सिर्फ किस्मत के...” फैज़ल ने पीछे से टांट मारा!
फैज़ल की बात पर सब दबे मुह हंसे...
(ओह चतुर्वेदी जी के बारे में बताना तो मैं भूल ही गई... चन्दन चतुर्वेदी... पुश्तैनी हलवाई का इकलौता बेटा... दबंग नेता, लड़कियों का शौक़ीन...छोटे कद का, थोड़ा सा पेट निकला हुआ, और ऊपर से डायबटीज़, तो अब स्ट्राइक रेट थोड़ा कम हो गया है चतुर्वेदी जी का..!)
मालती मटकती हुई चतुर्वेदी जी के पास गई... और फिर चतुर्वेदी जी के गाल को सबके सामने चूम लिया... और फिर चतुर्वेदी जी को देखते हुए धीरे धीरे सीढियां उतरने लगी! चतुर्वेदी जी अभी भी वहीँ बैठे हुए थे!
“अरे जाओ चतुर्वेदी.... अब सोच क्या रहे हो...” लल्लन बोला!
चतुर्वेदी जी ख्वाबों से बाहर आये और फिर मुस्कुराकर खड़े हुए और वो भी मालती के पीछे पीछे सीढ़ियों से नीचे उतर गए!
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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