FUN-MAZA-MASTI
अलबेली हसीना --1
दोस्तो, इस बार की कहानी का विषय मुझे अपनी आईडी पर आए एक मेल से ही मिला और मजे की बात कि यह मेल एक अविवाहित लड़की ने भेजी थी। इसका नाम साक्षी है, यह देहरादून के एक हॉस्टल में रहकर वहीं के एक कालेज में अपनी पढ़ाई कर रही है।
हालांकि किसी अविवाहित लड़की की सील ना तोड़ने संबंधी मेरी पत्नी के निर्देश से बचने के लिए मैंने उससे पूछा- पहले सैक्स किया है या नहीं?
तो उसने बिना किसी झिझक के बताया- मैं 5-6 बार सैक्स कर चुकी हूँ।
मैं बोला- यानि बॉयफ्रेंड हैं।
तो वह बोली- बॉयफ्रेंड हैं, पर कोई एक नहीं है। न ही मैं किसी एक से चुदी हूँ। हर बार नए लौड़े को अपनी चूत में लेना मुझे अच्छा लगा है।
मैंने उससे पूछा- हर बार अलग क्यूँ? एक ही से क्यों नहीं?
इस पर वह बोली- मैं यह नहीं समझ पा रही हूँ कि कैसे कोई औरत पूरी जिंदगी एक ही आदमी का लौड़ा लेकर रह सकती है।
मैं बोला- ऐसा मत बोलो यार। तकरीबन सभी हिंदुस्तानी औरतें शादी के बाद सिर्फ़ अपने आदमी से ही चुदवाकर खुश रहती हैं। मैं भी विवाहित हूँ, और जितना जानता हूँ उस हिसाब से शादी से पहले भी मेरी पत्नी के पीछे कई लड़के लगे रहे पर उसने उनमें से किसी के भी साथ संबंध नहीं बनाए।
मैं इस विषय में और बोलने वाला था पर उसने यह बोलकर रोक दिया- मैं आपको अपनी सोच बता रही हूँ। इसलिए मेरी बात सुनिए अपनी बात मत बताइए।
अब मैं उसकी बात पर ही आया और उससे पूछा- आपका कोई बॉयफ्रेंड आपके इस बदलाव पर ऐतराज नहीं करता है क्या?
तो वह बोली- मैं अपने नए पार्टनर के बारे में किसी को बतलाती ही नहीं हूँ। और बुरा लगे तो वह भी अपने रास्ते निकल ले। जिसने मुझे अच्छे से चोदा है, मैं जिससे चुदवाती हूँ वही मेरा बढ़िया फ्रेंड है।
मैं बोला- पर नए दोस्त बनाने में क्या हर्ज है। अच्छे दोस्त तो बना सकती हो ना?
वह बोली- नहीं, लड़के दोस्त बन जाएँ तो उनकी नियत सुधर जाए, यह नहीं कहा जा सकता। मैं अपनी सहेलियों को देखती हूँ जो उनका बॉयफ्रेंड हैं, बस उनके साथ ही घूमना-फिरना और सिर्फ़ उससे ही चुदवाना बस। क्यूंकि यदि वो लड़की उस लड़के के ही किसी दोस्त से भी बात कर ले तो बस, वह उससे इस बारे में कई सवाल करने शुरू कर देता है और यदि वह संतुष्ट नहीं हुआ तो पहले ही उसे चोद चाद कर मजे ले चुका होता है, तब उसे जलील कर और उसकी बदनामी कर उससे अलग हो जाता है और बेचारी लड़की उसके नाम की माला जपती हुई या तो आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती हैं या फिर घर वालों की पसंद के लड़के के साथ शादी कर यूं ही अपनी बेरंगी जिंदगी को रोते-धोते गुजार लेती है। यह सब मैं अपने आसपास का माहौल व लड़कों का चालचलन देखकर ही बोल रही हूँ। मुझ पर भरोसा ना हो, तो आप किसी दूसरी लड़की से इस बारे में बात करके सच्चाई का पता लगा सकते हैं।
मुझे उसकी यह बात ठीक लगी और इसकी बात से हमारी नई पीढ़ी कैसी होगी, इसका पता भी लगा।
खैर साक्षी से मेरी बात का सिलसिला अब चल पड़ा। फिर उसने अपना फोन नंबर भी मुझे दिया और अब हम फोन पर घंटों सैक्स चैट व सामान्य बातें करते रहते।
एक दिन हम सैक्स चैट कर रहे थे तभी साक्षी मुझसे बोली- आप मेरे लिए एक दिन का समय निकालकर मुझे चोद नहीं सकते?
मैं बोला- मैं समय निकालकर तुम्हारे पास पहुँच गया, तब भी तुम हॉस्टल में हो हम मिल कहाँ पाएँगे?
साक्षी बोली- आप यहाँ तक आ जाओ बस। बाकी सब इन्तजाम मैं कर दूंगी।
मैं बोला- ठीक है, मैं अपने आने का जमाता हूँ।
इसके बाद मैं अपने आफिस से छुट्टी की जुगाड़ में लगा। अपने सीनियर से बात की तो उन्होंने पूछा- कहाँ जाना है?
मैंने कहा- देहरादून। वहाँ के एक स्कूल में अपने बेटे को पढ़ाने की सोच रहा हूँ। इसलिए फीस व दीगर खर्चे तथा वहाँ का माहौल देखने के लिए एक बार वहाँ जाना जरूरी हैं, आप छुट्टी दे देते तो मैं पता करके आ जाता।
अब सीनियर बोले- देहरादून में तो अपने जीएम का बेटा भी पढ़ने गया हैं। तुम जीएम साहब से बात कर लो, वो बेहतर बता देंगे।
यह बोलकर उन्होने मुझे अपनी छुट्टी के लिए जीएम के पास जाने की राह भी दिखा दी।
अब मैं पशोपेश में पड़ गया, कहीं जीएम ने भी छुट्टी नहीं दी तो? मुझ पर साक्षी को चोदने का भूत ऐसा सवार हुआ कि मैंने सोचा कि यदि नहीं बोलेंगे तो फिर कोई दूसरा बहाना मारूँगा पर उनके पास जाकर एक बार पूछकर तो देख ही लेता हूँ।
यह सोचकर मैं अपने जीएम के केबिन में गया और उनसे देहरादून की पढ़ाई के बारे में पूछा तो वे बोले- क्या बात है, प्लांट का काम छोड़कर तुमने पढ़ाई की बात कैसे शुरू कर दी।
अब मैंने उन्हे देहरादून में अपने बेटे की पढ़ाई कराने का खर्चा व स्कूल आदि देखने की बात करते हुए वहाँ जाने के लिए छुट्टी मांगी तो उन्होंने थोड़ी ना-नुकुर के बाद मेरी छुट्टी स्वीकृत कर दी। मेरा काम तो बन गया था सो अब मैं ना उसके पास रूका, ना ही उनके बेटे की पढ़ाई के बारे में कुछ पूछा। बाहर आकर अपने सीनियर को बताया कि बुधवार से मुझे अगले एक सप्ताह की छुट्टी मिल गई है, मैं देहरादून जा रहा हूँ सर।
सीनियर भी ओके बोलकर मेरी अनुपस्थिति का काम मेरे साथी को समझाने लगे।
उस दिन ड्यूटी से बाहर आकर मैंने अपने रिजर्वेशन के बारे में पता लगाया। यह ज्यादा भीड़ का समय नहीं था इसलिए मेरे आने-जाने का इंतजाम ट्रेन में हो गया। अगले दिन जाने की सब व्यवस्था करने के बाद मैंने साक्षी को फोन किया और बताया कि मैं इस ट्रेन से दिल्ली फिर वहाँ से दून एक्सप्रेस से तुम्हारे पास पहुँच रहा हूँ। यह ट्रेन सुबह वहाँ पहुँचेगी।
साक्षी बोली- ठीक है, हॉस्टल से मैं बाहर रहने का इंतजाम करती हूँ।
इसके बाद मैंने साक्षी के लिए गिफ्ट खरीदने का काम स्नेहा के ऊपर छोड़ा। दूसरे दिन नियत समय पर मैं ट्रेन पकड़कर दिल्ली जाने निकल पड़ा। हमारे शहर से दिल्ली फिर दिल्ली से दूसरी ट्रेन पकड़कर मैं देहरादून पहुँचा। रास्ते में भी साक्षी से बात करके मैं उसे अपनी लोकेशन बताता रहा। देहरादून के स्टेशन में पहुँचकर मैंने साक्षी को फोन किया तो वह बोली- बस मैं थोड़ी देर में ही स्टेशन पहुँच रही हूँ।
सुबह करीब 9 बजे मैं देहरादून के स्टेशन पर था। थोड़ी देर बाद ही साक्षी मेरे पास पहुँच गई। वह क्रीम रंग के सलवार-सूट में थी, देखने में काफी सुंदर है, भरा बदन और थोड़ी मोटी भी। उसके दूध और चूतड़ दोनों ही काफी फूले हुए हैं।
मैंने पूछा- तुम तो आजकल की लड़कियों में चल रहे दुबले होने के फैशन से एकदम अलग हो यार?
वह बोली- जो लड़कियाँ फैशन या शर्म के कारण कम खाती हैं, मैं उनमें से नहीं हूँ। खाने में मैं बिल्कुल नहीं शर्माती हूँ ना ऊपर ना ही नीचे।
इसी तरह की सामान्य बात और थोड़े प्यार के बाद मुझे साथ लेकर वह आगे बढ़ी। स्टेशन के बाहर हमने टैक्सी पकड़ी। उसने ड्रायवर को एक होटल का नाम बताया और हम कुछ ही देर में उस होटल में पहुँचे। यह होटल बहुत शानदार था। होटल के हर कमरों के नाम रखे हुए थे। साक्षी ने मेरे लिए मेग्नेट हाउस बुक करवाया था।
होटल पहुँचकर ही मैंने उसे कहा- यह बहुत ज्यादा मंहगा होगा, मेरा बजट तो बिगड़ जाएगा इससे।वह बोली- आप चिंता मत करो, यह होटल ही ठीक रहेगा। दूसरी होटल में हमारे साथ रूकने पर कई तरह के सवाल पूछे जाते इसलिए मैंने इस होटल को प्राथमिकता दी।
मैंने सहमति में अपना सिर हिलाया- अब क्या कर सकता हूँ? साक्षी के सामने भी अपनी इज्जत का सवाल है। सो अब जो भी स्थिति बनेगी उसे भुगतूँगा, यह सोचकर अपने रूम में पहुँचा व साइड टेबल पर अपना बैग रखा। साक्षी ने दरवाजे को बंद किए, वैसे ही उसके पास पहुँचकर मैंने उसे अपने बाजुओं में समेट लिया। हमारे होंठ जुड़े, मैं अपने हाथ उसके वक्ष पर रखकर दबाने लगा। उसके उरोजों का आकार 36 तो होगा ही, या शायद इससे भी ज्यादा।
उसके कुर्ते का हुक खोलकर उतारने के लिए कुर्ती को ऊपर उठा ही रहा था कि डोरबेल बज उठी।
हम हड़बड़ा गए। उसने जल्दी-जल्दी खुद को ठीक किया और दरवाजे की ओर बढ़ी। इधर मैं भी पलंग से उठकर अपने बैग को खोलकर अभी पहनने वाले कपड़े निकालने लगा।
बाहर वेटर था जो हमारे लिए चाय नाश्ता लाया था। चाय देकर वेटर बाहर निकल गया।
साक्षी बोली- चलिए बाकी सब बाद में, पहले हमारे शहर की चाय ले लीजिए।
यह बोलकर उसने चाय व उसके साथ स्नेक्स टेबल को पलंग के पास खिंचकर उस पर रख दिए।
मेरा लंड टनटनाया हुआ था। हालांकि डोरबेल बजने के बाद अनचाहे भय के कारण यह थोड़ा सुस्त पड़ा था, पर अब फिर इसमें तनाव आना शुरू हो गया था।
मैंने उसे कहा- हमारी मुलाकात अच्छे से हो भी नहीं पाई कि वेटर ने आकर सब गड़बड़ कर दिया।
साक्षी बोली- उह ! कोई बात नहीं पहले यह हो जाए, फिर हम दोनो यहीं हैं तो ऐसी गड़बड़ियों को किनारे करके करेंगे खूब चुदाई।
मैं बोला- ठीक है। फिर इसके बाद मैं नहा-धोकर फ्रेश हो लूंगा, फिर लगेंगे चुदाई में।
वह बोली- ठीक है।
हम चाय नाश्ता करने लगे। तभी मैंने साक्षी से उसकी चुदाई के अनुभवों के बारे में जानना चाहा।
साक्षी बोली- मैंने अपनी चूत की सील कब और कैसे तुड़वाई, किस-किसके लौड़ों को अपनी चूत के अंदर लिया, वह सब बताऊँगी पर वह बाद में। अभी पिछली बार जिसने मेरे साथ चुदाई की, उसके बारे में बताती हूँ।
मैं बोला- हाँ वही बताइए, ताकि मैं भी तो जान सकूँ कि आपकी इस प्यारी चूत ने कैसे कैसे लौड़ों का स्वाद चखा है।
साक्षी जोर से हंसी व बोली- मेरी चूत को अब तक कुछ अच्छे लौड़े भी मिले हैं। पर पिछली बार जो मिला वो एकदम गेलचोदा मिला था।
मैं बोला- गेलचोदा? क्या मतलब हुआ इसका?
वह बोली- अब उसका अर्थ नहीं मैं आपको पूरी स्टोरी ही बताती हूँ।
मैं भी चाय के साथ स्नेक्स का मजा लेते हुए बोला- हाँ बताइए।
साक्षी ने अपने शब्दों में बताया:
हमारे ही कालेज का एक लड़का बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था। पढ़ाई में वह मुझसे सीनियर हैं, यानि दो क्लास आगे। एक दिन आपकी “फेसबुक सखी” पढ़कर मुझे चुदने की बहुत इच्छा हो रही थी, और मेरी चूत भी किसी नए लंड को लेने के मूड में थी, सो मैंने उस लड़के को लाइन दे दी।
वह खुशी से पागल हो गया। जल्दी ही मुझसे मिला और पूरी जिंदगी का साथ देने की बात करते हुए अभी कोर्टमैरिज करने की जिद करने लगा।
मैंने उससे कहा- मुझसे शादी-वादी की बात मत करिए। यह काम मैंने अपने घर वालों पर छोड़ा हुआ है।
तो वह बोला- ठीक है फिर हम दोनों किसी रेस्टारेंट में चलते हैं, जहाँ बैठकर हम आपस में ढेर सी बातें करेंगे।
मैं सोचने लगी कि यह भोसड़ी का अभी तक प्यार दुलार से ऊपर नहीं आ पाया है, ऐसे में मेरी चूत को तो खुराक मिल ही नहीं पाएगी। पर इसे छोड़ना भी नहीं हैं। सो मैंने आइडिया लगाया और बोली- ठीक है, मैं आपके साथ चलने तैयार हूँ, पर मेरी एक शर्त होगी।
उसने पूछा- क्या?
मैं बोली- हम दोनो जहाँ जहाँ होंगे, वहाँ और कोई नहीं होगा। यह कालेज व होस्टल का मामला हैं ना। यदि किसी ने भी मुझे आपके साथ बैठे देख लिया तो फिर मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा।
वह अब मुझे सोच में पड़ता नजर आया, लिहाजा मैंने उससे कहा कि बेहतर होगा कि आप कोई होटल बुक कर लीजिए जहाँ हम दोनों इत्मीनान से बात कर सकेंगे।
वह इस पर मान गया, कहा- चलिए होटल ही ले लेते हैं।
अब वह मुझे लेकर एक होटल में आया। रूम बुक करने के बाद हम दोनो कमरे में पहुँचे। यहाँ फिर उसने अपनी प्यार भरी बातें शुरू कर दी। इसके जवाब में मैं उसे अपने लटके-झटके दिखाती रही। बात-बात में मैं उसके शरीर को छूकर पास आने का आमंत्रण दे रही थी। काफी देर बाद उसे समझ में आया कि वह मुझे चोद सकता है तो तब वह भी मेरे चूचों पर पहले अनजाने में फिर मुझे बोलकर भी हाथ लगाने लगा। अब उसके चेहरे से सैक्स का तनाव नजर आने लगा।
मैंने भी उसकी जांघ में हाथ रखकर उसके लौड़े को पाने की चाहत दिखाई। इससे वह जोश में आ गया, खड़ा होकर मुझे अपने से चिपका लिया।
मैंने उसे इस पर भी लिफ्ट दी और उससे चिपककर उसके लौड़े को गर्म करने लगी। अब उसने अपनी पैन्ट उतारना शुरू कर दिया। तब भी मैंने उस पर अपना प्यार लुटाना जारी रखा, पर वह मादरचोद मुझे चोदने की इतनी हड़बड़ी में था कि उसने मुझे भी अपने पूरे कपड़े उतारने नहीं दिए। मेरी जींस व पैन्टी नीचे कर उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला और थोड़ी सी देर ही हिलने पर उसका माल झड़ गया। काम निकालने के बाद वह अपना पैन्ट पहनने के लिए खड़ा हो गया।
मैंने उससे पूछा- अरे हो गया क्या आपका?
वह बोला- हाँ, तभी तो उठा हूँ।
मुझे उसकी ऐसी चुदाई पर गुस्सा तो बहुत आया पर उसके सीनियर होने का लिहाज कर अपने गुस्से का कड़वा घूंट पी तो लिया पर उससे पूछा- आप ‘एनेस्थेटिस्ट’ में स्पेशलाइजेशन कर रहे हैं क्या?
मैंने(लेखक) पूछा- यह क्या होता है?
साक्षी बोली- मेडिसिन का हमारा मेन कोर्स होता है। उसके बाद सब अपनी पसंद के अलग-अलग सब्जेक्ट लेते हैं। एनेस्थेटिस्ट वे होते हैं जो मरीजों को आपरेशन या इलाज के दौरान बेहोश करने का काम करते हैं। आपरेशन थियेटर में मरीज को एनेस्थिया देने की बात आपने सुनी होगी।
मैं बोला- हाँ, समझा। आगे क्या हुआ वह बताओ।
साक्षी बोली:
मेरे यह कहने पर वह आश्चर्यचकित हो गया और पूछा- हाँ, पर यह तुम्हे कैसे पता लगा।
मैंने कहा- तुमने अभी मेरी चूत में क्या डाला? डाला या नहीं डाला? यह मुझे पता ही नहीं चला।
सच में उसका आखिरी साथी साक्षी का नहीं अपना काम करके उठ खड़ा होने वाला निकला। उसकी बात सुनकर मेरी हंसी रूकने का नाम नहीं ले रही थी।
साक्षी बोली- वो साला डाक्टर बन तो गया हैं पर मेरा दावा है कि उसकी बीवी उसके ही कम्पाउंडर से चुदवाकर अपनी प्यास बुझाएगी। उसकी इस मजेदार आपबीती बताते तक हमारी चाय खत्म हो गई पर कहीं हम चिपके और खाली कप प्लेट लेने वह वेटर फिर आ ना जाए, इसका डर था तो बतौर एहतियात अपनी जगह से उठते हुए मैंने कहा- अब मैं फ्रेश होकर आता हूँ, तब होगा चुदाई का कार्यक्रम। साक्षी बोली- हाँ आ जाइए जल्दी से।
मैं तौलिया लेकर बाथरूम की ओर तेज कदमों से बढ़ लिया।
होटल में टायलेट व वाशिंगरूम एक साथ ही थे। अपना तौलिया व शेविंग किट लेकर वहाँ गया और जल्दी से फ्रेश होकर बाहर निकला। मैं तौलिया लपेटे ही था, अंडरवियर सहित बाकी सभी कपड़े वहीं पलंग पर ही छोड़कर गया था। बाहर आकर अपनी आदत के अनुसार शेविंग बाक्स से निकालकर कंघी की, फिर पहनने के लिए अपना अंडरवियर उठाया। साक्षी कमरे का दरवाजा भीतर से बंद करके बैठी थी, अब वह मेरे पास पहुँची, और बोली- अब कंट्रोल नहीं हो रहा हैं यार ! उनसे हमारी मुलाकात तो कराइए जिसे स्नेहा जी रोज अपनी चूत में लेती हैं और सीमा, श्रद्धा, श्वेता, पुष्पा, रीमा, सोनम, पायल सहित कई लड़कियों ने काम्प्लीमेंट्री में जिसका टेस्ट लिया है।
ऐसा बोलकर उसने मेरा तौलिया खींचकर पलंग पर फेंक दिया।
अब मैं पूरा नंगा वहाँ खड़ा था, मेरा लौड़ा भी अब अपने पूर्णाकार में आ गया। साक्षी का हाथ पकड़कर मैंने उसे अपनी ओर खींचा और बोला- लो, यह हाजिर है मेरी जान तुम्हारे लिए ! यह भी बहुत बेचैन था तुमसे मिलने को ! इसीलिए अपना घर और काम व वहाँ मिल रही चूत को छोड़कर तुम्हारी चत को चूमने यहाँ तक भागा आया।
मेरे लण्ड को घूरकर देखती हुई वह बोली- बहुत अच्छा लगा, इससे मिलकर मैं धन्य हो गई।
मैं बोला- यार, धन्य तो यह हुआ है। जैसे लोग किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान करने दूर दूर से सफर करके वहाँ जाते हैं, वैसे ही मेरा लौड़ा भी तुम्हारी इस प्यारी चूत के पानी में नहाने के लिए इतना लंबा सफर करके यहाँ तक आया है। अब हम देर न करके इन्हें मिलने देते हैं।
वह मेरे सीने से चिपककर अपने हाथों से मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मैंन उसका चेहरा उठाकर होंठों को अपने मुख में ले लिया। पहले नीचे के होंठ, फिर ऊपर के होंठों को अच्छे से चूसने के बाद जीभ को उसके मुँह में घुमाया, साथ ही उसके कुर्ते का हुक खोलकर इसे ऊपर उठाकर उतार कर पलंग पर ही डाल दिया। अब ब्रा को भी उतारकर वहीं डालने के बाद सलवार के नाड़े को खींचा।
साक्षी ने पैर उठाकर उसे अपनी चिकनी मरमरी जांघों से नीचे सरकाते हुए अपने बदन से अलग किया। उसके शरीर पर केवल पैन्टी शेष थी।
अब मेरे हाथ उसके वक्ष के उन्नत शिखरों को अपने पंजे के भीतर समेटने का असफल कोशिश करने लगे। पर उसके बड़े उरोज मेरी मुट्ठी में नहीं आ पाए। आकार में बड़े व कड़े होने के कारण जब ये मेरे हाथ में नहीं समाए तो मैं इसके चेहरे से अपना मुँह हटाकर साक्षी के वक्ष पर आया, इसके गुलाबी निप्पल, दूधिया तथा भरे व उभरे बदन पर बहुत सुंदर लग रहे थे, निप्पल उसके जोश के कारण तनकर खड़े हो गए थे।
मैंने निप्पल को अपने मुँह में भरा व चूसना शुरू किया। एक निप्पल मेरे मुँह में था, दूसरे को मैं सहला रहा था। थोड़ी देर बाद ही मैंने अपना हाथ नीचे किया, उसकी पैन्टी को नीचे कर मस्त उभरी हुई चूत पर हाथ फेरने लगा।
साक्षी की चूत एकदम चिकनी थी, बाल उसने आज ही साफ किए होंगे पर हाथ फेरने से ऐसा लग रहा था मानो यहाँ कभी बाल हुए ही नहीं हैं, न ही अब होंगे।
मैं वहीं घुटने मोड़कर बैठ गया। उसकी चूत सामान्य लड़कियों की चूत से ज्यादा फूली हुई थी। इतनी मस्त चूत देखकर मैं गदगद हो गया और अपना मुँह उसकी चूत में लगा दिया। चूत के ऊपरी हिस्से को जी भर कर चाटने के बाद नीचे छेद में जीभ डाली।
साक्षी भी पूरे मूड में थी, लिहाजा अपने हाथों से मेरा सिर पकड़कर बिस्तर पर आई, बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दी। इससे उसकी चूत मुझे खुली मिल गई, लिहाजा इसे ऊपर से नीचे तक अच्छे से चाटा। उसकी चूत तो शुरू से ही गीली थी, चाटने से मुझे लग रहा था कि उससे पानी छूट रहा है, रज का स्वाद आ रहा था।
थोड़ी ही देर में उसकी सिसकती आवाज फूटी- ऊपर आओ ना जल्दी।
मुझे लगा कि साक्षी पूरी तरह से गरमा गई है, इसलिए जल्दी ही करना होगा। मैं अब उसकी चूत से अपनी जीभ रगड़ते हुए ऊपर की ओर बढ़ा, वह मेरे दोनों कंधों को पकड़कर ऊपर खींचने लगी। मैंने जीभ उसकी ठोड़ी से लेकर चेहरे पर घुमाई और अब लौड़े को उसकी चूत में ऊपर से नीचे तक रगड़ा, रगड़ने के बाद लौड़े को चूत के छेद पर लगाया।
साक्षी इतनी जल्दी में थी कि अब मेरे शाट लगाने का विलम्ब भी उससे बर्दाश्त नहीं हुआ, उसने नीचे से खुद ही उछाल भरी, इससे चूत के छेद से लगा से लगे लण्ड का सुपाड़ा थोड़ा सा भीतर हुआ।
साक्षी बोली- फाड़ दे इस मादरचोद को ! अंदर घुसा ना भोसड़ी के।
मैं बोला- घुसाता हूँ ना ! तेरी माँ की चूत ! अभी तो मेरे लण्ड का मुँह भी तेरी चूत में नहीं घुसा है।
इसी बीच मैंने एक जोर का शाट मारा, मुझे अहसास हुआ कि लण्ड का पूरा सुपाड़ा सहित कुछ और भाग उसकी चूत में समा गया है। इस शाट से वह उछली और बोली- अबे फट गई रे ! तू भोसड़ी के, थोड़ा आराम से चोद ना ! मुफ्त का माल है इसलिए मेरी चूत ही फाड़ डालेगा क्या बे गांडू?
वह आगे और कुछ बोले, इसके पहले ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया। नीचे उसे दर्द हो रहा होगा, इसलिए मैंने अपने चोदने की गति धीमी किया क्योंकि जब भी मैं अपने लण्ड को भीतर करता, तब वह अपने हाथ मेरे सीने में लगाकर मुझे करीब आने से रोकती, तथा अपनी चूत को पीछे करती। इसलिए मैंने प्रयास किया कि मेरा लण्ड जहाँ पर अभी है, उससे आगे अभी ना बढ़े। सो अपने झटकों की स्पीड एकदम कम करके मैंने चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में वह सामान्य हुई और उसके हाथ मेरे दोनों पुट्ठों पर पहुँचकर उसे अपने और करीब लाने का प्रयास करने लगे।
मैंने पूछा- अब ठीक है ना? डालूँ और अंदर?
वह बोली- अबे बहनचोद, पूरे मोहल्ले के लौड़े लाया है क्या साथ में? डाल इसकी मां को चोदूँ, मैं भी देखूँ, कितने लौड़ों को झेल सकती हैं मेरी फ़ुद्दी ! बाड़ दे पूरा !
मैं भी मस्त हो गया और अब शॉट लगाने शुरू कर दिए। साक्षी भी नीचे से अपनी कमर उठाकर मुझे अपनी स्पीड बढ़ाने का संकेत दे रही थी। लिहाजा थोड़ी देर में ही मेरा लण्ड करीब आधे से भी ज्यादा उसकी चूत में घुस गया। धक्के लगाने की गति हम दोनों में ही करीब समान थी।
जब मुझे लगा कि मेरा अब होने वाला है, मैंने साक्षी से कहा- मेरा बस होने ही वाला है।
वह बोली- बस मैं भी आ रही हूँ, पर बीच में रूकना मत।
कुछ ही देर में मेरा माल निकल पड़ा, तभी साक्षी भी मुझे अपने से कसकर दबा लिय और वह भी ठण्डी पड़ गई। हम दोनों यूं ही बिस्तर पर पड़े रहे।
कुछ पल बाद साक्षी बोली- उठिए, मुझे यूरिनल जाना है।
मैं एक तरफ़ हुआ और उसे बाहर निकलने दिया। वह आई, फिर मैं पेशाब करने गया। आकर बिस्तर पर हम यूं ही नंगे पड़े रहे।
मैंने उससे पूछा- दर्द हुआ क्या?
वह बोली- अब तक मैंने जितनों से चुदवाया है ना, आपका लौड़ा उन सभी से मोटा है। पर मैंने सोचा कि जैसे उन लोगों का मैंने आराम से ले लिया, वैसे ही इसे भी ले लूंगी, पर यह बहुत मादरचोद लण्ड है। साला दर्द भी दिया और मजा भी।
मैं बोला- हाँ, मुझसे भी गलती हो गई, कोई तेल या क्रीम लगा लेनी थी पहले मुझे। पर शुरू में तेरी चूत से रज निकलने लगा था, सो
मुझे लगा कि चिकनाई आ गई होगी पर यह बहनचोद अभी रमां नहीं हुई है ना। हमारी साक्षी अल्हड़ ही है।
वह बोली- हाँ पढ़ाई में भी मेरा ध्यान चूत को टाइट रखने के तरीकों पर ही ज्यादा लगा रहता है ताकि मुझे जो चोदे, जब चोदे यही लगे कि क्या टाइट माल है। यानि ऐसा लगना चाहिए कि मेरी सील भी अभी ही टूटी है। क्यों आपको लगा ना ऐसा?
मैं बोला- हाँ, तभी तो मैंने तुम्हें दर्द ना हो यह सोचकर मैंने अपने लण्ड को आधा ही तुम्हारी चूत में डाला।
इस पर वह बोली- पूरा डालना था ना भोसड़ी के। आधा लण्ड बाहर रखकर तुमने आधा ही मजा लिया, और आधा ही दिया।
मैं बोला- अए बहनचोद, जब डाल रहा था, तब तो तेरी गाण्ड फट रही थी। अब आधा मजा आया तो मैं क्या करूँ?
वह बोली- अबे गांडू, छोड़ ना ये आधे मजे की बात ! चल अभी खाना खाकर फिर लग जाते हैं चुदाई में। जितना अंदर डाल सकता हो डाल लेना।
मैं बोला- ठीक है फिर ! मैं तो सोच रहा था कि अभी तुरंत ही चोदने को कहोगी।
वह बोली- अरे नहीं राजा, खाली चुदाई ही करना हो तो अलग बात है, लग जाते हैं अभी ! पर हमें चुदाई का मजा लेना है। इसलिए जब शरीर परमिशन दे तब ही करेंगे। ठीक हैं ना?
मैं बोला- ठीक है, जैसा तुम कहो। खाना कहाँ खाना है?
वह बोली- खाना खाने कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं डीयर, यहीं लाने के लिए वेटर को बोलते हैं।
यह बोलकर उसने वेटर को बुलाने के लिए बेल बजाई। तब तक हम दोनों कपड़े पहनकर तैयार हो गए।
कुछ देर में ही वेटर आया। उसे हमने खाने का आर्डर दिया। अब दोनों पलंग पर ही चिपक कर बैठ गए।
मैंने कहा- और सुनाओ कोई मजेदार बात?
वह कुछ देर सोचकर बोली- मैं एक कहानी टाइम पास के लिए सुनाती हूँ। इसे मुझे मेरी एक सहेली ने सुनाया है। यह कहानी हमारे कालेज में भी बहुत पापुलर है।
मैं बोला- जी, सुनाइए।
साक्षी बोली- एक राजा की पत्नी उसे चोदने नहीं देती थी। परेशान राजा नदी के किनारे जाता और वहाँ रहने वाली बत्तख से कहता- “आओ बत्तख प्यारी, बैठो जांघ पर हमारी, खाओ पान सुपारी !”
उसकी आवाज सुनकर बत्तख आ जाती, तब राजा बत्तख से…
उसकी कहानी तो सामान्य थी, पर साक्षी के सुनाने के तरीके ने कहानी को बहुत मजेदार बना दिया। हम कुछ देर इसी तरह की बात करते रहे, तभी वेटर ने रूम में ही हमारा खाना ला दिया।
हम दोनों ने साथ ही खाना खाया। मैंने उससे हॉस्टल के बारे में पूछा, तो वह बोली- मैंने वार्डन मैम को बताया कि मेरे एक रिश्तेदार आए हैं, उनसे मिलने जा रही हूँ, पर रात को मुझे हॉस्टल में ही जाना होगा।
मैं बोला- हाँ यह बात तो है, रात को तुम्हें हॉस्टल में जाना ही होगा। पर मुझे एक बात बताओ साक्षी, तुम गाली बहुत देती हो, इसकी लत तुम्हें कैसे लगी?
वह बोली- अबे मादरजात ! गाली देना कोई लत थोड़े ही है। इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती है। गाली सुनना व देना मुझे अच्छा लगता है। जो मुझे गाली नहीं देते है वो मुझे हिजड़े-गांडू लगते हैं।
मैं बोला- यानि साक्षी से बात करते समय मुँह में गालियाँ भरकर रखना होगा। कब उसे उत्तेजित होने का मूड हो, ताकि उसे गाली सुनाकर उसका मूड बनाया जा सके।
साक्षी बोली- खाली गाली ही नहीं, खूब गंदी बातें करना भी मुझे अच्छा लगता है।
“खूब गंदी बात यानि?” मैंने पूछा।
तो वह बोली- अच्छा आप बताओ आपने किसी को चुदते हुए देखा है?
मैं बोला- हाँ कई लड़कियों को चुदते हुए देखा है।
हंसते हुए मैंने कहा- जिसे भी मैंने चोदा है, जैसे अभी तुम्हें, तो उन्हें चुदते हुए तो देखा ही ना।
“अबे मादरजात ऐसे नहीं, किसी दूसरे को?”
मैंने कहा- वह तो मुझे ध्यान नहीं।
यह सुनकर वह बोली- बे साले चूतिया ! रह गए ना यूं ही झण्डू बाम?
मैं बोला- अच्छा, तुमने किस किस को चुदते हुए देखा है? यह बताओ तो?
वह बोली- कई लोगों को !
मैंने पूछा- जैसे?
वह बोली- एक तो मेरी वार्डन मैम अपने पुराने प्रेमी से चुदवाती थी, उनको देखा है, और मेरी एक सहेली ने हॉस्टल में ही अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाया था थी, और मुझे ‘वहाँ कोई आ ना जाए’ इसकी चौकीदारी करते हुए वहीं आसपास ही डटे रहना पड़ा। तब मैंने अपनी नजरें कोई आ रहा हैं या नहीं इस पर लगाने के बदले अपनी सहेली को ही चुदते हुए देखते रही।
मैंने पूछा- किसकी चुदाई बढ़िया रही?
वह बोली- दोनों ही चुदाइयाँ मस्त रही ! मजा आ गया इन्हें देखकर।
हम लोगों के बीच इसी तरह की मसालेदार बात चलती रही।
कुछ देर बाद साक्षी बोली- कुछ असर हुआ या नहीं?
मैं समझ नहीं पाया, सो पूछा- किसका असर?
वह बोली- अरे लौड़े की गाण्ड में कुछ दम आया क्या?
मैं बोला- यार तू भी ना मादरचोद, एकदम कामचलाऊ टाइप की बात कर रही है। यानि जब खुद को नहीं चुदवाना है, तब मूड बनाकर चुदाई करेंगे, कहती है और जब घुसेड़ने की इच्छा हो रही है तब असर है या नहीं, पूछ रही है।
यह बोलकर मैं हंसा और कपड़े उतारने के लिए बिस्तर से उठा।
वह भी हंसने लगी, बोली- चल चुदवा लेती हूँ तेरे से ! नहीं तो बाद में मैं बात करने के लिए फोन करूँगी तो ‘काम से गए हैं या बाद में बात करता हूँ’ का उत्तर सुनाई पड़ेगा।
यह बोलकर वह भी उठकर कपड़े उतारने लगी। कपड़े उतारकर मैं साक्षी के पास पहुँचा, वह भी अपना सलवार कुर्ता उतार चुकी थी और ब्रा उतारने के लिए हाथ पीछे किए ही थे, तभी मैंने उसको अपने आगोश में ले लिया।
वह बोली- अबे भोसड़ी के ! अपनी कुतिया को नंगी तो हो जाने दे या मेरी चड्डी फाड़कर डालेगा अपना लंड?
मैंने उसकी कोहनी के थोड़ा नीचे अपने होंठ लगाए पर प्यार उसके बगल तक करता आया। ब्रा उतारकर उसने नीचे फेंकी और अपने एक हाथ को पूरा ऊपर कर लिया। इससे मुझसे उसकी पूरी बगल चाटने को खुली मिल गई।
उसे पलंग की ओर धकेलकर मैंने उसे लेटने का संकेत दिया। वह भी बिस्तर पर आई और वैसे ही लेट गई। उसने अपना हाथ ऊपर ही किया हुआ था। लिहाजा मैंने उसकी बगलों को खूब चाटा।
हाँ ! उसे यहाँ चाटने से गुदगुदी नहीं हो रही थी, यह मेरे लिए आश्चर्य की बात रही।
तो साक्षी की चूत का स्वाद तो मेरे लौड़े ने ले लिया है, पर जैसा उसने भी कहा था कि लौड़े को पूरा घुसेड़ना था। जबकि मैं उसे तकलीफ ना हो, इसलिए उसकी पहली चुदाई ज्यादा वहशी तरीके से नहीं की। पर अब जब उसने जमकर चुदने के लिए सहमति दे दी है तो फिर यदि अब उसे जमकर नहीं चोदा तो मैं ही उससे चूतिया कहा जाऊँगा।
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अलबेली हसीना --1
दोस्तो, इस बार की कहानी का विषय मुझे अपनी आईडी पर आए एक मेल से ही मिला और मजे की बात कि यह मेल एक अविवाहित लड़की ने भेजी थी। इसका नाम साक्षी है, यह देहरादून के एक हॉस्टल में रहकर वहीं के एक कालेज में अपनी पढ़ाई कर रही है।
हालांकि किसी अविवाहित लड़की की सील ना तोड़ने संबंधी मेरी पत्नी के निर्देश से बचने के लिए मैंने उससे पूछा- पहले सैक्स किया है या नहीं?
तो उसने बिना किसी झिझक के बताया- मैं 5-6 बार सैक्स कर चुकी हूँ।
मैं बोला- यानि बॉयफ्रेंड हैं।
तो वह बोली- बॉयफ्रेंड हैं, पर कोई एक नहीं है। न ही मैं किसी एक से चुदी हूँ। हर बार नए लौड़े को अपनी चूत में लेना मुझे अच्छा लगा है।
मैंने उससे पूछा- हर बार अलग क्यूँ? एक ही से क्यों नहीं?
इस पर वह बोली- मैं यह नहीं समझ पा रही हूँ कि कैसे कोई औरत पूरी जिंदगी एक ही आदमी का लौड़ा लेकर रह सकती है।
मैं बोला- ऐसा मत बोलो यार। तकरीबन सभी हिंदुस्तानी औरतें शादी के बाद सिर्फ़ अपने आदमी से ही चुदवाकर खुश रहती हैं। मैं भी विवाहित हूँ, और जितना जानता हूँ उस हिसाब से शादी से पहले भी मेरी पत्नी के पीछे कई लड़के लगे रहे पर उसने उनमें से किसी के भी साथ संबंध नहीं बनाए।
मैं इस विषय में और बोलने वाला था पर उसने यह बोलकर रोक दिया- मैं आपको अपनी सोच बता रही हूँ। इसलिए मेरी बात सुनिए अपनी बात मत बताइए।
अब मैं उसकी बात पर ही आया और उससे पूछा- आपका कोई बॉयफ्रेंड आपके इस बदलाव पर ऐतराज नहीं करता है क्या?
तो वह बोली- मैं अपने नए पार्टनर के बारे में किसी को बतलाती ही नहीं हूँ। और बुरा लगे तो वह भी अपने रास्ते निकल ले। जिसने मुझे अच्छे से चोदा है, मैं जिससे चुदवाती हूँ वही मेरा बढ़िया फ्रेंड है।
मैं बोला- पर नए दोस्त बनाने में क्या हर्ज है। अच्छे दोस्त तो बना सकती हो ना?
वह बोली- नहीं, लड़के दोस्त बन जाएँ तो उनकी नियत सुधर जाए, यह नहीं कहा जा सकता। मैं अपनी सहेलियों को देखती हूँ जो उनका बॉयफ्रेंड हैं, बस उनके साथ ही घूमना-फिरना और सिर्फ़ उससे ही चुदवाना बस। क्यूंकि यदि वो लड़की उस लड़के के ही किसी दोस्त से भी बात कर ले तो बस, वह उससे इस बारे में कई सवाल करने शुरू कर देता है और यदि वह संतुष्ट नहीं हुआ तो पहले ही उसे चोद चाद कर मजे ले चुका होता है, तब उसे जलील कर और उसकी बदनामी कर उससे अलग हो जाता है और बेचारी लड़की उसके नाम की माला जपती हुई या तो आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती हैं या फिर घर वालों की पसंद के लड़के के साथ शादी कर यूं ही अपनी बेरंगी जिंदगी को रोते-धोते गुजार लेती है। यह सब मैं अपने आसपास का माहौल व लड़कों का चालचलन देखकर ही बोल रही हूँ। मुझ पर भरोसा ना हो, तो आप किसी दूसरी लड़की से इस बारे में बात करके सच्चाई का पता लगा सकते हैं।
मुझे उसकी यह बात ठीक लगी और इसकी बात से हमारी नई पीढ़ी कैसी होगी, इसका पता भी लगा।
खैर साक्षी से मेरी बात का सिलसिला अब चल पड़ा। फिर उसने अपना फोन नंबर भी मुझे दिया और अब हम फोन पर घंटों सैक्स चैट व सामान्य बातें करते रहते।
एक दिन हम सैक्स चैट कर रहे थे तभी साक्षी मुझसे बोली- आप मेरे लिए एक दिन का समय निकालकर मुझे चोद नहीं सकते?
मैं बोला- मैं समय निकालकर तुम्हारे पास पहुँच गया, तब भी तुम हॉस्टल में हो हम मिल कहाँ पाएँगे?
साक्षी बोली- आप यहाँ तक आ जाओ बस। बाकी सब इन्तजाम मैं कर दूंगी।
मैं बोला- ठीक है, मैं अपने आने का जमाता हूँ।
इसके बाद मैं अपने आफिस से छुट्टी की जुगाड़ में लगा। अपने सीनियर से बात की तो उन्होंने पूछा- कहाँ जाना है?
मैंने कहा- देहरादून। वहाँ के एक स्कूल में अपने बेटे को पढ़ाने की सोच रहा हूँ। इसलिए फीस व दीगर खर्चे तथा वहाँ का माहौल देखने के लिए एक बार वहाँ जाना जरूरी हैं, आप छुट्टी दे देते तो मैं पता करके आ जाता।
अब सीनियर बोले- देहरादून में तो अपने जीएम का बेटा भी पढ़ने गया हैं। तुम जीएम साहब से बात कर लो, वो बेहतर बता देंगे।
यह बोलकर उन्होने मुझे अपनी छुट्टी के लिए जीएम के पास जाने की राह भी दिखा दी।
अब मैं पशोपेश में पड़ गया, कहीं जीएम ने भी छुट्टी नहीं दी तो? मुझ पर साक्षी को चोदने का भूत ऐसा सवार हुआ कि मैंने सोचा कि यदि नहीं बोलेंगे तो फिर कोई दूसरा बहाना मारूँगा पर उनके पास जाकर एक बार पूछकर तो देख ही लेता हूँ।
यह सोचकर मैं अपने जीएम के केबिन में गया और उनसे देहरादून की पढ़ाई के बारे में पूछा तो वे बोले- क्या बात है, प्लांट का काम छोड़कर तुमने पढ़ाई की बात कैसे शुरू कर दी।
अब मैंने उन्हे देहरादून में अपने बेटे की पढ़ाई कराने का खर्चा व स्कूल आदि देखने की बात करते हुए वहाँ जाने के लिए छुट्टी मांगी तो उन्होंने थोड़ी ना-नुकुर के बाद मेरी छुट्टी स्वीकृत कर दी। मेरा काम तो बन गया था सो अब मैं ना उसके पास रूका, ना ही उनके बेटे की पढ़ाई के बारे में कुछ पूछा। बाहर आकर अपने सीनियर को बताया कि बुधवार से मुझे अगले एक सप्ताह की छुट्टी मिल गई है, मैं देहरादून जा रहा हूँ सर।
सीनियर भी ओके बोलकर मेरी अनुपस्थिति का काम मेरे साथी को समझाने लगे।
उस दिन ड्यूटी से बाहर आकर मैंने अपने रिजर्वेशन के बारे में पता लगाया। यह ज्यादा भीड़ का समय नहीं था इसलिए मेरे आने-जाने का इंतजाम ट्रेन में हो गया। अगले दिन जाने की सब व्यवस्था करने के बाद मैंने साक्षी को फोन किया और बताया कि मैं इस ट्रेन से दिल्ली फिर वहाँ से दून एक्सप्रेस से तुम्हारे पास पहुँच रहा हूँ। यह ट्रेन सुबह वहाँ पहुँचेगी।
साक्षी बोली- ठीक है, हॉस्टल से मैं बाहर रहने का इंतजाम करती हूँ।
इसके बाद मैंने साक्षी के लिए गिफ्ट खरीदने का काम स्नेहा के ऊपर छोड़ा। दूसरे दिन नियत समय पर मैं ट्रेन पकड़कर दिल्ली जाने निकल पड़ा। हमारे शहर से दिल्ली फिर दिल्ली से दूसरी ट्रेन पकड़कर मैं देहरादून पहुँचा। रास्ते में भी साक्षी से बात करके मैं उसे अपनी लोकेशन बताता रहा। देहरादून के स्टेशन में पहुँचकर मैंने साक्षी को फोन किया तो वह बोली- बस मैं थोड़ी देर में ही स्टेशन पहुँच रही हूँ।
सुबह करीब 9 बजे मैं देहरादून के स्टेशन पर था। थोड़ी देर बाद ही साक्षी मेरे पास पहुँच गई। वह क्रीम रंग के सलवार-सूट में थी, देखने में काफी सुंदर है, भरा बदन और थोड़ी मोटी भी। उसके दूध और चूतड़ दोनों ही काफी फूले हुए हैं।
मैंने पूछा- तुम तो आजकल की लड़कियों में चल रहे दुबले होने के फैशन से एकदम अलग हो यार?
वह बोली- जो लड़कियाँ फैशन या शर्म के कारण कम खाती हैं, मैं उनमें से नहीं हूँ। खाने में मैं बिल्कुल नहीं शर्माती हूँ ना ऊपर ना ही नीचे।
इसी तरह की सामान्य बात और थोड़े प्यार के बाद मुझे साथ लेकर वह आगे बढ़ी। स्टेशन के बाहर हमने टैक्सी पकड़ी। उसने ड्रायवर को एक होटल का नाम बताया और हम कुछ ही देर में उस होटल में पहुँचे। यह होटल बहुत शानदार था। होटल के हर कमरों के नाम रखे हुए थे। साक्षी ने मेरे लिए मेग्नेट हाउस बुक करवाया था।
होटल पहुँचकर ही मैंने उसे कहा- यह बहुत ज्यादा मंहगा होगा, मेरा बजट तो बिगड़ जाएगा इससे।वह बोली- आप चिंता मत करो, यह होटल ही ठीक रहेगा। दूसरी होटल में हमारे साथ रूकने पर कई तरह के सवाल पूछे जाते इसलिए मैंने इस होटल को प्राथमिकता दी।
मैंने सहमति में अपना सिर हिलाया- अब क्या कर सकता हूँ? साक्षी के सामने भी अपनी इज्जत का सवाल है। सो अब जो भी स्थिति बनेगी उसे भुगतूँगा, यह सोचकर अपने रूम में पहुँचा व साइड टेबल पर अपना बैग रखा। साक्षी ने दरवाजे को बंद किए, वैसे ही उसके पास पहुँचकर मैंने उसे अपने बाजुओं में समेट लिया। हमारे होंठ जुड़े, मैं अपने हाथ उसके वक्ष पर रखकर दबाने लगा। उसके उरोजों का आकार 36 तो होगा ही, या शायद इससे भी ज्यादा।
उसके कुर्ते का हुक खोलकर उतारने के लिए कुर्ती को ऊपर उठा ही रहा था कि डोरबेल बज उठी।
हम हड़बड़ा गए। उसने जल्दी-जल्दी खुद को ठीक किया और दरवाजे की ओर बढ़ी। इधर मैं भी पलंग से उठकर अपने बैग को खोलकर अभी पहनने वाले कपड़े निकालने लगा।
बाहर वेटर था जो हमारे लिए चाय नाश्ता लाया था। चाय देकर वेटर बाहर निकल गया।
साक्षी बोली- चलिए बाकी सब बाद में, पहले हमारे शहर की चाय ले लीजिए।
यह बोलकर उसने चाय व उसके साथ स्नेक्स टेबल को पलंग के पास खिंचकर उस पर रख दिए।
मेरा लंड टनटनाया हुआ था। हालांकि डोरबेल बजने के बाद अनचाहे भय के कारण यह थोड़ा सुस्त पड़ा था, पर अब फिर इसमें तनाव आना शुरू हो गया था।
मैंने उसे कहा- हमारी मुलाकात अच्छे से हो भी नहीं पाई कि वेटर ने आकर सब गड़बड़ कर दिया।
साक्षी बोली- उह ! कोई बात नहीं पहले यह हो जाए, फिर हम दोनो यहीं हैं तो ऐसी गड़बड़ियों को किनारे करके करेंगे खूब चुदाई।
मैं बोला- ठीक है। फिर इसके बाद मैं नहा-धोकर फ्रेश हो लूंगा, फिर लगेंगे चुदाई में।
वह बोली- ठीक है।
हम चाय नाश्ता करने लगे। तभी मैंने साक्षी से उसकी चुदाई के अनुभवों के बारे में जानना चाहा।
साक्षी बोली- मैंने अपनी चूत की सील कब और कैसे तुड़वाई, किस-किसके लौड़ों को अपनी चूत के अंदर लिया, वह सब बताऊँगी पर वह बाद में। अभी पिछली बार जिसने मेरे साथ चुदाई की, उसके बारे में बताती हूँ।
मैं बोला- हाँ वही बताइए, ताकि मैं भी तो जान सकूँ कि आपकी इस प्यारी चूत ने कैसे कैसे लौड़ों का स्वाद चखा है।
साक्षी जोर से हंसी व बोली- मेरी चूत को अब तक कुछ अच्छे लौड़े भी मिले हैं। पर पिछली बार जो मिला वो एकदम गेलचोदा मिला था।
मैं बोला- गेलचोदा? क्या मतलब हुआ इसका?
वह बोली- अब उसका अर्थ नहीं मैं आपको पूरी स्टोरी ही बताती हूँ।
मैं भी चाय के साथ स्नेक्स का मजा लेते हुए बोला- हाँ बताइए।
साक्षी ने अपने शब्दों में बताया:
हमारे ही कालेज का एक लड़का बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था। पढ़ाई में वह मुझसे सीनियर हैं, यानि दो क्लास आगे। एक दिन आपकी “फेसबुक सखी” पढ़कर मुझे चुदने की बहुत इच्छा हो रही थी, और मेरी चूत भी किसी नए लंड को लेने के मूड में थी, सो मैंने उस लड़के को लाइन दे दी।
वह खुशी से पागल हो गया। जल्दी ही मुझसे मिला और पूरी जिंदगी का साथ देने की बात करते हुए अभी कोर्टमैरिज करने की जिद करने लगा।
मैंने उससे कहा- मुझसे शादी-वादी की बात मत करिए। यह काम मैंने अपने घर वालों पर छोड़ा हुआ है।
तो वह बोला- ठीक है फिर हम दोनों किसी रेस्टारेंट में चलते हैं, जहाँ बैठकर हम आपस में ढेर सी बातें करेंगे।
मैं सोचने लगी कि यह भोसड़ी का अभी तक प्यार दुलार से ऊपर नहीं आ पाया है, ऐसे में मेरी चूत को तो खुराक मिल ही नहीं पाएगी। पर इसे छोड़ना भी नहीं हैं। सो मैंने आइडिया लगाया और बोली- ठीक है, मैं आपके साथ चलने तैयार हूँ, पर मेरी एक शर्त होगी।
उसने पूछा- क्या?
मैं बोली- हम दोनो जहाँ जहाँ होंगे, वहाँ और कोई नहीं होगा। यह कालेज व होस्टल का मामला हैं ना। यदि किसी ने भी मुझे आपके साथ बैठे देख लिया तो फिर मेरा जीना मुश्किल हो जाएगा।
वह अब मुझे सोच में पड़ता नजर आया, लिहाजा मैंने उससे कहा कि बेहतर होगा कि आप कोई होटल बुक कर लीजिए जहाँ हम दोनों इत्मीनान से बात कर सकेंगे।
वह इस पर मान गया, कहा- चलिए होटल ही ले लेते हैं।
अब वह मुझे लेकर एक होटल में आया। रूम बुक करने के बाद हम दोनो कमरे में पहुँचे। यहाँ फिर उसने अपनी प्यार भरी बातें शुरू कर दी। इसके जवाब में मैं उसे अपने लटके-झटके दिखाती रही। बात-बात में मैं उसके शरीर को छूकर पास आने का आमंत्रण दे रही थी। काफी देर बाद उसे समझ में आया कि वह मुझे चोद सकता है तो तब वह भी मेरे चूचों पर पहले अनजाने में फिर मुझे बोलकर भी हाथ लगाने लगा। अब उसके चेहरे से सैक्स का तनाव नजर आने लगा।
मैंने भी उसकी जांघ में हाथ रखकर उसके लौड़े को पाने की चाहत दिखाई। इससे वह जोश में आ गया, खड़ा होकर मुझे अपने से चिपका लिया।
मैंने उसे इस पर भी लिफ्ट दी और उससे चिपककर उसके लौड़े को गर्म करने लगी। अब उसने अपनी पैन्ट उतारना शुरू कर दिया। तब भी मैंने उस पर अपना प्यार लुटाना जारी रखा, पर वह मादरचोद मुझे चोदने की इतनी हड़बड़ी में था कि उसने मुझे भी अपने पूरे कपड़े उतारने नहीं दिए। मेरी जींस व पैन्टी नीचे कर उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला और थोड़ी सी देर ही हिलने पर उसका माल झड़ गया। काम निकालने के बाद वह अपना पैन्ट पहनने के लिए खड़ा हो गया।
मैंने उससे पूछा- अरे हो गया क्या आपका?
वह बोला- हाँ, तभी तो उठा हूँ।
मुझे उसकी ऐसी चुदाई पर गुस्सा तो बहुत आया पर उसके सीनियर होने का लिहाज कर अपने गुस्से का कड़वा घूंट पी तो लिया पर उससे पूछा- आप ‘एनेस्थेटिस्ट’ में स्पेशलाइजेशन कर रहे हैं क्या?
मैंने(लेखक) पूछा- यह क्या होता है?
साक्षी बोली- मेडिसिन का हमारा मेन कोर्स होता है। उसके बाद सब अपनी पसंद के अलग-अलग सब्जेक्ट लेते हैं। एनेस्थेटिस्ट वे होते हैं जो मरीजों को आपरेशन या इलाज के दौरान बेहोश करने का काम करते हैं। आपरेशन थियेटर में मरीज को एनेस्थिया देने की बात आपने सुनी होगी।
मैं बोला- हाँ, समझा। आगे क्या हुआ वह बताओ।
साक्षी बोली:
मेरे यह कहने पर वह आश्चर्यचकित हो गया और पूछा- हाँ, पर यह तुम्हे कैसे पता लगा।
मैंने कहा- तुमने अभी मेरी चूत में क्या डाला? डाला या नहीं डाला? यह मुझे पता ही नहीं चला।
सच में उसका आखिरी साथी साक्षी का नहीं अपना काम करके उठ खड़ा होने वाला निकला। उसकी बात सुनकर मेरी हंसी रूकने का नाम नहीं ले रही थी।
साक्षी बोली- वो साला डाक्टर बन तो गया हैं पर मेरा दावा है कि उसकी बीवी उसके ही कम्पाउंडर से चुदवाकर अपनी प्यास बुझाएगी। उसकी इस मजेदार आपबीती बताते तक हमारी चाय खत्म हो गई पर कहीं हम चिपके और खाली कप प्लेट लेने वह वेटर फिर आ ना जाए, इसका डर था तो बतौर एहतियात अपनी जगह से उठते हुए मैंने कहा- अब मैं फ्रेश होकर आता हूँ, तब होगा चुदाई का कार्यक्रम। साक्षी बोली- हाँ आ जाइए जल्दी से।
मैं तौलिया लेकर बाथरूम की ओर तेज कदमों से बढ़ लिया।
होटल में टायलेट व वाशिंगरूम एक साथ ही थे। अपना तौलिया व शेविंग किट लेकर वहाँ गया और जल्दी से फ्रेश होकर बाहर निकला। मैं तौलिया लपेटे ही था, अंडरवियर सहित बाकी सभी कपड़े वहीं पलंग पर ही छोड़कर गया था। बाहर आकर अपनी आदत के अनुसार शेविंग बाक्स से निकालकर कंघी की, फिर पहनने के लिए अपना अंडरवियर उठाया। साक्षी कमरे का दरवाजा भीतर से बंद करके बैठी थी, अब वह मेरे पास पहुँची, और बोली- अब कंट्रोल नहीं हो रहा हैं यार ! उनसे हमारी मुलाकात तो कराइए जिसे स्नेहा जी रोज अपनी चूत में लेती हैं और सीमा, श्रद्धा, श्वेता, पुष्पा, रीमा, सोनम, पायल सहित कई लड़कियों ने काम्प्लीमेंट्री में जिसका टेस्ट लिया है।
ऐसा बोलकर उसने मेरा तौलिया खींचकर पलंग पर फेंक दिया।
अब मैं पूरा नंगा वहाँ खड़ा था, मेरा लौड़ा भी अब अपने पूर्णाकार में आ गया। साक्षी का हाथ पकड़कर मैंने उसे अपनी ओर खींचा और बोला- लो, यह हाजिर है मेरी जान तुम्हारे लिए ! यह भी बहुत बेचैन था तुमसे मिलने को ! इसीलिए अपना घर और काम व वहाँ मिल रही चूत को छोड़कर तुम्हारी चत को चूमने यहाँ तक भागा आया।
मेरे लण्ड को घूरकर देखती हुई वह बोली- बहुत अच्छा लगा, इससे मिलकर मैं धन्य हो गई।
मैं बोला- यार, धन्य तो यह हुआ है। जैसे लोग किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान करने दूर दूर से सफर करके वहाँ जाते हैं, वैसे ही मेरा लौड़ा भी तुम्हारी इस प्यारी चूत के पानी में नहाने के लिए इतना लंबा सफर करके यहाँ तक आया है। अब हम देर न करके इन्हें मिलने देते हैं।
वह मेरे सीने से चिपककर अपने हाथों से मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मैंन उसका चेहरा उठाकर होंठों को अपने मुख में ले लिया। पहले नीचे के होंठ, फिर ऊपर के होंठों को अच्छे से चूसने के बाद जीभ को उसके मुँह में घुमाया, साथ ही उसके कुर्ते का हुक खोलकर इसे ऊपर उठाकर उतार कर पलंग पर ही डाल दिया। अब ब्रा को भी उतारकर वहीं डालने के बाद सलवार के नाड़े को खींचा।
साक्षी ने पैर उठाकर उसे अपनी चिकनी मरमरी जांघों से नीचे सरकाते हुए अपने बदन से अलग किया। उसके शरीर पर केवल पैन्टी शेष थी।
अब मेरे हाथ उसके वक्ष के उन्नत शिखरों को अपने पंजे के भीतर समेटने का असफल कोशिश करने लगे। पर उसके बड़े उरोज मेरी मुट्ठी में नहीं आ पाए। आकार में बड़े व कड़े होने के कारण जब ये मेरे हाथ में नहीं समाए तो मैं इसके चेहरे से अपना मुँह हटाकर साक्षी के वक्ष पर आया, इसके गुलाबी निप्पल, दूधिया तथा भरे व उभरे बदन पर बहुत सुंदर लग रहे थे, निप्पल उसके जोश के कारण तनकर खड़े हो गए थे।
मैंने निप्पल को अपने मुँह में भरा व चूसना शुरू किया। एक निप्पल मेरे मुँह में था, दूसरे को मैं सहला रहा था। थोड़ी देर बाद ही मैंने अपना हाथ नीचे किया, उसकी पैन्टी को नीचे कर मस्त उभरी हुई चूत पर हाथ फेरने लगा।
साक्षी की चूत एकदम चिकनी थी, बाल उसने आज ही साफ किए होंगे पर हाथ फेरने से ऐसा लग रहा था मानो यहाँ कभी बाल हुए ही नहीं हैं, न ही अब होंगे।
मैं वहीं घुटने मोड़कर बैठ गया। उसकी चूत सामान्य लड़कियों की चूत से ज्यादा फूली हुई थी। इतनी मस्त चूत देखकर मैं गदगद हो गया और अपना मुँह उसकी चूत में लगा दिया। चूत के ऊपरी हिस्से को जी भर कर चाटने के बाद नीचे छेद में जीभ डाली।
साक्षी भी पूरे मूड में थी, लिहाजा अपने हाथों से मेरा सिर पकड़कर बिस्तर पर आई, बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दी। इससे उसकी चूत मुझे खुली मिल गई, लिहाजा इसे ऊपर से नीचे तक अच्छे से चाटा। उसकी चूत तो शुरू से ही गीली थी, चाटने से मुझे लग रहा था कि उससे पानी छूट रहा है, रज का स्वाद आ रहा था।
थोड़ी ही देर में उसकी सिसकती आवाज फूटी- ऊपर आओ ना जल्दी।
मुझे लगा कि साक्षी पूरी तरह से गरमा गई है, इसलिए जल्दी ही करना होगा। मैं अब उसकी चूत से अपनी जीभ रगड़ते हुए ऊपर की ओर बढ़ा, वह मेरे दोनों कंधों को पकड़कर ऊपर खींचने लगी। मैंने जीभ उसकी ठोड़ी से लेकर चेहरे पर घुमाई और अब लौड़े को उसकी चूत में ऊपर से नीचे तक रगड़ा, रगड़ने के बाद लौड़े को चूत के छेद पर लगाया।
साक्षी इतनी जल्दी में थी कि अब मेरे शाट लगाने का विलम्ब भी उससे बर्दाश्त नहीं हुआ, उसने नीचे से खुद ही उछाल भरी, इससे चूत के छेद से लगा से लगे लण्ड का सुपाड़ा थोड़ा सा भीतर हुआ।
साक्षी बोली- फाड़ दे इस मादरचोद को ! अंदर घुसा ना भोसड़ी के।
मैं बोला- घुसाता हूँ ना ! तेरी माँ की चूत ! अभी तो मेरे लण्ड का मुँह भी तेरी चूत में नहीं घुसा है।
इसी बीच मैंने एक जोर का शाट मारा, मुझे अहसास हुआ कि लण्ड का पूरा सुपाड़ा सहित कुछ और भाग उसकी चूत में समा गया है। इस शाट से वह उछली और बोली- अबे फट गई रे ! तू भोसड़ी के, थोड़ा आराम से चोद ना ! मुफ्त का माल है इसलिए मेरी चूत ही फाड़ डालेगा क्या बे गांडू?
वह आगे और कुछ बोले, इसके पहले ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया। नीचे उसे दर्द हो रहा होगा, इसलिए मैंने अपने चोदने की गति धीमी किया क्योंकि जब भी मैं अपने लण्ड को भीतर करता, तब वह अपने हाथ मेरे सीने में लगाकर मुझे करीब आने से रोकती, तथा अपनी चूत को पीछे करती। इसलिए मैंने प्रयास किया कि मेरा लण्ड जहाँ पर अभी है, उससे आगे अभी ना बढ़े। सो अपने झटकों की स्पीड एकदम कम करके मैंने चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में वह सामान्य हुई और उसके हाथ मेरे दोनों पुट्ठों पर पहुँचकर उसे अपने और करीब लाने का प्रयास करने लगे।
मैंने पूछा- अब ठीक है ना? डालूँ और अंदर?
वह बोली- अबे बहनचोद, पूरे मोहल्ले के लौड़े लाया है क्या साथ में? डाल इसकी मां को चोदूँ, मैं भी देखूँ, कितने लौड़ों को झेल सकती हैं मेरी फ़ुद्दी ! बाड़ दे पूरा !
मैं भी मस्त हो गया और अब शॉट लगाने शुरू कर दिए। साक्षी भी नीचे से अपनी कमर उठाकर मुझे अपनी स्पीड बढ़ाने का संकेत दे रही थी। लिहाजा थोड़ी देर में ही मेरा लण्ड करीब आधे से भी ज्यादा उसकी चूत में घुस गया। धक्के लगाने की गति हम दोनों में ही करीब समान थी।
जब मुझे लगा कि मेरा अब होने वाला है, मैंने साक्षी से कहा- मेरा बस होने ही वाला है।
वह बोली- बस मैं भी आ रही हूँ, पर बीच में रूकना मत।
कुछ ही देर में मेरा माल निकल पड़ा, तभी साक्षी भी मुझे अपने से कसकर दबा लिय और वह भी ठण्डी पड़ गई। हम दोनों यूं ही बिस्तर पर पड़े रहे।
कुछ पल बाद साक्षी बोली- उठिए, मुझे यूरिनल जाना है।
मैं एक तरफ़ हुआ और उसे बाहर निकलने दिया। वह आई, फिर मैं पेशाब करने गया। आकर बिस्तर पर हम यूं ही नंगे पड़े रहे।
मैंने उससे पूछा- दर्द हुआ क्या?
वह बोली- अब तक मैंने जितनों से चुदवाया है ना, आपका लौड़ा उन सभी से मोटा है। पर मैंने सोचा कि जैसे उन लोगों का मैंने आराम से ले लिया, वैसे ही इसे भी ले लूंगी, पर यह बहुत मादरचोद लण्ड है। साला दर्द भी दिया और मजा भी।
मैं बोला- हाँ, मुझसे भी गलती हो गई, कोई तेल या क्रीम लगा लेनी थी पहले मुझे। पर शुरू में तेरी चूत से रज निकलने लगा था, सो
मुझे लगा कि चिकनाई आ गई होगी पर यह बहनचोद अभी रमां नहीं हुई है ना। हमारी साक्षी अल्हड़ ही है।
वह बोली- हाँ पढ़ाई में भी मेरा ध्यान चूत को टाइट रखने के तरीकों पर ही ज्यादा लगा रहता है ताकि मुझे जो चोदे, जब चोदे यही लगे कि क्या टाइट माल है। यानि ऐसा लगना चाहिए कि मेरी सील भी अभी ही टूटी है। क्यों आपको लगा ना ऐसा?
मैं बोला- हाँ, तभी तो मैंने तुम्हें दर्द ना हो यह सोचकर मैंने अपने लण्ड को आधा ही तुम्हारी चूत में डाला।
इस पर वह बोली- पूरा डालना था ना भोसड़ी के। आधा लण्ड बाहर रखकर तुमने आधा ही मजा लिया, और आधा ही दिया।
मैं बोला- अए बहनचोद, जब डाल रहा था, तब तो तेरी गाण्ड फट रही थी। अब आधा मजा आया तो मैं क्या करूँ?
वह बोली- अबे गांडू, छोड़ ना ये आधे मजे की बात ! चल अभी खाना खाकर फिर लग जाते हैं चुदाई में। जितना अंदर डाल सकता हो डाल लेना।
मैं बोला- ठीक है फिर ! मैं तो सोच रहा था कि अभी तुरंत ही चोदने को कहोगी।
वह बोली- अरे नहीं राजा, खाली चुदाई ही करना हो तो अलग बात है, लग जाते हैं अभी ! पर हमें चुदाई का मजा लेना है। इसलिए जब शरीर परमिशन दे तब ही करेंगे। ठीक हैं ना?
मैं बोला- ठीक है, जैसा तुम कहो। खाना कहाँ खाना है?
वह बोली- खाना खाने कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं डीयर, यहीं लाने के लिए वेटर को बोलते हैं।
यह बोलकर उसने वेटर को बुलाने के लिए बेल बजाई। तब तक हम दोनों कपड़े पहनकर तैयार हो गए।
कुछ देर में ही वेटर आया। उसे हमने खाने का आर्डर दिया। अब दोनों पलंग पर ही चिपक कर बैठ गए।
मैंने कहा- और सुनाओ कोई मजेदार बात?
वह कुछ देर सोचकर बोली- मैं एक कहानी टाइम पास के लिए सुनाती हूँ। इसे मुझे मेरी एक सहेली ने सुनाया है। यह कहानी हमारे कालेज में भी बहुत पापुलर है।
मैं बोला- जी, सुनाइए।
साक्षी बोली- एक राजा की पत्नी उसे चोदने नहीं देती थी। परेशान राजा नदी के किनारे जाता और वहाँ रहने वाली बत्तख से कहता- “आओ बत्तख प्यारी, बैठो जांघ पर हमारी, खाओ पान सुपारी !”
उसकी आवाज सुनकर बत्तख आ जाती, तब राजा बत्तख से…
उसकी कहानी तो सामान्य थी, पर साक्षी के सुनाने के तरीके ने कहानी को बहुत मजेदार बना दिया। हम कुछ देर इसी तरह की बात करते रहे, तभी वेटर ने रूम में ही हमारा खाना ला दिया।
हम दोनों ने साथ ही खाना खाया। मैंने उससे हॉस्टल के बारे में पूछा, तो वह बोली- मैंने वार्डन मैम को बताया कि मेरे एक रिश्तेदार आए हैं, उनसे मिलने जा रही हूँ, पर रात को मुझे हॉस्टल में ही जाना होगा।
मैं बोला- हाँ यह बात तो है, रात को तुम्हें हॉस्टल में जाना ही होगा। पर मुझे एक बात बताओ साक्षी, तुम गाली बहुत देती हो, इसकी लत तुम्हें कैसे लगी?
वह बोली- अबे मादरजात ! गाली देना कोई लत थोड़े ही है। इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती है। गाली सुनना व देना मुझे अच्छा लगता है। जो मुझे गाली नहीं देते है वो मुझे हिजड़े-गांडू लगते हैं।
मैं बोला- यानि साक्षी से बात करते समय मुँह में गालियाँ भरकर रखना होगा। कब उसे उत्तेजित होने का मूड हो, ताकि उसे गाली सुनाकर उसका मूड बनाया जा सके।
साक्षी बोली- खाली गाली ही नहीं, खूब गंदी बातें करना भी मुझे अच्छा लगता है।
“खूब गंदी बात यानि?” मैंने पूछा।
तो वह बोली- अच्छा आप बताओ आपने किसी को चुदते हुए देखा है?
मैं बोला- हाँ कई लड़कियों को चुदते हुए देखा है।
हंसते हुए मैंने कहा- जिसे भी मैंने चोदा है, जैसे अभी तुम्हें, तो उन्हें चुदते हुए तो देखा ही ना।
“अबे मादरजात ऐसे नहीं, किसी दूसरे को?”
मैंने कहा- वह तो मुझे ध्यान नहीं।
यह सुनकर वह बोली- बे साले चूतिया ! रह गए ना यूं ही झण्डू बाम?
मैं बोला- अच्छा, तुमने किस किस को चुदते हुए देखा है? यह बताओ तो?
वह बोली- कई लोगों को !
मैंने पूछा- जैसे?
वह बोली- एक तो मेरी वार्डन मैम अपने पुराने प्रेमी से चुदवाती थी, उनको देखा है, और मेरी एक सहेली ने हॉस्टल में ही अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाया था थी, और मुझे ‘वहाँ कोई आ ना जाए’ इसकी चौकीदारी करते हुए वहीं आसपास ही डटे रहना पड़ा। तब मैंने अपनी नजरें कोई आ रहा हैं या नहीं इस पर लगाने के बदले अपनी सहेली को ही चुदते हुए देखते रही।
मैंने पूछा- किसकी चुदाई बढ़िया रही?
वह बोली- दोनों ही चुदाइयाँ मस्त रही ! मजा आ गया इन्हें देखकर।
हम लोगों के बीच इसी तरह की मसालेदार बात चलती रही।
कुछ देर बाद साक्षी बोली- कुछ असर हुआ या नहीं?
मैं समझ नहीं पाया, सो पूछा- किसका असर?
वह बोली- अरे लौड़े की गाण्ड में कुछ दम आया क्या?
मैं बोला- यार तू भी ना मादरचोद, एकदम कामचलाऊ टाइप की बात कर रही है। यानि जब खुद को नहीं चुदवाना है, तब मूड बनाकर चुदाई करेंगे, कहती है और जब घुसेड़ने की इच्छा हो रही है तब असर है या नहीं, पूछ रही है।
यह बोलकर मैं हंसा और कपड़े उतारने के लिए बिस्तर से उठा।
वह भी हंसने लगी, बोली- चल चुदवा लेती हूँ तेरे से ! नहीं तो बाद में मैं बात करने के लिए फोन करूँगी तो ‘काम से गए हैं या बाद में बात करता हूँ’ का उत्तर सुनाई पड़ेगा।
यह बोलकर वह भी उठकर कपड़े उतारने लगी। कपड़े उतारकर मैं साक्षी के पास पहुँचा, वह भी अपना सलवार कुर्ता उतार चुकी थी और ब्रा उतारने के लिए हाथ पीछे किए ही थे, तभी मैंने उसको अपने आगोश में ले लिया।
वह बोली- अबे भोसड़ी के ! अपनी कुतिया को नंगी तो हो जाने दे या मेरी चड्डी फाड़कर डालेगा अपना लंड?
मैंने उसकी कोहनी के थोड़ा नीचे अपने होंठ लगाए पर प्यार उसके बगल तक करता आया। ब्रा उतारकर उसने नीचे फेंकी और अपने एक हाथ को पूरा ऊपर कर लिया। इससे मुझसे उसकी पूरी बगल चाटने को खुली मिल गई।
उसे पलंग की ओर धकेलकर मैंने उसे लेटने का संकेत दिया। वह भी बिस्तर पर आई और वैसे ही लेट गई। उसने अपना हाथ ऊपर ही किया हुआ था। लिहाजा मैंने उसकी बगलों को खूब चाटा।
हाँ ! उसे यहाँ चाटने से गुदगुदी नहीं हो रही थी, यह मेरे लिए आश्चर्य की बात रही।
तो साक्षी की चूत का स्वाद तो मेरे लौड़े ने ले लिया है, पर जैसा उसने भी कहा था कि लौड़े को पूरा घुसेड़ना था। जबकि मैं उसे तकलीफ ना हो, इसलिए उसकी पहली चुदाई ज्यादा वहशी तरीके से नहीं की। पर अब जब उसने जमकर चुदने के लिए सहमति दे दी है तो फिर यदि अब उसे जमकर नहीं चोदा तो मैं ही उससे चूतिया कहा जाऊँगा।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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