Sunday, June 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI अलबेली हसीना --2

FUN-MAZA-MASTI

 अलबेली हसीना --2


अभी मैं साक्षी के साथ जमकर सैक्स करने की तैयारी में हूँ। इससे पहले मैंने उसे चोदा तो जरूर, पर लण्ड घुसाते समय इस बात का ख्याल रखा कि उसकी नई चूत में लण्ड घुसने का दर्द ना हो। पर मेरी इस भावना की उसने कद्र नहीं की, बल्कि इस बात को चुनौतीपूर्ण तरीके से कही कि जितने अंदर और जैसे चोद सकते हो चोद देना। यहाँ तक की बात आप पढ़ चुके हैं, अब जानिए उससे आगे की बात।
मैं नंगा हो चुका था, पर साक्षी को कपड़े उतारते समय ही मैंने पकड़ा, उसकी ब्रा उतारी और मैं उसकी बगल को चाटने लगा। गुदगुदी लगने के लिए शरीर के सबसे संवेदनशील इस क्षेत्र को जीभ से रगड़कर चाटने के बावजूद साक्षी जरा भी नहीं उछली, इससे मुझे आश्चर्य हुआ। पर किसी के भी अंडर आर्म्स का टेस्ट लेना मेरे लिए नया अनुभव था। सो मैं भी उसकी बगल को चूसने चाटने में व्यस्त हो गया। जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ, साक्षी के शरीर में बाल बहुत नरमाई लिए हुए होंगे, हालांकि अभी उसके शरीर के बाल साफ थे, पर लग ऐसा रहा था मानो यहाँ बाल कभी हुए ही ना हों। इस नरमाई को चाटने का अलग ही मजा है। मैंने सोचा कि यह किससे बाल साफ करती है, यह साक्षी से पूछूँगा, फिर स्नेहा को भी उसी से उसकी चूत व बगल के बाल हटाने को कहूँगा।
बगल चाटना साक्षी को भी अच्छा लग रहा था, वह अपने हाथ ऊपर उठाए हुए थी, उत्तेजना के कारण उसकी आँखें बंद थी। इसे अच्छे से चूसने-चाटने के बाद मैं अपनी जीभ बगल से रगड़कर स्तन पर लाया और एक निप्पल पर टिक गया। उसके स्तन का मज़ा एक नए तरीके से लेने के मूड में आकर मैंने निप्पल पर तो जीभ घुमाना जारी रखा। साथ ही अपने दोनों हाथ से स्तन को समेटकर प्रेस करने लगा।
यह योजना कारगर रही, साक्षी कुछ ही देर में दूसरा स्तन अपने हाथों से पकड़कर दबाने लगी। उसकी बेताबी देखकर मैंने एक तरफ के स्तन को छोड़, दूसरे तरफ के स्तन को ऐसा ही किया। स्तन और बगल को अच्छे से चाटने के बाद अब मैं अपनी जीभ इसके पेट से होते हुए नाभि, और फिर चूत पर आया। चूत के ऊपरी हिस्से को चूसने के बाद उसकी फली को मुँह में लेकर खींचा और जीभ जितनी अंदर जा सकती थी, करके आगे पीछे किया।
मेरे इस चूमने-चाटने के दौरान साक्षी के मुँह से गालियाँ ही निकलती रही- अबे मादरजात, जीभ से ही चोदेगा क्या भोसड़ी के? अपना लौड़ा क्या अपनी गाण्ड में घुसेड़ लिया हैं आदि आदि।
कुछ देर बाद उसके मुँह से इन सब बातों के बदले गालियों भरी सिसकारी निकलने लगी। उसकी चूत से भी रज निकलना शुरू हो गया। लिहाजा अब मैं चूत से मुँह हटाकर उसके होंठ पर लाया, होंठों को अपने मुँह में दबाकर लौड़े को उसकी चूत में लगाया और एक तगड़ा झटका मारा।
वह इससे उछल गई। पहली बार में ही करीब आधा लौड़ा भीतर हो गया। इससे वह मेरे सीने में हाथ रखकर पीछे करने लगी यह कहते हुए- फट गई रे मेरी चूत।
पर अब मैं रूका नहीं और उसके मुँह में ही अपना मुँह अड़ाकर फिर झटके देने जारी रखा। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा उसकी चूत में पूरा अंदर समा गया। इससे कुछ देर तड़पने के बाद वह मस्त हुई और नीचे से झटके लगाने लगी।
कुछ ही देर में उसने झटके देने की अपनी स्पीड बढ़ाई और फिर मुझसे चिपक गई। कुछ ही देर में मैंने भी उसकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया। हम दोनों यूं ही चिपक कर पड़े रहे।
कुछ देर बाद वह उठी और यूरिनल की ओर बढ़ी।
उसके लौटने पर मैं भी ‘आता हूँ !’ बोलकर यूरिनल गया और पेशाब करके हाथ मुँह धोकर आया। आकर मैंने देखा साक्षी वैसे ही नंगी बैड पर थी।
मुझे देखकर बोली- चलो राजा, थोड़ी और चोदम चुदाई कर लें, क्यूंकि अंधेरा होने से पहले ही मुझे होस्टल पहुँचना पड़ेगा।
मैं बोला- तुम्हारा मूड तो बहुत जल्दी बनता है यार? बहुत खुजली है तुम्हारी चूत में तो?
वह बोली- खुजली है तो बहुत, पर अभी नहीं है। मैंने सोचा कि कहीं तुम कहीं यह बात ना सोचो कि मैं इतनी दूर से आया और मुझे जमकर चोदने को भी नहीं मिला। क्यूंकि टाइम पर मुझे हास्टल पहुँचना जरूरी है। इसलिए सोचा कि जब तक हैं और चुदाई कर लेते हैं। मैं बोला- क्या यार? मैं इतनी दूर से सिर्फ तुमसे मिलने आया। अपने मेहमान को शहर घुमाने का रिवाज नहीं है क्या आप लोगों में? वह बोली- ये सारी फारमेल्टी जानती हूँ, पर आप यहाँ कौन सा घूमने या शहर देखने आए हो? आप जिस काम से आए हो वह पूरा हो जाए बस। इसलिए मुझमें ही मेरी मां-बहन की शक्ल देखकर जी भर कर चोद लो। ताकि बाद में ना खले कि हम साथ में थे पर चुदाई कम की।
मैं बोला- साक्षी, मेरी जान, तुम्हें जितनी बार भी चोदूँगा, तुमसे दूर होकर तुम्हारी कमी खलेगी ही। और सिर्फ़ मेरा ही नहीं, तुम्हारे साथ जिसने भी सैक्स किया होगा, हर उसकी यह हालत रहेगी। मैं यह नहीं बोल रहा कि अब हम चुदाई नहीं करेंगे, जरूर करेंगे पर मजा ले लेकर तुम्हे चोदूँगा, तभी तो मजा आएगा ना ! लगातार सिर्फ़ चुदाई में ही लगे रहना ठीक नहीं लगेगा।
वह बोली- ठीक है, जैसी मर्जी आपकी। अब क्या करेंगे बोलो।
मैं बोला- अभी यहाँ के बाजार चलते हैं। हमारी पहली मुलाकात याद रहे, ऐसा कुछ खरीदते हैं, फिर जल्दी से लौटकर लगेंगे, एक बार फिर।
वह पलंग से उठते हुए बोली- चलिए फिर, बाजार ही घूम लें।
वह वाशरूम गई और फ्रेश होकर आई। लौटकर कपड़े पहने, खुद को आईने में देखकर वह संतुष्ट होने तक संवरती रही। मैंने भी कंघी करके पैन्ट शर्ट पहना।
साक्षी बोली- ठीक दिख रही हूँ ना?
मैं बोला- अब ठीक नहीं, बहुत सुंदर दिख रही हो।
दोनों तैयार होकर रूम बंद करके बाहर आए। होटल के बाहर ही हमें टैक्सी मिल गई। साक्षी ने उसे बताया कि राजपुर रोड पर सिल्वर सिटी माल चलना है।
रास्ते में उसने मुझे बताया कि वहाँ अच्छा व ब्रांडेड माल मिलता है। रास्ते में वह मुझे देहरादून के विशेष स्थानों के बारे में भी बताती रही।
पहुँचकर मैंने उससे कहा- क्या लेना है बताओ, ताकि उसी दुकान में घुसा जाए।
वह अपने लिए कुछ भी लेने से मना करती रही, पर मेरी जिद से हारकर बोली- कुछ भी जो आपको पसंद आए, वह ले लीजिए। आखिरकार मैंने उसके लिए एक ब्रा-पैन्टी का सेट व उसकी पसंद का एक जीन्स व टीशर्ट लिया। इसके अलावा यहाँ से हमने स्नेहा के लिए भी एक साड़ी खरीदी।
खरीददारी के बाद साक्षी ने मुझे वहाँ का मार्केट घुमाया, साथ ही हमने वहाँ पकौड़ी व गुपचुप भी खाए।
मैं बोला- चलो अब, चलकर चोदना भी है, फिर तुम्हें हॉस्टल भी जाना है, 5 बजने ही वाले हैं।
हम लोगों ने टैक्सी पकड़ी और होटल पहुँचे। रूम में पहुँचकर साक्षी मुझसे लिपट गई और बोली- कल इसी ड्रेस को पहनकर आऊँगी मैं ! मेरी सभी सहेलियाँ सोच में पड़ जाएँगी कि मैं अभी घर भी नहीं गई फिर नई ड्रेस कहाँ से आ गई मेरे पास।
मैं बोला- तो क्या बोलोगी?
वह बोली- बोल दूँगी कि मेरे पापा के फ्रेंड ने दी है।
मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था, मैंने उसे अपनी बाजूओं में जकड़ा और उसके होंठ से अपने होंठ चिपकाकर किस किया। साथ ही कुर्ता उतारने के लिए हुक खोलने लगा, पर वह बोली- इसे रहने दे ना यार। सलवार उतार देती हूँ, इसे अभी ऊपर से ही प्यार कर लेना। यह बोलकर उसने सलवार का नाड़ा खोलकर सलवार और पैन्टी को उतारकर वहीं मेज पर डाल दी। नीचे से नंगी होने के बाद उसने मेरे होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए। साथ ही उसके हाथ मेरे लौड़े को सहलाने लगे।
लण्ड तन गया था, उसने मेरे पैन्ट की चेन को सरकाया, मैंने अपनी पैन्ट व अंडरवियर उतारकर वहीं डल दिया। मैं उसके स्तन सहला रहा था।
अब मैंने अपनी गोद में उठाया और बैड पर लाकर लिटा दिया। पलंग पर आते ही उसने मेरे लण्ड को पकड़ अपना मुँह उस पर लगा दिया। उसके मुँह में मेरे लण्ड का सुपाड़ा भी पूरा नहीं आ रहा था। तो उसने इसे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
मुझे ऐसे खाली रहने से बेचैनी लग रही थी, इसलिए मैं घूमकर उसकी चूत पर आ गया।
अब हम 69 की पोजिशन में थे। उसकी चूत को चाटते हुए अपना जल्दी ना गिरे, इसका उपाय भी करना था। अब मेरा टारगेट उसे अधिक उत्तेजित करना था, ताकि उसका जल्दी गिरे। तो मैं हाथ से उसकी चूत की फली को सहलाना और चूत के छेद में जितना अधिक अंदर हो सके जीभ पहुँचाने लगा। उसकी चूत से रज बहने लगा था, यह भीगी थी, कुछ मेरे थूक से और बहुत कुछ उसके रज से।
पर अब साक्षी ने मेरे लण्ड से अपना मुँह हटाया और बोली- वहाँ अब जीभ नहीं, लण्ड घुसेड़ भोसड़ी के।
मैं भी घूमा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने मेरे लौड़े को अपनी चूत पर रखा, मैंने झटका दिया। अब उसके मुँह से उह… आह… फ़ाड़ डालो साली को, जैसी आवाजें निकलने लगी। पर साक्षी के साथ मैंने यह ध्यान किया कि अभी थोड़ी देर पहले ही उसकी चूत में मेरा पूरा लण्ड घुसा था, इसके बावजूद अब फिर लौड़े को अंदर जाने में दिक्कत हो रही थी। क्या किया उसने इतनी जल्दी जो चूत फिर से टाइट हो गई?
जिज्ञासा तो हुई, पर बाद में पूछूँगा यह सोचकर रह गया। मैं उठा व अपने शेविंग किट में से वैसलीन निकाल कर अपने लौड़े के अलावा उसकी चूत में भी लगाई ताकि अब मेरा लौड़ा आसानी से उसकी चूत में जाए।
वैसलीन लगाने के बाद अब मैंने उसके बाल पकड़कर होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में लिया, उसके लबों व मुँह पर अपनी जीभ व मुँह की छाप छोड़ने के साथ ही मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत पर रखा और भीतर की ओर दबाव बढ़ाया। लण्ड व चूत में चिकनाई लगी होने के कारण लण्ड भीतर आराम से गया।
लौड़े के भीतर जाते समय तक साक्षी थोड़ा छटपटाई पर फिर वैसा ही उछलकर साथ देने लगी।
चुदाई का यह दौर भी ज्यादा देर तक नहीं चला, जल्दी ही दोनों का माल गिर गया। काम निपटते ही वह खड़ी हुई और सलवार पहनकर जाने के लिए तैयार हो गई।
मैं भी तैयार हुआ और उसे नीचे तक छोड़ने गया। वहाँ टैक्सी वाला था नहीं। वह बोली- कुछ ही दूरी पर टैक्सी स्टैंड है, वहाँ से मिल जाएगी।
हम टैक्सी स्टैंड की ओर बढ़ चले। रास्ते में उसने पूछा- आपने तो बहुतों के साथ सैक्स किया है, पर सही बोलना, मेरे साथ सैक्स में कैसा लगा आपको?
मैं बोला- बहुत अच्छा लगा। पूरी बात बताने लगा, तो फिर यह रात भी कम पड़ेगी। सो इसे दो लाईन में समेट रहा हूँ, डिटेल इससे ही समझ लेना,
साक्षी की… ब्रा खुली तो शकालका बूमबूम, पैन्टी खुली तो खुल जा सिमसिम !
अंदर डाला तो क्या मस्ती क्या धूम, बाहर निकाला तो ठण्डा-ठण्डा, कूल कूल !!
वह हंसी और बोली- टाइम पास के लिए ये भी बढ़िया है।
मैं बोला- हाँ टाइम ही तो पास करना है। अच्छा, मुझे तुमसे दो बातें जाननी हैं, मुझे आशा है कि इनका जवाब मुझे सही-सही मिल जाएगा।
वह बोली- हाँ, पूछिए ना !
मैं बोला- पहली बात यह कि तुम अपनी चूत और अंडर आर्म्स के बाल किससे साफ करती हो?
वह हंसी फिर बोली- यहाँ के बालों पर मैंने कभी ब्लेड नहीं चलाया, हेयर रिमूवर क्रीम भी कभी मजबूरी में ही लगाई है।
मैं चौंका- फिर साफ किससे करती हो?
वह बोली- मैं वैक्सिंग करती हूँ यहाँ।
मैं चौंका- चूत और बगल के बाल को भी वैक्सिंग से ही निकालती हो?
वह बोली- हाँ, मैंने बताया ना, कि वहाँ के बाल कड़े हो जाएँ, ऐसा कुछ करती ही नहीं हूँ मैं।
मैं बोला- वाह गजब है, पहले सोचा था कि स्नेहा को भी ऐसे ही बाल साफ करने को कहूँगा, ताकि तुम्हारे जैसा मजा उसमें भी मिले। पर वैक्सिंग उससे करवाऊँगा तो उसकी चमड़ी ही निकल जाएगी।
वह हंसने लगी, बोली- यहाँ के बाल नरम रहें इसके लिए आप स्नेहाजी से मेरी बात करा देना। मैं उन्हें आइडिया दे दूँगी जिससे बाल बहुत नर्म आएंगे।
मैं बोला- ठीक है।
वह बोली- और दूसरी बात कौन सी है?
मैं बोला- यह तुम्हारी चूत से संबधित है। मैंने आज तुम्हारी चूत में तीन बार लण्ड डाला, और पहले भी तुम बढ़िया लौड़ों से भी चुदा चुकी हो, फिर क्या कारण हैं थोड़ी देर पहले ही तुम्हारी चूत जिस लण्ड को पूरा ले चुकी होती है उसे दुबारा वहीं घुसाने में फिर परेशानी होती है।
वह बोली- अबे चूत मारी के, अब चोद चुका है ना उसको, फिर उसकी जासूसी क्यों कर रहा है?
मैं बोला- ओह्हो… सीधे से बता ना कि चूत को टाइट करने के लिए तू क्या करती है, यदि दवाई खाती है तो उसका भी नाम बता ताकि मैं इसे अपनी दोस्तों को दे सकूँ।
साक्षी बोली- चोद लिया है भोसड़ी के, फिर भी चूत के चक्कर में ही पड़ा हुआ है।
मैं बोला- अबे यह कोई नया चक्कर नहीं है बहनचोद। पुराने दोस्तों के लिए ही जान रहा हूँ ताकि वो खुश रहें।
वह बोली- मैंने पहले ही बोला था ना कि मेडीसिन की क्लास में भी मैं इस चक्कर में ही लगी रहती कि चूत को टाइट रखने का जुगाड़ तो ढ़ूंढ ही लूँ। सो इस पर बहुत ध्यान लगाकर रखती, पर कोई बढ़िया मेडीसिन इसके लिए नहीं हैं। आखिरकार क्लास के काफी लेक्चर सुनने और टीचर्स की एडवाइस पर मुझे इसकी दवाई मिल गई, जो असर डालती ही है कोई रिएक्शन भी नहीं करती है।
मैं बोला- हाँ, नाम तो बताओ दवाई का।
वह बोली- ऐसे फोकट में ही?
मैं बोला- चल ना मादरचोद, मांग ले फीस जो मांगनी है।
वह बोली- मांगू ना पक्का? गाण्ड तो नहीं फटेगी तेरी?
मैं बोला- अब हजार बार तेरी चूत को चोदूं भोसड़ी की, यहाँ पूरा का पूरा मैं मेरा बैग, पर्स, क्रेडिट कार्ड सब है चूतमारी की, जो बोलेगी वो दूँगा बोल क्या मांगती है।
साक्षी बोली- आ गया ना पटरी पर गाण्डू। चल पहले शर्त रखती हूँ फिर दवाई बताऊंगी।
मैं बोला- हाँ बता !
वह बोली- मेरी एक सहेली है, मंजू नाम है उसका, कल वह मेरे साथ होगी, तो तुझे हम दोनों को चोदना होगा।
मैं बोला- अबे, यह तू फीस ले रही है या इनाम दे रही है?
वह बोली- नहीं यार, तुझे मैं शरम के कारण कुछ बोल नहीं पाई। यह मेरी बहुत अच्छी सहेली है, अभी तक किसी से भी चुदवाया नहीं है उसने ! उसे भी मजा लेना है, सो कल मेरे साथ ही आएगी तो हमारी हेल्प कर देना इसमें यार प्लीज।
मैं बोला- यार, तू पहले ऐसे ही बोली होती तब भी हम सैक्स साथ में ही कर लेते, वो कोई बड़ी बात थोड़ी ना है।
वह बोली- थैंक्स यार ! हाँ, अब तेरी दोस्तों की चूत टाइट रखने का आइडिया दे रही हूँ।
वह आगे कुछ बोलती, इससे पहले ही हमारे पास से एक टैक्सी निकली। साक्षी ने टैक्सी वाले को जोर से आवाज दी।
गाड़ी रूकी और वह दौड़ पड़ी, उसके पीछे मैं भी भागा। टैक्सी के पास पहुँचकर इसने ड्राइवर से बात की और टैक्सी में बैठ गई।
मेरे पास पहुँचते तक ड्राइवर गाड़ी की स्पीड बढ़ाने लगा।
तभी साक्षी चिल्लाई- सुबह हम करीब 11 बजे आएँगे। बाकी बात तब ही करेंगे।
मैंने उसे टा टा किया, और वापस चल पड़ा अपनी होटल की ओर।
साक्षी के साथ जमकर चल रही रंगरेलियों के इस दौर में कल उसकी सहेली मंजू भी जुड़ जाएगी, यह सोचकर मैं खुशी-खुशी अपनी होटल पहुँचा और रूम में ही बैठकर टीवी देखने लगा।


मैं सुबह उठकर जल्दी से तैयार हुआ तथा साक्षी व उसकी सहेली के साथ आने का इंतजार करने लगा।
दोपहर करीब 12 बजे कमरे की घण्टी बजी, मैं दरवाजा खोलने गया। साक्षी अपनी सहेली के साथ आई थी। साक्षी आज ब्लू जींस व सफेद टीशर्ट में बहुत स्मार्ट लग रही थी।
भीतर आते ही वह मुझसे चिपकी और बोली- कैसे हो जानू? हमारे शहर में आपको नींद ठीक आई ना?
मैं बोला- तुम्हारे शहर में तुम्हारी दी हुई थकान के कारण बढ़िया नींद आई। बस अभी थोड़ी देर पहले ही सो कर उठा हूँ।
साक्षी बोली- यह मेरी क्लासमेट मंजू है !
मैं साक्षी से अलग हटकर मंजू के पास गया, उससे हाथ मिलाया।
साक्षी बोली- बस हाथमिलाप?
मैं बोला- अभी यह आई ही है यार। थोड़ी देर में दिल का मिलाप भी हो जाएगा।
मैंने देखा कि मंजू शर्मीली सी हंसी हंसते हुए अपना हाथ मेरे हाथ में देकर खड़ी थी।
साक्षी बोली- दुनिया की सारी खुशी देना इसे, बस यह ध्यान रखना कि कोई तकलीफ ना हो। बहुत नाजों से पाला है इसे।
यह बोलकर वह हँस दी।
साक्षी फ़िर बोली- आप दोनों एक दूसरे के लिए नए हैं इसलिए आपका आपस में परिचय मैं करा देती हूँ। मंजू, ये जवाहरजी हैं। इनकी पत्नी स्नेहा और मैं इन्हें प्यार से जस्सू कहते हैं। तुम भी इन्हें जो चाहे कह सकती हो। और जवाहरजी, यह मंजू है, रहती झारखण्ड में है, पर यहाँ मेरे साथ ही पढ़ रही है। हाँ, इसने अभी तक किसी भी लड़के को नहीं दी है ! अरे इसने किसी को लिफ़्ट नहीं दी है। मेरी रंगरेलियों की कहानी सुनकर इसकी चूत भी पानी छोड़ने लगी तो तब इसने मुझे अपनी चूत की खुजली बताते हुए चुदवाने की अपनी इच्छा बताई, और मैंने इसे आपके बारे में बताया। आपकी सभी कहानियाँ पढ़वाई तो यह आपका लण्ड देखने और उसे अपनी चूत में लेने का निश्चय कर मेरे साथ आई है।
मंजू ने शर्माकर अपनी आँखें झुका ली पर उसके चेहरे पर हंसी यथावत खिल रही थी। मंजू ने काली जींस और गुलाबी टीशर्ट पहनी हुई थी। इसके शरीर के बारे में अपने पाठकों को थोड़ी जानकारी दे दूँ।
मंजू सांवले बदन की है, शरीर दुबला पतला है, कद ठीक है, स्तन और चूतड़ साक्षी की तरह अलग से उभरे हुए नजर नहीं आते। यानि ज्यादा बड़े नहीं हैं।
साक्षी मंजू के पीछे गई, उसे बोली- चल जितना शर्माना था, हो गई उतनी शरम। मुझे देख क्लास में और पढ़ाई के समय मैं पूरी आइंस्टिन हूँ। तब लेक्चरर की गाण्ड भी मुझसे फटती है कि सोच समझकर बोलो और पूरा याद रखो, क्यूंकि साक्षी के सवाल उठे तो उसका जवाब सही ही देना पड़ेगा। और यहाँ जब मजे करने निकलो तब दिमाग से सभी टेंशन निकालकर फेंको और अपने शरीर को दूसरे के शरीर के भीतर घुसाकर ऐसे तलाशो कि अगले की गाण्ड भी हमें चोदते-चोदते ही फट जाए। यानि चुदवाओ और सिर्फ़ चुदवाओ, बाकी और कुछ नहीं, ठीक?
मंजू ने सहमति में अपनी मुण्डी हिला दी।
मैं बोला- क्या यार, मैं 11 बजे से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। सुबह अकेला था इसलिए नाश्ता भी नहीं किया। अब भूख लगी है। चल खाना बोल जल्दी।
वह बोली- भूख तो हमें भी लगी है, क्या खाना है मंजू? तू यह सोचकर रख। अभी वेटर डिश चार्ट लेकर आएगा, तब उसे बताना तुझे ही है ना।
यह बोलकर साक्षी ने वेटर को बुलाने के लिए बेल बजा दी। हम सभी बैड पर जाकर बैठ गए। कुछ ही देर में वेटर आया। दोनों ने अपनी पसंद का आर्डर दे दिया।साक्षी ने मंजू को बैड पर अपने पास बुलाया और कुछ कान में धीरे से बोली।
मैं बोला- यह क्या गोटीबाजी शुरू हो गई दोनों में?
मंजू अब मेरे बगल में आ गई।
साक्षी बोली- क्या यार, मैं देख रही हूँ इतनी देर में आपने मंजू को हाथ भी नहीं लगाया?
मैं हड़बड़ाया ! सही में साक्षी मंजू को चुदवाने के लिए ही यहाँ लाई है और मैंने उसके चूचे भी नहीं दबाए, पर अपनी इज्जत बचाने के लिए बोला- क्या यार, हाथ भी नहीं लगाया, बोल रही हो ? मैं तो नीचे होटल के मेनगेट पर ही मंजू का हाथ पकड़कर उसे चोदने ले जाता, पर ‘नई है’ सोचकर रूक गया।
साक्षी बोली- आप दोनों बढ़िया से मिलिए, कोई शरम नहीं करनी है ! ओके?
मैं बोला- ठीक है !
और अपने हाथ मंजू के वक्ष पर ले गया। ऊपर से दबाने के बाद मैं उसके कुर्ते को निकालने की जुगत में लगा।
तभी साक्षी बोली- जवाहरजी, अभी सब ऊपर से ही करिए। खाना खाने के बाद हम सब नंगे होंगे ना।
मुझे ध्यान आया- हाँ, अभी वेटर खाना लेकर आने वाला है।
मंजू के स्तन बहुत छोटे, पर कड़े थे। मैंने उससे पूछा- तुम्हारा साइज क्या है?
वह बहुत धीमे से बोली- 32 इन्च !
साक्षी भी उसके स्तन पर हाथ रखकर बोली- मैंने कहा है इसे, अब दबा दबाकर इन्हें अपने साइज के कर दूंगी।
मैं भी हंसने लगा और मंजू से बोला- नहीं यार, ऐसे ही ठीक हैं। बढ़ाने के चक्कर में दबाओगी, तो फिर ढीले पड़ जाएंगे। अभी मस्त टाइट हैं।
साक्षी बोली- हाँ, यह बात तो है, सोच ले फिर भी।
खाना खाने से पहले तक मैं मंजू के स्तन दबाने और उसके शरीर को सहलाने में लगा रहा। कुछ ही देर में खाना आ गया। खाने के बाद साक्षी ने फिर वेटर को बुलाया, कमरे को ठीक से साफ करवाया। इसके बाद दरवाजे को अंदर से बंद किया और बोली- चलो अब सब नंगे हो जाओ।
यह बोलकर वह अपने कपड़े उतारने लगी। मंजू भी कपड़े उतारने लगी। उसने अभी जीन्स और शर्ट निकाली थी, ब्रा-पैन्टी में थी, जबकि साक्षी पूरी नंगी हो गई थी।
उसने मंजू को लताड़ा- क्या दुल्हन बनी खड़ी है ये घूँघट में? क्या पति की इन्तजार में है कि वो आयेगा और तुझे मुँह दिखाइ देकर तेरा घूंघट हटाएगा?
हम दोनों को उसकी बात पर हंसी आ गई।
मंजू बोली- वो मुझे पता नहीं है ना साक्षी कि पूरे कपड़े उतारने पड़ते हैं।
साक्षी बोली- अरे लौड़ा तो चूत में ही लेगी ना? अब मैं क्या बताऊँ रे ! तेरी भी सुहागरात ओह सॉरी, सुहागदिन, मेरे साथ-साथ हो रहा हैं। नहीं तो तेरे पूरे कपड़े यही उतारते। तुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती। अपने पल्ले अभी एक ही गाण्डू पड़ा है ना, सो खुद ही एडजेस्ट कर ले यार।
अब तक मंजू के पूरे कपड़े उतर गए थे। अब रूम में हम तीनों एकदम नंगे थे।
मैं साक्षी के पास पहुँच कर उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर किस करने लगा, वह भी मुझे पूरा सहयोग देने लगी। मंजू हमारे पास ही खड़ी होकर हमें देखने लगी। इस किस के बाद मैं साक्षी के उरोजों पर झुका। साक्षी मेरा सिर पकड़कर पलंग की ओर खींच लाई मुझे ! वह पलंग पर लेटी और बोली- मंजू को भी करो ना !
यह बोलकर उसने मंजू को कहा- अरे मंजू आ ना बहनचोद ! चुदने से पहले अपनी फुद्दी तो चटवा ले।
मैंने देखा कि मंजू कपड़े उतरने के बाद भी अपनी चूत को छुपाने की सी स्टाइल में पैर एक पर एक चढ़ाए हुए थी। साक्षी की आवाज सुनते ही वह तेजी से उसके बगल में आकर लेट गई।
साक्षी बोली- अब शर्माना मत, और तू आ मेरे निप्पल को मुँह में लेकर अच्छे से चाट।
पर मंजू पहले उसके होंठों से लगकर किस करने लगी। इधर मैं पहले साक्षी की चूत पर अपनी जीभ मारकर ऊपर से नीचे तक एक बार घुमाया फिर उससे सटकर ही लेटी मंजू पर आ गया। मंजू और साक्षी में अभी किसिंग ही चल रही थी। मैंने मंजू की चूत पर आकर पहले ऊपर जीभ घुमाई, फिर छेद में जीभ डालकर चाटना शुरु कर दिया। छेद में जीभ एक बार पूरी घुमाने के बाद इसे आगे पीछे करने लगा, मंजू इससे मस्त हो गई, उसने दोनों जांघों को पूरा खोल दिया। उसका एक पैर साक्षी के पैर को पार करके उस तरफ हो गया था। मैं उसकी चूत में जितना अंदर हो सके जीभ घुसा कर उसे मुँह से चोद रहा था। मेरे ऐसा करने पर जोश में आकर वह साक्षी के चुचूक बहुत अच्छे से चाट रही थी। इससे साक्षी भी गर्म हो रही थी।
कुछ ही देर में साक्षी ने मंजू का सिर पकड़कर उसे चूत में जाने कहा। मंजू उठ कर मेरी ओर देखने लगी।
तब साक्षी बोली- ऐ माँ की लौड़ी, क्या देख रही है मेरी चूत तेरा भाई चाटने आएगा क्या यार?
मेरे हटते ही मंजू साक्षी की चूत पर लग गई और मैं मंजू की चूत को चाटने लगा। मंजू की चूत से पानी आने लगा।
साक्षी बोली- जवाह,र मेरी चूत में लौड़ा दे दे अपना। इस मादरचोद की चूत का रिबन बाद में काटना !
मैंने भी सोचा, मंजू को तो अभी रोका जा सकता हैं, पर इस बहनचोद को रोकना मुश्किल होगा। सो अब कौन कैसे रहेगा, इसको देखने मैं मंजू की चूत छोड़कर उठा।
मंजू भी साक्षी की चूत से हटी।
अब मैंने मंजू से कहा- मैं इस बिल्ली को पहले चोद देता हूँ, नहीं तो यह मादरचोद बहुत मिमियाएगी, हल्ला करेगी।
साक्षी बोली- चल ना बहन के लौड़े, यहाँ मैं चुदने को तैयार पड़ी हूँ और तू वहाँ मेरे भाई की चोदी को लाईन मारे जा रहा है।
मैं बोला- हाँ आ रहा हूँ ना साली ! कहे तो देहरादून के घण्टाघर चौंक में नगीं करके चोद दूँ?
मंजू से कहा- मैं पहले इसे चोदता हूँ, तू बस अपनी चूत मेरे मुँह पर रखना, ताकि मैं चूत को ठीक से चाट सकूँ।
मंजू बोली- नहीं आप इस कुतिया को पहले चोद लीजिए, मैं इसे चुदते हुए देखूँगी बस।
मैं बोला- यह भी ठीक है।
यह बोलकर मैं साक्षी की चूत पर चारों तरफ जीभ घुमाने के बाद उसे चाटने लगा। साक्षी की चूत से रज बह रहा था।
वह बोली- अबे हथचोदू, जीभ नहीं लौड़ा डाल।
मैं उसे चाटते हुए ऊपर आया और अब अपने लौड़े को उसकी चूत में लगाया, छेद में रखकर दबाया ही था कि उसने भी नीचे से झटका मारा। इससे लंड़ का बड़ा भाग भीतर घुस गया। अब साक्षी पूरे जोश में आ गई, कई-कई गालियाँ उसके मुँह से धाराप्रवाह निकलने लगी। थोड़ी देर बाद वह बोली- अबे बहन की लौड़ी, तू इधर आ अपनी चूत को मेरे मुँह में दे। मैं भी आज तेरी कुंवारी चूत का स्वाद चख लेती हूँ।
मंजू उसके पास गई और उसके मुँह पर ही जाकर टिक गई।
मैं बोला- खूब मजा ले ले मादरचोद ! चूत में लण्ड और मुँह में चूत?
अब मैंने जोर का झटका मारा और लौड़े को करीब करीब पूरा ही उसकी चूत में घुसा दिया।
इससे वह उछली, उधर मैंने शाट को धीमा नहीं किया। जोर के झटके से साक्षी थोड़ी देर तो उछली, फिर वह भी नीचे से उचकने लगी। मंजू को पता नहीं वह काट रही थी या और कोई बात हो, मंजू उसके मुँह से अलग हटकर अपनी चूत में उंगली डाल रही थी। साक्षी अब हल्के धक्के के बदले बहुत तेजी से उछल रही थी। थोड़ी ही देर में वह उछली और शांत हो गई, बस तभी मेरा भी गिर गया।
हम लोग चिपके पड़े थे तभी साक्षी बोली- कहाँ गई रे मेरी प्राणप्यारी?
मैंने देखा, मंजू का भी शायद हो गया था। इसलिए वह बिस्तर पर लेटी थी। साक्षी ने उसके एक निप्पल को पकड़ कर अपने पास खींचा और उसके निप्पल को मुँह में भर लिया।
मैं मंजू की चूत की ओर होकर चाटने लगा। थोड़ी ही देर में साक्षी उठी और वाशरूम में पेशाब करने चल दी।
मैं मंजू की चूत पर ही लगा रहा।
बाहर आकर साक्षी ने मंजू से पूछा- तूने भी हाथ से किया है ना?
मंजू हाँ बोली।
साक्षी बोली- जवाहरजी, अब आप भी फ्रेश हो लीजिए। थोड़ी ही देर में आपको मंजू को भी चोदना है।
मैं उठा और यूरिनल की ओर बढ़ लिया।
मेरे वापिस आने पर साक्षी बोली- यार सब अपना नंगापन ढक लो ! एक-एक काफी पी लेते हैं।
मंजू प्रश्नवाचक नजरों से उसे देखने लगी।
मैं बोला- अरी, इस राण्ड का मतलब है, कपड़े पहन लो।
फ़िर मैं साक्षी से बोला- 3 बजे हैं, जल्दी नहीं हो जाएगी।
वह बोली- नहीं, बहुत देर हो गई है। हमारे कमरे में कोई हलचल भी नहीं है, कहीं भोसड़ी का वेटर ही झांकने ना लगे। इसलिए मैं वेटर को बुलाती हूँ।
मैं ओके बोलकर अपने कपड़े पहनने लगा। दोनों लड़कियों ने भी पैन्ट और ऊपर से शर्ट ही डाल ली।
बेल दबाकर साक्षी पलंग पर आकर बैठ गई। कुछ ही देर में वेटर आया और आर्डर लेकर गया।
साक्षी ने मंजू से पूछा- कैसी लगी तुझे मेरी चुदाई?
मंजू बोली- बहुत बढ़िया ! तुम चूत भी बहुत मस्त चाटती हो, इसलिए मेरा जल्दी हो गया था।
साक्षी उसका दूध दबाते हुए बोली- तभी तो मादरचोद, इतनी जल्दी मेरे ही मुँह में अपना रस छोड़ रही थी।मंजू शर्माई और हम दोनों हंसने लगे।
मैंने साक्षी से कहा- वो कल मैंने तुमसे कुछ पूछा था, तब तुम्हें अपने हॉस्टल जाने की जल्दी थी। अब बताओ ना कि तुम अपनी चूत को टाइट कैसे रखती हो?
साक्षी बोली- हाँ, यह बताना है। पर आपके पास तो चूत नहीं हैं, आप क्या करोगे इसे जानकर?
मैं बोला- यह तुमसे किसने कहा कि मेरे पास चूत नहीं है? मेरे पास इतनी चूतें हैं कि उतनी किसी के पास भी नहीं।
मंजू बोली- हाँ, उनमें से तो दो-तीन चूतों के नाम भी जानती हूँ मैं !
साक्षी बोली- ओके ! ओके ! बताती हूँ ! देखिए स्नेहाजी या अपनी जिस भी फ्रेंड को आप बताना चाहो अपनी चूत को ठीक व टाइट रखने का उपाय, उन्हें बोलिएगा कि सुबह उठने के बाद वाशरूम में जाएँ, अपने साथ फिटकरी का एक छोटा सा टुकड़ा रखें। इस टुकड़े को बाल्टी के थोड़े से पानी में अच्छे से घोलें, फिर मूतने से फारिग होने के बाद फिटकरी के इस पानी से अपनी चूत को बहुत अच्छे से धो लें। ऐसा रात को सैक्स के बाद, सोने से पहले भी करना है। ध्यान रहे इस पानी को चूत के छेद में भी डालना हैं। ऐसा जब तक करते रहे, अच्छा है। स्नेहाजी या ऐसे महिलाएँ जिनकी उम्र ज्यादा हैं, बच्चे हो गए हैं जिनके, उन्हें इसका फायदा तुरंत और ज्यादा तो नजर नहीं आएगा। पर मेरी उम्र की लड़कियों को इसका फायदा तुरंत महसूस होगा।
‘ओके !’ मैंने सहमति से सिर हिलाया।
साक्षी बोली- मंजू, अब आज के बाद तू भी इसे करना, तो सुहागरात के दिन तेरे आदमी का लण्ड चूत में घुसाने के चक्कर में टूट जाएगा। फिर जवाहरजी से ही चुदवाती रहना बढ़िया से !
वह हंस दी।
वेटर काफी लेकर आया। इसे पीते तक हम लोग यूँ ही सामान्य बातें करते रहे। काफी खत्म करके कप भिजवाने के बाद साक्षी खड़े होकर बोली- चल मंजू, नंगी हो जल्दी से।
मंजू अपने कपड़े उतारने लगी। मैं यूरिनल गया। वहीं अपना पैन्ट व अंड़रवियर उतारकर रखा।फिर लौड़े को धोकर आया। मुझे लगा कि मंजू पहली बार चुदवा रही हैं सो उसकी चूत में जाने वाला लौड़ा भले ही नया ना हो पर किसी के रज से सना हुआ भी नहीं होना चाहिए। मैं उसे अच्छे से साफ करने लगा।





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