FUN-MAZA-MASTI
हरामी डाक्टर
हेलो दोस्तों, तो आपको पता है कि डाक्टरी का पेशा जिसमें कि चूंचे दाबने व चोदने की अपार संभावनाएं होती हैं, उसमें किस प्रकार से हम अपने लंड को निजी तौर पर रोज नयी नयी खुराक दे सकते हैं। तो आईये आपको अपना एक निजी अनुभव बताते हैं। बनारस जिले के एक छोटे से कस्बे में मैं एक क्लिनिक चलाता हूं अमितांशु क्लिनिक के नाम से। मेरी डिग्री तो कोई खास नहीं है, बस पहले एक बड़े डाक्टर के पास में सहायक कम्पाउंडर था और बाद में एक जगह थोड़ी जमीन लेकर एक कमरा बनाकर प्रैक्टिस करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे बीएएमएस की डिग्री खरीद ली और फिर एलोपैथिक प्रैक्टिस करने लगा। कुल मिला के मेरी गड्डी चल निकली और आज मैं बड़े हास्पिटल का मालिक हूं। आईये करते हैं मुद्दे की बात। चूत और लंड के माया जाल से तो कोई न बच सका है और इसलिए मैं आपको सुनाता हूं हालिया कहानी। मैंने बाद में अपने को स्त्रीरोग विशेषग़्य भी घोषित कर दिया था जिससे कि लोग मेरे पास अपनी निजी जीवन की समस्याएं लेकर भी आने लगे थे। डिलीवरी कराना और स्त्रियों का अंतरंग परीक्षण करना मेरा रोजाना का काम था। महिलाओं में आंटियां, भाभियां और कुंवारी लड़कियां भी शामिल होती थीं जिनको कि मैं ग्रीन रुम में ले जाकर के परीक्षण स्वयं करता था और फिर एक दिन एक ऐसी लड़की आई जिसने चूंचे दिखाकर मेरा लंड खड़ा कर दिया।
उस लड़की की समस्या थी कि उसका मासिक रेगुलर नहीं आता था, ऐसे में उसे बहुत दर्द होता था। उसने मुझसे अपनी समस्या बताई। मैं उसकी समस्या सुनता रहा पर मेरी नजर उसके दमकते बदन और हुस्न पर थी। उसे देख कर मेरा लंड पहले से एकदम खड़ा हो गया था। मैने देखा उसके कुंवारे चूंचे शान से सलवार के अंदर से सर उठाए खड़े थे। उसके कठोर निप्पल कप्ड़े के नीचे से भी महसूस किये जा सकते थे और उसकी कातिल जवानी के कंटीली कमर की अदाएं उसके बैठने पर भी साफ नुमाया थीं, गहरी नाभि चिपकी हुई सलवार के उपर से दिख रही थी। अचरज यह कि उसने कोई ओढनी नहीं ली थी,
मैं उसे चेक अप रुम में ले गया। वहां ले जाकर उसको अपनी सलवार उपर करने को कहा। पहले तो वो हिचकिचाई पर जब मैंने कहा कि ऐसे कैसे पता चलेगा तुम्हें क्या रोग है, दिखाओ तो वो नर म पड़ गयी और उसने अपनी सलवार उपर की। लाख लाख शुक्र है, उसने कुछ नहीं पहना था। मैने उसकी सलवार निकाल दी। वो चुप थी। गांव कि लड़कियां अक्सर चुप ही रहती हैं इस दौरान।, मैने थर्मामीटर उसकी कांख में डाला और उसके मस्त चूंचों पर आला रख कर के दबाते हुए उसको उत्तेजित करने लगा। मेरे कानों में उसके उत्तेजित होने पर बढती सांसों की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं। मैने आले से उसको दबाते हुए उसके दूसरे चूंचे को हाथ से दबाया। वो बोली ‘ साहब ये क्या कर रहे हो। मैने कहा ‘ बाबू डाक्टर के पास पहली बार आई हो क्या जो ऐसे बोल रही हो। देख रहा हूं तुम्हारे अंगों में खराबी तो नही है कोई।
उसने अपना नाड़ा ढीला किया। मैने उसको बेड पर बिठा दिया था, उसके नंगे चूंचों को देख कर के मेरे मुह में पानी आ रहा था। उसके चूंचे एक दम टाईट हो चुके थे और मेरे दबाने से वो और भी रेडी थे, मुझे पता था कि उसके चूत में भी गीलापन आ ही गया था। पर अब इसे चेक करना बाकी था।
उसके पाजामी को नीचा करते ही मैने उसके पेट को दबाया, और पूछा दर्द हो रहा है। तो वो बोली नहीं सब ठीक है। फिर मैने हाथ जरा सा नीचे किया तो देखा झांटों का झुरमुट मेरे हाथों में था। मेरा लन्ड और सनसना गया, मैने कहा क्या तुम सफाई नहीं करती हो। तो वो बोली कि नहीं मौका नहीं मिलता। मैने उसकी पाजामी पूरी खींच दी। वो उत्तेजित हो चुकी थी और उसके हाथ अपने चूंचे पर स्वत चले गये थे। मैने देखा कि झांटों के बीच उसकी सुरक्षित चूत एकदम दिव्य दिख रही थी। दबोचते हुए मैने उसको अपने कब्जे में लिया और फिर थोड़ा रगड़ने के बाद देखा कि वो एकदम गीली हो चुकी है। मैने थर्मामीटर उसके चूत में डाल दिया। और कहा थोड़ी देर अंदर बाहर करती रहो, जितना अंदर ले सकती हो ले लो, मुझे तुम्हारे अंदर का ताप मान नापना है। उसने थर्मामीटर अपने चूत में अंदर डाल लिया और मैं उसके चूंचे की तरफ फिर से घूमा। स्टेथेस्कोप को जिसे कि लोग आला कहते हैं देसी भाषा में, उसको उसके मस्त चूंचे के बीचो बीच उसकी घाटी में लगाकर के मैने उसकी धड़कन सुनी। वो दो गुनी हो चुकी थी। उसकी सांसें एकदम तेज थीं। मैने बायां चूंचा पकड़ कर दबाया और दायें को भी दबाने लगा। उसने कोई विरोध न किया। तो मैने उसे समझाया, इस तरह करने से तुम्हारे अन्दर का तापमान बढ़ेगा, तभी तो मैं जान पाउंगा थर्मा मीटर से कि कितना तापमान है। कहीं तुम्हारी अंदरुनी भागों में कोई खराबी या ज्वर तो नहीं है। वो मुझसे पूरी तरह सहमत दिखाई दी, मुझे लगा कि उसको मजा भी आने लगा था। उसने कहा कि ‘ जो भी करना हो करिये पर मुझे ठीक कर दीजिये’ मैने कहा कि ओके।
अब मुझे आजादी मिल चुकी थी उसके साथ खुल के खेलने की। मैने अपने हाथों से उसके चूंचे को मसलते हुए अपना मुह एक के निप्पल के पास ले गया। वो मदहोशी में आंखें बंद किये बेड पर लेट गयी, उसने चूत में थर्मामीटर घुसाया हुआ था और वो अपने आप उसे अंदर बाहर करने लगी थी। मैं उसके कुंवारे चूंचे का स्तनपान करने लगा।
आखिर में जब मैने उसकी चूत में थर्मामीटर डाल कर उसके स्तन मर्दन करने शुरु किये तो वो एक दम से चुदवासी हो गयी। सच कहूं तो कुंवारी लँडकियों का मासिक सिर्फ इसलिए भी रुक जाता है कि उनको लंड की उस समय दरकार होती है। एक बार जब मोटा लंड चूत के रस्ते को नाप जाता है उनकी मासिक अनियमितता की समस्या दूर हो जाती है। मेरी यह मरीज इतनी सेक्सी थी कि इसे देखते ही चोदने का मन हो गया था और इसकी समस्या भी कुछ ऐसी थी कि बस बिना चोदे ठीक न होती। तो कहानी के आखिरी सीन से शुरु करते हैं जहां मैने आपको छोड़ा था। मैने उसकी चूत में थर्मामीटर कोंच दिया था और उसके चूंचे को चूस रहा था। मारे उत्तेजना के वह अपने चूत में थर्मामीटर को अन्दर बाहर करने लगी थी। अब उसको चुदास को चढते देर न थी, या फिर उसे चुदास चढ चुकी थी। मैने देखा।
उसके चूत से निकला पानी थर्मामीटर पर चिपक रहा था, मुझे खुशी थी कि वो गीली हो चली थी। मैने बांयें चूंचे को अच्छे से सहलाते हुए चूसा और फिर दायें को दबाना शुरु किया। हर हालत में मुझे मजा आ रहा था। बांयां चूंचा एक दम टाईट हो चला था और तन कर के अपने काले निप्पल के साथ मेरा सीना बेधने के लिए तैयार था। मैने दाएं चूंचे को पकड़ कर अपने मुह में भर लिया, जितना ज्यादा भर सकता था उतना ज्यादा, अब वो लड़की पूरा थर्मामीटर अपनी चूत में कोंचने पर आमदा थी, पर अंदर की कौमार्य झिल्ली उसको ऐसा न करने दे रही थी। मैने उसके स्तन को अपने मुह में लेकर दोनों हाथों से ऐसे दबाया जैसे कि उसको अपने मुह में दूह रहा हूं। वो एक दम से आहें भरने लगी थी। दो तीन मिनट तक उसके चूंचे में मुह से हवा भरने के बाद मैने अब अपना लंड पाजामे से बाहर निकाला। वो मदहोशी में आंखें बंद किये हुई थी। उसके मुह के पास लंड ले जाकर मैने उसके बड़े से सुपाड़े को उसके होठों पर रगड़ा तो वो सुगबुगाई और अपना मुह स्वयं खोल दिया। मैं सिरहाने खड़ा था। मैने उसके सिर को बेड के किनारे खींच कर और लटका दिया। उसका सिर बेड से नीचे उल्टा लटक रहा था और मैं अपना लंड लिये उसके मुह में पेलने पर आमदा था। गच्च!! और ये पहला मुख मैथुन का शाट। मेरे हाथ उसके चूंचे मसल रहे थे और लंड अंदर मुह में घुसा था।
मैने कहा रानी!! अब आयेगा असली मजा और अपने लंड को जोर जोर से धक्के देकर उसको चोदना शुरु कर दिया। यह था चूंच चोदन। पांच मिनट तक इस पोजिशन में चोदने के बाद मैने अब अपनी प्यारी कुंवारी देसी मरीज की टांगों के बीच में लंड को पोजिशन किया। अपना एक हाथ उसके मुह के अंदर कोंच कर चूसने के लिए कर दिया, जिससे कि पेलने पर उसके मुह से चिल्लाहट न निकले। और फिर लंड को भीगी चूत के भीगे होटों पर रगड़कर के एक जोरदार धक्का लगाया कि फनफनाते हुए लंड अंदर घुसा। दो इंच अंदर जाने के बाद उसको दर्द होना शुरु हो गया। आह्ह, और फिर मैने उसको अपने हाथों से मुह पर ढक्कन लगा के एक जबरदस्त झटका दिया। इस बार चूत के फाटक को चीरता मेरा मोटा लंबा लन्ड उसके बच्चे दानी के दरवाजे पर दस्तक दे चुका था। वो अपने पैरों को सिकोड़े आंखों में आंसू समेटे अपने चीख को घुटी घुटी आवाज में ही व्यक्त कर सकी। मैने लंड को अब सरकाना शुरु किया।
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हरामी डाक्टर
हेलो दोस्तों, तो आपको पता है कि डाक्टरी का पेशा जिसमें कि चूंचे दाबने व चोदने की अपार संभावनाएं होती हैं, उसमें किस प्रकार से हम अपने लंड को निजी तौर पर रोज नयी नयी खुराक दे सकते हैं। तो आईये आपको अपना एक निजी अनुभव बताते हैं। बनारस जिले के एक छोटे से कस्बे में मैं एक क्लिनिक चलाता हूं अमितांशु क्लिनिक के नाम से। मेरी डिग्री तो कोई खास नहीं है, बस पहले एक बड़े डाक्टर के पास में सहायक कम्पाउंडर था और बाद में एक जगह थोड़ी जमीन लेकर एक कमरा बनाकर प्रैक्टिस करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे बीएएमएस की डिग्री खरीद ली और फिर एलोपैथिक प्रैक्टिस करने लगा। कुल मिला के मेरी गड्डी चल निकली और आज मैं बड़े हास्पिटल का मालिक हूं। आईये करते हैं मुद्दे की बात। चूत और लंड के माया जाल से तो कोई न बच सका है और इसलिए मैं आपको सुनाता हूं हालिया कहानी। मैंने बाद में अपने को स्त्रीरोग विशेषग़्य भी घोषित कर दिया था जिससे कि लोग मेरे पास अपनी निजी जीवन की समस्याएं लेकर भी आने लगे थे। डिलीवरी कराना और स्त्रियों का अंतरंग परीक्षण करना मेरा रोजाना का काम था। महिलाओं में आंटियां, भाभियां और कुंवारी लड़कियां भी शामिल होती थीं जिनको कि मैं ग्रीन रुम में ले जाकर के परीक्षण स्वयं करता था और फिर एक दिन एक ऐसी लड़की आई जिसने चूंचे दिखाकर मेरा लंड खड़ा कर दिया।
उस लड़की की समस्या थी कि उसका मासिक रेगुलर नहीं आता था, ऐसे में उसे बहुत दर्द होता था। उसने मुझसे अपनी समस्या बताई। मैं उसकी समस्या सुनता रहा पर मेरी नजर उसके दमकते बदन और हुस्न पर थी। उसे देख कर मेरा लंड पहले से एकदम खड़ा हो गया था। मैने देखा उसके कुंवारे चूंचे शान से सलवार के अंदर से सर उठाए खड़े थे। उसके कठोर निप्पल कप्ड़े के नीचे से भी महसूस किये जा सकते थे और उसकी कातिल जवानी के कंटीली कमर की अदाएं उसके बैठने पर भी साफ नुमाया थीं, गहरी नाभि चिपकी हुई सलवार के उपर से दिख रही थी। अचरज यह कि उसने कोई ओढनी नहीं ली थी,
मैं उसे चेक अप रुम में ले गया। वहां ले जाकर उसको अपनी सलवार उपर करने को कहा। पहले तो वो हिचकिचाई पर जब मैंने कहा कि ऐसे कैसे पता चलेगा तुम्हें क्या रोग है, दिखाओ तो वो नर म पड़ गयी और उसने अपनी सलवार उपर की। लाख लाख शुक्र है, उसने कुछ नहीं पहना था। मैने उसकी सलवार निकाल दी। वो चुप थी। गांव कि लड़कियां अक्सर चुप ही रहती हैं इस दौरान।, मैने थर्मामीटर उसकी कांख में डाला और उसके मस्त चूंचों पर आला रख कर के दबाते हुए उसको उत्तेजित करने लगा। मेरे कानों में उसके उत्तेजित होने पर बढती सांसों की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं। मैने आले से उसको दबाते हुए उसके दूसरे चूंचे को हाथ से दबाया। वो बोली ‘ साहब ये क्या कर रहे हो। मैने कहा ‘ बाबू डाक्टर के पास पहली बार आई हो क्या जो ऐसे बोल रही हो। देख रहा हूं तुम्हारे अंगों में खराबी तो नही है कोई।
इसके बाद मैने उसके दूसरे चूंचे पर आला लगाया और थर्मामीटर निकाल कर उसके दूसरी कांख में दबा दिया। मैने पहले चूंचे को पकड़ कर दबाना शुरु कर दिया। पहले हल्के हल्के दबाया। वाह्ह क्यां मस्त स्तन थे, इतने बढ़िया कि मैने सोचे भी न थे। एक दम टाईट, जैसे जैसे मेरे सामने वो नंगी होती गयी, उसके चूंचे और भी तगड़े होते गये। मैने दूसरे चूंचे को भी पकड़ लिया और दोनों को दो मिनट तक दबाने के बाद बोला। उपर तो सब सही दिख रहा है। तुम्हारे चूंचों में कोई दिक्कत नहीं है अब जरा अपनी पाजामी खोलो।
उसने अपना नाड़ा ढीला किया। मैने उसको बेड पर बिठा दिया था, उसके नंगे चूंचों को देख कर के मेरे मुह में पानी आ रहा था। उसके चूंचे एक दम टाईट हो चुके थे और मेरे दबाने से वो और भी रेडी थे, मुझे पता था कि उसके चूत में भी गीलापन आ ही गया था। पर अब इसे चेक करना बाकी था।
उसके पाजामी को नीचा करते ही मैने उसके पेट को दबाया, और पूछा दर्द हो रहा है। तो वो बोली नहीं सब ठीक है। फिर मैने हाथ जरा सा नीचे किया तो देखा झांटों का झुरमुट मेरे हाथों में था। मेरा लन्ड और सनसना गया, मैने कहा क्या तुम सफाई नहीं करती हो। तो वो बोली कि नहीं मौका नहीं मिलता। मैने उसकी पाजामी पूरी खींच दी। वो उत्तेजित हो चुकी थी और उसके हाथ अपने चूंचे पर स्वत चले गये थे। मैने देखा कि झांटों के बीच उसकी सुरक्षित चूत एकदम दिव्य दिख रही थी। दबोचते हुए मैने उसको अपने कब्जे में लिया और फिर थोड़ा रगड़ने के बाद देखा कि वो एकदम गीली हो चुकी है। मैने थर्मामीटर उसके चूत में डाल दिया। और कहा थोड़ी देर अंदर बाहर करती रहो, जितना अंदर ले सकती हो ले लो, मुझे तुम्हारे अंदर का ताप मान नापना है। उसने थर्मामीटर अपने चूत में अंदर डाल लिया और मैं उसके चूंचे की तरफ फिर से घूमा। स्टेथेस्कोप को जिसे कि लोग आला कहते हैं देसी भाषा में, उसको उसके मस्त चूंचे के बीचो बीच उसकी घाटी में लगाकर के मैने उसकी धड़कन सुनी। वो दो गुनी हो चुकी थी। उसकी सांसें एकदम तेज थीं। मैने बायां चूंचा पकड़ कर दबाया और दायें को भी दबाने लगा। उसने कोई विरोध न किया। तो मैने उसे समझाया, इस तरह करने से तुम्हारे अन्दर का तापमान बढ़ेगा, तभी तो मैं जान पाउंगा थर्मा मीटर से कि कितना तापमान है। कहीं तुम्हारी अंदरुनी भागों में कोई खराबी या ज्वर तो नहीं है। वो मुझसे पूरी तरह सहमत दिखाई दी, मुझे लगा कि उसको मजा भी आने लगा था। उसने कहा कि ‘ जो भी करना हो करिये पर मुझे ठीक कर दीजिये’ मैने कहा कि ओके।
अब मुझे आजादी मिल चुकी थी उसके साथ खुल के खेलने की। मैने अपने हाथों से उसके चूंचे को मसलते हुए अपना मुह एक के निप्पल के पास ले गया। वो मदहोशी में आंखें बंद किये बेड पर लेट गयी, उसने चूत में थर्मामीटर घुसाया हुआ था और वो अपने आप उसे अंदर बाहर करने लगी थी। मैं उसके कुंवारे चूंचे का स्तनपान करने लगा।
आखिर में जब मैने उसकी चूत में थर्मामीटर डाल कर उसके स्तन मर्दन करने शुरु किये तो वो एक दम से चुदवासी हो गयी। सच कहूं तो कुंवारी लँडकियों का मासिक सिर्फ इसलिए भी रुक जाता है कि उनको लंड की उस समय दरकार होती है। एक बार जब मोटा लंड चूत के रस्ते को नाप जाता है उनकी मासिक अनियमितता की समस्या दूर हो जाती है। मेरी यह मरीज इतनी सेक्सी थी कि इसे देखते ही चोदने का मन हो गया था और इसकी समस्या भी कुछ ऐसी थी कि बस बिना चोदे ठीक न होती। तो कहानी के आखिरी सीन से शुरु करते हैं जहां मैने आपको छोड़ा था। मैने उसकी चूत में थर्मामीटर कोंच दिया था और उसके चूंचे को चूस रहा था। मारे उत्तेजना के वह अपने चूत में थर्मामीटर को अन्दर बाहर करने लगी थी। अब उसको चुदास को चढते देर न थी, या फिर उसे चुदास चढ चुकी थी। मैने देखा।
उसके चूत से निकला पानी थर्मामीटर पर चिपक रहा था, मुझे खुशी थी कि वो गीली हो चली थी। मैने बांयें चूंचे को अच्छे से सहलाते हुए चूसा और फिर दायें को दबाना शुरु किया। हर हालत में मुझे मजा आ रहा था। बांयां चूंचा एक दम टाईट हो चला था और तन कर के अपने काले निप्पल के साथ मेरा सीना बेधने के लिए तैयार था। मैने दाएं चूंचे को पकड़ कर अपने मुह में भर लिया, जितना ज्यादा भर सकता था उतना ज्यादा, अब वो लड़की पूरा थर्मामीटर अपनी चूत में कोंचने पर आमदा थी, पर अंदर की कौमार्य झिल्ली उसको ऐसा न करने दे रही थी। मैने उसके स्तन को अपने मुह में लेकर दोनों हाथों से ऐसे दबाया जैसे कि उसको अपने मुह में दूह रहा हूं। वो एक दम से आहें भरने लगी थी। दो तीन मिनट तक उसके चूंचे में मुह से हवा भरने के बाद मैने अब अपना लंड पाजामे से बाहर निकाला। वो मदहोशी में आंखें बंद किये हुई थी। उसके मुह के पास लंड ले जाकर मैने उसके बड़े से सुपाड़े को उसके होठों पर रगड़ा तो वो सुगबुगाई और अपना मुह स्वयं खोल दिया। मैं सिरहाने खड़ा था। मैने उसके सिर को बेड के किनारे खींच कर और लटका दिया। उसका सिर बेड से नीचे उल्टा लटक रहा था और मैं अपना लंड लिये उसके मुह में पेलने पर आमदा था। गच्च!! और ये पहला मुख मैथुन का शाट। मेरे हाथ उसके चूंचे मसल रहे थे और लंड अंदर मुह में घुसा था।
अब वो अपने थर्मामीटर को तेजी तेजी से अंदर बाहर कर के मजे भी ले रही थी। मैने मोटे लंड को उसके मुह में देकर धक्के मारने शुरु कर दिये। हालांकि ये स्टाइल ज्यादा खतरनाक होती है और इसलिए संभल संभल कर मुह में चोदन करना चाहिए। वो निशब्द थी क्योंकि मुह में लंड था और इसलिए उसको कुछ कहे न बन रहा था। पर उसके रवैये से लग रहा था कि मेरे मोटे लंड को देख कर के वो और भी उत्तेजित हो गयी थी। तो बात यह थी कि अब उस कुंवारी लड़की की हायमन बोले तो कौमार्य झिल्ली मेरे आड़े थी। मैने देसी मुखमैथुन का जी भर के मजा लेने के बाद उसके मुह से लंड खींचा और उसके सीने पर सवार हो गया। उसके दोनों चूंचों पर बारी बारी से सुपाड़े को पटकते हुए छ्ड़ी की तरह से पीटते हुए लंड को मैने पूछा- “जानेमन!! कैसा लग रहा है तुम्हारा इलाज!! बोली वो ” अग़र ऐसा करने से ठीक हो जाए तो रोज तुम्हारे पास आकर चुदाउंगी डाक्टर साहब!!” मैने कहा अवश्य बालिके!! और फिर उसके दोनों बड़े चूंचे के बीच लंड को पेलने लगा। वो समझ गयी उसे क्या करना है। उसने अपने दोनों चूंचे मेरे बड़े मोटे लंड के दोनों तरफ कस के दबा दिये और फिर खुद ही उनको दबाके मसल्ने लगी मेरे लौड़े को।
मैने कहा रानी!! अब आयेगा असली मजा और अपने लंड को जोर जोर से धक्के देकर उसको चोदना शुरु कर दिया। यह था चूंच चोदन। पांच मिनट तक इस पोजिशन में चोदने के बाद मैने अब अपनी प्यारी कुंवारी देसी मरीज की टांगों के बीच में लंड को पोजिशन किया। अपना एक हाथ उसके मुह के अंदर कोंच कर चूसने के लिए कर दिया, जिससे कि पेलने पर उसके मुह से चिल्लाहट न निकले। और फिर लंड को भीगी चूत के भीगे होटों पर रगड़कर के एक जोरदार धक्का लगाया कि फनफनाते हुए लंड अंदर घुसा। दो इंच अंदर जाने के बाद उसको दर्द होना शुरु हो गया। आह्ह, और फिर मैने उसको अपने हाथों से मुह पर ढक्कन लगा के एक जबरदस्त झटका दिया। इस बार चूत के फाटक को चीरता मेरा मोटा लंबा लन्ड उसके बच्चे दानी के दरवाजे पर दस्तक दे चुका था। वो अपने पैरों को सिकोड़े आंखों में आंसू समेटे अपने चीख को घुटी घुटी आवाज में ही व्यक्त कर सकी। मैने लंड को अब सरकाना शुरु किया।
हर पल के बाद हर शाट के बाद दर्द मजे में बदल रहा था और मेरी मरीज का दुख कम हो रहा था। दो मिनट बाद मैने उसके मुह से हाथ हटाया तो बोली ” आपने तो मुझे मार ही दिया था” मैने अब उसके चूंचे मसलते हुए नार्मल देसी मिशनरी स्टाइल में उसकी चूत लेनी शुरु कर दी थी। उसने भी अपने उत्साह को व्यक्त करते हुए मौके पर हर शाट का जवाब एक उछाल के साथ दिया। परफेक्ट टायमिंग के चल्ते लंड का आघात चूत पर मैक्सिमम था और फिर चुदते हुए उसको डबल मजा आ रहा था। हाय रे कुंवारी चूत, इतनी टाईट थी कि पहले की मारी हुई सारी गांडों के सुराख का मजा भूल चुका था मैं और सोच रहा था कि इसकी गांड अगली बार मारके अलग से मजे लूंगा। अरे भाई इलाज एक दिन में कहां खतम होता है। मैने आखिरी झटके के साथ लंड को बाहर खींच कर वीर्य को चूंचों पर छिड़कते हुए उन्हें नहला दिया। हरामी डाक्टर के चूंचे के शिकार की कहानियां आपके लिए जारी रहेंगी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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