FUN-MAZA-MASTI
इसलिए मैने करीना आंटी के साथ खेल करने के बारे में सोचा। दूधिया गोरा रंग, मलमली काली जुल्फें, कसी हुई मझोले कद की गांड और सी कप इंडीयन ब्रा पहनने वाली करीना आंटी की जीरो फिगर देख कर मेरा लंड पहले ही उनकी चूत की कल्पना करके डांस करने लगता था। इसलिए मैने आज उनके साथ कैरम खेलने का सोचा। कैरम बोर्ड लेकर हम दोनों खेलने लगे। बुढे सैफू अंकल बाहर टहलने गये थे। करीना आंटी और हम आमने सामने बैट कर कैरम की गोटियों पर निशाना लगा रहे थे। करीना आंटी का दुपट्टा सरक रहा था और वो बेतकल्लुफी से अपने मस्त गोरे गोरे बड़े चूंचों को लटका के निशाने लगा रहीं थीं। इन चूंचों को देख कर मेरा लंड एक दम से डिस्को करने लगा मेरे ट्राउजर के अंदर। मैने अपने हाथ से उभरे हुए लंड को सहेज कर सीधा करने की कोशिश की तो मेरे लंड को गियर बाक्स की तरह सीधा करते देख कर करीना आंटी मुस्कराईं और बोलीं क्या बात है दीपू, तुम ठीक तो हो, तो मैं झेंप गया। फिर मैने अपने लंड को सम्भाल कर सीधा किया और फिर खेलने लगा। अचानक से लाईट कट गयी, अब करीना आंटी ने दुपट्टा ढुलकाया और मजे से अपने हाथों में उसे लेकर हवा करने लगीं, बिना दुपट्टे के उनके बड़ी गरदन वाली सलवार को देख कर मेरा लंड एकदम से बिगड़ गया, फिर उभर कर खड़ा हो गया। उनके हाथ हिलाने से हिलते हुए बड़े बड़े चूंचे और मनोरम और लंडोत्तेजक दृश्य पैदा कर रहे थे। मेरा ध्यान अचानक से आंटी के चूंचे पर काले तिल के उपर चला गया, एक दम मस्त मस्त काला काला तिल, मेरा मन उसको चूम लेने को कर रहा था कि मैने देखा, आंटी का एक हाथ मेरे लंड के उपर था। पाजामे के उपर से ही उभरे हुए लंड को पकड़ कर के वो सहला रहीं थीं और मेरा दिमाग सन्ना गया था। मैने अचानक से अपने लंड को एकदम से अकड़ते हुए पाया।
तो वो बोली, अरे बेटा इसीसे तो तू पैदा हुआ था, ले आज इस जगह को चूम ले। ऐसी ही चूत से पैदा होकर तू इतगा गबरु जवान हो गया। तो आज तु इसे खुश कर दे। मैं तो अंदर ही अंदर खुश था, उनके चूत में मुह लगाकर मैने चपड़ चपड़ करके गीली फुद्दी चूसनी शुरु कर दी। मैं जैसे जैसे चूसता गया, उनको ऐसा लगता कि जैसे बहुत मजा आ रहा हो। वो सिस्कारियां मारते हुए बोल रहीं थीं हाये अब्बा, हाये रब्बा, लड़का है या लेमनचूस है, गजब चूस रहा है। चूस बेटा चूस और अब मैने उनकी चूत से छलछला के पानी निकलते हुए देखा। वैसे भी आंटी का पानी कितना मजेदार था। मैने वो पानी पी लिया। आंटी एकदम से ढीली पड़ गयी।
दो मिनट तक चूत ढीली पड़ने के बाद वो भूखी शेरनी की तरह उठी और मेरे पाजामें को एक ही झटके में खोल कर नीचे गिरा दिया। मेरा लंड बाहर खींच कर मेरे सामने बैठी और अपना छोटा सा सेक्सी मुह खोल कर मेरे मोटे लंबे लंड को अंदर लेने लगी। वो अपने होटों को इतना कस के मेरे उपर जमाए हुए थी कि मेरे होश उडे जा रहे थे। और तो और अपने दांतों की हल्की रगड़ से मेरे लंड को एक अलग प्रकार का घर्षण दे रही थी। मैने उनको अपने लंड से खेलने दिया। जैसे ही लंड उनके गले में टकराया, उनको एक हूल सी उठी और उसने लंड को बाहर उगल दिया, और फर्श पर थूकना शुरु कर दिया।
हाए अब्बा, मारोगे क्या, मुझे बेटा दीपू, तुम्हारा लंड तो तुम्हारे चाचाजान का भी चाचा निकला आओ आराम आराम से करते हैं। आंटी के इस बात पर मेरा कान्फिडेंस और बढ गया और मैने उनके मुह में अपना लंड इस बार पूरे जोर से धकेल दिया। बेचारी आंटी, एकदम से गें गें करने लगीं पर मैने उनके सिर को दबाए रखा, और हलक में लंड को पेले ही रखा।
फिर चोदते हुये उसके गले के अंदर तक लंड पेल दिया। उसकी हालत खस्ता होते देख कर मैने अपना लंड बाहर निकाला और उसको एक प्यारा सा किस दिया।
अब वो बोली ‘ दीपू तुम तो बड़े सयाने हो, यार तुम तो डोमिनेटिंग हो, मैं तो तुम्हारे काका जान को डोमिनेट कर लेती हूं पर आज तुमने तो मुझे चोद चोद कर के हालत खस्ता कर दी, आओ ना फिर से शुरु कर्ते हैं। इस बार मैने उसके मुह में उंगली डालकर के उसके मुह से लार बटोरा और फिर उसके चूंचों पर मल कर के उसके चूंचियो का मसाज करने लगा।
उसकी मस्त बड़ी बड़ी चूंचियां पकड़के मलते ही करीना आंटी एकदम से मस्ताने लगी, मैने उनके चमकते चांद जैसे बदन पर उनकी फिसलन भरी लार मल कर जब उनके चूंचों को अपने डंडे जैसे लंड से फट्कार कर पीटने लगा तो वो मस्त होकर सिस्कारी मारते हुए कहने लगीं ‘ आह जिंदगी का असली मजा तो तुमने मुझे दिया है दीपू, वो बुढ्ढा सैफू तो मेरे लिए बस एक गोल्ड मेडल की तरह है जिसको न मैं अपनी जवानी दे सकती हूं ना कि उससे संतुष्ट हो सकती हूं। तुमने मेरे सपनो की चुदाई दी है मुझे। पेलो मुझे और जोर जोर से पेलो और पेल कर मेरे चूंचो को पी जाओ ये तुम्हारे हैं ये तुम्हारी मां समान आंटी के चूंचे हैं पेलोगे नही क्या अपनी आंटी को। मैने उसकी ये बातें सुनकर उसके चूंचों को पकड़ के दोनों हाथों से दबा दिया और उसके घाटियों में लंड घुसा कर चोदने लगा। उसकी नन्गी चूत पानी से भर चुकी थी और उसमें से टप टप पानी नीचे फर्श पर टपक रहा था।
शायद उसकी चूत को मेरे लंड का बेसब्री से इंतजार था पर इंतजार का मजा ही कुछ और होता है। इसलिए मैने उसकी चूत को अभी इंतजार ही कराना उचित समझा। अब मैं अपने लंड को खड़ा करके उसके चूंचों को पेल रहा था, वो अपनी गर्दन नीचे झुका कर होटो को नीचे लाकर मेरे लंड का सुपाड़ा पकड़ने की कोशिश कर रही थी। इसका मतलब कि वो एक साथ चूंच चोदन और मुख चोदन दोनों का मजा लेना चाहती थी।
अब मेरा लंड ढीला हो गया था। थोड़ी देर मैं उसके साथ लेटकर उसके बदन से खेलता रहा। अपने लंड के सुपाड़े को उसकी चूंचियों पर, निप्पलों पर, और गांड पर सटा कर के मजे लेता रहा और जब लंड फिर से खड़ा होने लगा तो मैने उसके सुपाड़े को करीना आंटी के मुह में रख दिया। वो इसे लेमन चूस की तरह धीरे धीरे सहलाके चूसने लगी और पांच मिनट के अंदर में ही लंड एकदम से खड़ा हो गया।
अब देर करने का कोई कारण नहीं था मेरे पास। मैने लंड को उसके पानी से भरे हुए चूत के पास लाकर के टिकाया, लंड को अंदर धकेलते हुए उसके चूंचों को किसी हैंडल की तरह पकड़ लिया और झुकते हुए उसको किस करने लगा। अब कमर को नीचे धकेलते हुए मैने पहला धक्का मारा और मेरा लोहे जैसा सुपाड़ा उसकी चूत की तिग्गा बोटी करते हुए अंदर चला गया। वो चिल्लाई हाय रब्बा मरी मैं तो पर मैने उसके होटो को अपने होटो से सिल दिया और चीख और गरम सांसों के बीच धक्कों का सिलसिला चल पड़ा। धुम चक धुम चक पेलते हुए मैने उसको यमुना एक्सप्रेस हाइवे पर दौड़ रही गाड़ियों की स्पीड दी। उसकी चूत में फच फच करता हुआ मेरा लंड मुझे अत्यत मानसिक संतुष्टि दे रहा था। उसको भी अपने औरत होने का पता चल रहा था। औरत होने का मजा तभी आता है जब उसके चूत के अनुरुप एक लड़ मिल जाए
अब मैने पोजिशन बदली। उसको पेट के बल लिटाकर के एक तकिया उसके पेट और चूत के बीच नाभि वाले हिस्से पर रखी और पीछे से गांड पर चढ के चूत में लंड को घुसा दिया। अब एक बार गाड़ी फिर से स्पीड पकड़ चुकी थी। आधे घंटे तक मैने उसके चूत में मारकाट मचाने के बाद अपने लंड को खींच कर उसकी गांड में डाल दिया।
टाइट गांड चूत से भी ज्यादा चुनौतीभरी थी। लंड के अंदर बाहर जाने से वो एकदम से ढीली होने लगी और पेलते हुए मैने आधे घंटे में अपने लौड़े की पिचकारी उसकी गांड के अंदर छोड़ दी। गांड से बहता वीर्य उसकी चूत में समाने लगा।
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करीना आंटी
जब से करीना आंटी जैफू अंकल के घर ब्याह कर आई हैं तब से मुहल्ले में एक ही चर्चा है, कैसे लेता होगा सैफूवा उसकी चूत। चाचा के उमर का जैफू, करीना के उमर का दोगुना है। बेचारी करीना अपने मन से शादी की, मां बाप के फैसले के खिलाफ। अब हम का करें भाई, हमको तो मिली एक नाजनीना चाची जान जिनका नाम भी है हिरोइन के नाम पर और नखरे नाज तो पूछो मत, एक दम चोदवासी रहने वाली करीना आंटी हमेशा लाल लाल लिपस्टिक लगाके तैयार रहती हैं। पहले तो वो बहुत घूमती फिरती थीं पर जब से शादी करके घर आई हैं चाचाजान घर से बाहर नहीं निकलने देते। अलबत्ता अपने महफिलों में जाने और शम्मा बुझाने की उनकी आदत आज तक नहीं गयी। तो बता दें कि हम सारा परिवार एक ही में रहता है। हमारे अब्बू, चाचाजान, अम्मी और करीना चाची। मेरी उमर करीना चाची के उमर की ही है और इसलिए हम दोनों में खूब पटती है। चार पांच दिनों के बाद जब सैफू अंकल का मन चोद चोद के भर गया तो वो बाहर ही ज्यादा रहने लगे। अब करीना चाची की चुदास भी खतम न होए और उदास भी रहने लगीं। इधर गर्मियों की छुट्टीया हो गयीं थी हमारे कालेज में तो मैं भी खाली ही था।इसलिए मैने करीना आंटी के साथ खेल करने के बारे में सोचा। दूधिया गोरा रंग, मलमली काली जुल्फें, कसी हुई मझोले कद की गांड और सी कप इंडीयन ब्रा पहनने वाली करीना आंटी की जीरो फिगर देख कर मेरा लंड पहले ही उनकी चूत की कल्पना करके डांस करने लगता था। इसलिए मैने आज उनके साथ कैरम खेलने का सोचा। कैरम बोर्ड लेकर हम दोनों खेलने लगे। बुढे सैफू अंकल बाहर टहलने गये थे। करीना आंटी और हम आमने सामने बैट कर कैरम की गोटियों पर निशाना लगा रहे थे। करीना आंटी का दुपट्टा सरक रहा था और वो बेतकल्लुफी से अपने मस्त गोरे गोरे बड़े चूंचों को लटका के निशाने लगा रहीं थीं। इन चूंचों को देख कर मेरा लंड एक दम से डिस्को करने लगा मेरे ट्राउजर के अंदर। मैने अपने हाथ से उभरे हुए लंड को सहेज कर सीधा करने की कोशिश की तो मेरे लंड को गियर बाक्स की तरह सीधा करते देख कर करीना आंटी मुस्कराईं और बोलीं क्या बात है दीपू, तुम ठीक तो हो, तो मैं झेंप गया। फिर मैने अपने लंड को सम्भाल कर सीधा किया और फिर खेलने लगा। अचानक से लाईट कट गयी, अब करीना आंटी ने दुपट्टा ढुलकाया और मजे से अपने हाथों में उसे लेकर हवा करने लगीं, बिना दुपट्टे के उनके बड़ी गरदन वाली सलवार को देख कर मेरा लंड एकदम से बिगड़ गया, फिर उभर कर खड़ा हो गया। उनके हाथ हिलाने से हिलते हुए बड़े बड़े चूंचे और मनोरम और लंडोत्तेजक दृश्य पैदा कर रहे थे। मेरा ध्यान अचानक से आंटी के चूंचे पर काले तिल के उपर चला गया, एक दम मस्त मस्त काला काला तिल, मेरा मन उसको चूम लेने को कर रहा था कि मैने देखा, आंटी का एक हाथ मेरे लंड के उपर था। पाजामे के उपर से ही उभरे हुए लंड को पकड़ कर के वो सहला रहीं थीं और मेरा दिमाग सन्ना गया था। मैने अचानक से अपने लंड को एकदम से अकड़ते हुए पाया।
चूत का दीवाना होने की वजह से वर्ज्य रिश्तों की मर्यादा को देखते हुए जो काम मैं कर रहा था, उसमें उत्तेजना स्वाभाविक थी और मेरा यह हाल इस प्रकार होते हुए देख कर के आंटी की मुस्कराहट बढती जा रही थी। उन्होने कमरा भेड़ दिया, घर में अब्बू अम्मी सो रहे थे और मेरा लंड आंटी की चूत की प्यास में खड़ा था। अब आंटी खुद कैरम वाले स्टडी टेबल पर बैठ गयी, अपनी सलवार ढीली कर के उन्होने उसे नीचे सरका दिया और फिर अपनी हल्के झांटों वाली डीजायनर चूत को सहलाते हुए मुझको अपने टांगों के बीच छुपा लिया। बोली ‘ कभी देखा है ये वाली चीज दीपू, हालांकि मैं अपनी एक और कजिन को चोद चुका था पर मैने आंटी से झूठ बोला, और कहा – नहीं आंटी मैने नहीं देखा है ऐसी चूत कभी भी।
तो वो बोली, अरे बेटा इसीसे तो तू पैदा हुआ था, ले आज इस जगह को चूम ले। ऐसी ही चूत से पैदा होकर तू इतगा गबरु जवान हो गया। तो आज तु इसे खुश कर दे। मैं तो अंदर ही अंदर खुश था, उनके चूत में मुह लगाकर मैने चपड़ चपड़ करके गीली फुद्दी चूसनी शुरु कर दी। मैं जैसे जैसे चूसता गया, उनको ऐसा लगता कि जैसे बहुत मजा आ रहा हो। वो सिस्कारियां मारते हुए बोल रहीं थीं हाये अब्बा, हाये रब्बा, लड़का है या लेमनचूस है, गजब चूस रहा है। चूस बेटा चूस और अब मैने उनकी चूत से छलछला के पानी निकलते हुए देखा। वैसे भी आंटी का पानी कितना मजेदार था। मैने वो पानी पी लिया। आंटी एकदम से ढीली पड़ गयी।
दो मिनट तक चूत ढीली पड़ने के बाद वो भूखी शेरनी की तरह उठी और मेरे पाजामें को एक ही झटके में खोल कर नीचे गिरा दिया। मेरा लंड बाहर खींच कर मेरे सामने बैठी और अपना छोटा सा सेक्सी मुह खोल कर मेरे मोटे लंबे लंड को अंदर लेने लगी। वो अपने होटों को इतना कस के मेरे उपर जमाए हुए थी कि मेरे होश उडे जा रहे थे। और तो और अपने दांतों की हल्की रगड़ से मेरे लंड को एक अलग प्रकार का घर्षण दे रही थी। मैने उनको अपने लंड से खेलने दिया। जैसे ही लंड उनके गले में टकराया, उनको एक हूल सी उठी और उसने लंड को बाहर उगल दिया, और फर्श पर थूकना शुरु कर दिया।
हाए अब्बा, मारोगे क्या, मुझे बेटा दीपू, तुम्हारा लंड तो तुम्हारे चाचाजान का भी चाचा निकला आओ आराम आराम से करते हैं। आंटी के इस बात पर मेरा कान्फिडेंस और बढ गया और मैने उनके मुह में अपना लंड इस बार पूरे जोर से धकेल दिया। बेचारी आंटी, एकदम से गें गें करने लगीं पर मैने उनके सिर को दबाए रखा, और हलक में लंड को पेले ही रखा।
फिर चोदते हुये उसके गले के अंदर तक लंड पेल दिया। उसकी हालत खस्ता होते देख कर मैने अपना लंड बाहर निकाला और उसको एक प्यारा सा किस दिया।
अब वो बोली ‘ दीपू तुम तो बड़े सयाने हो, यार तुम तो डोमिनेटिंग हो, मैं तो तुम्हारे काका जान को डोमिनेट कर लेती हूं पर आज तुमने तो मुझे चोद चोद कर के हालत खस्ता कर दी, आओ ना फिर से शुरु कर्ते हैं। इस बार मैने उसके मुह में उंगली डालकर के उसके मुह से लार बटोरा और फिर उसके चूंचों पर मल कर के उसके चूंचियो का मसाज करने लगा।
उसकी मस्त बड़ी बड़ी चूंचियां पकड़के मलते ही करीना आंटी एकदम से मस्ताने लगी, मैने उनके चमकते चांद जैसे बदन पर उनकी फिसलन भरी लार मल कर जब उनके चूंचों को अपने डंडे जैसे लंड से फट्कार कर पीटने लगा तो वो मस्त होकर सिस्कारी मारते हुए कहने लगीं ‘ आह जिंदगी का असली मजा तो तुमने मुझे दिया है दीपू, वो बुढ्ढा सैफू तो मेरे लिए बस एक गोल्ड मेडल की तरह है जिसको न मैं अपनी जवानी दे सकती हूं ना कि उससे संतुष्ट हो सकती हूं। तुमने मेरे सपनो की चुदाई दी है मुझे। पेलो मुझे और जोर जोर से पेलो और पेल कर मेरे चूंचो को पी जाओ ये तुम्हारे हैं ये तुम्हारी मां समान आंटी के चूंचे हैं पेलोगे नही क्या अपनी आंटी को। मैने उसकी ये बातें सुनकर उसके चूंचों को पकड़ के दोनों हाथों से दबा दिया और उसके घाटियों में लंड घुसा कर चोदने लगा। उसकी नन्गी चूत पानी से भर चुकी थी और उसमें से टप टप पानी नीचे फर्श पर टपक रहा था।
शायद उसकी चूत को मेरे लंड का बेसब्री से इंतजार था पर इंतजार का मजा ही कुछ और होता है। इसलिए मैने उसकी चूत को अभी इंतजार ही कराना उचित समझा। अब मैं अपने लंड को खड़ा करके उसके चूंचों को पेल रहा था, वो अपनी गर्दन नीचे झुका कर होटो को नीचे लाकर मेरे लंड का सुपाड़ा पकड़ने की कोशिश कर रही थी। इसका मतलब कि वो एक साथ चूंच चोदन और मुख चोदन दोनों का मजा लेना चाहती थी।
मैने अपना लंड जरा और दूर तक अंदर उसके चूंचे में ठेला, इस बार मेरा आधा लंड उसके मुह के भीतर चला गया। अब मुझे ज्यादा मजा आ रहा था। लंड का आधा जड़ उसके चूंचे के बीच और आधा लंड उसके मुह में था। मैं झटके पर झटके मार रहा था और दनादन पेलते हुए उसको चोदे जा रहा था। इस बार का माहौल दिव्य था, उसने मेरे लंड को चूसते हुए अपने चूंचों पर द्बाव ऐसे बनाया कि मेरे लंड से पिचकारी उसके मुह में निकल पड़ी। जैसे ही पिचकारी उसके मुह पर गयी, मैने लंड को अंदर ठेल दिया और वीर्य उसके हलक में उतरता चला गया।
अब मेरा लंड ढीला हो गया था। थोड़ी देर मैं उसके साथ लेटकर उसके बदन से खेलता रहा। अपने लंड के सुपाड़े को उसकी चूंचियों पर, निप्पलों पर, और गांड पर सटा कर के मजे लेता रहा और जब लंड फिर से खड़ा होने लगा तो मैने उसके सुपाड़े को करीना आंटी के मुह में रख दिया। वो इसे लेमन चूस की तरह धीरे धीरे सहलाके चूसने लगी और पांच मिनट के अंदर में ही लंड एकदम से खड़ा हो गया।
अब देर करने का कोई कारण नहीं था मेरे पास। मैने लंड को उसके पानी से भरे हुए चूत के पास लाकर के टिकाया, लंड को अंदर धकेलते हुए उसके चूंचों को किसी हैंडल की तरह पकड़ लिया और झुकते हुए उसको किस करने लगा। अब कमर को नीचे धकेलते हुए मैने पहला धक्का मारा और मेरा लोहे जैसा सुपाड़ा उसकी चूत की तिग्गा बोटी करते हुए अंदर चला गया। वो चिल्लाई हाय रब्बा मरी मैं तो पर मैने उसके होटो को अपने होटो से सिल दिया और चीख और गरम सांसों के बीच धक्कों का सिलसिला चल पड़ा। धुम चक धुम चक पेलते हुए मैने उसको यमुना एक्सप्रेस हाइवे पर दौड़ रही गाड़ियों की स्पीड दी। उसकी चूत में फच फच करता हुआ मेरा लंड मुझे अत्यत मानसिक संतुष्टि दे रहा था। उसको भी अपने औरत होने का पता चल रहा था। औरत होने का मजा तभी आता है जब उसके चूत के अनुरुप एक लड़ मिल जाए
अब मैने पोजिशन बदली। उसको पेट के बल लिटाकर के एक तकिया उसके पेट और चूत के बीच नाभि वाले हिस्से पर रखी और पीछे से गांड पर चढ के चूत में लंड को घुसा दिया। अब एक बार गाड़ी फिर से स्पीड पकड़ चुकी थी। आधे घंटे तक मैने उसके चूत में मारकाट मचाने के बाद अपने लंड को खींच कर उसकी गांड में डाल दिया।
टाइट गांड चूत से भी ज्यादा चुनौतीभरी थी। लंड के अंदर बाहर जाने से वो एकदम से ढीली होने लगी और पेलते हुए मैने आधे घंटे में अपने लौड़े की पिचकारी उसकी गांड के अंदर छोड़ दी। गांड से बहता वीर्य उसकी चूत में समाने लगा।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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