Friday, July 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI कितनी सैक्सी हो तुम --2

FUN-MAZA-MASTI

कितनी सैक्सी हो तुम --2 पिताजी बोले- बेटा, फैक्ट्री में ज्यादा काम की वजह से तुम दोनों हनीमून के लिये नहीं गये। यह बात मेरी समझ में आती है पर कम से कम एक दिन को बहु को कहीं बाहर घुमा लाओ।
पहले तो आशीष ने फैक्ट्री के काम का हवाला देकर पिताजी को मना किया पर पिताजी के जबरदस्ती करने पर वो आज दिन में कहीं बाहर जाने के लिये मान गये, मुझसे बोले- चलो आज बाहर घूमने चलते हैं, तुम तैयार हो जाओ जल्दी से और मैं भी नहाकर आता हूँ।
मैं तो जैसे उनके आदेश की ही प्रतीक्षा कर रही थी। फिर भी एक बहू होने के नाते मैंने पहले मम्मी जी और पिताजी को नाश्ता करवाकर चलने को कहा तो मम्मी जी बोली- नहीं बेटा, ये ही दिन हैं घूमने फिरने के, तुम जाओ घूम आओ।
“जी मम्मी जी…” बोलकर मैं तुरन्त अपने कमरे में गई और नहाकर तैयार होने लगी।
मेरे बाहर आते ही आशीष भी बाथरूम में घुस गये अभी मैं अपना मेकअप कर ही रही थी कि आशीष नहाकर बाहर आये और मुझे मेकअप करता देखकर पीछे से मुझसे लिपटकर बोले- कितनी सैक्सी लग रही हो तुम…
मैंने उनकी आँखों में झांकते हुए पूछा- फिर घूमने का प्रोग्राम कैंसिल कर दें क्या?
अचानक यह पूछते ही मैं झेंप गई, पता नहीं एकदम मैं इतनी बोल्ड कैसे हो गई पति के सामने।
परन्तु पति शायद पहले ही दिन से अपना लगने लगता है।
आशीष भी तेजी से तैयार होने लगे और बोले- नहीं, आज तुमको जयपुर घुमाता हूँ।
‘चलो किसी बहाने आशीष के साथ समय बिताने के मौका तो मिला।’ यह सोचकर ही मैं उत्तेजित थी, मैं तैयार होकर बाहर आई, तो पीछे पीछे आशीष भी आ गये।
बाहर आकर मैंने एक बार फिर से मम्मी जी और पापा जी के पैर छुए, और आशीष के साथ-साथ घर से निकल गई।
आशीष ने ड्राइवर से कार की चाबी ली और बहुत अदब से दरवाजा खोलकर मुझे कार में बिठाया।
उनके इस सेवाभाव से ही मैं गदगद हो गई।
कार का स्टेलयरिंग सम्भालते ही आशीष बोले- कहाँ चलोगी मेरी जान !!
मैंने हल्का सा शर्माकर कहा- जहाँ आप ले जाओ। मेरी कहीं घूमने में नहीं आपके साथ समय बिताने में है।
कार में बैठे-बैठे आशीष ने मेरा माथा प्यार से चूम लिया। मैं तो सिहर ही गई, मेरे बदन पर किसी मर्द का यह पहला चुम्बन था।
मेरा पूरा शरीर एक चुम्बन से ही कांप गया, गाल लाल हो गये, रौंगटे खड़े हो गए।
तभी आशीष ने मेरी तंद्रा तोड़ी और बोले- चलो, पहले किसी रेस्टोरेन्ट में नाश्ता करते हैं, फिर घूमने चलेंगे।
मैंने उनकी हाँ में हाँ मिलाई और हम नाश्ता करने पहुँचे, वहीं से आगे का प्रोग्राम बना लिया।
दिन भर में आशीष ने सिटी पैलेस, हवामहल, आमेर का किला और न जाने क्या-क्या दिखाया।
शाम को 7 बजे भी आशीष से मैंने की कहा- अब घर चलते हैं, मम्मी-पापा इंतजार करते होंगे।
आशीष कुछ देर और घूमना चाहते थे पर मुझे तो घर पहुँचने की बहुत जल्दी थी।
आशीष भी बहुत अच्‍छे मूड में थे तो मुझे लगा कि इस माहौल का आज फायदा उठाना चाहिए।
जल्दी घर पहुँचकर फ्रैश होकर अपने कमरे में घुस जाऊँगी आशीष को लेकर।
मैंने घर चलने की जिद की तो आशीष भी मान गये। वापस चलने के लिये बैठते समय आशीष ने फिर से मेरे माथे पर एक प्यारा सा चुम्बन दिया।
मुझे उनका चुम्बन बहुत ही अच्छा लग रहा था, बल्कि मैं तो ये चुम्बन सिर्फ माथे पर नहीं अपने पूरे बदन पर चाहती थी, उम्मीद लगने लगी थी कि शायद आज मेरी सुहागरात जरूर होगी।
आज आशीष के साथ घूमने का सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि अब मैं उनके साथ खुलकर बात कर पा रही थी, अपनी बात उनसे कह पा रही थी।
जल्दी ही हम घर पहुँच गये, आशीष ने घर के दरवाजे पर ही कार की चाबी ड्राइवर को दी और हम दोनों घर के अन्दर आ गये।
पापा अभी तक फैक्ट्री से नहीं आये थे।
हमारे आते ही मम्मी जी ने चाय बनाई और मुझसे पूछा- कैसा रहा आज का दिनॽ
‘बहुत अच्छा..’ मैंने भी खुश होकर जवाब दिया।
कुछ ही देर में पापा भी आ गये, हम चारों से एक साथ बैठकर खाना खाया।
फिर मैं मम्मी की इजाजत लेकर तेजी से अपने कमरे में चली गई।
आशीष आज भी बाहर पिताजी के साथ बैठकर टीवी ही देख रहे थे।
पर मुझे उम्मीद थी कि आज आशीष जल्दी अन्दर आयेंगे।
मैं पिछले दिनों की तरह नहाकर नई नई नाईटी पहनकर आशीष का इंतजार करने लगी।
पर यह क्या साढ़े दस बज गये आशीष आज भी बाहर ही थे।
मैंने दरवाजा खोलकर बाहर झांका तो पाया कि आशीष अकेले बैठकर टीवी देख रहे थे।
मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि ये रोज ही क्यों हो रहा हैॽ यदि आशीष को टीवी इतना ही पसन्द है तो अपने कमरे में भी तो है। वैसे तो मुझसे बहुत प्यार जता रहे थे फिर रोज ही मुझे कमरे में अकेला क्यों छोड़ देते हैं… क्यों वो कमरे में देर से आते हैं…? क्या उनको मैं पसन्द नहीं हूं… क्या वो मेरे साथ अकेले में समय नहीं बिताना चाहते…?
तो फिर मुझे पर इतना प्यार क्यों लुटाते हैं…?
उनका यह व्यवहार आज मुझे अजीब लगने लगा, मेरी नींद उड़ चुकी थी, आज मुझे अपने साथ आशीष की जरूरत महसूस होने लगी थी।
मैंने अपने कमरे के अन्दर जाकर अपने मोबाइल से आशीष को फोन किया।
उन्होंने फोन उठाया तो मैंने तुरन्त अन्दर आने का आग्रह किया।
वो बोले- तुम सो जाओ, मैं अपने आप आकर सो जाऊँगा।
उनका यह व्यवहार मेरे गले नहीं उतर रहा था, बैठे-बैठे पता नहीं क्यों मुझे आज घर में अकेलापन सा लगने लगा। जो घर 2 दिन पहले मुझे बिल्कुल अपना लग रहा था, आज 2 ही दिन में वो घर मुझे बेगाना लगने लगा।
अचानक ही मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। बाहर हॉल में जाकर उनसे बात करने की मेरी हिम्मत नहीं थी। मैंने आज सारी रात जागने का निर्णय किया कि आज आशीष किसी भी समय कमरे में आयेंगे मैं तब ही उनसे बात जरूर करूँगी।
रात को 12 बजे करीब कमरे का दरवाजा बहुत ही धीरे से खुला। आशीष ने धीरे से अन्दर झांका, और मुझे सोता देखकर अन्दर आ गये।दरवाजा अन्दर से बन्द किया, फिर अपना नाइट सूट पहनकर वो मेरी बगल में आकर लेट गये, मुझे पीछे से पकड़कर मुझसे चिपककर सोने की प्रयास करने लगे।
मैं तभी उठकर बैठ गई, मेरी आँखों से आँसू झरने की तरह बह रहे थे।
मेरे आँसू देखकर आशीष भी परेशान हो गये, बोले- क्या हुआ जानू… रो क्यों रही हो?
पर मैं थी कि रोये ही जा रही थी, मेरे मुख से एक शब्द भी नहीं फूट रहा था, बस लगातार रोये जा रही थी।
आशीष ने फिर पूछा- क्या अपने मम्मी-पापा याद आ रहे हैं तुमको… चलो कल तुमको आगरा ले चलूंगा। मिल लेना उन सबसे।
आशीष मेरे मन की बात नहीं समझ पा रहे थे और इधर मैं बहुत कुछ बोलना चाहती थी… पर बोल नहीं पा रही थी। आशीष बिस्तर पर मेरे बगल में अधलेटी अवस्था में बैठ गये, मेरा सिर अपनी गोदी पर रखकर सहलाने लगे।
कुछ देर रोने के बाद मैंने खुद ही आशीष की ओर मुंह किया तो पाया कि वो तो बैठे बैठे ही सो गये थे।
अब मैं उनको क्या कहती… या तो आशीष कमरे में ही नहीं आ रहे थे और जब आये तो मुझे सहलाते सहलाते ही कब सो गये पता भी नहीं चला।
मैं वहाँ से उठी, बाथरूम में जाकर मुँह धोया, वापस आकर देखा तो आशीष बिस्तर पर सीधे सो चुके थे। अब पता नहीं आशीष नींद में सीधे हो गये थे या मेरे सामने सोने का नाटक कर रहे थे?
मैं कुछ भी नहीं कर सकी, चुपचाप उनके बगल में जाकर सो गई।
सुबह आशीष ने ही मुझे जगाया। मैंने घड़ी देखी तो अभी तो साढ़े पांच ही बजे थे, वो बहुत प्यार से मुझे जगा रहे थे, मैं भी उस समय फ्रैश मूड में थी, मुझे लगा कि शायद आज सुबह सुबह आशीष सुहागरात मनायेंगे मेरे साथ…
जैसे ही मेरी आँख खुली, आशीष ने मेरी आँखों पर बड़े प्यार से चुम्बन लिया और बोले- कितनी सुन्दर हो तुम…
मैं तो जैसे उनकी इस एक लाइन को सुनकर ही शर्म से दोहरी हो गई।
तभी आशीष ने कहा- जल्दी से उठकर तैयार हो जाओ, आगरा चलना है ना।
मेरे तो जैसे पांव के नीचे से जमीन ही खिसकने लगी, समझ में नहीं आया कि आखिर आशीष चाहते क्या् हैंॽ ये मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैंॽ
अपने आप ही फिर से मेरी रूलाई फूट गई। अब तो मैं बिफर चुकी थी, मैंने चिल्लाकर कहा- क्यों जाऊँ मैं उनके घर… अब वहाँ मेरा कौन है… मेरा तो अब जो भी है यहीं है आपके पास… और आप हैं कि अपनी पत्नी के साथ परायों की तरह व्यवहार करते हैं। आपकी पत्नी आपके प्यार को तरस जाती है, आप हैं कि उसके साथ अकेले में कुछ समय भी नहीं बिताना चाहते, मुझे मेरे माँ-बाप ने सिर्फ आप ही के भरोसे यहाँ भेजा है..!
एक ही सांस में पता नहीं मैं इतना सब कैसे बोल गई, पता नहीं मुझमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गईॽ
मैं लगातार रोये जा रही थी।
आशीष ने मुझे ऊपर करके गले से लगा लिया और चुप कराने की कोशिश कर रहे थे।
मुझे चुप कराने की कोशिश करते-करते मैंने देखा कि आशीष की आँखों से भी आँसू निकलने लगे, उनका फफकना सुनकर मेरी निगाह उठी, मैंने आशीष की तरफ देखा वो भी लगातार रो रहे थे।
मैं सोचने लगी कि ऐसा मैंने क्या गुनाह कर दिया जो इनको भी रोना आ रहा है।
मैंने खुद को संभालते हुए उनको चुप कराने का प्रयास किया और कहा- आप क्यों रो रहे होॽ मुझसे गलती हो गई जो मैं आपे से बाहर आ गई आगे से जीवन में कभी भी आपको मेरी तरफ से शिकायत नहीं मिलेगी।
आशीष ने मुझे सीने से लगा लिया और बोले- तुम इतनी अच्छी क्यों हो नयना…
मैं उनको नार्मल करने का प्रयास करने लगी।
यकायक उन्होंने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए, मुझे जैसे करन्टी सा लगा।
‘आह…’ एक झटके के साथ मैं पीछे हट गई, मैंने नजरें उठाकर आशीष की ओर देखा। आशीष की निगाहों में मेरे लिये बस प्यार ही प्यार दिखाई दे रहा था।
तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं तो पीछे हट गई पर मैं पीछे क्यों हटीॽ मैं भी तो यही चाहती थी। अपने बदन पर आशीष के गर्म होठों का स्पर्श…
पर मेरे लिये ये बिल्कुल नया था। मेरी 23 साल की आयु में पहली बार किसी ने मेरे होठों को ऐसे छुआ था।
मेरे पूरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। एक ही सैकेण्ड में मुझे ऐसा झटका लगा जिसने मुझे पीछे धकेल दिया, हम दोनों के आँसू पता नहीं कहाँ गायब हो गये थे, आशीष हौले से आगे आकर बिस्तर पर चढ़ गये, और मेरे बराबर में आ गये। उन्हों ने अपनी दांयी बाजू मेरे सिर के नीचे की और मुझे अपनी तरफ खींच लिया, मुझे लगा जैसे मेरे मन की मुराद पूरी होने वाली है अपने मन के अन्दर सैकड़ो अरमान समेटे मैं आशीष की बाहों में समाती चली गई।
आशीष ने यकायक फिर से मेरे होठों पर अपने गर्म-गर्म होठों को रख दिया, अब तो मैं भी खुद को मानसिक रूप से तैयार कर चुकी थी। मैं भी आशीष का साथ देने लगी, आखिर मैं भी तो मन ही मन यही चाह रही थी। चूमते-चूमते आशीष ने हौले से मेरे होठों पर पूरा कब्जा कर लिया।
अब तो मेरे निचले होंठ को अपने होठों के बीच में दबाकर चूस रहे थे, मेरा रोम-रोम थर्र-थर्र कांप रहा था।
आशीष के हाथ मेरी गाऊन के अन्दर होते हुए मेरी पीठ तक पहुँच चुके थे वो बिस्तर पर अधलेटे से हो गये और मुझे अपने ऊपर झुका लिया।
ऐसा लग रहा था मानो आज ही वो मेरे होठों का सारा रस पी जायेंगे। पता नहीं क्यों पर अब मुझे भी उनका अपने होठों का ऐसे रसपान करना बहुत अच्छा लग रहा था मन के अंदर अजीब अजीब सी परन्तु मिठास सी पैदा हो रही थी। इधर आशीष की उंगलियाँ मेरी पीठ पर गुदगुदी करने थी अचानक ही मैंने आशीष को सिर से पकड़ा और तेजी से खुद से चिपका लिया।
आशीष की उंगलियाँ मेरी पीठ पर जादू करने लगीं, पूरे बदन में झुरझुरी हो रही थी। मेरे यौवन को पहली बार कोई मर्द ऐसे नौच रहा था, उस समय होने वाले सुखद अहसास को शब्‍दों में बयान करना नामुमकिन था। अचानक आशीष ने पाला बदला और मुझे नीचे बैड पर लिटा दिया, अब वो मेरे ऊपर आ गये।
मेरे होंठ उनके होठों से मुक्त हो गये। अब उनके होंठ मेरी गर्दन का नाप लेने में लग गये। उनके हाथ भी पीठ से हटकर मेरी नाईटी को खोलने लगे।
धीरे-धीरे नाईटी खुलती गई, आशीष को मेरी गोरी काया की झलक देखने को मिलती, तो आशीष और अधीर हो जाते। कमरे में फैली ट़यूब की रोशनी में अब मुझे शर्म महसूस होने लगी, फिर भी आशीष का इस तरह प्यार करना मुझे जन्नत का अहसास देने लगा। तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरी पूरी नाईटी खुल चुकी है आशीष मेरी ब्रा के ऊपर से ही अपने हाथों से मेरे उरोजों को हौले-हौले सहला रहे थे उनके गीले होंठ भी मेरे उरोजों के ऊपरी हिस्से के इर्द-गिर्द के क्षेत्र में गुदगुदी पैदा करने लगे।
मेरे होंठ सूखने लगे।
आशीष ने मुझे पीछे घुमाकर मेरी ब्रा का हुक कब खोला मुझे तो पता भी नहीं चला। मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से से ब्रा के रूप में अंतिम वस्त्र भी हट गया, मेरे दोनों अमृतकलश आशीष के हाथों में थे, आशीष उनको अपने हाथों में भरने का प्रयास करने लगे।
परन्तु शायद वो आशीष के हाथों से बढ़े थे इसीलिये आशीष के हाथों में नहीं आ रहे थे। मेरे गुलाबी निप्पल कड़े होने लगे।
अचानक आशीष ने पाला बदलते हुए मेरे बांये निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और किसी बच्चे की तरह चूसने लगे। मैं तो जैसे होश ही खोने लगी।





हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator