Wednesday, July 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI छोटी बहन कंचन-2

FUN-MAZA-MASTI

 छोटी  बहन कंचन-2


 अब मैने एक बात और सोची क़ी मेरे दोस्त ने तो अपनी चुदी बहन मुझे दी थी पर मेरी बहन तो एकदम ताज़ा माल है.. मैने सोचा की जब बहन को चुदवाना ही है तू क्यों ना पहले खुद ही उसे चोद्कर कुँवारा माल चखा जाए. यह ख्याल दिल मैं आते ही मैने सोचा कि ट्राइ करते है अगर सपना की बात सच है तो कंचन मुझसे ज़रूर चुदवायेगि. तब मैने प्लान बना उसे आवाज़ दी, "कंचन.." "जी भाय्या." "क्या बात है आज तू बहुत काम कर रही है?" "ओ भाय्या आज कॉलेज जाना नही है तो सोचा कि आज अपने भाय्या का रूम अच्छी तरह से सॉफ कर दूँ." "ठीक है कंचन तुम बहुत अच्छी हो.. सुनो यह वाली अलमारी ठीक से सॉफ करना आओ यहाँ तो बताउ." वह पास आई तो उसके हाथ को पकड़ अपने पास कर एक अलमारी के पास ले गया. फिर उसे अलमारी दिखाने के बहाने-बहाने उसके बदन को छूने लगा. तभी मैने हाथ से उसकी एक चूची को टच किया पर वह चुप रही. दो तीन बार टच किया फिर भी उसने कुच्छ ना कहा तो हिम्मत बढ़ गयी. तब मैं काँपते हुवे अपने एक हाथ को उसकी बगल से डाल उसकी एक चूची पर रख दिया. मेरा पूरा हाथ उसकी टाइट चूची पर था और मैं कनखी से उसे देख रहा था. हाथ को उसकी चूची पर रख मैं उसे क्या-क्या सॉफ करना है यह बता रहा था और वह चुपचाप सुन रही थी. उसकी नज़रे नीची थी. इतना करने के बाद मैं समझ गया कि वह मेरी इस हरक़त का बुरा नही मान रही तो मैने धीरे से अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुवे उसकी चूची को दबाया. वह आँखे झुकाए अपनी चूची को देख रही थी. मैं समझ गया कि वह राज़ी है तो खुश होकर उसकी चूची को कसकर अपने हाथ मैं पकड़ लिया तो उसके मुँह से धीमी सी सिसकी के साथ निकला, "हाए भाय्या." उसका इतना कहना था कि मैं खुश हो गया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी पकड़ लिया. उसने जल्दी से अपने हाथो के मेरे हाथो पर रखा और बोली, "न्न्न नही भाय्या हाए छोड़िए मुझे सफाई करनी है." "क्यों अच्छा नही लग रहा?" "हटो भाय्या यह क्या कर रहे हो मैं आपकी बहन हूँ." "अच्छा मैं सब जानता हूँ तुम क्या चाहती हो. आज सुबह से ही तुम मुझे अपनी दोनो चुचियों को दिखा रही हो." मेरी खुली खुली बात सुन वह शरमाते हुवे बोली, "ऊओ न्न्न भाय्या छोड़ो ना आप क्या कह रहे हैं? मैं तो अपना काम कर रही हूँ." "मैं भी तो अपना काम कर रहा हूँ. तुम आज मेरे सामने झुक झुककर और ऐसे कपड़े पहन मुझे दिखा रही थी ना. अब मैं इनको देख रहा हूँ." यह कहते हुवे उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए तो वह मेरे हाथ को पकड़ बोली, "नही भाय्या हाए आप क्या कर रहे है, मैं आपकी छ्होटी बहन हूँ." "नही पगली तू मेरी खूबसूरत और जवान बहन है. सच बोलना तुम आज सुबह से मुझे अपनी इन मस्त चुचियों को दिखा रही हो या नही.

वह चुप रही तो मैं बोला, "बताओ ना कंचन." मेरी बात सुन वह अपने चेहरे को ऊपर की उठा मुझे देख मुस्कराते हुवे बोली, "ओह्ह भाय्या आप बड़े वैसे हैं." "मैं बड़ा कैसे हूँ?" "अच्छे." "तो फिर तुम सच बताओ सुबह से तुम ऐसी हरक़त कर रही थी या नही?" वह पलट कर भागी और अपने रूम मैं चली गयी. मैं उसके पिछे गया. वह अपने बेड पर लेटी हुई थी. मैं उसके पास गया और उसके चेहरे को अपनी ओर किया तो वह मुस्करा रही थी. "भाय्या." "आए शरमाती क्यों है पगली बता ना." "हां भाय्या आप सही कहते हैं." "तो तुम क्यों दिखा रही थी?" "आप ने आज सुबह जब मेरी चुचियों को झारू लगाते हुवे गौर से देखा था मुझे बहुत अच्छा लगा था. तभी मैने सोचा कि भाय्या मेरी चुचियों को देख रहे हैं तो क्यों ना इनको सताया जाए इसीलिए सुबह से आपको दिखा-दिखा कर सता रही थी." "ओह्ह अच्छा एक बात तो बताओं इनको दिखाने के अलावा तुम और क्या करती?" "और क्या भाय्या और कुच्छ भी ना करती." "पगली इनको दिखाने के बाद ही तो सारा काम होता है." वह शरमाते हुवे बोली, "धात्ट भाय्या आप भी." मैं इतनी जल्दी काम बनते देख खुश हो गया और एक बार फिर उसकी दोनो चुचियों को पकड़ कर कहा, "कंचन मेरी प्यारी बहन अगर तुम इनको दिखाना चाहती थी तो अब क्यों शर्मा रही हो. घर पर तो हमारे सिवा कोई है नही, अब तुम आराम से जी भरकर दिखाओ." "हटो भाय्या अब बस, इतना बहुत देख लिया." "मैं जानता हूँ तुम मुझे सता रही हो." "नही भाय्या ऐसी बात नही." "तो फिर दिखाओ ना ठीक से." मेरी बात सुन उसने कुच्छ देर सोचा फिर बोली, "ओह्ह भाय्या आप बड़े वो हैं. पर भाय्या किसी को पता ना चले." "पगली पता कैसे चलेगा." "ठीक है भाय्या." फिर वह उठकर बैठ गयी और धीरे-धीरे अपनी कसी शर्ट के सभी बटन खोल दिए. उसकी दोनो चुचियाँ अभी भी उसकी शर्ट मैं च्छूपी थी. उसने अपनी शर्ट के दोनो साइड्स को पकड़ा और मुझे देखते हुवे धीरे-धीरे अलग करने लगी. शर्ट हटी तो दोनो गोरी-गोरी टाइट चुचियों नंगी हो गयी जिसे देख मैं अपने दोस्त की बहन सपना की चुचियों को भूल गया. उसकी तो मेरी बहन की चुचियों के आगे बिल्कुल बेकार थी. एकदम टाइट और गोल थी कंचन की. मैने दोनो चुचियों पर हाथ रख सहलाया तो मेरे मुँह से निकल ही गया कि, "हाए कंचन तुम्हारी तो सपना से बहुत अच्छी हैं." उसने मेरी बात सुन मुझे देखते हुवे कहा, "भाय्या यह सपना कौन है?" मैं चौंका पर खुलकर खेलने की नियत से उसे बताया, "वह मेरा दोस्त रमेश है ना उसी की छ्होटी बहन है. तुम्हारी उमर कीही है." "ओह्ह तू मेरे भाय्या अपने दोस्त की बहन की चुचियों को देख कर आ रहे हैं." "अरे कंचन देखकर नही बल्कि खा कर आ रहा हूँ." "क्या मतलब भाय्या?" "अब तुमसे क्या च्छुपाना, कल मैने उसकी चुचियों को खूब पिया और उसकी च.." वह मेरी बात सुन झेपते हुवे बोली, "और क्या भाय्या?" "और उसकी चूत भी चटा और उसकी चुदाई भी की." मैं खुलकर बोल रहा था क्योंकि मैं जान गया था कि अब कंचन बुरा नही मानेगी. वह हैरान होते बोली, "हाए भाय्या आप यह सब करते हैं अगर रमेश को पता लग गया तो?" "तो कुच्छ नही होगा मेरी जान. वह खुद अपनी बहन को चोद्ता है." "हाए आप क्या कह रहे हैं भाय्या आपका दोस्त अपनी बहन को…." "हां और कल हम दोनो ने साथ मिलकर सपना को चोदा था." वह चुप रही तो मैने कहा, "कंचन बहुत मज़ा आता है चुदवाने मैं, आज तुम भी चुदवाकर देखो. एक बार चुद जाओगी तो रोज़ तर्पोगी." "नही भाय्या हाए मुझे यह नही करवाना." "पगली इतनी बड़ी हो गयी है. अब तो चुदने लायक हो गयी है, और कब चुडवाएगी." "भाय्या जाइए, मुझे शादी से पहले नही करवाना. बदनामी होगी तो?" "पगली बदनामी कैसे होगी, कोई जान नही पाएगा कि हम दोनो भाई बहन घर पर क्या करते हैं. हमलोग रात मैं सुहागरात मनाया करेंगे और सुबह फिर भाई बहन बन जाएँगे." वह सोचने लगी तो मैने कहा, "डरो मत मज़ा आएगा. रमेश तो रोज़ अपनी बहन को चोद्ता है. हम सब लोग साथ मैं चुदाई किया करेंगे." "नही भाय्या साथ मैं नही. केवल आप ही चोदना मुझे तो मैं चुदवा लूँगी पर कोई और नही." "अरे तो क्या हुवा मैने भी तू उसकी बहन चोदि है, बदले मैं वह तुम्हारी यानी मेरी बहन चोद लेगा तो क्या हो जाएगा." "मैं कुच्छ नही जानती. मैं आपके सिवा किसी दूसरे को छूने भी नही दूँगी." मैने सोचा कोई बात नही. कुँवारा माल मिल रहा तो क्यों छोड़ा जाए. दोस्त को कुच्छ बता दूँगा कि राज़ी नही हो रही है और मोम-डॅड से बताने की धमकी दे रही है. यह सोच मैने उससे कहा, "कोई बात नही मेरी प्यारी बहन. अच्छा है कि तुम सिर्फ़ मेरी रहोगी. साले को समझा दूँगा वरना उससे दोस्ती ख़तम. चल आजा." "अभी भाय्या?" "हां क्यों?" "भाय्या रात मैं." "अरे अभी कोई है नही एक बार कर लेते हैं." "ठीक है मेरे प्यारे भाय्या." उसके बाद मैने उसे बेड पर लिटा दिया और शर्ट को उसके हाथो से अलग कर दिया. दोनो चुचियाँ ऊपर की ओर उठी थी और बहुत टाइट थी. झुककर एक को मुँह मैं लिया और दूसरी को दबाते हुवे पीकर मज़ा लेने लगा. 5 मिनिट बाद दूसरी को मुँह मैं लेकर जो चूस्कर पीना शुरू किया तो वह मछली की तरह तड़पने लगी. वह हाए हाए कर रही थी और मैं ज़ोर-ज़ोर से मसल मसल चूस रहा था. जी भरकर अपनी बहन की कुँवारी चुचियों का रस पीने के बाद उसके स्कर्ट को अलग किया. स्कर्ट के नीचे वह चड्डी नही पहने थी. उसकी नंगी बिना बाल की चिकनी चूत चमकने लगी. इसकी चूत भी सपना की चूत से ज़्यादा प्यारी लग रही थी. खूबसूरत चूत देख रहा ना गया और झुककर चूत को चाटने लगा. चूत के फाँक को 7-8 बार चटा फिर हाथ से दोनो फाँक खोलकर गुलाबी छेद को जीभ पेलकर चाटना शुरू किया तो वह मज़े से मदहोश सी हो गयी. उसे कुच्छ भी होश ना रहा बस वह बार बार हाए हाए उई अफ भाय्या भाय्या करने लगी. मस्त हो 6-7 मिनिट चॅटा और फिर जीभ बाहर की तो निढाल होकर लेटी रही. मैं भी उसकी बगल मैं लेट गया. 2 मिनिट बाद वह नॉरमोल हुई और मुझे प्यार से देखने लगी तो मैने कहा, "कंचन अब पेल दूं?" "भाय्या पेल देना पर पहले अपना दिखाओ तो." मैं जानता था कि वह क्या दिखाने को कह रही है फिर भी बोला, "क्या दिखाउ?" "भाय्या आप भी. वही जो पेलना है." मैं हस्ते हुवे उठा और अपनी पॅंट खोलने लगा. पॅंट अलग कर अंडरवेर को नीचे किया तो मेरा सख़्त मोटा और लंबा लंड एक झटके से बाहर आ गया. वह कुच्छ देर देखती रही फिर पास आ मेरे लंड को पकड़ बोली, "ओह्ह भाय्या आपका कितना प्यारा है." फिर वह झुकी और मेरे लंड को मुँह मैं भर लिया. मैं उसके खुलेपन पर दंग हो रहा था पर चुपचाप मज़ा लेता रहा. वह बहुत ही प्यारे तरीके से लंड चाट रही थी. कुच्छ देर चॅटा फिर बेड पर लेट बोली, "आओ भाय्या डालो अपनी बहन की कुँवारी चूत मैं." मैं उसकी गुदाज़ रानो के बीच गया और झुककर 7-8 बार चूत को चाट फिर लंड को उसकी गीली चूत के च्छेद पर लगा दबाया तो लंड अंदर सरकने लगा. 5-6 बार मैं ही पूरा घुस गया. वह होन्ट कसे थी. पूरा डालने के बाद धीरे-धीरे अंदर बाहर करते हुवे चुदाई शुरू कर दी. 30-35 धक्को के बाद स्पीड तेज़ करने लगा तो वह भी तेज़ी से हाए हाए करने लगी. 7-8 मिनिट की दमदार चुदाई के बाद वह झारकर ढीली हुई. मैं भी झरने वाला था और हाए हाए करने लगा तू उसने कहा, "भाय्या बाहर निकाल कर झरना." उसकी बात सुन लंड को उसकी चूत से निकाल लिया तो उसने फ़ौरन मेरा लंड अपने मुँह मैं ले लिया और बोली, "भाय्या झारो अपना लंड मेरे मुँह मैं." अगले ही पल तेज़ शॉट के साथ मैं अपना सारा पानी उसके मुँह मैं उंड़ेलने लगा. वह बिना लंड बाहर किए सारा पानी पीती रही. झाड़ा लंड मुँह से चाटकार सॉफ करने के बाद वह निढाल होकर लेट गयी. फिर जब हमलोग नॉरमोल हुवे तो मैने उससे कहा, "कंचन एक बात तो बताओ?" "क्या भाय्या?" "यही कि तू चुदी तो पहली बार है पर जानती सबकुच्छ है." "क्या मतलब भाय्या?" "अरे यही कि तू लंड चाटना भी जानती है चुदवाना भी जानती है और तुमने तो मेरा सारा पानी भी पी लिया." "वह मुस्कराते हुवे बोली, "भाय्या आप मेरी सहेली ज़राइना को जानते हैं?" "हां." "वह अपने बड़े भाई से फँसी है और रोज़ रात को चुदवाती है. उसने मुझे सब कुच्छ बताया और सिखाया है. भाय्या पिच्छले संडे मैं उसके घर गयी थी तो उसने मुझे अपने रूम मैं च्छूपा दिया था. फिर अपने भाई से चुदवाया था तो मैने दोनो को ऐसे ही चुदाई करते देखा था. वह भी अपने भाई के लंड को खूब चूसती है, अपनी चूत खूब चत्वती है और अपने मुँह मैं ही झारती है." "साली तू बहुत ग्रेट निकली. मैं तो समझ रहा था कि तू कुच्छ जानती ही नही है." "ओह्ह भाय्या जब से अपनी सहेली को उसके भाई से चुदवाते देखा है तभी से मैं आपसे चुदवाना चाहती थी. तभी तो आज सुबह से आपको अपनी चुचियों को दिखाकर ललचा रही थी. भगवान का शूकर है कि उसने मेरी सुन ली और आपने…" "आए अब तो हमलोग भी खूब मज़ा लिया करेंगे." "हां भाय्या आप बहुत अच्छे हैं पर भाय्या आपको एक काम करना होगा." "क्या?" "जैसे ज़राइना ने मुझे अपनी चुदाई दिखाई थी वैसे ही मुझे भी उसे अपनी चुदाई दिखानी होगी." "तो क्या तुम उसे भी अपने कमरे मैं छुपओगि?" "नही भाय्या वह च्छुपेगी क्यों वह तो साथ रहेगी और खुलकर देखेगी. वह उस चेर पर बैठकर देखेगी. और भाय्या अगर आप चाहे तो उसे आप चोद भी सकते है पर इसके लिए मुझे भी उसके भाई से चुदवाना पड़ेगा." मैं उसकी बात सुन बोला, "तू रमेश से चुदवाने को मना कर रही है पर ज़राइना के भाई से चुदवाने को तैय्यार है. ऐसा क्यों?" "भाय्या मुझे आपका दोस्त रमेश ज़रा भी पसंद नही." "ठीक है तो कब लाओगी अपनी सहेली को?" "जल्दी ही." फिर हमलोग नहाने के लिए बाथरूम मैं घुस गये.


~~~समाप्त~~~












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