Sunday, July 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI मेरी बेकरार बीवी --2

FUN-MAZA-MASTI
मेरी बेकरार बीवी  --2

 मैंने उससे थोड़ी मस्ती करने की सोची और पूछा- जूली, क्या हुआ? तुम्हारी ब्रा कहाँ गई।
मगर बहुत चालाक हो गई थी वो अब ! कहते हैं न कि जब ऐसा वैसा कोई काम किया जाता है तो चालाकी अपने आप आ जाती है।
वो तुरन्र बोली- अरे काम करते हुए तनी टूट गई तो निकाल दी।
मैंने फिर उसको सताया- कौन सा काम बेबी?
वो अब भी सामान्य थी- अरे, ऊपर स्लैब से सामान उतारते हुए जान !
मैं अब कुछ नहीं कह सकता था, हाँ, उसके चूसे हुए होंटों को एक बार चूमा और अपने कमरे में आ गया।
तो यह था मेरा पहला कड़वा या मीठा अनुभव, कि मेरी प्यारी जान मेरी सीधी सी लग वाली बीवी जूली ने कैसे मेरे भाई से अपनी नन्ही-मुन्नी चुदवाई।
हाँ, एक अफ़सोस जरूर था मुझे कि मैं उसको देख नहीं पाया ! मगर फिर भी सब कुछ लाइव ही तो था, देख नहीं पाया, सुना तो सब था मैंने, अपनी बीवी की सीत्कारें रसोई में मेरे भाई से चुदवाते हुए !
मैं तैयार होकर बाहर आया, नाश्ता लग चुका था।
विजय भी तैयार हो गया था।
मैं- विजय, आज कहाँ जाना है, मैं छोड़ दूँ।
विजय- नहीं भैया, कहीं नहीं, आज आराम ही करूँगा, आज रात की गाड़ी से तो वापसी है मेरी।
मैं- हाँ, आज तो तुझको जाना ही है, कुछ दिन और रुक जाता।
विजय- आऊँगा ना भैया, अगली छुट्टी मिलते ही यहीं आऊँगा। अब तो आप लोगों के बिना मन ही नहीं लगेगा।
कह मेरे से रहा था जबकि देख जूली को रहा था।
फिर जूली ने ही कहा- सुनो, मुझे जरा बाज़ार जाना है, कुछ कपड़े लेने हैं।
मैं- यार, मेरे पास तो टाइम ही नहीं है, तुम विजय के साथ चली जाना।
जूली- ठीक है, थोड़े पैसे दे जाना।
मैं- ठीक है, क्या लेना है, कितने दे दूँ।
जूली- अब दो तीन जोड़ी तो अंडरगार्मेन्ट्स ही लाने हैं, एक तो अभी ही टूट गई, अब कोई बची ही नहीं, थोड़े ज्यादा ही दे देना।
वो मुस्कुराते हुए विजय को ही देख रही थी।
पहले तो मैं कोई ध्यान नहीं देता था मगर अब उन दोनों की ये बातें सुन सब समझ रहा था।
जूली- अच्छा 5000 दे देना, अबकी बार अच्छी और महंगे वाले चड्डी ब्रा लाऊँगी।
वो बिना शरमाये अपने कपड़ो के नाम बोल रही थी।
मैं- ठीक है जान, ज़रा अच्छी क्वालिटी की लाना और पहन भी लिया करना।
विजय- हा… हा… हा… भैया, ठीक कहा आपने। हाँ भाभी… ऐसे लाना जिनको पहन भी लो… आपको तो पता नहीं, पर ऐसे कपड़ों में दूसरों को कितनी परेशानी होती होगी।
जूली उसके कान पकड़ते हुए- अच्छा बच्चू ! बहुत बड़ा हो गया है तू अब। ऐसी नजर रखता है अपनी भाभी पर? बेटा सोच साफ़ होनी चाहिए, कपड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
विजय- हाँ भाभी, आपने ठीक कहा, मैंने तो मजाक किया था।
मैं उन दोनों की नोकझोंक सुन कर मुस्कुरा रहा था, कुछ बोला नहीं, बस सोच रहा था कि कैसे इन दोनों की आज की हरकतें जानी जाएँ। अब घर पर मेरा टिकना तो सम्भव नहीं था।
तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैंने जूली के पर्स में रु० रखते हुए सोचा, उसका यह पर्स मेरी समस्या कुछ हद तक दूर कर सकता है।
मैंने कुछ समय पहले एक आवाज रिकॉर्ड करने वाला पेन voice recorder लिया था, मैंने उसको ऑन करके जूली के पर्स में नीचे की ओर डाल दिया।
उसकी क्षमता लगभग 8 घंटे की थी, अब जो कुछ भी होगा, कम से कम उनकी आवाजें तो रिकॉर्ड हो ही जाएंगी।
मैंने पहले भी यह चेक किया था, जबर्दस्त पॉवर वाला था और एक सौ मीटर की रेंज की आवाजें रिकॉर्ड कर लेता था।
अब मैं निश्चिंत हो सबको बाय कर ऑफिस के लिए निकल गया।
सोचा किअब शाम को आकर देखते हैं क्या होता है पूरे दिन…
मैं शाम 7 बजे वापस आया, घर का माहौल थोड़ा शांत था, जूली कुछ पैक कर रही थी, विजय अपने कमरे में था।
मैं भी अपने कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा कि तभी मुझे जूली का पर्स दिख गया।
मैंने तुरंत उसे खोलकर वो पेन निकाला, वो अपने आप ऑफ हो गया था।
पर्स में मुझे 3-4 बिल दिखे हैं, मैंने उनको चेक किया, जूली ने काफी शॉपिंग की थी।
उसकी 2 लायेन्ज़री Lingerie, कुछ कॉस्मेटिक और विजय की टी-शर्ट, नेकर और अंडरवियर भी थे।
आमतौर पर मैं कभी ये सब नहीं देखता था पर जब जूली की सब हरकतें आसानी से दिख रही थी तो अब मेरा दिल उनकी सभी बातें जानने का था, आज तो उनके बीच बहुत कुछ हुआ होगा।
मगर यह सब अभी सम्भव नहीं था, मैंने पेन से मेमरी चिप निकाल कर अपने पर्स में रख ली, सोचा कि बाद में सुनुँगा।
बाहर विजय जूली को मना रहा था- मत उदास हो भाभी, फिर जल्दी ही आऊँगा।
ओह ! जूली इसलिए उदास थी !
मैंने भी उसको हंसाने की कोशिश की मगर वो वैसी ही बनी रही उदासमना।
मैं- विजय, कितने बजे की ट्रेन है तेरी?
विजय- भैया, 8:50 की है, मैं 8 बजे ही निकल जाऊँगा।
मैं- पागल है क्या? मैं छोड़ दूँगा तुझे स्टेशन पर, आराम से चलेंगे, चल खाना खा लेते हैं।
विजय- आप क्यों परेशान होते हो भैया, मैं चला जाऊँगा।
मैं- नहीं, तुझसे कहा ना ! जूली तुम भी चलोगी ना।
जूली- नहीं, मुझे अभी बहुत काम हैं, और मैं इसको जाते नहीं देख पाऊँगी, इसलिए तुम ही जाओ।
मैं मन ही मन मुस्कुरा उठा- ओह… इतना प्यार…!!
और तभी मन में एक कौतुहल भी जागा कि विजय को छोड़ने के बाद मेरे पास इन दोनों की बात सुनने का समय होगा।
और हम जल्दी जल्दी खाना खाने लगे।
मैंने बाथरूम में जाकर चिप अपने फ़ोन में लगा ली और रिकॉर्डिंग चेक की।
थैंक्स गॉड ! सब कुछ ठीक था और उसमें बहुत कुछ मसाला लग रहा था।
फिर सब कुछ जल्दी ही हो गया और हम जाने के लिए तैयार हो हो गए।
मैं बाहर गाड़ी निकालने आ गया, विजय अपनी भाभी को अच्छी तरह मिलकर दस मिनट बाद बाहर आया।
मैं- क्या हुआ? बड़ी देर लगा दी?
विजय- हाँ भैया, भाभी रोने लगी थीं।
मैं- हाँ, वो तो पागल है, सभी को दिल से चाहती है।
विजय- हाँ भैया, भाभी बहुत अच्छी हैं, उनका पूरा ख्याल रखना।
मैं- अच्छा बच्चू, अभी तक कौन रख रहा था?
विजय- नहीं भैया, मेरा यह मतलब नहीं था। आप काम में बिजी रहते हो ना, इसलिए कह रहा था।
मैं- हाँ वो तो है ! चल अच्छा, अपना ध्यान रखना और किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना।
विजय- हाँ भैया, आपसे नहीं तो किससे कहूँगा।
मुझे उसके जाने की बहुत जल्दी थी, मैं उस टेप को सुनना चाह रहा था।


कुछ ही देर में विजय की ट्रेन चली गई, मैं जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ गया और फ़ोन निकाल कर रिकॉर्डिंग ऑन की…
इस टेप को सुनने में पूरे 3 घंटे लगे, टेप सुनने में ही मेरी हालत खराब हो गई और मैंने दो बार मुठ मारी।
मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि जूली इस कदर सेक्सी हो सकती है, उसने एक भारतीय नारी की सारी हदें पार कर दी थीं।
मुझे लगा कि शायद मैं अपने बिज़नेस में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया था जो उसकी इच्छाएँ नहीं समझ पाया।
तो आप भी सुन लीजिए मेरे सगे भाई विजय और मेरी ब्याहता बीवी जूली की बातचीत, एक एक शब्द आगे वर्णित है…

मैं- अच्छा जान मैं चलता हूँ, विजय तैयार रहना शाम को मिलते हैं।
जूली- बाय जान अपना ध्यान रखना।
जूली- ओह विजय, क्या करते हो रुको तो… अरे, दरवाजा तो बंद करने दो… लगता है… आज तो पगला गए हो।
विजय- हाँ भाभी, आज मेरा आखरी दिन है, तुमको तो पता है फिर 6 महीने के बाद आ पाऊँगा।
जूली- ओह मुझे पता है बेबी, मैं खुद उदास हूँ पर ओह… रुको ना… उतार रही हूँ ना… क्या पजामी फ़ाड़ोगे? ये लो… आज तुम्हारा जो दिल चाहे कर लो… आज मेरी ओर से तुमको हर तरह की आजादी..
विजय- यू आर ग्रेट भाभी… आई लव यू… पुच… पुच…
जूली- अब तुमने मुझे पूरी नंगी तो कर दिया है… देखो सुबह तुमने कितना गन्दा कर दिया था… पहले मैं नहा लूँ… फिर जो तुम्हारी मर्जी कर लेना।
विजय- आज तो मैं आपको एक पल भी नहीं छोड़ूँगा… चलो… मैं आपको नहलाता हूँ।
जूली- क्या करते हो विजय… अभी तो नहाये हो तुम… फिर से गीले हो जाओगे… आआअ… ऊऊऊ…उईईईईई… क्या कर रहे हो…
ह्ह्ह्ह्हाआआआ… खिलखिलाने की आवाजें आओहूऊऊओ…
विजय- भाभी सच बताओ, तुम्हारी चूत इतनी प्यारी कैसे है… कितनी छोटी… वाउउउउ… कितनी चिकनी… ये तो बिल्कुल छोटी सी बच्ची जैसी है… पुच पुच… च… च… च… पुच च च…
जूली- अहाआआ… ह्हह्हाआ… अब नहाने भी दे… या चाटता ही रहेगा… ओहूऊऊ… ओह… हा… हा… हे… हेह… ही… ही…
विजय- पुच… चाप… चप… चपर… पुच…
जूली- अच्छा ये बता… तूने कितनी बच्ची की चूत देखी हैं जो तुझे पता है कि वो ऐसी होती है।
विजय- क्या भाभी… ये तो पता ही है न… और मैंने तो कई की देखी है और…
जूली- अच्छा बच्चू… इसका भी दीवाना है लेकिन गलत बात अब ऐसा नहीं करना…
विजय- ओह भाभी… ठीक है… नहीं करूँगा मगर कान तो छोड़ो।
जूली- नहीं छोड़ूंगी… तुम छोड़ते हो जब मेरे दूध पकड़ लेते हो… तो हा हा… अब मैं भी नहीं छोड़ती…
विजय- ठीक है… मत छोड़ो… लो मैं भी पकड़ लेता हूँ…
जूली- हीईई… हूऊऊऊऊ… अहाआआ… उईईईईइ…
विजय- अहाआ… आआअ…
जूली- ओहूऊऊ… यहाँ नहीं राजा… ओहू… हो… अहाआआ… निकाल न… अहाआआ… नहा तो लेने दे… नअहाआआ…
विजय- नहला ही तो रहा हूँ… यह तो आपकी चूत की अंदर की सफाई कर रहा है… आहा… आहा…
जूली- हाँ हाँ… मुझे सब पता है यह कौन सी सफाई कर रहा है… आहा… आअ… अआ… अआ… ओह… ओह…
अहाआआ… आहा… आअ… आअ… आहाहा… हाआह…
विजय- ओह भाभी… कितनी गर्म है चूत आपकी… आहा हा… ओह आहा… हा ओह… अह्ह्हा… ओह… हह…
जूली- बस्स्स्स्स्स्स्स… राजाआआआ… ओहोहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…
विजय- आआआह्हह्हह्हह्ह… बस्स… भाभी हो गया… आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आआआआअह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह…
विजय- आहा भाभी… मजा आ गया, तुम बहुत हॉट हो जानम, तुम्हारी इस चूत को चोदकर मेरे लण्ड को पूरा करार मिल जाता है।
जूली- हाँ लाला… तुमने भी मेरी जिंदगी में पूरे रंग भर दिए हैं। तुम्हारे भैया तो बेडरूम और बिस्तर के अलावा मुझे कहीं हाथ भी नहीं लगाते, अहा और तुमने इस घर में हर जगह मुझे चोदा है। मैं निहाल हो गई तुम्हारी चुदाई पर।
विजय- हाँ भाभी… चुदाई का मजा तो जगह और तरीके बदल बदल कर करने में ही आता है।
जूली- सही कहा तुमने… आज यहाँ बाथरूम में मजा आ गया।
विजय- अच्छा और कल जब बालकोनी में किया था?
जूली- धत्त पागल… वो तो मैं बहुत डर गई थी। लेकिन सच बोलूँ तो बहुत मजा आया था। सूरज की रोशनी में खुले में, ना जाने किस किसने देखा होगा।
विजय- अरे भाभी… वही तो मजा है… और आपने देखा नहीं कल आपकी चूत सबसे ज्यादा गरम थी और कितना पानी छोड़ रही थी।
जूली- हाँ हाँ… चल अब तेरी सारी इच्छा पूरी हो गई ना, बेडरूम से लेकर बाथरूम, बालकोनी, रसोई सब जगह तूने अपने मन की कर ली ना, और मुझे यह गन्दी भाषा भी सिखा दी, अब तो तू खुश है ना?
विजय- अभी कहाँ मेरी जान… अभी तो दिल में सैकड़ों अरमान हैं… आप तो बस देखती जाओ… हा… हा… हा…
जूली- तू पूरा पागल है… चल अब हट…


ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
जूली- अरे कौन आया इस वक्त…?
विजय- लगता है कूरियर वाला है।
जूली- जा तू ले ले… तौलिया बांध लेना कमर में… या होने इसी पेन से साइन करेगा… हा… हा… हा… हाहा…
विजय- हे हे… हंसो मत भाभी… आज आपको एक और मजा कराता हूँ… जाओ कूरियर आप लो… बहुत मजा आएगा।
जूली- पागल है क्या… मुझे कपड़े पहनने में आधा घंटा लग जायेगा, जल्दी जा ना… तू ले ले।
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
विजय- नहीं भाभी… देखो न… बहुत मजा आएगा… तुमको कपड़े नहीं पहनने… ऐसे ही लेना है कूरियर।
जूली- हट पागल… मारूंगी तुझे… नंगी जाऊँगी मैं उस आदमी के सामने? कभी नहीं करुँगी मैं ऐसा… तू तो पूरा पगला गया है। हाए राम क्या हो गया है तुझको, मुझे क्या समझा है तूने?
विजय- पुच पुच… तुम तो मेरी जान हो… अगर मुझ पर विश्वास है और मुझसे जरा भी प्यार है तो आज सारी बात आप मानोगी… चलो जल्दी करो।
जूली- अरे बुद्धू… कैसे वो पागल हो जायेगा।
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
जूली- कौन? कौन है भाई?
…कूरियर है…
जूली- रुको भैया, अभी आती हूँ, मैं नहा रहीं हूँ।
हाँ… अब बोल कैसे जाऊं…?
विजय- लो यह तौलिया ऐसे बाँध लो जैसे बांधती हो अपनी चूची से और गीली तो हो ही, वो यही समझेगा कि नहाते हुए आई हो। और घबराती क्यों हो… वो कौन का किसी से कहेगा… उसकी तो आज किस्मत खुल जायेगी।
जूली- तू वाकई पूरा पागल है… मरवाएगा तू आज, मैं पूरा दिन अकेली ही रहती हूँ अगर किसी दिन चढ़ आया न वो तो मैं क्या करुँगी।
विजय- अरे कुछ नहीं होगा… तुम देखना कितना मजा आएगा… और आपको एक बार उसके सामने यह तौलिया सरका देना… फिर देखना मजा।
जूली- पागल है… धत्त… मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी। चल हट अब तू।
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
जूली- आई भैया…
दरवाजा खुलने की आवाज…
विजय की मर्जी पूरी करने के लिए जूली आज वो करने वाली थी जो उसने कभी नहीं किया था।
वो नहाकर पूरी नंगी, उसके संगमरमरी जिस्म पर एक भी वस्त्र नहीं था, केवल एक तौलिया लपेट जो उसके बड़े और ऊपर को तने मम्मों पर बंधी थी और उसके मोटे गद्देदार चूतड़ों पर आकर ख़त्म हो गई थी, उसी को बाँध, एक अजनबी के सामने आने वाली थी। पता नहीं इस रोमांच के खेल में क्या होने वाला था…
अब आगे…
दरवाजा खुलने की आवाज…
जूली- ओह आप… क्या था भैया? सॉरी देर हो गई वो क्या था कि मैं नहा रही थी न…
अजनबी- कोई बात नहीं मैडम जी, आपका कूरियर है। लीजिये यहाँ साइन कर दीजिये…
जूली- ओह.. कहाँ… अच्छा… क्या है इसमें..
अजनबी- पता नहीं मैडम… मुम्बई से आया है।
जूली- ओह बहुत भारी है… आहआआआ… आईईईईईईई… उफ्फ्फ्फ्फ… पकड़िये प्ल्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श… प्लीज ये क्या हुआअ…
अजनबी- वाह… मेमश्ाााााबबब…
हाँह्हह्ह्ह… लाईईईई… ये अहाआआआअ…
जूली- सॉरी भाईसाब… न जाने कैसे खुल गया। कृपया आप अंदर रख दीजिये…
…खट खट बस कुछ आवाजें…
अजनबी- अच्छा मेमसाब, चलता हूँ। आपका शुक्रिया… एक बात कहूँ मेमसाब… आप बहुत सुन्दर हैं… अब किसी और के सामने ऐसे दरवाजा मत खोलना।
जूली- सॉरी भैया, किसी और से मत कहना।
अजनबी- ठीक है मेमसाब…
दरवाजा बंद होने आवाज…
जूली- हा हा हा हा माय गॉड, ये क्या हो गया…
विजय- हाहा…हाहाहाहा…हाहा होहोहोहो… मजा आ गया भाभी… क्या सीन था, गजब, आज तो उसका दिन सफल हो गया…
जूली- हो हो हो हो हे हे… रुक अभी… कितना मजा आयायया… वाह रुक… अभी हा हा हा हा… पेट दर्द करने लगा…
विजय- हाँ भाभी, देखा आपने उसकी पैंट कितनी फूल गई थी… बेचारा कुछ कर भी नहीं पाया.. कैसे भूखे की तरह घूर रहा था…
विजय- वाह भाभी… आपने तो कमाल कर दिया, मैंने तो केवल ये चूची दिखाने को कहा था। और आपने तो उसको पूरा जलवा दिखा दिया?
माय गॉड… देखो… यहाँ मेरे लण्ड का क्या हाल हो गया… उस बेचारे का तो क्या हुआ होगा।
जूली- हहहहः
विजय- जैसे ही आपका तौलिया गिरा मैं तो चोंक ही गया था… मैं तो डर गया कि कहीं आप पैकेट ना गिरा दो। पर आपने किस अदा से उसको पैकेट पकड़ाया।
वाह भाभी मान गया आपको…
जूली- हे… हे हे… हे… चल पागल… वो तो अपने आप हो गया। मैंने नहीं किया… तौलिया खुद खुल गया…
विजय- जो भी हुआ पर बहुत गरम हुआ, जो मैं सोचता था वैसे ही हुआ…
विजय- कैसे फटी आँखों से वो आपकी चूत घूर रहा था.. और आपने भी उसको सब खुलकर दिखाई…
जूली- धत्त मैंने कुछ नहीं दिखाया… चल हट मुझे शर्म आ रही है…
विजय- हाए हाए… मेरी जान… अब शर्म आ रही है.. मुझे तो मजा आ गया।
जूली- अच्छा बता न… वो क्या क्या देख रहा था?
विजय- हाँ भाभी, आपसे पैकेट लेते हुए उसकी नजर आपकी हिमालय की तरह उठी इन चूचियों पर थी। आप जब बैठकर तौलिया उठा रही थीं, तब वो बिना पलक झपकाए आपकी इस चिकनी मुनिया को घूर रहा था जो शायद अपने होंट खोले उसको चिढ़ा रही थी। और तो और फिर आप उसकी तरफ पीठ कर जब तौलिया बांधने लगीं तो जनाब ने आपके इन सेक्सी चूतड़ों को भी ताड़ लिया।
मैं तो सोच सोच कर मरा जा रहा हूँ कि क्या हुआ होगा बेचारे का…
जूली- हा हा… एक बात बताऊँ, पैकेट लेते हुए उसके दोनों हाथों की रगड़ मेरे इन पर थी… मैं तो सही में घबरा गई थी।
विजय- वाओ भाभी… चूचियों को भी रगड़वा लिया, फिर तो गया वो…
जूली- तुम सही कह रहे थे… वाकयी बहुत मजा आया।
विजय- मैं तो आपसे कहता ही हूँ भाभी… जरा सा जीवन है खूब मजा किया करो।










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