Saturday, July 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI भैया की सालियाँ

FUN-MAZA-MASTI
 भैया की सालियाँ
 उस समय की बात है, जब मैं अपने भैया की ससुराल गया था। मैं उस समय 20 साल का था। मेरे भैया की दो सालियाँ है, नीरू और प्रभा। नीरू 19 साल की और प्रभा 18 साल की थी। मैं पहले भी कई बार भैया की ससुराल जा चुका था। प्रभा बहुत ही चंचल थी, लेकिन नीरू उससे भी बढ़ कर चंचल थी। वो मुझसे बहुत मजाक करती थी। नीरू ने कई बार मजाक-मजाक में मेरे गालों को काट भी लिया था।
एक दिन उन दोनों ने कहा- जय, चलो आज पिक्चर देखने चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है.. चलो।
पिक्चर हाल वहाँ से बहुत दूर था।
हमें शाम का शो देखना था, इसलिए हम तीनों पिक्चर देखने के लिए 2 बजे ही घर से निकल गए। मैंने एक ऑटो लिया। हम ऑटो में बैठे तो नीरू और प्रभा बहुत मुस्कुरा रही थीं।
मैंने पूछा- क्या बात है.. तुम दोनों बहुत मुस्कुरा रही हो?
तो नीरू बोली- कुछ नहीं ऐसे ही…!
मैंने कहा- ज़रूर कोई बात है..!
नीरू बोली- अभी थोड़ी देर में मालूम हो जाएगा।
मुश्किल से एक किमी. जाने के बाद नीरू ने एक घर के सामने ऑटो को रुकवा दिया और बोली- मेरी एक सहेली भारती यहाँ रहती है, वो भी पिक्चर देखने जाना चाहती है। आओ अन्दर चल कर उसे भी साथ ले लेते हैं।
मैंने ऑटो वाले को पैसे दिए और प्रभा और नीरू के साथ भारती के घर पर चला गया। भारती ने नीरू को देखा तो मुस्कुराते हुए बोली- ले आई तुम जय को?
नीरू ने कहा- हाँ, मैं ले आई हूँ।
नीरू और प्रभा भारती के पास सोफे पर बैठ गई नीरू और भारती ने गपशप शुरू कर दी। भारती की उम्र भी लगभग 18 साल की थी। वो नीरू की सहेली थी।
करीब पंद्रह मिनट गुजर गए तो मैंने नीरू से कहा- पिक्चर नहीं जाना है क्या? बहुत देर हो रही है।
वो बोली- जय जी, असली शो तो यहाँ होगा..! पिक्चर तो एक बहाना था, असल में तो हम तीनों को तो आपसे चुदवाना था।
मैं सकते में आ गया, लेकिन अन्दर ही अन्दर बहुत खुश था। आज मुझे एक ही दिन में तीन चूतों को चोदने का मौका मिलने वाला था।
उन तीनों ने टाप और मिनी स्कर्ट पहन रखा था। चुदाई के बारे में सोच कर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही खड़ा हो गया।
मैंने उसे दबाना चाहा तो भारती बोली- अजी पैन्ट के अन्दर क्या छुपा रहे हैं जरा देखूं तो?
वो मेरे पास आई और मेरे पैन्ट की चैन खोलने लगी। मैंने अन्दर आज चड्डी नहीं पहनी थी। चेन खोलने के बाद उसने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और बोली- आपका मुन्ना तो बहुत बड़ा है… आज तो खूब मज़ा आएगा…!
मेरा पूरा लौड़ा अभी बाहर नहीं निकला था।
मैंने कहा- अगर तुम तीनों को मुझसे चुदवाना है, तो पहले तुम तीनों अपने कपड़े उतार दो और एकदम नंगी हो जाओ।
वो तीनों बहुत ही जोश में थीं।
नीरू बोली- हम सभी अपने कपड़े अभी उतार देती हैं।
वो तीनों अपने कपड़े उतारने लगीं और दो मिनट में ही मेरे सामने एकदम नंगी हो गईं। नंगी होने के बाद वो तीनों किसी मॉडल की तरह अलग-अलग स्टाइल में अपने बदन को मुझे दिखाने लगीं। 
मेरा लंड एकदम तन गया, उन तीनों की चूतें एकदम गुलाबी थीं और उन पर एक भी बाल नहीं था, उन सबने पूरी तैयारी पहले से ही कर रखी थी।
मैं उन तीनों को चोदने में मिलने वाले आनन्द की कल्पना करने लगा।
नीरू बोली- जय, अब तुम भी अपने कपड़े उतारो और अपने पूरे लंड के दर्शन कराओ।
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगा हो गया।
मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था। मेरे लंड को देख कर नीरू बोली- जीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है…!
उसके बाद नीरू ने मुझे बेड के किनारे पर बिठा दिया और मेरी गोद में बैठ गई और अपनी चूत से मेरे लंड को अपनी चूत से दबाते हुए मेरे होंठों को चूमने लगी। भारती भी मेरे बाईं तरफ़ आकर बैठ गई और मेरे गालों को ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी। भारती अपनी चूचियाँ मेरे बदन पर रगड़ने लगी। उसके दोनों चूचुक एकदम सख्त हो गए थे। प्रभा आकर मेरे दायें बैठ गई और मेरा लंड सहलाने लगी।
मेरा लंड तन कर एकदम लोहे का डण्डा की तरह हो गया।
भारती ने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख दिया और मैं उसकी घुंडियों को मसलने लगा। प्रभा अभी भी मेरा लंड सहला रही थी। मैंने एक हाथ से बारी-बारी से उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
नीरू बहुत ही ज्यादा जोश में आ गई थी। उसने मेरी उंगली पकड़ कर अपनी चूत में डाल दी, तो मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी।
नीरू मुझे बहुत ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी, वो एकदम जोश से पागल हो रही थी, उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे लंड को चूसने लगी।
भारती और प्रभा एक-दूसरे को चूमने लगीं और एक-दूसरी की चूत को सहलाने लगीं, वो दोनों एक-दूसरे की चूचियों को भी चूसने लगीं, वो दोनों भी एकदम जोश में आ गई थीं।
नीरू मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में हो गई और मेरे लंड को बहुत तेज़ी के साथ चूसने लगी। मैंने अपनी एक उंगली नीरू की चूत में डाल दी। उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी और मेरी उंगली भी पूरी भीग गई। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से निकाल कर, उसकी गाण्ड में डाल दी, तो उसे थोड़ा दर्द हुआ। उसने मुझसे अपनी उंगली गाण्ड से निकाल कर चूत में डालने को कहा।
मैंने प्रभा से नीरू की चूचियों को चूसने को कहा, जिससे से उसे दर्द का एहसास न हो।
प्रभा ने नीरू की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया और नीरू शांत हो गई। भारती भी नीरू के पास आ गई और उसकी चूचियों को मसलने लगी।
नीरू की चूत एकदम गीली हो गई थी। मैंने सबसे पहले नीरू को चोदने का मन बनाया। मैंने नीरू को बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच आ गया।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया, वो और जोश में आ गई और बोली- यार अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है… जल्दी डाल अपना लंड मेरी चूत में.. खूब ज़ोर-ज़ोर से चोद मुझे…!
मैंने उसके चूतड़ों के नीचे दो तकिये रख दिए, इससे उसकी चूत एकदम ऊपर उठ गई। मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत की दरार के बीच रख कर अन्दर दबाया, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए, तो मैं रुक गया।
उसकी चूत बहुत छोटी थी।
मैंने प्रभा और भारती से नीरू की चूची को चूसने और मसलने के लिए कहा। प्रभा और भारती ने उसकी चूची को चूसना और मसलना शुरू कर दिया।
नीरू और ज्यादा जोश में आ गई और बोली- जय, अपना पूरा लंड घुसा दे मेरी चूत में… खूब ज़ोर-ज़ोर से चोद मुझे… रुकना मत और मेरे चिल्लाने की कोई परवाह मत करना..!
मैंने अपना लंड नीरू की चूत में घुसाना शुरू कर दिया। थोड़ा ज़ोर लगाने के बाद मेरा आधा लंड नीरू की चूत में घुस गया। नीरू मुझे रोकने लगी, लेकिन मैं रुका नहीं और एक जोरदार झटका दिया, तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया।
वो रोने और चिल्लाने लगी, तो प्रभा और भारती ने उसकी चूचियों को और ज़ोर-ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया। वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए।
थोड़ी ही देर की चुदाई के बाद वो अपना दर्द एकदम भूल गई और अपने चूतड़ उठाने लगी।
उसको चूतड़ों को उठाता देखकर मैंने उसको तेज़ी के साथ चोदना शुरू कर दिया।
अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो बोली- जय, ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा… फाड़ दो मेरी चूत को.. आज… आ..हह.. खूब तेज़ी के साथ चोदो मुझे.. अह्ह्ह… तुमने आज के पहले मुझे क्यों नहीं चोदा… आ..हह..!
मैंने कहा- तुमने कभी मौका ही नहीं दिया.. आज मौका मिला है, तो मैं तुम तीनों को खूब चोदूँगा।
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, वो अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर मेरा साथ देते हुए चुदवा रही थी।
पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया। नीरू भी इस बीच दो बार झड़ चुकी थी। नीरू उठी और उसने मेरा लंड देखा, मेरे लंड पर कुछ खून भी लग गया था।
वो मुझे बाथरूम ले गई और मेरे लंड को साबुन लगा कर साफ किया और उसके बाद अपनी चूत को साफ करने लगी।
थोड़ी देर मे हम दोनों बाथरूम से वापस आ गए। प्रभा और भारती एक-दूसरे की चूत को चाटने में मस्त थीं।

 पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया। नीरू भी इस बीच दो बार झड़ चुकी थी। नीरू उठी और उसने मेरा लंड देखा, मेरे लंड पर कुछ खून भी लग गया था।
वो मुझे बाथरूम ले गई और मेरे लंड को साबुन लगा कर साफ किया और उसके बाद अपनी चूत को साफ करने लगी।
थोड़ी देर मे हम दोनों बाथरूम से वापस आ गए। प्रभा और भारती एक-दूसरे की चूत को चाटने में मस्त थीं।
मुझे देखते ही उन दोनों ने मुझे पकड़ कर बेड पर लिटा दिया। वो दोनों बहुत ही जोश में थीं और उन दोनों ने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया।
भारती ने मुझसे कहा- जय, अब आप मुझे चोदो..! प्रभा बोली- नहीं.. पहले मैं चुदवाउंगी..!
भारती बोली- ठीक है.. पहले तुम ही चुदवा लो..!
नीरू ने प्रभा से मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में होने को कहा। प्रभा मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में हो गई और मेरे लंड को सहलाने लगी। उसकी चूत एकदम मेरे मुँह के पास थी।
नीरू ने प्रभा से मेरा लंड चूसने को कहा, तो प्रभा ने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया। प्रभा ने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर निकाला, तो नीरू मेरे लंड को चूसने लगी, दोनों बहनें बारी-बारी से मेरा लंड चूसने लगीं।
भारती बैठ कर एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूचियों को मसल रही थी।
मैं प्रभा की चूत को चाटने लगा, नीरू और प्रभा मेरा लंड चूस रही थी। मैं भी पहली बार एक साथ दो लड़कियों से अपना लंड चुसवाने का मज़ा ले रहा था।
मैंने अपनी एक उंगली प्रभा की चूत में डालने की कोशिश की, उसकी चूत बहुत ही टाईट थी, मेरी उंगली उसकी चूत में केवल एक इन्च ही घुस पाई। मैं समझ गया कि प्रभा को चोदने मे मुझे ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी।
मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से निकाल ली और अपने मुँह में डाल कर एकदम गीला कर दिया। उसके बाद मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा। प्रभा मेरा लंड चूसते हुए अपने चूतड़ों को आगे-पीछे कर रही थी।
वो भी मेरी उंगली को अपनी चूत के अन्दर लेना चाहती थी। मैंने अपनी उंगली पर थोड़ा सा ज़ोर दिया, तो मेरी आधी उंगली उसकी चूत में घुस गई।
प्रभा को दर्द हुआ, तो वो चिल्लाने लगी। मैंने अपनी आधी उंगली उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी, तो वो जोश में आ गई और शांत हो गई।
वो जैसे ही शांत हुई तो मैंने अचानक अपनी पूरी उंगली उसकी चूत में घुसा दी। वो ज़ोर से चीख उठी, तो मैं फिर रुक गया।
थोड़ी देर बाद जब वो कुछ शांत हुई, तो मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी।
वो और ज्यादा जोश में आ गई, वो सिसकारियाँ भरते मेरे लंड को तेज़ी के साथ चूसने लगी। प्रभा की चूत एकदम गीली हो चुकी थी और वो चुदवाने के लिए तैयार हो गई।
नीरू ने प्रभा से कहा- अब तू अपनी चूत के अन्दर जय का लंबा और मोटा लंड लेने के लिए तैयार हो जा, थोड़ा दर्द होगा.. बर्दाश्त कर लेना.. ज्यादा चिल्लाना मत..!
प्रभा बोली- ठीक है जय, ज़रा धीरे-धीरे डालना.. प्लीज..!
प्रभा की चूत बहुत ज्यादा टाइट थी। मैं जानता था कि उसकी चूत में लंड घुसाने के लिए उसकी चूत और मेरे लंड को एकदम गीला करना पड़ेगा।
मैंने नीरू और भारती से कहा- तुम दोनों अपने थूक से मेरा लंड और प्रभा की चूत को एकदम गीला कर दो।
उन दोनों ने वैसा ही किया। मैंने प्रभा की चूत के बीच अपना लंड रखा और अन्दर दबाने लगा। मैंने बहुत थोड़ा सा ही दबाया कि वो बहुत ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी।
नीरू मुझसे बोली- ज़रा धीरे-धीरे करो.. इसकी उम्र अभी कम है.. और इसकी चूत भी बहुत टाइट है…!
मैंने थोड़ा और दबाया, तो प्रभा रोने लगी। मैं रुक गया, मेरा लंड अभी प्रभा की चूत में केवल दो इन्च ही घुसा था। मैंने नीरू और भारती से कहा- तुम दोनों इसकी चूचियों को चूसो और मसलो, तभी ये शांत होगी।
वो दोनों उसकी चूचियाँ चूसने और मसलने लगीं। मैं भी ठहर गया तो वो थोड़ी देर मे कुछ शान्त हो गई।
अब मैंने अपना लंड धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया। जब मेरा लंड उसकी चूत में दो इन्च तक आराम से अन्दर-बाहर होने लगा, तो मैंने थोड़ा सा और अन्दर दबा दिया। वो फ़िर चीख उठी और रोने लगी, अब तक उसकी चूत ने मेरा लंड 4 इन्च तक निगल लिया था।
मैंने फ़िर धीरे-धीरे अपना लंड 4 इन्च ही अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया। 5 मिनट बाद उसका दर्द जाता रहा और वो मस्त हो कर चुदवाने लगी।
मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा और पूरी ताकत लगाते हुए, एक बहुत ही जोरदार धक्का लगा दिया। मेरा लंड उसकी चूत में एकदम ज़ड़ तक समा गया, वो बहुत तेज़-तेज़ चिल्लाने और रोने लगी।
वो अपना हाथ भी पटकने लगी, नीरू ने मुझसे कहा- तुमने ये क्या कर दिया, ये अभी कमसिन है और इसकी चूत बहुत छोटी है… मैंने तुमसे धीरे-धीरे डालने को कहा था, लेकिन तुमने एक झटके से ही अपना पूरा लंड इसकी चूत में डाल दिया।
मैंने कहा- जब वो मेरा लंड 4 इन्च तक अन्दर ले चुकी है, तब ज्यादा देर करना ठीक नहीं था, वरना यह मेरा पूरा लंड अपनी चूत के अन्दर नहीं ले पाती। अब जब ये मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले चुकी है, तो इसका सारा दर्द अभी थोड़ी ही देर में खत्म हो जाएगा।
मैंने धीरे-धीरे धक्का लगाते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया। दस मिनट की चुदाई के बाद ही वो एकदम शांत हो गई और वो अपना सारा दर्द भूल गई, अब वो अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने अपनी स्पीड थोड़ा और तेज़ कर दी, तो वो अपने चूतड़ों को और तेज़ी के साथ ऊपर उठाने लगी।
अब वो मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी। मैंने उसको साथ देते देखा तो अपनी स्पीड बहुत तेज़ कर दी और उसे एक आंधी की तरह चोदने लगा। नीरू उसकी चुदाई देख कर बहुत खुश थी।
वो प्रभा की चूचियाँ चूसने और मसलने लगी। प्रभा भी बहुत जोश में आकर चुदवा रही थी। वो अपने हाथ से मेरा सर पकड़ कर मेरे बालों को सहला रही थी।
कुछ देर बाद उसने मुझे बहुत ज़ोर से पकड़ लिया, तो मैं समझ गया कि वो अब झड़ने वाली है, मैंने खूब तेज़ धक्के लगाने शुरू कर दिए 8-10 धक्कों के बाद ही वो झड़ गई।
झड़ने के बाद वो कुछ देर के लिए सुस्त हो गई, लेकिन मैंने उसकी चुदाई जारी रखी।
मैंने प्रभा को लगभग बीस मिनट तक चोदा और उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थी। प्रभा की चूत में झड़ने के बाद मैं हट गया।
नीरू प्रभा की चूत को देखने लगी, उसकी चूत एकदम चौड़ी हो चुकी थी।
नीरू प्रभा की चूत को सहलाते हुए बोली- दर्द हो रहा है..!
प्रभा बोली- दीदी, आज मुझे जो मज़ा आया, उसके आगे ये दर्द कुछ भी नहीं है। मैं नहीं जानती थी कि चुदवाने में इतना मज़ा आता है। पहले जब थोड़ा सा दर्द हुआ तो मैं घबरा गई थी, तुमने आज मुझे ज़िंदगी का वो मज़ा दिलाया है कि मैंने ज़िंदगी भर नहीं भूल पाउंगी।
प्रभा फिर मुझसे बोली- जय, मुझे ये मज़ा लेने के लिए दीदी ने राजी किया था, आपने ही मुझे ये मज़ा दिया है। मैं आपको ज़िंदगी भर याद रखूंगी, आप ही मेरे पहले पति हैं..!
दो सीलें तोड़ने के बाद मैं पन्द्रह मिनट तक बैठ कर आराम करता रहा। उसके बाद मैंने भारती से कहा- अब तुम्हारी बारी है, पहले बाथरूम चल कर मेरा लंड साबुन से साफ करो उसके बाद मैं तुम्हारी चुदाई करता हूँ।
भारती मेरे साथ बाथरूम गई उसने मेरे लंड पर साबुन लगा दिया और खूब रगड़-रगड़ कर साफ किया। इस बार मेरे लंड पर कुछ ज्यादा ही खून लगा था। मैं भारती के साथ बाथरूम से वापस आया। साबुन लगा कर खूब रगड़ने की वजह से मेरा लंड फ़िर से खड़ा हो गया था।
मैं बेड पर बैठ गया, भारती मेरी टांगों के बीच बैठ गई और मेरा लंड मुँह में ले कर चूसने लगी। पाँच मिनट चूसने के बाद मेरा लंड एकदम तन गया, मैंने भारती को बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर 69 की पोजीशन में हो गया। मैंने भारती की चूत को चाटना शुरू कर दिया और वो मेरा लंड चूसने लगी। थोड़ी देर तक उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने एक उंगली भारती की चूत में डाल दी। उसकी चूत भी एकदम टाइट थी, लेकिन प्रभा की तरह नहीं मेरी उंगली उसकी चूत में पूरी घुस गई और मैंने अपनी उंगली अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी। दो मिनट में ही उसकी चूत एकदम रसीली हो गई, वो अब चुदवाने के लायक हो चुकी
थी। मैं उसके ऊपर से हट गया और उसकी टांगों के बीच आ गया।
भारती बोली- जय, आप लेट जाओ, मैं आपका लंड अपनी चूत में घुसाऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है…!
मैं बेड पर लेट गया। भारती मेरे ऊपर आ गई, उसने मेरे लंड के सुपारे को अपनी चूत के बीच रखा और धीरे-धीरे रगड़ने लगी। थोड़ी देर तक वो अपने चूत को मेरे लंड पर रगड़ती रही।
उसके बाद वो अपने पूरे बदन का भार डालते हुए एक झटके से ही मेरे लंड पर बैठ गई। उसके मुँह से एक जोरदार चीख निकली और वो अपने सर का बाल नोंचने लगी। मैं भारती को देखता ही रह गया, मेरा लंड उसकी चूत में एकदम ज़ड़ तक घुस चुका था। नीरू और प्रभा भी भारती को देखती ही रह गई। उसकी चूत से खून निकल आया था।
नीरू ने भारती से कहा- तू जय के लंड पर एक झटके से क्यों बैठ गई..! तुझे धीरे-धीरे अन्दर लेना चाहिए था…!
भारती बोली- तुम दोनों को चुदवाते हुए देख कर मैंने जोश से एकदम बेकाबू हो गई थी। मैंने जय का लंड एक झटके से ही अन्दर लेना चाहती थी, इसलिए अचानक उनके लंड पर बैठ गई… दर्द तो बहुत हो रहा है, लेकिन ये अभी खत्म हो जाएगा..!
थोड़ी देर भारती मेरे लंड पर बैठी रही और उसके बाद उसने मेरा लंड अपनी चूत मे धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद जब उसकी चूत में मेरे लंड की जगह बन गई, तो उसका दर्द कम हो गया। भारती ने थोड़ा
तेज़ धक्के लगाने शुरू कर दिए और दो मिनट बाद ही वो झड़ गई।
झड़ने के बाद वो मेरे ऊपर से हट गई और बोली- जय अब आप मेरी चुदाई करो..!
भारती बेड पर घोड़ी की तरह बन गई और मुझसे पीछे आकर चोदने को कहने लगी। नीरू और प्रभा दोनों भारती को देख रही थीं। मैंने भारती के पीछे आ गया। मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाल कर भारती की चुदाई शुरू कर दी। घोड़ी की तरह होने से उसकी चूत एकदम चिपक गई थी इसलिए उसे थोड़ी देर दर्द हुआ लेकिन दो मिनट की ही चुदाई के बाद उसका सारा दर्द खत्म हो गया और वो अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करते हुए मुझसे चुदवाने लगी। उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
वो सिसकारियाँ भरते हुए मुझसे चुदवा रही थी। पाँच मिनट तक चुदवाने के बाद वो दूसरी बार फ़िर झड़ गई।
भारती ने प्रभा और नीरू से कहा- तुम दोनों ने जय से पहले ही चुदवाया है। मैंने बहुत सबर इसलिए किया कि जब जय तुम दोनों को चोद लेंगे, तो जल्दी झड़ेंगे नहीं और मैं खूब मज़ा लूंगी। अब तुम दोनों बैठ कर मेरी चुदाई देखो..!
भारती बहुत ही चालू थी। मैं एक घंटे में दो बार झड़ चुका था, इसलिए इस बार मेरा पानी जल्दी कहाँ निकलने वाला था..!
मैंने भारती को चोदना जारी रखा, वो खूब मजे ले-ले कर मुझसे चुदवाती रही। लगभग एक घंटे तक चोदने के बाद मैं भारती की चूत में ही झड़ गया।
इस दौरान वो 4 बार और झड़ चुकी थी।
भारती की चूत में पूरा पानी निकालने के बाद मैं हट गया। भारती ने इस बार मेरा लंड अपनी जीभ से चाट-चाट कर साफ किया, साबुन से नहीं..!
अब तक शाम के 6 बज चुके थे, पिक्चर के शो का खत्म होने का समय हो गया था।
प्रभा ने नीरू से कहा- मैं एक बार जय से और चुदवाना चाहती हूँ…!
नीरू ने कहा- जब तक जय यहाँ हैं, हम डेली पिक्चर देखने जायेंगे…!
मैं समझ गया कि जब तक मैं यहाँ हूँ, मुझे रोज़ ही इन तीनों को चोदने का मज़ा मिलेगा। हम सबने चाय पी, उसके बाद वापस घर आ गए। मैं 7 दिनों तक भाई और अब तो मेरी भी ससुराल में रहा और डेली ‘पिक्चर’ देखने जाने के बहाने उन तीनों को चोदता रहा। मैं आज भी उन तीनों को चोदने का कोई मौका नहीं छोड़ता। जब कभी मौका मिलता है, मैं उनको चोद देता हूँ और वो मुझसे बड़े प्रेम से चुदवाती हैं।


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