FUN-MAZA-MASTI
मैं उस समय एक सेठजी के यहाँ दुकान पर काम करता था। सेठ की दुकान घर के बाहर ही थी, जिसका एक दरवाजा घर के अन्दर ही खुलता था।
जब मैं नया-नया दुकान पर काम करने गया, तो मैं घर के अन्दर जाते हुए शर्माता था, पर जल्द ही सबके साथ परिचय हो गया और मैं सबसे घुल-मिल गया।
अब मैं घर के अन्दर जाने लगा।
सेठजी का एक लड़का है जो शहर से बाहर पढ़ता है।
सेठजी दुकान के काम के लिए कई बार शहर से बाहर जाते थे और दो-तीन दिन में लौटते थे।
सेठजी एक बार दुकान के काम से शहर से बाहर गए। मैं दुकान पर अकेला था, उस दिन रविवार का दिन था।
रविवार को दुकान जल्दी ही बंद कर देते थे, तो मैंने भी दोपहर 12 बजे दुकान बंद कर दी और चाबी देने सेठानी के पास गया।
मैंने आवाज़ लगाई पर सेठानी ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने सोचा कि अपने कमरे में कोई काम कर रही होंगी, मैं उनके कमरे में चला गया।
सेठानी सोई हुई थीं और उन्होंने गाउन पहन रखा था और उनकी जांघ तक का नजारा दिख रहा था।
जब मैंने आवाज़ दी तो वो उठीं।
मैंने पूछा- आपको क्या हुआ, आपकी तबियत तो सही है?
सेठानी बोलीं- मेरे सर में दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- मैं डॉक्टर को बुला लाता हूँ।
वो बोलीं- डॉक्टर को मत बुलाओ, मेडिकल स्टोर से गोली ले आ.. अभी सही हो जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है अभी लाता हूँ।
मैं मेडिकल से दवा ले कर पांच मिनट में आया और सेठानी को दवा दे दी।
उन्होंने कहा- मेरे पैर दुःख रहे हैं, जरा दबा दे..!
वो बेड पर लेट गईं।
मैंने उनके पैर दबाने शुरू किए। पांच मिनट बाद उन्होंने अपना एक पैर मोड़ लिया, जिससे मुझे उनकी नीले रंग की पैंटी साफ़ दिख रही थी।
मैं धीरे-धीरे पैर दबाते हुए कई बार हाथ घुटनों से ऊपर ले जाने लगा, उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा तो धीरे-धीरे कर मैंने गाउन को ऊपर कर दिया जिससे कि मुझे उनकी पैंटी साफ़ दिख रही थी।
तभी मैंने सामने शीशे में देखा की सेठानी मेरी आँख बचा कर आँख खोल कर मुझे देख रही थीं।
मैं सोच रहा था कि उन्हें नीद आ गई है, पर अब मुझे मालूम हुआ कि यह तो सोने का नाटक कर रही है।
मैं सब समझ गया सेठानी की चूत कुलबुला रही है, सो मैंने भी देर न करते हुए उनकी जाँघों पर हाथ फिराना शुरू किया और अब कभी-कभी मेरा हाथ उनकी चूत को भी छू रहा था।
उन्होंने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं, बस मुझे हरी झंडी मिल गई। मैं अब उनकी चूत को हर बार जोर से दबा देता।
फिर हाथ फेरते-फेरते मैंने एक हाथ उनकी पैंटी के अन्दर चूत में डाल दिया। सेठानी की चूत को हाथ लगते ही वो सिसक पड़ी।
मैंने अब ठीक से बेड पर बैठ कर उनकी पैंटी को नीचे खींच दिया और चूत को सहलाने लगा। उसने भी मेरी जाँघों पर हाथ फेर कर मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और पैन्ट के अन्दर से ही सहलाने लगी।
मैंने पढ़ा था कि अगर औरत को गर्म करना है, तो चूत को जीभ से रगड़ना सबसे अच्छा तरीका है। तो बिना देर किए मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी और जोर-जोर से चाटने लगा।
सेठानी पांच मिनट में पूरी गरम हो गई और एक बार झड़ गई।
अब उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरा लंड चूसने लगी।
मैंने कभी पहले न तो किसी को चोदा था और न लंड चुसवाया था तो मैं भी पांच मिनट में ही झड़ गया।
अब उसने पहला अपना गाउन उतारा और फिर एक-एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और बेड पर चित्त लेट गई।
मैं भी बेड पर चढ़ गया और उसके मम्मों को निचोड़ कर अपना लौड़ा उसकी चूत की दरार में फँसा कर उसे चोदने लगा।
‘दे धमाधम दे धमा धम’ घस्सों का दौर चला।
मैं ऊपर से और सेठानी नीचे से… दोनों घस्से मार रहे थे।
लगभग 15 मिनट जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैं उसके ऊपर ही निढाल हो गया।
मैं उसके बड़े-बड़े मम्मे मुँह में लेकर चूसने लगा, उसने मेरा लंड पकड़ा और चूसना शुरू कर दिया।
मैं फिर तैयार हो गया और फिर उसके ऊपर चढ़ गया।
15 मिनट बाद वो झड़ गई और उसके पांच मिनट बाद मैं भी झड़ गया।
उस दिन मैंने पहली बार किसी को चोदा था, मुझे बहुत मजा आया।
उस दिन के बाद मैंने बहुत बार उनको चोदा।
उसने भी मुझे अपना पालतू चोदू बना कर रखा था। कभी कभी तो मैं सेठ के किसी काम से अन्दर जाता था और दस मिनट में सेठानी की पुंगी बजा कर आ जाता था। सेठानी भी मुझे अलग से पैसे देने लगी थी।
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सेठानी का पालतू
आज मैं आपको अपने जीवन की एक छोटी सी घटना, जो आज से लगभग 3 साल पहले 2009 में हुई थी, बताता हूँ।मैं उस समय एक सेठजी के यहाँ दुकान पर काम करता था। सेठ की दुकान घर के बाहर ही थी, जिसका एक दरवाजा घर के अन्दर ही खुलता था।
जब मैं नया-नया दुकान पर काम करने गया, तो मैं घर के अन्दर जाते हुए शर्माता था, पर जल्द ही सबके साथ परिचय हो गया और मैं सबसे घुल-मिल गया।
अब मैं घर के अन्दर जाने लगा।
सेठजी का एक लड़का है जो शहर से बाहर पढ़ता है।
सेठजी दुकान के काम के लिए कई बार शहर से बाहर जाते थे और दो-तीन दिन में लौटते थे।
सेठजी एक बार दुकान के काम से शहर से बाहर गए। मैं दुकान पर अकेला था, उस दिन रविवार का दिन था।
रविवार को दुकान जल्दी ही बंद कर देते थे, तो मैंने भी दोपहर 12 बजे दुकान बंद कर दी और चाबी देने सेठानी के पास गया।
मैंने आवाज़ लगाई पर सेठानी ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने सोचा कि अपने कमरे में कोई काम कर रही होंगी, मैं उनके कमरे में चला गया।
सेठानी सोई हुई थीं और उन्होंने गाउन पहन रखा था और उनकी जांघ तक का नजारा दिख रहा था।
जब मैंने आवाज़ दी तो वो उठीं।
मैंने पूछा- आपको क्या हुआ, आपकी तबियत तो सही है?
सेठानी बोलीं- मेरे सर में दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- मैं डॉक्टर को बुला लाता हूँ।
वो बोलीं- डॉक्टर को मत बुलाओ, मेडिकल स्टोर से गोली ले आ.. अभी सही हो जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है अभी लाता हूँ।
मैं मेडिकल से दवा ले कर पांच मिनट में आया और सेठानी को दवा दे दी।
उन्होंने कहा- मेरे पैर दुःख रहे हैं, जरा दबा दे..!
वो बेड पर लेट गईं।
मैंने उनके पैर दबाने शुरू किए। पांच मिनट बाद उन्होंने अपना एक पैर मोड़ लिया, जिससे मुझे उनकी नीले रंग की पैंटी साफ़ दिख रही थी।
मैं धीरे-धीरे पैर दबाते हुए कई बार हाथ घुटनों से ऊपर ले जाने लगा, उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा तो धीरे-धीरे कर मैंने गाउन को ऊपर कर दिया जिससे कि मुझे उनकी पैंटी साफ़ दिख रही थी।
तभी मैंने सामने शीशे में देखा की सेठानी मेरी आँख बचा कर आँख खोल कर मुझे देख रही थीं।
मैं सोच रहा था कि उन्हें नीद आ गई है, पर अब मुझे मालूम हुआ कि यह तो सोने का नाटक कर रही है।
मैं सब समझ गया सेठानी की चूत कुलबुला रही है, सो मैंने भी देर न करते हुए उनकी जाँघों पर हाथ फिराना शुरू किया और अब कभी-कभी मेरा हाथ उनकी चूत को भी छू रहा था।
उन्होंने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं, बस मुझे हरी झंडी मिल गई। मैं अब उनकी चूत को हर बार जोर से दबा देता।
फिर हाथ फेरते-फेरते मैंने एक हाथ उनकी पैंटी के अन्दर चूत में डाल दिया। सेठानी की चूत को हाथ लगते ही वो सिसक पड़ी।
मैंने अब ठीक से बेड पर बैठ कर उनकी पैंटी को नीचे खींच दिया और चूत को सहलाने लगा। उसने भी मेरी जाँघों पर हाथ फेर कर मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और पैन्ट के अन्दर से ही सहलाने लगी।
मैंने पढ़ा था कि अगर औरत को गर्म करना है, तो चूत को जीभ से रगड़ना सबसे अच्छा तरीका है। तो बिना देर किए मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी और जोर-जोर से चाटने लगा।
सेठानी पांच मिनट में पूरी गरम हो गई और एक बार झड़ गई।
अब उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरा लंड चूसने लगी।
मैंने कभी पहले न तो किसी को चोदा था और न लंड चुसवाया था तो मैं भी पांच मिनट में ही झड़ गया।
अब उसने पहला अपना गाउन उतारा और फिर एक-एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए और बेड पर चित्त लेट गई।
मैं भी बेड पर चढ़ गया और उसके मम्मों को निचोड़ कर अपना लौड़ा उसकी चूत की दरार में फँसा कर उसे चोदने लगा।
‘दे धमाधम दे धमा धम’ घस्सों का दौर चला।
मैं ऊपर से और सेठानी नीचे से… दोनों घस्से मार रहे थे।
लगभग 15 मिनट जोरदार चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैं उसके ऊपर ही निढाल हो गया।
मैं उसके बड़े-बड़े मम्मे मुँह में लेकर चूसने लगा, उसने मेरा लंड पकड़ा और चूसना शुरू कर दिया।
मैं फिर तैयार हो गया और फिर उसके ऊपर चढ़ गया।
15 मिनट बाद वो झड़ गई और उसके पांच मिनट बाद मैं भी झड़ गया।
उस दिन मैंने पहली बार किसी को चोदा था, मुझे बहुत मजा आया।
उस दिन के बाद मैंने बहुत बार उनको चोदा।
उसने भी मुझे अपना पालतू चोदू बना कर रखा था। कभी कभी तो मैं सेठ के किसी काम से अन्दर जाता था और दस मिनट में सेठानी की पुंगी बजा कर आ जाता था। सेठानी भी मुझे अलग से पैसे देने लगी थी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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