Saturday, October 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI माँ बेटे की अगन --2

FUN-MAZA-MASTI

 माँ बेटे की अगन --2

 विजय ने सरला के पेटीकोट के उपर से ही चुत पे हाथ रखा और सरला के जांघो के बीच हाथ घुसा

दिया, और मेरी चुत को मुठ्ठी मे भरके दबोचने लगा ।

विजय ने सरला के ब्लाउज के हूक फटाफट खोलने लगा और उसका आखरी एक हूक तोडते हूए सरला के

खरबूज जैसे मोटे नरम चुंचीया फडफडाती हूई बाहर आ गई विजय भेडीये की तरह सरला के नरम नरम चुंचीया

को मुंह मे भर के पके हूए आम की तरह चुस रहा था । चुंचीयो पे काली घुंडीया चुसते हूए दातोंसे चबा रहा था ।

सरला ना चाहते हुए भी दर्द के मारे सी सी सी करके सिस्काने लगी। सरला का दर्द विजय उसकी चुंचीया चुमते

हूए देख रहा था । उसे लगा सरला चुदाई को तडप रही है ।

विजय ने एकदम से पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया, पेटीकोट का नाडा खिंचते ही पेटीकोट सरला के मुलायम मोटी

जांघो से सरकती पैरो तक नीचे गीर गई, सरला का चेहरा लाज से मजबूरी से लाल हो गया मै वो अपने बेटे के

सामने नंगी खडी थी। विजय ने अपने दोनो हाथों से सरला की मखमली मोटी मुलायम टाँगें दबोचली और सरला

के चुत्तड बेरहमीसे मसलने लगा अपने नाखून गढाने लगा सरला की लाज उसकी आब्रू उसका सगा बेटा लूट

रहा था वो खूले आंखो से ये सब देखे नही सकती थी और इसलिये उसने आंखे बंद करली आंखे बंद कीये दांतो

से होट दबाये विजय के बालों मे उंगलीया सहलाने लगी विजय मजे लूट रहा था पर सरला की हालत नही समझ

पा रहा था उसे लग रहा था सरला भी मजे ले रही है। जब विजय का हाथ सरला की चुत के दाने पर गया तो

सरला के बदन मे बीजली दौड गई वो उछल पड़ी शायद विजय को पता नही था पर सालों बाद सरला के नंगे

जिस्म पर मर्द का हाथ लगा था,विजय ने सरला के चुत के होट फैलाये और चुत की १ इंच लटकती फांके मुंह मे

भर ली और जोर जोर से चुसने लगा, सरला का चुत का अंगूर दाना मुंह मे खिंचने लगा सरला दर्द के मारे

आहहह..... उईईईई......सससससस करती सिस्कारीया जोर जोर से भरने लगी बंद कमरे के खामोशी में

सिस्कारीयो की आंवाजे गुंज रही थी ।

विजय ने तुरंत सरला को कसकर उसके रसिले होंठ चूसने शुरु किये, बोला- मां लगता है बापू के साथ बहोत

मजे कीये है तुने !

सरला बेचारी चुपचाप अपने अतित को याद करके उदास हो गई,विजय ने खडे होकर अपना तना हुआ मोटा

काला लौड़ा हाथ से मलने लगा सरला के हाथ मे रख दीया, सरला हैरान रह गई बिल्कुल काले गन्ने की तरह था

वो, सरला मजबूरी मे उसे हाथ मे लेकर दो बार उपर निचे करने लगी । विजय ने लौडा सरला के गुलाबी

मुलायम गालों पे रगडना शूरू कीया सरला बेचारी आंखे बद करके विजय की हरकते सह रही थी।

विजय बोला- चल मां, पकड़ ईसे और सहला ! इसको मुँह में लेगी बडा मजा आएगा ?

विजयने लौडे का सुपरा सरला के होंटो पे फेरना शूरू कीया । सरला बेचारी अपना मुंह हटाने की कोशीश कर रही

थी

विजय ने सोचा चलो ठीक है जल्द ही सिख जाएगी ।

विजय बोला- चल चल मां, जल्दी लेट जा नीचे !

विजयने सरला को नीचे लिटा कर सरला के टांगों के बीच में आया और झटके उसने सरला की मखमली गुदाज

टांगे फैला ली, विजय ने सरला की टाँगे अपने कन्धों पर रखवा कर अपने लौड़े के टोपे को चुत के चीरे पर

घिसने लगा । सरला अपने होंट काटने लगी ।

विजय ने लंड का सुपारा सरला की मोटी पावरोटी सी चुत के फांको को फैला कर चुत के छेद मे जोर का झटका

मारा, उसका लंड सरला की चुत को फैलाता हुआ अपनी जगह बनाता हुआ सांप की तरह अन्दर घुस गया।

सरला तो पागल हूई जा रही थी चिल्ला रही थी

आआआआआआहहहहहहहहह मर गई रे मोरी मईय्या ! फट गई मेरी ! हायययययय बचाले भगवान कीतना

बडा है उममममममममम हहहह आ आ आ !

विजय- अरे मां आज तेरी सालों की खुजली मिटा कर रहूंगा, तुझे स्वर्ग की सैर कराऊँगा, तू बसे मजे ले !

सरला-हाय मां, मर गई रे आआआ फट गई मेरी चुततततत, रहम कर विजय धिरे कर आहहहहह !

सरला ने भी अपनी लाज छोडदी आखिर अब बचा ही क्या था वो दर्द से जोर जोर से चिल्ला रही थी, मानो दोनो

प्रेमी हो और चुदाई के मजे ले रहे हो,

विजय ने देखते ही पूरा लंड सरला की चुत में उतार दिया और जोर-जोर से झटके लगाने लगा, लंड सरला की

बच्चे दानी से टकरा रहा था।


सरला हाय-हाय करती रोती बिलगती झटके सहन कर रही थी, और कुछ देर बाद सरला के चुत्तड
उठने लगे, उससे विजय का हौसला बढ रहा था। सरला ना

चाहती हुए भी दो बार झड चुकी थी और बेहोश पडी थी

विजय भी सरला को चुमता चाटता झडने वाला था विजयने लंड बाहर निकाल कर सरला की मांग मे लंड का

गाढा सफेद पाणी छोड दीया ।

विजय को अब सरला को घर की पालतू रंडी बनाने का रास्ता मिल गया था !

विजय ने शाम तक सरला के खटीया पे नंगी रखकर कई तरीकों से चोद-चोद के निहाल कर दिया वो बेहोश पडी

रही और विजय सरला की ईज्जत लुटता रहा।
 
सरला दिनभर दर्द के मारे ठीक से काम नही कर पाई। उसे तेज बुखार आ गया , उसे ठीक से चलने मे भी

दीक्कत होने लगी उसकी चुत से सालों बाद की चुदाई से खुन निकल रहा था । रात को बेचारी सरला ने दवाईया

लेकर विजय से बचने के लिए दुसरे कमरे मे अपने आप को कैद कर लिया। विजय सरला की ये हालत देख कर

घबरा गया। दुसरे दिन सुबह विजय सरला को काम मे मदत करने लगा , उसने खामोश नाराज सरला से पुछा

विजय- तबीयत कैसी है मां, बुखार कम हुआ की नही।

सरला खामोश रही उसने विजय के सवाल का कुछ जवाब नही दीया।

विजय- मां ये क्या बात हुई, तू मुझसे बोलती क्यू नही नाराज है मुझसे

सरला खामोश रही ।

विजय- देख तू बोल ना मुझसे अगर तू नही बोलेगी ना तो मै आज ही शहर चला जाऊंगा और कभी तुझसे बात

नही करूंगा।

सरला- पहले गलती करो और बादमे हालचाल पुछो ।

विजय ने सरला को अपनी बाहों मे पकड लिया और उसके होंट चुमने लगा।

विजय- मां क्यू रूठी है मुझसे मेरी क्या गलती है, क्या मै तुझसे प्यार करता हूं ये मेरी गलती है, तो की है मैने

गलती मुझे अपना प्यार ऐसी ही जताना आता है।

सरला ने पुरी ताकद से अपने आप को उससे छुडाया

सरला- अरे क्यो फसाता है, बडी अच्छी तरह से जानती हूं तुम मर्दो का प्यार

सरला ये कह कर वहा से चली गई, विजय बडी सोच मे पड गया की सरला को प्यार से ईतनी नफरत क्यूं थी।

उसकी नजर बाथरूम मे पडे सरला की साडी पर पडी उसपे खून लगा था। वो समझ गया कल की चुदाई से

सरला की चुत फट गई है। सरला अंदर कमरे मे थक कर दर्द के मारे जमिन पर चद्दर पर बैठी थी विजय कमरे

मे घुस गया वो सरला के तरफ बढने लगा सरला डर के मारे पिछे पिछे होने लगी विजय सरला के पास बैठ

गया उसने सरला के पैर फैलाये सरला रोने लगी।

सरला- छोड दे बेटा भगवान के लिए मुझे छोड दे

विजय- अरे डर मत मां कुछ नही करूंगा

उसने उसकी साडी कमर तक उठाई सरला की छीली हुई लाल चमडी फटी हुई चुत विजय के सामने थी विजयने

जेब से बोरोलिन क्रीम निकाली उसे उंगली पर लगाके सरला के चुत पर हल्के से लगाया सरला की आंखे फटी

की फटी रह गई उसने क्या सोचा था और क्या हुआ उसकी चुत को बडी राहत मिल रही थी।

विजय- दर्द मैने दीया है ना मां तो दवां भी मुझेही देनी होगी।

सरला की आंख से आंसू निकले वो समझ गई विजय उसे सच्चा प्यार करता है।

और विजय वहां से चला गया। सरला बैठी सोच मे पड गई की वो ये कीस उलझन मे फस गई है । वो अपने

लाडले बेटे से ज्यादा दीन नाराज नही रह सकती। पर उसे कल रात वाली चीज से मना भी नही कर सकती थी

नही तो वो फीर अपनी प्यास बुझाने शहर की रंडीयो के पास चला जाएगा और कीसी बीमारी की शिकार ना हो

जाए । जैसा विजय सोचता था वैसे नही था वो औरत तो थी पर सबसे पहले वो विजय की मां थी। उसकी सबसे

ज्यादा चिंता उसे थी । अब सरला ने ठान ली अगर यही उसके नसिब मे लिखा है तो यही सही जो होगा देखा

जाएगा सरला ने ये मन बना लिया।

सरला ने साडी ठीक की और वो रसोई मे खाना बनाने आई सामने ही बाथरूम था गांव का बाथरूम सिर्फ परदे

वाला विजय बीना परदा डाले नहा रहा था । उसका काला सांप उसके पैरो के बीच रबर की तरह हील डुल रहा था

सरला की नजर उसपे पडी उसने नजर नही हटाई वो प्यार से उसे देखने लगी और उसके गाल शरम से लाल

होगये रात की बात याद करके उसके मुह पे हल्की मुस्कान झलकी ।

दुसरे दीन विजय ने सरला को जिले के अस्पताल से दवाईयां और चेकअप करवाया डाक्टरने विजयसे कहा आप

इनकी देखभाल करीये ईन्हे अकेला ना छोडे इनकी हर जरूरत आपकी ही जिम्मेदारी है । यह सुनकर विजय को

मन ही मन बडी खूशी हो रही थी । दो दीन विजय सरला से दूर रहा रोज सरला की सेवा करता रहा मालिश से

लेकर उसकी चुत को मलहम लगाता पर कभी उसने उसपर जबरदस्ती नही की । सरला का गुस्सा तो पिघल

चुका था अब तो वो विजय के प्यार के लिए तडप रही थी पर उसे जताना नही चाहती थी। आखिर इतने साल

बाद विजय ने उसके जिस्म की आग भडकाई थी ।









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