Wednesday, October 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI मम्मी और दीदी--2

FUN-MAZA-MASTI

 मम्मी और दीदी--2

 जैसे ही हम आश्रम पहुचे मैने देखा पन्डित पॅन्ट शर्ट पहन कर चल पडा, मै जानता था की वो कहा जायेगा. पन्डित वैसे ही पहले शराब की दुकान पर और फिर उस रन्डी के पास जाने के लिये निकल पडा. लेकिन आज उसने कुछ ज्यादाही पी रखी थी, ठीकसे चल भी नही पा रहा था, लडखडा रहा था. उस दिन की तरह भी मै उस घर के पीछे छिप गया, लेकिन इस बार मैने एक तरकीब सोची थी, मेरे पास कॅमेरावाला फोन था, मैने सोचा की क्यो ना इन दोनो का व्हिडियो बनाया जाये. कुछ समय बाद पन्डित आ गया, इस बार कोई और औरत थी, जो बहुतही जवान थी, वो पन्डित से लड रही थी की उसे छोड दे, लेकिन नशे मे धुत पन्डित को अपनी वासना के आगे कुछ नही दिख रहा था. उसने उस औरत को बिस्तरपे गिरा दिया और उसके वस्त्र उतारने लगा, वो औरत चीख रही थी, चिल्ला रही थी, पन्डित ने अपने कपडे उतार दिये और वो उस औरतपर झपटनेवाला था की अन्दर से वो पहलेवाली अधेड औरत आ गयी, उसने डर डर के कहा, भागो जल्दी, पुलीस की रेड पडी है, ये सुनकर वो जवान औरत उठ के खडी हो गयी और अपने कपडे उठाकर अन्दर की तरफ भाग गयी. पन्डित नशे मे था, उसने इस अधेड औरत को अपने बाहो मे भर लिया और उसे चूमने लगा, लेकिन उस औरत ने एक जोरदार तमाचा उसके गाल पे जड दिया और उसको पीछे की दरवाजे की तरफ ढकेल दिया. आगे क्या होगा इसका मुझे अन्दाजा नही था, अचानक पन्डित और वो वेश्या पीछे का दरवाजा खोलकर मेरे सामने आ गये. हम दोनोमे कौन ज्यादा अचम्भित हुआ ये बताना मुश्किल है, उस औरत ने पन्डित को ढकेल दिया, लेकिन पन्डित ने उसको काफी कसके पकडा था, सो वो दोनो एक दूसरे पर गिर गये. मैने होश सम्भाला और झट से मेरे फोन के कॅमेरेमे उन दोनो की तस्वीरे खीन्च ली, ये देखकर वो औरत ने पन्डितसे अपने आप को छुडाया और अन्दर भाग गयी, बडा अजीब सा नजारा था, पन्डित आधा नन्गा उस रन्डीखाने के पीछे पडा था, नशे मे धुत.........तस्वीरे खीन्चने पर मै वहासे दूर भाग कर खडा हो गया और कुछ अन्तरसे वो सारा तमाशा देखने लगा. काफी भीड जमी थी. फिर पुलीस आ गयी और उसने पन्डित को उठाकर अपने गिरफ्त मे ले लिया. उस कोठे के सामने ही उन्होने रेड मे गिरफ्तार किये लोगोकी खूब पिटाई शुरु की. अब पन्डित की बारी थी, उसका नशा अब पूरी तरह से उतरा था, उसे अब मार पडनीही थी की उसकी नजर मुझपर पडी, मै भी भीड मे खडा था. पन्डित ने पुलीस को बताया की वो आश्रम मे आया है और गलती से इन लोगोके साथ फस गया है, उसने मुझे पुकारकर बुलाया. पुलीस ने मुझे पन्डितके बारे मे पूछा. मैने मौके का फायदा उठाने की सोच ली, मैने पुलीस से कहा की ये सचमुच हमारे साथ आश्रम मे ठहरा है. पुलीस को तसल्ली हो गयी और उन्होने उसे छोड दिया, मै और पन्डित फिर आश्रम लौट आये, पन्डित बार बार मुझसे शुक्रिया कह रहा था, मै कुछ नही बोला, बस सुनता जा रहा था. आश्रम आने के बाद वो अपने कमरे मे चला गया, कुछ देर बाद जब खाना खाने सब नीचे आये तो वो भी आ गया, उसके चेहरे पे कोई चोट तो नही थी, लेकिन चेहरा लाल था, उसका नशा अब कम हुआ लग रहा था, उसकी चाल अभी भी ठीक नही लग रही थी, मम्मीने बडी चिन्तासे उनको पूछा, लेकिन उसने कुछ झूठ बोलकर बात टाल दी. खाना खाके मम्मी और दीदी उपर चले गये, मै वही पे बैठा रहा, मुझे देखकर पन्डित भी मेरे पास आ गया और बाते करने लगे, बातो बातो मे वो मम्मी की बहुत तारीफ़ करने लगा. मुझे बडा गुस्सा आया और मैने एक जोरका तमाचा उसके गाल पे मारा और कहा, लगता है मार कम पडी है जो अभी भी औरतो के खयाल जेहेन से जा नही रहे है, वो मेरे मुह से सुन ने के बाद अपने होश मे ही नही था, फिर मैने उनको मेरे फोन के कॅमेरा की तस्वीरे बता दी. वैसे ये पन्डित था तो बडा बदमाश, लेकिन हमारे शहर मे उसका बडा नाम था, कई लोग उसे गुरू मानते थे. इन्ही लोगोकी वजह से उसका पूजा-पाठ का अच्छा धन्दा चलता था. उसे पता चला की अगर मै ये फोटो शहर मे दिखा दी तो उसे मुह छुपाने की भी जगह नही मिलेगी. मैने उसे ये भी बताया की वो शराब पीता है और रन्डीयो के पास जाता है, ये बाते अगर मै अपने शहर मे जाके सबको बता दू तो उसका सारा धन्दा चौपट हो जायेगा.
अब पन्डित बहुत डर गया था, वो मेरे आगे हाथ जोडने लगा और माफ़ी मान्गने लगा और किसी से ना कहने के लिये गिडगिडाने लगा. अब स्थिती बिलकुल मेरे कब्जेमे थी, सो मैने उसे धमकाकर उसे कहा एक शर्त पे. मैने उससे पूछा की तुम यहा पूजा के लिये आये हो या कोई और चक्कर मे. तो उसने बताया के वो मेरी मम्मी को पाने की साजिश रचानेके लिये यहा आया था, वो जानता था की मम्मी और पापा उसे बहुत मानते थे सो वो जो कहेगा उसे वो इन्कार नही करेन्गे, पूजा के बहाने वो मम्मी को अपने चन्गुल मे फसा ने के लिये ही यहा लाया था. उसे मेरे आने की उम्मीद नही थी और पापा आते तो उन्हे वो आसानीसे ठगा सकता था. मेरी वजह से उसका काम नही बन रहा था. उसने बताया के उसने वास्तव मे दीदी के लिये एक रिश्ता ढून्ढ रखा था, ये पूजा तो मेरी मम्मी को फसाने के लिये रखी थी. ये सब सुनकर मुझे उसपर बहुत गुस्सा आया और मैने भी एक कोने मे उसे ले जाके उसकी अच्छी धुलाई कर दी. उसे फिर एक बार उसके नन्गे फोटो दिखाने की धमकी दी. फिर वो मेरे पैरो मे गिर गया और रोने लगा और माफ़ी मान्गने लगा, फिर मैने उससे कहा की मेरी मम्मी का खयाल अपने दिमाग से निकाल दो, और जो दूसरी बात मैने बोली तो वो हक्का बक्का रह गया. मैने उसे साफ कहा की मै अपने मम्मी को पाना चाहता हू, पर जोर जबरदस्ती से नही बल्कि प्यार से, और तुम मेरी इस काम मे मदद करोगे, नही तो मै उसकी पोल खोल दून्गा. पन्डित का नशा अभी काफी उतरा था, वो हसने लगा की मै कैसा कमीना इन्सान हू जो अपनी सगी मा के साथ यौन-सबन्ध बनाना चाहता है. फिर मैने उसे एक और थप्पड मारा और कहा की हरामी तेरी वजह से ही मेरी नियत बिगडी है, तो अभी ज्यादा नौटन्की मत करना, मेरा काम हो जाना चाहिये वरना तुम जानते हो मै क्या कर सकता हू. उसके पास कोई चारा भी तो नही था, वो मेरी सारी बाते मान रहा था. मैने उसे फिर एक बार धमकाया की ये काम कल सुबहसेही शुरु हो जाना चाहिए और मै सोने चला गया. जब मै रूम मै पहुचा तो देखा की मम्मी और दीदी सो चुकि है, मै भी लेट गया. रूम की खिडकी से चान्द की हल्की रोशनी आ रही थी, मैने साईड मे सोयी मम्मी की तरफ देखा, उनकी साडी घुटनो तक उन्ची हुई थी और उनके गोरे कोमल पाव उस रोशनी मे साफ़ दिख रहे थे. मेरी नीन्द उड गयी, मै मम्मी के पाव के पास बैठ गया और उन्हे देखने लगा, बहुत मन कर रहा था की मै मम्मी के पाव का स्पर्श करू पर हिम्मत जुटा नही पा रहा था, कुछ देर सोचने के बाद मैने मम्मी के पाव को हाथ लगाया मेर शरीर ठन्डा पड गया, मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था. मैने कुछ देर अपना हाथ मम्मी के पाव पे बिना हिलाये रहने दिया और फिर कुछ देर बाद हलके हलके उनके पाव को मह्सूस करने लगा. मम्मी की टान्गो पे बाल नही थे, शायद यहा आने से पहले उन्होने निकाल लिये होन्गे, लेकिन मम्मी ऐसी मॉडर्न चीजे भी करती होगी ये सोचकर मै और उत्तेजित हो गया.
खैर मै अपना हाथ हलके हलके मम्मी के पाव पे घुमा रहा था, अब मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया था और मै अपना हाथ पाव के नाखूनो से लेकर घुटनो तक घुमा रहा था, मुझे बडा मजा आ रह था. मेरा लन्ड भी अब आगेसे चिपचिपा हुआ था. मै अपने ही खयालो मे खोया हुआ था के अचानक मम्मी जाग गयी और मेरा हाथ पकड लिया, मेरी तो जैसे सास ही रुक गयी, मै कुछ भी नही बोला और मम्मी की डाट का इन्तजार करता रहा. लेकिन मम्मीने बडे शान्त स्वर मे पूछा, बेटा तुम यह क्या कर रहे हो, मैने हिचकिचाते हुए कहा, मम्मी मै आपके पाव दबा रहा था. उन्होने थोडे गुस्सेसे पूछा क्यु, मैने कहा की मुझे लगा आप दिन भर पूजा मे बैठ के थक गयी होगी तो पाव दबाने से आराम मिलेगा, लेकिन आपकी नीन्द कैसे खुल गयी. तो उन्होने कहा बेटा यह जो लकडी बान्धी है पन्डितजी ने उससे काफ़ी तकलीफ़ होती है सोने मे. फिर मैने कहा आप सो जाईये, मै पाव दबा देता हू, थोडा चैन मिलेगा. इसपर मम्मी के चेहरेपर सन्तुष्टीके भाव झलकने लगे, बडे प्यार से उन्होने मेरे बालोमे हाथ फेरा और बोली, मेरा राजा बेटा मेरा कितना खयाल रखता है, मैने कहा मम्मी ये तो मेरा फ़र्ज़ है. फिर उन्होने कहा बेटा तू भी तो हमारे साथ पूजा मे लगा रहता है, तू भी तो थक गया होगा, चल अब बस कर मेरी सेवा, सो जा यह कहकर वो लेट गयी. मै भी उनके पास जाके लेट गया. मेरे इस बर्ताव से मम्मी काफी खुश थी, उसने प्यार से मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरी तरफ मुह करके मेरे कन्धे पर हाथ डालकर सो गयी. मै उनके बाजू मे लेटा था, मम्मी की साडी का पल्लु थोडासा खिसक गया था और उनके बडे बडे मम्मे और उन मम्मोके बीच वाली खूबसूरत दरार उस चान्दनीमे गजब की जच रही थी. लेकिन मैने इस वक्*त चुपचाप सो जाना ठीक समझा.


 सुबह मम्मीने मुझे ५ बजे जगाया और तैयार होने को कहा, आज मै बडी खुशीसे उठा, जल्दी से तैयार हो गया. दीदी नहाने चली गयी, मम्मी का रवैया आज बदला बदला सा था, वो मेरा बडा खयाल रख रही थी, और बात बात पे मेरी तारिफ़ कर रही थी. मेरे रात के पैर दबानेवाले ड्रामेसे वो एकदम पिघल गयी थी, वो नही जानती थी की मै उन्हे किस नजर से देख रहा था. जब हम नीचे आये तो पन्डित हमारा इन्तज़ार कर रहा था, मुझे देखतेही उसने अपनी नजरे नीचे झुका ली. हम घाट पे आये तो मम्मी और दीदी पूजा स्थान पे बैठ गये, और पन्डित ने पूजा शुरु कर दी, आज वो अपना पूरा ध्यान मन्त्र और पूजा पे लगाये हुए थे, उसने मम्मी और दीदी की तरफ देखा तक नही. कुछ देर बाद उसने मम्मीसे कहा की अब पूजा मे स्वाती की जरुरत नही है सो वो आश्रम जा सकती है, अब आगे की विधी मे आपके सुपुत्र और आपका काम है, मै समझ गया की वो मेरे लिये मौका बना रहा है. मैने इशारेसे उसको बता दिया की दीदी की नाभी की लकडी को खुलवा दे. पन्डित ने वैसे ही किया. अब वो बिलकुल पालतू कुत्तेकी तरह मेरा कहना मान रहा था. मम्मी को थोडा अचरज हुआ, उसने पूछा ऐसा क्यू, तो पन्डित बोला की बाकी की विधी मै आपसे सम्पन्न कर लून्गा. दीदी ने जाते वक्त वो धागा पन्डित को दे दिया और वो आश्रम मे चली गयी. अब पन्डित की चाल शुरु हो गयी, उसने मम्मीसे कहा कि अब पूजा मे आपका विधीपूर्वक स्नान और शुद्धि होनी है, मम्मी ने कह की उसमे कौनसी नयी बात है, हम तो रोज करते आ रहे है. तो पन्डित ने कहा कि आगे की पूजा और कठिन परिश्रमवाली होगी, मात्र डुबकी लगाने से शुद्धि नही होगी. मम्मी ने आश्चर्यसे पूछा तो फिर क्या करना होगा, पन्डित ने बताया कि तुम्हे पहले दिव्य जडीबूटी वाला तेल लगाना होगा फिर गन्गा स्नान करना होगा, यह सब आप खुद नही कर सकती और यह काम मुझे आपके लिये करना उचित नही, आप यह पसन्द भी नही करोगी, इसलिये मै यह कार्य आपके सुपुत्र से करवाउन्गा. मम्मी हैरान हो गयी और परेशान भी, वो कहने लगी, पन्डितजी वो मेरा बेटा है, मतलब कि......वो अब अब....बडा है, मै उसके साथ उसके सामने कैसे स्नान कर सकती हू, स्वाती मुझे स्नान करा सकती है, आप उसे क्यू नही बुलाते. लेकिन पन्डित साला बहुत चालाक था, उसने कहा जी स्वाती जरूर करवा सकती थी अगर उसकी जनमपत्रीमे दोश ना होता तो. फिर उसने और थोडा जोर देते हुए कहा कि आप अगर अपनी बेटी की जनमपत्री से दोश हटाना चाहती हो तो ऐसा करो, वर्ना इस विधी के बगैर भी काम चलाया सकता है, लेकिन............यह कहकर पन्डितने बात आधी छोड दी. उसको मम्मी का वीक पॉईन्ट पता था, मम्मी घबरा गयी और पन्डित से माफ़ी मान्गने लगी, पन्डितजी क्षमा करे, हमे आप पर पूर विश्वास है, आप जैसा कहेन्गे वैसा ही होगा. पन्डित ने कहा कि मेरी उपस्थिती मे आप लोग ज्यादा शरमा जाओगे इसलिये मै पुरी स्नान विधी आपके बेटे से कह के कुछ देर के लिये चला जाउन्गा, और जैसा मै उसे समझा के जाऊ उसे वैसा ही करने देना, एक भी कार्य अगर ठीक से ना हुआ तो पूरी पूजा व्यर्थ हो जायेगी. और इस अजीब विधी के लिये पन्डितने एक जगह बतायी जो थी तो घाट पे ही पर थोडी दूर थी, वहा पे ज्यादा लोग अक्सर नही आते थी, अच्छी प्रायव्हसी थी. मम्मी ने पन्डित से कहा की जैसी आपकी आज्ञा हो, हम करेन्गे, है ना, यह कहकर उसने मेरी तरफ देखा, मैने भी हामी भर दी. फिर पन्डित मुझे एक कोने मे ले गया और उसने कहा कि देखो भाई शुरुआत तो कर दी है थोडा प्रयास तुम्हे भी करना होगा, समय समय पे मै ऐसेही मौके तुम्हे देता जाऊन्गा लेकिन वो कलवाली बात किसीसे ना कहना. मैने उसे निश्चिन्त रहने को कहा, फिर वो वहा से चला गया, जाते हुए वो मुझे एक तेल की बोतल दे गया. मै समझ गया की क्या करना है. मै मम्मी के पास पहुचा, वो थोडीसी घबराई हुई थी और व्याकुल भी थी मै समझ सकता था के उनके मन मे क्या विचार आ रहे होन्गे, लेकिन मै मन ही मन मे बहुत खुश था लेकिन मम्मी के सामने मै भी परेशान होने का नाटक कर रहा था. मम्मी ने क्रीम कलर की साडी पहनी थी और मॅचिन्ग ब्लाउझभी. उस ब्लाउझसे उनकी सफेद कलर की ब्रा भी साफ दिखाई दे रही थी. मैने थोडा हिचकिचाते हुए मम्मी से कह की विधी शुरु करे वरना सूरज निकल आनेपर और भी लोग आ जायेन्गे और फिर बडी मुसीबत होगी. मम्मी बोली की ठीक है, यह बात भी सही है, और फिर मम्मी वहा एक पत्थर पे बैठ गयी, मै मम्मी के पाव के करीब नीचे जमीन पर बैठ गया और मम्मी का एक पाव अपने घुटनेपे रखा और पहले उनके पाव के तलवो पे तेल लगाने लगा, फिर मैने पाव की उन्गलियो पे तेल लगाया. मम्मी बहुत अन-इझी लग रही थी पर मुझे बडा अच्छा लग रहा था, फिर मैने पाव के उपरी हिस्से मे तेल लगाया, अब मेरे हाथ उनके पैरोपर घूम रहे थे. मम्मी ने अपनी आन्खे बन्द कर रखी थी और मुझे अपनी मन मर्जी करने का मौका मिल रहा था. फिर मैने मम्मी की साडी घुटनो तक उठायी, इसपर मम्मी ने आन्खे खोल दी और बोली, यह क्या कर रहे हो, मैने कहा मम्मी पन्डित्जी ने कहा है ऐसा करने के लिये, आप कहे तो रुक जाता हू, लेकिन मम्मी ने कहा कि नही, अगर पन्डितजीने कहा है तो करो, आखिर स्वाती के भविष्य का सवाल है. अब तो मुझे लायसन्स मिल गया फिर मैने मम्मी के पाव पे घुटनो तक तेल लगाने लगा, मम्मी ने अपनी आन्खे फिरसे बन्द की. अब धीरे धीरे उनके के चेहरे के भाव बदल रहे थे. उनका चेहरा हलका लाल होता जा रहा था, शायद उन्हे भी इस क्रिया से मझा आ रहा था. अब मेरा भी साहस बढ गया और मैने हिम्मत करते हुए मम्मी की जान्घो पे साडी थोडी और उठानी चाही. मम्मी शरमा गयी और बोली ऐसा मत करो, मैने कहा मम्मी तेल कैसे लगाउन्गा तो उन्होने पूछा कि क्या पन्डितजी ने यहा भी तेल लगाने के लिये कहा है, मैने कहा हा ऐसेही कहा है, तो मम्मी बोली की साडी उपर मत करना. मैने कहा कि फिर तो साडी खराब हो जायेन्गी उसपर तेल के धब्बे दिखेन्गे. लेकिन मम्मी इस बार अपनी बात पे अडी रही, फिर मैने तेल अपने हाथोपे लिया और साडी के अन्दर हाथ डालकर जान्घो पे तेल लगाने लगा. ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बताउ दोस्तो मम्मी की जान्घे इतनी कोमल और मुलायम थी, ऐसा लग रहा था जैसे फूलो पे हाथ घुमा रहा हू, अब मुझे इस मे और भी ज्यादा मझा आने लगा था, और मै चाहता था के मै इसे और लम्बा खीचू और मम्मी मुझसे उन्हे चोदने के लिये गिडगिडाये. मैने आस्तेसे मम्मी की जान्घोके उपर वाले हिस्सेपे तेल रगडना शुरु किया. मम्मी के मुह से आवाजे निकलने लगी, जैसे ही मै जान्घोके उपरी हिस्से मे पहुचा तो मेरे हाथ उस लकडी को लगने लगे जो पन्डितने उन्हे बान्धने के लिये दी थी, मै हल्केसे वो लकडी मम्मीकी चुत की दिशा मे ढकेलता रहा. अब मम्मी मस्ती मे आयी थी, अपने दान्तो तले होठ दबा रही थी और आन्ख बन्द किये शायद मालिश का मझा ले रही थी. फिर मैने उनसे खडे होने को कहा, वो बोली क्यू तो मैने बताया कि पाव के पिछे के हिस्से मे भी तेल लगाना है, वो खडी हो गयी और मैने अपने घुटनो पे बैठ गया और तेल हाथ मे लेकर साडी मे हाथ घुसा के पाव के पिछले हिस्से मे उपर से नीचे तेल रगडने लगा. मम्मी बहुत अनकम्फरटेबल हो रही थी आन्ख बन्द करके खडी थी. मैने कई बार उनकी पॅन्टी की लाईन को छुआ, लेकिन जब जब मेरा हाथ उनकी गान्डके करीब आता वो सहम जाती. अब मै खडा हो गया और मम्मी क हाथ अपने हाथ मे लेकर तेल लगाने लगा. ब्लाउझ के चलते पूरे हाथ मे लगाना मुश्किल था, मैने मम्मी से कहा के ऐसे कपडो के साथ मे तेल लगा नही पाउन्गा, और वैसे भी नीचे का हिस्सा रह गया है. मम्मी एकदम से चौन्क गयी, उनकी आन्खोमे कई सवाल थे पर वो कह नही पा रही थी. मैने उनसे कहा मम्मी अब थोडी देर मे रोशनी हो जायेगी और फिर लोगोकी भीड भी बढ जायेगी तो बेहतर यही होगा कि आप साडी ब्लाउझ उतारकर पेटिकोट पहन लो, ऐस पन्डितजी ने खुद कहा है. वो करना तो नही चाहती पर पन्डितके प्रति विश्वास की वजह से वो चुप थी. वो साईड मे जा कर सारे कपडे उतार के आ गयी. मम्मी का वो रूप देखकर मुझे लगा कि कोई स्वर्ग की अप्सरा धरतीपे उतर आयी हो मम्मीने सफेद कलर का पेटिकोट पहना था और उनके बाल खुले थे, चेहरेपे शर्म की लाली थी. मै मम्मी के पिछे खडा हुआ और उनके बालोमे तेल लगाया. सर रगडतेही मम्मी की आन्खे मून्दने लगी, इस मौके का फायदा उठाकर मैने तेल उनकी कन्धोपे लगाया, गजब की मखमली स्किन थी, नर्म रजाई जैसी, कन्धोपे लगाते लगाते मैने उनके बूब्सके उपरी हिस्सोमे तेल लगाया. उनके बूब्स पेटिकोट मे समा नही पा रहे थे, और उभर के बाहर आने को बेताब थे. मैने तेल हाथ मे लेकर मम्मी की पीठ पे लगाने लगा, उनकी स्किन का स्पर्श एक दम सुखद था, मम्मी भी अब मेरे हाथ के स्पर्श का आनन्द ले रही थी, वो कुछ बोल तो नही रही थी पर उनका चेहरा लाल हो चुका था, अब बारी थी उनके प्रायव्हेट जगहोकी मुझे समझ नही आ रहा था कि कैसे आगे बढू. मैने उनसे कहा कि बाकी जगहोपे तेल लग गया है, मम्मी ने पूछ कही कुछ बाकी है क्या, तो मैने नौटन्की अन्दाज मे नजर नीचे घुमाकर कहा कि पन्डितजी ने तो पूरे बदन पे लगाने के लिये कहा था लेकिन मेरे हिसाब से अब मुझे रुकना चाहिये. मम्मी सोच मे पड गयी एक तरफ थी उनकी उस पन्डितके प्रति श्रद्धा और दूसरी तरफ अपने जवान बेटे के सामने नग्न हो कर उससे अपने शरीर की मालिश कराना. उन्होने मुझे फिर पूछा कि क्या पन्डितने सचमुच सब जगह लगाने के लिये बोला है. मैने झट से कहा कि हा वाकई सब जगह पे, आप चाहती हो तो मै उन्हे बुलाकर आपके तसल्ली कर दू और ऐसा कहकर मैने निकलने का अभिनय किया. मम्मी घबडा गयी, वो नही चाहती थी वो पन्डित उसे इस अवस्था मे देखे. कुछ पल ऐसे उधेड-बुन मे बिताने के बाद मम्मीने एक तरकीब सोची. उन्होने कहा कि मै तेरे सामने अपने कपडे तो नही निकाल सकती, तुम एक काम करो, अपनी आन्खोपे कपडा बान्ध लो. मै थोडा नाराज हो गया क्योन्की मै इस काम का आराम से मझा लेना चाहता था, लेकिन यह भी जानता था की देर करनेपर लोग आना शुरु हो जायेन्गे और मेरा काम बिगड जायेगा. मैने कुछ बोले बिना अपनी आन्खो पे पटटी बान्धी और अपने हाथ मे तेल लेकर मम्मी के पेटिकोट मे उपर से हाथ डाला, जैसे ही मेरा हाथ मम्मी के बूब्स को छुआ हम दोनो के शरीर कान्प गये, मै ऐसे ही कुछ पल खडा रहा और उस अजीब महोल मे मम्मी के भरेपूरे वक्षो को रगडने का आनन्द लेने लग. जैसे ही मेरा हाथ उनके एक निपल पर आया..........उफ्फ्फ्फ.......ऐसा लग रहा था जैसे मै हवा मे सैर कर रहा हू, मै जोरसे दबाना तो चाहता था लेकिन मन ही मन जानता था कि ऐसा करने से बना बनाया काम बिगड सकता था इसलिये मैने सिर्फ उपर उपर से हाथ घुमाया. मम्मी का निपल मेरी हथेली के नीचे सख्त होता हुआ मै महसूस कर रहा था, मै उनके बूब्स देख तो नही सकता था लेकिन उनके बूब्स के स्पर्श से अन्दाजा लगा सकता था कि उनके बूब्स काफी कठोर थे, ढीले नही पडे थे. और उनका साईझ काफी बडा था, मै सब कुछ भुलाकर उनके दोनो मम्मोपर तेल लगा रहा था. मम्मी को कैसा लग रहा था इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल था क्योन्की मै उनका चेहरा तो नही देख सकता था, उन्होने कोई आवाज भी नही की लेकिन मेरे स्पर्श से थोडी कसमसायी जरूर थी. एक एक करके मैने मम्मी के दोनो बूब्स पे तेल लगाया और अपना हाथ वहा से निकाल लिया, शायद मम्मी अपने बूब्स मुझसे और थोडा दबाना चाहती थी लेकिन उनकी तरफ से कोई आवाज नही आयी, फिर मैने मम्मी को खडा किया और उनके पेटिकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और सीधा उनके गदराई गान्ड पे रख दिया, क्या बताउ, मेरे अन्दाज़ से भी उनकी गान्ड बडी और टाईट और सुडौल थी, मेर हाथ लगते ही मम्मी का बॅलन्स बिगड गया, शायद उनको भी अब इन्ही हरकतोसे मजा आ रहा था, और वो कुछ ना कहते हुए मेरे मसाज का आनन्द ले रही थी, पहले तो मैने उनके गोल मटोल चुतडोपे बारी बारी तेल लगाया, एक अजीब से हलचल हो रही थी मन मे, और मेरा लन्ड एक दम तना हुआ था, मैने उनकी गान्ड की दरार मे तेल लगाया और वहा से हाथ हटा लिया, फिर मैने हाथ मे तेल लिया और वो काम करने के लिये बढ गया जिसे मुझे कुछ दिन पहले करने का ना कोई इरादा न मनशा, पर आज मेरी सबसे बडी चाहत वो चीज बन चुकी थी. यह सब सोच कर मेरा लन्ड मेरे वस्त्रसे बाहर आनेकी कोशिश कर रहा था जैसे ही मैने मम्मी के पेटिकोट मे हाथ अन्दर डाला, मम्मी की मुह से एक लम्बी सास मुझे सुनाई दी, शायद वो भी जान चुकी थी कि आगे क्या होना है, मैने जैसे ही अपना हाथ मम्मी की चूत के करीब लाया तो मुझे अपने हाथ मे गरमी महसूस हुई, शायद मम्मी भी उत्तेजित हो गयी होगी. जब मैने उनकी चूत पे हाथ रखा तो हक्का बक्का रह गया, उनकी चूत भटटी की तरह गरम थी और गीली भी थी, चूत के उपर वाले हिस्से मे वो पन्डितवाली लकडी हाथ को लग रही थी. मम्मी शायद मेरे स्पर्श और उस लकडी की वजह से उत्तेजित हो चुकी थी, उनके चूत एकदम गदराई थी और उनके बाहर वाले होट फूले फूले से लग रहे थे. मैने जैसेही उनकी चूत पे हाथ रखा तो मम्मी एकदम झेन्प गयी और मेरे हाथ को अपनी टान्गोसे हलकेसे दबा लिया. मम्मी की चूत एकदम चिकनी थी, एक भी बाल नही था, इसका मतलब मम्मी भी एक मॉडर्न औरत की तरह सब साज-शृन्गार करती थी बस बाहरसे वो एकदम सीदी साधी लगती थी. मुझे लग रहा था कि कुछ पल वक्त यही रुक जाये, मेरी मम्मी मेरा हाथ उनके टान्गोके बीच दबाये रखे और मै उनकी मस्तानी चूत सहलाता रहू. खैर कुछ देर बाद मैने मम्मीकी चूत से हाथ हटा लिया मम्मी को भी होश आया और उन्होने मेरी आन्ख की पटटी खोल दी और खुद घाट की तरफ चल पडी. मै मम्मी के पीछे चुपचाप चल पडा, हम दोनो एक अजीबसे नशेमे थे. गन्गा मे उतरने के बाद मैने नहाने मे उनकी मदद की, लेकिन मैने जान बुझ कर उन्हे ज्यादा छुआ नही, अब आजूबाजू मे काफी लोग भी आये थे. मम्मी भी झट्से नहा कर निकली और तैय्यार हो गयी. कुछ देर बाद पन्डित आ गया, मैने उसे आन्खसे इशारा करके बता दिया की जो हुआ सो अच्छा था. मम्मी थोडी दूर जानेपर मैने उसे साफ बता दिया की यह आयडिया तो अच्छा था लेकिन अब थोडा और आगे बढाओ. पन्डित ने कहा की अभी नही थोडा सब्र करो, उसने मम्मी को पूजा-स्थान पे बिठाया और कोई किताब खोल कर मन्त्र जाप करने लगे, करीबन आधे घन्टे तक वो मन्त्र जाप कर रहे थे, फिर उन्होने मम्मी से कहा कि मुझे लगता है जिस निष्ठा से तुम यह पूजा कर रही हो उससे लगता है कि हमारे जाने से पहले ही आपका सन्कल्प पुरा हो जायेगा. मम्मी यह सुनकर बहुत खुश हुई और कहने लगी की पन्डितजी आप जो विधि है वो करवा लो अगर स्वाती की शादी हो जाये तो हम समझेन्गे भग्वान हम पे सच मे प्रसन्न हो गये है. मौझे मन ही मन हसी आ रही थी क्योन्की मै जानता था कि पन्डित ने पहलेसेही स्वातीदीदी के लिये रिश्ता तय कर चुका था, मम्मी का भोलेपन का वैसे तो मुझे गुस्सा आता था, लेकिन मुझे आज उसकी मासूमियत बहुत सेक्सी लग रही थी. पन्डितने हमे आश्रम जाने के लिये कहा और कहा कि बाकी के विधी दीदी पर होने है. उसने यह भी बताया कि उन्होने एक रूम पूजा विधी के लिये ले लिया है. इसका मतलब था कि मेरा काम होनेवाला था, मै खुश हुआ और मम्मी के सुन्दर बदन के सपने देखने लगा. हम आश्रम आ गये, दीदी हमारे रूम मै सोयी थी. फिर हम दोनो मा-बेटे हमारे रूमसे उस पूजावाले रूम मे पहुचे. पन्डितने मेरे आने के बाद कमरा बन्द किया और मुझे और मम्मी को एक आसन पे बिठा दिया और मुझे मम्मी का हाथ अपने हाथ मे लेकर ध्यान करने को कहा. वो खुद भी मन्त्र जाप शुरु कर दिया, मुझे मम्मी का मुलायम हाथ मेरे हाथ मे लेकर अजीबसी उतेजना हो रही थी. कुछ देर बाद पन्डित ने बताय कि और कठिन विधी करनी होगी, मेरी मम्मीसे वो बोले कि मै वो विधी तुम्हारे सुपुत्र को समझा दून्गा, मेरी उपस्थिती मे आपको वो विधी करनी ठीक नही लगेगा, मै उसे सारी बाते समझा दून्गा लेकिन आपको वैसेही करना है जैसा बतयाअ गया हो वर्ना विधी का फल नही मिलेगा. फिर वो उस रूम के बाहर आया और मुझे समझाने लगा, उसने मुझे चन्दन का लेप दिया और एक चोला दिया और मेरे लिये एक धोती दी. उसने कहा आगे तुम देख लो इससे ज्यादा मै कुछ नही कर सकता, मैने एक कमरे का बन्दोबस्त किया है और यहा तुम दोनोके सिवा कोई नही आयेगा, अब तुम्हे पूरा मैदान खाली छोडा है, जाके अच्छी बॅटिन्ग करो. ऐसा कहकर वो वहा से खिसक गया. मै अन्दर गया और कमरा अन्दरसे बन्द किया और मम्मी से कहा कि आपको यह चोला पहनना है. उन्होने चिन्तित स्वर मे पूछा की बेटा अब क्या करना है, मैने कहा कि पन्डितजी यह लेप दे गये है इसे आपके शरीर पे लगाना है. वो थोडी सन्देह मे थी वो बोली ऐसेही तो लगाया जा सकता है, मैने उन्हे पन्डितकी बात बतायी कि यह वस्त्र पहनकर ही लगाना है, यह पूजा के स्पेशल वस्त्र है और लगाने की भी विधी है. उन्होने पूछा कैसी विधी, तो मैने कहा कि वो बतानी नही है, गुप्त विधी है, बस करके दिखानी है. मम्मी उस कमरे के साथवाले बाथरूम मे जाकर चोला पहनने लगी, मैने भी अब अपनी पॅन्ट शर्ट खोल कर वो धोती पहन ली. मम्मी जब बाहर आयी तो वो चौन्क गयी, पूछने लगी कि तुमने अपने कपडे क्यू निकाल लिये, मैने कहा यह धोती पहन के विधी करनी है, मम्मी मुह बनाके वही खडी रही. मै कुछ समझा नही कि वो ऐसा क्यू कर रही है, लेकिन जब मेरा ध्यान मम्मी के कपडो पे पडा तो मै दन्ग रह गया, दरसल वो चोला बहुतही छोटा था,और नीचे का हिस्सा एक ढीले स्कर्ट जैसा था जो मुश्किलसे उनकी घुटनोतक ही आ रहा था, मम्मी की केले जैसी गोरी चिकनी जान्घे साफ दिख रही थी. ब्लाउझ इतना छोटा था कि मम्मी के विशाल स्तन उसमे समा भी नही रहे थे, छाती पूरी ढकी थी बस, वैसे तो उनकी ८०% बूब्स इतने उभरकर आये थे मानो नन्गेही हो. उपर से वो ब्लाउझ इतना ढीला था और उसका गला बडा था. . उसकी स्लीव्स ढीली होनेकी वजह से मम्मी की साफ सुथरी बगल का हिस्सा दिख रहा था जो एकदम सेक्सी लग रहा था. सिर्फ उनकी बगलही नही बल्कि मम्मी पूरी की पूरी इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा मन कर रहा था कि उन्हे उसी वक्त लिटा कर............खैर, मैने अपने आप पर काबू पाया, धोतीमे खडे लन्ड को मम्मीके विरुद्ध दिशा मे घूमकर अ*ॅडजस्ट किया. मुझे नही पता था कि क्या यह मेरा वहम है या और कुछ लेकिन मम्मी के चोलेसे उनके निपल्स साफ दिखाई दे रहे थे, क्या मम्मी भी उत्तेजित हुई थी यह मै नही जानता था. मुझे अब किसी तरीकेसे उनको मेरी आगोशमे लाना था. मैने कुछ सोचकर उनको मेरे सामने बिठाया. जैसे ही मम्मी बैठ गयी मै उनके सामने घुटनोपे बैठा और उनके चेहरे पे लेप लगाने लगा, पहले मै उनके माथे पे लगाया और फिर गले पे, फिर उनकी लम्बी और सुराईदार गर्दन पे, उनके गोरे गोरे और कोमल गालोपे लगाया. उन मक्खन जैसे गालोको सहलाते हे मै जन्नत का मझा ले रहा था. उन्होने कहा कि अगर गाल पे लगाना था तो गर्दनसे पहले लगाते, मैने कहा जैसे पन्डितजी ने कहा मै तो वैसेही कर रहा हू. मैने डर डर के मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली क्या, तो मैने शरमाते हुए कहा कि आपके गाल बहुत मुलायम है, और आपके चेहरे की स्किन बहुत स्मूथ है, मम्मी शर्मसे लाल हो गयी, बोली, धत ऐसे नही कहते और चुप हो गयी. मै जान गया कि उन्हे यह सब अच्छा लग रहा है. मै उठके मम्मी के पिछे जाके बैठ गया, मम्मी का स्कर्ट नीचे खिसक गया था और उनके गान्ड की लकीर दिख रही थी, मेरा लन्ड धोती मे बेकाबू हो चला था, मैने उसे अ*ॅदजस्ट किया. फिर मम्मी का ब्लाउझ थोडा उपर किया, ढीला होने की वजह से वो आराम से उपर आ गया. मम्मी ने कापते हुए आवाज मे कहा क्या कर रहे हो, मैने कहा जैसा पन्डितजी ने बताया है वैसा ही कर रहा हू, मुझे आपकी पीठ पर शुभचिन्ह बनाना है. मम्मी थोडी झल्ला गयी कि ऐसी विधी मैने ना देखी थी और न ही कभी सुनी थी, पता नही पन्डितजी स्वाती का दोश हटाने के लिये क्या क्या करवायेन्गे, मैने भी उनकी हा मे हा मिला दी, मन ही मन मै सोच रहा था कि यह साजिश तो हम दोनो ने रचाई है. लेकिन शायद मम्मी को यह सब उत्तेजित भी कर रहा था, क्योन्कि वोह यह सब दिखाने के लिये कह रही थी अन्दरसे वो भी शायद मेरे हाथोका स्पर्श चाहती थी. और ऐसा नही होता तो उसने ऐसे विधी के लिये कब का मना कर दिया होता. जैसे ही मैने मम्मी की लगभग पूरी नन्गी पीठ को छुआ मेरे शरीर मे बिजली दौड गयी, मेरी रगो मे खून दुगनी रफ़्तार से बहने लगा. मम्मी का भी शायद यही हाल था, उनकी पीठ एकदम चिकनी थी बिलकुल गोरी, उसपर कोई निशान नही था. मैने साहस करके शरारत करने की सोची और मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली अब क्या है. मैने कहा मम्मी आपकी पीठ फ़िसलपटटी जैसी है, वो हसने लगी और पूछने लगी क्यू, मैने कहा हाथ रुकता ही नही फिसल जाता है. फिर मम्मीने कहा कि अब बस बहुत तारीफ कर ली. मैने कहा सचमुच मम्मी इस आश्रम के इस माहौल मे इन कपडो मे इस पूजा-पाठ की विधी मे आप सच मे कोई अप्सरा जैसी लग रही हो. मुझे मेरे साहस पे खुद भी विश्वास नही हो रहा था कि मैने यह कह दिया. लेकिन मम्मी तो सिर्फ हस पडी, कही, मै जानती हू मै क्या हू, एक औरत जो पूरी जवान भी नही और पूरी बुढढी भी नही. मुझे यकीन हो गया कि अब मम्मी को भी इन शरारती बतो मे मजा आ रहा था, मैने कहा मम्मी आप क्या बात करती हो, जब आप और दीदी साथ साथ चलती हो तो लोग आप दोनो को बहने कहते है. मम्मीने मुडकर मेरी तरफ देखा और कहा सचमे तुझे ऐसा लगता है, मैने कहा हा मम्मी वाकई आप की उमर ज्यादा लगती नही. कोई भी औरत तारीफ से पिघल जाती है और मम्मी भी एक औरत ही थी, उनका खूबसूरत और गोरा चेहरा लाल हो गया, उन्होने यह बात पे जरा भी ध्यान नही दिया कि मै उन्हे बातो मे उलझाकर उनकी पीठ को बहुत समय से मसल रहा था. मैने शुभचिन्ह बना लिया और मम्मी को कहा कि आप लेट जाओ. उन्होने पूछा कि अब क्या करना है. मैने कहा पन्डितजीने जो कहा मै वैसा ही कर रहा हू. जैसे ही मम्मी लेट गयी,मै उनकी जान्घो के करीब बैठ गया, वो मुझे टुकुर टुकुर देख रही थी मगर कुछ बोल नही रही थी. मैने हाथोपे लेप लिया और उनकी जाघो पे लगाने के लिये आगे बढा, मेरा हाथ उत्तेजना की वजह से कान्प रहा था, और मुझे यकीन नही हो रहा था कि मै यह सब अपने हाथो से कर रहा हू और वो भी मम्मी की अनुमतिसे खैर जैसे ही मैने अपना हाथ मम्मी की जान्घो पे रखा, मेरा शरीर ठन्डा पड गया, मम्मी की जान्घे मुलायम और गरम थी शायद वो भी मेरी तरह उत्त्तेजित हो चुकी थी, वो अपनी आन्ख बन्द कर धीरे धीरे आहे भर रही थी, वो आवाज मुझे बडी सेक्सी लग रही थी, उनकी सासे भी तेज हो गयी थी. उनकी तरफसे कोई विरोध नही था यह देखकर मैने सुकूनसे फिर उनके पाव से लेकर जान्घो तक लेप लगाया. सुबह किये हुई तेल मालिश की वजह से उनकी टान्गे और भी चिकनी हो चुकी थी. मैने लेप लगाते लगाते मम्मी से हिम्मत करके पूछा, मम्मी आप अपनी टान्गोपे क्या लगाती हो, उन्होने आन्खे खोल कर मेरी ओर देखा और पूछ क्यू, मैने कहा मुझे नही पता था के इतनी भी मुलायम स्किन किसी की हो सकती है. तो मम्मी हस के बोली तुम पागल हो, मैने फिर जिद की के बताओ ना क्या लगाती हो, वो बोली कुछ खास नही हमेशा तेल मालिश करती हू, लेकिन आज मेरे लाडले बेटेने मसाज किया है इसलिये स्किन और भी नरम हो गयी होगी, चल अब जल्दी खतम कर इस विधी को, जैसे ही मैने स्कर्ट के अन्दर हाथ डाला तभी दरवाजेपर किसीने खटखटाया. साला कौन आ गया इस वक्त यह सोचकर मै दरवाजेकी ओर बढा, मम्मी के शकल पर भी नाराजी झलक रही थी, वो उठकर बाथरूम मे चली गयी कि कोई उसे इस हालत मे न देखे. मुझे बडा गुस्सा आया, झट्से दरवाजा खोला तो देख पन्डित लौट आया था, मै गुस्सेमे फुसफुसाया कि क्या है, मैने क्या कहा था तो वो कहने लगा कि स्वातीदीदी जाग गयी है और कबसे पूछ रही है वो यहा आ जाती तो सब गडबड हो जाता और काम बिगड जाता. फिर मम्मी नहा के चेन्ज कर के आ गयी और हम दोनो हमारी रूम मे चले गये.
जाते जाते मैने पन्डितको एक कोने मे ले जा कर दुबारा धमकाया अब पूजा मे सिर्फ २ दिन बचे है, वो अगर मेरा काम नही करेगा तो मै भी उसे किया हुआ वादा भूल जाउन्गा और फिर तुम्हारा जो अन्जाम होगा वो तो तुम्हे पता है. पन्डित डर गया और मुझसे बिनती करने लगा कि प्लीज मुझे थोडा समय दे दो, आज रात को किसी भी हालत मे मै तुम्हारा यह काम करून्गा, अब तुम जाके सो जाओ, रात को तुम्हे जागना है. दोपहर मे पन्डित मम्मी और दीदी से कुछ ना कुछ पूजा और विधी करवाता रहा. शाम को मम्मी वापस रूम मे लौटी तो बहुत थकी हुई थी, वो झट्से सो गयी. दीदी सुबह सो चुकी थी तो अब वो फ्रेश थी, वो चाहती थी कि मै उसे शहर घुमाने ले जाऊ या कुछ और टाईमपास करू लेकिन मेरा सारा ध्यान रात की प्लान पे था. मै नही चाहता था कि दीदी रात को जागे और मेरा खेल बिगाड दे. मै शाम को ३-४ घन्टे सो कर उठा था, वैसे मै उन्हे घूमने ले जा सकता था लेकिन मैने ऐसा कुछ नही किया. दीदी यूही आश्रम मे इधर उधर टहलके वापस आयी. रात को ८ बजे पन्डित रूम मे आये और कहने लगे के शादी के रिश्ते की बात आयी है, देखो अगर सब कुछ ठिक चला तो रिश्ता पक्का हो जायेगा. मम्मी अभी सो के उठी थी, यह बात सुनकर वो बहुत खुश हुई और पन्डित को धन्यवाद देने लगी. पन्डितने बडी विनम्रता से कहा मेरा कुछ नही यह सब तो आपकी पूजा क असर है, फिर उन्होने कहा के आज रात की विधि १० बजे शुरु होगी, और उन्होने कहा मम्मी से के आपके सुपुत्र और के अलावा और कोई नही हो सकता आपके साथ. दीदीने कहा मै भी चलती हू तो पन्डितने कहा ऐसा नही हो सकता, उन्होने मम्मीसे भी कहा स्वाती नही आ सकती, उसी मे तो दोश है. यह बात सुनकर मम्मी क्या कहती, उन्होने दीदीसे कहा कि तुम यही रहो, हम पूजा करके आयेन्गे, तुम सो जाना. दीदी मान गयी. हमलोग खाना खाने नीचे आ गये, पन्डितने मुझे बाजूमे ले जाकर सब समझा दिया यू समझो सारा मामला फिट्* कर दिया. मम्मी ने बीचमे उसे पूछा तो उसने बताया कि वो मुझे विधी ठीकसे समझा रहा है, फिर मम्मी क्या बोलती. खाना खाने के बाद हम रूम मे आ गये, कुछ देर बाद पन्डित आया और पूजा के लिये चलने को कहा. हम भी तैयार थे खास करके मै तो बहुत उतावला हो चुका था. मम्मीने दीदी से कहा कि तुम सो जाना और दरवाजा अन्दरसे लगा लेना, हम जब भी आयेन्गे तुम्हे जगा लेन्गे. दीदीने दोपहर मे आराम नही किया था जो मैने किया था, इसलिये उसे भी नीन्द आ रही थी. उसने सोने की तैयारी कर दी. उसे वहा छोड कर हम दूसरे कमरे मे दाखिल हो गये.





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