Tuesday, December 16, 2014

FUN-MAZA-MASTI तड़फती जवानी-16

FUN-MAZA-MASTI


तड़फती जवानी-16


मैंने उसके लिंग को हाथों में भर कर जोर से मसलना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में वो दुबारा सख्त होने लगा।
वो मेरे स्तनों से खेलने में मगन हो गया और मैं उसके लिंग को दुबारा सम्भोग के लिए तैयार करने लगी।
मैंने उसके लिंग को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वो एकदम कड़क हो गया।
अमर ने मेरी योनि में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और कुछ ही पलों में मैं सम्भोग के लिए फिर से तड़पने लगी।
उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर चढ़ा लिया, मैंने भी अपनी टाँगें फैला कर उसके लिंग के ऊपर अपनी योनि को सामने कर दिया और उसके ऊपर लेट गई।
अमर ने हाथ से अपने लिंग को पकड़ कर मेरी योनि में रगड़ना शुरू कर दिया। मैं तड़प उठी क्योंकि मैं जल्द से जल्द उसे अपने अन्दर चाहती थी।
मैंने अब उसे इशारा किया तो उसने अपने लिंग के सुपाड़े को योनि की छेद में टिका दिया और अपनी कमर उठा दी, उसका लिंग मेरी योनि में सुपाड़े तक घुस गया, फिर मैंने भी जोर लगाया तो लिंग पूरी गहराई में उतर गया।
मैंने मजबूती से अमर को पकड़ा और अमर ने मुझे और मैंने धक्कों की प्रक्रिया को बढ़ाने लगी। कुछ पलों में अमर भी मेरे साथ नीचे से धक्के लगाने लगे।
करीब 10 मिनट में मैं झड़ गई, पर खुद पर जल्दी से काबू करते हुए मैंने अमर का साथ फिर से देना शुरू कर दिया।
हम पूरे जोश में एक-दूसरे को प्यार करते चूमते-चूसते हुए सम्भोग का मजा लेने लगे।
हम दोनों इस कदर सम्भोग में खो गए जैसे हम दोनों के बीच एक-दूसरे को तृप्त करने की होड़ लगी हो।
मैं अब झड़ रही थी मैंने अपनी पूरी ताकत से अमर को अपने पैरों और टांगों से कस लिया और कमर उठा दी।
मेरी मांसपेसियाँ अकड़ने लगीं और मेरी योनि सिकुड़ने लगी, जैसे अमर के लिंग को निचोड़ देगी और मैं झटके लेते हुए शांत हो गई।
उधर अमर भी मेरी योनि में लिंग को ऐसे घुसा रहा था, जैसे मेरी बच्चेदानी को फाड़ देना चाहता हो।
उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी में जोर से लगता और मैं सहम सी जाती।
उसने झड़ने के दौरान जो धक्के मेरी योनि में लगाए उसे बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था।
करीब 10-12 धक्कों में वो अपनी पिचकारी सी तेज़ धार का रस मेरी योनि में छोड़ते हुए शांत हो गया और तब जा कर मुझे थोड़ी राहत मिली।
अमर झड़ने के बाद भी अपने लिंग को पूरी ताकत से मेरी योनि में कुछ देर तक दबाता रहा। फिर धीरे-धीरे सुस्त हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।
कुछ पलों के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और वो मेरे बगल में सो गया। मैं बाथरूम चली गई और जब वापस आई तो उसने मुझे फिर दबोच लिया और हम फिर से शुरू हो गए।
हमने फिर से सम्भोग किया और मैं बुरी तरह से थक कर चूर हो चुकी थी।
मैं झड़ने के बाद कब सो गई, पता ही नहीं चला।
मुझे जब बच्चे की रोने की आवाज आई तो मेरी आँख खुली, मैंने देखा कि शाम के 5 बज रहे थे।
मेरा मन बिस्तर से उठने को नहीं कर रहा था, पर बच्चे को रोता देख उठी और बच्चे को दूध पिलाते हुए फिर से लेट गई।
बच्चे का पेट भरने के बाद मैंने उसे दुबारा झूले में लिटा कर बाथरूम गई, खुद को साफ़ किया और वापस आकर चाय बनाई।
मैंने अमर को उठाया और उसे चाय दी। अमर चाय पीने के बाद बाथरूम जाकर खुद को साफ़ करने के बाद मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगे।
उसने कहा- आज का दिन कितना बढ़िया है.. हमारे बीच कोई नहीं.. हम खुल कर प्यार कर रहे हैं और किसी का डर भी नहीं है।
मैंने कहा- पर आज कुछ ज्यादा ही हो रहा है… मेरी हालत ख़राब होने को है।
अमर ने कहा- अभी कहाँ.. अभी तो पूरी रात बाकी है और ऐसा मौका कब मिले कौन जानता है।
यह कहते हुए उसने मुझे फिर से अपनी बांहों में भर लिया और चूमने लगा।
पास में ही बच्चा झूले में बैठा खेल रहा था, मुझे यह ठीक नहीं लग रहा था तो मैंने अमर से कहा- यहाँ बच्चे के सामने ठीक नहीं है.. रात में उसके सोने के बाद जो मर्ज़ी सो करना।
पर अमर मेरी कहाँ सुनने वाला था, उसने कहा- ये तो सिर्फ 5 महीने का है.. इसे क्या पता हम क्या कर रहे हैं… फिर भी अगर तुम्हें परेशानी है तो इसे सुला दो।
मैंने उसे बताया- यह दिन भर सोया है और अभी कुछ देर पहले ही उठा है.. अभी नहीं सोएगा.. हम बाद में प्यार करेंगे.. रात भर.. मैं तो साथ में ही रहूँगी।
अमर मेरी बात को कहाँ मानने वाले थे, वो तो बस मेरे जिस्म से खेलने के लिए तड़प रहे थे।
उसने मेरे ही बच्चे के सामने मुझे तुरंत नंगा कर दिया और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगे।
मैं बैठी थी और अमर मेरे स्तनों को चूसने लगा। वो बारी-बारी से दोनों स्तनों से दूध पीने लगे और सामने मेरा बच्चा खेलते हुए कभी हमें देखता तो कभी खुद खिलौने से खेलने लगता।
कभी वो बड़े प्यार से मेरी तरफ देखा और मुस्कुराता, पर अमर पर इन सब चीजों का कोई असर नहीं हो रहा था… वो बस मेरे स्तनों को चूसने में लगा हुआ था।
मैंने अमर से विनती की कि मुझे छोड़ दे.. पर वो नहीं सुन रहा था। उसने थोड़ी देर में मेरी योनि को चूसना शुरू कर दिया और मैं भी गर्म होकर सब भूल गई।
मैंने भी उसका लिंग हाथ से सहलाना और हिलाना शुरू कर दिया। फिर अमर ने मुझे लिंग को चूसने को कहा, मैंने उसे चूस कर और सख्त कर दिया।
उसने मुझे आगे की तरफ झुका दिया और मैं अपने घुटनों तथा हाथों के बल पर कुतिया की तरह झुक गई, अमर मेरे पीछे आकर मेरी योनि में लिंग घुसाने लगा।
अमर ने लिंग को अच्छी तरह मेरी योनि में घुसा कर मेरे स्तनों को हाथों से पकड़ा और फिर धक्के लगाने लगा।
मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया और आधे घंटे तक सम्भोग करने के बाद हम झड़ गए।
अमर को अभी भी शान्ति नहीं मिली थी, उसने दुबारा सम्भोग किया।
मेरी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी और मेरे बदन में दर्द होने लगा था।
मैंने अमर से कहा- रात का खाना कहीं बाहर से ले आओ.. क्योंकि मैं अब खाना नहीं बना सकती… बहुत थक चुकी हूँ।
अमर बाहर चले गए और मैं फिर से सो गई, मैं बहुत थक चुकी थी।
हमने अब तक 6 बार सम्भोग किया था, पर अभी तो पूरी रात बाकी थी।
कहते हैं कि हर आने वाला तूफ़ान आने से पहले कुछ इशारा करता है। शायद यह भी एक इशारा ही था कि हम दिन दुनिया भूल कर बस एक-दूसरे के जिस्मों को बेरहमी से कुचलने में लगे थे।
लगभग 9 बजे के आस-पास अमर वापस आए फिर हमने बिस्तर पर ही खाना खाया और टीवी देखने लगे।
मैंने अपने बच्चे को दूध पिलाया और सुला दिया।
रात के करीब 11 बजे मैंने अमर से कहा- मैं सोने जा रही हूँ।
अमर ने कहा- ठीक है.. मैं थोड़ी देर टीवी देख कर सोऊँगा।
मैं अभी हल्की नींद में ही थी, तब मेरे बदन पर कुछ रेंगने सा मैंने महसूस किया।
मैंने आँख खोल कर देखा तो अमर का हाथ मेरे बदन पर रेंग रहा था।
मैंने कहा- अब बस करो.. कितना करोगे.. मार डालोगे क्या?
अमर ने कहा- अगर प्यार करने से कोई मर जाता, तो पता नहीं कितने लोग अब तक मर गए होते, एक अकेले हम दोनों ही नहीं हैं इस दुनिया में.. जो प्यार करते हैं।
फिर उसने मेरे बदन से खेलना शुरू कर दिया, हम वापस एक-दूसरे से लिपट गए।
हम दोनों ऐसे एक-दूसरे को चूमने-चूसने लगे जैसे कि एक-दूसरे में कोई खजाना ढूँढ रहे हों।
काफी देर एक-दूसरे को चूमने-चूसने और अंगों से खेलने के बाद अमर ने मेरी योनि में लिंग घुसा दिया।
अमर जब लिंग घुसा रहे थे तो मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं बर्दास्त करने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी।
काफी देर सम्भोग के बाद अमर शांत हुए, पर तब मैंने दो बार पानी छोड़ दिया था। बिस्तर जहाँ-तहाँ गीला हो चुका था और अजीब सी गंध आनी शुरू हो गई थी।









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