FUN-MAZA-MASTI
मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--2
करीब 20-25 मिनट बाद हम एक छोटे से घर के सामने पहुँच गए जिसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। उसने जाकर दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुला लिया। ये एक 80 मीटर का छोटा सा घर था जिसमें दो कमरे और एक बाथरूम था। उसने मुझे एक चारपाई पे बिठा दिया और पंखा चालू कर दिया। उसने मुझे पानी पिलाया तो मेरे अंदर जैसे एक सकून सा उतर गया। क्योंकि मुझे सख़्त प्यास महसूस हो रही थी।
तभी कामीचाचा बोले- देख लड़की, मैं आज तुझे यहाँ चोदने के लिए लाया हूँ, और कल तेरी सहेली को चोदूँगा। अगर तुम चुपचाप मेरा साथ दोगी और जैसे मैं कहूँगा वैसे करती रहोगी तो देखना तुम्हें बहुत मजा आएगा। वरना मैं तुम्हारा वो हाल करूँगा कि तुम्हें खुद पे भी रोना आएगा। अब फैसला तुम्हारे हाथ में है। चुपचाप मेरा साथ देना है या?
मैं बुरी तरह से घबराते हुये- च…चाचा प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ हमें छोड़ दो… हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। म…मैं आ…आपसे वादा करती हूँ कि आइन्दा ऐसा कुछ नहीं होगा।
वो कहकहा लगाकर हँसने लगा “हाहाहाहाहाहा” काफी देर बाद उसकी हँसी रुकी तो वो घूरते हुये बोला- “देख रंडी, मैं तुझे और तेरी सहेली को चोदकर ही रहूंगा। मैंने आज तक तुम जैसी माल नहीं देखा है। मैंने अभी शादी भी नहीं की, क्योंकि मुझे तुम जैसी कोई लड़की मिली ही नहीं। तुम लोगों के लिए बेहतर होगा कि चुपचाप जैसे होता है होने दो…”
मैं चुपचाप नीचे देखते हुये आँसू बहाने लगी। तभी उसने मुझे बाजू से पकड़कर खड़ा कर दिया और दूसरे कमरे में ले गया। वहाँ जमीन पे एक पुराना सा गद्दा बिछा हुआ था। उसने अंदर जाते ही टांग मारकर दरवाजा बंद किया और मुझे खींचकर अपने गले लगा लिया।
ये पहला मोका था कि मैं किसी मर्द के गले लगी थी। तभी उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, मेरे माथे पे, गालों पे, गर्दन पे किस करने लगा। मैं ना चाहते हुये भी मदहोश होने लगी और मेरी चूचियों के निपल्स भी खड़े होने लगे। तभी उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए, और मेरे होंठों को वहशियाना तरीके से चूसने और चाटने लगा।
मैं अपने आस-पास से बेखबर आसमान में उड़ रही थी। अचानक उसने मेरी कमीज को पकड़कर उतारना शुरू कर दिया। मैंने उसकी सहूलियत के लिए हाथ ऊपर उठा दिये। उसने मेरी कमीज निकालकर एक तरफ फेंक दी और मेरी शलवार भी उतारकर मुझे गद्दे पे लिटा दिया।
मैं इतनी मदहोश थी कि वो जैसे कर रहा था मैं वैसे उसका साथ दे रही थी। उसने मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ सफर करने लगा। मेरी छातियों पे पिंक निपल पूरी तरह से खड़े हुये थे। उसने मेरी चूचियों को चूमना शुरू कर दिया। मेरी हालत और भी खराब होने लगी। मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं। वो मेरी चूचियों को मज़े से चूस और चाट रहा था।
मेरी चूत में चींटियां सी रेंग रही थीं और अजीब सी बेचैनी हो रही थी। दिल कर रहा था कि कोई चीज जल्द से जल्द मेरी चूत में घुस जाए।
मैं- “कामीचाचा… आआहह… उउफफफ्फ़…” कहकर उनसे लिपटी जा रही थी।
फिर उन्होंने मेरी चूचियों से नीचे नाभि की तरफ जाना शुरू किया। और मेरे पेट और नाभि को चाटने लगे। तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। बिना चूत को छुये उन्होंने मुझे किस्सिंग करते हुये झाड़ दिया था। (यहाँ मैं एक बात कहना चाहूंगा कि चाहे कोई भी लड़की हो। जब कोई मर्द उसको शिद्दत से चूमता है और किस्सिंग और रब्बिंग करता है तो वो झड़ती जरूर है। आजमा कर देख लें।)
मैंने उनके सिर को पकड़कर ऊपर उठाया, और उनको बेखुदी में चूमने लगी। उनके चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी। मुझे अब कोई झिझक, कोई शरम महसूस नहीं हो रही थी। बलकि कामीचाचा पे प्यार आ रहा था। मैंने उनको अपनी दोनों टांगों में कसकर दबोच लिया। अभी उन्होंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे। 5 मिनट बाद वो मुझसे अलग हुये और अपने कपड़े उतारने लगे। उनका जिश्म पहलवानों की तरह था क्योंकि वो बहुत मेहनत करते थे।
पत्थर की तरह सख़्त जिश्म मैं देखती रह गई। जैसे ही मैंने उनका लण्ड देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई भूत देख लिया हो। उनका लण्ड तनकर खड़ा हो गया था और झटके खा रहा था, 10” इंच लंबा और 4” मोटा होगा। उन्होंने मुश्कुराकर मेरी तरफ देखा।
कामीचाचा बोले- क्यों मेरी रंडी… कैसा लगा मेरा हथियार?
मैं- चाचा आ…आप्प का लौड़ा तो बहुत ब्ब…ब्बड़ा है।
कामीचाचा- हाहाहाहाहा… बड़े लण्ड से ही तो मजा आता है मेरी जान। आज तेरी चूत को मैं इसी से खोलूंगा। उसके बाद रोज तू मेरे लण्ड के लिए मिन्नतें करेगी।
मैं बहुत ज्यादा घबरा गई इतना लंबा लण्ड देखकर। तभी उसने तेल की बोतल से ढेर सारा तेल मेरी चूत पे लगाया और अपने लण्ड पर भी। मैं अपनी खैरियत की दुआयें माँग रही थी और दूसरी तरफ आने वाले पलों को सोचकर मेरी चूत में अजीब सनसनाहट भी हो रही थी। कामीचाचा मेरी टांगों में आकर बैठ गए और मुझे चूमना शुरू कर दिया और मेरी चूचियां को चाटने लगे। मेरा जिश्म फिर से गरम होने लगा और मेरी बेचैनी बढ़ने लगी। नीचे उनका लण्ड मेरी चूत पे रगड़ रहा था। मैं बेचैन होकर अपनी कमर को उचकाने लगी। मेरी चूत से पानी बह रहा था।
मैं- उऊहह… म्*म्म्मम… आआअहह… काम्म्म्मिी छ्छाचाअ… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… ऊऊऊओह… कर रही थी।
कामीचाचा- क्या हुआ मेरी रांड़?
मैं- “काम्म्मीई चाचहा… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… कुछ करो…”
कामीचाचा- क्या करूँ मैं? चोद दूँ तुझे?
मैं- हान्न्*न…
कामीचाचा- अगर तेरी चूत फट गई तो फिर?
मैं- कोई बात नहीं, फटने दो। प्लीज़्ज़… इसको अंदर डाल्ल दो।
कामीचाचा- तुझे मैं तब चोदूँगा जब तू मेरी रंडी बनेगी।
मैं- हान्न्*ण… मैं रंडी बनूँगी।
कामीचाचा- मैं जिससे बोलूंगा चुदवाएगी?
मैं- हाआनन्न।
चाचा ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं मदहोशी में उनके होंठों को चूम चाट रही थी। उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पे रखा हुआ था। तभी उन्होंने मेरे होंठों को अपने मुँह में भरकर एक जोर का धक्का मारा। उनका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ मेरी सील से जा टकराया। मेरी आँखें बाहर आ गई और मेरे मुँह से जोर की चीख चाचा के मुँह में ही दब गई। आँखों से आँसू निकलने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने मोटा रोड मेरी चूत में घुसा दिया हो।
तभी चाचा ने लण्ड टोपी तक बाहर निकाला, मेरे होंठों को छोड़ दिया और पूरे जोर से लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। आवाज बंद हो गई और मैं बेहोश सी होने लगी। तभी उन्होंने कसकर 3-4 धक्के और लगाये और उनका पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर मेरी बच्चेदानी से टकरा गया।
मेरा दिमाग़ झन्ना गया और मैं बेहोशी से वापस होश में आ गई और जोर से चीख पड़ी। और जोर-जोर से रोने लगी- “आआआह्ह… उउफफफ्फ़… चाचा… आआअह्ह… अम्म्म्मीई। मुझे बचाओ… आआआईई… मैं मर जाऊँगी चाचा… आआअहह… उउइईई…” मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे। चाचा मेरी चूचियां को फिर से चूमने चाटने लगे। मैं दर्द से कराह रही थी।
कामीचाचा- बस मेरी जान हो गया। तूने मेरा पूरा लण्ड ले लिया है। जितना दर्द होना था हो गया। अब मजा लेगी तू सारी ज़िंदगी।
मैं- चाचाअ… प्लीज़ बाहर निकाल लो। मैं मर जाऊँगी… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ मुझे छोड़ दो।
लेकिन उनकी गिरफ़्त इतनी सख़्त थी कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। और केवल उउफफफ्फ़… आआअहह… ऊऊऊओह… करके सिसकारियां ले रही थी। धीरे-धीरे मेरा दर्द कम होने लगा। और मेरी चूत फिर से गीली होने लगी। मैंने अपनी बाहें फिर से चाचा के गिर्द कस लीं।
चाचा को भी पता चल गया कि मुझे मजा आ रहा है। उन्होंने आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। वो 2-3 इंच लण्ड बाहर निकालते और फिर से पूरा अंदर डाल देते। जैसे ही उनका लण्ड अंदर आता। मेरे मुँह से आआआह्ह… निकल जाती। मेरी चूत में अभी भी बहुत दर्द था लेकिन उसके साथ मजा भी आ रहा था।
चाचा ने 10 मिनट तक बड़े आराम से चोदा, और मेरा पानी निकल गया। मैं उस वक्त आसमान में उड़ रही थी। इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ। मैंने चाचा के गिर्द अपनी टांगों को लपेट लिया। वो मुझे किस करते जा रहे थे और मुझे चोदते जा रहे थे। उन्होंने अपनी स्पीड अब बढ़ा दी और अपना आधे से ज्यादा लण्ड निकाल-निकालकर मुझे चोदने लगे।
5 मिनट बाद मैं दूसरी बार झड़ गई। मेरे मुँह से आआअह्ह… चाचा… ऊऊह्ह… उउम्म्म्मम… उउफफफ्फ़… उउईईई माँ आआआआ… ऊऊऊह्ह… और्रर तेज़्ज़्ज़्ज़ की आवाजें निकल रही थीं। और मैं उनको चूमे जा रही थी। मुझे आस-पास का कोई होश नहीं था। मैं बस मजे में डूबी जा रही थी। दिल चाह रहा था कि ये मजा कभी खतम ना हो। और चाचा भी कहाँ रुक रहे थे। वो एक तजर्बेकार आदमी मुझे एक ही आसन में चोदे जा रहे थे।
उनका लण्ड जड़ तक मेरे अंदर समा रहा था। मेरा जिश्म अजीब सी तरंग से भर गया था। मैं अपनी कमर उठाकर उनका साथ दे रही थी। उन्होंने पूरा 30 मिनट तक मुझे तेजी से चोदा और मेरे अंदर ही झड़ गए। इस बीच मैं दो बार झड़ी थी। चाचा झड़ने के बाद मेरे ऊपर गिर कर लंबी-लंबी सांसें लेने लगे।
मैं उनके बालों में उंगलियां फेर रही थी, और उनके गालों पे किस कर रही थी। हमारा जिश्म पशीने से भीग चुका था। 5 मिनट बाद वो मेरे ऊपर से हटकर बराबर में लेट गए। मेरे जेहन में एक सुकून सा छा गया और मैं वैसे ही टांगें फैलाए बेसुध सी लेटी रही। पता नहीं कितनी देर हो गई।
फिर चाचा ने मुझे आवाज दी- रंडी सो गई है क्या?
मैं- उउन्न्नह… क्या हुआ चाचा?
कामीचाचा- क्यों मजा आया?
मुझे शरम सी आने लगी। मैंने चाचा की तरफ देखा और मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। वो तो मेरी इस अदा पे जैसे खिल गए।
चाचा- रंडी, अभी तो बड़े मजे से चुदवा रही थी। अब शर्मा रही है। उन्होंने मुझे करवट दिला कर पीछे से चिपका लिया। उनका लण्ड अभी भी आधा-खड़ा होकर मेरे चूतरों से टकरा रहा था।
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मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--2
करीब 20-25 मिनट बाद हम एक छोटे से घर के सामने पहुँच गए जिसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। उसने जाकर दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुला लिया। ये एक 80 मीटर का छोटा सा घर था जिसमें दो कमरे और एक बाथरूम था। उसने मुझे एक चारपाई पे बिठा दिया और पंखा चालू कर दिया। उसने मुझे पानी पिलाया तो मेरे अंदर जैसे एक सकून सा उतर गया। क्योंकि मुझे सख़्त प्यास महसूस हो रही थी।
तभी कामीचाचा बोले- देख लड़की, मैं आज तुझे यहाँ चोदने के लिए लाया हूँ, और कल तेरी सहेली को चोदूँगा। अगर तुम चुपचाप मेरा साथ दोगी और जैसे मैं कहूँगा वैसे करती रहोगी तो देखना तुम्हें बहुत मजा आएगा। वरना मैं तुम्हारा वो हाल करूँगा कि तुम्हें खुद पे भी रोना आएगा। अब फैसला तुम्हारे हाथ में है। चुपचाप मेरा साथ देना है या?
मैं बुरी तरह से घबराते हुये- च…चाचा प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ हमें छोड़ दो… हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। म…मैं आ…आपसे वादा करती हूँ कि आइन्दा ऐसा कुछ नहीं होगा।
वो कहकहा लगाकर हँसने लगा “हाहाहाहाहाहा” काफी देर बाद उसकी हँसी रुकी तो वो घूरते हुये बोला- “देख रंडी, मैं तुझे और तेरी सहेली को चोदकर ही रहूंगा। मैंने आज तक तुम जैसी माल नहीं देखा है। मैंने अभी शादी भी नहीं की, क्योंकि मुझे तुम जैसी कोई लड़की मिली ही नहीं। तुम लोगों के लिए बेहतर होगा कि चुपचाप जैसे होता है होने दो…”
मैं चुपचाप नीचे देखते हुये आँसू बहाने लगी। तभी उसने मुझे बाजू से पकड़कर खड़ा कर दिया और दूसरे कमरे में ले गया। वहाँ जमीन पे एक पुराना सा गद्दा बिछा हुआ था। उसने अंदर जाते ही टांग मारकर दरवाजा बंद किया और मुझे खींचकर अपने गले लगा लिया।
ये पहला मोका था कि मैं किसी मर्द के गले लगी थी। तभी उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, मेरे माथे पे, गालों पे, गर्दन पे किस करने लगा। मैं ना चाहते हुये भी मदहोश होने लगी और मेरी चूचियों के निपल्स भी खड़े होने लगे। तभी उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए, और मेरे होंठों को वहशियाना तरीके से चूसने और चाटने लगा।
मैं अपने आस-पास से बेखबर आसमान में उड़ रही थी। अचानक उसने मेरी कमीज को पकड़कर उतारना शुरू कर दिया। मैंने उसकी सहूलियत के लिए हाथ ऊपर उठा दिये। उसने मेरी कमीज निकालकर एक तरफ फेंक दी और मेरी शलवार भी उतारकर मुझे गद्दे पे लिटा दिया।
मैं इतनी मदहोश थी कि वो जैसे कर रहा था मैं वैसे उसका साथ दे रही थी। उसने मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ सफर करने लगा। मेरी छातियों पे पिंक निपल पूरी तरह से खड़े हुये थे। उसने मेरी चूचियों को चूमना शुरू कर दिया। मेरी हालत और भी खराब होने लगी। मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं। वो मेरी चूचियों को मज़े से चूस और चाट रहा था।
मेरी चूत में चींटियां सी रेंग रही थीं और अजीब सी बेचैनी हो रही थी। दिल कर रहा था कि कोई चीज जल्द से जल्द मेरी चूत में घुस जाए।
मैं- “कामीचाचा… आआहह… उउफफफ्फ़…” कहकर उनसे लिपटी जा रही थी।
फिर उन्होंने मेरी चूचियों से नीचे नाभि की तरफ जाना शुरू किया। और मेरे पेट और नाभि को चाटने लगे। तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। बिना चूत को छुये उन्होंने मुझे किस्सिंग करते हुये झाड़ दिया था। (यहाँ मैं एक बात कहना चाहूंगा कि चाहे कोई भी लड़की हो। जब कोई मर्द उसको शिद्दत से चूमता है और किस्सिंग और रब्बिंग करता है तो वो झड़ती जरूर है। आजमा कर देख लें।)
मैंने उनके सिर को पकड़कर ऊपर उठाया, और उनको बेखुदी में चूमने लगी। उनके चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी। मुझे अब कोई झिझक, कोई शरम महसूस नहीं हो रही थी। बलकि कामीचाचा पे प्यार आ रहा था। मैंने उनको अपनी दोनों टांगों में कसकर दबोच लिया। अभी उन्होंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे। 5 मिनट बाद वो मुझसे अलग हुये और अपने कपड़े उतारने लगे। उनका जिश्म पहलवानों की तरह था क्योंकि वो बहुत मेहनत करते थे।
पत्थर की तरह सख़्त जिश्म मैं देखती रह गई। जैसे ही मैंने उनका लण्ड देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने कोई भूत देख लिया हो। उनका लण्ड तनकर खड़ा हो गया था और झटके खा रहा था, 10” इंच लंबा और 4” मोटा होगा। उन्होंने मुश्कुराकर मेरी तरफ देखा।
कामीचाचा बोले- क्यों मेरी रंडी… कैसा लगा मेरा हथियार?
मैं- चाचा आ…आप्प का लौड़ा तो बहुत ब्ब…ब्बड़ा है।
कामीचाचा- हाहाहाहाहा… बड़े लण्ड से ही तो मजा आता है मेरी जान। आज तेरी चूत को मैं इसी से खोलूंगा। उसके बाद रोज तू मेरे लण्ड के लिए मिन्नतें करेगी।
मैं बहुत ज्यादा घबरा गई इतना लंबा लण्ड देखकर। तभी उसने तेल की बोतल से ढेर सारा तेल मेरी चूत पे लगाया और अपने लण्ड पर भी। मैं अपनी खैरियत की दुआयें माँग रही थी और दूसरी तरफ आने वाले पलों को सोचकर मेरी चूत में अजीब सनसनाहट भी हो रही थी। कामीचाचा मेरी टांगों में आकर बैठ गए और मुझे चूमना शुरू कर दिया और मेरी चूचियां को चाटने लगे। मेरा जिश्म फिर से गरम होने लगा और मेरी बेचैनी बढ़ने लगी। नीचे उनका लण्ड मेरी चूत पे रगड़ रहा था। मैं बेचैन होकर अपनी कमर को उचकाने लगी। मेरी चूत से पानी बह रहा था।
मैं- उऊहह… म्*म्म्मम… आआअहह… काम्म्म्मिी छ्छाचाअ… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… ऊऊऊओह… कर रही थी।
कामीचाचा- क्या हुआ मेरी रांड़?
मैं- “काम्म्मीई चाचहा… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… कुछ करो…”
कामीचाचा- क्या करूँ मैं? चोद दूँ तुझे?
मैं- हान्न्*न…
कामीचाचा- अगर तेरी चूत फट गई तो फिर?
मैं- कोई बात नहीं, फटने दो। प्लीज़्ज़… इसको अंदर डाल्ल दो।
कामीचाचा- तुझे मैं तब चोदूँगा जब तू मेरी रंडी बनेगी।
मैं- हान्न्*ण… मैं रंडी बनूँगी।
कामीचाचा- मैं जिससे बोलूंगा चुदवाएगी?
मैं- हाआनन्न।
चाचा ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं मदहोशी में उनके होंठों को चूम चाट रही थी। उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पे रखा हुआ था। तभी उन्होंने मेरे होंठों को अपने मुँह में भरकर एक जोर का धक्का मारा। उनका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ मेरी सील से जा टकराया। मेरी आँखें बाहर आ गई और मेरे मुँह से जोर की चीख चाचा के मुँह में ही दब गई। आँखों से आँसू निकलने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने मोटा रोड मेरी चूत में घुसा दिया हो।
तभी चाचा ने लण्ड टोपी तक बाहर निकाला, मेरे होंठों को छोड़ दिया और पूरे जोर से लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। आवाज बंद हो गई और मैं बेहोश सी होने लगी। तभी उन्होंने कसकर 3-4 धक्के और लगाये और उनका पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर मेरी बच्चेदानी से टकरा गया।
मेरा दिमाग़ झन्ना गया और मैं बेहोशी से वापस होश में आ गई और जोर से चीख पड़ी। और जोर-जोर से रोने लगी- “आआआह्ह… उउफफफ्फ़… चाचा… आआअह्ह… अम्म्म्मीई। मुझे बचाओ… आआआईई… मैं मर जाऊँगी चाचा… आआअहह… उउइईई…” मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे। चाचा मेरी चूचियां को फिर से चूमने चाटने लगे। मैं दर्द से कराह रही थी।
कामीचाचा- बस मेरी जान हो गया। तूने मेरा पूरा लण्ड ले लिया है। जितना दर्द होना था हो गया। अब मजा लेगी तू सारी ज़िंदगी।
मैं- चाचाअ… प्लीज़ बाहर निकाल लो। मैं मर जाऊँगी… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ मुझे छोड़ दो।
लेकिन उनकी गिरफ़्त इतनी सख़्त थी कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। और केवल उउफफफ्फ़… आआअहह… ऊऊऊओह… करके सिसकारियां ले रही थी। धीरे-धीरे मेरा दर्द कम होने लगा। और मेरी चूत फिर से गीली होने लगी। मैंने अपनी बाहें फिर से चाचा के गिर्द कस लीं।
चाचा को भी पता चल गया कि मुझे मजा आ रहा है। उन्होंने आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। वो 2-3 इंच लण्ड बाहर निकालते और फिर से पूरा अंदर डाल देते। जैसे ही उनका लण्ड अंदर आता। मेरे मुँह से आआआह्ह… निकल जाती। मेरी चूत में अभी भी बहुत दर्द था लेकिन उसके साथ मजा भी आ रहा था।
चाचा ने 10 मिनट तक बड़े आराम से चोदा, और मेरा पानी निकल गया। मैं उस वक्त आसमान में उड़ रही थी। इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ। मैंने चाचा के गिर्द अपनी टांगों को लपेट लिया। वो मुझे किस करते जा रहे थे और मुझे चोदते जा रहे थे। उन्होंने अपनी स्पीड अब बढ़ा दी और अपना आधे से ज्यादा लण्ड निकाल-निकालकर मुझे चोदने लगे।
5 मिनट बाद मैं दूसरी बार झड़ गई। मेरे मुँह से आआअह्ह… चाचा… ऊऊह्ह… उउम्म्म्मम… उउफफफ्फ़… उउईईई माँ आआआआ… ऊऊऊह्ह… और्रर तेज़्ज़्ज़्ज़ की आवाजें निकल रही थीं। और मैं उनको चूमे जा रही थी। मुझे आस-पास का कोई होश नहीं था। मैं बस मजे में डूबी जा रही थी। दिल चाह रहा था कि ये मजा कभी खतम ना हो। और चाचा भी कहाँ रुक रहे थे। वो एक तजर्बेकार आदमी मुझे एक ही आसन में चोदे जा रहे थे।
उनका लण्ड जड़ तक मेरे अंदर समा रहा था। मेरा जिश्म अजीब सी तरंग से भर गया था। मैं अपनी कमर उठाकर उनका साथ दे रही थी। उन्होंने पूरा 30 मिनट तक मुझे तेजी से चोदा और मेरे अंदर ही झड़ गए। इस बीच मैं दो बार झड़ी थी। चाचा झड़ने के बाद मेरे ऊपर गिर कर लंबी-लंबी सांसें लेने लगे।
मैं उनके बालों में उंगलियां फेर रही थी, और उनके गालों पे किस कर रही थी। हमारा जिश्म पशीने से भीग चुका था। 5 मिनट बाद वो मेरे ऊपर से हटकर बराबर में लेट गए। मेरे जेहन में एक सुकून सा छा गया और मैं वैसे ही टांगें फैलाए बेसुध सी लेटी रही। पता नहीं कितनी देर हो गई।
फिर चाचा ने मुझे आवाज दी- रंडी सो गई है क्या?
मैं- उउन्न्नह… क्या हुआ चाचा?
कामीचाचा- क्यों मजा आया?
मुझे शरम सी आने लगी। मैंने चाचा की तरफ देखा और मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। वो तो मेरी इस अदा पे जैसे खिल गए।
चाचा- रंडी, अभी तो बड़े मजे से चुदवा रही थी। अब शर्मा रही है। उन्होंने मुझे करवट दिला कर पीछे से चिपका लिया। उनका लण्ड अभी भी आधा-खड़ा होकर मेरे चूतरों से टकरा रहा था।
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