FUN-MAZA-MASTI
मैं बोली- आज तक मैंने अपनी गाण्ड एक ही बार मरवाई है, आज तू इसको दुबारा चोद दे।
वो बोला- चल मेरी रानी.. कुतिया बन जा।
तो मैं कुतिया की तरह उसके सामने अपनी गाण्ड खोल कर बैठ गई।
उसने ढेर सारा थूक लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया, फिर उसने अपना सुपारा मेरी गाण्ड के छेद पर टिकाया और एक जोर का धक्का मारा।
‘आईईइ..’ मैं जोर से चिल्लाई।
एक ही झटके में उसने अपना पूरा लन्ड मेरी गाण्ड के अन्दर डाल दिया।
मैं रोने लगी,’छोड़ दो मुझे.. आह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज़ उईईईईइ.. मैं मर गई।’
वो मेरे चूतड़ों को धीरे-धीरे सहला रहा था।
फिर उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और फिर एक और जोर का धक्का दे दिया।
मैं फिर चिल्लाई लेकिन इस बार वो नहीं रुका और धक्के पे धक्का मारने लगा।
मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं रो रही थी, लेकिन वो कमीना नहीं रुका और धक्के पे धक्का लगाता ही गया।
करीब 10 मिनट के बाद मेरा दर्द दूर हुआ।
मेरी गाण्ड में से ‘फ़चक… फ़चक…’ की आवाज आ रही थी।
आख़िरकार दुबारा मुझे मोटे लण्ड से गाण्ड मरवाने का सपना पूरा हुआ था।
अब मेरा दर्द पूरा गायब हो गया था और मुझे बड़ा मजा आने लगा था।
अब मैं मस्ती में चिल्ला रही थी- आह्ह्ह्ह्ह.. मेरे राजा.. फाड़ दे मेरी गाण्ड को.. आहहहह और जोर से आहहहह… मुझे अपनी रन्डी की तरह चोद..उईईईईईई…
तभी उसने अपना लन्ड मेरी गाण्ड में से निकाला और मेरे नीचे आ गया।
मैं समझ गई और उसके ऊपर चढ़ गई, मैंने उसका लन्ड पकड़ लिया और अपनी गाण्ड के छेद पे सैट कर लिया और धक्का दिया।
इस बार उसका लौड़ा बड़े आराम से मेरी गाण्ड के अन्दर चला गया।
अब मैं उसके लन्ड के ऊपर मेरी गाण्ड पटक-पटक कर चुदने लगी। वो भी नीचे से धक्के मार रहा था।
‘फ़चक… फ़चक’ पूरे कमरे में यही आवाज आ रही थी।
मुझे उसकी रन्डी बन कर बहुत मजा आ रहा था।
वो मेरी गाण्ड फाड़ता रहा।
फिर जय बोला- रानी मैं झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?
मैंने कहा- मेरी गाण्ड में ही छोड़ दो।
तो वो जोर-जोर से धक्के मारते-मारते मेरी गाण्ड के अन्दर ही झड़ गया।
फिर मैं उठी और जय के लण्ड को रूमाल से साफ किया फिर अपनी चूत पोंछी। जय के वीर्य से रूमाल पूरा भीग गया था।
वो बोला- तुम थोड़ा आराम कर लो। उसके बाद चूत मारूँगा.. चुदोगी न।
मैं बोली- ऐसे लवड़े से कौन नहीं चुदना चाहेगा.. मेरे जयदीप आज में तेरी रन्डी हूँ.. तू जैसे चाहे मुझे चोद ले।
मेरी ब्रा-पैन्टी तो पहले ही फट चुकी थी। मै वैसे ही नाईटी पहन कर जय के बगल में जा लेटी।
जय भी कपड़े पहन चुका था और उसने फोन करके काफी के लिए बोला।
फिर हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर घन्टी बजी।
जय ने दरवाजा खोला, वेटर काफी ले आया था।
काफी और सिगरेट रख बोला- सर कुछ और? जय बोला- नहीं.. जाओ।
वो चला गया।
जय सोफे पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा और मुझे भी सोफे पर बुला लिया।
मैं जय से सट कर बैठ काफी पीने लगी। कुछ देर बाद जय बोला- चुदोगी.. तैयार हो?
मै बोली- बिल्कुल.. आप का साथ देने को तैयार हूँ।
मुझे बाँहों में लेकर बोला- बहुत हसीन दिख रही हो रानी।
मैंने उसके गले में बाहें डालते हुए उसके होंठों पर होंठ रखते हुए जयदीप के होंठ पीने लगी।
तभी जय ने मेरी नाईटी खोल दी और मेरे मम्मे दबाने लगा।
मैं ‘सी..सी’ कर रही थी।
वो मेरा निप्पल चूसने लगा और मैं गर्म होने लगी।
फिर जय ने नाईटी उतार फेंकी, मैं जयदीप के सामने नंगी होकर बिस्तर पर लहराने लगी।
‘हाय मेरी जान नेहा.. बहुत मस्त माल हो.. जी चाहता है.. कच्चा खा जाऊँ’ मेरी चूची चूसते और चाटते हुए नीचे की तरफ जाने लगा।
मेरा बदन वासना से जलने लगा। ऐसे कामुक अंदाज़ कभी नहीं अपनाए थे, किसी ने मेरे बदन पर ऐसे खेल नहीं खेला था।
जब जय ने मेरी नाभि चाटी, मैं कूल्हे उठाने लगी।
उसने मेरी चूत के पास अपनी जीभ घुमाई और बोला- वाह.. कितनी प्यारी फ़ुद्दी है.. कितनी चिकनी की हुई है।
वो मेरी फ़ुद्दी चाटने लगा तो मुझे लगा कि मैं वैसे ही झड़ जाऊँगी, पर मैंने उसको नहीं रोका।
वो मुझे उल्टा लिटा कर मेरे पीठ कमर और चूतड़ों को चाटने लगा।
मैं वासना से सिसकार उठी, ऐसे मर्द के साथ पहली बार थी जो औरत को इतना सुख देता हो।
अब वो अपना मोटा लंड मेरे होंठों पर फिरा कर बोला- चल अब लौड़ा चाट।
मैं भी पूरी रंडी बन कर दिखाना चाहती थी।
उसकी आँखों में देखते हुए मैं नीचे से उसके लौड़े को जुबान से चाटते हुए सुपारे तक गई, वहाँ से जीभ घुमा कर लौड़ा चूसा।
‘हाय मेरी रानी.. मजे से चाट-चूम.. जो तेरा दिल आए कर.. इसके साथ।’
उसका आठ इंची लौड़ा सलामी दे देकर मेरे अरमान जगा रहा था। मैं खूब खेल रही थी।
फ़िर बोला- चल एक साथ करते हैं।
69 में आकर मैं उसके लौड़े को चूसने लगी, वो मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगा।
उंगली से फैला कर दाने को रगड़ते हुए बोला- वैसे काफी ठुकवाई है तुमने।
‘आपको किसने कह दिया जनाब?’
‘तेरी फ़ुद्दी बोल रही है..हम भी बहुत बड़े शिकारी हैं नेहा रानी।’
मैं कुछ बोलने के बजाय मुस्कुरा दी, कुछ देर एक-दूजे के अंगों को चूमते रहे।
फिर जय ने मेरी टांगें उठा दीं और अपने मोटे लौड़े को धीरे-धीरे से चूत में घुसेड़ने लगा।
मुझे सच में दर्द हुआ, काफी मोटा था।
‘कैसी लगी फ़ुद्दी? खुली या सही?’
‘नहीं.. नहीं..सही है रानी।’
उसने एकदम से पूरा झटका दिया, मेरी सिसकारी निकल गई- आ आऊ ऊऊऊउ छ्हह्ह्ह।
वो जोर जोर से पेलने लगा, मैं सिसक सिसक कर उसका पूरा साथ दे रही थी।
जयदीप ने मेरी टांगों को हाथों में पकड़ लिया और वार पर वार करने लगा। इससे पूरा लौड़ा घुसता था। कभी मुझे घोड़ी बनाता, कभी टांगें उठा-उठा कर मेरी लेता रहा।
बहुत देर बाद जब उसका निकलने वाला था तो उसने पूछा- कहाँ निकालूँ रानी.. जल्दी बोलो?
मैं बोली- रुको मत.. जो करना है..करो मेरे राजा.. हाय.. जोर-जोर से करो ना..।
उसने अपना पूरा बीज मेरे पेट में बो दिया, मैंने उसका गीला लौड़ा चाट-चाट कर पूरा साफ़ कर डाला।
‘मजा आया..?’
‘हाँ.. बहुत मुझे आज तक किसी ने नहीं ऐसा नहीं चोदा था।’
‘बहुत मस्त माल है तू.. नेहा मुझे बहुत पसंद आई.. तेरे चूतड़ बहुत मस्त हैं।’ मेरी गाण्ड पर थपकी लगाते हुए बोला।
एकदम से दोनों चूतड़ फैला कर गाण्ड देखने लगा, ‘इसमें भी एक बार फिर से करने का मन है।’
‘आपको जो ठीक लगा.. करो, आज मैं सिर्फ आप की हूँ।’
उसने मेरे चूतड़ों को थपकी देते हुए फैलाया, छेद पर थूका और पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया।
उसका लौड़ा फिर से खड़ा था।
उसने जोर से लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और पेलने लगा।
‘हाय फट गई मेरी.. मत करो।’
लेकिन उसने पूरी मर्दानगी मेरी गाण्ड पर उतार दी.. जोर-जोर से गाण्ड मारी और झड़ गया।
पूरी रात जयदीप ने मुझे जम कर चोदा और मेरे बदन का पोर-पोर हिला दिया, मेरा अंग-अंग ढीला कर दिया।
फिर मुझे नींद आ गई।
मुझे पता ही न चला कि कब सुबह के 6:30 बज गए।
सुनील मुझे लेने आया था, तब पता चला। मैं उठी गुसलखाने जाकर फ्रेश हो कर बाहर आई।
सुनील ने पूछा- रात कैसी थी?
मैं क्या कहती.. बस ‘हँस’ दी।
फिर मैं और सुनील होटल से बाहर आए सुनील के साथ बाइक पर बैठ कर चल दी।
रास्ते में सुनील बोला- जयदीप जी बोल रहे थे कि नेहा बहुत मस्त लौंडिया है, उसकी शादी जरूर हुई है, पर बिल्कुल कोरा माल है.. दिल खुश कर दिया। उसे एक बार और नीचे लेने की इच्छा है।
मैं बोली- सुनील जी आपने क्या जवाब दिया?
सुनील हँसते हुए बोला- जान.. मैं भी यही बोला कि जब बोलो आपके लौड़े के नीचे ला देंगे, बस आपके एक इशारा चाहिए।
मैं आप लोगों को यहाँ फ़िर से एक बार बताना चाहती हूँ कि मेरी नई-नई शादी हुई थी, अभी तो ठीक से पति ने चोदा भी नहीं था, मैं कली से फूल भी नहीं हुई थी.. कि मुझे गैर मर्दों से चुदना पड़ा।
हालांकि इसमें मेरी भी मर्जी थी। मुझे नए-नए लौड़ों से चुदने की बड़ी इच्छा थी।
अब आगे कहानी पर आती हूँ।
सुनील से बातें करते-करते कब कमरे पर पहुँची, मुझे पता ही नहीं चला।
सुनील ने बाइक रोकी, तब पता चला कि हम लोग कमरे पर पहुँच गए।
मैं बाइक से उतर कर सीधे कमरे के अन्दर गई, वहाँ देखा कि आकाश बैठा था।
वो मुझे देख कर बोला- जान.. कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना?
मैं कुछ बोलती इससे पहले सुनील पीछे से बोला- मेरे रहते क्या दिक्कत होती।
तब आकाश बोले- सही बोले.. सुनील भाई आप हो, तो मुझे कोई परवाह नहीं।
सुनील थोड़ा मुस्कुराया।
फिर मेरे पति बोले- सुनील भाई, आज कोई मीटिंग मत रखना, आज मैं चाहता हूँ कि नेहा को कहीं घुमा लाऊँ।
तो सुनील बोले- ठीक है.. वैसे आज मुझे कुछ काम से मथुरा जाना था.. चलो आज आप लोग भी मौज-मस्ती करो, फिर शाम को मुलाकात होगी। मैं जाते वक्त नीचे चाय बोलता जाऊँगा।
सुनील के जाने के बाद हम लोग फ्रेश हुए तभी चाय वाला आया, हम दोनों ने चाय पी और फिर मेरे पति ने मुझसे पूछा- रात कैसी रही?
मैंने अपनी चुदाई की पूरी कहानी अपने पति आकाश को बताई कि रात क्या हुआ और मैं खूब चुदी।
मुझसे इस बातचीत के दौरान मेरे पति मेरे मम्मे दबा रहे थे और एक हाथ से चूत सहला रहे थे।
मेरा तो मन तो था ही नहीं…. क्योंकि पूरी रात की चुदाई से बिल्कुल थकी हुई थी, मेरी चूत भी सूखी थी, पर पति की इच्छा थी, सो मैं भी साथ दे रही थी।
पति रात की बात सुन इतना गर्म हो गए कि उन्होंने मेरी सूखी बुर में लंड पेल दिया और 10-15 धक्के लगा कर ‘पुल्ल-पुल्ल’ की और झड़ गए।
फिर मैं नहाने चली गई।
जब बाहर आई तो आकाश बोले- लग रहा कि मेरी तबियत ठीक नहीं है.. बुखार सा है।
जब मैंने देखा तो वाकयी बुखार था, मैं बोली- चलो डॉक्टर को दिखा कर दवा ले लो..
डाक्टर के पास जा दवा ली और दवा खा आकाश को आराम करने को बोली।
कुछ देर बाद जब दवाई ने असर किया तो आकाश बोले- अब कुछ ठीक है चलो, कहीं घूमने चलते हैं।
पर मैंने मना कर दिया- नहीं.. फिर कभी चलेंगे.. जब तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे। अभी अच्छा भी नहीं लगेगा कि तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है और मैं इसी वक्त घूमने जाऊँ।
तभी सुनील का फोन आया- आकाश जी मैं निकल रहा था.. सोचा कि एक बार पूछ लूँ.. कोई काम तो नहीं?
पति बोले- यार मुझे बुखार हो गया है और नेहा ने भी इसी कारण घूमने जाने से मना कर दिया है, एक बात कहूँ.. तुमको यदि ठीक लगे तो नेहा को अपने साथ ले जाते.. बेचारी तुम्हारे साथ ही घूम लेती।
सुनील बोला- भाई.. इसमें ठीक लगने की क्या बात.. मैं उधर से ही नेहा को लेते हुए निकल लूँगा।
सुनील के फोन रखने पर पति ने बताया- तुम तैयार हो जाओ.. सुनील आ रहे हैं तुम जाओ घूम आओ।
मैंने मना कर दिया- मैं आपको इस हालत में छोड़ कर नहीं जा सकती।
पर पति के जिद के आगे जाना पड़ा।
कुछ देर में सुनील आए और आकाश से बोले- मैं बाइक छोड़ देता हूँ, हो सकता है कि तुमको कोई जरुरत पड़े.. हम लोग बस से जाएंगे।
मैं और सुनील बस में चढ़े, पर बस में बहुत भीड़ थी, बड़ी मुश्किल से खड़े होने के लिए जगह बन पाई।
सुनील जी बोले- नेहा भीड़ बहुत है, दूसरी बस से चलें।
मैं बोली- अब बस में चढ़ चुके हैं तो इसी से चलो.. क्या पता दूसरी में भी यही हाल हो।
तभी बस चल पड़ी। बस में सुनील मेरे आगे थे, मैं उनके पीछे कुछ दूर थी।
बस चलने के बाद मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे चूतड़ पर हाथ सहला रहा है। मैंने भीड़ के कारण ध्यान नहीं दिया, पर जब मुझे लगा कि कोई सख्त चीज़ मेरी गाण्ड की दरार में चुभ रही है, तो मैंने पीछे हाथ कर देखना चाहा।
तो मेरे पीछे खड़े आदमी के पैंट पर हाथ चला गया और तभी मुझे उसके खड़े लण्ड का अहसास हुआ।
उस आदमी का लंड मोटा था और मैंने उसकी तरफ देख कर शरमा कर झट से अपना हाथ खींच लिया और उसके मोटे लंड के बारे में सोच कर मुझे एक शरारत सूझने लगी, मुझ पर वासना हावी होने लगी।
मैं अपने चूतड़ों को उसके लंड पर दबाने लगी। मैं जताना चाहती थी कि मैं बुरा नहीं मानूंगी।
तभी बस का ब्रेक लगा और अच्छा मौका जान कर उस आदमी ने मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी एक छाती को पकड़ लिया और जोर से मसल दिया।
मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई।
सुनील मेरी आह सुनकर पूछने लगे- क्या हुआ.. कोई दिक्कत तो नहीं?
मैंने ‘ना’ में सर हिला दिया, तब तक बस पुनः चल दी।
वो आदमी ने मेरे चूतड़ों को मसलने लगा, मैंने डर कर बस में इधर-उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा, पर भीड़ की वजह से सभी एक दूसरे से सटे हुए थे।
तभी उस आदमी ने मेरे कान में बोला- कोई दिक्कत न हो, तो थोड़ा इधर को आ जा..
मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने मुझे अपने से चिपका लिया, शायद वह समझ गया था कि मैं उसकी हरकतों से सहमत हूँ।
मैं एक लैगी पहने थी, उस आदमी ने मेरी लैगी के अन्दर हाथ डाल कर मेरी पैन्टी के बगल से चूत को सहलाते हुए एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी।
मैं चिहुंक उठी और मुँह से सिस्कारते हुए नशीली निगाहों से उसकी तरफ देखने लगी।
वो मेरी चूत में ऊँगली से चोदे जा रहा था।
तभी मैंने पीछे हाथ करके उसका लण्ड पकड़ लिया, फिर धीरे से उसकी जिप नीचे खींच दी और अन्दर हाथ डाला।
वो तो अन्दर कुछ नहीं पहने था.. मेरे हाथ का सीधा सामना उसके लौड़े से हुआ।
मैंने उस आदमी को देख कर आँख मार दी।
अब तो वो बिल्कुल समझ गया कि मेरे इरादे क्या हैं। उसके लंड को पकड़ कर मैं आगे-पीछे कर रही थी।
तभी उसने मेरा हाथ लौड़े से हटा दिया और मेरी लैगी को थोड़ा नीचे खींच मेरी चिकनी गाण्ड और चूत पर लौड़े को ऊपर-नीचे घिसने लगा।
बस में इतनी भीड़ थी कि कौन क्या कर रहा है, किसी को पता ही नहीं चल सकता था।
आदमी बस के साथ हिल-हिल कर अपना लंड मेरी चूत से रगड़ने लगा।
पैन्टी की वजह से उसका लंड चूत से ठीक से रगड़ नहीं पा रहा था तो मैंने थोड़ा सा झुक कर अपनी पैन्टी साइड में कर दी और उसके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लगा दिया।
अब उसका लंड मेरी चूत पर टक्कर मार रहा था और उसका लंड मेरी चूत के मुँह में घुसा हुआ मुझे धीरे-धीरे चोद रहा था।
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, मुझे लगा कि मैं उससे कह दूँ- डरो मत.. हचक कर चोदो मुझे.. दिल खोल कर चोद.. भूल जा कि मैं बस में हूँ।
वो एक हाथ से मेरी छाती को कुर्ती के अन्दर से मसक रहा था।
मेरी आँखें मुंद गईं.. मैं भूल गई कि मैं बस में हूँ।
उसने कुछ देर बाद एक-दो तेज झटके मारे और मेरी पैन्टी पर पूरा पानी छोड़ दिया।
मैं तो पहले ही अपना पानी छोड़ चुकी थी और मेरी चूत से पानी धीरे-धीरे रिस रहा था।
मेरी सारी पैन्टी ख़राब हो गई और उसने अपना लंड निकाल कर अपने रुमाल से पौंछ कर अन्दर कर लिया। मैंने बेमन से अपना पजामा और पैन्टी खींच कर सही किया।
तभी सुनील बोले- चलो स्टॉप आ गया..
बस रुकी, मैं और सुनील बस से उतर कर चल दिए।
सुनील बोले- यहाँ से कुछ दूर जाना है एक रिक्शा कर लेते हैं।
तभी सुनील की निगाह मेरे पिछवाड़े पर गई।
सुनील बोले- नेहा जान ये भीग कैसे गई?
मैंने नाटक करते हुए चौंकी- अरे…ये कैसे हुआ… मुझे पता ही नहीं चला?
तभी एक रिक्शा मिला सुनील और मैं उस पर बैठ गए। सुनील रिक्शे वाले को जहाँ जाना था वहाँ की बोले, फिर बगल से मेरी चूत पर हाथ रख कर गीलेपन को छू कर नाक से सूँघ कर बोले- वाह रानी.. काम निपटा लिया.. लग रहा है कि बस में तुम्हारे पीछे वाले ने चोद कर माल छोड़ा है?
मैं क्या कहती, पर सुनील से बोली- साले ने अपना रस तो निकाल लिया और मेरी चूत को प्यासी छोड़ दिया।
सुनील ने मेरी तरफ प्यार से देखा।
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दिल खोल कर चुदाई -3
उसने अपना लन्ड मेरे मुँह में से निकाला और बोला- बोल साली पहले रन्डी किधर डालूँ?मैं बोली- आज तक मैंने अपनी गाण्ड एक ही बार मरवाई है, आज तू इसको दुबारा चोद दे।
वो बोला- चल मेरी रानी.. कुतिया बन जा।
तो मैं कुतिया की तरह उसके सामने अपनी गाण्ड खोल कर बैठ गई।
उसने ढेर सारा थूक लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर लगा दिया, फिर उसने अपना सुपारा मेरी गाण्ड के छेद पर टिकाया और एक जोर का धक्का मारा।
‘आईईइ..’ मैं जोर से चिल्लाई।
एक ही झटके में उसने अपना पूरा लन्ड मेरी गाण्ड के अन्दर डाल दिया।
मैं रोने लगी,’छोड़ दो मुझे.. आह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज़ उईईईईइ.. मैं मर गई।’
वो मेरे चूतड़ों को धीरे-धीरे सहला रहा था।
फिर उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और फिर एक और जोर का धक्का दे दिया।
मैं फिर चिल्लाई लेकिन इस बार वो नहीं रुका और धक्के पे धक्का मारने लगा।
करीब 10 मिनट के बाद मेरा दर्द दूर हुआ।
मेरी गाण्ड में से ‘फ़चक… फ़चक…’ की आवाज आ रही थी।
आख़िरकार दुबारा मुझे मोटे लण्ड से गाण्ड मरवाने का सपना पूरा हुआ था।
अब मेरा दर्द पूरा गायब हो गया था और मुझे बड़ा मजा आने लगा था।
अब मैं मस्ती में चिल्ला रही थी- आह्ह्ह्ह्ह.. मेरे राजा.. फाड़ दे मेरी गाण्ड को.. आहहहह और जोर से आहहहह… मुझे अपनी रन्डी की तरह चोद..उईईईईईई…
तभी उसने अपना लन्ड मेरी गाण्ड में से निकाला और मेरे नीचे आ गया।
मैं समझ गई और उसके ऊपर चढ़ गई, मैंने उसका लन्ड पकड़ लिया और अपनी गाण्ड के छेद पे सैट कर लिया और धक्का दिया।
इस बार उसका लौड़ा बड़े आराम से मेरी गाण्ड के अन्दर चला गया।
अब मैं उसके लन्ड के ऊपर मेरी गाण्ड पटक-पटक कर चुदने लगी। वो भी नीचे से धक्के मार रहा था।
‘फ़चक… फ़चक’ पूरे कमरे में यही आवाज आ रही थी।
मुझे उसकी रन्डी बन कर बहुत मजा आ रहा था।
वो मेरी गाण्ड फाड़ता रहा।
फिर जय बोला- रानी मैं झड़ने वाला हूँ.. कहाँ निकालूँ?
मैंने कहा- मेरी गाण्ड में ही छोड़ दो।
तो वो जोर-जोर से धक्के मारते-मारते मेरी गाण्ड के अन्दर ही झड़ गया।
फिर मैं उठी और जय के लण्ड को रूमाल से साफ किया फिर अपनी चूत पोंछी। जय के वीर्य से रूमाल पूरा भीग गया था।
वो बोला- तुम थोड़ा आराम कर लो। उसके बाद चूत मारूँगा.. चुदोगी न।
मैं बोली- ऐसे लवड़े से कौन नहीं चुदना चाहेगा.. मेरे जयदीप आज में तेरी रन्डी हूँ.. तू जैसे चाहे मुझे चोद ले।
मेरी ब्रा-पैन्टी तो पहले ही फट चुकी थी। मै वैसे ही नाईटी पहन कर जय के बगल में जा लेटी।
जय भी कपड़े पहन चुका था और उसने फोन करके काफी के लिए बोला।
फिर हम दोनों बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर घन्टी बजी।
जय ने दरवाजा खोला, वेटर काफी ले आया था।
काफी और सिगरेट रख बोला- सर कुछ और? जय बोला- नहीं.. जाओ।
वो चला गया।
जय सोफे पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा और मुझे भी सोफे पर बुला लिया।
मैं जय से सट कर बैठ काफी पीने लगी। कुछ देर बाद जय बोला- चुदोगी.. तैयार हो?
मै बोली- बिल्कुल.. आप का साथ देने को तैयार हूँ।
मुझे बाँहों में लेकर बोला- बहुत हसीन दिख रही हो रानी।
मैंने उसके गले में बाहें डालते हुए उसके होंठों पर होंठ रखते हुए जयदीप के होंठ पीने लगी।
तभी जय ने मेरी नाईटी खोल दी और मेरे मम्मे दबाने लगा।
मैं ‘सी..सी’ कर रही थी।
वो मेरा निप्पल चूसने लगा और मैं गर्म होने लगी।
फिर जय ने नाईटी उतार फेंकी, मैं जयदीप के सामने नंगी होकर बिस्तर पर लहराने लगी।
‘हाय मेरी जान नेहा.. बहुत मस्त माल हो.. जी चाहता है.. कच्चा खा जाऊँ’ मेरी चूची चूसते और चाटते हुए नीचे की तरफ जाने लगा।
मेरा बदन वासना से जलने लगा। ऐसे कामुक अंदाज़ कभी नहीं अपनाए थे, किसी ने मेरे बदन पर ऐसे खेल नहीं खेला था।
जब जय ने मेरी नाभि चाटी, मैं कूल्हे उठाने लगी।
उसने मेरी चूत के पास अपनी जीभ घुमाई और बोला- वाह.. कितनी प्यारी फ़ुद्दी है.. कितनी चिकनी की हुई है।
वो मेरी फ़ुद्दी चाटने लगा तो मुझे लगा कि मैं वैसे ही झड़ जाऊँगी, पर मैंने उसको नहीं रोका।
वो मुझे उल्टा लिटा कर मेरे पीठ कमर और चूतड़ों को चाटने लगा।
मैं वासना से सिसकार उठी, ऐसे मर्द के साथ पहली बार थी जो औरत को इतना सुख देता हो।
अब वो अपना मोटा लंड मेरे होंठों पर फिरा कर बोला- चल अब लौड़ा चाट।
मैं भी पूरी रंडी बन कर दिखाना चाहती थी।
उसकी आँखों में देखते हुए मैं नीचे से उसके लौड़े को जुबान से चाटते हुए सुपारे तक गई, वहाँ से जीभ घुमा कर लौड़ा चूसा।
‘हाय मेरी रानी.. मजे से चाट-चूम.. जो तेरा दिल आए कर.. इसके साथ।’
उसका आठ इंची लौड़ा सलामी दे देकर मेरे अरमान जगा रहा था। मैं खूब खेल रही थी।
फ़िर बोला- चल एक साथ करते हैं।
69 में आकर मैं उसके लौड़े को चूसने लगी, वो मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगा।
उंगली से फैला कर दाने को रगड़ते हुए बोला- वैसे काफी ठुकवाई है तुमने।
‘आपको किसने कह दिया जनाब?’
‘तेरी फ़ुद्दी बोल रही है..हम भी बहुत बड़े शिकारी हैं नेहा रानी।’
मैं कुछ बोलने के बजाय मुस्कुरा दी, कुछ देर एक-दूजे के अंगों को चूमते रहे।
फिर जय ने मेरी टांगें उठा दीं और अपने मोटे लौड़े को धीरे-धीरे से चूत में घुसेड़ने लगा।
मुझे सच में दर्द हुआ, काफी मोटा था।
‘कैसी लगी फ़ुद्दी? खुली या सही?’
‘नहीं.. नहीं..सही है रानी।’
उसने एकदम से पूरा झटका दिया, मेरी सिसकारी निकल गई- आ आऊ ऊऊऊउ छ्हह्ह्ह।
वो जोर जोर से पेलने लगा, मैं सिसक सिसक कर उसका पूरा साथ दे रही थी।
जयदीप ने मेरी टांगों को हाथों में पकड़ लिया और वार पर वार करने लगा। इससे पूरा लौड़ा घुसता था। कभी मुझे घोड़ी बनाता, कभी टांगें उठा-उठा कर मेरी लेता रहा।
बहुत देर बाद जब उसका निकलने वाला था तो उसने पूछा- कहाँ निकालूँ रानी.. जल्दी बोलो?
मैं बोली- रुको मत.. जो करना है..करो मेरे राजा.. हाय.. जोर-जोर से करो ना..।
उसने अपना पूरा बीज मेरे पेट में बो दिया, मैंने उसका गीला लौड़ा चाट-चाट कर पूरा साफ़ कर डाला।
‘मजा आया..?’
‘हाँ.. बहुत मुझे आज तक किसी ने नहीं ऐसा नहीं चोदा था।’
‘बहुत मस्त माल है तू.. नेहा मुझे बहुत पसंद आई.. तेरे चूतड़ बहुत मस्त हैं।’ मेरी गाण्ड पर थपकी लगाते हुए बोला।
एकदम से दोनों चूतड़ फैला कर गाण्ड देखने लगा, ‘इसमें भी एक बार फिर से करने का मन है।’
‘आपको जो ठीक लगा.. करो, आज मैं सिर्फ आप की हूँ।’
उसने मेरे चूतड़ों को थपकी देते हुए फैलाया, छेद पर थूका और पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया।
उसका लौड़ा फिर से खड़ा था।
उसने जोर से लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और पेलने लगा।
‘हाय फट गई मेरी.. मत करो।’
लेकिन उसने पूरी मर्दानगी मेरी गाण्ड पर उतार दी.. जोर-जोर से गाण्ड मारी और झड़ गया।
पूरी रात जयदीप ने मुझे जम कर चोदा और मेरे बदन का पोर-पोर हिला दिया, मेरा अंग-अंग ढीला कर दिया।
फिर मुझे नींद आ गई।
मुझे पता ही न चला कि कब सुबह के 6:30 बज गए।
सुनील मुझे लेने आया था, तब पता चला। मैं उठी गुसलखाने जाकर फ्रेश हो कर बाहर आई।
सुनील ने पूछा- रात कैसी थी?
मैं क्या कहती.. बस ‘हँस’ दी।
फिर मैं और सुनील होटल से बाहर आए सुनील के साथ बाइक पर बैठ कर चल दी।
रास्ते में सुनील बोला- जयदीप जी बोल रहे थे कि नेहा बहुत मस्त लौंडिया है, उसकी शादी जरूर हुई है, पर बिल्कुल कोरा माल है.. दिल खुश कर दिया। उसे एक बार और नीचे लेने की इच्छा है।
मैं बोली- सुनील जी आपने क्या जवाब दिया?
सुनील हँसते हुए बोला- जान.. मैं भी यही बोला कि जब बोलो आपके लौड़े के नीचे ला देंगे, बस आपके एक इशारा चाहिए।
मैं आप लोगों को यहाँ फ़िर से एक बार बताना चाहती हूँ कि मेरी नई-नई शादी हुई थी, अभी तो ठीक से पति ने चोदा भी नहीं था, मैं कली से फूल भी नहीं हुई थी.. कि मुझे गैर मर्दों से चुदना पड़ा।
हालांकि इसमें मेरी भी मर्जी थी। मुझे नए-नए लौड़ों से चुदने की बड़ी इच्छा थी।
अब आगे कहानी पर आती हूँ।
सुनील से बातें करते-करते कब कमरे पर पहुँची, मुझे पता ही नहीं चला।
सुनील ने बाइक रोकी, तब पता चला कि हम लोग कमरे पर पहुँच गए।
मैं बाइक से उतर कर सीधे कमरे के अन्दर गई, वहाँ देखा कि आकाश बैठा था।
वो मुझे देख कर बोला- जान.. कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना?
मैं कुछ बोलती इससे पहले सुनील पीछे से बोला- मेरे रहते क्या दिक्कत होती।
तब आकाश बोले- सही बोले.. सुनील भाई आप हो, तो मुझे कोई परवाह नहीं।
फिर मेरे पति बोले- सुनील भाई, आज कोई मीटिंग मत रखना, आज मैं चाहता हूँ कि नेहा को कहीं घुमा लाऊँ।
तो सुनील बोले- ठीक है.. वैसे आज मुझे कुछ काम से मथुरा जाना था.. चलो आज आप लोग भी मौज-मस्ती करो, फिर शाम को मुलाकात होगी। मैं जाते वक्त नीचे चाय बोलता जाऊँगा।
सुनील के जाने के बाद हम लोग फ्रेश हुए तभी चाय वाला आया, हम दोनों ने चाय पी और फिर मेरे पति ने मुझसे पूछा- रात कैसी रही?
मैंने अपनी चुदाई की पूरी कहानी अपने पति आकाश को बताई कि रात क्या हुआ और मैं खूब चुदी।
मुझसे इस बातचीत के दौरान मेरे पति मेरे मम्मे दबा रहे थे और एक हाथ से चूत सहला रहे थे।
मेरा तो मन तो था ही नहीं…. क्योंकि पूरी रात की चुदाई से बिल्कुल थकी हुई थी, मेरी चूत भी सूखी थी, पर पति की इच्छा थी, सो मैं भी साथ दे रही थी।
पति रात की बात सुन इतना गर्म हो गए कि उन्होंने मेरी सूखी बुर में लंड पेल दिया और 10-15 धक्के लगा कर ‘पुल्ल-पुल्ल’ की और झड़ गए।
फिर मैं नहाने चली गई।
जब बाहर आई तो आकाश बोले- लग रहा कि मेरी तबियत ठीक नहीं है.. बुखार सा है।
जब मैंने देखा तो वाकयी बुखार था, मैं बोली- चलो डॉक्टर को दिखा कर दवा ले लो..
डाक्टर के पास जा दवा ली और दवा खा आकाश को आराम करने को बोली।
कुछ देर बाद जब दवाई ने असर किया तो आकाश बोले- अब कुछ ठीक है चलो, कहीं घूमने चलते हैं।
पर मैंने मना कर दिया- नहीं.. फिर कभी चलेंगे.. जब तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे। अभी अच्छा भी नहीं लगेगा कि तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है और मैं इसी वक्त घूमने जाऊँ।
तभी सुनील का फोन आया- आकाश जी मैं निकल रहा था.. सोचा कि एक बार पूछ लूँ.. कोई काम तो नहीं?
पति बोले- यार मुझे बुखार हो गया है और नेहा ने भी इसी कारण घूमने जाने से मना कर दिया है, एक बात कहूँ.. तुमको यदि ठीक लगे तो नेहा को अपने साथ ले जाते.. बेचारी तुम्हारे साथ ही घूम लेती।
सुनील बोला- भाई.. इसमें ठीक लगने की क्या बात.. मैं उधर से ही नेहा को लेते हुए निकल लूँगा।
सुनील के फोन रखने पर पति ने बताया- तुम तैयार हो जाओ.. सुनील आ रहे हैं तुम जाओ घूम आओ।
मैंने मना कर दिया- मैं आपको इस हालत में छोड़ कर नहीं जा सकती।
पर पति के जिद के आगे जाना पड़ा।
कुछ देर में सुनील आए और आकाश से बोले- मैं बाइक छोड़ देता हूँ, हो सकता है कि तुमको कोई जरुरत पड़े.. हम लोग बस से जाएंगे।
मैं और सुनील बस में चढ़े, पर बस में बहुत भीड़ थी, बड़ी मुश्किल से खड़े होने के लिए जगह बन पाई।
सुनील जी बोले- नेहा भीड़ बहुत है, दूसरी बस से चलें।
मैं बोली- अब बस में चढ़ चुके हैं तो इसी से चलो.. क्या पता दूसरी में भी यही हाल हो।
तभी बस चल पड़ी। बस में सुनील मेरे आगे थे, मैं उनके पीछे कुछ दूर थी।
बस चलने के बाद मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे चूतड़ पर हाथ सहला रहा है। मैंने भीड़ के कारण ध्यान नहीं दिया, पर जब मुझे लगा कि कोई सख्त चीज़ मेरी गाण्ड की दरार में चुभ रही है, तो मैंने पीछे हाथ कर देखना चाहा।
तो मेरे पीछे खड़े आदमी के पैंट पर हाथ चला गया और तभी मुझे उसके खड़े लण्ड का अहसास हुआ।
उस आदमी का लंड मोटा था और मैंने उसकी तरफ देख कर शरमा कर झट से अपना हाथ खींच लिया और उसके मोटे लंड के बारे में सोच कर मुझे एक शरारत सूझने लगी, मुझ पर वासना हावी होने लगी।
मैं अपने चूतड़ों को उसके लंड पर दबाने लगी। मैं जताना चाहती थी कि मैं बुरा नहीं मानूंगी।
तभी बस का ब्रेक लगा और अच्छा मौका जान कर उस आदमी ने मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी एक छाती को पकड़ लिया और जोर से मसल दिया।
मेरे मुँह से ‘आह’ निकल गई।
सुनील मेरी आह सुनकर पूछने लगे- क्या हुआ.. कोई दिक्कत तो नहीं?
मैंने ‘ना’ में सर हिला दिया, तब तक बस पुनः चल दी।
वो आदमी ने मेरे चूतड़ों को मसलने लगा, मैंने डर कर बस में इधर-उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा, पर भीड़ की वजह से सभी एक दूसरे से सटे हुए थे।
तभी उस आदमी ने मेरे कान में बोला- कोई दिक्कत न हो, तो थोड़ा इधर को आ जा..
मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने मुझे अपने से चिपका लिया, शायद वह समझ गया था कि मैं उसकी हरकतों से सहमत हूँ।
मैं एक लैगी पहने थी, उस आदमी ने मेरी लैगी के अन्दर हाथ डाल कर मेरी पैन्टी के बगल से चूत को सहलाते हुए एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी।
मैं चिहुंक उठी और मुँह से सिस्कारते हुए नशीली निगाहों से उसकी तरफ देखने लगी।
वो मेरी चूत में ऊँगली से चोदे जा रहा था।
तभी मैंने पीछे हाथ करके उसका लण्ड पकड़ लिया, फिर धीरे से उसकी जिप नीचे खींच दी और अन्दर हाथ डाला।
वो तो अन्दर कुछ नहीं पहने था.. मेरे हाथ का सीधा सामना उसके लौड़े से हुआ।
मैंने उस आदमी को देख कर आँख मार दी।
अब तो वो बिल्कुल समझ गया कि मेरे इरादे क्या हैं। उसके लंड को पकड़ कर मैं आगे-पीछे कर रही थी।
तभी उसने मेरा हाथ लौड़े से हटा दिया और मेरी लैगी को थोड़ा नीचे खींच मेरी चिकनी गाण्ड और चूत पर लौड़े को ऊपर-नीचे घिसने लगा।
बस में इतनी भीड़ थी कि कौन क्या कर रहा है, किसी को पता ही नहीं चल सकता था।
आदमी बस के साथ हिल-हिल कर अपना लंड मेरी चूत से रगड़ने लगा।
पैन्टी की वजह से उसका लंड चूत से ठीक से रगड़ नहीं पा रहा था तो मैंने थोड़ा सा झुक कर अपनी पैन्टी साइड में कर दी और उसके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लगा दिया।
अब उसका लंड मेरी चूत पर टक्कर मार रहा था और उसका लंड मेरी चूत के मुँह में घुसा हुआ मुझे धीरे-धीरे चोद रहा था।
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, मुझे लगा कि मैं उससे कह दूँ- डरो मत.. हचक कर चोदो मुझे.. दिल खोल कर चोद.. भूल जा कि मैं बस में हूँ।
वो एक हाथ से मेरी छाती को कुर्ती के अन्दर से मसक रहा था।
मेरी आँखें मुंद गईं.. मैं भूल गई कि मैं बस में हूँ।
उसने कुछ देर बाद एक-दो तेज झटके मारे और मेरी पैन्टी पर पूरा पानी छोड़ दिया।
मैं तो पहले ही अपना पानी छोड़ चुकी थी और मेरी चूत से पानी धीरे-धीरे रिस रहा था।
मेरी सारी पैन्टी ख़राब हो गई और उसने अपना लंड निकाल कर अपने रुमाल से पौंछ कर अन्दर कर लिया। मैंने बेमन से अपना पजामा और पैन्टी खींच कर सही किया।
तभी सुनील बोले- चलो स्टॉप आ गया..
बस रुकी, मैं और सुनील बस से उतर कर चल दिए।
सुनील बोले- यहाँ से कुछ दूर जाना है एक रिक्शा कर लेते हैं।
तभी सुनील की निगाह मेरे पिछवाड़े पर गई।
सुनील बोले- नेहा जान ये भीग कैसे गई?
मैंने नाटक करते हुए चौंकी- अरे…ये कैसे हुआ… मुझे पता ही नहीं चला?
तभी एक रिक्शा मिला सुनील और मैं उस पर बैठ गए। सुनील रिक्शे वाले को जहाँ जाना था वहाँ की बोले, फिर बगल से मेरी चूत पर हाथ रख कर गीलेपन को छू कर नाक से सूँघ कर बोले- वाह रानी.. काम निपटा लिया.. लग रहा है कि बस में तुम्हारे पीछे वाले ने चोद कर माल छोड़ा है?
मैं क्या कहती, पर सुनील से बोली- साले ने अपना रस तो निकाल लिया और मेरी चूत को प्यासी छोड़ दिया।
सुनील ने मेरी तरफ प्यार से देखा।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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