Monday, December 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI दिल खोल कर चुदाई -4

FUN-MAZA-MASTI

दिल खोल कर चुदाई -4

 तभी सुनील बोले- चलो स्टॉप आ गया..
बस रुकी, मैं और सुनील बस से उतर कर चल दिए।
सुनील बोले- यहाँ से कुछ दूर जाना है एक रिक्शा कर लेते हैं।
तभी सुनील की निगाह मेरे पिछवाड़े पर गई।
सुनील बोले- नेहा जान ये भीग कैसे गई?
मैंने नाटक करते हुए चौंकी- अरे…ये कैसे हुआ… मुझे पता ही नहीं चला?
तभी एक रिक्शा मिला सुनील और मैं उस पर बैठ गए। सुनील रिक्शे वाले को जहाँ जाना था वहाँ की बोले, फिर बगल से मेरी चूत पर हाथ रख कर गीलेपन को छू कर नाक से सूँघ कर बोले- वाह रानी.. काम निपटा लिया.. लग रहा है कि बस में तुम्हारे पीछे वाले ने चोद कर माल छोड़ा है?
मैं क्या कहती, पर सुनील से बोली- साले ने अपना रस तो निकाल लिया और मेरी चूत को प्यासी छोड़ दिया।
सुनील ने मेरी तरफ प्यार से देखा, फिर सुनील बोले- रानी, तुम बिल्कुल गर्म हो गई हो, तुम्हारी चूत की सुगंध बता रही है कि साले ने तुम्हारे साथ गलत किया, चोदना नहीं था तो गर्म करके अपना माल क्यों छोड़ दिया।
मैं भी तपाक से बोली- अभी कौन सी देर हुई है, अभी तो दिन की शुरूआत है और आप भी तो हैं। मेरी चूत की गर्मी शान्त ना हो, यह तो हो ही नहीं सकता।
तभी हम लोग एक ऑफिस के सामने रुके, वह एक रियल स्टेट कम्पनी का ऑफिस था, मैं सुनील के पीछे ऑफिस में दाखिल हुई।
अन्दर पहुँच कर सुनील मुझसे बोले- नेहा तुम यहीं सोफे पर बैठो, मैं अन्दर सर जी से मिल कर आता हूँ।
मैं बोली- ओके सुनील..
वो वहीं बगल के एक केबिन में चले गए, मैं वहीं बैठी रही।
कुछ देर बाद एक लड़का आया और मुझसे बोला- मेम.. आप को सर जी ने अन्दर बुलाया है।
मैं उठी और उसी केबिन की तरफ चल दी और केबिन के दरवाजे पर दस्तक दी, अन्दर से ‘कम इन’ की आवाज आई और मैंने दरवाजे खोला।
मैं देखती रह गई, सामने एक बहुत ही जवान और आकर्षक युवक बैठा था।
वो एकदम गोरा स्मार्ट था, उसे देख मेरी गरम चूत में पानी आ गया और मैं भूल गई कि वो भी मुझे देख रहा है।
तभी वो आदमी बोला- आइए नेहा जी.. बैठिए।
तब मुझे आभास हआ और शर्मिन्दा हो गई।
सुनील बोले- नेहा जी, ये मिस्टर सुरेश सिंह हैं। यह रियल स्टेट कम्पनी का ऑफिस इन्हीं का है।
मैंने नमस्ते की, पर सुरेश जी ने हाथ आगे बढ़ा दिया।
मैंने भी हाथ मिलाया पर मेरी नियत तो खराब थी और चूत गर्म थी, इसलिए हाथ मिलाते ही मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी, मुझे लगा कि मुझे बाँहों में लेकर, मेरी बस की छेड़-छाड़ की गर्मी को उतार दे।
यह सोचते हुए मैं सुनील के बगल के सोफे पर जा बैठी, सामने सुरेश जी थे और बीच में एक ऑफिस टेबल थी।
तभी कॉफ़ी आ गई, कॉफ़ी पीते हुए सुनील अपनी जमीन वगैरह के विषय में बात कर रहे थे और मैं उन दोनों की बात सुन रही थी, पर मेरा ध्यान सुरेश पर ज्यादा था, फिर कुछ नोटरी कागज पर सुनील और सुरेश ने दस्तखत किए और एक फाइल में रख दिए।
फिर सुरेश ने सुनील से कहा- नेहा जी बोर हो रही होगीं, क्यों ना आप नेहा जी को लेकर अपनी साइट भी देख आओ, क्यों नेहा जी..!
सुरेश जी ऐसा बोल कर बाथरूम चले गए।
तभी मैं सुनील से बोली- क्या आप को बाहर जाना है?
सुनील ने कहा- जा कर देख लूँ, प्लाट कैसा है। तुम यहीं ऑफिस में रहो, मैं सुरेश से तुम्हारे विषय में बोला है कि आप वाराणसी से आई हो, यहाँ मेरे पास कुछ काम से आई हो, बाकी और कुछ नहीं कहा है, पर सुरेश सुन्दरता का दीवाना है, तुम यहाँ रह कर सुन्दरता का दीदार करा दोगी तो बाकी काम सुरेश पूरा कर देगा। तुम्हारी चूत की आग और पैसे की चाहत दोनों पूरी हो जाएगी और हाँ.. चूत चुदवा ही लेना.. सुबह की तरह अधूरी न रह जाना।
मैं बोली- देखती हूँ.. मैं कितना सुरेश जी के लौड़े को गर्म कर पाती हूँ।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो हम चुप हो गए।
सुरेश बोले- क्यों भाई.. आप लोग जा रहे हो?
सुनील बोले- बॉस.. नेहा तो नहीं जा रही है, बोल रही है कि अगर कोई दिक्कत ना हो तो आपे ऑफिस में रह जाऊँ?
सुरेश जी बोले- नेहा आप कहीं भी रह सकती हो.. कोई दिक्कत नहीं है..
मैं मुस्कुरा दी।
फिर सुनील चले गए और सुरेश से बात करने लगी।
बात करते-करते सुरेश जी मेज के नीचे से अपने पैर से मेरे पैरों को हल्का-हल्का रह-रह कर सहला देते और मैं गुदगुदा उठती।
फिर मैं भी मेज पर झुक कर बैठ गई, ताकि मेरे रस भरे आम दिख सकें, मैं सुरेश को थोड़ा और आकर्षित और उत्तेजित कर सकूँ।
बातों के दौरान सुरेश मेरी सुन्दरता की तारीफ करते हुए कुर्सी से उठ कर मेरे पीछे आ गए, मेरे कन्धों पर हाथ रख सहलाने लगे और मैं सिसियाते हुए बोली- सर जी.. यह क्या कर रहे हो.. प्लीज ऐसा मत करो प्लीज..
सुरेश बोले- नहीं.. नेहा जी, मना मत करो.. एक बार तुम्हारे सुन्दरता का रस पीना चाहता हूँ.. एक बार पिला दो..
ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और मैं भी मस्ती में झूमती हुई उनके सीने से जा लगी।
फिर वहीं पास पड़े सोफे पर मुझे लेकर बैठ गए और कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबाने लगे।
आज सुबह से ही मेरी बुर चुदना चाह रही थी, मैंने भी एक हाथ से उनका लण्ड पकड़ कर दबा दिया।
मेरे इतना करते ही उन्होंने एक झटके में ही मेरी कुर्ती उतार दी और अगले ही पल मेरी ब्रा भी उतार दी।
अब वो मेरी चूची पीने लगे, मैं भी अपने आमों को चुसाते हुए सिसकारने लगी।
वो चूमते हुए नीचे की ओर आते हुए मेरे मम्मों को दबाए जा रहे थे।
मेरी चूत पानी-पानी हो गई।
फिर सुरेश उठ अपने सारे कपड़े उतार फेंके और मेरी लैगीज भी सरका दी और मेरी चूत पर मुँह रख कर बुर चाटने लगे।
मेरी चूत ने पहले से ही पानी छोड़ा हुआ था क्योंकि मैं स्वयं भी तो चुदना चाह रही थी, वो भी पूरी नंगी हो कर, मस्ती से शरीर को उसके हवाले करके जी भर कर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी।
अब हम दोनों कुछ ही पलों में पूरे नंगे हो चुके थे।
मेरा दिल फिर से लण्ड के चूत में घुसने के अहसास से धड़क उठा।
उसने मुझे अपनी बाँहों में कस कर ऊपर उठा लिया और अब मैंने भी शरम छोड़ दी, अपनी दोनों टाँगें उसकी कमर से लपेट लीं।
उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर फिर से छूने लगा।
उसने मुझे सोफे पर पटक दिया। मैंने भी उसे झटके से पलट कर नीचे कर दिया और उस चढ़ बैठी और अपनी चूचियाँ उसके मुँह में ठूंस दीं।
‘मेरे सुरेश.. मेरा दूध पी ले जरा… जोर से चूस कर पीना।’
मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ लिया और चूचियाँ उसके मुँह में दबाने लगी।
उसका मुँह खुल गया और मेरे कठोर चूचुकों को वो चूसने लगा।
मेरा हाल बुरा होता जा रहा था, चूत बेहाल हो चुकी थी और लण्ड लेने को लपलपा रही थी, पानी की बूंदें चूत से रिसने लग गई थी। लण्ड को निगलने के लिए चूत बिल्कुल तैयार थी।
उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ भींच लिए, मेरी चूत के आस-पास उसका लण्ड तड़पने लगा।
मैं थोड़ा सा नीचे सरक गई और लण्ड को चूत के द्वार पर अड़ा लिया।
अब देर किस बात की बात की… उसके लण्ड ने एक ऊपर की ओर उछाल मारी और मेरी चूत ने उसके लण्ड को लीलते हुए, नीचे लण्ड पर दबा दिया।
उसका मस्त लौड़ा “फ़च” की आवाज के साथ भीतर तक रास्ता बनाता हुआ जड़ तक बैठ गया।
मैंने अपनी चूचियाँ उसके मुँह से निकालीं और अपने होंठ से उसके होंठ दबा लिए।
‘आह्ह्ह्ह ठोक दिया ना.. ईह्ह्ह..’ मेरी चूत में उसके लण्ड का मीठा-मीठा अहसास होने लगा था।
‘आपका जिस्म कितना मस्त है.. चोदने लायक..’ उसके मुँह से ‘चोदना’ शब्द बड़ा प्यारा लगा।
मुझे लगा कि सुरेश मुझसे इसी भाषा में मुझसे बोले, सो मैंने भी जानबूझ कर ऐसी भाषा का प्रयोग करना शुरु कर दिया- तेरा लण्ड भी सॉलिड है।
‘रानी, तेरी चूत भी कितनी प्यारी है।’
मैं उसके लण्ड पर अपनी चूत मारने लगी। लण्ड बहुत ही प्यारी रग़ड़ मार रहा था।
मुझे चूत-घर्षण करते हुए चुदाने में आनन्द आ रहा था।
कुछ देर ऐसे ही चुदने के दौरान सुरेश ने मुझे ऊपर कर लिया।
मैं सीधी बैठ गई और ‘धच’ से उसके लण्ड पर चूत मारी और खुद ही चीख पड़ी।
मैं भूल गई थी कि उसका लण्ड मोटा और अधिक लंबा था, वो तो मेरी बच्चेदानी से जोर से टकरा गया था।
इस दर्द के साथ बहुत ही जोर का आनन्द भी आया।
‘सुरेश उई.. ईईसीओ.. सीसीईईईसीई चुद गई.. तेरे लण्ड से.. राजा बहुत मजा आ रहा है.. तू भी नीचे से मार ना चोद दे राजा मेरी चूत को फ़ाड़ दे आआहह.. सीईई… राजा मैं आज सुबह से ही चुदासी हूँ.. चोदो ओर चोदो मोटे लण्ड से आह्ह… मेरी प्यारी चूत को.. मादरचोद.. इस चूत को चोद डाल तू.. मुझे आज चोद-चोद कर निहाल कर दे…’
मैं गालियाँ बोल-बोल कर अपने मन की भड़ास निकाल रही थी।
मेरे दिल को ऐसा करने से बहुत सुकून आ रहा था।
मैंने कुछ रुक कर फिर से ऊपर से चूत को फिर से उछाला और एक नया और सुहाना मजा लम्बे लण्ड का मिल रहा था।
फिर तो ऊपर से ‘धचा..धच’ लण्ड के ऊपर अपने आप को पटकते चली गई।
सुरेश चोदते हुए बोला- गालियाँ देती हुई बहुत प्यारी लग रही है.. आजा अब मैं तेरी माँ चोद देता हूँ.. भोसड़ी की.. रण्डी कुतिया.. ले चुदवा ले अपनी चूत को.. भोसड़ी में खा मेरा लौड़ा.. चुदवा ले।
मैं भी मस्त हो कर कहने लगी- मेरे प्यारे हरामी मादरचोद.. मेरी भोसड़ी चोद दे… बस अब मुझे नीचे दबा ले और साली चूत की चटनी बना दे।
अब हम दोनों ने पलटी मार ली और वो मेरे ऊपर सवार हो गया।
उसकी कमर, मैंने सोचा भी नहीं था, ऐसी जोर-जोर से चलने लगी कि बस मुझे स्वर्ग का आनन्द आ गया।
मैं तबियत से चुदने लगी।
‘हाय मेरे चोदू.. चोद मुझे.. राजा मेरी फ़ुद्दी को मसल डाल… चूत फ़ाड़ दे मेरी।’
मैं अनाप-शनाप बकते हुए चुद रही और चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी।
‘आह, मेरी रानी तेरी चूत का चोद आज मेरा लौड़ा मस्त हो गया.. रानी.. जी भर के आज चुदवा ले.. जी भर के मेरी कुतिया.. छिनाल.. साली.. रण्डी.. आह्ह्ह्हऽऽ’
उसकी प्यारी सी मीठी गालियाँ मुझे नया आनन्द करा रही थीं।
मेरे शरीर में तरावट आने लगी, सारा जिस्म मीठे जोश से भर गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कभी ना झड़ूँ.. बस जिन्दगी भर चुदाती ही रहूँ.. यह मजा किसी और चुदाई से अलग था, कुछ जवानी का जोश और मीठी-मीठी गालियों की मीठी चुभन थी।
मैं भी आज जी खोल कर सारी गन्दी से गन्दी गाली सुनते हुए चुद रही थी।
अब मेरा जिस्म ऐंठने लगा और आनन्द को मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकी… मेरी चूत जोर से झड़ने लगी।
मेरी चूत में लहरें उठने लगीं, तभी सुरेश ने मेरे ऊपर अपने आपको बिछा लिया और लण्ड को चूत में भीतर तक दबा लिया।
उसके कड़कते लण्ड ने मेरी बच्चेदानी को रगड़ मारा और चूत में उसका वीर्य छूट पड़ा।
वो अपने लण्ड को बार-बार वीर्य निकालने के लिए दबाने लगा।
वीर्य से मेरी चूत लबालब भर चुकी थी।
वो निढाल हो कर एक तरफ़ लुढ़क पड़ा।
मैंने भी मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली थीं।
सारा सुख और आनन्द और दिन भर की तड़प, चूत की प्यास शान्त हो गई थी।
मैं लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए पड़ी रही.. मेरी चूत से वीर्य निकलते हुए मेरी गांड तक पहुँच रहा था।
 मेरे शरीर में तरावट आने लगी, सारा जिस्म मीठे जोश से भर गया, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं कभी ना झड़ूँ.. बस जिन्दगी भर चुदाती ही रहूँ.. यह मजा किसी और चुदाई से अलग था, कुछ जवानी का जोश और मीठी-मीठी गालियों की मीठी चुभन थी।
मैं भी आज जी खोल कर सारी गन्दी से गन्दी गाली सुनते हुए चुद रही थी।
अब मेरा जिस्म ऐंठने लगा और आनन्द को मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकी… मेरी चूत जोर से झड़ने लगी।
मेरी चूत में लहरें उठने लगीं, तभी सुरेश ने मेरे ऊपर अपने आपको बिछा लिया और लण्ड को चूत में भीतर तक दबा लिया।
उसके कड़कते लण्ड ने मेरी बच्चेदानी को रगड़ मारा और चूत में उसका वीर्य छूट पड़ा।
वो अपने लण्ड को बार-बार वीर्य निकालने के लिए दबाने लगा।
वीर्य से मेरी चूत लबालब भर चुकी थी।
वो निढाल हो कर एक तरफ़ लुढ़क पड़ा।
मैंने भी मस्ती में अपनी आंखें बन्द कर ली थीं।
सारा सुख और आनन्द और दिन भर की तड़प, चूत की प्यास शान्त हो गई थी।
मैं लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए पड़ी रही.. मेरी चूत से वीर्य निकलते हुए मेरी गाण्ड तक पहुँच रहा था।
मैं लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए पड़ी रही। चूत से वीर्य निकलते हुए मेरी गाण्ड तक पहुँच रहा था।
मैं तो इतनी थक गई थी कि सोफे पर ही पड़ी रही।
मुझे होश तब आया, जब सुरेश जी ने मुझे हिला कर बोला- नेहा.. क्या हुआ?
मैं बोली- जानू.. इतना मजा आया कि उठने का मन नहीं कर रहा है.. जी कर रहा है ऐसे ही लेटी रहूँ..
पर ऑफिस में थी इसलिए बाथरूम में अपने जिस्म को साफ़ करने के लिए चूतड़ मटकाते हुए चली गई।
जब बाहर आई तो सुरेश ने कहा- नेहा जी.. आज तो आप ने बहुत मजा दिया.. ये लो 5000/- रुपए रख लो।
मैं लेने से मना करने लगी लेकिन सुरेश जी ने जबरदस्ती दे दिए तो मैंने रूपए पर्स में रख लिए।
सुरेश बोले- रानी, मैंने आप को आगरा भेजने का इन्तजाम कर दिया है, आप लोगों को मेरी कार से ड्राइवर छोड़ देगा।
मैंने ‘थैंक्स’ कहा।
तभी चपरासी नाश्ता लेकर आया, मैंने और सुरेश जी ने नाश्ता करके कॉफ़ी पी।
तब तक सुनील जी आ गए, मेरे चेहरे पर मुस्कान देख सुनील सारी बात समझ मुस्कुराने लगे और सुरेश से बात करने लगे कि जमीन ठीक है.. पसंद आ गई।
और बोले- अब आप इजाजत दीजिए.. नहीं तो बहुत लेट हो जायेंगे, वैसे भी 6:35 हो रहा है।
सुरेश बोले- आप लोग मेरी कार से जा रहे हो।
फिर हम लोग एक साथ उठ कर बाहर हाल में आए और ड्राइवर को बुला कर बोले- ये लोग मेरे मेहमान हैं, इनको आगरा छोड़ कर आओ।
मैंने नमस्ते की और कार की पिछली सीट पर बैठ गई, सुनील भी मेरे साथ पीछे ही बैठ गए।
कार आगरा के लिए चल दी।
रास्ते में सुनील मेरी चुदाई के विषय में पूछने लगे।
मैंने सब बात बताई कि कैसे सुरेश ने चोदा और कैसे मैं चुदी।
तभी सुनील ने कहा- रानी तुम्हारी चुदाई सुन कर मेरा भी पानी निकालने का मन करने लगा है। क्या तुम मेरा साथ नहीं दोगी?
मैं बोली- क्यों नहीं.. जो मेरे लिए इतना कर सकता है.. मैं तो घूमने आई थी, पर आपने चुदाई और पैसा दोनों दिला दिया।
इस समय कैसे चुदाई करें? ड्राइवर क्या कहेगा?
सुनील बोले- तुम हाथ और मुँह के सहारे पानी निकाल दो।
मैं बोली- ठीक है.. पर आप आगे ड्राइवर पर निगाह रखना, कहीं वो देख ना ले।
सुनील बोले- ओके..
मैंने सुनील की जांघ को सहलाते हुए पैंट के ऊपर से ही लन्ड को सहलाते हुए जिप को आहिस्ता-आहिस्ता नीचे करते हुए खोल दिया।
अब उनके अंडरवियर में हाथ डाल कर लंड बाहर निकाल कर देखने लगी।
सुनील का लंड बड़ा प्यारा था, एक बार फिर मुझे चुदने का मन करने लगा।
मैंने सुनील के लंड को पकड़ कर ऊपर-नीचे करना शुरू किया।
कुछ समय बाद मैंने अपना सिर नीचे करके उस के तनतनाते हुए लंड को अपने मुँह में लिया। मैंने अपनी जीभ को उसके लंड के शिश्न-मुंड पर घुमा कर उसके पानी का स्वाद लिया।
फिर उसका लंड चूसते हुए, हाथों से लौड़े को मेरा मुठ मारना लगातार चालू था।
सुनील का एक हाथ मेरे पीठ से होते हुए मेरी लैगिंग्स और पैन्टी के अन्दर हाथ डाल मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ा, तो मैंने धीरे से अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी सफाचट, चिकनी चूत पर आराम से हाथ फिरा सके।
हाथ फिराते-फिराते उस की बीच की उंगली मेरी गीली फुद्दी के बीच की दरार में घुस गई।
वो अपनी उंगली मेरी चूत के बीच में ऊपर-नीचे मेरी चूत के दाने को मसलता हुआ घुमा रहा था और चूत में ऊँगली करवाने से मेरे मुँह से कामुक आवाजें निकल जातीं, पर मैं ड्राइवर की वजह से खुल कर आवाज नहीं कर सकती थी।
उसके मुँह में मेरा एक चूचुक और मेरे हाथ में उसका लंड था।
हम दोनों और कड़क हो गए।
मैं भी उस का लंड चूसते हुए लौड़े को आगे-पीछे करती जा रही थी और एक बार तो मैंने सोची कि चुद ही लूँ मगर कार में यह संभव नहीं था।
मेरी चूत में सुनील की ऊँगली लगातार घूम रही थी और मैं संतुष्टि के गंतव्य की तरफ बढ़ने लगी।
उसकी उंगली अब मेरी चूत में घुस कर चुदाई कर रही थी, मेरी फुद्दी को उसकी उंगली चोद रही थी।
मैं भी उसके लंड को चूस रही थी और एक हाथ से उसके अंडकोष को सहला रही थी।
हम दोनों दबी जुबान से कार में चुदाई का मजा ले रहे थे।
जैसे ही उसको पता चला कि मैं झड़ने के मुकाम पर पहुँचने वाली हूँ, उसने अपनी उंगली से जोर-जोर से मेरी चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी।
वो मेरी चूत को अपनी उंगली से इतनी अच्छी तरह से कामुक अंदाज़ में चोद रहा था कि मैं झड़ने वाली थी और मेरी नंगी गांड अपने आप ही हिलने लगी।
मेरे मुँह से जोर से संतुष्टि की आवाज निकली और मैं झड़ गई।
मैंने उसकी उंगली को अपने पैर, गांड और चूत को भींच कर अपनी चूत में ही जकड़ लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी।
मैं झड़ने का मज़ा लेते हुए सुनील के लन्ड का सुपारा गले तक लेकर चाटते हुए लंड को आगे-पीछे किए जा रही थी।
अभी भी सुनील का हाथ मेरी चूत और गाण्ड की दरार में घूम रहे थे और मैं सुनील का लंड तेज-तेज मुठियाते हुए आगे-पीछे किए जा रही थी।
सुनील भी मस्ती की तरफ बढ़ रहा था, तभी सुनील का लौड़ा मेरे मुँह में ढेर हो गया और उसने पानी छोड़ दिया।
सुनील के वीर्य से मेरा मुँह भर गया और मैंने तुरंत माल को गुटकते हुए मुँह हटा कर कहा- यार ये क्या किया.. अब मुँह कैसे धोऊँगी?
पर सुनील आँखें बंद किए झड़ने का मजा ले रहा था.. क्योंकि अभी भी मेरा हाथ सुनील के लौड़े पर चल रहा था।
सुनील ने अपने रुमाल से मेरा मुँह साफ किया और फिर अपना लंड साफ़ किया।
अब हम लोग अपने कपड़े ठीक कर आराम से बैठ गए।
सुनील बोला- थैंक्स नेहा..
मैं बोली- इसमे थैंक्स की क्या बात है.. यह तो मेरा फर्ज था।
हम लोग आगरा के करीब पहुँच गए थे कुछ ही देर में कार एक मकान के सामने रुकी।
मेरे प्यारे दोस्तो, आप लोगों ने मेरी कहानी को पढ़ा और पसंद किया है।
जो आप लोगों ने प्यार दिया है, इसके लिए मैं आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करती हूँ।
आप की नेहा रानी







हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator