FUN-MAZA-MASTI
वो झड़ चुकी थी और पसीने में लथपथ हो गई थी, गहरी गहरी साँसें भर रही थी।
मैंने पंद्रह बीस ज़बरदस्त धक्के ठोके और फिर मेरे गोलियों में एक विस्फोट जैसा हुआ, बड़े ज़ोर से मैं झड़ा, लावा की मोटी मोटी बूंदें बिल्लो रानी की रिसती हुई बुर में तेज़ी से गिरीं।
गर्म गर्म मलाई चूत में लगते ही चूत एक बार फिर से झड़ी और इस दफा रस की बौछार बहुत तेज़ थी।
मैंने तुरंत शिखा रानी को प्यार से अपने आलिंगन में बांध लिया और तुनके मार मार के पूरा लंड का लावा खाली कर दिया।
हाँफता हुआ मैं शिखा रानी के नाज़ुक से शरीर पर ही लुढ़क गया।
शिखा रानी ने बार बार राजे राजे राजे बोलते हुए मुझे सब तरफ से कस लिया। कमर एक टांग से, मेरे पैर दूसरी टांग से, मेरा बदन अपनी मुलायम सी गोरी बाहों से और मेरा मुँह अपने मुँह से।
शिखा रानी ने मुझे प्यार से एक के बाद एक बहुत सारे चुम्बन पर चुम्बन दिये। उसने मुझे सिर से पैरों तक यूं लिपटा रखा था जैसे कि हम बड़े बरसों के बाद मिले हों और जल्दी ही दुबारा अलग होने वाले हों।
मैंने कहा- शिखा रानी एक बार फिर HAPPY BIRTHDAY’
शिखा रानी ने प्यार से मेरे बालों को अपनी हसीन उंगली से उलझाते हुए कहा- कुछ तोहफा भी लाया है या सूखा सूखा HAPPY BIRTHDAY?
मैंने तकिये के नीचे से एक थैली निकाली जिसमें मैं शिखा रानी के लिये सोने की पायज़ेब का एक जोड़ा बनवा के लाया था।
मैंने कहा- मेरी जानम, तेरे हसीन पैरों में पहनाने के लिये ये पायज़ेब लाया था… उनकी खूबसूरती के सामने तो ये बिल्कुल मिट्टी के समान है लेकिन बस दिल चाहा कि रानी के पैरों में इनको पहनाऊँ… देख ना ज़रा तुझे ठीक लगे तो पहनाऊँ नहीं तो बदल कर के कुछ और ले आऊँगा। सच में रानी, तेरी सुंदरता के समक्ष ये बहुत ही छोटा है… मुझे बड़ी शर्म आ रही है सच में तुझे ये देते हुए !
मैंने वापिस थैली को तकिये के नीचे रखना चाहा। शिखा रानी ने मेरे हाथ से थैली छीन के पायज़ेब बाहर निकाली, चूमा और फिर एक प्यार भरा फूल सा चांटा या कह लो एक थपकी को मेरे गाल पर लगाया।
शिखा रानी ने कहा- राजे…यार तू हमें इतना ओछा समझता है कि तू इतने प्यार से तोहफा लाया तो हम उसे छोटा समझेंगे.. इसे तो हम कभी अपने से अलग न करेंगे… चल अब चुपचाप खुद ही पहना दे हमारे पैरों में !
मैंने कहा- तुम बहुत अच्छी हो शिखा रानी… मैं तुम्हारे लिये नहीं सोच रहा था कि तुम इसे छोटा समझोगी, मैं खुद इसे तेरी खूबसूरती के सामने बहुत तुच्छ मान रहा था…Thank you शिखा रानी मेरी भेंट स्वीकार करने के लिये…
मैंने पायज़ेब शिखा रानी के पैरों में एक एक करके पहना दी।
पहनने के बाद देखा तो उसके पहले से ही सुन्दर पैर अब सैकड़ों गुना ज़्यादा सुन्दर ही नहीं बल्कि सेक्सी भी लग रहे थे।
शिखा रानी ने मुझे गले से लगा लिया और बोली- क्या सच में मेरे पैर इतने सुन्दर हैं? तू हमें बना तो नहीं रहा है?
मैं बोला- शिखा रानी, जितना मैं कह सकता हूँ उससे कहीं ज़्यादा पैर ही नहीं तेरे बदन का एक एक अंग उससे ज़्यादा सुन्दर है। मैं लगाऊँ दुबारा से वही गाना ताकि तुझे याद आ जाये कि मैं तुझे क्या समझता हूँ?
शिखा रानी खुश होकर बोली- यार राजे, अपनी बात कहने के लिये गाना सुनाने का आइडिया बहुत पसंद आया। क्या तू सब लड़कियों को यही गाना बजा के पटाता है?
मैं- नहीं रानी, यह तो मैंने तुझ से मिलने से कुछ दिन पहले ही सीखा है। एक लड़की है अंजू रानी। उसने नीलम रानी की कहानी पढ़ के मुझे लिखा था कि वो भी नीलम रानी जैसे जॉब के बदले में मुझ से चुदवाना चाहती है। मैंने उसके लिये एक नौकरी का इंतज़ाम कर दिया तो वो आई थी मेरे पास, उसने कहा कि वो मुझे रिझाने के लिये बिल्कुल नंगी होकर डांस करना चाहती है। मैं बोला ठीक है रानी कर डांस। तो उसने अपने मोबाइल पर एक गाना बजाया और उस पर वो खूब नाची।
शिखा रानी ने पूछा- पूरी नंगी नाची?
मैं- हाँ, पूरी नंगी तो नहीं सिर्फ पैरों में हाई हील के सैंडल उसने नहीं उतारे, बोली कि नंगे पैर नाचूंगी तो पैर गंदे हो जाएंगे। फिर मैं जब पैर चाटुंगा तो मुझे मज़ा नहीं आएगा।
शिखा रानी- कौन सा गाना बजाया?’
मैं- दो गाने थे जिनमें उसने एक चुनने को कहा। यह भी कहा कि मर्द की चुदास बुरी तरह भड़काने के लिये इन दो गानों पर नंगी डांस करती लड़की से बेहतर कुछ नहीं है। एक गाना था ‘अंग से अंग लगा ले सांसों में है तूफान, जलने लगी है काया जलने लगी है जान’ और दूसरा था ‘हुस्न के लाखों रंग कौन सा रंग देखोगे, आग है ये बदन कौनसा अंग देखोगे’ दोनों गाने बहुत पुराने हैं पता नहीं तुमने कभी सुने या नहीं। मैंने दूसरा वाला चुना… रानी मैं मान गया कि इस गाने पर नंगा डांस ठरक हद से ज़्यादा बढ़ा देता है।
शिखा रानी ने कहा- गाने सुने हैं.. कभी कभी रेडियो FM पर बजते हैं… अबकी बार ध्यान से सुनूंगी और कल्पना करूँगी कि गाना बज रहा है और एक लड़की पूरी नंगी होकर गाने की धुन पर डांस कर रही है… राजे तुमने अंजू रानी की कहानी नहीं लिखी?
मैं- लिख रहा था लेकिन पूरी नहीं कर पाया, कर दूंगा कुछ दिनों में !
शिखा रानी ने कहा- तू साले बहुत दुष्ट है…हम गुस्से हैं राजे से !
मैंने उसका मुँह चूमना चाहा लेकिन शिखा रानी परे हट गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ शिखा रानी? क्यूं हमारी रानी जी खफा हैं हमसे?
‘तूने हमारे साथ भेदभाव किया है। इसलिये हम बहुत नाराज़ हैं राजे से…’
शिखा रानी मेरी तरफ पीठ कर के लेट गई।
मैंने हक्का बक्का सा हो गया, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैंने ऐसा क्या भेदभाव कर दिया कि शिखा रानी गुस्से हो गई।
अभी तो मस्त थी, अंजू रानी के बारे में सुन रही थी लेकिन यह अचानक पलटी क्यों?
मैंने शिखा की पीठ पर जीभ फिराई, शिखारानी कसमसाई और बोली- बस तू दूर रह हमसे…हाँ हम नहीं बोलते तेरे से…
मैंने फिर जीभ फिराई और पूछा- जान शिखा रानी, बता दे क्या भेदभाव किया तेरे इस गुलाम ने?
शिखा रानी ने कहा- तूने सलोनी रानी का स्वर्ण रस पिया था उससे मिलते ही। हमें तूने चोद भी दिया लेकिन स्वर्ण रस अभी तक नहीं पूछा। यह भेद भाव नहीं तो क्या है। सलोनी रानी को तूने इतना चाटा, हमें अभी तक चाटा क्या? यह नहीं है क्या भेद भाव? जाओ हम नहीं बात करेंगे।
मैंने शिखा रानी की एक लम्बी चुम्मी ली, इस बार उसने मुँह नहीं हटाया। मैंने उसके चूचे भी ज़ोर से मसले और कहा- यार कोई भेद भाव की बात नहीं है। मिलने के बाद हमारी बातें किसी और दिशा में चल पड़ीं इसलिये ना तो स्वर्ण रस पीने का मौका मिला और ना ही मेरी रानी को चाटने का। अभी पिलाओ ना रानी.. देर किस बात की है.. अभी भेद भाव दूर लिये देता हूँ… पहले रस पिलाओ, फिर मैं चाटूँगा।
शिखा रानी ने हंस कर कहा- राजे, हम कौन सा सचमुच खफा हुए थे। हम तो अपने राजे को सता रहे थे। बहुत मज़ा आया तेरे को घबराते हुए देख के, चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं…
मैंने कहा- चलो अब पिला दो स्वर्ण रस जल्दी से।
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शिखा चुदी जन्म दिन पर-4
मैंने अपनी जान को बाहों में लपेट लिया और उसे चूमता हुआ तगड़े तगड़े धक्के मारने लगा।वो झड़ चुकी थी और पसीने में लथपथ हो गई थी, गहरी गहरी साँसें भर रही थी।
मैंने पंद्रह बीस ज़बरदस्त धक्के ठोके और फिर मेरे गोलियों में एक विस्फोट जैसा हुआ, बड़े ज़ोर से मैं झड़ा, लावा की मोटी मोटी बूंदें बिल्लो रानी की रिसती हुई बुर में तेज़ी से गिरीं।
गर्म गर्म मलाई चूत में लगते ही चूत एक बार फिर से झड़ी और इस दफा रस की बौछार बहुत तेज़ थी।
मैंने तुरंत शिखा रानी को प्यार से अपने आलिंगन में बांध लिया और तुनके मार मार के पूरा लंड का लावा खाली कर दिया।
हाँफता हुआ मैं शिखा रानी के नाज़ुक से शरीर पर ही लुढ़क गया।
शिखा रानी ने बार बार राजे राजे राजे बोलते हुए मुझे सब तरफ से कस लिया। कमर एक टांग से, मेरे पैर दूसरी टांग से, मेरा बदन अपनी मुलायम सी गोरी बाहों से और मेरा मुँह अपने मुँह से।
शिखा रानी ने मुझे प्यार से एक के बाद एक बहुत सारे चुम्बन पर चुम्बन दिये। उसने मुझे सिर से पैरों तक यूं लिपटा रखा था जैसे कि हम बड़े बरसों के बाद मिले हों और जल्दी ही दुबारा अलग होने वाले हों।
मैंने कहा- शिखा रानी एक बार फिर HAPPY BIRTHDAY’
शिखा रानी ने प्यार से मेरे बालों को अपनी हसीन उंगली से उलझाते हुए कहा- कुछ तोहफा भी लाया है या सूखा सूखा HAPPY BIRTHDAY?
मैंने तकिये के नीचे से एक थैली निकाली जिसमें मैं शिखा रानी के लिये सोने की पायज़ेब का एक जोड़ा बनवा के लाया था।
मैंने कहा- मेरी जानम, तेरे हसीन पैरों में पहनाने के लिये ये पायज़ेब लाया था… उनकी खूबसूरती के सामने तो ये बिल्कुल मिट्टी के समान है लेकिन बस दिल चाहा कि रानी के पैरों में इनको पहनाऊँ… देख ना ज़रा तुझे ठीक लगे तो पहनाऊँ नहीं तो बदल कर के कुछ और ले आऊँगा। सच में रानी, तेरी सुंदरता के समक्ष ये बहुत ही छोटा है… मुझे बड़ी शर्म आ रही है सच में तुझे ये देते हुए !
मैंने वापिस थैली को तकिये के नीचे रखना चाहा। शिखा रानी ने मेरे हाथ से थैली छीन के पायज़ेब बाहर निकाली, चूमा और फिर एक प्यार भरा फूल सा चांटा या कह लो एक थपकी को मेरे गाल पर लगाया।
शिखा रानी ने कहा- राजे…यार तू हमें इतना ओछा समझता है कि तू इतने प्यार से तोहफा लाया तो हम उसे छोटा समझेंगे.. इसे तो हम कभी अपने से अलग न करेंगे… चल अब चुपचाप खुद ही पहना दे हमारे पैरों में !
मैंने कहा- तुम बहुत अच्छी हो शिखा रानी… मैं तुम्हारे लिये नहीं सोच रहा था कि तुम इसे छोटा समझोगी, मैं खुद इसे तेरी खूबसूरती के सामने बहुत तुच्छ मान रहा था…Thank you शिखा रानी मेरी भेंट स्वीकार करने के लिये…
मैंने पायज़ेब शिखा रानी के पैरों में एक एक करके पहना दी।
पहनने के बाद देखा तो उसके पहले से ही सुन्दर पैर अब सैकड़ों गुना ज़्यादा सुन्दर ही नहीं बल्कि सेक्सी भी लग रहे थे।
शिखा रानी ने मुझे गले से लगा लिया और बोली- क्या सच में मेरे पैर इतने सुन्दर हैं? तू हमें बना तो नहीं रहा है?
मैं बोला- शिखा रानी, जितना मैं कह सकता हूँ उससे कहीं ज़्यादा पैर ही नहीं तेरे बदन का एक एक अंग उससे ज़्यादा सुन्दर है। मैं लगाऊँ दुबारा से वही गाना ताकि तुझे याद आ जाये कि मैं तुझे क्या समझता हूँ?
शिखा रानी खुश होकर बोली- यार राजे, अपनी बात कहने के लिये गाना सुनाने का आइडिया बहुत पसंद आया। क्या तू सब लड़कियों को यही गाना बजा के पटाता है?
मैं- नहीं रानी, यह तो मैंने तुझ से मिलने से कुछ दिन पहले ही सीखा है। एक लड़की है अंजू रानी। उसने नीलम रानी की कहानी पढ़ के मुझे लिखा था कि वो भी नीलम रानी जैसे जॉब के बदले में मुझ से चुदवाना चाहती है। मैंने उसके लिये एक नौकरी का इंतज़ाम कर दिया तो वो आई थी मेरे पास, उसने कहा कि वो मुझे रिझाने के लिये बिल्कुल नंगी होकर डांस करना चाहती है। मैं बोला ठीक है रानी कर डांस। तो उसने अपने मोबाइल पर एक गाना बजाया और उस पर वो खूब नाची।
शिखा रानी ने पूछा- पूरी नंगी नाची?
मैं- हाँ, पूरी नंगी तो नहीं सिर्फ पैरों में हाई हील के सैंडल उसने नहीं उतारे, बोली कि नंगे पैर नाचूंगी तो पैर गंदे हो जाएंगे। फिर मैं जब पैर चाटुंगा तो मुझे मज़ा नहीं आएगा।
शिखा रानी- कौन सा गाना बजाया?’
मैं- दो गाने थे जिनमें उसने एक चुनने को कहा। यह भी कहा कि मर्द की चुदास बुरी तरह भड़काने के लिये इन दो गानों पर नंगी डांस करती लड़की से बेहतर कुछ नहीं है। एक गाना था ‘अंग से अंग लगा ले सांसों में है तूफान, जलने लगी है काया जलने लगी है जान’ और दूसरा था ‘हुस्न के लाखों रंग कौन सा रंग देखोगे, आग है ये बदन कौनसा अंग देखोगे’ दोनों गाने बहुत पुराने हैं पता नहीं तुमने कभी सुने या नहीं। मैंने दूसरा वाला चुना… रानी मैं मान गया कि इस गाने पर नंगा डांस ठरक हद से ज़्यादा बढ़ा देता है।
शिखा रानी ने कहा- गाने सुने हैं.. कभी कभी रेडियो FM पर बजते हैं… अबकी बार ध्यान से सुनूंगी और कल्पना करूँगी कि गाना बज रहा है और एक लड़की पूरी नंगी होकर गाने की धुन पर डांस कर रही है… राजे तुमने अंजू रानी की कहानी नहीं लिखी?
मैं- लिख रहा था लेकिन पूरी नहीं कर पाया, कर दूंगा कुछ दिनों में !
शिखा रानी ने कहा- तू साले बहुत दुष्ट है…हम गुस्से हैं राजे से !
मैंने उसका मुँह चूमना चाहा लेकिन शिखा रानी परे हट गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ शिखा रानी? क्यूं हमारी रानी जी खफा हैं हमसे?
‘तूने हमारे साथ भेदभाव किया है। इसलिये हम बहुत नाराज़ हैं राजे से…’
शिखा रानी मेरी तरफ पीठ कर के लेट गई।
मैंने हक्का बक्का सा हो गया, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैंने ऐसा क्या भेदभाव कर दिया कि शिखा रानी गुस्से हो गई।
अभी तो मस्त थी, अंजू रानी के बारे में सुन रही थी लेकिन यह अचानक पलटी क्यों?
मैंने शिखा की पीठ पर जीभ फिराई, शिखारानी कसमसाई और बोली- बस तू दूर रह हमसे…हाँ हम नहीं बोलते तेरे से…
मैंने फिर जीभ फिराई और पूछा- जान शिखा रानी, बता दे क्या भेदभाव किया तेरे इस गुलाम ने?
शिखा रानी ने कहा- तूने सलोनी रानी का स्वर्ण रस पिया था उससे मिलते ही। हमें तूने चोद भी दिया लेकिन स्वर्ण रस अभी तक नहीं पूछा। यह भेद भाव नहीं तो क्या है। सलोनी रानी को तूने इतना चाटा, हमें अभी तक चाटा क्या? यह नहीं है क्या भेद भाव? जाओ हम नहीं बात करेंगे।
मैंने शिखा रानी की एक लम्बी चुम्मी ली, इस बार उसने मुँह नहीं हटाया। मैंने उसके चूचे भी ज़ोर से मसले और कहा- यार कोई भेद भाव की बात नहीं है। मिलने के बाद हमारी बातें किसी और दिशा में चल पड़ीं इसलिये ना तो स्वर्ण रस पीने का मौका मिला और ना ही मेरी रानी को चाटने का। अभी पिलाओ ना रानी.. देर किस बात की है.. अभी भेद भाव दूर लिये देता हूँ… पहले रस पिलाओ, फिर मैं चाटूँगा।
शिखा रानी ने हंस कर कहा- राजे, हम कौन सा सचमुच खफा हुए थे। हम तो अपने राजे को सता रहे थे। बहुत मज़ा आया तेरे को घबराते हुए देख के, चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं…
मैंने कहा- चलो अब पिला दो स्वर्ण रस जल्दी से।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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