Monday, December 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI छिनाल की औलाद-5

FUN-MAZA-MASTI

छिनाल की औलाद-5

 हम दोनों बिस्तर पर लेट गए.. चुंबन करते-करते मैंने अजय का पजामा निकाल दिया टी-शर्ट उसने पहले ही निकाल दी थी।
अब हम दोनों नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए थे जैसे कोई साँप चंदन के पेड़ से लिपटता है।
हम दोनों का चुसाई का प्रोग्राम चालू था, तभी विजय कमरे में आ गया।
हम वैसे के वैसे पड़े रहे।
विजय- वाह.. क्या बात है छोटे.. तू तो बहुत बड़ा हो गया.. बड़े मज़े से रानी के चूचे चूस रहा है।
अजय- बड़े भाई आप भी आ जाओ.. आज तक अकेले-अकेले में मज़ा लेते थे.. आज दोनों मिलकर इस राण्ड को चोदेंगे.. बड़े मज़े देने लगी है आजकल…
विजय हंसता हुआ अन्दर आ गया और अपने कपड़े निकालने लगा।
रानी- उफ़फ्फ़ क्या करते हो अजय.. ऐसे कोई चूचे दबाता है क्या..? आऊच भाई.. आप इसको कुछ सिख़ाओ ना.. आआइई..
विजय- साली छिनाल तेरे को ही दो का मज़ा लेना था.. अब दर्द से क्या डरती है.. ले पहले मेरा लौड़ा चूस.. तीन दिन से अकड़ा बैठा है.. अजय तब तक तू साली राण्ड की चूत चाट कर इसको गर्म कर!
विजय ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया और अजय मेरी टांगों के बीच आ गया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगा।
बड़ा मज़ा आ रहा था।
विजय- आहह.. चूस उफ्फ साली.. क्या चूसती है तू.. मज़ा आ गया आअहह.. और..चूस…
अजय- भाई, ये साली तो पहले से ही गर्म है.. देखो कैसे आज चूत को चिकना किया है और इसकी चूत कैसे पानी छोड़ रही है। आप तो बस आ जाओ… घुसा दो लौड़ा इसकी चूत में और मुझे भी गाण्ड मारने दो.. मुझसे अब ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं होगा।
अजय की बात सुनकर मैंने लौड़ा मुँह से निकाला और अजय के बाल पकड़ कर उसको भी विजय के पास खड़ा कर दिया।
रानी- साला हरामी 5 मिनट हुआ नहीं कि अपनी औकात पर आ गया.. इतनी जल्दी थोड़े ही तुम दोनों से चुदवाऊँगी.. पहले मुझे ठीक से मज़ा तो लेने दो…
अजय- साली.. अब तू क्या करने वाली है.. कितनी ज़ोर से मेरे बाल खींचे.. दर्द हुआ ना मेरे को…
रानी- चुप साले.. इतने से दर्द से घबरा गया.. तूने मेरी गाण्ड में ये मोटा लौड़ा घुसाया था, तब नहीं सोचा कि मुझे कितना दर्द हुआ होगा…
विजय- तुम दोनों लड़ना बन्द करो.. साली राण्ड मेरे लौड़े को क्यों बाहर निकाल दिया.. चूस ना… मज़ा आ रहा था।
रानी- लौड़ा भी चूसूंगी.. मगर दोनों का एक साथ और उसके बाद तुम दोनों मेरी चूत और चूचे एक साथ चूसना.. उसके बाद एक साथ चूत और गाण्ड में लौड़े डालना.. तब आएगा असली मज़ा…
मेरी बात दोनों को पसन्द आई और मैं शुरू हो गई। कभी अजय का लौड़ा चूसती तो कभी विजय का कभी दोनों लौड़ों को एक साथ नज़दीक करके जीभ से चाटती.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
दस मिनट की चुसाई के बाद अजय के बर्दाश्त के बाहर हो गया। उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मेरे चूचे दबाने लगा.. मेरे चूचुकों को चूसने लगा।
विजय- अरे वाहह.. छोटे तू तो बड़ा फुर्तीला निकला.. चल साली अब तेरी चूत को मैं चूस कर मज़ा देता हूँ।
दोस्तो, वो पल ऐसा था आपको क्या बताऊँ बड़ा ही मज़ा आ रहा था। मेरी चूत रिसने लगी थी.. विजय अपनी जीभ चूत के अन्दर तक घुसा कर चाट रहा था और अजय भी मेरे चूचुकों को बड़े मज़े से चूस रहा था।
यह सिलसिला ज़्यादा देर तक नहीं चला क्योंकि अजय बड़ा उतावला हो रहा था इसलिए अब विजय सीधा लेट गया और मैं उसके लौड़े पर बैठ गई.. सर्रररर करता हुआ लौड़ा चूत में समा गया।
अब अजय पीछे आ गया और उसने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में घुसा दिया। अब दोनों ‘दे..दना-दन’ मुझे चोदने लगे।
रानी- आहह उहह चोदो बहनचोदो.. आह अपनी बहन को चोदो.. आआइई.. आज फाड़ दो मेरी चूत और गाण्ड आआईइ उउउइई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आह ज़ोर से उफ्फ आहह..
मेरी सिसकारियों से दोनों जोश में आ गए और तेज़ी से लौड़े आगे-पीछे करने लगे।
अजय तो पहले से ही किनारे पर था ज़्यादा देर तक मेरी गाण्ड की गर्मी ना सह पाया और मेरी गाण्ड में ही झड़ गया।
अजय- अईयाया मैं ग्ग्ग..गया.. उफफफ्फ़ सस्स्सस्स.. क्या मस्त.. अइई.. गाण्ड है तेरी…
रानी- चल हट हरामी.. साला थोड़ी देर भी नहीं टिक सकता.. नामर्द कहीं का.. अईउई.. चोदो विजय.. अईउई तुम बहुत अच्छे हो.. अईउई मेरी चूत में कुछ हो रहा है.. आआहह ज़ोर से… और ज़ोर से उफफफ्फ़ आआआ मैं गई आआहह…
विजय- मेरी रानी.. वो अभी छोटा है उह्ह उह्ह उह्ह ले.. उह्ह ले.. उसको क्या बोलती हो.. ले उह्ह उह्ह आ आ.. रुक रानी आहह.. मैं भी झड़ने के करीब हूँ.. आहह.. दोनों एक साथ झडेंगे.. आह… ले उह्ह उह्ह उह्ह उह्ह उफ़फ्फ़…
अजय तो एक तरफ़ हो गया था.. अब विजय और तेज़ी से झटके मारने लगा। मैं भी गाण्ड उछाल-उछाल कर लौड़े पर कूदने लगी..
सिर्फ 5 मिनट बाद ही दो नदियों का संगम हो गया.. हम दोनों झटके खा-खा कर झड़ने लगे। थोड़ी देर बाद ये तूफ़ान शान्त हुआ और हम निढाल से होकर लेट गए।
रानी- उफ़फ्फ़ कितनी गर्मी लग रही है.. कितना मज़ा आया आज.. कसम से चुदाई इसे कहते हैं एक साथ दो लौड़े लेने का मज़ा ही कुछ और है।
अजय- हाँ रानी.. मुझे भी बड़ा मज़ा आया थैंक्स भाई.. आपने ऐसा प्लान बनाया…
विजय- अरे मैंने कहाँ बनाया.. ये तो तूने बनाया ना…
उन दोनों की बात सुनकर मैं ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी.. विजय सब समझ गया कि ये सब कुछ मेरा प्लान था।
विजय- साली रंडी मेरे साथ सोती है और मुझसे ही झूट बोला तूने.. ये सब प्लान तेरा था और हम दोनों भाइयों को चूतिया बना कर मज़े ले लिए तूने…
अजय- ओह माय गॉड.. भाई ये साली बहुत बड़ी राण्ड बन गई है.. देखो कैसे हम दोनों को एक-दूसरे का नाम लेकर तैयार कर लिया।
रानी- बस भी करो कुत्तों.. माना कि प्लान मेरा था.. मगर राज़ी तो तुम दोनों ही थे ऐसी चुदाई के लिए और मज़ा मैंने अकेले नहीं.. तुम दोनों ने भी लिया है.. शुक्र करो मेरा.. कि अब अलग-अलग चुदाई के बजाए एक साथ मज़े करेंगे।
मेरी बात सुनकर दोनों समझ गए कि मैं ठीक बोल रही हूँ और अब ज़्यादा बहस की गुंजायश भी नहीं थी क्योंकि आजकल मैं गाली देना सीख गई थी.. ज़्यादा बोलते तो दोनों की हालत खराब कर देती।
दोस्तों उस रात हमने तीन बार ये खेल खेला.. मगर अजय थोड़ा जल्दी झड़ जा रहा था। विजय भी इतना खास नहीं.. उसके 5 मिनट बाद वो भी झड़ जाता, मुझे लंबा वक्त सिर्फ़ पापा ही देते हैं मैं दो बार झड़ जाती हूँ तब भी वो चोदते रहते हैं।
रात दो बजे तक मेरी चूत और गाण्ड की बैंड बजाने के बाद हम अपने-अपने कमरों में चले गए और सुकून की नींद सो गए।
दोस्तों सुबह मैं एकदम फ्रेश हो गई थी क्योंकि अब चुदाई की मुझे लत पड़ गई थी, जब तक दो-तीन बार गाण्ड और चूत ना मरवा लूँ.. मेरे जिस्म में सुस्ती रहती है। सब काम निपटा कर मैं तैयार होने लगी। ओह.. आपको बताना ही भूल गई कि पापा ने जाते समय मुझे कहा था कि वो जल्दी वापस आकर मुझे ले जाएँगे, बस इसी वजह से मैं तैयार हो रही हूँ।
करीब 9 बजे तक मैं एकदम तैयार होकर पापा का इंतजार करने लगी। आज मैंने पापा की लाया हुआ गुलाबी टॉप और काला स्कर्ट पहना था, जिसमें मैं एक छोटी बच्ची लग रही थी और वैसे भी अभी मेरी उमर भी क्या थी.. बच्ची ही तो थी मैं.. बस मेरे हरामी घर वालों ने मुझे औरत बना दिया था।
पापा- अरे वाहह.. मेरी रानी आज तो एकदम गुड़िया जैसी लग रही हो.. कसम से आज मज़ा आ जाएगा.. मगर मेरी एक बात गौर से सुन.. वहाँ किसी को पता ना चले कि तू मेरी बेटी है.. मुझे बस अंकल बोलना वहाँ.. ओके.. आज से तेरा नया जीवन शुरू होने जा रहा है। अब तू फ्री में नहीं चुदेगी.. हम पैसे कमाएँगे तेरी चूत से.. बस तू उनकी हर बात मान लेना.. थोड़े पागल किस्म के लोग हैं वो लोग चुदाई की हर हद पार कर चुके हैं मगर पैसे भी खूब देंगे…
पापा की बात सुनकर मैं एकदम सन्न रह गई क्योंकि चुदाई के चक्कर में अब ना जाने मेरे साथ क्या-क्या होने वाला था। पापा ने तो मुझे सचमुच की रंडी बना दिया था।

रानी- म..म..मगर पापा आपने तो कहा था कि आपके दोस्त हैं और मैंने बस मज़ा लेने ले लिए ‘हाँ’ की थी.. ये पैसे किस बात के लिए?
पापा- अरे रानी वो दोस्त ही हैं और मज़े तो हम करेंगे ही.. अब पैसे तो वो लोग अपनी ख़ुशी से दे रहे हैं समझी.. चल अब ज़्यादा सवाल मत कर.. वहाँ जाकर सब समझ जाएगी।
पापा मुझे टैक्सी में बिठा कर घर से ले गए। हम करीब 25 मिनट तक चलते रहे उसके बाद हम एक फार्म-हाउस पर पहुँचे, जो दिखने में काफ़ी आलीशान लग रहा था।
दरवाजे के अन्दर जाते ही दरबान ने हमें सलाम किया और हम अन्दर चले गए।
दोस्तो, अन्दर एक बहुत ही बड़ा घर था मैं तो बस देखते ही रह गई।
पापा- देखो रानी कोई गड़बड़ मत करना.. बस चुपचाप मज़े लेना.. समझी, ये बड़े लोग हैं इनको ‘ना’ सुनना पसन्द नहीं है। चलो अब ऊपर वो लोग इंतजार कर रहे होंगे।
मैं बोल भी क्या सकती थी.. चुपचाप पापा के पीछे हो गई।
पापा ने कमरे का दरवाजा खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं.. अन्दर काफ़ी आलीशान सजावट थी और चार आदमी जो 50 या 60 साल से कम के नहीं थे.. मुझे घूरने लगे।
उनमें से एक खड़ा हो गया जिसका नाम राजन था।
राजन- आओ आओ.. किशोरी लाल.. बड़ी देर कर दी आने में और ये कौन है.. तेरे साथ?
दोस्तो, मैंने शायद आपको बताया नहीं मेरे पापा का नाम किशोरी लाल है।
चलो अब आगे का हाल सुनाती हूँ।
पापा- सर जी.. मैंने बताया था ना आपको.. यह वही है…
राजन- दिमाग़ तो ठीक है.. ना तुम्हारा.. ये छोटी सी लड़की के बारे में बता रहे थे तुम.. विश्रान्त भाई.. सब सुना आपने?
विश्रान्त- हाँ सुन रहा हूँ.. किशोरी लाल तूने कहा था.. लड़की छोटी है खूब मज़ा देगी.. मगर इतनी छोटी है ये नहीं बताया था.. इसके साथ चुदाई करेंगे.. साली कहीं मर-वर गई तो.. ना बाबा हम ये रिस्क नहीं लेंगे.. तू इसको वापस ले जा.. हमारे पैसे वापस कर दे।
पापा- अरे विश्रान्त साब.. आप मेरी बात तो सुनो.. मैंने साफ-साफ कहा था लड़की छोटी है.. खूब मज़ा देगी और गुप्ता जी और दयाल साब भी तो वहीं थे.. आप भरोसा करो इसको कुछ नहीं होगा…
गुप्ता जी- भाई एक बात तो है.. साला किशोरी माल तो तगड़ा लाया है.. इतनी कमसिन कली को ऐसे ही मत जाने दो यार कुछ तो मज़ा करो…
दयाल साब- अरे राजन.. इसकी पूरी बात तो सुन लो.. क्या पता लड़की पहले से खेली-खाई हो.. तभी किशोरी यहाँ लाया है.. वरना इतना भी पागल नहीं है ये.. कि सील पैक लड़की हम शैतानों के हाथ सौंप दे…
पापा- हाँ राजन साब, यही बात है.. आप सुन ही नहीं रहे हो.. लड़की के तीनों छेद अच्छे से खुले हुए हैं.. हाँ बस फ़र्क इतना है कि थोड़ी जल्दी ही ये लड़की चुद गई वरना इस उमर में तो इसके खेलने के दिन हैं.. जवान लौंडों से चुदी है.. जिनको कुछ समझ ही नहीं.. अब आप लोगों के पास आ गई है तो सब सीख जाएगी।
दोस्तों पापा ऐसे बात कर रहे थे जैसे मैं कोई चीज हूँ और बाजार में मुझे बेचने गए हों और वो सब भी मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहे थे।
गुप्ता जी- नाम क्या है तेरा?
रानी- ज्ज..जी रानी।
गुप्ता जी- वाहह.. क्या नाम है तेरा.. रानी.. मज़ा आएगा, यहाँ आओ रानी.. तेरे चूचे तो देखूँ.. देखने में तो छोटे-छोटे अमरूद से लग रहे हैं।
विश्रान्त- छोटे हैं तो क्या हुआ.. हम हैं ना.. बड़े कर देंगे.. आजा रानी डर मत आ जा…
मैं एकदम सहम गई थी और पापा की तरफ़ देखने लगी.. मगर पापा तो हरामी थे, मुझे ऐसे घूर कर देखा कि मैं डर गई।
पापा- जाओ रानी ये बड़े सेठ हैं तेरी जिंदगी बना देंगे.. मैं अब चलता हूँ.. हाँ शाम तक तू इनको खुश कर दे.. मैं आकर तुझे ले जाउंगा.. ठीक है ना…
रानी- पा…. अंकल आपने तो कहा था आप साथ में रहोगे.. मगर आप तो जा रहे हो।
पापा- अरे मैं क्या करूँगा.. चार तो हैं अब मेरा यहाँ क्या काम, अब चुपचाप जा.. बाकी की बात शाम को करेंगे..
मेरी पीठ को सहला कर पापा मुझे उन भूखे भेड़ियों के सामने खड़ा करके वहाँ से चले गए।
गुप्ता जी- अब आ भी जा रानी.. क्यों तड़पा रही है.. आ देख सब कैसे तेरा इंतजार कर रहे हैं।
मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास गई।
एक बड़े से बिस्तर पर चारों बैठे बस मेरे करीब आने का इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही मैं उनके नज़दीक गई, विश्रान्त ने मुझे खींच कर बिस्तर पर ले लिया।
यह एक रबड़ के गद्दे वाला पलँग था जिसके गद्दे में पानी भरा हुआ था। बड़ा ही लचीला बिस्तर था। मैं ऊपर गिरते ही उछल गई।
चारों मुझे वासना की नज़रों से घूरने लगे, कोई मेरे चूचे दबा रहा था तो कोई मेरी जाँघों को चूसने लगा।
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक ये क्या हो गया। बस बिना कुछ बोले सब के सब मुझ पर टूट पड़े।
गुप्ता जी- यारों कुछ भी कहो किशोरी लड़की बहुत मस्त लाया है.. साली के चूचे छोटे से हैं.. मगर हैं बड़े रसीले.. उफ्फ.. क्या मज़ा आ रहा है।
दोस्तों उन चारों को मुझे नंगा करने में एक मिनट भी नहीं लगा।
अब मैं नग्न उनके सामने पड़ी थी और वो मेरे चूचुकों को चूस रहे थे।
विश्रान्त मेरी चूत को चाट रहा था, पहले उसने अपनी उंगली से मेरी चूत का मुआयना किया था कि कहीं सील पैक तो नहीं हूँ ना.. पहले एक उंगली डाली.. उसके बाद दो और फिर तीन उंगलियाँ ठूंस कर मेरी चूत की सील चैक की और मेरी चूत के रस से सनी अपनी उंगलियों को अपने मुँह में डाल कर चूसा।
राजन- क्यों विश्रान्त चूत चैक कर ली है क्या हुआ कैसी है.. और चूत का स्वाद कैसा है?
विश्रान्त- अरे क्या बताऊँ यार.. चूत तो एकदम मस्त कसी हुई है.. हाँ साली चुदी-चुदाई है.. मगर अभी ज़्यादा नहीं चुदी.. इसका पानी तो बड़ा स्वादिष्ट है।
सब एक से बढ़कर एक मादरचोद और हरामी थे, आधे घंटे तक मुझे ऐसे चूसते और चाटते रहे कि मेरी हालत खराब कर दी और हाँ एक बार तो मैं झड़ भी गई थी।
राजन- बस भाई इसको तो बहुत चूस लिया.. अब इसको अपने लौड़े चुसवाओ.. इसकी चूत और गाण्ड के मज़े लो.. अब बर्दाश्त नहीं होता।
चारों ने अपने कपड़े निकाल दिए.. मेरी नज़र उनके लौड़े पर गई जो तन कर एकदम फुंफकार रहे थे।
दोस्तों उनकी उमर के हिसाब से मुझे लगा.. सालों के लौड़ों में इतनी कहाँ जान होगी.. मगर उनको देख कर मेरी हालत पतली हो गई।
दयाल का लौड़ा कोई 8 इन्च का होगा पापा के लंड से मिलता-जुलता, गुप्ता जी का लंड एकदम काला.. किसी घोड़े जैसा वो कोई 9 इन्च का होगा और मोटा भी काफ़ी था।
अजय और विजय दोनों के लंड को जोड़ लो.. उतना अकेला तो उसका था। राजन का लौड़ा भी कोई 8 इन्च से ज़्यादा ही बड़ा था.. वो भी मोटा था।
आखिर में विश्रान्त के लंड पर नज़र गई तो वो भी करीब 9 इन्च का थोड़ा टेढ़ा लौड़ा था बिल्कुल केला जैसा घुमावदार लौड़ा था।
मेरे तो पसीने छूटने लगे, मगर मैं चुपचाप पड़ी रही।
दयाल- अबे गुड़िया.. अभी भी यूँ ही पड़ी रहेगी क्या.. चल आ जा.. अब लौड़े चूस.. उसके बाद देखते हैं तुझमें कितना दम है, आज तू शाम तक हम लोगों की है, कसम से आज तुझे इतना चोदेंगे कि सारी जिंदगी तुझे सपने में भी लौड़े ही दिखेंगे।
सारे कुत्ते मेरे आजू-बाजू खड़े हो गए, मैं उनके बीच बैठ गई और विश्रान्त का लौड़ा चूसने लगी, कभी राजन मेरे बाल खींच कर मुझे अपना लौड़ा चुसवाता तो कभी दयाल.. बस मैं तो उनके बीच कठपुतली बनकर रह गई थी।
रानी- आहह.. ऑऊच ये आप क्या कर रहे हो.. दुखता है ना…
राजन- चुप साली रंडी.. अगर इतना ही दर्द होता है, तो यहाँ क्या अपनी माँ चुदवाने आई है.. साली पैसे दिए है तेरे दलाल को.. शाम को तुझे तेरा हिस्सा भी मिल जाएगा.. वैसे एक बात तो बता, किशोरी को तू कहाँ से मिल गई.. साला कल तक तो हमसे कर्जे लेता था मगर आज सेठ बन गया.. पता है उसने तेरी एडवाँस बुकिंग कर दी है.. ये महीना पूरा तू बस चुदती ही रहेगी.. साला बड़ा हरामी है, एक ही दिन में लाखों कमा गया है वो।
उनकी यह बात सुनकर सोचने लगी.. जिस बाप के प्यार के लिए मैंने उसे अपना जिस्म सौंपा था वो ही कमीना मेरा दलाल बन गया।
उसे मुझसे कोई प्यार नहीं था, बस अपना काम निकाल कर अब मुझे बेच दिया उसने, पर मुझे भी बड़े लौड़ों से चुदवाने की चाह थी और पापा की चुदाई से मुझे लगने लगा था कि कम उम्र के लौंडों से ज्यादा अच्छी चुदाई उम्रदराज अनुभवी लौड़ों से मिलती है और मुझे इस नजर से ये चारों बहुत ठीक लग रहे थे।
वो सभी कुत्ते मुझ पर टूट पड़े, सबसे पहले विश्रान्त ने मुझे घोड़ी बना कर अपना लंबा लौड़ा मेरी चूत में एक बार में ही घुसा दिया, मैं ज़ोर से चीखी।





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