Sunday, December 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI अमृत कुण्ड

FUN-MAZA-MASTI


अमृत कुण्ड




मैं इंजीनियरिंग कॉलेज में दूसरे वर्ष का छात्र हूँ। पहला साल खत्म होने के बाद मैं कमरे की तलाश में था। पहले साल में तो हॉस्टल में था इसलिए मुझे कमरे की चिन्ता नहीं थी, लेकिन दूसरे साल में हॉस्टल में नहीं रह सकते इसलिए अपना खुद का कमरा लेना ही पड़ता है।
मैंने अपने एक सीनियर आशीष के कहने पर बस स्टैण्ड के पास एक कमरा ले लिया।
कमरे की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन कमरा काफी सस्ता था और बेवजह की रोक-टोक नहीं थी, इसलिए मैंने वहाँ रहने का फैसला ले लिया।
मेरा कमरा छत पर था, एक दिन शाम को मैं छत पर टहल रहा था तो मैंने बगल वाली छत पर मेरी क्लास की एक लड़की सुरभि को देखा, मैंने उसे मुस्कुरा कर देखा, वो भी मुझे देखकर मुस्कुराई।
मैं उससे कुछ पूछने ही वाला था कि उसकी मम्मी ने उसे आवाज दी और वो नीचे चली गई।
सुरभि हमारे कॉलेज की एक चर्चित लड़की है। वो हमारे कॉलेज की ‘मिस फ्रेशर’ भी रह चुकी है।
हालांकि सुरभि पढ़ाई में ज्यादा होशियार नहीं है, किन्तु सुरभि का शरीर एकदम सांचे में ढला हुआ है, उसका फिगर साईज 34-28-34 होगा और उसका कद लगभग 5 फुट 4 इन्च के लगभग होगा।
उसका रंग साफ, उरोज एकदम गोल एवं कसे हुए हैं, जो कि उसकी सुन्दरता में चार चांद लगा रहे थे।
उसके नितम्ब एकदम भरे हुए हैं जो किसी भी मर्द का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिये काफी हैं।
जब भी वो मिनी स्कर्ट में कॉलेज आती है उसकी चिकनी टाँगें देखकर सारे लड़के ‘आहें’ भरते हैं। सुरभि के पीछे कॉलेज के काफी लड़के पड़े हुए हैं, पता नहीं कितनों ने उसे प्रपोज किया था और न जाने कितने ही नए आशिक उसे पटाने के सपने संजोते रहते हैं।
अगले दिन हम कॉलेज में मिले, उसने बताया कि वह बगल वाला घर उसका है। वहाँ वह अपने मम्मी, पापा एवं अपनी बड़ी बहन के साथ रहती है, उसकी बड़ी बहन जयपुर में पढ़ती है।
उसके बाद उसने मुझसे पूछा- तुम वहाँ कल क्या कर रहे थे?
तो मैंने बताया- मैंने बगल वाले मकान में कमरा किराए पर लिया है।
फिर हमारी क्लास का समय हो गया और हम क्लास में चले गए।
मेरा ध्यान क्लास में सिर्फ उसी की तरफ था, वो क्लास में आगे वाली पंक्ति में बैठती है।
क्लास के बाद मैं शाम को छत पर टहल रहा था, मेरा ध्यान सुरभि के घर की तरफ था, मैं उसी का इंतजार कर रहा था कि वो कब आए और कब हमारी बात शुरू हो।
तभी वो छत पर अपनी किताब लेकर आई, मैंने उसको देख के हंस कर अभिवादन किया तो उसने भी मुस्कुरा कर प्रत्युतर दिया और पढ़ाई में लग गई, मैं तो उसे ही देखे जा रहा था, थोड़ी-थोड़ी देर में वो भी नजरें चुरा कर मुझे देख रही थी।
मैंने उससे बात शुरू की, पहले तो मैंने इधर-उधर की बातें की, मैंने उससे पूछा- तुम्हारी पसंद-नापसंद क्या-क्या है?
तो उसने मूवी, चैटिंग,घूमना आदि को अपनी पसन्द बताया और साथ ही उसने बताया कि वह पूरे दिन घर में अकेली रहती है।
जैसे ही उसकी मम्मी ऑफिस से घर आतीं, वो तुरन्त नीचे चली जाती क्योंकि उसकी मम्मी काफी पुराने ख्यालात वाली औरत हैं और सुरभि का किसी भी पराये लड़के से बात करना उन्हें जरा भी पसन्द नहीं है।
एक दिन जब हमारा छुट्टी का दिन था तो उसने मुझे अपने घर मूवी देखने का न्यौता दिया।
मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।
हॉलीवुड मूवी थी, हम दोनों ने मूवी को काफी पसंद किया।
मूवी देखते समय भी मेरा पूरा ध्यान सुरभि की तरफ ही था, उसका खिलखिला कर हंसना, कॉमेडी सीन पर ताली मारना.. बस बार-बार वही ध्यान आ रहा था।
मैं चाह कर भी उसे अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रहा था। शायद यह सिर्फ एक आकर्षण मात्र था जो एक पुरूष का एक सुन्दर स्त्री के प्रति होता है।
अब जब भी हमारी छुट्टी होती हम कोई ना कोई मूवी ले आते और मजे से देखते। एक बार मैंने उसे कुछ फिल्मों की सीडियाँ दीं और कहा- तुम इन्हें घर पर ले जाकर इनमें से कोई मूवी चुन लेना जो अपन अगली छुट्टी पर देखेंगे।
मैंने उनमें एक एडल्ट मूवी की सीडी भी डाल दी थी। मैंने उसे सीडियाँ दीं और अपने कमरे में आ गया।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, मुझे डर था कि कहीं वो नाराज ना हो जाए और मुझसे दोस्ती हमेशा के लिये ना तोड़ दे।
मैं शाम को उसका छत पर इन्तजार कर रहा था, वो आज काफी देर से छत पर आई थी।
मैंने उससे कहा- तुमने मूवी चुन ली क्या?
तो उसने मुझे कुटिल मुस्कान के साथ हामी भर दी।
जब मैंने उससे पूछा- कौन सी मूवी चुनी है?
तो उसने हंसते हुए कहा- जो तुम दिखाना चाहते थे।
मेरा चेहरा भी शर्म के मारे लाल हो रहा था।
बस इतना कह कर वो भी नीचे भाग गई।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
हमने तय किया कि कल कॉलेज का बंक मारेंगे और…
अगले दिन जैसे ही उसकी मम्मी रोजाना की तरह 9 बजे ऑफिस के लिए निकलीं, तो मैं भी उसके घर जा पहुँचा।
उसने मुझ से पानी पीने के लिए पूछा।
जब वो पानी लेने गई तो पीछे से मैंने कम्प्यूटर में वो एडल्ट मूवी लगा दी।
जब वो पानी का गिलास लेकर आई, तो मूवी देख कर झेंप गई।
मैंने हिम्मत करके कहा- काफी मनोरंजक मूवी है.. तुम्हें बहुत मजा आएगा।
उसने शरमा कर कहा- वो तो देखेंगे…
मूवी में काफी सेक्सी सीन चल रहे थे।
इधर मैं असहज हो रहा था और उधर वो भी सकपका सी रही थी।
मैं धीरे से उसके पास खिसक आया और उसके हाथ पर अपना हाथ फिराने लगा।
उसकी मौन स्वीकृति देख कर मैंने अपना काम जारी रखा और उसके गाल चूमने की कोशिश करने लगा।
उसने मुझे हटाने की नाकाम कोशिश की, पर मैं उसके गाल और माथे को लगातार चूमता ही रहा।
धीरे-धीरे उसकी सांसे भी गर्म होने लगीं।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया। अब वो भी विरोध करने की बजाय मेरा सहयोग करने लगी।
धीरे से मैंने उसे अपने बाहुपाश में ले लिया और उसकी पीठ पर अपने हाथ फिराने लगा।
वो भी मुझे अपने बाजुओं में जकड़ने लगी।
धीरे से मैंने अपने हाथ उसकी पीठ से सहलाते हुए उसकी छाती तक ले आया जहाँ उसके दूध बहुत ही सख्त मालूम हो रहे थे।
मैं उन्हें प्यार से दबाने लगा।
वो भी पागलों की तरह ‘आहें’ भरने लगी और मुझसे कहने लगी- मेरे प्यारे.. मेरी जान मुझे और ना तरसाओ… आज इस बंजर धरती को तर कर दो.. मुझे तृप्त कर दो… प्लीज जल्दी करो ना प्लीज… मैं और इन्तजार नहीं कर सकती…
मैंने ब्लू-फिल्में देखकर काफी कुछ सीख रखा था, मैंने धीरे से उसका टॉप निकाल दिया और उसके उरोज जो और भी ज्यादा फूल गए थे, हरे रंग की ब्रा में बहुत ही प्यारे लग रहे थे। मैंने उसके उरोजों का दबाना जारी रखा तथा एक हाथ उसकी कैप्री पर से उसकी चूत को सहलाने लगा।
अब वो बुरी तरह से तड़पने लगी।
मैंने धीरे से उसकी कैप्री भी निकाल दी, उसने काले रंग की पैन्टी पहन रखी थी जो उसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा रही थी।
उसकी चूत कुछ गीली सी हो चुकी थी।
अब मैंने उसे पूर्णतया नंगा कर दिया, अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया, चूत को स्पर्श करते ही लौड़ा लोहे जैसा कड़क हो गया।
आज मेरा लंड भी अपने विकराल रूप में था।
मैंने उससे अपना लंड चूसने का आग्रह किया तो वो थोड़ा समझाने के बाद मान गई।
उसने मेरा लंड़ अपने मुँह में लिया और अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिराने लगी, जिससे मेरे शरीर में अलग ही सनसनाहट सी दौड़ने लगी।
इसके पश्चात मेरी बारी थी, मैंने उसकी नरम-नरम झांटों में हाथ फिराया और चूत की फांकों को खोल कर उस निरन्तर रिसते अमृत-कुण्ड से अमृत-पान करने लगा।
उसके बाद मैंने अपना कार्यक्रम शुरू किया।
मैंने उसके नीचे तकिया लगाकर लिटाया और अपने लंड पर थोड़ा तेल लगा कर धीरे से उसकी चूत में डाला, उसने दर्द के मारे अपने दांत भींच लिए।
थोड़ी देर बाद उसका दर्द कुछ कम हुआ और हम दोनों आनन्द के सागर में गोते लगाने लगे।
मैं अपने हाथों से कभी उसके दूध सहलाता तो कभी उसके नितम्ब। वो भी चुदाई में पूर्ण सहयोग दे रही थी। कुछ देर धकापेल के बाद हम दोनों ही झड़ गए।
इसके बाद मैंने उसे अपने बाहुपाश में ले लिया। हमने उस दिन जी भर के प्यार किया।










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