FUN-MAZA-MASTI
नई जिन्दगी--10
कीस औरत को उसकी सुंदरता की तारीफ अच्छी नही लगती । पर सरला की बात
अलग थी उसे सालों बाद मर्द का सहवास मिलने लगा था तो वो खुशी से गदगद
होगी ही ना । सरला चिढाते हुए
सरला- ऊ नही बताउंगी
सुनिल- अच्छा जी मैडम नखरा दीखा रही है
सुनिल जोर से सरला के कमर पर चुटी काटता है ।
सरला- आआआआ हां हां बाबा छोडना बडा दर्द हो रहा है ।
सुनिल छोडता है ।
सरला रसोई भाग जाती है ।
रात के दो बज रहे थे सरला की गोद मे रवी खेल रहा था । उसकी नंगी चुचियों को
मुह मे दबाए चुस रहा था । सरला ने खुद की ओर देखा तो पाया वो भी पुरी नंगी
बैठी थी । अंधेरा कुछ कम हुआ तो उसने पाया पास ही सुनिल बीस्तर पर नंगा
लेटा था । और एक हाथ से सरला की दुसरी चुची मसल रहा था ।
सरला को बडा अजिबसा लगने लगा सुनिल बेशरम हो कर ईस तरह अपनी मां के
सामने कैसे पुरा नंगा होकर लेटा है, इस सोच मे सरला थी की अचानक रवी सरला
की ओर बडी ही ममता भरी नजरों से देखने लगा और रवी के नाजूक मुह से
निकल पडा मममम....ममा... सरला ये सुनते ही फुली नही समा रही थी । आखिर
कौन मां खुश नही होगी वो सबकुछ भुल कर रवी को पास लेकर बेईन्तहा उसके
माथे पर और नाजूक लाल गालों पर चुमने लगी कहने लगी
सरला-बेटा फीर बोलो मां.
रवी फीर बोल पडा मममम...मां ,
सरला बडी खुशी से कहने लगी
सरला-देखो देखो सुनिल रवी मुझे मां कह रहा है ।
सुनिल- हां मां रवी तुझे दील से अपनी मां मानता है ।
सरला सुनिल की ओर देख के मुस्कुराई
सरला- सच
सुनिल- सच मां
सरला की आंखे भर आई, उसने तुरंत आंखो मे लगाया हुआ काजल उंगली से रवी
के गाल पर टीका लगाया ।
असल मे सुनिल के जन्म ने बाद सरला को एक और बच्चे की चाहत बडी गहराई
मे दबी थी । लेकीन सुनिल के पीता को फौज मे होने से सरला के साथ रहने का
मौका ही नही मिलता था और देहान्त के बाद वो चाहत तो दबी की दबी ही रह
गई ।
अचानक रवी रोने लगा
सरला- ओ ओ ले मेरा बच्चा सरला ने रवी के मुह मे चुची भर दी पर फीर भी वो
रोये जा रहा था सरला ने देखा उसकी चुची से दुध नही आ रहा था ।
रवी सरला की गोद से अलग हुआ और अंधेरे मे घुटनो के बल रेंगते जाने लगा ।
सरला रोने लगी रवी को पुकारने लगी ।
सरला- रवी रवी मेरा बच्चा कहा जा रहा है मत जा बेटा, देख ना सुनिल रवी कहा
जा रहा है रोक ना उसे ।
सरला ने देखा तो सुनिल वहां नही था । और रवी भी नही था बस घना काला
कोहरा अंधेरा ही अंधेरा फैला था । सरला फुट-फुट के रो रही थी । और सरला ने
रोते-रोते आंखे खोली । सुनिल पास ही गहरी नींद मे सोया था और रवी पालने मे
सोया था । सरला ने प्यार से रवी के माथे को चुमा ।
सरला- सससससपना बुरा सससपना था ये हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्रीया
सरला की नजर सुनिल पे पडी सुनिल कच्छी और बनियान मे सोया था । सरला
की चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट झलकी ।
सरला सुनिल से बीलगती हुई सो गई उसने उसका एक हाथ अपनी कमर पे रखा
और सो गई ।
सरला- कुछ दीन बाद
सुनिलने अपनी पेंट खोली और अपना तन्नाया लौडा बाहर निकाला उसके बाप के
लंड से भी बडा और चौडा था वो काला गन्ने जैसा कल रात पहली बार सरला ने
उसे देखा था तब से वो डरी थी उसे अचानक अतित याद आने लगता है उसे निंद
ही नही आ रही थी । सुनिल सरला के नरम हाथों को पकड कर उसकी मुठ्ठी मे
देता है ।
सुनिल- हीला ईसे
सरला हीलाने लगती है उसकी नई हरी चुडीयां खनकने लगती है अपने लंड को
महीनो बाद कीसी औरत का हाथ लगने से सुनिल बडा खुश हो जाता है ।
सुनिल- अ अह बस कर नही तो निकल जाएगा
और फीर नंगा ही सरला को बाहों मे लिए सो जाता है ।
दुसरे दीन रवी दोपहर से रो रहा था । सरला को बडी चिंता होने लगती है वो
कविता को बुला लाती है ।
सरला- देख ना कविता बडा रो रहा है सुबह से
कविता- अरे दीदी लाओ उसे यहा भुक लगी होगी उसे और उसका खाना यहां है
अपनी चोली से एक चुचि निकालते हुए कहती है
सरला कविता की चुचि देखती है । रवी बडी बेसबरी से मुंह मे चुसने लगता है ।
सरला बडी उदास होती है रवी की ये हालत देखे
कविता- दीदी आपकी छाती मे दुध नही भरा अभी तक
सरला हडबडाते हुये
सरला- ह नही
कविता- डॉक्टर को दीखाया नही
सरला- ददद दीखाया
कविता- कोई बात नही दीदी बच्चो को दो-तीन सालतक पीला सकते है दूध जब
आयेगा तब पीलाना शूरू करदो मां के दुध से बढकर कुछ नही
सरला- ह हां
कुछ बाते करने के बाद कविता चलि जाती है ।
सोये हुए रवी के माथे पर सरला हाथ फेरती है ।
सरला- चिंता मत कर मेरे जीगर के तुकडे मै तेरे लिए कुछ भी सहूंगी तुझे भुका
नही रहने दूंगी
सुनिल काम से लौटता है ।
वो सरला की गोद मे नई साडी रख देता है । पर उसे देख सरला को खुशी नही
हुई , सरला का उदास चेहरा देख सुनिल पुछता है ।
सुनिल- ए रानी क्या हुआ उदास क्यू बैठी है
सरला चुप रही उसने कुछ जवाब नही दीया
सुनिल- क्या हुआ जवाब क्यू नही देती
सरला- सुनिल वो वो
सुनिल- ठीक से बता क्या बात है
सरला रोने लगी
सरला- सुनिल मुझे हमारे बच्चे की चिंता हो रही है । बेचारा रोज भुका रहता है ।
उसे मां का दुध चाहीये । बता ना मै क्या करू ।
सुनिल को बडी खुशी हुई सरला रवी को अपना बच्चा मानने लगी थी । उसने
सरला के आंसू पोछ लिए ।
सुनिल- तो बन जाना उसकी मां, बनेगी ना
सरला- मतलब
सुनिल- ईतने दीन जो तेरे पिछे लगा हूं पर तू है की हम दोनो का मिलन होने ही
नही देती
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नई जिन्दगी--10
कीस औरत को उसकी सुंदरता की तारीफ अच्छी नही लगती । पर सरला की बात
अलग थी उसे सालों बाद मर्द का सहवास मिलने लगा था तो वो खुशी से गदगद
होगी ही ना । सरला चिढाते हुए
सरला- ऊ नही बताउंगी
सुनिल- अच्छा जी मैडम नखरा दीखा रही है
सुनिल जोर से सरला के कमर पर चुटी काटता है ।
सरला- आआआआ हां हां बाबा छोडना बडा दर्द हो रहा है ।
सुनिल छोडता है ।
सरला रसोई भाग जाती है ।
रात के दो बज रहे थे सरला की गोद मे रवी खेल रहा था । उसकी नंगी चुचियों को
मुह मे दबाए चुस रहा था । सरला ने खुद की ओर देखा तो पाया वो भी पुरी नंगी
बैठी थी । अंधेरा कुछ कम हुआ तो उसने पाया पास ही सुनिल बीस्तर पर नंगा
लेटा था । और एक हाथ से सरला की दुसरी चुची मसल रहा था ।
सरला को बडा अजिबसा लगने लगा सुनिल बेशरम हो कर ईस तरह अपनी मां के
सामने कैसे पुरा नंगा होकर लेटा है, इस सोच मे सरला थी की अचानक रवी सरला
की ओर बडी ही ममता भरी नजरों से देखने लगा और रवी के नाजूक मुह से
निकल पडा मममम....ममा... सरला ये सुनते ही फुली नही समा रही थी । आखिर
कौन मां खुश नही होगी वो सबकुछ भुल कर रवी को पास लेकर बेईन्तहा उसके
माथे पर और नाजूक लाल गालों पर चुमने लगी कहने लगी
सरला-बेटा फीर बोलो मां.
रवी फीर बोल पडा मममम...मां ,
सरला बडी खुशी से कहने लगी
सरला-देखो देखो सुनिल रवी मुझे मां कह रहा है ।
सुनिल- हां मां रवी तुझे दील से अपनी मां मानता है ।
सरला सुनिल की ओर देख के मुस्कुराई
सरला- सच
सुनिल- सच मां
सरला की आंखे भर आई, उसने तुरंत आंखो मे लगाया हुआ काजल उंगली से रवी
के गाल पर टीका लगाया ।
असल मे सुनिल के जन्म ने बाद सरला को एक और बच्चे की चाहत बडी गहराई
मे दबी थी । लेकीन सुनिल के पीता को फौज मे होने से सरला के साथ रहने का
मौका ही नही मिलता था और देहान्त के बाद वो चाहत तो दबी की दबी ही रह
गई ।
अचानक रवी रोने लगा
सरला- ओ ओ ले मेरा बच्चा सरला ने रवी के मुह मे चुची भर दी पर फीर भी वो
रोये जा रहा था सरला ने देखा उसकी चुची से दुध नही आ रहा था ।
रवी सरला की गोद से अलग हुआ और अंधेरे मे घुटनो के बल रेंगते जाने लगा ।
सरला रोने लगी रवी को पुकारने लगी ।
सरला- रवी रवी मेरा बच्चा कहा जा रहा है मत जा बेटा, देख ना सुनिल रवी कहा
जा रहा है रोक ना उसे ।
सरला ने देखा तो सुनिल वहां नही था । और रवी भी नही था बस घना काला
कोहरा अंधेरा ही अंधेरा फैला था । सरला फुट-फुट के रो रही थी । और सरला ने
रोते-रोते आंखे खोली । सुनिल पास ही गहरी नींद मे सोया था और रवी पालने मे
सोया था । सरला ने प्यार से रवी के माथे को चुमा ।
सरला- सससससपना बुरा सससपना था ये हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्रीया
सरला की नजर सुनिल पे पडी सुनिल कच्छी और बनियान मे सोया था । सरला
की चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट झलकी ।
सरला सुनिल से बीलगती हुई सो गई उसने उसका एक हाथ अपनी कमर पे रखा
और सो गई ।
सरला- कुछ दीन बाद
सुनिलने अपनी पेंट खोली और अपना तन्नाया लौडा बाहर निकाला उसके बाप के
लंड से भी बडा और चौडा था वो काला गन्ने जैसा कल रात पहली बार सरला ने
उसे देखा था तब से वो डरी थी उसे अचानक अतित याद आने लगता है उसे निंद
ही नही आ रही थी । सुनिल सरला के नरम हाथों को पकड कर उसकी मुठ्ठी मे
देता है ।
सुनिल- हीला ईसे
सरला हीलाने लगती है उसकी नई हरी चुडीयां खनकने लगती है अपने लंड को
महीनो बाद कीसी औरत का हाथ लगने से सुनिल बडा खुश हो जाता है ।
सुनिल- अ अह बस कर नही तो निकल जाएगा
और फीर नंगा ही सरला को बाहों मे लिए सो जाता है ।
दुसरे दीन रवी दोपहर से रो रहा था । सरला को बडी चिंता होने लगती है वो
कविता को बुला लाती है ।
सरला- देख ना कविता बडा रो रहा है सुबह से
कविता- अरे दीदी लाओ उसे यहा भुक लगी होगी उसे और उसका खाना यहां है
अपनी चोली से एक चुचि निकालते हुए कहती है
सरला कविता की चुचि देखती है । रवी बडी बेसबरी से मुंह मे चुसने लगता है ।
सरला बडी उदास होती है रवी की ये हालत देखे
कविता- दीदी आपकी छाती मे दुध नही भरा अभी तक
सरला हडबडाते हुये
सरला- ह नही
कविता- डॉक्टर को दीखाया नही
सरला- ददद दीखाया
कविता- कोई बात नही दीदी बच्चो को दो-तीन सालतक पीला सकते है दूध जब
आयेगा तब पीलाना शूरू करदो मां के दुध से बढकर कुछ नही
सरला- ह हां
कुछ बाते करने के बाद कविता चलि जाती है ।
सोये हुए रवी के माथे पर सरला हाथ फेरती है ।
सरला- चिंता मत कर मेरे जीगर के तुकडे मै तेरे लिए कुछ भी सहूंगी तुझे भुका
नही रहने दूंगी
सुनिल काम से लौटता है ।
वो सरला की गोद मे नई साडी रख देता है । पर उसे देख सरला को खुशी नही
हुई , सरला का उदास चेहरा देख सुनिल पुछता है ।
सुनिल- ए रानी क्या हुआ उदास क्यू बैठी है
सरला चुप रही उसने कुछ जवाब नही दीया
सुनिल- क्या हुआ जवाब क्यू नही देती
सरला- सुनिल वो वो
सुनिल- ठीक से बता क्या बात है
सरला रोने लगी
सरला- सुनिल मुझे हमारे बच्चे की चिंता हो रही है । बेचारा रोज भुका रहता है ।
उसे मां का दुध चाहीये । बता ना मै क्या करू ।
सुनिल को बडी खुशी हुई सरला रवी को अपना बच्चा मानने लगी थी । उसने
सरला के आंसू पोछ लिए ।
सुनिल- तो बन जाना उसकी मां, बनेगी ना
सरला- मतलब
सुनिल- ईतने दीन जो तेरे पिछे लगा हूं पर तू है की हम दोनो का मिलन होने ही
नही देती
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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