Friday, February 27, 2015

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--56

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--56

अब आगे
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अपने होंठों पर अपने बाप के लंड का एहसास मिलते ही काव्या का पूरा शरीर झनझना उठा, क्योंकि ठीक उस लंड के पीछे थे उसकी माँ के नर्म और मुलायम होंठ...एक ही पल में उसे ये एहसास उत्तेजित कर गया की वो अपने माँ और बाप के अंगो को एक साथ चूम रही है...

अब रश्मि ने बीच मे से निकल जाना ही सही समझा...क्योंकि अब उसकी बेटी का नंबर था...जिसे वो अपने पति के कहने पर अच्छी तरह से तैयार कर चुकी थी..

उसके निकलने के साथ ही अब समीर के लंड पर सिर्फ़ काव्या का कब्जा रह गया...उसने अपने प्यारे पापा को पलंग पर खींचा और उन्हे लिटा दिया..और फिर उनके हथियार पर थूक लगा कर उसे अच्छी तरह से लुब्रीकेट कर दिया..और फिर बड़े ही प्यार से उनकी आँखो मे देखते-2 उसने वो 8 इंची लंड अपने मुँह के अंदर निगलना शुरू कर दिया.

जैसे -2 वो माँस का टावर काव्या के मुँह में जा रहा था, समीर की साँसे उसके अंदर से निकलनी मुश्किल हो रही थी, ऐसा लग रहा था की उसके दिल की धड़कन रेल की गति सी भागती चली जा रही है..

काव्या ने समीर की बॉल्स पर अपना पंजा सही से जमाया ताकि लंड चूसते वक़्त नीचे का बैस स्थिर रहे..और फिर उसने अपने होंठों से उसकी लंबाई नापनी शुरू कर दी..


काव्या ने एक ही झटके मे अपने बाप का पूरा का पूरा लंड निगल लिया..और बार-2 निगलती रही उतनी ही तेज़ी से...दूर बैठी रश्मि भी अपनी बेटी की कलाकारी देखकर अचंबित थी..वो समझ गयी की ये उसका पहली बार नही है जब वो इतना लंबा लंड चूस रही है, आज उसे अपनी बेटी के बारे में क्या-2 पता चल रहा था.

और समीर तो सातवें आसमान पर था, उसकी गांड हवा में उठी हुई थी,वो ज़्यादा से ज़्यादा अपने लंड को काव्या के मुँह के अंदर घुसेड रहा था...इतना अंदर तो शायद ही वो किसी के मुँह मे घुसा होगा...उसका बस चलता तो वो अपनी बॉल्स भी डाल देता उसके छोटे से मुँह में ,पर अभी के लिए उसे जो मिल रहा था वो उससे ही संतुष्ट था.

हालाँकि आज उसके लंड ने रिकॉर्ड तोड़ चुदाई की थी, पर कुछ देर पहले माँ-बेटी के सेक्स को देखकर और अब काव्या द्वारा उसके लंड के चूसे जाने के बाद वो जल्द ही एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुँच गया...और वो ऐसा अभी के लिए तो हरगिज़ नही चाहता था..उसने तुरंत अपना लंबा लंड उसके मुँह से बाहर खींच लिया और उसके चेहरे को पकड़ कर अपने मुँह से लगाया और बेतहाशा स्मूच करने लगा..

उसके गीले मुँह से उसे अपने लंड की महक आ रही थी...पर उससे भी ज़्यादा समीर को काव्या का मीठापन महसूस हो रहा था जिसे वो चूसता चला गया.

उसकी उंगलियों ने सीधा जाकर काव्या की टाइट चूत को टटोला, जो काफ़ी गीली थी..पर उंगली अभी भी अंदर नही जा रही थी...उसे पता था की थोड़ा और गीला करने के लिए उसे क्या करना होगा.

समीर ने बड़े ही रफ़ तरीके से काव्या को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उनके बीच लेट गया और लगा दी अपनी दहकति हुई जीभ उस नन्ही सी काव्या की गर्म चूत पर, और बेचारी बिलख उठी वो अपने बाप के इस प्रहार से..

''आआआआआआआआआआआआअहह ओह पापा ..................... उम्म्म्ममममममममममम .........''



और ये एक सिसकारी थी जिसे सुनकर उसकी माँ अंदर तक हिल गयी....उसे शायद अपनी बेटी की चिंता सताने लगी थी...वो सोचने लगी की अभी तो समीर ने सिर्फ़ अपनी 3 इंच की जीभ डाली है उसकी चूत में ...जब 8 इंची लंड जाएगा तो क्या हाल होगा उसका...वो मन ही मन उपर वाले से उसे शक्ति देने की प्रार्थना करने लगी.



पर वो नादान भला क्या जाने की काव्या का बिलखना दर्द भरा नही बल्कि मस्ती भरा था...अपनी ही माँ के सामने वो उसके पति से अपनी चूत चुसवा रही थी ये एहसास ही उसकी चूत में पानी का बाँध छोड़ने के लिए काफ़ी था...

और प्रेम रस में डूबकियां लगाती हुई काव्या के मुँह से गुनगुनाती हुई सिसकारियाँ निकालने लगी..

''ओह पापा ...............सक्क मी ...............एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .....और अंदर .............. ओह फककक .....मी डियर पापा ............ उम्म्म्मममममममममम...''

और अपनी जीभ पर उसके रस को महसूस करते ही समीर समझ गया की वो घड़ी आ चुकी है जिसका उसे कब से इंतजार था..

वो बेड के किनारे पर खड़ा हुआ और काव्या की टाँगो को फेला कर अपने लंड को उसकी चिकनी चूत पर लगा दिया...

लंड का गर्म हिस्सा उसके अंदर तक सिहरन दौड़ा गया..और वो बेड पर बिन पानी मछली की तरह मचल उठी..

उसकी नज़रें सीधा दूर बैठी अपनी माँ की तरफ चली गयी और दोनो ने आँखो ही आँखो मे एक दूसरे को प्यार से देखा..

और अचानक काव्या को अपनी चूत पर लंड का दबाव महसूस होने लगा और उसने बेड की चादर पकड़ ली..और अपने दाँत भींच लिए..

और समीर ने बड़े ही प्यार से धीरे-2 अपना लंड उसकी गर्म और गीली चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया.


और अपने अंदर एक नयी तरह की चीज़ आती महसूस करती हुई काव्या का मुँह गोल होता चला गया..

''आआआआआआआआआआआहह ............... ओह गॉड .......................... उफफफफफफफफफफ फफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ... मम्मी ................ दर्द हो रहा है .................... अहह ...... नूऊऊऊऊऊऊऊ ...''

रश्मि के चेहरे पर चिंता की लकीरे आ गयी , वो तुरंत खड़ी होकर अपनी बेटी के पास पहुँच गयी और उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए दिलासा देने लगी...और समीर से बोली : "प्लीज़ समीर ..... थोड़ा धीरे करो ना ...देखो बेचारी को दर्द हो रहा है ....''

उसने तो आज से पहले ऐसी कुँवारी और टाइट चूत मारी ही नही थी...ये एहसास अलग ही था....एकदम टाइट चूत के अंदर जाता हुआ उसका लंड ऐसे लग रहा था की वो वापिस भी आ पाएगा या नही...और अचानक उसे काव्या की चूत का अवरोध यानी उसकी सील महसूस हुई ...और उसने एक जोरदार झटके से अपना बचा हुआ लंड अंदर डालते हुए उस अवरोध को भी पार कर लिया...और काव्या बेचारी एक बार फिर दर्द से बिलबिला उठी..

''आआआआआआआआहह ....ओह ... नूऊऊऊऊऊओ ....पापा ...............धीरे करो ना प्लीज़......''


समीर थोड़ी देर के लिए रुका और फिर धीरे-2 झटके देने लगा...यही तरीका होता है पहली चुदाई के बाद का...

ऐसा नही था की उसने आज से पहले कुँवारी चूत मारी ही नही थी..पर इतनी टाइट नही मारी थी ,ये बात पक्की थी...


उसके हर झटके से उसके छोटे-2 मुम्मे उपर उछल जाते और उसके मुँह की गर्म हवा उसके चेहरे से टकरा जाती...

अब काव्या भी शांत हो गयी...उसका दर्द कम हो चुका था...और धीरे-2 उस दर्द ने कब आनंद का रूप ले लिया, उसे भी पता नही चला..

अब रश्मि भी वापिस सोफे पर जाकर बैठ गयी...उसकी आँखो मे खुशी के आँसू भी थे, अपनी बेटी की जिंदगी की पहली चुदाई में वो उसके साथ रहेगी ये शायद उसने भी नही सोचा था...हर माँ को ये खुशी देखनी नसीब नही होती..शायद इसलिए उसकी आँखे छलक आई थी.

साइड मे बैठकर वो अपने पति द्वारा अपनी बेटी की चुदाई का सीन देखने लगी...



काव्या के चेहरे के भाव अब बदल चुके थे, वो बड़े ही प्यार से अपने प्यारे पापा को देखते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी...उसके हिलते हुए मुम्मे देखकर रश्मि का मन किया की वो जाकर उन्हे चूस ले पर अभी वो उन्हे डिस्टर्ब नही करना चाहती थी..

काव्या का सेक्स से भरा चेहरा देखकर समीर भी काफ़ी उत्तेजित हो रहा था...वो अपने सेक्सी लिप्स को अपने दांतो के बीच दबाती और उन्हे खुद ही चूस्कर छोड़ देती...कभी दर्द से कराहती और कभी मज़े से हंस पड़ती..एक के बाद एक एक्सप्रेशन आ रहे थे उसके सेक्सी से चेहरे पर..



काव्या का दर्द तो कब का जा चुका था, अब वो पूरी तरह मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी.

और उसे पता था की मज़े कैसे लिए जाते हैं..

वो चिल्ला-2 कर अपने मज़े को व्यक्त करने लगी.

''आआआआआआआआआअहह पापा ................... वाव .................. उम्म्म्ममममम ..... अब मज़ा आ रहा है ,.................ओह्ह्ह्ह माय गॉड ...............ये फक्किंग इतनी मजेदार होती है ..... मज़ा आ गया ..............और आपका ये लंबा लंड ...................मुझे ऐसे लग रहा है जैसे .......अहह मेरे पेट तक जा रहा है ............... अहह ओह ...उम्म्म्ममममम ...और ज़ोर से करो पापा ......और अंदर तक करो .......''

और वो बेड पर लेटी हुई अपनी कमर लहरा कर समीर के लंड को अंदर बाहर करने लगी...



उसकी माँ भी समझ गयी की उसपर चुदसी अब पूरी तरह से चढ़ चुकी है ...

और एक अब उसे खुशी भी हो रही थी की काव्या की पहली चुदाई समीर ने की क्योंकि जिस तरह से प्यार-2 से उसने ये सब किया था वो एक समझदार इंसान ही कर सकता था...

समीर भी अब खड़ा-2 थक चुका था.

वो बेड पर लेट गया और उसने काव्या को अपने उपर खींच लिया....और एक ही झटके में वो उसके उपर बैठ कर उसके लंड को निगल गयी अपनी चूत के अंदर, और नीचे मुँह करके चूत और लंड के मिलन को देखते हुए अपनी गांड मटकाते हुए चुदाई करवाने लगी..



''ओह पापा ......ऐसे तो और भी डीप जा रहा है ......उम्म्म्ममममममममममम .... येएस्स पापा ......और झटके मारो ...... ओफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... एसस्स्स्स्स्स्सस्स .... उम्म्म्मममममममम....''


समीर तो पुराना खिलाड़ी था ....वो एक ही झटके में उठकर बैठ गया और अपने उपर बैठी हुई काव्या की टाँगो को अपनी कमर के चारों तरफ लपेट कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया...और ऐसा करते हुए जो डीपनेस काव्या को महसूस हुई उसे बताने के लिए उस बेचारी का मुँह खुल ही नही पाया...क्योंकि समीर ने उसके बाल पकड़कर उसे अपनी छाती से भींच लिया था...और नीचे से जोरदार झटके मारकर उसे चाँद की तरफ उछल रहा था...

नीचे से मिल रहे हर झटके से उसकी चूत का बेंड बज उठता..और एक उन्माद भरी चीख निकल जाती उसके मुँह से...


''ओह यएसस्स पापा ..................ओह येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स.... उम्म्म्मममममम... अहह ...ओह..... ''

कुछ देर तक उसे इसी आसन में चोदता हुआ वो उसे मज़े देता रहा

पर काव्या के शरीर की हरकतों से और अपने लंड की अकड़न से उसे पता चल चुका था की दोनो तरफ जल्द ही बारिश होने वाली है...

और जल्द ही उसके लंड से माल निकलने का टाइम आ गया...उसने काव्या को वापिस बेड पर पटका और तिरछा करके उसकी चूत मारने लगा


और उसने आख़िरी वक़्त में अपना लंड बाहर निकाल लिया...वो पहली ही बार मे उसे प्रेगनेन्ट नही करना चाहता था..

पर तभी काव्या चिल्ला उठी...

''नूओsssssssssssssssssss पापा .....अंदर ही करो .......मुझे आपको अंदर ही फील करना है ......मैने टॅबलेट ले रखी है .....''

उसकी माँ भी ये बात सुनकर चोंक गयी....यानी उसे पता था की आज वो चुदकर रहेगी...इसलिए उसने पहले से ही टेबलेट ले ली ताकि वो अपने बाप के स्पर्म को अपनी चूत के अंदर महसूस कर सके...अब तो रश्मि को सॉफ पता चल गया था की ये उन दोनो की एक चाल थी...पर अब हो भी क्या सकता था...जो होना था वो तो हो ही चुका था.

समीर का लंड फिसलकर बाहर आ चुका था...उसने उसे पकड़ कर फिर से उसकी रसीली चूत के अंदर डाल दिया...और अंदर जाते ही उसके लंड ने पानी छोड़ दिया...और एक बार फिर से वो फिसलकर बाहर आ गया....

और पीछे-2 उसके लंड का पानी भी काव्या की नयी चुदी चूत से बाहर निकलने लगा..

उसके चेहरे पर आ रहे संतुष्टि के भाव देखकर समीर काफ़ी खुश था...

वो भी हांफता हुआ उसके उपर गिर पड़ा..

और काव्या ने उसे अपनी बाहों के घेरे मे लेकर चूम लिया..

और उसके कान मे फुसफुसाई

''थॅंक यू पापा''






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