FUN-MAZA-MASTI
मालकिन की चुदाई-2
दूसरे दिन मैं जल्दी उठा क्योंकि मुझे कॉलेज जाना था.. तभी आंटी भी बाहर आईं।
मैंने सोचा कहीं आंटी को कुछ पता तो नहीं चल गया।
मगर जैसे ही आंटी मेरे पास आने लगीं.. तो नींद में होने के कारण उनका पैर फिसल गया और वहीं गिर गईं.. मैं भाग कर उनके पास गया और उनको सहारा दे कर खड़ा किया।
आंटी- मेरी कमर और पैरों में बहुत दर्द हो रहा है।
मैं- शायद दीवार से टकराने की वजह से आपके कमर में चोट आई है।
तो मैंने उनको सहारा देके फिर से कमरे में ले गया
मैं- अब तक शायद रात की उतरी नहीं ह्म्म्मं…
आंटी- हाँ… पर रात को मज़ा भी काफ़ी आया था।
मैंने मन में कहा- मज़ा तो मुझे भी आया.. इस हसीना की चूत का पानी पीकर…
मैं- क्या अभी भी दर्द हो रहा है?
आंटी- हाँ.. थोड़ा घुटनों पर और नीचे कमर में.. शायद चोट आई है।
मैं- हाँ.. आप मलहम से थोड़ी मालिश कर लीजिएगा.. ठीक हो जाएगा।
मैं बॉक्स में से मलहम लेकर आया और उनको दे दी।
आंटी मलहम लगाने की कोशिश कर रही थीं.. पर कमर दर्द के कारण वो झुक भी नहीं पा रही थीं।
तो आंटी ने कहा- तू ही लगा दे और थोड़ी मालिश भी कर दे।
मैं- अरे आंटी मैं आपकी मालिश.. कैसे कर सकता हूँ?
मैं थोड़ा भाव खा रहा था।
आंटी- कोई नहीं.. तू कर दे अब.. पर पहले बाहर वाली कुण्डी लगा ले।
मैं- हाँ.. ये ठीक रहेगा।
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.. क्या मालूम आज शायद लॉटरी लग जाए।
मैं जब वापस कमरे में गया तो आंटी ने पूरी नाइटी घुटनों तक ऊपर उठा रखी थी।
मैं तो बस दो मिनट तक उनकी गोरी टाँगों को बस देखता ही रह गया।
तभी आंटी ने टोका- क्या हुआ विकी.. ऐसे कभी कोई लड़की देखी नहीं क्या?
मैंने शरम से सर झुका लिया और बोला- पर आप जैसी खूबसूरत कोई नहीं देखी।
आंटी- चल इधर आ.. अब लाइन मत मार.. मेरी शादी हो गई है।
मैं बिस्तर पर बैठ गया और वो पैर चौड़े करके लेट गईं।
फिर मैं धीरे-धीरे मालिश करने लगा तो आंटी धीरे-धीरे ‘आअहह.. आअहह अयाया..’ की आवाज़ करने लगीं।
मैं समझ गया- भाई विकी.. आज तो इसकी ‘फील्ड’ को तो तू ही गीला करेगा।
तभी आंटी ने कहा- थोड़ी ऊपर भी मालिश कर ना।
तो मैं थोड़ा सा हाथ और ऊपर ले गया.. क्यूँकि मुझे डर लग रहा था कि कहीं आंटी बुरा ना मान जाएं।
आंटी- क्या सोच रहा है रे तू.. कल रात को तो नहीं शरमा रहा था.. बड़ी ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था.. आज क्या हो गया तुझे?
यह सुनकर तो जैसे मेरे होश ही खो गए..!
आंटी उस वक़्त जाग रही थीं..!
तभी आंटी ने अपना असली छिनाल रूप दिखाया कहा- ओए भोसड़ी के.. तुझे सिर्फ़ चूत चाटना ही आता है या चोदना भी आता है?
मैं- मैं.. मैं.. आंटी.. कुछ समझा नहीं…
आंटी- नाटक कर रहा है मादरचोद.. कल रात को तू मेरे साथ क्या कर रहा था.. तेरे घर में माँ-बहन नहीं है क्या?
मैं आंटी के पैरों में गिर गया और माफी माँगने लग गया- सॉरी आंटी आगे से नहीं होगा.. वो नशे में.. ये सब कर बैठा.. मुझे माफ़ कर दीजिए प्लीज़…
आंटी ने फिर मुझे कान पकड़ कर उठाया और मेरे गालों पर एक चुम्मा लिया।
फिर तो मानो आंटी ने जैसे मरे हुए मेरे लौड़े में जान डाल दी हो।
आंटी- आजा.. मेरे पास.. ये सब तो मेरा पहले से बनाया हुआ प्लान था.. और मुझे एक बॉटल में नहीं चढ़ती.. तेरे अंकल के साथ मैं भी कभी-कभी पी लेती हूँ तो मुझे तो पीने की आदत है। मैं तो बस ये देख रही थी कि तू मेरे साथ क्या-क्या कर सकता है…
मैं- तो आंटी क्या अंकल आपको नहीं चोदते?
आंटी- अरे वो चोदते तो हैं पर कम चोदते.. उन्हें चुदाई में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं रह गया है.. पर जब चोदते हैं तो मेरी जान निकाल देते हैं। मैं भी अब एक ही लौड़े से चुद कर बोर हो गई काफ़ी टाइम से सोच रही थी.. पर बदनामी ना हो जाए.. इसलिए मैंने कुछ नहीं किया… पर तेरे आने से मेरे सोए हुए अरमान जागने लगे थे।
मैं- तो अब आपका क्या इरादा है.. मेरी रानी…
आंटी- मेरा इरादा तो नेक है.. पर आपका ज़रा लौड़ा जरा बेईमान लग रहा है साहब…
फिर मैं और आंटी अपनी रास-लीला में लीन हो गए।
मैंने आंटी को बाँहों में भरते हुए उनके लबों पर अपने होंठ रख दिए।
आहह.. क्या रस भरे होंठ थे..
बस जी चाह रहा था कि सारा रस पी जाऊँ.. कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसकी जीभ चूसता।
वो मेरे बालों को सहलाने लगी.. मेरा हाथ कभी उनकी पीठ पर जाता तो कभी उनके मम्मे दबा देता।
फिर धीरे-धीरे मैंने उनकी नाइटी भी उतार दी।
ओह.. वो गजब की कामुक लग रही थी।
उसके सफेद गोरे मम्मों पर काले रंग की ब्रा और नीचे काली पैन्टी से मस्त और क्या हो सकता है…
दोस्तों.. आप मेरे खुशी का ठिकाना लगा सकते हो।
मैं उसके सुडौल मम्मों को दबा रहा था और वो “अया.. उहह.. उंह..” की आवाजें निकाल कर मुझे और उत्तेज़ित कर रही थी।
अब उसका हाथ धीरे-धीरे मेरे लंड को मसलने लगी और ऊपर-नीचे हिलाने लगी।
बस फिर क्या था.. मैंने देर ना करते हुए अपने कपड़े भी उतार दिए। अब मैं भी बस अंडरवियर में था। फिर मैंने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया।
वाह… इतने दिन से जिनके सपने देख रहा था.. अब वो मेरे सामने थे।
मैंने ज़रा भी देर ना करते हुए उसके मम्मों को मुँह में भर लिया।
वो तड़प उठी और कहने लगी- जान सब कुछ तुम ही कर लोगे.. या मुझे भी कुछ सेवा का मौका दोगे।
मैंने कहा- मेरी रानी.. मैं तो पूरा ही तेरा हूँ।
फिर आंटी ने मेरा पूरा लौड़ा मुँह ले लिया और चूसने लगी और कहा- वाह विकी.. तुम्हारा लण्ड तो बहुत ही मस्त है.. अब तो मैं रोजाना इसे लूँगी।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया.. फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत का पानी पीने लगा।
अहह..क्या मादक खुश्बू थी.. हाए … बस मज़ा आ गया.. उनकी चूत चाटने में…
फिर हम दोनों सीधे हुए और उनको पीठ के बल वहीं बिस्तर पर चित्त लेटा दिया और उनकी टाँगें चौड़ी करके उनकी चूत में ऊँगली करने लगा।
वो तो जैसे सातवें आसमान पर उड़ रही थी.. बिना कुछ बोले बस.. ‘आहें’ भरते हुए ‘आह.. उहह.. उफ..’ की आवाजें निकाले जा रही थी।
उसकी चूत इतनी नरम और नाज़ुक थी.. जैसे गुलाब की पंखुड़ियां..
वो इतनी आवाज कर रही थी जैसे मानो वो मेरे साथ इस चुदाई की लीला में पागल हो गई हो।
‘आआह.. आआह और डालो अन्दर.. अब और रुका नहीं जाता मुझसे…’
फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ कर गीला किया ताकि वो और आराम से अन्दर जा सके।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना पूरा लण्ड डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए।
चुदाई करते हुए धीरे-धीरे हम मस्ती में खो गए और मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी।
अब मैं चुदाई के साथ ही उसके मम्मों को भी मसलने लग गया।
अह.. क्या मज़ा आ रहा था..
ये मेरे ज़िंदगी की पहली और यादगार चुदाई बन गई थी।
फिर 5-7 मिनट बाद ही हम दोनों का जिस्म एक साथ अकड़ गया और एक तेज आवाज के साथ हम दोनों ही झड़ गए और मैं उसके ऊपर ही लेट गया।
फिर हम दोनों बातें करते हुए कब सो गए.. मालूम ही नहीं चला।
शाम के 4 बजे मेरी आँख खुली और उनको भी जगाया, वो नहीं उठी तो मैंने उनकी चूत पर एक ज़ोरदार चुम्बन करके उसे जगाया।
तो वो जागी और कहा- अभी तक मन नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- मेरी जान मरते दम तक तुझसे दिल नहीं भरेगा।
उसके बाद 2-3 दिन तक हमने रोजाना चुदाई करी। कुछ वक़्त बाद वो भी अपने पति के साथ चली गई और मुझे वो घर खाली करना पड़ा..
पर मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे उनके साथ काफ़ी अच्छा वक़्त बिताने का मौका मिला।
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मालकिन की चुदाई-2
दूसरे दिन मैं जल्दी उठा क्योंकि मुझे कॉलेज जाना था.. तभी आंटी भी बाहर आईं।
मैंने सोचा कहीं आंटी को कुछ पता तो नहीं चल गया।
मगर जैसे ही आंटी मेरे पास आने लगीं.. तो नींद में होने के कारण उनका पैर फिसल गया और वहीं गिर गईं.. मैं भाग कर उनके पास गया और उनको सहारा दे कर खड़ा किया।
आंटी- मेरी कमर और पैरों में बहुत दर्द हो रहा है।
मैं- शायद दीवार से टकराने की वजह से आपके कमर में चोट आई है।
तो मैंने उनको सहारा देके फिर से कमरे में ले गया
मैं- अब तक शायद रात की उतरी नहीं ह्म्म्मं…
आंटी- हाँ… पर रात को मज़ा भी काफ़ी आया था।
मैंने मन में कहा- मज़ा तो मुझे भी आया.. इस हसीना की चूत का पानी पीकर…
आंटी- हाँ.. थोड़ा घुटनों पर और नीचे कमर में.. शायद चोट आई है।
मैं- हाँ.. आप मलहम से थोड़ी मालिश कर लीजिएगा.. ठीक हो जाएगा।
मैं बॉक्स में से मलहम लेकर आया और उनको दे दी।
आंटी मलहम लगाने की कोशिश कर रही थीं.. पर कमर दर्द के कारण वो झुक भी नहीं पा रही थीं।
तो आंटी ने कहा- तू ही लगा दे और थोड़ी मालिश भी कर दे।
मैं- अरे आंटी मैं आपकी मालिश.. कैसे कर सकता हूँ?
मैं थोड़ा भाव खा रहा था।
आंटी- कोई नहीं.. तू कर दे अब.. पर पहले बाहर वाली कुण्डी लगा ले।
मैं- हाँ.. ये ठीक रहेगा।
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.. क्या मालूम आज शायद लॉटरी लग जाए।
मैं जब वापस कमरे में गया तो आंटी ने पूरी नाइटी घुटनों तक ऊपर उठा रखी थी।
मैं तो बस दो मिनट तक उनकी गोरी टाँगों को बस देखता ही रह गया।
तभी आंटी ने टोका- क्या हुआ विकी.. ऐसे कभी कोई लड़की देखी नहीं क्या?
मैंने शरम से सर झुका लिया और बोला- पर आप जैसी खूबसूरत कोई नहीं देखी।
आंटी- चल इधर आ.. अब लाइन मत मार.. मेरी शादी हो गई है।
मैं बिस्तर पर बैठ गया और वो पैर चौड़े करके लेट गईं।
फिर मैं धीरे-धीरे मालिश करने लगा तो आंटी धीरे-धीरे ‘आअहह.. आअहह अयाया..’ की आवाज़ करने लगीं।
मैं समझ गया- भाई विकी.. आज तो इसकी ‘फील्ड’ को तो तू ही गीला करेगा।
तभी आंटी ने कहा- थोड़ी ऊपर भी मालिश कर ना।
तो मैं थोड़ा सा हाथ और ऊपर ले गया.. क्यूँकि मुझे डर लग रहा था कि कहीं आंटी बुरा ना मान जाएं।
आंटी- क्या सोच रहा है रे तू.. कल रात को तो नहीं शरमा रहा था.. बड़ी ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था.. आज क्या हो गया तुझे?
यह सुनकर तो जैसे मेरे होश ही खो गए..!
आंटी उस वक़्त जाग रही थीं..!
तभी आंटी ने अपना असली छिनाल रूप दिखाया कहा- ओए भोसड़ी के.. तुझे सिर्फ़ चूत चाटना ही आता है या चोदना भी आता है?
मैं- मैं.. मैं.. आंटी.. कुछ समझा नहीं…
आंटी- नाटक कर रहा है मादरचोद.. कल रात को तू मेरे साथ क्या कर रहा था.. तेरे घर में माँ-बहन नहीं है क्या?
मैं आंटी के पैरों में गिर गया और माफी माँगने लग गया- सॉरी आंटी आगे से नहीं होगा.. वो नशे में.. ये सब कर बैठा.. मुझे माफ़ कर दीजिए प्लीज़…
आंटी ने फिर मुझे कान पकड़ कर उठाया और मेरे गालों पर एक चुम्मा लिया।
फिर तो मानो आंटी ने जैसे मरे हुए मेरे लौड़े में जान डाल दी हो।
आंटी- आजा.. मेरे पास.. ये सब तो मेरा पहले से बनाया हुआ प्लान था.. और मुझे एक बॉटल में नहीं चढ़ती.. तेरे अंकल के साथ मैं भी कभी-कभी पी लेती हूँ तो मुझे तो पीने की आदत है। मैं तो बस ये देख रही थी कि तू मेरे साथ क्या-क्या कर सकता है…
मैं- तो आंटी क्या अंकल आपको नहीं चोदते?
आंटी- अरे वो चोदते तो हैं पर कम चोदते.. उन्हें चुदाई में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं रह गया है.. पर जब चोदते हैं तो मेरी जान निकाल देते हैं। मैं भी अब एक ही लौड़े से चुद कर बोर हो गई काफ़ी टाइम से सोच रही थी.. पर बदनामी ना हो जाए.. इसलिए मैंने कुछ नहीं किया… पर तेरे आने से मेरे सोए हुए अरमान जागने लगे थे।
मैं- तो अब आपका क्या इरादा है.. मेरी रानी…
आंटी- मेरा इरादा तो नेक है.. पर आपका ज़रा लौड़ा जरा बेईमान लग रहा है साहब…
फिर मैं और आंटी अपनी रास-लीला में लीन हो गए।
मैंने आंटी को बाँहों में भरते हुए उनके लबों पर अपने होंठ रख दिए।
आहह.. क्या रस भरे होंठ थे..
बस जी चाह रहा था कि सारा रस पी जाऊँ.. कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसकी जीभ चूसता।
वो मेरे बालों को सहलाने लगी.. मेरा हाथ कभी उनकी पीठ पर जाता तो कभी उनके मम्मे दबा देता।
फिर धीरे-धीरे मैंने उनकी नाइटी भी उतार दी।
ओह.. वो गजब की कामुक लग रही थी।
उसके सफेद गोरे मम्मों पर काले रंग की ब्रा और नीचे काली पैन्टी से मस्त और क्या हो सकता है…
दोस्तों.. आप मेरे खुशी का ठिकाना लगा सकते हो।
मैं उसके सुडौल मम्मों को दबा रहा था और वो “अया.. उहह.. उंह..” की आवाजें निकाल कर मुझे और उत्तेज़ित कर रही थी।
अब उसका हाथ धीरे-धीरे मेरे लंड को मसलने लगी और ऊपर-नीचे हिलाने लगी।
बस फिर क्या था.. मैंने देर ना करते हुए अपने कपड़े भी उतार दिए। अब मैं भी बस अंडरवियर में था। फिर मैंने उसके ब्रा के हुक को खोल दिया।
वाह… इतने दिन से जिनके सपने देख रहा था.. अब वो मेरे सामने थे।
मैंने ज़रा भी देर ना करते हुए उसके मम्मों को मुँह में भर लिया।
वो तड़प उठी और कहने लगी- जान सब कुछ तुम ही कर लोगे.. या मुझे भी कुछ सेवा का मौका दोगे।
मैंने कहा- मेरी रानी.. मैं तो पूरा ही तेरा हूँ।
फिर आंटी ने मेरा पूरा लौड़ा मुँह ले लिया और चूसने लगी और कहा- वाह विकी.. तुम्हारा लण्ड तो बहुत ही मस्त है.. अब तो मैं रोजाना इसे लूँगी।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया.. फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत का पानी पीने लगा।
अहह..क्या मादक खुश्बू थी.. हाए … बस मज़ा आ गया.. उनकी चूत चाटने में…
फिर हम दोनों सीधे हुए और उनको पीठ के बल वहीं बिस्तर पर चित्त लेटा दिया और उनकी टाँगें चौड़ी करके उनकी चूत में ऊँगली करने लगा।
वो तो जैसे सातवें आसमान पर उड़ रही थी.. बिना कुछ बोले बस.. ‘आहें’ भरते हुए ‘आह.. उहह.. उफ..’ की आवाजें निकाले जा रही थी।
उसकी चूत इतनी नरम और नाज़ुक थी.. जैसे गुलाब की पंखुड़ियां..
वो इतनी आवाज कर रही थी जैसे मानो वो मेरे साथ इस चुदाई की लीला में पागल हो गई हो।
‘आआह.. आआह और डालो अन्दर.. अब और रुका नहीं जाता मुझसे…’
फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ कर गीला किया ताकि वो और आराम से अन्दर जा सके।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना पूरा लण्ड डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए।
चुदाई करते हुए धीरे-धीरे हम मस्ती में खो गए और मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी।
अब मैं चुदाई के साथ ही उसके मम्मों को भी मसलने लग गया।
अह.. क्या मज़ा आ रहा था..
ये मेरे ज़िंदगी की पहली और यादगार चुदाई बन गई थी।
फिर 5-7 मिनट बाद ही हम दोनों का जिस्म एक साथ अकड़ गया और एक तेज आवाज के साथ हम दोनों ही झड़ गए और मैं उसके ऊपर ही लेट गया।
फिर हम दोनों बातें करते हुए कब सो गए.. मालूम ही नहीं चला।
शाम के 4 बजे मेरी आँख खुली और उनको भी जगाया, वो नहीं उठी तो मैंने उनकी चूत पर एक ज़ोरदार चुम्बन करके उसे जगाया।
तो वो जागी और कहा- अभी तक मन नहीं भरा क्या?
मैंने कहा- मेरी जान मरते दम तक तुझसे दिल नहीं भरेगा।
उसके बाद 2-3 दिन तक हमने रोजाना चुदाई करी। कुछ वक़्त बाद वो भी अपने पति के साथ चली गई और मुझे वो घर खाली करना पड़ा..
पर मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे उनके साथ काफ़ी अच्छा वक़्त बिताने का मौका मिला।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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