FUN-MAZA-MASTI
मालकिन की चुदाई-1
मेरा नाम विक्रम सिंह है। अभी मैं राजस्थान के कोटा जिले में रहता हूँ और यहीं अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूँ।
मेरी हाइट 5.7 फीट है.. मेरे लौड़े की लंबाई 6 इंच और मोटाई 2.5 इंच है।
तो बात तब की है.. जब मैं अपने कॉलेज में एडमिशन लेने आया था।
तब मेरे साथ पापा भी आए थे। कॉलेज में एडमिशन के बाद मैंने एक कमरा किराए पर लिया।
उस घर में अंकल और आंटी ही रहते थे। अंकल यहीं के स्कूल में टीचर थे और उनके 2 लड़के भी थे.. पर वो एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते थे।
जब मैंने पहली बार आंटी को देखा तो बस देखते ही रह गया।
वो एकदम हुस्न क़ी मल्लिक़ा लग रही थीं।
हरे रंग की ड्रेस में जैसे मानो भगवान ने उसे कामवासना में लीन होकर बनाया हो।
उसे देख कर कोई कह भी नहीं सकता था कि ये 2 बच्चों की माँ है।
उसकी चूचियों की साइज़ करीब 36 की रही होगी और कमर तो ऐसी की.. बस जाकर चूम लो।
अगर आप उसकी खूबसूरती का अंदाजा लगा चाहो तो यूँ समझ लीजिए कि वो माधुरी दीक्षित लगती थी।
खैर.. मैंने फिर किराए की बात अंकल से की.. आंटी हम सबके लिए नीबू पानी ले आईं.. क्योंकि उस वक़्त गर्मी बहुत हो रही थी।
एक-एक कर सबने गिलास ले लिए.. पर जब आंटी मुझे गिलास देने आईं.. तभी अचानक उनकी साड़ी का पल्लू खिसक गया।
आह्ह..
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई थी.. दो-दो बड़े-बड़े सफेद कबूतरों को देख कर मेरा तो पप्पू जागने लगा..
पर मैंने अपने आपको संभाला क्योंकि पास में सभी लोग थे।
फिर आंटी ने अपने पल्लू को अपने ब्लाउज के अन्दर खोंस लिया और ‘सॉरी’ बोल कर गांड मटकाते हुए चली गईं।
तब मैंने सोचा कि विकी यहाँ कुछ जुगाड़ हो सके.. तो मज़े हो जाएँगे।
यह माल चोदने को मिल जाए तो बाहर मुँह मारने का काम नहीं रहेगा।
खैर साहब.. वहाँ मैं रहने लगा और मैंने आंटी से अच्छे सम्बंध बना लिए।
एक दिन कॉलेज के सारे दोस्तों ने पार्टी करने का फ़ैसला किया तो शाम को जाकर मैंने आंटी को भी कह दिया- कल रात को मुझे आने में ज़रा देर हो जाएगी.. तो आप गेट पर लॉक मत लगाना।
तब आंटी ने कहा- ज्यादा लेट मत हो जाना.. क्योंकि तुम्हारे अंकल को भी कल बाहर जाना है।
अगले दिन शाम को दोस्तों ने ज़बरदस्ती पिला दी और मैं कुछ ज्यादा ही टुन्न हो गया।
अगले दिन जब दोपहर में उठा.. तो आंटी मुझे घूर-घूर कर देख रही थीं, पर मुझे कुछ समझ नहीं आया।
फिर शाम को जब दोस्तों के पास गया तो उनसे मालूम चला कि रात को आंटी जाग गई थीं।
जब वो मेरे को लाए.. तब आंटी उन पर बहुत चिल्लाई भी थीं और कहा था- जो बंदा पीता नहीं.. तुम्हें उसे नहीं पिलाना चाहिए.. कुछ हो जातो तो…
अब तो मेरी फट कर हाथ में आ गई.. मेरे मन में कई सवाल उठ रहे थे कि आंटी अब क्या कहेगी… वो पूछेगी तो क्या जवाब दूँगा, कहीं वो घर पर फोन ना लगा दे..
फिर भी मैं डरते हुए रात को घर गया तब अंकल-आंटी दोनों बाहर ही खड़े मिले।
मेरी हालत तो खराब हो गई, मैंने सोचा आज तो विकी तू गया।
पर जब अंकल ने मुझसे ढंग से बात की तो मेरी साँस में साँस आई और उधर आंटी मेरी शकल को देख-देख कर हंस रही थीं।
फिर कुछ दिन निकल गए कि तभी आंटी ने बताया- तेरे अंकल जी का ट्रान्सफर हो गया है और पोस्टिंग कोटा के पास के एक गाँव में हुई है और वो सोमवार से ज्वाइन करेंगे।
अब वो लोग मुझ पर काफ़ी भरोसा करने लग गए थे, क्यूँकि मेरा बर्ताव काफ़ी अच्छा रहता था।
आंटी भी अब मुझसे काफ़ी घुल-मिल गई थीं।
मैंने एक बात नोटिस की कि आंटी अब मुझ से काफ़ी खुल कर बात किया करती थीं और जब से अंकल की पोस्टिंग बाहर हुई.. तब से उनके कपड़े पहनने का ढंग ही बदल गया था।
कई बार वो घर में गहरे गले की नाइटी पहन कर काम करती थीं.. पर शाम को अंकल के आते वक़्त सब सुधर जाता।
एक दिन अंकल ने बताया- उनके एक दोस्त की शादी है.. मुझे कुछ दिनों के लिए बाहर जाना पड़ेगा तो तुम घर का और आंटी का ख़याल रखना।
मेरी तो जैसे लॉटरी लगीं थी, इस हुस्न की परी के साथ 5 दिन अकेले..
अब मैं उसे चोदने की फिराक में था। उसी वक़्त से मैं उनको चोदने की योजना बनाने लगा।
मैं खुश था क्योंकि अब वो मुझे उसके बदन की नुमाइश भी करती रहती थी। कभी अपने बड़े-बड़े मम्मे दिखा कर.. कभी झुक कर.. अपने गोले नपवा लेती..
और मैं बस देख कर मुठ मार कर रह जाता था।
पर अब नहीं इस मौके को मैं छोड़ना नहीं चाहता था।
अंकल जब चले गए.. तो आंटी ने पूछा- आज खाने में क्या खाओगे..?
क्यूँकि मैं अंकल के घर पर ही खाना ख़ाता था..
तो मैंने कहा- आंटी जो आप खिलाओ।
शाम को आंटी ने फिर मेरी पसंद का खाना बनाया।
आंटी ने उस दिन एक सेक्सी सी लाल रंग की नाइटी पहन रखी थी.. जिसमें उनका गोरा बदन कयामत ढा रहा था।
जैसे ही वो नीचे झुकीं.. उनके स्तन साफ़ नज़र आ रहे थे।
शायद उन्होंने आज नीचे कुछ पहना नहीं था।
आंटी ने मुझे देख लिया और एक हल्की सी कातिल मुस्कान दी.. और खुद भी खाना खाने लगीं।
फिर मैं वहीं टीवी देखने लग गया और आंटी अपना काम ख़त्म करने लगीं।
टीवी पर ‘हेट-स्टोरी’ फिल्म चल रही थी.. उसमें सेक्स का सीन चल रहा था।
मेरा हथियार ये सब देख कर पजामा फाड़ने के मूड में आ गया था।
तभी अचानक आंटी आ गईं और मैंने चैनल बदल दिया।
वो अब मेरे पास आकर बैठ गईं।
मैंने अपने हथियार को छुपाने की कोशिश की.. पर ना कर पाया।
आंटी ने फिर एक कातिल मुस्कान दे दी.. और वहीं पर टीवी देखने लगीं।
एक-दो दिन ऐसे ही चलता रहा फिर एक दिन आंटी ने खाने में जूस भी दिया।
तो मैंने कहा- आंटी क्या जूस पिला रही हो.. कुछ अच्छी सी ड्रिंक पिलाओ।
आंटी- अब तुम बियर पीने वालों को जूस कहाँ हज़म होगा।
मैंने अपना सिर नीचे करके कहा- अरे आंटी वो तो… उस दिन दोस्तों ने ज़बरदस्ती पिला दी थी।
आंटी- तो तुम अब भी बियर पीते हो?
‘हाँ कभी-कभी.. पर अब लिमिट में ही..’
मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
आंटी- टेस्ट कैसा आता है उसका?
मैं- शुरू-शुरू में अच्छा नहीं लगता.. पर बाद में अच्छा लगता है।
आंटी- अच्छा… तुम्हारे अंकल भी कभी-कभी पीते हैं।
मैं- अरे आंटी आप भी कभी पीकर देखो.. बहुत मज़ा आएगा।
(कृपया इसे पढ़ कर नशा करना ना सीखें)
आंटी- नहीं… नहीं… मुझे नहीं पीनी..
फिर मेरे बहुत कहने पर वो एक पैग के लिए राज़ी हो गईं।
तब उन्होंने अन्दर जाकर फ्रिज में से एक बॉटल निकाली और कहा- ये लो अब खुश..
मैंने फिर आंटी के लिए एक छोटा सा पैग बनाया.. तो आंटी ने नाक बंद करके एक ही घूँट में पूरा पी लिया।
मैंने कहा- आंटी चलो आज आप इसका मज़ा ले ही लो..
तब फिर मैंने और आंटी ने तीन बोतलें ख़त्म कीं।
अब आंटी काफ़ी नशे में आ गई थीं तो मैं आंटी को सहारा देकर अन्दर कमरे में ले गया।
इस बीच मेरा हाथ काफ़ी बार आंटी के मम्मों को छू गया.. पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
पर अब मेरे मन का शैतान जाग गया था।
आंटी को सुला कर मैं पेशाब करने गया.. तो थोड़ा शांत हुआ पर लौड़ा था कि मानता नहीं..
मैंने चुपके से आंटी के कमरे में देखा आंटी सोते हुए एकदम परी लग रही थीं।
अह.. जांघों तक उठी लाल नाइटी में उनका कामुक और गोरा बदन..
तभी मेरा ध्यान नीचे पैरों की तरफ गया तो उनकी पैन्टी कुछ-कुछ दिख सी रही थी।
अब मुझसे रहा नहीं गया और अन्दर चला गया।
आंटी की नाइटी और ऊपर करके पैन्टी खिसका कर उनकी चूत को चाटने लग गया।
क्या चूत थी.. उम्म हम्म.. यम्मी.. बता नहीं सकता..
एकदम गोरी चूत में लाल रंग की फाँकें मुझे और उत्तेजित करे जा रही थीं।
मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत चाटना जारी रखा।
आंटी की भी नशे में धीरे-धीरे ‘आहें’ निकालने लगीं।
मैं फिर भी चाट रहा था.. मैंने सोचा.. जो होगा देखा जाएगा।
कुछ देर मैं आंटी ने अपना पानी निकाल दिया।
आह्ह.. कितना अच्छा स्वाद था.. मैं आपको बता नहीं सकता।
मैंने हाथ से हिला कर अपने आपको शांत कर दिया।
दूसरे दिन मैं जल्दी उठा क्योंकि मुझे कॉलेज जाना था.. तभी आंटी भी बाहर आईं।
मैंने सोचा कहीं आंटी को कुछ पता तो नहीं चल गया।
मगर जैसे ही आंटी मेरे पास आने लगीं.. तो नींद में होने के कारण उनका पैर फिसल गया और वहीं गिर गईं..
मैं भाग कर उनके पास गया और उनको सहारा दे कर खड़ा किया।
आंटी- मेरी कमर और पैरों में बहुत दर्द हो रहा है।
मैं- शायद दीवार से टकराने की वजह से आपके कमर में चोट आई है।
तो मैंने उनको सहारा देके फिर से कमरे में ले गया।
मैं- अब तक शायद रात की उतरी नहीं ह्म्म्म?
आंटी- हाँ… पर रात को मज़ा भी काफ़ी आया था।
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मालकिन की चुदाई-1
मेरा नाम विक्रम सिंह है। अभी मैं राजस्थान के कोटा जिले में रहता हूँ और यहीं अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रहा हूँ।
मेरी हाइट 5.7 फीट है.. मेरे लौड़े की लंबाई 6 इंच और मोटाई 2.5 इंच है।
तो बात तब की है.. जब मैं अपने कॉलेज में एडमिशन लेने आया था।
तब मेरे साथ पापा भी आए थे। कॉलेज में एडमिशन के बाद मैंने एक कमरा किराए पर लिया।
उस घर में अंकल और आंटी ही रहते थे। अंकल यहीं के स्कूल में टीचर थे और उनके 2 लड़के भी थे.. पर वो एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते थे।
जब मैंने पहली बार आंटी को देखा तो बस देखते ही रह गया।
वो एकदम हुस्न क़ी मल्लिक़ा लग रही थीं।
हरे रंग की ड्रेस में जैसे मानो भगवान ने उसे कामवासना में लीन होकर बनाया हो।
उसे देख कर कोई कह भी नहीं सकता था कि ये 2 बच्चों की माँ है।
उसकी चूचियों की साइज़ करीब 36 की रही होगी और कमर तो ऐसी की.. बस जाकर चूम लो।
अगर आप उसकी खूबसूरती का अंदाजा लगा चाहो तो यूँ समझ लीजिए कि वो माधुरी दीक्षित लगती थी।
खैर.. मैंने फिर किराए की बात अंकल से की.. आंटी हम सबके लिए नीबू पानी ले आईं.. क्योंकि उस वक़्त गर्मी बहुत हो रही थी।
एक-एक कर सबने गिलास ले लिए.. पर जब आंटी मुझे गिलास देने आईं.. तभी अचानक उनकी साड़ी का पल्लू खिसक गया।
मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई थी.. दो-दो बड़े-बड़े सफेद कबूतरों को देख कर मेरा तो पप्पू जागने लगा..
पर मैंने अपने आपको संभाला क्योंकि पास में सभी लोग थे।
फिर आंटी ने अपने पल्लू को अपने ब्लाउज के अन्दर खोंस लिया और ‘सॉरी’ बोल कर गांड मटकाते हुए चली गईं।
तब मैंने सोचा कि विकी यहाँ कुछ जुगाड़ हो सके.. तो मज़े हो जाएँगे।
यह माल चोदने को मिल जाए तो बाहर मुँह मारने का काम नहीं रहेगा।
खैर साहब.. वहाँ मैं रहने लगा और मैंने आंटी से अच्छे सम्बंध बना लिए।
एक दिन कॉलेज के सारे दोस्तों ने पार्टी करने का फ़ैसला किया तो शाम को जाकर मैंने आंटी को भी कह दिया- कल रात को मुझे आने में ज़रा देर हो जाएगी.. तो आप गेट पर लॉक मत लगाना।
तब आंटी ने कहा- ज्यादा लेट मत हो जाना.. क्योंकि तुम्हारे अंकल को भी कल बाहर जाना है।
अगले दिन शाम को दोस्तों ने ज़बरदस्ती पिला दी और मैं कुछ ज्यादा ही टुन्न हो गया।
अगले दिन जब दोपहर में उठा.. तो आंटी मुझे घूर-घूर कर देख रही थीं, पर मुझे कुछ समझ नहीं आया।
फिर शाम को जब दोस्तों के पास गया तो उनसे मालूम चला कि रात को आंटी जाग गई थीं।
जब वो मेरे को लाए.. तब आंटी उन पर बहुत चिल्लाई भी थीं और कहा था- जो बंदा पीता नहीं.. तुम्हें उसे नहीं पिलाना चाहिए.. कुछ हो जातो तो…
अब तो मेरी फट कर हाथ में आ गई.. मेरे मन में कई सवाल उठ रहे थे कि आंटी अब क्या कहेगी… वो पूछेगी तो क्या जवाब दूँगा, कहीं वो घर पर फोन ना लगा दे..
फिर भी मैं डरते हुए रात को घर गया तब अंकल-आंटी दोनों बाहर ही खड़े मिले।
मेरी हालत तो खराब हो गई, मैंने सोचा आज तो विकी तू गया।
पर जब अंकल ने मुझसे ढंग से बात की तो मेरी साँस में साँस आई और उधर आंटी मेरी शकल को देख-देख कर हंस रही थीं।
फिर कुछ दिन निकल गए कि तभी आंटी ने बताया- तेरे अंकल जी का ट्रान्सफर हो गया है और पोस्टिंग कोटा के पास के एक गाँव में हुई है और वो सोमवार से ज्वाइन करेंगे।
अब वो लोग मुझ पर काफ़ी भरोसा करने लग गए थे, क्यूँकि मेरा बर्ताव काफ़ी अच्छा रहता था।
आंटी भी अब मुझसे काफ़ी घुल-मिल गई थीं।
मैंने एक बात नोटिस की कि आंटी अब मुझ से काफ़ी खुल कर बात किया करती थीं और जब से अंकल की पोस्टिंग बाहर हुई.. तब से उनके कपड़े पहनने का ढंग ही बदल गया था।
कई बार वो घर में गहरे गले की नाइटी पहन कर काम करती थीं.. पर शाम को अंकल के आते वक़्त सब सुधर जाता।
एक दिन अंकल ने बताया- उनके एक दोस्त की शादी है.. मुझे कुछ दिनों के लिए बाहर जाना पड़ेगा तो तुम घर का और आंटी का ख़याल रखना।
मेरी तो जैसे लॉटरी लगीं थी, इस हुस्न की परी के साथ 5 दिन अकेले..
अब मैं उसे चोदने की फिराक में था। उसी वक़्त से मैं उनको चोदने की योजना बनाने लगा।
मैं खुश था क्योंकि अब वो मुझे उसके बदन की नुमाइश भी करती रहती थी। कभी अपने बड़े-बड़े मम्मे दिखा कर.. कभी झुक कर.. अपने गोले नपवा लेती..
और मैं बस देख कर मुठ मार कर रह जाता था।
पर अब नहीं इस मौके को मैं छोड़ना नहीं चाहता था।
अंकल जब चले गए.. तो आंटी ने पूछा- आज खाने में क्या खाओगे..?
क्यूँकि मैं अंकल के घर पर ही खाना ख़ाता था..
तो मैंने कहा- आंटी जो आप खिलाओ।
शाम को आंटी ने फिर मेरी पसंद का खाना बनाया।
आंटी ने उस दिन एक सेक्सी सी लाल रंग की नाइटी पहन रखी थी.. जिसमें उनका गोरा बदन कयामत ढा रहा था।
जैसे ही वो नीचे झुकीं.. उनके स्तन साफ़ नज़र आ रहे थे।
शायद उन्होंने आज नीचे कुछ पहना नहीं था।
आंटी ने मुझे देख लिया और एक हल्की सी कातिल मुस्कान दी.. और खुद भी खाना खाने लगीं।
फिर मैं वहीं टीवी देखने लग गया और आंटी अपना काम ख़त्म करने लगीं।
टीवी पर ‘हेट-स्टोरी’ फिल्म चल रही थी.. उसमें सेक्स का सीन चल रहा था।
मेरा हथियार ये सब देख कर पजामा फाड़ने के मूड में आ गया था।
तभी अचानक आंटी आ गईं और मैंने चैनल बदल दिया।
वो अब मेरे पास आकर बैठ गईं।
मैंने अपने हथियार को छुपाने की कोशिश की.. पर ना कर पाया।
आंटी ने फिर एक कातिल मुस्कान दे दी.. और वहीं पर टीवी देखने लगीं।
एक-दो दिन ऐसे ही चलता रहा फिर एक दिन आंटी ने खाने में जूस भी दिया।
तो मैंने कहा- आंटी क्या जूस पिला रही हो.. कुछ अच्छी सी ड्रिंक पिलाओ।
आंटी- अब तुम बियर पीने वालों को जूस कहाँ हज़म होगा।
मैंने अपना सिर नीचे करके कहा- अरे आंटी वो तो… उस दिन दोस्तों ने ज़बरदस्ती पिला दी थी।
आंटी- तो तुम अब भी बियर पीते हो?
‘हाँ कभी-कभी.. पर अब लिमिट में ही..’
मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
आंटी- टेस्ट कैसा आता है उसका?
मैं- शुरू-शुरू में अच्छा नहीं लगता.. पर बाद में अच्छा लगता है।
आंटी- अच्छा… तुम्हारे अंकल भी कभी-कभी पीते हैं।
मैं- अरे आंटी आप भी कभी पीकर देखो.. बहुत मज़ा आएगा।
(कृपया इसे पढ़ कर नशा करना ना सीखें)
आंटी- नहीं… नहीं… मुझे नहीं पीनी..
फिर मेरे बहुत कहने पर वो एक पैग के लिए राज़ी हो गईं।
तब उन्होंने अन्दर जाकर फ्रिज में से एक बॉटल निकाली और कहा- ये लो अब खुश..
मैंने फिर आंटी के लिए एक छोटा सा पैग बनाया.. तो आंटी ने नाक बंद करके एक ही घूँट में पूरा पी लिया।
मैंने कहा- आंटी चलो आज आप इसका मज़ा ले ही लो..
तब फिर मैंने और आंटी ने तीन बोतलें ख़त्म कीं।
अब आंटी काफ़ी नशे में आ गई थीं तो मैं आंटी को सहारा देकर अन्दर कमरे में ले गया।
इस बीच मेरा हाथ काफ़ी बार आंटी के मम्मों को छू गया.. पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
पर अब मेरे मन का शैतान जाग गया था।
आंटी को सुला कर मैं पेशाब करने गया.. तो थोड़ा शांत हुआ पर लौड़ा था कि मानता नहीं..
मैंने चुपके से आंटी के कमरे में देखा आंटी सोते हुए एकदम परी लग रही थीं।
अह.. जांघों तक उठी लाल नाइटी में उनका कामुक और गोरा बदन..
तभी मेरा ध्यान नीचे पैरों की तरफ गया तो उनकी पैन्टी कुछ-कुछ दिख सी रही थी।
अब मुझसे रहा नहीं गया और अन्दर चला गया।
आंटी की नाइटी और ऊपर करके पैन्टी खिसका कर उनकी चूत को चाटने लग गया।
क्या चूत थी.. उम्म हम्म.. यम्मी.. बता नहीं सकता..
एकदम गोरी चूत में लाल रंग की फाँकें मुझे और उत्तेजित करे जा रही थीं।
मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत चाटना जारी रखा।
आंटी की भी नशे में धीरे-धीरे ‘आहें’ निकालने लगीं।
मैं फिर भी चाट रहा था.. मैंने सोचा.. जो होगा देखा जाएगा।
कुछ देर मैं आंटी ने अपना पानी निकाल दिया।
आह्ह.. कितना अच्छा स्वाद था.. मैं आपको बता नहीं सकता।
मैंने हाथ से हिला कर अपने आपको शांत कर दिया।
दूसरे दिन मैं जल्दी उठा क्योंकि मुझे कॉलेज जाना था.. तभी आंटी भी बाहर आईं।
मैंने सोचा कहीं आंटी को कुछ पता तो नहीं चल गया।
मगर जैसे ही आंटी मेरे पास आने लगीं.. तो नींद में होने के कारण उनका पैर फिसल गया और वहीं गिर गईं..
मैं भाग कर उनके पास गया और उनको सहारा दे कर खड़ा किया।
आंटी- मेरी कमर और पैरों में बहुत दर्द हो रहा है।
मैं- शायद दीवार से टकराने की वजह से आपके कमर में चोट आई है।
तो मैंने उनको सहारा देके फिर से कमरे में ले गया।
मैं- अब तक शायद रात की उतरी नहीं ह्म्म्म?
आंटी- हाँ… पर रात को मज़ा भी काफ़ी आया था।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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