Tuesday, February 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI मस्ती भरी चुदाई --5

FUN-MAZA-MASTI

 मस्ती भरी चुदाई --5


 
मुझे एक आइडिया आया और मैंने उसकी लुल्ली पकड़ ली और बोला- चल तू बार-बार मुझे यहाँ-वहाँ छूता रहता है.. तो मैं भी छुऊँगी.. हिसाब बराबर।
जैसे ही मैंने उसका आइटम पकड़ा तो वो शर्म से पानी-पानी होने लगा था, पर मुझे क्या मुझे तो हथियार का नाप लेना था.. जो मैंने ले लिया।
वो तो डर के मारे उठा और उधर से भाग गया।
फिर क्या था.. अब शुरू हुआ था असली खेल, पर बेचारा प्रीतेश थोड़ा डर रहा था.. क्योंकि वो नया था ना इस खेल में..
मैं आपको बता दूँ कि उसकी लुल्ली औसत सी थी जो कि मुझे खास सन्तुष्ट करने वाली नहीं लगी थी, पर हो सकता कि खड़ा होने के बाद उसका लौड़ा मेरी चूत को कुछ मज़ा तो देगा ही ना.. यही सोच कर मैंने अपनी चूत में ऊँगली डाल ली और उसकी याद में पानी निकाल लिया।
अब ये मज़ा लेने का दिन भी आ ही गया।
एक दिन मामा और मामी दोनों शहर गए और मुझसे कहते गए कि तू अपना और प्रीतेश का ख्याल रखना और मैं तो बहुत ही खुश थी क्योंकि मेरा काम जो होने वाला था।
हुआ यूँ कि हम घर पर अकेले थे, बस मुझे किसी भी तरह प्रीतेश को बोतल में उतारना था।
मैं जब टीवी देख रही थी तो चैनल बदलते-बदलते एक मूवी दिखी, जिसने मेरा काम आसान कर दिया।
वो मूवी थी मर्डर.. और जब मैंने प्रीतेश को बुलाया तो वो आया।
मैंने कहा- बैठ.. मूवी देखते हैं।
तो वो बोला- मुझे नहीं देखनी तेरे साथ मूवी..
तो मैंने कहा- क्यूँ?
तो वो बोला- तू बस किसी ना किसी बहाने से डांटती रहती है.. चाहे मेरा कुसूर हो या ना हो।
मैंने हंस कर कहा- अरे मेरे राजा इधर तो आ और बैठ.. अब मैं ऐसा नहीं करूँगी।
वो बोला- पक्का?
तो मैंने कहा- पक्का.. तू बैठ तो सही।
और वो बेचारा बैठ गया।
करीब 15 मिनट ही हुए होंगे कि वही गाना आ गया.. भीगे होंठ तेरे.. तो अब मेरी तो हालत और भी चुदासी हो चली थी यार.. पर क्या करूँ ये साला उल्लू का पठ्ठा.. कुछ समझ नहीं रहा था।
तो अब क्या करूँ.. पर तभी मुझे याद आया कि तमाचे के वक़्त वो बोला था कि जो मैं बोलूँगी.. वो करेगा।
तो मैंने कहा- प्रीतेश तुझे कुछ याद है?
तो वो बोला- क्या?
मैंने- तूने मुझे कहा था कि जो मैं बोलूँगी.. वो तू करेगा।
तो वो बोला- हाँ.. अच्छी तरह से.. बोल क्या करना है?
तो मैंने कहा- पहले तू जा और बाहर मेरे कपड़े सूख रहे हैं वो लेकर आ..।
तो वो दौड़ता हुआ गया, पर उसे नहीं मालूम था कि मेरे कुर्ते के नीचे मेरी ब्रा पैन्टी दोनों हैं। बस अब तो देखना था कि वो करता क्या है।
वो कपड़े लेने लगा और जैसे ही उसने कुर्ता खींचा कि मेरी ब्रा और पैन्टी उसने देखे। में खिड़की से उसे देख रही थी कि यह लड़का करता क्या है।
पर यह क्या उसने सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी को देखा और चुपचाप कपड़ों के बीच में रख दिया और आने लगा।
मैं तुरन्त अपनी जगह पर आ गई। उसने मेरे आगे कपड़े रखे तो मैंने कहा- सारे लाया है?
तो वो बोला- हाँ।
मैंने उन में से अपनी पैन्टी निकाली और कहा- जा ये गीली है इसको फिर सुखा कर ला..
तो वो सूखने डाल आया और आके बोला- और कुछ मैडम?
मैंने- कुछ नहीं.. चल बैठ।
वो मुझसे थोड़ा दूर बैठ गया, तो मैंने- थोड़ा पास बैठ ना..
तो वो बोला- ना बाबा ना.. तेरा क्या भरोसा.. तू कब चाँटा लगा दे।
मैंने हँस कर कहा- अब ऐसा नहीं होगा यार..
ऐसा कह कर मैं उसके थोड़ा करीब हो गई।
वो तो उल्लू की तरह बैठा रहा और मुझे तो इतना गुस्सा आ रहा था कि पूछो ही मत और मैंने तय कर लिया कि ये तो कुछ करने वाला है नहीं.. जो कुछ करना है मुझे ही करना पड़ेगा।
फिर क्या था, पहले मैंने अपना सर उसकी गोदी में रखा और उसकी जांघें सहलाने लगी।
तो वो बोला- अरे ये क्या कर रही हो?
मैंने कहा- चुप.. तू सिर्फ़ देख.. कुछ बोलना नहीं ओके..
ऐसा कह कर मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और मैंने देखा कि वो जरा डर रहा था।
मैंने कहा- देख राजा.. आज तुमको मुझे खुश करना है और मैं तुझे छोटी सी बात के लिए भी नहीं डांटूगी ओके..
तो अब वो थोड़ा सामान्य हुआ, पर अभी भी हाथ तो उसके ऐसे ही पड़ा था, वो कुछ कर नहीं रहा था।
मैंने कहा- क्या यार.. पहले कुछ किया नहीं क्या?
तो वो बोला- नहीं दीदी..
तो इस बार फिर से मैंने उसके गालों पर एक तमाचा धर दिया और बोला- देख बे.. मुझे अब कभी भी दीदी मत बोलना समझा..
तो उसने कहा- ओके!
मैंने कहा- तू कुछ कर.. वरना..
इस बार वो भी थोड़ा समझ गया था.. तो वो लगा मेरी चूचियों को मसलने.. बस फिर क्या था.. मैं तो मदहोश हो चुकी थी।
अब मुझे पहले उसे भी तो तैयार करना था.. तो मैंने सीधे ही उसकी ज़िप खोली, केला बाहर निकाला और लगी चूसने।
फिर क्या था… वो भी मस्त होने लगा और ज़ोर-ज़ोर से कहने लगा- ऊहह पूजा..!!
तो मैंने- अब बोल दीदी…
तो वो बोला- दीदी.. लौड़ा नहीं चूसती.. वो तो सीधी लड़की होती है.. तुम्हारी तरह नहीं…
वो पूरी तरह पटरी पर आ चुका था।
फिर क्या था मैंने उससे 69 की स्थिति में होने को कहा.. पर वैसा होते ही उस चूतिए ने पूछा- मैं क्या करूँ?
तो मैंने कहा- अबे साले.. मेरी चूत को चाट…
वो शुरू हो गया.. फिर क्या था।
अब समय हो चुका था कुछ तूफ़ानी करने का और मैं भी अब रह नहीं सकती थी, मैंने कहा- अबे साले.. बस बहुत हुआ.. अब वो सब छोड़ और शुरू हो जा..
तो वो बोला- मैं शुरू हो तो जाऊँ.. पर क्या शुरू कर दूँ.. आता किसको है?
तो मैंने कहा- शुरू तो कर.. अपने आप आ जाएगा।
तो वो बेचारा.. मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गया और तकरीबन 5 से 7 मिनट उसने मेहनत की.. पर उससे केला अन्दर नहीं गया।
तो मैंने सोचा कि चलो मैं ही कर डालती हूँ.. इसमें क्या…
तो मैं उसके ऊपर आई उसके लण्ड को मुँह में लिया थोड़ा चिकना किया और फिर उसके ऊपर चढ़ गई, अपने हाथ से पकड़ कर धीरे से उसके लण्ड अपनी चूत में अन्दर डालने लगी।
तभी वो बोला- अरे बाप रे.. ये तो साला बहुत मज़ा आ रहा रे..
तो मैंने कहा- बोल मत.. साले.. सिर्फ़ मज़े कर.. और जब भी तेरे को लगे कि तेरा कुछ निकलने को है.. तो बोल देना।
फिर मैं तो शुरू हो गई और सिर्फ़ दो-टीन मिनट ही हुए होंगे कि वो बोला- आ गया..
तो मैंने कहा- क्या?
तो वो बोला- जो तूने बोला था।
तो मैंने झट से बाहर उसके हथियार को निकाला कि उसका छूट गया.. पर यह क्या इसका तो जल्दी हो गया और मेरा क्या हो?
अब इतनी देर हो चुकी थी कि मामा-मामी कभी भी आ सकते थे तो मैंने फिर से उससे कहा- देख अभी सिर्फ़ तेरा हुआ है.. मेरा नहीं तो शाम को मेरा भी होना चाहिए ओके?
वो बोला- अरे मेरी जान.. तू फिकर मत कर.. अब तो जब भी मौका मिलेगा तेरा भी काम कर दूँगा.. डोंट वरी ओके..
फिर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े ठीक किए और टीवी देखने लगे।
कुछ ही देर बाद मामा-मामी आ गए तो मैंने धीरे से प्रीतेश को बोला- शाम को पक्का?
तो वो बोला- हाँ बाबा.. हाँ..
फिर रात को जब हम सोने के लिए छत पर गए तो मैं बता दूँ कि छत पर हम सब लोग सोते थे।
मैं, प्रीतेश और मामा-मामी.. पर आज जब मामी बाहर से आईं तभी उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।
तो मामा ऊपर आए और बोले- देखो बच्चों आज तुम दोनों को ही यहाँ सोना पड़ेगा.. क्योंकि तुम्हारी मामी की तबियत कुछ ठीक नहीं और वो अकेले थोड़ा डरती हैं.. इसलिए मुझे भी नीचे सोना पड़ रहा है।
फिर क्या था.. मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा और जैसे ही मामा गए मैं सीधे प्रीतेश के ऊपर चढ़ गई और एक 3-4 मिनट वाला जोरदार चुम्बन किया।
उस पर प्रीतेश बोला- ज़रा सब्र कर मेरी रानी.. नीचे वालों को तो सो जाने दे.. हमारे पास पूरी रात पड़ी है साली..
अभी आधा घंटा ही हुआ होगा कि मैंने प्रीतेश से कहा- देख यार अब मुझसे तो रहा नहीं जाता..
तो मैंने हाथ उसके पैन्ट में घुसा दिया और खेलने लगी।
उसे तो अब मस्ती में आना ही था फिर क्या था.. मैंने कहा- एक चादर हम दोनों के ऊपर डाल दे ताकि कोई आए भी तो उसे एकदम से पता ना चले।
वो बोला- रुक मैं जीने की कुण्डी लगा कर आता हूँ..
वो गया और जीने की कुण्डी लगा आया।
फिर क्या था वो मेरे मम्मे मसलने लगा और मैं ज़ोर से उसका लौड़ा हिलाने लगी।
हम दोनों चुदाई की मस्ती में आ गए और अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. क्योंकि दोपहर से मेरी चूत प्यासी थी।
तो मैंने कहा- चल मेरे राजा.. अब तुझे सिखा दिया है.. चल शुरू हो जा।
उसने मेरा गाउन पूरा उतार दिया और अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगा हो गया। उसका लौड़ा खड़ा होकर बड़ा हो गया था मुझे राहत की सांस मिली कि चलो चूत का काम ठीक ढंग से हो ही जाएगा।
उसने मेरे दूध मसके और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गया मैंने उसका लौड़ा पकड़ कर चूत के छेद पर टिका दिया।
उसने लौड़ा मेरी चूत में एकदम से घुसा दिया और धक्का लगाने लगा।
मेरी एक बार तो ‘आह’ निकल गई।
कुछ ही पलों में हम दोनों को चुदाई का मज़ा आने लगा और करीब 5 मिनट ही हुए होंगे कि मेरा काम हो गया।
अब मैं तो एकदम बेहाल हो कर नीचे पड़ी थी और वो तो धपाधप किए जा रहा था.. पर ये क्या.. मेरा दूसरी बार भी हो गया और उसका अभी भी नहीं हुआ।
तभी उसका भी होने को आया तो मैंने कहा- साले.. जल्दी बाहर निकल वरना कुछ हो ना जाए..
उस पूरी रात हमने तीन बारी ठुकाई की और करीब दस दिनों तक मैं वहाँ रुकी और जहाँ भी मौका मिला.. हमने अपना काम-तमाम किया और आज भी जब भी जहाँ भी मौका मिलता.. मैं और प्रीतेश एक हो जाते हैं।








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