Tuesday, February 3, 2015

FUN-MAZA-MASTI भाभी मेरी बाहों में-1

FUN-MAZA-MASTI

 भाभी मेरी बाहों में-1


एक काफी मशहूर कहावत है और मैं भी उसी पर चलता हूँ कि ‘चूत और साँप जहाँ मिल जाये, मार देना चाहिए।’
बस इसी तरह मैं हर वक़्त चूत की तलाश और मौका मिलते ही मार देता हूँ।
मेरी पहले की कहानियों को आप लोगों ने जिस तरह सराहा, उसी से मैं आज एक बार फिर आपके सामने अपनी एक और चुदाई की कहानी बताना चाहता हूँ।
आशा है आपको पसंद आएगी और आप लोग मुझको जरूर बतायेंगे।
बात तब की है जब मैं एक नई चूत की तलाश में लगा था पर मेरी तलाश पूरी नहीं हो रही थी।
बहुत परेशान सा हो गया था क्योंकि बिना चुदाई के इतना वक़्त काटना मेरे जैसे लोगों के बस की बात नहीं।
हमको तो रोज चूत मिले तो हम रोज चुदाई के मज़े लेने को तैयार रहते हैं।
पर इस बार किस्मत साथ नहीं दे रही थी।
ऐसी कोई लड़की नहीं मिल रही थी जो अपनी मर्ज़ी से चुदाई को राज़ी हो।
मेरे घर के पास ही एक पति पत्नी और बुजुर्ग महिला जो उस आदमी की माँ थी, रहते थे।
चूँकि वो मुझको थोड़े बड़े थे तो मैं उनको भैया भाभी कहता था।
अब हर बार हर औरत को एक ही नज़र से नहीं देखा जाता और मेरे उन लोगो से काफी क्लोज रिलेशन हो गए थे तो मैं कभी उनको गलत नज़र से नहीं देखता था।
वैसे भी मेरा एक उसूल है कि मैं औरत को पूरी आज़ादी देता हूँ कि वो अपने आप से तय करे कि वो मेरे साथ चुदाई करना चाहती है या नहीं।
यही कहानी यहाँ भी थी।
पर कहते हैं ना, जब किसी से मिलना होता है तो वो मिल ही जाते हैं और रास्ते अपने से निकल आते हैं।
ऐसा ही कुछ मेरे साथ यहाँ भी हुआ।
इस बात की मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मेरे हमबिस्तर होने वाली अगली औरत मेरे पास में रहने वाली यही भाभी होगी।
पर वक़्त ने ऐसा मोड़ लिया और हम एक ही बिस्तर पे नंगे एक दूसरे की बाहों में थे।
कहानी ने मोड़ कैसे लिया बस वही सुनने लायक है।
एक दिन भईया ने मुझको किसी काम से घर आने को कहा।
मैं सुबह 11 बजे के करीब उनके घर पहुँच गया।
घर में घुसते ही उनकी माँ मुझको मिल गई।
मैंने उनसे भईया के बारे में पूछा तो वो बोली- वो कहीं बाहर गए हैं और आने वाले हैं।
और यह कह कर उन्होंने मुझको बैठने के लिए कहा।
मैं बैठ कर भईया के आने का इंतजार करने लगा और अम्मा मेरे लिए पानी लेने रसोई में चली गई।
भाभी भी घर में नहीं दिख रही थी।
अम्मा आई और मुझको पानी देकर बोली कि उनको पास के मंदिर में पूजा के लिए जाना है।
इतना कह कर वो घर के अंदर गई और भाभी को आवाज लगा कर अपने जाने की बात कह दी।
इसका मतलब भाभी घर में ही थी।
वो चली गई और मैं भईया के आने का इंतज़ार करने लगा।
मेरी किस्मत में कुछ बदलना था और मैं उससे अनजान वहाँ बैठा किसी का इंतजार कर रहा था।
मैं वहीं बैठा था, मेरी नज़र अन्दर वाले कमरे में पड़ी जहाँ भाभी तौलिया लपेटे हुए थी, नहा कर आई थी।
उनको यह बिल्कुल भी पता नहीं था कि मैं वहीं बैठा हूँ।
अम्मा के जाने के बाद उनको लगा कि वो घर में अकेली हैं तो वो बाथरूम से सिर्फ तौलिया लपेट कर रूम में आ गई थी और रूम का दरवाजा हल्का सा खुला था जहाँ से अंदर का थोड़ा सा भाग और बेड दिख रहा था।
उनके तौलिये ने उनको पूरा ढका हुआ था पर दोस्तो, आप खुद ही सोच कर देखो कि एक जवान 30 साल के आस पास एकदम जीरो साइज़ तो नहीं कहूँगा पर कसा हुआ जिस्म आपके सामने एक तौलिये में नहा कर निकले, पानी की बूँदें उसके जिस्म पर चमक रही हों तो क्या आप अपने हथियार पे काबू रख पायेंगे।
ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ।
उस औरत को मैंने उस नज़र से कभी देखा तो नहीं था पर आज उसको एस हालत में देख में मेरे अन्दर की वासना भड़कने लगी थी।
जिस्म बहुत गोरा नहीं तो सांवला भी नहीं।
उभार अपने चरम पे थे, तौलिये के नीचे से झांकती चिकनी टाँगें।
दोस्तो, एक बात कहना चाहूँगा, शायद मैं यहाँ वो उस तरह बता न पाऊँ जैसा मैंने महसूस किया, तो आप लोगों की अपनी कल्पना का सहारा लेते हुए उस वक़्त को देखना होगा और मैं पक्के से यह कह सकता हूँ कि अगर आपने यह कल्पना सही से कर ली कि आप भी एक घर में बैठे हैं और हल्के से खुले दरवाजे से आपकी नज़र ऐसी औरत पर पड़ती है जो अभी अभी नहा कर अपने जिस्म पर सिर्फ एक तौलिया लपेटे हुए आपकी उपस्थिति से अनजान अपने ही तैयारी में लगी है और आप उसको देख रहे हैं तो मेरी शर्त है आप बिना अपने लंड को मसले नहीं रह पायेंगे।
तो जैसा मैं बता रहा था कि भाभी उस कमरे में आई और तैयार होने लगी।
मैंने देखा कि वो अपने ब्रा और पेंटी अपने हाथो में लेकर आई थी जिनको उन्होंने बेड पर डाल दिया।
वो अपने बाल झटक कर सुखा रही थी और मैं उनको बिना पलक झपकाए देख रहा था।
अब क़यामत आने वाली थी और भाभी ने अपना तौलिया हटा दिया और अपने खुले बाल पंखे के नीचे सुखाने लगी।
आज तक औरत को नंगी मैंने किया था पर आज मेरी आँखों के सामने जैसे कहानी उलटी चल रही थी।
पहली नज़र में ही मुझको औरत नंगी दिख रही थी।
उनके जिस्म का आकर कुछ उलटे S जैसा था। जितना उनके बूब्स आगे निकले था उतना ही हिप्स पीछे थे।
चूत का हिस्सा थोड़ा उभरा हुआ था। हांलाकि चूत दिख तो नहीं रही थी पर अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो स्वर्ग का दरवाजा कहाँ होगा।
भाभी की पीठ मेरी तरफ हो गई थी, जहाँ से मैं उनके आगे का हिस्सा तो नहीं देख पर था पर उनकी नंगी पीठ और गाण्ड की दरार साफ़ दिख रही थी।

भाभी ने अपनी ब्रा उठाई और पलक झपकते ही पहन ली।
फिर उन्होंने अपनी पेंटी पहनी और फ़िर कुरता पहन कर खड़ी हो गई।
उनका पजामा अभी वहीं पड़ा था।
मैं सोच रहा था कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है जो कपड़े मुझको उतारने हैं, वो तो ये पहने जा रही हैं।
आज यह उलटी गंगा कहा से बह रही है।
तभी भाभी ने अपना पजामा उठाया और पहनने लगी।
पजामे को अपने पैर में डालने के लिए भाभी ने अपना पैर पलंग पर रखा और थोड़ा नीचे झुक कर पजामा पैर में डालने लगी।
तभी उनकी नज़र मुझ पड़ गई जो उनको लगातार देखे जा रहा था।
भाभी ने तुरंत पजामा छोड़ के दरवाजा बंद कर दिया पर अब तक तीर कमान से निकल चुका था।
मेरी पैंट तम्बू बन चुकी थी और मेरे सामने उसको शांत करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
मैंने उठ कर मेन गेट को बंद किया और उस कमरे के दरवाजे के पास जाकर दरवाजे को हल्का से धक्का दिया तो दरवाजा पूरा खुल गया।
भाभी ने वो अन्दर से बंद नहीं किया था।
मैंने देखा कि भाभी का पजामा अभी भी वहीं पड़ा है और भाभी दीवार के सहारे आँखें बंद कर के खड़ी हैं, उनकी साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थी और उतनी ही तेज़ी से उनके मम्मे भी ऊपर नीचे हो रहे थे।
मैं भाभी के पास पहुँचा और उनका हाथ पकड़ लिया।
भाभी ने एकदम से अपनी आँखें खोली और मुझको अपने सामने देख के वो शर्मा गई।
न तो उनके मुख से न ही मेरे मुँह से आवाज निकल रही थी।
वो अपनी आँखें नीचे करके खड़ी थी और मैं उनको देखे जा रहा था।
तभी उनको ध्यान आया कि अभी तक वो नंगी ही हैं और उन्होंने पजामा नहीं पहना हुआ है तो वो तेज़ी से मुझसे हाथ छुड़ा के पजामा लेने भागने लगी पर वो अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ा नहीं पाई और मैंने उनको अपनी तरफ खींच लिया।
वो इसके लिये तैयार नहीं थी तो वो सीधी मेरे ऊपर आ गई।
मैंने उनको एकदम से अपनी बाहों में ले लिया।
मैं उनकी पीठ सहलाने लगा और वो मुझसे दूर जाने की कोशिश करने लगी।
मैंने भाभी को कस के अपने से चिपका रखा था और भाभी को भी यह बात समझ आ गई थी तो उन्होंने अपने दोनों हाथ मोड़ कर हम दोनों के बीचे रख लिया ताकि उनके मम्मे मेरे से छू न पाएँ।
उनकी इस समझदारी पे मुझको गुस्सा और प्यार दोनों आ रहा था।
वो मुझसे दूर जाने के लिए जोर लगाती रही पर मेरी ताकत के सामने और उनकी हालत के कारण वो निकल नहीं पा रही थी।
मेरे हाथ उनकी पीठ और नितम्बों को सहला रहे थे।
फिर मैंने भाभी को दीवार के सहारे लगा दिया ताकि वो मुझसे दूर न जायें और एक हाथ उनके नितम्ब पे रख दिया और उसको दबाने लगा और दूसरे हाथ से उनको ठोड़ी को ऊपर करके उनको बोला- मैंने आज तक आपको इस नज़र से कभी नहीं देखा था पर आज जो रूप मैंने आपका देखा है उसके बाद मैं खुद को रोक नहीं पाऊँगा।
वो आँखें बंद करके मेरी बात सुन रही थी और दूर जाने की कोशिश लगातार कर रही थी।
अब उन्होंने कहा- यह गलत है, मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहती।
पर उनके बोलने में एक कम्पन था और मैं अपने अनुभव से इतना तो समझ पा रहा था कि यह ना इसलिए है क्योंकि भाभी ने कभी अपने को किसी गैर आदमी की बाहों में सोचा नहीं था और आज की इस अचानक हुई बात से वो भी मेरी तरह संभल नहीं पाई थी पर उनको उतना बुरा भी नहीं लग रहा था।
वैसे भी अब उनको अपने से दूर भी नहीं कर सकता था सो मैंने उनके थर्राते हुए होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगा।
मेरा एक हाथ उनकी पीठ सहला रहा था और दूसरे से मैं उनके सिर को पकड़ के अपनी तरफ धकेल रहा था।
पीछे दीवार होने के कारण भाभी मुझसे दूर नहीं जा पा रही थी।
मैं उनके होंठों को चूसने में लगा पड़ा था।
धीरे धीरे मैंने महसूस किया कि भाभी के हाथों की कसावट अब ढीली हो रही थी और वो अपने होंठ अलग करने की कोशिश भी नहीं कर रही थी।
और जल्दी ही मेरा यह अनुमान सही निकला।
भाभी ने अपने हाथ हम दोनों के बीच से निकाल कर मेरी पीठ पर रख दिये।
मतलब अब मैदान साफ़ था।
भाभी मेरी बाहों में थी।
उनके हाथ मेरी पीठ पे चलने लगे थे और अभी तक जहाँ सिर्फ मैं उनके होंठों को चूस रहा था, वहाँ अब उनके होंठों में भी हरकत शुरु हो गई थी।
मैंने अब अपने होंठ अलग करके उनको देखा तो वो शर्मा गई।
मैंने उनको दीवार से दूर करके अपनी बाहों में कस के जकड़ लिया और दुबारा से उनके बाल पकड़ के उनके चेहरे को ऊपर किया।
उनकी आँखें बंद थी और होंठ थर्रा रहे थे।
मानो मुझको अपनी ओर बुला रहे हों।
मैंने बिना वक़्त गंवाए उनके होंठों पे अपने होंठ दुबारा लगा दिए और उनके साथ फ्रेंच किस करने लगा।
उनका मुँह थोड़ा सा खुला था जिसमे से मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी, वो मेरी जीभ चूसने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे में खो से गए थे।
हम लोग एक दूसरे के होंठों को बहुत बुरी तरह से चूस रहे थे और एक दूसरे के मुँह में जीभ डाल रहे थे।
थोड़ी देर बाद हम लोग अलग हुए।
अब हम दोनों को एक दूसरे से अलग होना मुश्किल लग रहा था।
हम लोग लगातार एक दूसरे का जिस्म सहला रहे थे।
भाभी के हाथ सिर्फ मेरी पीठ और सर पे चल रहे थे पर मैं उनकी पीठ और नितम्ब को सहला रहा था और थोड़ी थोड़ी देर में उनके चूतड़ों को दबा भी देता था जिससे भाभी की एक हलकी सी सिसकारी निकल जाती थी।
मैंने अपनी उंगली उनके चूतड़ों की दरार में भी चला दी थी।
उनके हाथ बीच से हट जाने के कारण मैं अपने सीने पे उनके मम्मों का आकार और दबाव महसूस कर सकता था।बहुत कसे और उभरे हुए मम्मे थे मेरी प्यारी भाभी के जिनको अब तक मैं एक आध बार सहला भी चुका था।
तभी मुझको ध्यान आया कि भईया आने वाले थे और अब वो कभी भी आ सकते हैं तो मैंने भाभी से कहा- भईया आने वाले होंगे? आपको छोड़ने का मन नहीं कर रहा… क्या करूँ?













हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator