FUN-MAZA-MASTI
नई जिन्दगी--8
सुनिल खटीये पर बैठ जाता है । सरला सुनिलसे नजरे चुराने लगी ।
सुनिल- हममम तोहहहह मां मजा आया
सरलाने नजरे उठाये सुनिल की ओर देखा और शरमा गई
सरला- धधत्त
सुनिल- अरे मै दोपहर के बारे मे पुछ रहा हूं
सरला के चेहरे पर मादक मुस्कान आई
सुनिल- तो अगले रविवार फीर चलेगी ना
सरला- चल हट बेसरम
सुनिल हसने लगा
आज सरला के घर मे हसी मजे का माहौल फीर लौटा देखकर सरला बडी खूश थी
।
सुनिल को भी अब बात आगे बढानी थी, हर दीन सुनिल की हीम्मत बढने लगी ।
सुनिल अब कीसी भी कीमत पर सरला को पाना चाहता था , सुनिल के दील मे
प्यार की घंटी फीर बजने लगी और मिलन की चाहत बढने लगी । सरला का हर
अंग सुनिल के लिए तो खुबसुरती की निशानी थी उसके बदन के हर अंग का छुने
की प्यास सुनिल मे बढने लगी ।
सुनिल अब सरला को अपनी लवर के रूप मे देखता था , जीसे वो अपनी औरत
बनाना चाहता था , वो हर दीन काम से घर लौटने की लिये तडपने लगा , इसे
पागलपन कहो या कुछ और पर था तो ये प्यार ही ।
सरला को पटाने के लिए सुनिल ने सरला को प्रपोज मारने की तैयारी करली ,
ऑफीस की छत पे सुनसान कोने मे सुनिल प्रपोज की प्रेक्तिस कर रहा था । घुटने
पर खडा हुए
सुनिल- मां आई लव यू, मुझसे शादी करोगी, नननन ना एसे तो वो मानेगी ही नही
कुछ और सोच सुनिल हमम हा, मां अब तुही मेरी जिन्दगी है. मै तेरे बगैर मर
जाउंगा मां....
दो घंटे माथापच्ची करने के बाद वो ऑफीस से घर को निकला ।
उसने घर लौटते वक्त लाल गुलाब का फुल लिया । सुनिल घर पहूंचा उसने
दरवाजा खटखटाया
सरलाने दरवाजा खोल दीया सरला की उभरी हुई फुली छाती सुनिल के सामने थी ।
सुनिल का तो उन दो कबूतरों के मसलने का मन हुआ । सुनिल घर के अंदर आया
और हाथ मुह धोये खटीया पे बैठ गया । सुनिल को पता नही चल रहा था के
अपने दील की बात सरला को कैसे बताये और क्या सरला सुनिल के प्रपोज को
मंजूर करेगी । सरला चाय लेके आई ।
सरला- ये ले बेटा चाय पीले
सुनिल- हहहहमम हा.
चाय निचे रखे सुनिल खटीया से उतर जाता है । सरला को जाते देख
सुनिल- ममममां रूक ना जरा
सुनिल के हाथ थरथरा रहे थे सुनिल के माथे पर पसिना छुटने लगा ।
सुनिल ने सरला को गुलाब का फुल दीया ।
सरला- यययये क्या है बेटा
सुनिल- ममममां आई लव यू मां, मै तुमसे बहोत प्यार करता हूं
सुनिल के मुह से कांपते हुए लब्ज निकलने लगे ।
सरला- पपपर बेटा मै तेरी मां हूं
सरला अनपढ जरूर थी पर प्रपोज क्या होता है । मर्द औरत को लाल गुलाब क्यू
देता है ये समझने को डीगरी थोडी लगती है ।
सरला बडी अच्छी तरह से जानती थी प्रपोज के वक्त गुलाब का फुल स्वीकारने का
मतलब क्या होता है
सुनिल- मां मना मत करना प्लीज , मै तुझे रानी बनाकर रखूंगा मेरे दील की रानी
तेरी कसम
सरला- बेटा...बेटा सुन मेरी बात मै समझती हूं तेरी जरूरत...तू जवान है इसलिए
तुझे औरत की जरूरत है पर हम दोनो के बीच ये पाप नही हो सकता बेटा ।
सुनिल- सारा जमाना हमे पति पत्नी की नजर से देखता है मां, हमारे बीच पीछले
कुछ दीनो से जो हो रहा है वो मां बेटा नही करते मां । अब हमारे बीच मां-बेटे के
संबध खत्म हो गये है । ईस घर मे यहां तू एक औरत है और मै एक मर्द अब
हमारे बीच मे सिर्फ कुछ दुरीयां बची है मां वो मीट जाने के बाद हम दोनो का
मिलन होगा मां समझ मेरी बात ।
सरला- बेटा मुझे पता है तू मेरे साथ वो गंदा काम करना चाहता है बस इसलिए ये
कह रहा है ।
सुनिल- न न ना मां तू गलत समझ रही है मेरी हर धडकन पे तेरा ही नाम लिखा
है मां । मै दील से तुझे चाहता हू ।
सरला भी समझ चुकी थी ये तो होना ही था पर सुनिल का मन जानने की आखरी
कोशिश कर रही थी।
सरला- पपपर
सुनिल- पर वर कुछ नही मां ,हां करदे मां..... मुझे मेरे बेटे रवी के लिए उसकी नई
मां चाहीये मां और वो तूही बनेगी ये मैने ठान ली है, देख उस बेचारे बीन मां के
बेटे को मां की जरूरत है, उसके लिए हां कर दे मां, बोलना मां बनेगी ना मेरे बच्चे
की मां देगी ना उसे सगी मां का प्यार, बोलना मां बोलना
रवी का नाम सुनते ही सरला की ममता भरी नजर दोनो की गहमा-गहमी से दूर
शांत सोये हुए रवी पर पडी और उसे देख सरला के अंदर की मां जाग उठी, उसे
उसका मातृत्व पुकार-पुकारके कह रहा था ,
“सरला देख उस नन्ही जान को, दुनिया क्या कहेगी तुझे उसकी पडी है । आज उसे
एक मां की जरूरत है, फीकर मत कर मेरे बच्चे तू मेरी कोक से ना जन्मा हुआ हो
तो क्या हुआ मै तुझे सगी मां से भी बढकर प्यार दुलार दुंगी, तेरे लिये मुझे कोई
भी पाप करना पडे वो मै करूंगी”
सरला की हां सुनने सुनिल तो पुरा बावला हुए उसकी ओर टकटकी लगाए बैठा था
।
सरला ने सुनिल की ये आस देख ते हुए मन मे एक पत्नी का भाव जगने लगे,
उसकी आंखे सुनिल के आंखो की गहराई मे समा कर जैसे कह रही थी “सुनिल
बेटा तेरी हर खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकती हूं एक औरत को जिन्दगी मे
कई रीश्ते निभाने पडते है अगर मेरे हां करने से तेरे जिन्दगी में खुशियां लौट
सकती है तो यही सही, अगर तू मुझे अपनी औरत, अपनी पत्नी के रूप मे प्यार
करना चाहता है देखना चाहता है तो ठीक है बेटा जैसी तेरी मर्जी“ ।
इंतजार खत्म हुआ सरला ने सुनिल के नजरों से नजरे चुराली और शरमाते हुए
नजर झुकाई
सुनिल- बता ना मां अब रहा नही जाता, बनेगी ना मेरी बीवी बोलना तेरी हां है ना
हमारे नए रीश्ते को
सरलाने सुनिल के हाथ का गुलाब उसने हाथ मे ले लिया
सरला- सुनिल बेटा जरा ये गुलाब मेरे बालों मे लगा दे ना
सुनिल मे तो जैसे बीजली दौड पडी चेहरे पे खुशी की लहरे दौड पडी सरला ने
गुलाब स्विकार लिया था उसके लिए ये इशारा काफी था ।
सुनिल- मतलब मतलब मां तेरी हां है, है ना मां
सरला शरमाते हुए
सरला- हां
सुनिल झुम उठा उसने सरला की कमर पे दोनो हाथ डाले उसे उठा लिया और
सरला को गोदी मे उठाये नाचने लगा ।
सुनिल- हे हे हे हसिना मान गई रे हे हे हे, आज तो मै दुनिया को चिल्ला-चिल्ला
कर कहना चाहता हूं मां, हां मैने प्यार कीया है तुझ से
सरला के जिन्दगी मे कभी कीसी का प्रपोजल स्वीकारने का दीन नही आया था
उसने आजतक ये सिर्फ पिक्चरों मे देखा था । पर आज उसे कीसी कुवांरी लडकी
सा अनुभव हो रहा था जिसे उसपे जान छीडकने वाला चाहने वाला प्रेमी जो मिल
गया था ।
सरला- अरे बस बस अब निचे उतार मुझे कब तक गोदी मे लेकर नाचेगा मुझे
सुनिल- हां मेरी जान अब तो तुझे रोज गोदी मे लेकर प्यार करूंगा तुझे
सरला- हट बडा रंगीला मरद है तू , कुछ देर पहले मां कह रहा था और अब
अचानक जान
सुनिल- हां तो अब हम दोनो प्रेमी जोडा है एक दुसरे के हमराज है अब तू मेरी
जान, दीलरूबा, डार्लिंग सब कुछ है । तुझे में दावे के साथ कह सकता हूं तुझे
जिंदगी भर मेरे जैसा चाहने वाला नही मिलेगा ।
सरला तो शरम से पाणी होने लगी, वो अभी से सुनिल को पति के नजर से देखने
लगी
सरला- वो ठीक है पर मेरी एक शर्त है । मै तुझे वो सब अभी से करने नही दूंगी
हा ।
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नई जिन्दगी--8
सुनिल खटीये पर बैठ जाता है । सरला सुनिलसे नजरे चुराने लगी ।
सुनिल- हममम तोहहहह मां मजा आया
सरलाने नजरे उठाये सुनिल की ओर देखा और शरमा गई
सरला- धधत्त
सुनिल- अरे मै दोपहर के बारे मे पुछ रहा हूं
सरला के चेहरे पर मादक मुस्कान आई
सुनिल- तो अगले रविवार फीर चलेगी ना
सरला- चल हट बेसरम
सुनिल हसने लगा
आज सरला के घर मे हसी मजे का माहौल फीर लौटा देखकर सरला बडी खूश थी
।
सुनिल को भी अब बात आगे बढानी थी, हर दीन सुनिल की हीम्मत बढने लगी ।
सुनिल अब कीसी भी कीमत पर सरला को पाना चाहता था , सुनिल के दील मे
प्यार की घंटी फीर बजने लगी और मिलन की चाहत बढने लगी । सरला का हर
अंग सुनिल के लिए तो खुबसुरती की निशानी थी उसके बदन के हर अंग का छुने
की प्यास सुनिल मे बढने लगी ।
सुनिल अब सरला को अपनी लवर के रूप मे देखता था , जीसे वो अपनी औरत
बनाना चाहता था , वो हर दीन काम से घर लौटने की लिये तडपने लगा , इसे
पागलपन कहो या कुछ और पर था तो ये प्यार ही ।
सरला को पटाने के लिए सुनिल ने सरला को प्रपोज मारने की तैयारी करली ,
ऑफीस की छत पे सुनसान कोने मे सुनिल प्रपोज की प्रेक्तिस कर रहा था । घुटने
पर खडा हुए
सुनिल- मां आई लव यू, मुझसे शादी करोगी, नननन ना एसे तो वो मानेगी ही नही
कुछ और सोच सुनिल हमम हा, मां अब तुही मेरी जिन्दगी है. मै तेरे बगैर मर
जाउंगा मां....
दो घंटे माथापच्ची करने के बाद वो ऑफीस से घर को निकला ।
उसने घर लौटते वक्त लाल गुलाब का फुल लिया । सुनिल घर पहूंचा उसने
दरवाजा खटखटाया
सरलाने दरवाजा खोल दीया सरला की उभरी हुई फुली छाती सुनिल के सामने थी ।
सुनिल का तो उन दो कबूतरों के मसलने का मन हुआ । सुनिल घर के अंदर आया
और हाथ मुह धोये खटीया पे बैठ गया । सुनिल को पता नही चल रहा था के
अपने दील की बात सरला को कैसे बताये और क्या सरला सुनिल के प्रपोज को
मंजूर करेगी । सरला चाय लेके आई ।
सरला- ये ले बेटा चाय पीले
सुनिल- हहहहमम हा.
चाय निचे रखे सुनिल खटीया से उतर जाता है । सरला को जाते देख
सुनिल- ममममां रूक ना जरा
सुनिल के हाथ थरथरा रहे थे सुनिल के माथे पर पसिना छुटने लगा ।
सुनिल ने सरला को गुलाब का फुल दीया ।
सरला- यययये क्या है बेटा
सुनिल- ममममां आई लव यू मां, मै तुमसे बहोत प्यार करता हूं
सुनिल के मुह से कांपते हुए लब्ज निकलने लगे ।
सरला- पपपर बेटा मै तेरी मां हूं
सरला अनपढ जरूर थी पर प्रपोज क्या होता है । मर्द औरत को लाल गुलाब क्यू
देता है ये समझने को डीगरी थोडी लगती है ।
सरला बडी अच्छी तरह से जानती थी प्रपोज के वक्त गुलाब का फुल स्वीकारने का
मतलब क्या होता है
सुनिल- मां मना मत करना प्लीज , मै तुझे रानी बनाकर रखूंगा मेरे दील की रानी
तेरी कसम
सरला- बेटा...बेटा सुन मेरी बात मै समझती हूं तेरी जरूरत...तू जवान है इसलिए
तुझे औरत की जरूरत है पर हम दोनो के बीच ये पाप नही हो सकता बेटा ।
सुनिल- सारा जमाना हमे पति पत्नी की नजर से देखता है मां, हमारे बीच पीछले
कुछ दीनो से जो हो रहा है वो मां बेटा नही करते मां । अब हमारे बीच मां-बेटे के
संबध खत्म हो गये है । ईस घर मे यहां तू एक औरत है और मै एक मर्द अब
हमारे बीच मे सिर्फ कुछ दुरीयां बची है मां वो मीट जाने के बाद हम दोनो का
मिलन होगा मां समझ मेरी बात ।
सरला- बेटा मुझे पता है तू मेरे साथ वो गंदा काम करना चाहता है बस इसलिए ये
कह रहा है ।
सुनिल- न न ना मां तू गलत समझ रही है मेरी हर धडकन पे तेरा ही नाम लिखा
है मां । मै दील से तुझे चाहता हू ।
सरला भी समझ चुकी थी ये तो होना ही था पर सुनिल का मन जानने की आखरी
कोशिश कर रही थी।
सरला- पपपर
सुनिल- पर वर कुछ नही मां ,हां करदे मां..... मुझे मेरे बेटे रवी के लिए उसकी नई
मां चाहीये मां और वो तूही बनेगी ये मैने ठान ली है, देख उस बेचारे बीन मां के
बेटे को मां की जरूरत है, उसके लिए हां कर दे मां, बोलना मां बनेगी ना मेरे बच्चे
की मां देगी ना उसे सगी मां का प्यार, बोलना मां बोलना
रवी का नाम सुनते ही सरला की ममता भरी नजर दोनो की गहमा-गहमी से दूर
शांत सोये हुए रवी पर पडी और उसे देख सरला के अंदर की मां जाग उठी, उसे
उसका मातृत्व पुकार-पुकारके कह रहा था ,
“सरला देख उस नन्ही जान को, दुनिया क्या कहेगी तुझे उसकी पडी है । आज उसे
एक मां की जरूरत है, फीकर मत कर मेरे बच्चे तू मेरी कोक से ना जन्मा हुआ हो
तो क्या हुआ मै तुझे सगी मां से भी बढकर प्यार दुलार दुंगी, तेरे लिये मुझे कोई
भी पाप करना पडे वो मै करूंगी”
सरला की हां सुनने सुनिल तो पुरा बावला हुए उसकी ओर टकटकी लगाए बैठा था
।
सरला ने सुनिल की ये आस देख ते हुए मन मे एक पत्नी का भाव जगने लगे,
उसकी आंखे सुनिल के आंखो की गहराई मे समा कर जैसे कह रही थी “सुनिल
बेटा तेरी हर खुशी के लिए मै कुछ भी कर सकती हूं एक औरत को जिन्दगी मे
कई रीश्ते निभाने पडते है अगर मेरे हां करने से तेरे जिन्दगी में खुशियां लौट
सकती है तो यही सही, अगर तू मुझे अपनी औरत, अपनी पत्नी के रूप मे प्यार
करना चाहता है देखना चाहता है तो ठीक है बेटा जैसी तेरी मर्जी“ ।
इंतजार खत्म हुआ सरला ने सुनिल के नजरों से नजरे चुराली और शरमाते हुए
नजर झुकाई
सुनिल- बता ना मां अब रहा नही जाता, बनेगी ना मेरी बीवी बोलना तेरी हां है ना
हमारे नए रीश्ते को
सरलाने सुनिल के हाथ का गुलाब उसने हाथ मे ले लिया
सरला- सुनिल बेटा जरा ये गुलाब मेरे बालों मे लगा दे ना
सुनिल मे तो जैसे बीजली दौड पडी चेहरे पे खुशी की लहरे दौड पडी सरला ने
गुलाब स्विकार लिया था उसके लिए ये इशारा काफी था ।
सुनिल- मतलब मतलब मां तेरी हां है, है ना मां
सरला शरमाते हुए
सरला- हां
सुनिल झुम उठा उसने सरला की कमर पे दोनो हाथ डाले उसे उठा लिया और
सरला को गोदी मे उठाये नाचने लगा ।
सुनिल- हे हे हे हसिना मान गई रे हे हे हे, आज तो मै दुनिया को चिल्ला-चिल्ला
कर कहना चाहता हूं मां, हां मैने प्यार कीया है तुझ से
सरला के जिन्दगी मे कभी कीसी का प्रपोजल स्वीकारने का दीन नही आया था
उसने आजतक ये सिर्फ पिक्चरों मे देखा था । पर आज उसे कीसी कुवांरी लडकी
सा अनुभव हो रहा था जिसे उसपे जान छीडकने वाला चाहने वाला प्रेमी जो मिल
गया था ।
सरला- अरे बस बस अब निचे उतार मुझे कब तक गोदी मे लेकर नाचेगा मुझे
सुनिल- हां मेरी जान अब तो तुझे रोज गोदी मे लेकर प्यार करूंगा तुझे
सरला- हट बडा रंगीला मरद है तू , कुछ देर पहले मां कह रहा था और अब
अचानक जान
सुनिल- हां तो अब हम दोनो प्रेमी जोडा है एक दुसरे के हमराज है अब तू मेरी
जान, दीलरूबा, डार्लिंग सब कुछ है । तुझे में दावे के साथ कह सकता हूं तुझे
जिंदगी भर मेरे जैसा चाहने वाला नही मिलेगा ।
सरला तो शरम से पाणी होने लगी, वो अभी से सुनिल को पति के नजर से देखने
लगी
सरला- वो ठीक है पर मेरी एक शर्त है । मै तुझे वो सब अभी से करने नही दूंगी
हा ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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