Sunday, February 22, 2015

FUN-MAZA-MASTI नई जिन्दगी--13

FUN-MAZA-MASTI

नई जिन्दगी--13

 कुछ देर बाद सुनिल चद्दर हटाता है । रातभर लोहे के डंडे की तरह खडा उसका लंड मुरझाया हुआ था हाथी की

सुंड

की तरह लटक रहा था उसे सरला की चंचल नजरों ने देख लिया और वो उसने आखें भिंच ली मदमस्त हुए

पहली

रात के हसिन पल याद कीये होंट काटने लगी । सुनिल उसकी नजर पहचान गया ।

सुनिल- तोहह रात को मजा आया....

सरला सुनिल के मुंह से रात की बात सुनते ही शरम से पानी पानी हो गई । उसके गाल लाल हो गये ।

सुनिल झुलता लंड सहलाए सरला के पास गया सुनिलने सरला का नरम मुलायम हाथ अपने हाथ मे थाम

लिया और

उसे चुम लिया । सुनिलने सरला का हाथ लंड पर रखा और रगडने लगा ।

बेचारी मासूम सरला एक जवान लडकी की तरह सुनिल के गुप्तांग के स्पर्श से रोमांचित हो उठी । उसके अंग

अंग मे

बीजली दौड उठी ।

सुनिल- हममम बता ना चुप क्यू है, मजा आया ना ।

सरला- हहह

सुनिल- सिरफ हमम, तेरे इस रसिले होटों से मीठे लब्ज सुनने है मुझे जान

सरला- ऊ मुझे नही कहना मुझे सरम आती है ।

सरला ने अपना हाथ खिंच लिया । और रवी को झुले मे रखने लगी और उठ कर जाने लगी । सुनिलने उसका

पल्लू

खिंच लिया और वो संभलते बिस्तर पर गीर गई । सुनिल के जांघो के बीच सरला थी ।

सरला- आहह क्या कर रहे हो छोडो ना मुझे बहोत काम है ।

सुनिल- अरे रानी रवी को तो तुने सुला दीया पर मेरे छोटू का क्या वो जो जाग चुका है उसे शांत करती जा।

सरला- छी छी सुबह सुबह गंदा काम मै नही बाबा, तू भी नहा ले काम पे भी तो जाना है ना

सुनिल- कैसा गंदा काम हमारा मिलन क्या गंदा है, तो रहने दे फीर लगता है तु नही चाहती रवी तेरा दुध पीये,

उसे

भुका देखना चाहती है तू ।

सरला- ना मेरे राजा मै उसकी मां बनना चाहती हूं और तूही मुझे उसकी मां बना सकता है रे । मै उसे यू भुका

नही

रखना चाहती उसे अपना दुध पीलाना चाहती हूं । पर रात मे कर लेते है ना । मानेगा नही मेरी बात

सुनिल- रोज करना होगा हमे तभी जल्द बच्चा ठहरेगा हां, अगर तू टालती रही तो फीर देरी हो जाएगी ।

सरला सुनिल की बाते सुनकर शरमा गई ।

दोपहर हो गई कविता घर आई

कविता- खाना हो गया दीदी

सरला- अरे हां कविता, बैठ

सरला रसोई से बाहर आई नई साडी और गले मे मंगलसूञ पहने थी कीसी पहली रात की नई-नवली दुल्हन की

तरह

खिल चुकी थी सरला । सरला तो जानबुझ कर शायद कविता को उसकी नई साडी और सुहाग की निशानी

चमकता

मंगलसूञ दीखाने की कोशिश कर रही थी । एक औरत से औरत की खुशी पहचानने मे देर नही लगती । कविता

सरला को देख मुस्कुराए सरला बोली

कविता- वाह दीदी बडी खिली-खिली लग रही हो आप तो चेहरा तो चमक रहा है आप का और नई-नई साडी

नया

मंगलसूञ क्या बात है भाईसाब तो बडा खर्च कर रहे है आप पर, क्या जादू कर दीया आपने उन पर

सरला- धतततत तु नही सुधरेगी हमेशा एक ही बात पर लगी रहती है

कविता- बात तो खास है आप बडी शरमाने लगी हो आज कल बात बात पे

सरला- चल झुटी, अच्छा बता साडी कैसी है ये नया मंगलसूञ बनवाया है कैसा है

कविता- अरे नई दुल्हन लग रही हो आप कही भाईसाब खूश हो कर जल्द रवी को भाई या बहन ना दीला दे ।

सरला ने तो सुनते ही दातों तले अपनी उंगली काट ली ।



 हर औरत को मिलन और बच्चे बात सुनकर दील मे कुछ तो होने लगता है । क्यूंकी वो अपने साथी को बेहद

चाहती

है । शायद सरला भी उसी अहसास को फीर महसूस कर रही थी ।

सरला- ततततुने तो मेरे मन की बात छीन ली

कविता- हाय मतलब आप दोनो की एसी बात चल रही है ।

सरला- हहहह हां, क्या ये हो सकता है।

कविता- अरे दीदी क्यू नही डॉक्टर से बात कर लो

सरला- सही कह रही है, अच्छा सुन शाम को बाजार चलेंगे वो गरमी मे साडी मे रहा नही जाता तो वो सहर की

औरते पहनती हैना ववववो मेक्सी लेनी है । और वो नई वाली पपपेंटी भी

कविता- अरे वाह भाईसाब को खुश रखने की पुरी तय्यारी कर रही हो आप हा हा

सरला- छी कमिनी इसमे काहे की भाईसाब को खुश करने की तय्यारी

कविता- तो वो पेंटी वो भी नये फैसन वाली

सरला- छी वो तो बोलने मे भी सरम आती है मुझे, ववववो कल रात ततेरे भाईसाब मुझे बोले..

कविता- चलो फीर अभी चलते है ।

रात के १२.३० बजे थे मे सुनिल खटीये पे नंगा लेटा था । सरला बाथरूम मे थी ।

सुनिल- अरी ओ रवी की अम्मा सोने आओ जल्दी, रहा नही जा रहा ।

सुनिल तन्नाये लंड के सुपडे को मुंह से धुक निकाल-निकाल कर मसल रहा था । जैसे कीसी हथियार को जंग

के लिए

तैयार कर रहा हो । वैसे सरला जैसी मदमस्त औरत के बदन को खुश करना कीसी जंग से कम नही था ।

सरला बाथरूम से बाहर आई । मन मे एक अजिब सी खुशी की बाहर कोई उसकी राह देखने वाला दीलदार उसकी

बेसबरी से राह देख रहा था । वो भी तो एक नटखट सी थोडी शरमिली औरत थी आशिक को तरसाना बेहद

अच्छी

तरह से जानती थी । सरला को शिफोन की चमकती लाल मेक्सी मे देख सुनिल तो पागल ही हो गया ।

सरला के गदराये मादक बदन की गोलाईया मेक्सी मे उभर-उभर कर आ रही थी । मेक्सी मे सरला के मोटे

चुत्तर तो

पिछे गुब्बारे की तरह फूल चुके थे ,टरबूज जैसी बडी-बडी चुचिंया गोल-गोल आकार सरला की छाती पर बनाए

हुए थी

मेक्सी थोडी शायद साईज मे कम थी सरला के चुत्तर और मुलायम चुचियों को चिपक कर बैठी थी । सुनिल को

तो

सरला कीसी पोर्न मेगजिन की मोडल की तरह हवस से भरी प्रेमरस बरसाती औरत लग रही थी ।

सुनिल का लंड तो कडक होकर हवा मे झटके मारने लगा और सामने खडी सरला की बरसती जवानी को सलामी

देने

लगा सरला सुनिल के खडे लंड को देख ही पहचान गई सुनिल को मेक्सी मे उसकी बीवी कीतनी पसंद आ रही है ।

सरला- कैसी लग रही हूं

सुनिल- आय हाय मार डाला रानी कयामत ढा रही है तू बिल्कूल हीरोईनी लग रही है तू इसे पहन कर बाहर मत

जा,

गली के लौंडे पीछे पड जाएंगे ।

सरला- छी कैसी बाते करता है । तू झुट बोलता है ।

सुनिल- अरे जान तेरा दीवाना हूं मै झुट क्यू बोलूंगा । तेरी कसम , चल अब जल्दी पास आ कबसे तडप रहा हूं



सरला शरमाती गांड मटकाती बीस्तर पर आ गई । सुनिल सरला को फ्लाईंग कीस देने लगा । सरलाने शरमा

कर

अपना मुंह ही ढक लिया ।

सुनिल- आय हाय क्या शरमाती है, बेटा रवी देख क्या मां मिली है तुझे यार , तेरी वजह से मुझे ईतनी सुंदर

बीवी

मिली है । तू कुछ महीने रूक इस मस्त गाय को रोज रातभर मेहनत कर के दुधारू बना देता हूं । फीर दोनो मजे

से

दीनभर इसका दुध पियेंगे ।

सरला- छी गंदा, कुछ भी बोलता है

सुनिल- अब हम दोनो मे गंदा रहा ही क्या है मां

सुनिल से रहा नही जाता वो पास बैठी सरला को अपनी बाहों मे कस के पकडता है । सरला की धकधकती

धडकने

सुनिल की धडकनो को उसकी तडप का अहसास करा रही थी ।

सुनिल और सरला की तेज सांसे एकदुसरे को बेतहा प्यार का ईजहार कर रही थी ।

सरला के बदन की जवानी की मीठी खुशबू सुनिल अपनी सासों मे कैद कर रहा था । हर पल जैसे थम सा गया

था ।







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