Thursday, February 5, 2015

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--52

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--52

अब आगे
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 रश्मि ने घूर कर समीर की तरफ देखा, भले ही अंधेरा काफ़ी था पर फिर भी वो उसकी आँखो में आ रहे गुस्से को देख पा रहा था, वो शायद डर भी गयी थी की उसकी बेटी उसे ऐसे चुदाई करते देखेगी तो क्या सोचेगी...पर उससे भी ज़्यादा वो अभी ये सोच रही थी की ये काव्या वहाँ आई कैसे...

समीर : "तुम जब अंदर आकर सो गयी तो कुछ ही देर में काव्या ने भी कहा की वो भी सोने जा रही है...इसलिए ये भी यहाँ आकर सो गयी ...''

रश्मि (थोड़ा गुस्से में) : "तो इसका मतलब तुम जानते थे की ये यहाँ पर सो रही है...उसके बावजूद भी तुम शुरू हो गये...कुछ तो शरम करनी चाहिए थी आपको...''

समीर : "देखो...वैसे तो मेरा कोई इरादा नही था ऐसा कुछ करने का..तुम सो रही थी...और बेड के इस तरफ काव्या भी, मैं तो बस तुम्हारे पास कुछ देर के लिए लेटने के लिए आया था, मुझे क्या पता था की तुम एकदम से चुदाई के लिए तैयार हो जाओगी..और तुम तो जानती हो, मुझसे तो कभी भी करवा लो ये सब, और जब मेरा लंड खड़ा होता है तो मेरे आस पास कौन है ये मुझे याद नही रहता...ग़लती तो तुम्हारी है, जो बिना देखे ही तुम मेरे उपर सवार हो गयी नंगी होकर ...''

समीर ने उल्टा रश्मि को ही दोषी करार दे दिया इस सिचुएशन के लिए...

रश्मि के चेहरे पर अनेको भाव आ जा रहे थे...वो समीर की बातें सुनती रही...और उसे कहीं ना कहीं वो सब सही भी लगा, उसने अपना सिर झुका लिया..

पर समीर के लंड के उपर उसका थिरकना बंद नही हुआ....अभी भी वो उसके लंड को अंदर लेकर धीरे-2 आगे-पीछे हो रही थी..

समीर समझ चुका था की उसके उपर चुदासी चढ़ चुकी है, अब वो चाहकर भी रुक नही सकती...भले ही अपनी बेटी को अपने बेडरूम में पाकर थोड़ी देर के लिए वो रुक गयी थी, पर चुदने का ख़याल उसने अपने दिल से नही निकाला था अभी तक..

समीर ने पंगे लेने की सोची, और बोला : "चलो अब उतरो मेरे उपर से...तुम अगर ये समझती हो की काव्या उठ जाएगी और हमे ये सब करते देखेगी तो हमे अब ये सब यहीं रोक देना चाहिए...''

इतना कहकर समीर ने रश्मि की कमर में हाथ रखकर उसे पीछे की तरफ धकेला और रश्मि की चूत के रस से सना हुआ उसका लंड सरसराता हुआ सा बाहर निकल आया...

अपने अंदर एकदम से आए इस ख़ालीपन के अहसास को महसूस करते ही रश्मि तड़प उठी....और सिसकती हुई सी वो समीर की छाती के उपर अपनी ब्रेस्ट रखकर लेट गयी और बोली : "उम्म्म्मममममम ..... अब इतना कुछ हो गया है तो पूरा ही कर लेते है ना.... कोई बात नही, काव्या की फ़िक्र छोड़ो...वैसे भी उसकी नींद काफ़ी पक्की है...इसके सामने तो ढोल-नगाड़े भी बजा दो तब भी नही उठती ये, और आज तो वो सुबह से घूम-फिरकर काफ़ी तक भी गयी है...अब ये कल सुबह ही उठेगी...''

इतना कहते-2 रश्मि ने उसके घीस जैसे लंड को वापिस अपनी चूत के मुँह पर रखा और नीचे की तरफ खिसक कर उसे अंदर ग्रहण कर लिया...

समीर को और कुछ कहने का मौका ही नही मिला...बस वो भी रश्मि के साथ सिसक कर रह गया....

और उन दोनो के बीच जो चल रहा था उसे सुनकर और महसूस करके काव्या का क्या हाल हो रहा था उसकी तो कल्पना भी नही कर सकते थे वो दोनो...काव्या की चूत ने गाड़े रस की धार लगातार बहकर बाहर निकल रही थी...और बिस्तर को तर कर रही थी...



 समीर तो ये बात अच्छी तरह से जानता था की सोने का नाटक कर रही काव्या असल में जाग रही है...और उनकी सेक्सी बातें सुनकर मस्त भी हो रही होगी...उसने थोड़ी और मस्ती देने की सोची उसे..

समीर (रश्मि से) : "पर ऐसे तुम कैसे कर सकती हो, तुम उसी बिस्तर पर चुदाई करवा रही हो जहाँ तुम्हारी बेटी भी सो रही है ...''

रश्मि : "मैने बोला ना, इसकी नींद नही खुलेगी ऐसे....और वैसे भी मुझसे अब रहा नही जा रहा बिना काम पूरा करवाए....अब जो होगा देखा जाएगा...''

और वो फिर से उसके लंड के उपर आगे-पीछे होने लगी...

समीर : "इसका मतलब इस वक़्त अगर काव्या की नींद खुल भी जाए और वो हमे ऐसे नंगे होकर चुदाई करते हुए देख ले तो तुम्हे कोई फ़र्क नही पड़ेगा...''

रश्मि तो चुदाई के पुर मूड में आ चुकी थी...वो बोली : "नही पड़ेगा....अब तुम ये सब बातें बंद करो और मुझे चोदो ज़ोर से....आआआआहह''

पर समीर भी बड़ा कंज़र था...वो रुका नही , उसने बेड के साइड में लगे बटन से कमरे में ज़ीरो वॉट का बल्ब जला दिया..पुरे कमरे में उजाला फ़ैल गया

रश्मि : "अब ये किसलिए ....''

समीर : "ताकि तुम्हारे सेक्सी बदन को देख सकूं ....''

उसने अपने हाथ उपर करके रश्मि के मुम्मे ज़ोर से दबा दिए...रश्मि अपना सिर उपर करके चीख पड़ी : "आआआआआहह .... धीरे दबाओ बाबा ............ ये तुम्हारे लिए ही है.....''

और उन्हे दबाते हुए समीर की नज़रें अपनी बगल में लेटी काव्या की तरफ गयी जो सोते हुए गहरी साँसे ले रही थी...और साँसे लेते हुए उसका सीना उपर नीचे हो रहा था...और सिर्फ़ टी शर्ट पहनने की वजह से उसकी छाती पर उसके नन्हे-2 निप्पल सॉफ चमक रहे थे..

समीर का मन तो का रहा था की अपना दूसरा हाथ आगे करे और उसमे काव्या की ब्रेस्ट को दबोच ले...यानी एक हाथ मे माँ की और दूसरे में बेटी की चुचियाँ...

पर अभी के लिए तो वो सिर्फ़ उसे देख ही सकता था..दबा तो वो रहा ही था रश्मि की...

रश्मि ने उसके हाथ को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ कर लिया और उसकी लंबी-2 उंगलियाँ चूसने लगी..
''ओह समीर..... कितना लंबा लंड है तुम्हारा...... उम्म्म्ममममम ..... अंदर तक महसूस हो रहा है मुझे..... ऐसा लग रहा है की मेरी नाभि तक घुसा है ये.....''

अपनी नाभि वाले हिस्से पर उसने समीर के दूसरे हाथ को रख दिया और ज़ोर से दबा दिया....और एक पल के लिए तो समीर को भी यही लगा की उसके लंड की हलचल उसने महसूस की नाभि वाली जगह के आस पास...

और फिर उसी हाथ को थोड़ा और नीचे करके उसने अपने अंगूठे से रश्मि की चूत के होंठ फेलाए और उसे अंदर घुसा कर वहाँ मसाज करने लगा..

''उम्म्म्ममममममममम ..... क्यो तडपा रहे हो मुझे ....... हम्म्म्म्म्म ......''

रश्मि की हालत देखने वाली थी इस वक़्त....और वो बुरी तरह से अपनी चुदाई में डूब चुकी थी...ये भी नही देखा उसने की उसकी बेटी काव्या कनखियो से,अपनी अधखुली आँखो से उसके चेहरे के हर इंप्रेशन देख रही है...उसने देखा की रश्मि अपना मुँह उपर करे हुए समीर द्वारा मिल रही चूत मसाज का मज़ा ले रही है...उसकी आँखे बुरी तरह से बंद थी...एक तो उसके लंबे लंड को अंदर लेकर और उपर से उसके अंगूठे से अपनी चूत के दरवाजे की रगड़ाई करवाकर...

और इसी बात का फायदा उठाकर समीर का दूसरा हाथ लहराकर काव्या की तरफ चल दिया और उसने अपने मन की इक्चा पूरी करते हुए उसके मुम्मे को दबोच लिया और ज़ोर से दबा भी दिया...

काव्या तो तड़प कर रह गयी...इतनी देर से अपनी माँ को ऐसे मज़े लेते देखकर उसका भी मन कर रहा था की उसका बाप उसके शरीर को भी ऐसे ही तोड़ मरोड़ डाले..मसल डाले उसे...और अपनी छाती को समीर के हाथो मसलता पाकर वो मचल उठी...पर अपनी माँ की वजह से वो उस सिसकारी को दबा गयी जो इस वक़्त उसके मुँह से निकलनी चाहिए थी...

समीर को तो ऐसा लगा की उसकी हथेली में छेद हो जाएगा काव्या के निप्पल से...इतना पेना हो चुका था वो इस वक़्त...बुरी तरह से अकड़ कर चुभ सा रहा था वो उसे...और उसकी ब्रेस्ट तो पत्थर की हो चुकी थी...अभी कुछ देर पहले भी वो इतनी कड़क नही थी जितनी अब हो रही थी...पर उसकी पारखी और दमदार उंगलियों ने उन पत्थरों को भी पिघला दिया और अपनी ताक़त से उन्हे भी भींच कर उसके शरीर मे जल रही आग और भी भड़का दी...

उधर रश्मि अपनी ही मस्ती मे समीर के लंड पर उछल रही थी...और इधर उसकी बेटी फ्री के मज़े ले रही थी..

काव्या ने समीर के हाथ को ज़बरदस्ती पकड़कर अपनी चूत की तरफ मोड़ा और वहाँ लेजाकर ज़ोर से अपनी चूत उसके हाथ पर दे मारी...और ऐसा करते हुए उसकी कमर हवा में 4 इंच उपर उठ गयी,मानो वो अपनी चूत को उसके हाथ के अंदर झोंक देना चाहती हो...और चूत भी कैसी...अपने ही रस में डूबी हुई...सनी हुई....गीली सी..

समीर की पूरी हथेली गीली हो गयी....


 और तभी रश्मि ने आँखे खोल दी...समीर ने झट से अपना हाथ वापिस खींच लिया और काव्या भी अपनी सोने वाली मुद्रा में आ गयी...

रश्मि : "आआआआअहह ........... समीर.......आज तो मन कर रहा है की ऐसे ही बैठी रहूँ .....बट मैं अब कभी भी झड़ सकती हू.....आई एम लविंग इट....''

समीर : "रूको ....अभी मत झड़ना तुम ......''

और इतना कहकर उसने एक पलटी मारकर रश्मि को नीचे गिरा दिया, काव्या की बगल में, और खुद उपर की तरफ आ गया...

अब समीर उसकी जांघों के बीच बैठा था....उसने अपना वो हाथ जिसपर काव्या की चूत का रस लगा हुआ था, सीधा लेजाकर रश्मि की चूत के उपर लगाया और ज़ोर से मसल दिया...और ऐसा करते हुए वो सारा शहद जो उसने काव्या की चूत के छत्ते से इकट्ठा किया था, उसे रश्मि की चूत से निकल रहे रस के साथ मिला दिया...और फिर उस रसीली हथेली को चाट लिया...

''उम्म्म्ममममममममम ........कितना मीठा है ये....''

वो एक तीर से दो निशाने लगा रहा था....अपनी बेटी और पत्नी को एक ही डायलॉग से खुश करके ..

दोनो यही समझ रही थी की उसके प्रॉडक्ट की तारीफ हो रही है..

काव्या तो बेबस थी पर रश्मि नही, उसने अपनी चूत के रस की तारीफ सुनी और समीर के सिर को पकड़ कर अपनी टाँगो के बीच खींच लिया...और चिल्लाई : "उम्म्म्मम...... तो और चाटो इसको....और पूरे मज़े लो....''

समीर को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...उसने अपना मुँह खोला और रश्मि की चूत के उपर अपने होंठ लगाकर जोरों से सकक्क करने लगा...

सपड़ -2 की आवाज़ सुनकर काव्या की चूत में भी चींटियाँ रेंगने लगी...उसने फिर से अपनी आँखे खोली और अपनी माँ को आँखे बंद करके तकिया पकड़कर मज़े लेते देखा...और समीर तो दिख ही नही रहा था उसे, वो लगा हुआ था अपनी बीबी की गुफा की सफाई करने में ..

और काव्या का हाथ फिर से अपनी चूत की तरफ रेंग गया...और पायजामे के उपर से ही उसने उसे मसलना शुरू कर दिया...मन तो उसका भी कर रहा था की ज़ोर से सिसके...चीखे मारे...पर आज उसका दिन नहीं था...वो तो चोरी के मज़े ले रही थी...और ऐसे मे चीखे मारना बिल्कुल मना होता है, वरना चोरी पकड़ी जाती है..

कुछ देर की चुसाई के बाद समीर उपर उठा और अपने लंड को लेकर थोड़ा आगे खिसक आया...और फिर रश्मि की आँखो मे देखते हुए उसने अपना लंड एक बार फिर से उसकी गहरी और गर्म चूत में पेल दिया..

''आआआआआआआआअहह समीईईर्...... हर बार ऐसा लगता है की पहली बार जा रहा है.... कितना मोटा है तुम्हारा...... उम्म्म्मममममम....''

समीर भी मुस्कुरा दिया, अपने पार्ट्नर से ऐसी कॉमेंट्स सुनकर मर्द का सीना और चोडा जो हो जाता है..

और धीरे-2 समीर ने अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी...और कुछ ही देर मे उसकी रेलगाड़ी ने स्पीड पकड़ ली और वो पूरी रफ़्तार से रश्मि की चुदाई करने लगा...

हर झटके से रश्मि के मुम्मे उपर तक उछलते और उसकी ठोडी से टकराते...और साथ ही पूरा पलंग भी ऐसे झटकों से हिल रहा था..

और पलंग के हिलने की वजह से रश्मि की बगल में सो रह काव्या का शरीर भी उपर नीचे हिचकोले खा रहा था..और जो झटके समीर रश्मि को मार रहा था वही झटके काव्या को भी लग रहे थे और उसके मुम्मे भी उपर नीचे हो रहे थे, भले ही वो टी शर्ट में थे, पर उसके और उसकी माँ के मुम्मे एक ही लय में उपर नीचे हो रहे थे...और ये सीन बड़ा ही सेक्सी लग रहा था समीर को..

समीर चोद तो रश्मि को रहा था पर उसकी नज़र काव्या के मुम्मों पर थी...और वो ये तो जानता ही था की वो जाग रही है,बस आँखे बंद किए वो झटके ले रही है...एक तरह से ऐसा लग रहा था की वो भी अपनी माँ की बगल में लेट कर चुद रही है... एक ना दिखाई दे रहे इंसान से..और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन भी वो सॉफ देख पा रहा था...जिस तरह से अपनी आँखे मूंदे रश्मि अपनी चुदाई के मज़े ले रही थी ठीक वैसे ही काव्या भी अपनी आँखे बंद किए उन झटकों से मिल रहे आनंद को अंदर तक महसूस कर रही थी.

अचानक काव्या ने फिर से आँखे खोली और इस बार समीर और काव्या की आँखे चार हो गयी...दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए..और काव्या ने अपने होंठों को गोल करके एक किस्स उछाल दी समीर की तरफ, जिसे उसने अपना हाथ आगे करके कॅच किया और अपने होंठों पर चिपका लिया..

और इन सबसे बेख़बर रश्मि एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुँच गयी..

और वो चिल्लाने लगी

''अहह समीर....उफफफफ्फ़..उम्म्म्म अहह अहह ऊगगगगगगग और ज़ोर से ....और तेज ... और अंदर ....ह उम्म्म्मम ....''

समीर समझ गया को वो अब किसी भी वक़्त झड़ सकती है...इसलिए उसने अपना लंड एक बार फिर से बाहर खींच लिया..

रश्मि ने चोंक कर अपनी आँखे खोल ली और चिल्लाई : "अभी क्यो निकाल लिया......मेरा बस होने ही वाला था....''





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