FUN-MAZA-MASTI
मेरा नाम मोहित है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी लम्बाई 6 फुट है और कसरत करने की वजह से शरीर भी अच्छा बना हुआ है। मेरा लंड 6 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है।
असल में यह एक कहानी नहीं, एक वास्तविक घटना है जो कुछ साल पहले मेरे साथ हुई और जिसे मैं जीवन भर नहीं भूल सकता।
बात उन दिनों की है जब मैं एमबीए कर रहा था। कॉलेज लाइफ की बात ही कुछ और होती है, मेरी भी कॉलेज लाइफ बड़ी अच्छी चल रही थी, कॉलेज में काफी सारे नए दोस्त बने, उनके साथ घूमना फिरना, मौज-मस्ती सब अच्छा चल रहा था।
लेकिन जैसे जयपुर को गुलाबी-नगरी कहा जाता है वैसे ही यहाँ का मौसम और यहाँ की लड़कियाँ भी एकदम गुलाबी हैं।
मेरे साथ भी काफी सारी लड़कियाँ पढ़ती थीं पर उन सब में एक सबसे अलग थी वो थी सुमन।
वो हमेशा अलग ही रहा करती थी और कुछ शर्मीले स्वाभाव की थी लेकिन बहुत ही सुंदर थी और दोस्तो, उसका 34-30-36 का फिगर तो बहुत ही कमाल का था।
हर लड़का उससे दोस्ती करना चाहता था, लेकिन वो शर्मीले स्वाभाव की वजह से कम ही बात किया करती थी।
मैं भी उन लड़कों में से एक था पर मेरी बात नहीं बन पा रही थी।
लेकिन उस ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन सुबह मैं घर से तैयार होकर कॉलेज के लिए निकला तो रास्ते में देखा कि सुमन की स्कूटी ख़राब हो गई है और वो उसे बार-बार स्टार्ट करने की कोशिश कर रही है।
मैं वहाँ पहुँचा और मैंने सुमन से पूछा- क्या हुआ सुमन?
सुमन बोली- मोहित मेरी स्कूटी अचानक से बंद हो गई है, स्टार्ट ही नहीं हो रही है।
तो मैंने कहा- मैं भी कोशिश करके देखता हूँ।
मैंने भी कोशिश की, पर स्कूटी स्टार्ट नहीं हुई।
मैंने सुमन से कहा- स्कूटी को यहाँ किसी मिस्त्री को दिखाते हैं।
ढूँढने पर पास ही हमें एक मिस्त्री मिल गया।
मैंने सुमन से कहा- अभी स्कूटी यहीं छोड़ देते हैं, शाम को कॉलेज के बाद ले लेंगे और अभी कॉलेज के लिए भी देर हो रही है।
तो वो मान गई, वो मेरी बाइक पर पीछे बैठ गई और अपने एक हाथ से मेरा कन्धा पकड़ लिया।
दोस्तो, उस दिन मैं इतना खुश था और खुश भी क्यों न होता कॉलेज की वो लड़की जिसका हर लड़का दीवाना था, वो मेरी बाइक पर मेरे साथ बैठी हुई थी।
फिर क्या था, मैं भी बाइक का बार-बार आगे वाला ब्रेक लगा कर चलने लगा, जिससे उसके मम्मे मेरी पीठ से बार-बार टकरा रहे थे।
उस दिन मुझे अहसास हुआ कि सुमन के मम्मे काफी बड़े हैं।
उस दिन से हमारी दोस्ती भी अच्छी हो गई और क्लास में मैं सुमन के साथ बैठने लगा, बातें करने लगा और उसे भी मुझसे बात करना अच्छा लगने लगा।
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा कभी वो स्कूटी नहीं लाती तो में उसे पिक करता और कॉलेज के बाद उसे घर भी छोड़ देता था।
एक दिन कॉलेज की तरफ से हमें फील्ड-प्रोजेक्ट मिला, जिसमें हमें बाजार का अध्ययन करना था तो मैंने सुमन को बोला- हम दोनों मेरी बाइक पर साथ ही चलते हैं।
तो वो मान गई, हम कॉलेज से निकले बारिश का मौसम हो रहा था।
तो सुमन ने कहा- हमें जल्द ही वापस आना होगा, मौसम ठीक नहीं है.. कभी भी बारिश हो सकती है।
मैंने कहा- ठीक है… हम जल्दी ही वापस आ जायेंगे।
कॉलेज से निकलने के बाद हम 4-5 बड़े रिटेल शोरूम पर गए और अपने फील्ड प्रोजेक्ट के लिए जानकारी ली।
उसके बाद जब हम वापस जाने लगे तो बादल और घने हो गए थे, लेकिन बारिश शुरू नहीं हुई थी तो मैंने सुमन से कहा- हम वापस कॉलेज चलते हैं, अभी बारिश शुरू नहीं हुई है।
तो सुमन कहा- हाँ.. हमें बारिश शुरू होने से पहले कॉलेज पहुँचना है।
हम वहाँ से निकल पड़े, लेकिन थोड़ी दूर पहुँचने पर ही बारिश शुरू हो गई और हम भीगने लगे।
तो सुमन ने कहा- कहीं बाइक रोक लो वर्ना हम दोनों पूरे भीग जायेंगे।
तो मैंने सुमन से कहा- अभी बारिश कम है, हम कॉलेज पहुँच जायेंगे और मैंने बाइक तेज कर दी।
लेकिन बारिश को भी कुछ और ही मंजूर था, बारिश तेज हो गई और हम पूरे भीग गए थे।
सुमन ने मुझ से कहा- मोहित इस हालत में मैं कॉलेज नहीं जा सकती।
तो मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- अगर तुम्हें कोई ऐतराज न हो तो मेरा घर पास ही है, वहाँ चलकर रुक सकते हैं और कॉलेज ख़त्म होने तक तुम्हारे कपड़े भी सूख जायेंगे फिर घर चली जाना।
पहले तो उसने ना-नुकुर की, फिर मेरे कहने पर वो मान गई और मैंने अपनी बाइक अपने घर की तरफ मोड़ ली। मैं मन ही मन बड़ा खुश हो रहा था।
थोड़ी देर में ही हम घर पहुँच गए मैंने दरवाजा खोला और हम अन्दर आ गए।
जब मेरी नजर सुमन की तरफ गई तो मैंने देखा कि वो पूरी भीगी हुई थी और कॉलेज का यूनिफार्म (सफ़ेद शर्ट और काला पैन्ट) पूरा उसके शरीर से चिपका हुआ था।
सुमन का सफ़ेद शर्ट उसके शरीर से इस कदर चिपका हुआ था कि उसकी काली ब्रा में छिपे हुए मम्मे और भी बड़े नजर आ रहे थे। मेरी नजर एकटक सुमन के मम्मों पर ही थी।
लेकिन सुमन ने मेरा ध्यान हटाते हुए कहा- तुम यहाँ अकेले रहते हो?
तब मैंने भी अपने आप को संभाला और कहा- हाँ.. यह घर अभी लिया है और मैं यहाँ अकेला ही रहता हूँ। पापा की नौकरी दूसरे शहर में होने की वजह से मम्मी-पापा यहाँ नहीं रहते हैं।
फिर सुमन से मैंने कहा- तुम तौलिया ले लो और कपड़े बदल लो।
सुमन को मैंने अपना एक टी-शर्ट और नेकर दे दिया। वो बाथरूम में कपड़े बदलने चली गई और मैं भी कमरे में ही कपड़े बदलने लगा।
सुमन जब कपड़े बदल कर वापस कमरे में आई तो क्या गजब की अप्सरा सी लग रही थी। वो खुले भीगे बाल और टी-शर्ट व नेकर में बड़ी मस्त लग रही थी।
उसने टी-शर्ट के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी गीली होने की वजह से और उसके निप्पल साफ चमक रहे थे, जिन्हें छुपाने की नाकाम कोशिश वो कर रही थी।
सुमन को मैंने बैठने के लिए कहा और हम दोनों मेरे सोफे पर बैठ गए और बातें करने लगे लेकिन मेरी नज़र बार-बार सुमन के मम्मों पर ही जा रही थी और इस हरकत पर सुमन की भी नज़र थी।
तभी अचानक सुमन बोली- मुझे भूख लग रही है।
तो मैंने सुमन से पूछा- तुम क्या खाओगी?
तो उसने कहा- कुछ भी हल्का-फुल्का।
तो मैंने कहा- मैं अभी नीचे दुकान से चिप्स और कुरकुरे ले आता हूँ।
मैं तुरंत नीचे गया और कुरकुरे, चिप्स व कोल्डड्रिंक ले आया और उसे देने लगा, लेकिन बारिश के कारण मेरे हाथ गीले हो गए थे और कोल्डड्रिंक देते वक्त गिलास मेरे हाथ से छूट गया और सारी कोल्डड्रिंक सुमन की टी-शर्ट के ऊपर गिर गई।
मैंने सुमन को ‘सॉरी’ बोला और तुरंत तौलिया लाया और कोल्डड्रिंक साफ़ करने लगा, लेकिन मुझे ये भी ध्यान न रहा कि मैं सुमन की कोल्डड्रिंक उसकी टी-शर्ट के ऊपर से साफ़ कर रहा हूँ।
साफ़ करते वक्त सुमन के मम्मे भी बार-बार छुए जा रहा था लेकिन मैंने देखा कि सुमन को कोई ऐतराज नहीं है, तो मैं भी बेझिझक साफ़ करने लगा।
फिर मैंने सोचा कि यही सही मौका है अपने प्यार का इजहार करने का, तो मैंने सुमन का हाथ पकड़ा और कहा- सुमन तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो… ‘आई लव यू’…!
मैंने उसके हाथ पर ‘किस’ कर दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और कुछ नहीं बोली, मैं समझ चुका था कि उसकी भी ‘हाँ’ है।
फिर क्या था… मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर में डाला और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन को पीछे से पकड़ते हुए उसके होंठों को चूमने लगा।
मैंने देखा कि चुम्बन करते वक़्त सुमन की साँसें तेज हो रही थीं, वो गर्म हो चुकी थी।
मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई थी और यह मौका मैं गंवाना नहीं चाहता था और तभी मैं उसकी कमर पर से हाथ सरकते हुए उसके मम्मों पर ले गया और दबाने लगा।
मेरा लंड भी लोहे की रॉड की तरह टाइट हो चुका था और पजामा फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो रहा था।
अब मुझसे और रुका नहीं जा रहा था और मैं सुमन की टी-शर्ट उतारने लगा लेकिन सुमन का ये सब पहली बार था और वो मुझे रोकने लगी।
लेकिन मैं भी कहाँ मानने वाला था, मैंने सुमन से कहा- कुछ नहीं होगा।
उसके होंठों को फिर से चूमने लगा।
इस बार वो ढीली पढ़ गई और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। अब उसके नंगे मम्मे मेरे सामने थे और उन्हें वो अपने हाथों से छुपाने की कोशिश कर रही थी।
मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और सुमन को गोद में उठा कर अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसके हाथों को उसके मम्मों पर से हटाने लगा, उसके नंगे मम्मे मेरे सामने थे।
मैं भी भूखे शेर की तरह उन पर टूट पड़ा और जोर से उनको चूसने और मसलने लगा।
सुमन को भी मजा आने लगा और उसके मुँह से सिस्कारियां निकलने लगी- उम्म हहाहा सीसीसी…
पूरे कमरे में बस यही आवाजें गूँज रही थीं। करीब 15 मिनट तक उसके मम्मे चूसने के बाद, मैंने एक झटके से उसका नेकर उतार दिया और अपना पजामा भी निकाल फेंका।
एक अप्सरा सी लड़की मेरे सामने बिलकुल नंगी पड़ी हुई थी, उसकी गुलाबी चूत जिस पर हल्के-हल्के रुई जैसे बाल थे। उसकी रेशमी चूत को देखकर मेरा 6 इंच का लंड और भी पागल हुआ जा रहा था।
मैंने सुमन से कहा- मेरे लंड को चूसो। तो उसने मना कर दिया और कहा- यह गन्दा है।
मैंने कहा- एक बार मुँह में लो अगर गन्दा लगे तो मत चूसना।
तब वो मान गई।
3-4 बार मेरे लंड पर अपनी जीभ फिराने के बाद सुमन को मजा आने लगा और अब वो मेरे लंड को अच्छी तरह से चूस रही थी।
मैं उसके मम्मे मसल रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और हम 69 की अवस्था में आ गए और मैं उसकी चूत और वो मेरा लंड चाटने लगी। करीब 15-20 मिनट के बाद मैंने सुमन की टाँगें उठाईं और उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया और उसे अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।
लेकिन मेरा लंड उसकी कसी हुई चूत के कारण अन्दर नहीं जा पा रहा था।
थोड़ी देर उसकी चूत पर लंड रगड़ने के बाद मैंने फिर कोशिश की और इस बार लंड को उसकी चूत पर रखकर एक जोर का झटका मारा और मेरा 6 इंच लम्बा लंड पूरा उसकी चूत में समा गया।
तभी सुमन के मुँह से एक जोरदार चीख निकली- आ..ई..ईईई मर गई अह्ह…
वो चिल्लाने लगी- मोहित प्लीज इसे बाहर निकालो… मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊँगी।
मैंने देखा उसकी चूत से खून आ रहा था, उसकी चूत की झिल्ली फट चुकी थी।
मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को दबाया और चूमने लगा और उसके मम्मे सहलाने लगा।
करीब 5-7 मिनट बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने हल्के-हल्के से धक्के मारना शुरू किया, लेकिन उसे अब भी दर्द हो रहा था, पर अब उसे मजा भी आ रहा था और वो मेरा विरोध नहीं कर रही थी।
दस मिनट तक उसे चोदने के बाद उसका पानी निकल गया, लेकिन मेरे लंड का अभी निकलना बाकी था और मैंने लंड की गति बढ़ा दी और उसके 5 मिनट बाद मेरा वीर्य भी उसकी चूत में निकल गया।
चुदाई के 15 मिनट बाद तक हम बिस्तर पर ही पड़े रहे। तभी सुमन ने मुझे कसके गले लगाया और कहा- आई लव यू.. मोहित… आज से मैं तुम्हारी हूँ। उसने मेरे होंठों पर चुम्बन लिया।
तभी मुझे ध्यान आया कि जल्दबाजी में मैंने कंडोम तो पहना ही नहीं था। तभी मैंने सुमन से कहा- तुम गुसलखाने में जाओ और खुद को साफ़ कर लो।
मैंने तुरंत कपड़े पहने और पास की दवा की दुकान पर पहुँचा, वहाँ से मैंने एक गर्भ निरोधक गोली ली और घर आकर सुमन को खिलाई, तब जाकर मुझे चैन आया।
उसके बाद मैंने सुमन को कॉलेज छोड़ा। पहली चुदाई की वजह से उसे दर्द हो रहा था और वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
उसने घर पहुँच कर मुझे फ़ोन किया, मैंने उससे पूछा- सब ठीक है?
तो उसने ‘हाँ’ में जवाब दिया और कहा- अब दर्द बंद है।
उस दिन के बाद से हमें जब भी मौका मिलता हम चुदाई करते। मैंने पूरे दो साल सुमन को जी भर कर चोदा।
दोस्तो, यह थी मेरी कहानी, आशा करता हूँ आप सबको पसंद आई होगी।
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कॉलेज की मस्ती
मेरा नाम मोहित है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी लम्बाई 6 फुट है और कसरत करने की वजह से शरीर भी अच्छा बना हुआ है। मेरा लंड 6 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है।
असल में यह एक कहानी नहीं, एक वास्तविक घटना है जो कुछ साल पहले मेरे साथ हुई और जिसे मैं जीवन भर नहीं भूल सकता।
बात उन दिनों की है जब मैं एमबीए कर रहा था। कॉलेज लाइफ की बात ही कुछ और होती है, मेरी भी कॉलेज लाइफ बड़ी अच्छी चल रही थी, कॉलेज में काफी सारे नए दोस्त बने, उनके साथ घूमना फिरना, मौज-मस्ती सब अच्छा चल रहा था।
लेकिन जैसे जयपुर को गुलाबी-नगरी कहा जाता है वैसे ही यहाँ का मौसम और यहाँ की लड़कियाँ भी एकदम गुलाबी हैं।
मेरे साथ भी काफी सारी लड़कियाँ पढ़ती थीं पर उन सब में एक सबसे अलग थी वो थी सुमन।
वो हमेशा अलग ही रहा करती थी और कुछ शर्मीले स्वाभाव की थी लेकिन बहुत ही सुंदर थी और दोस्तो, उसका 34-30-36 का फिगर तो बहुत ही कमाल का था।
हर लड़का उससे दोस्ती करना चाहता था, लेकिन वो शर्मीले स्वाभाव की वजह से कम ही बात किया करती थी।
मैं भी उन लड़कों में से एक था पर मेरी बात नहीं बन पा रही थी।
लेकिन उस ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन सुबह मैं घर से तैयार होकर कॉलेज के लिए निकला तो रास्ते में देखा कि सुमन की स्कूटी ख़राब हो गई है और वो उसे बार-बार स्टार्ट करने की कोशिश कर रही है।
मैं वहाँ पहुँचा और मैंने सुमन से पूछा- क्या हुआ सुमन?
तो मैंने कहा- मैं भी कोशिश करके देखता हूँ।
मैंने भी कोशिश की, पर स्कूटी स्टार्ट नहीं हुई।
मैंने सुमन से कहा- स्कूटी को यहाँ किसी मिस्त्री को दिखाते हैं।
ढूँढने पर पास ही हमें एक मिस्त्री मिल गया।
मैंने सुमन से कहा- अभी स्कूटी यहीं छोड़ देते हैं, शाम को कॉलेज के बाद ले लेंगे और अभी कॉलेज के लिए भी देर हो रही है।
तो वो मान गई, वो मेरी बाइक पर पीछे बैठ गई और अपने एक हाथ से मेरा कन्धा पकड़ लिया।
दोस्तो, उस दिन मैं इतना खुश था और खुश भी क्यों न होता कॉलेज की वो लड़की जिसका हर लड़का दीवाना था, वो मेरी बाइक पर मेरे साथ बैठी हुई थी।
फिर क्या था, मैं भी बाइक का बार-बार आगे वाला ब्रेक लगा कर चलने लगा, जिससे उसके मम्मे मेरी पीठ से बार-बार टकरा रहे थे।
उस दिन मुझे अहसास हुआ कि सुमन के मम्मे काफी बड़े हैं।
उस दिन से हमारी दोस्ती भी अच्छी हो गई और क्लास में मैं सुमन के साथ बैठने लगा, बातें करने लगा और उसे भी मुझसे बात करना अच्छा लगने लगा।
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा कभी वो स्कूटी नहीं लाती तो में उसे पिक करता और कॉलेज के बाद उसे घर भी छोड़ देता था।
एक दिन कॉलेज की तरफ से हमें फील्ड-प्रोजेक्ट मिला, जिसमें हमें बाजार का अध्ययन करना था तो मैंने सुमन को बोला- हम दोनों मेरी बाइक पर साथ ही चलते हैं।
तो वो मान गई, हम कॉलेज से निकले बारिश का मौसम हो रहा था।
तो सुमन ने कहा- हमें जल्द ही वापस आना होगा, मौसम ठीक नहीं है.. कभी भी बारिश हो सकती है।
मैंने कहा- ठीक है… हम जल्दी ही वापस आ जायेंगे।
कॉलेज से निकलने के बाद हम 4-5 बड़े रिटेल शोरूम पर गए और अपने फील्ड प्रोजेक्ट के लिए जानकारी ली।
उसके बाद जब हम वापस जाने लगे तो बादल और घने हो गए थे, लेकिन बारिश शुरू नहीं हुई थी तो मैंने सुमन से कहा- हम वापस कॉलेज चलते हैं, अभी बारिश शुरू नहीं हुई है।
तो सुमन कहा- हाँ.. हमें बारिश शुरू होने से पहले कॉलेज पहुँचना है।
हम वहाँ से निकल पड़े, लेकिन थोड़ी दूर पहुँचने पर ही बारिश शुरू हो गई और हम भीगने लगे।
तो सुमन ने कहा- कहीं बाइक रोक लो वर्ना हम दोनों पूरे भीग जायेंगे।
तो मैंने सुमन से कहा- अभी बारिश कम है, हम कॉलेज पहुँच जायेंगे और मैंने बाइक तेज कर दी।
लेकिन बारिश को भी कुछ और ही मंजूर था, बारिश तेज हो गई और हम पूरे भीग गए थे।
सुमन ने मुझ से कहा- मोहित इस हालत में मैं कॉलेज नहीं जा सकती।
तो मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- अगर तुम्हें कोई ऐतराज न हो तो मेरा घर पास ही है, वहाँ चलकर रुक सकते हैं और कॉलेज ख़त्म होने तक तुम्हारे कपड़े भी सूख जायेंगे फिर घर चली जाना।
पहले तो उसने ना-नुकुर की, फिर मेरे कहने पर वो मान गई और मैंने अपनी बाइक अपने घर की तरफ मोड़ ली। मैं मन ही मन बड़ा खुश हो रहा था।
थोड़ी देर में ही हम घर पहुँच गए मैंने दरवाजा खोला और हम अन्दर आ गए।
जब मेरी नजर सुमन की तरफ गई तो मैंने देखा कि वो पूरी भीगी हुई थी और कॉलेज का यूनिफार्म (सफ़ेद शर्ट और काला पैन्ट) पूरा उसके शरीर से चिपका हुआ था।
सुमन का सफ़ेद शर्ट उसके शरीर से इस कदर चिपका हुआ था कि उसकी काली ब्रा में छिपे हुए मम्मे और भी बड़े नजर आ रहे थे। मेरी नजर एकटक सुमन के मम्मों पर ही थी।
लेकिन सुमन ने मेरा ध्यान हटाते हुए कहा- तुम यहाँ अकेले रहते हो?
तब मैंने भी अपने आप को संभाला और कहा- हाँ.. यह घर अभी लिया है और मैं यहाँ अकेला ही रहता हूँ। पापा की नौकरी दूसरे शहर में होने की वजह से मम्मी-पापा यहाँ नहीं रहते हैं।
फिर सुमन से मैंने कहा- तुम तौलिया ले लो और कपड़े बदल लो।
सुमन को मैंने अपना एक टी-शर्ट और नेकर दे दिया। वो बाथरूम में कपड़े बदलने चली गई और मैं भी कमरे में ही कपड़े बदलने लगा।
सुमन जब कपड़े बदल कर वापस कमरे में आई तो क्या गजब की अप्सरा सी लग रही थी। वो खुले भीगे बाल और टी-शर्ट व नेकर में बड़ी मस्त लग रही थी।
उसने टी-शर्ट के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी गीली होने की वजह से और उसके निप्पल साफ चमक रहे थे, जिन्हें छुपाने की नाकाम कोशिश वो कर रही थी।
सुमन को मैंने बैठने के लिए कहा और हम दोनों मेरे सोफे पर बैठ गए और बातें करने लगे लेकिन मेरी नज़र बार-बार सुमन के मम्मों पर ही जा रही थी और इस हरकत पर सुमन की भी नज़र थी।
तभी अचानक सुमन बोली- मुझे भूख लग रही है।
तो मैंने सुमन से पूछा- तुम क्या खाओगी?
तो उसने कहा- कुछ भी हल्का-फुल्का।
तो मैंने कहा- मैं अभी नीचे दुकान से चिप्स और कुरकुरे ले आता हूँ।
मैं तुरंत नीचे गया और कुरकुरे, चिप्स व कोल्डड्रिंक ले आया और उसे देने लगा, लेकिन बारिश के कारण मेरे हाथ गीले हो गए थे और कोल्डड्रिंक देते वक्त गिलास मेरे हाथ से छूट गया और सारी कोल्डड्रिंक सुमन की टी-शर्ट के ऊपर गिर गई।
मैंने सुमन को ‘सॉरी’ बोला और तुरंत तौलिया लाया और कोल्डड्रिंक साफ़ करने लगा, लेकिन मुझे ये भी ध्यान न रहा कि मैं सुमन की कोल्डड्रिंक उसकी टी-शर्ट के ऊपर से साफ़ कर रहा हूँ।
साफ़ करते वक्त सुमन के मम्मे भी बार-बार छुए जा रहा था लेकिन मैंने देखा कि सुमन को कोई ऐतराज नहीं है, तो मैं भी बेझिझक साफ़ करने लगा।
फिर मैंने सोचा कि यही सही मौका है अपने प्यार का इजहार करने का, तो मैंने सुमन का हाथ पकड़ा और कहा- सुमन तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो… ‘आई लव यू’…!
मैंने उसके हाथ पर ‘किस’ कर दिया, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और कुछ नहीं बोली, मैं समझ चुका था कि उसकी भी ‘हाँ’ है।
फिर क्या था… मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर में डाला और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन को पीछे से पकड़ते हुए उसके होंठों को चूमने लगा।
मैंने देखा कि चुम्बन करते वक़्त सुमन की साँसें तेज हो रही थीं, वो गर्म हो चुकी थी।
मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई थी और यह मौका मैं गंवाना नहीं चाहता था और तभी मैं उसकी कमर पर से हाथ सरकते हुए उसके मम्मों पर ले गया और दबाने लगा।
मेरा लंड भी लोहे की रॉड की तरह टाइट हो चुका था और पजामा फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो रहा था।
अब मुझसे और रुका नहीं जा रहा था और मैं सुमन की टी-शर्ट उतारने लगा लेकिन सुमन का ये सब पहली बार था और वो मुझे रोकने लगी।
लेकिन मैं भी कहाँ मानने वाला था, मैंने सुमन से कहा- कुछ नहीं होगा।
उसके होंठों को फिर से चूमने लगा।
इस बार वो ढीली पढ़ गई और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। अब उसके नंगे मम्मे मेरे सामने थे और उन्हें वो अपने हाथों से छुपाने की कोशिश कर रही थी।
मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और सुमन को गोद में उठा कर अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसके हाथों को उसके मम्मों पर से हटाने लगा, उसके नंगे मम्मे मेरे सामने थे।
मैं भी भूखे शेर की तरह उन पर टूट पड़ा और जोर से उनको चूसने और मसलने लगा।
सुमन को भी मजा आने लगा और उसके मुँह से सिस्कारियां निकलने लगी- उम्म हहाहा सीसीसी…
पूरे कमरे में बस यही आवाजें गूँज रही थीं। करीब 15 मिनट तक उसके मम्मे चूसने के बाद, मैंने एक झटके से उसका नेकर उतार दिया और अपना पजामा भी निकाल फेंका।
एक अप्सरा सी लड़की मेरे सामने बिलकुल नंगी पड़ी हुई थी, उसकी गुलाबी चूत जिस पर हल्के-हल्के रुई जैसे बाल थे। उसकी रेशमी चूत को देखकर मेरा 6 इंच का लंड और भी पागल हुआ जा रहा था।
मैंने सुमन से कहा- मेरे लंड को चूसो। तो उसने मना कर दिया और कहा- यह गन्दा है।
मैंने कहा- एक बार मुँह में लो अगर गन्दा लगे तो मत चूसना।
तब वो मान गई।
3-4 बार मेरे लंड पर अपनी जीभ फिराने के बाद सुमन को मजा आने लगा और अब वो मेरे लंड को अच्छी तरह से चूस रही थी।
मैं उसके मम्मे मसल रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और हम 69 की अवस्था में आ गए और मैं उसकी चूत और वो मेरा लंड चाटने लगी। करीब 15-20 मिनट के बाद मैंने सुमन की टाँगें उठाईं और उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया और उसे अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।
लेकिन मेरा लंड उसकी कसी हुई चूत के कारण अन्दर नहीं जा पा रहा था।
थोड़ी देर उसकी चूत पर लंड रगड़ने के बाद मैंने फिर कोशिश की और इस बार लंड को उसकी चूत पर रखकर एक जोर का झटका मारा और मेरा 6 इंच लम्बा लंड पूरा उसकी चूत में समा गया।
तभी सुमन के मुँह से एक जोरदार चीख निकली- आ..ई..ईईई मर गई अह्ह…
वो चिल्लाने लगी- मोहित प्लीज इसे बाहर निकालो… मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊँगी।
मैंने देखा उसकी चूत से खून आ रहा था, उसकी चूत की झिल्ली फट चुकी थी।
मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को दबाया और चूमने लगा और उसके मम्मे सहलाने लगा।
करीब 5-7 मिनट बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने हल्के-हल्के से धक्के मारना शुरू किया, लेकिन उसे अब भी दर्द हो रहा था, पर अब उसे मजा भी आ रहा था और वो मेरा विरोध नहीं कर रही थी।
दस मिनट तक उसे चोदने के बाद उसका पानी निकल गया, लेकिन मेरे लंड का अभी निकलना बाकी था और मैंने लंड की गति बढ़ा दी और उसके 5 मिनट बाद मेरा वीर्य भी उसकी चूत में निकल गया।
चुदाई के 15 मिनट बाद तक हम बिस्तर पर ही पड़े रहे। तभी सुमन ने मुझे कसके गले लगाया और कहा- आई लव यू.. मोहित… आज से मैं तुम्हारी हूँ। उसने मेरे होंठों पर चुम्बन लिया।
तभी मुझे ध्यान आया कि जल्दबाजी में मैंने कंडोम तो पहना ही नहीं था। तभी मैंने सुमन से कहा- तुम गुसलखाने में जाओ और खुद को साफ़ कर लो।
मैंने तुरंत कपड़े पहने और पास की दवा की दुकान पर पहुँचा, वहाँ से मैंने एक गर्भ निरोधक गोली ली और घर आकर सुमन को खिलाई, तब जाकर मुझे चैन आया।
उसके बाद मैंने सुमन को कॉलेज छोड़ा। पहली चुदाई की वजह से उसे दर्द हो रहा था और वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
उसने घर पहुँच कर मुझे फ़ोन किया, मैंने उससे पूछा- सब ठीक है?
तो उसने ‘हाँ’ में जवाब दिया और कहा- अब दर्द बंद है।
उस दिन के बाद से हमें जब भी मौका मिलता हम चुदाई करते। मैंने पूरे दो साल सुमन को जी भर कर चोदा।
दोस्तो, यह थी मेरी कहानी, आशा करता हूँ आप सबको पसंद आई होगी।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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