FUN-MAZA-MASTI
मामी की अंगड़ाई
दोस्तो, मैं मैनपुरी उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ।
कुछ दिनों के लिए मेरे स्कूल की क्लास बन्द हो गई थी.. तो मैंने सोचा कि अपने मामा जी के यहाँ पर घूम आता हूँ क्योंकि मेरे नाना का परिवार बहुत बड़ा है और उनके यहाँ लड़के भी मेरी ही उम्र के हैं।
साथ ही हमारे मौसेरे भाई भी आ जाते थे तो एक टोली बन जाती थी और हम सब खूब मौज करते थे.. क्योंकि हमारे नाना का परिवार उस क्षेत्र में अच्छी धाक रखता था।
मेरे एक मामा जी की शादी भी उसी समय हुई थी और मामा जी की पढ़ते-पढ़ते उम्र भी काफ़ी हो गई थी।
जब उनकी शादी हुई उस वक्त मामी की उम्र उस समय कोई 18-19 साल की ही थी और वो अपने भाईयों के बीच अकेली बहन थीं।
उनको अपने परिवार की बहुत याद आती थी.. वो हमेशा रो-रो कर काम करती थीं और ऊपर से हमारी नानी भी थोड़ी सख्त मिज़ाज की थीं तो उनका मन और भी दुखी रहता था।
एक दिन शाम को मामी को मैं उन्हें समझाने लगा और मुझे नहीं पता कि कब वो मेरी दीवानी हो गईं।
उसके कुछ साल बाद मैंने हॉस्टल छोड़ दिया और मैं मामा जी के यहाँ रहने लगा।
एक बार पापा जी मुझसे मिलने आए तो मामी जी ने बोल दिया- राज को यहीं रह कर पढ़ने दो.. इनका पढ़ाई में मन लगा रहेगा.. क्योंकि यहाँ पर इनके साथ के लड़के भी हैं।
पापा ने उनकी बात मान ली और मुझे पता ही नहीं चला कि मामी के दिल में क्या चल रहा था।
मामा जी का एक कमरा और बरामदा था और ऊपर छत खुली हुई है।
मामी शाम को या सुबह जब खाना बनातीं तो मुझे अपने पास ही बैठा लेती थीं और हमेशा मेरे स्कूल की रोमान्टिक बातें पूछती थीं।
उनको जब ये पक्का विश्वास हो गया कि मैंने आज तक किसी लड़की या औरत की चूत नहीं मारी तो उनको बड़ी ख़ुशी हुई।
फिर उन्होंने मेरी पड़ोस की लड़की से सैटिंग करवा दी.. लेकिन सैटिंग करवाने से अब उनको उस लड़की से जलन होने लगी।
एक बार गर्मी के दिन थे मैं भी उनके कमरे में ही उनके बिस्तर पर लेटा था और वो भी अपने लड़के को दूध पिलाने के लिए बिस्तर पर लेट गईं।
कब उनको नींद आ गई.. पता ही नहीं चला और उनका हाथ मेरे ऊपर आ गया और मेरे गालों से उनका मुँह लग गया।
मैं जब जागा तो ये स्थिति देख कर पहले सोचने लगा.. पर इतने में उनकी आँख भी खुल गई और उन्होंने मुझे चूम लिया और बोली- बस इसके आगे कोई भी कदम कभी मत बढ़ाना।
मैं भी ‘हाँ’ कह कर उसके साथ लेट गया.. चूँकि मैं हॉस्टल का ऐसा अनुभवी शेर था.. जो शिकार को कभी छोड़ता नहीं था.. ये मेरा रिकॉर्ड था।
हम लोगों का धीरे-धीरे चुम्बन करना और मुँह में जीभ डाल कर मौज करना चलने लगा।
उसी वर्ष 16 सितंबर को मेरे साथ के लड़कों ने कहा- पिलुआ महाराज चलेंगे.. तैयार रहना.. पिलुआ महाराज एक बजरंगबली का ही रूप है उनका मंदिर यमुना की तलहटी में स्थित है।
मेरा मन जाने का नहीं था, वे सब लड़के चले गए।
उस दिन मामा जी भी कहीं गए हुए थे.. तो मैंने अपनी चारपाई मामी के करीब ही डाल ली और लेट गया।
अब मैं सभी लोगों के सोने का इंतजार करने लगा।
लगभग 11 बजे मामी ने मेरे हाथ में चिकोटी काटी..
मैं जाग गया और उनकी चारपाई पर पहुँच गया।
मैंने उनको चुम्बन करना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मैंने उनको होंठों से चुम्बन करना शुरू कर दिया।
उसके बाद मैंने अपने गुरु जी से सुना था कि औरत में आदमी से आठ गुणा अधिक गरमी होती है.. बस ज़रूरत यह जानने की होती है कि किस औरत का काम कहाँ से जागता है।
सो मैंने उसको खोजना शुरू किया था।
मैंने उनकी गर्दन और कान के नीचे के हिस्से पर होंठों से और जीभ से चाटना और काटना शुरू किया और मामी ने अंगड़ाई लेने शुरू कर दी।
तभी उन्होंने उठ कर मुझसे कान में बोला- इधर कोई जाग जाएगा.. चलो कमरे में चलते हैं।
मैं भी उनके पीछे-पीछे चल दिया।
दोस्तो उस दिन को याद करके आज भी मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है..
मैं जैसे ही नीचे उनके कमरे में गया.. वो तैयार बैठी थीं.. बोली- आज आपको मेरे साथ सब कुछ करना है.. मैंने जान लिया है कि तुम ही मेरी चूत की गरमी शान्त कर सकते हो।
मैंने पूछा- क्यों मामा जी नहीं करते हैं?
तो वो रोने लगी और मेरी गोद में अपना सिर रख कर बोली- उनका इतना मोटा है और वो बिना उत्तेजित किए ही मेरी चूत पर अपना लण्ड रख देते हैं और एक ही झटके में अन्दर घुसा देते हैं.. शुरू-शुरू में मैं कई बार बेहोश भी हो गई थी.. तुम्हारे मामा जी जब डालते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी ने खूँटा घुसेड़ दिया हो..
मैं भी मन ही मन खुश हो रहा था और मैंने उनके आँसुओं को पोंछा और मैं उनके कपड़े उतारने लगा।
उसके बाद मैंने उनसे बोला- मैं जो भी करूँ आप मेरा साथ देती रहना.. बाकी मज़ा तो खुद आने लगेगा।
मैंने उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो बोली- क्या इसको चाटा भी जाता है?
मैंने कहा- मामी जी आप बस देखती जाओ कि क्या-क्या किया जाता है।
इस पर वो बोली- आप मुझे मेरे नाम नीरजा के नाम से बुलाओ। अब तो मैंने आपको अपना पति मान लिया है।
मैंने भी ‘हाँ’ कह कर उसकी चूत को चाटना बराबर चालू रखा।
उसके बाद वो भी उत्तेजित हो कर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह से चाटने लगी और मैंने अपने लण्ड को धक्के देने शुरू कर दिए।
दोस्तो, मेरा लण्ड ज्यादा मोटा तो नहीं है लेकिन लंबा 8 इंच का है और मोटा केवल ढाई इंच ही है।
अब मैं सोचने लगा कि ये वही औरत है.. जो कहती थी कि यदि आपने कुछ ग़लत काम किया तो मैं मर जाऊँगी और अब ये तो खुद ही मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेने को आतुर है।
लौड़ा चूसते-चूसते एक समय ऐसा आया कि उसका बदन अकड़ने लगा और उसके बाद वो शान्त हो गई।
मैं समझ गया कि इसका माल निकल गया है और मैं भी उसको कोई तकलीफ़ नहीं देना चाहता था क्योंकि तकलीफ़ की वजह से तो वो मुझसे चुदना चाहती थी।
थोड़ी देर में उसने मुझे फिर गरमी देने के लिए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरी जीभ को अपने जीभ से रगड़ने लगी।
अब मुझ पर भी चुदाई की खुमारी चढ़ने लगी और मैंने उसको चित्त लिटा कर अपने गुरुदेव का नाम लेकर लण्ड घुसाना चालू किया।
अभी टोपा ही गया था कि वो उचकने लगी।
मैंने बोला- कोई दिक्कत हो रही है?
उसने कहा- मेरे पति से ज्यादा दिक्कत तो होगी नहीं.. आप अपना काम करते रहो..
मैंने भी काम चालू रखा और मेरी एक ख़ासियत है या कमी.. मैं नहीं जानता कि मेरा पहली बार में दस-बारह मिनट में ही झड़ जाता है और उसके बाद दूसरी बार में यदि 40-45 मिनट में भी झड़ जाऊँ तो वो लड़की की किस्मत… वर्ना एक घंटे से पहले झड़ने का सवाल ही नहीं है।
मैंने उसको कई आसनों से चोद कर उसकी चूत की तृप्ति की और ये काम तो फिर चल निकला। मेरी और भी मामी थीं..
वो कहने लगीं कि राज तो अब शादी करेगा नहीं.. उसने तो मामी के घर में हिस्सा डाल लिया है।
दोस्तो, 2007 में मेरी मामी मुझसे अलग रहने लगीं और मैं अपने घर वापस आ गया।
उसके बाद मुझे पता चला कि वो अब अपने देवर से लग गई हैं और उससे ही चुदवाती हैं।
मैंने ये बात उससे ही पूछना चाहा तो उसने कसम देकर मुझे चलता कर दिया।
उसके बाद मैं एक परीक्षा देने लखनऊ देने जा रहा था तो लोग बताते हैं कि आपको जो भी प्यार करता हो उसका चुम्मा ले कर जाओ.. तो इम्तिहान अच्छा होता है।
उस दिन शाम का धुंधलका सा था। मैंने जैसे ही गैलरी में कदम रखा, तो दूर से मुझे ऐसा लगा कि मामी सोफे पर अपने किसी की गोद में बैठ कर चुम्मा-चाटी कर रही थीं।
मैंने देखा तो मेरी पैरों के तले से ज़मीन खिसक गई और मैंने सोचा कि हो सकता है.. ये उसका पति ही हो।
मैंने उसके पति को फोन किया तो उन्होंने बताया कि मैं तो गाँव गया हूँ।
फिर मेरा शक पक्का हो गया कि ये एक नम्बर की चुदैल थी..
ये तो मेरे साथ नाटक कर रही थी और उसने मेरे ऊपर एक और इल्ज़ाम लगा दिया कि तू भी तो अपनी भाभी की चूत मारता है तो इसमें मैं क्या बुरा करती हूँ।
दोस्तो, बताओ मैंने उसके साथ कोई धोखा तो किया नहीं..
फिर उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया..
आपके पास कोई उत्तर हो तो मुझे जरूर बताएं ताकि मैं उसको सबक सिखा सकूँ।
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मामी की अंगड़ाई
दोस्तो, मैं मैनपुरी उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ।
कुछ दिनों के लिए मेरे स्कूल की क्लास बन्द हो गई थी.. तो मैंने सोचा कि अपने मामा जी के यहाँ पर घूम आता हूँ क्योंकि मेरे नाना का परिवार बहुत बड़ा है और उनके यहाँ लड़के भी मेरी ही उम्र के हैं।
साथ ही हमारे मौसेरे भाई भी आ जाते थे तो एक टोली बन जाती थी और हम सब खूब मौज करते थे.. क्योंकि हमारे नाना का परिवार उस क्षेत्र में अच्छी धाक रखता था।
मेरे एक मामा जी की शादी भी उसी समय हुई थी और मामा जी की पढ़ते-पढ़ते उम्र भी काफ़ी हो गई थी।
जब उनकी शादी हुई उस वक्त मामी की उम्र उस समय कोई 18-19 साल की ही थी और वो अपने भाईयों के बीच अकेली बहन थीं।
उनको अपने परिवार की बहुत याद आती थी.. वो हमेशा रो-रो कर काम करती थीं और ऊपर से हमारी नानी भी थोड़ी सख्त मिज़ाज की थीं तो उनका मन और भी दुखी रहता था।
एक दिन शाम को मामी को मैं उन्हें समझाने लगा और मुझे नहीं पता कि कब वो मेरी दीवानी हो गईं।
उसके कुछ साल बाद मैंने हॉस्टल छोड़ दिया और मैं मामा जी के यहाँ रहने लगा।
एक बार पापा जी मुझसे मिलने आए तो मामी जी ने बोल दिया- राज को यहीं रह कर पढ़ने दो.. इनका पढ़ाई में मन लगा रहेगा.. क्योंकि यहाँ पर इनके साथ के लड़के भी हैं।
पापा ने उनकी बात मान ली और मुझे पता ही नहीं चला कि मामी के दिल में क्या चल रहा था।
मामा जी का एक कमरा और बरामदा था और ऊपर छत खुली हुई है।
उनको जब ये पक्का विश्वास हो गया कि मैंने आज तक किसी लड़की या औरत की चूत नहीं मारी तो उनको बड़ी ख़ुशी हुई।
फिर उन्होंने मेरी पड़ोस की लड़की से सैटिंग करवा दी.. लेकिन सैटिंग करवाने से अब उनको उस लड़की से जलन होने लगी।
एक बार गर्मी के दिन थे मैं भी उनके कमरे में ही उनके बिस्तर पर लेटा था और वो भी अपने लड़के को दूध पिलाने के लिए बिस्तर पर लेट गईं।
कब उनको नींद आ गई.. पता ही नहीं चला और उनका हाथ मेरे ऊपर आ गया और मेरे गालों से उनका मुँह लग गया।
मैं जब जागा तो ये स्थिति देख कर पहले सोचने लगा.. पर इतने में उनकी आँख भी खुल गई और उन्होंने मुझे चूम लिया और बोली- बस इसके आगे कोई भी कदम कभी मत बढ़ाना।
मैं भी ‘हाँ’ कह कर उसके साथ लेट गया.. चूँकि मैं हॉस्टल का ऐसा अनुभवी शेर था.. जो शिकार को कभी छोड़ता नहीं था.. ये मेरा रिकॉर्ड था।
हम लोगों का धीरे-धीरे चुम्बन करना और मुँह में जीभ डाल कर मौज करना चलने लगा।
उसी वर्ष 16 सितंबर को मेरे साथ के लड़कों ने कहा- पिलुआ महाराज चलेंगे.. तैयार रहना.. पिलुआ महाराज एक बजरंगबली का ही रूप है उनका मंदिर यमुना की तलहटी में स्थित है।
मेरा मन जाने का नहीं था, वे सब लड़के चले गए।
उस दिन मामा जी भी कहीं गए हुए थे.. तो मैंने अपनी चारपाई मामी के करीब ही डाल ली और लेट गया।
अब मैं सभी लोगों के सोने का इंतजार करने लगा।
लगभग 11 बजे मामी ने मेरे हाथ में चिकोटी काटी..
मैं जाग गया और उनकी चारपाई पर पहुँच गया।
मैंने उनको चुम्बन करना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मैंने उनको होंठों से चुम्बन करना शुरू कर दिया।
उसके बाद मैंने अपने गुरु जी से सुना था कि औरत में आदमी से आठ गुणा अधिक गरमी होती है.. बस ज़रूरत यह जानने की होती है कि किस औरत का काम कहाँ से जागता है।
सो मैंने उसको खोजना शुरू किया था।
मैंने उनकी गर्दन और कान के नीचे के हिस्से पर होंठों से और जीभ से चाटना और काटना शुरू किया और मामी ने अंगड़ाई लेने शुरू कर दी।
तभी उन्होंने उठ कर मुझसे कान में बोला- इधर कोई जाग जाएगा.. चलो कमरे में चलते हैं।
मैं भी उनके पीछे-पीछे चल दिया।
दोस्तो उस दिन को याद करके आज भी मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है..
मैं जैसे ही नीचे उनके कमरे में गया.. वो तैयार बैठी थीं.. बोली- आज आपको मेरे साथ सब कुछ करना है.. मैंने जान लिया है कि तुम ही मेरी चूत की गरमी शान्त कर सकते हो।
मैंने पूछा- क्यों मामा जी नहीं करते हैं?
तो वो रोने लगी और मेरी गोद में अपना सिर रख कर बोली- उनका इतना मोटा है और वो बिना उत्तेजित किए ही मेरी चूत पर अपना लण्ड रख देते हैं और एक ही झटके में अन्दर घुसा देते हैं.. शुरू-शुरू में मैं कई बार बेहोश भी हो गई थी.. तुम्हारे मामा जी जब डालते हैं तो ऐसा लगता है कि किसी ने खूँटा घुसेड़ दिया हो..
मैं भी मन ही मन खुश हो रहा था और मैंने उनके आँसुओं को पोंछा और मैं उनके कपड़े उतारने लगा।
उसके बाद मैंने उनसे बोला- मैं जो भी करूँ आप मेरा साथ देती रहना.. बाकी मज़ा तो खुद आने लगेगा।
मैंने उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो बोली- क्या इसको चाटा भी जाता है?
मैंने कहा- मामी जी आप बस देखती जाओ कि क्या-क्या किया जाता है।
इस पर वो बोली- आप मुझे मेरे नाम नीरजा के नाम से बुलाओ। अब तो मैंने आपको अपना पति मान लिया है।
मैंने भी ‘हाँ’ कह कर उसकी चूत को चाटना बराबर चालू रखा।
उसके बाद वो भी उत्तेजित हो कर मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह से चाटने लगी और मैंने अपने लण्ड को धक्के देने शुरू कर दिए।
दोस्तो, मेरा लण्ड ज्यादा मोटा तो नहीं है लेकिन लंबा 8 इंच का है और मोटा केवल ढाई इंच ही है।
अब मैं सोचने लगा कि ये वही औरत है.. जो कहती थी कि यदि आपने कुछ ग़लत काम किया तो मैं मर जाऊँगी और अब ये तो खुद ही मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेने को आतुर है।
लौड़ा चूसते-चूसते एक समय ऐसा आया कि उसका बदन अकड़ने लगा और उसके बाद वो शान्त हो गई।
मैं समझ गया कि इसका माल निकल गया है और मैं भी उसको कोई तकलीफ़ नहीं देना चाहता था क्योंकि तकलीफ़ की वजह से तो वो मुझसे चुदना चाहती थी।
थोड़ी देर में उसने मुझे फिर गरमी देने के लिए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरी जीभ को अपने जीभ से रगड़ने लगी।
अब मुझ पर भी चुदाई की खुमारी चढ़ने लगी और मैंने उसको चित्त लिटा कर अपने गुरुदेव का नाम लेकर लण्ड घुसाना चालू किया।
अभी टोपा ही गया था कि वो उचकने लगी।
मैंने बोला- कोई दिक्कत हो रही है?
उसने कहा- मेरे पति से ज्यादा दिक्कत तो होगी नहीं.. आप अपना काम करते रहो..
मैंने भी काम चालू रखा और मेरी एक ख़ासियत है या कमी.. मैं नहीं जानता कि मेरा पहली बार में दस-बारह मिनट में ही झड़ जाता है और उसके बाद दूसरी बार में यदि 40-45 मिनट में भी झड़ जाऊँ तो वो लड़की की किस्मत… वर्ना एक घंटे से पहले झड़ने का सवाल ही नहीं है।
मैंने उसको कई आसनों से चोद कर उसकी चूत की तृप्ति की और ये काम तो फिर चल निकला। मेरी और भी मामी थीं..
वो कहने लगीं कि राज तो अब शादी करेगा नहीं.. उसने तो मामी के घर में हिस्सा डाल लिया है।
दोस्तो, 2007 में मेरी मामी मुझसे अलग रहने लगीं और मैं अपने घर वापस आ गया।
उसके बाद मुझे पता चला कि वो अब अपने देवर से लग गई हैं और उससे ही चुदवाती हैं।
मैंने ये बात उससे ही पूछना चाहा तो उसने कसम देकर मुझे चलता कर दिया।
उसके बाद मैं एक परीक्षा देने लखनऊ देने जा रहा था तो लोग बताते हैं कि आपको जो भी प्यार करता हो उसका चुम्मा ले कर जाओ.. तो इम्तिहान अच्छा होता है।
उस दिन शाम का धुंधलका सा था। मैंने जैसे ही गैलरी में कदम रखा, तो दूर से मुझे ऐसा लगा कि मामी सोफे पर अपने किसी की गोद में बैठ कर चुम्मा-चाटी कर रही थीं।
मैंने देखा तो मेरी पैरों के तले से ज़मीन खिसक गई और मैंने सोचा कि हो सकता है.. ये उसका पति ही हो।
मैंने उसके पति को फोन किया तो उन्होंने बताया कि मैं तो गाँव गया हूँ।
फिर मेरा शक पक्का हो गया कि ये एक नम्बर की चुदैल थी..
ये तो मेरे साथ नाटक कर रही थी और उसने मेरे ऊपर एक और इल्ज़ाम लगा दिया कि तू भी तो अपनी भाभी की चूत मारता है तो इसमें मैं क्या बुरा करती हूँ।
दोस्तो, बताओ मैंने उसके साथ कोई धोखा तो किया नहीं..
फिर उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया..
आपके पास कोई उत्तर हो तो मुझे जरूर बताएं ताकि मैं उसको सबक सिखा सकूँ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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