Sunday, February 22, 2015

FUN-MAZA-MASTI नई जिन्दगी--17

FUN-MAZA-MASTI

नई जिन्दगी--17

 रात गहराई थी बस शूरू ही हुई थी । सुनिलने बिस्तर सजाया सरला मैक्सी मे बिस्तर पर सुनिल के पास आये

सोई और पेट के बल सो गई । सुनिल ने सरला के सुडौल मोटे उठे हुए चुत्तरों पर हाथ रख दीया । और सरला

की मैक्सी पेट तक उपर उठाई और सरला की मस्त गदराई गांड को मसल रहा था उसने अपनी उंगली सरला के

गांड के छेद की ओर ले गया और उसे उसने हल्के कुछ अंदर सरला की गुदा मे घुसाई

सरला- उममम आहह

सुनिलने उंगली निकाली और उसे सुंघने लगा ।

सुनिल- उमममम आहा हा हा असली मोगरे की खुसबू

सुनिल अपने पेंट मे तना बंबू सरला की गांड की दरार पर रगडने लगा सरला आंखे बंद कीये मस्ती से करहा रही

थी

। उसने झट से पेंट निचे करके निकाल फेकी और अपना हौलवी लंड सरला की गांड मे दबाने लगा ।

उसने अपना हाथ आगे ले जाकर सरला की मांसल जांघो के बीच पावरोटी सी फुली चुत पर घुमाया । उसने

अपनी

उंगली सरला के चुत के छेद मे डाल दी

सुनिल- आह ह ह गरम गरम और गीला गीला, बडी होशीयार हो गई है तू पहले ही रस छोडने लगी है ।

सुनिल उंगली जोर जोर से अंदर बाहर हीलाने लगा

सरला- आहहह आहहहह उममम उई मां

सुनिलने गीली उंगली चुत से निकाल कर मुंह मे डाल दी और चाटने लगा

सुनिल- उममउ असली शहद रानी तु तो मुझे दीवाना कर देगी ।

सुनिल ने सरला की मेक्सी निकाल दी और खुद भी नंगा हो कर सरला से चिपक गया ।

सुनिल- उमम आजा मेरी गुडीया चल कब्बडी खेले

सरला के कान की बाली को जीभ से चाटने लगा ।

सुनिल- ए रानी झुमके पहना कर ना हीरोईनी लगेगी तू मेरी

सरला के मन की बात सुनिल ने बोल दी

सरला- उन हू

सुनिल- पर क्यो, मेरी रानी मेरे लिए नही पहनेगी

सरला- नही है

सुनिल- क्या और पिछली बार दीये वो, अच्छा तो नये चाहीये

सरला- वो कविता के नये डीजाईन के है

सुनिल- उममह तो मेरी गुडीया को नया डीजाईन वाले चाहीए

सरला- हूममम

सुनिल- अरे ईतनी सी बात मै लाके दूंगा मेरी प्यारी सी बीवी को नये झुमके खुष

सरला खुषी से झुम उठी सुनिल की बात सुनकर । जैसे कोई भी औरत खुष होती है ।

सुनिल के साथ रोज सहवास करने से उसके अंदर पती के जाने के बाद खो चुकी औरत फीर एक बार जाग उठी

थी ।

जैसे उसे कोई नई जिन्दगी मिली हो । उसकी उदास विधवा की जिन्दगी को सुनिल ने मीटा दीया था अब तो वो

सुनिल की सुहागन थी।

हर औरत की चाह होती है मरते दम तक सुहागन रहने की । सुनिल रोज रात उसे औरत होने की अनुभुती करा

देता था । रवी उसके अंदर की मातृत्व की भावना को जगाता था । अब तो वो सुनिल को पती के नजर से देखती

थी

। वो कीसी और औरत की तरह सजना चाहती थी सवरना चाहती थी । उसकी चाहते सुनिल से पुरी करना चाहती

थी



सुनिल ने सरला को सिधा लीटाया और उसकी टांगे खोल दी । सरला की उभरी हुई छाती पर मुह घुसाए लेट

गया

सरला दोनो चुंचिया सुनिल के मुंह पे दोनो तरफ से रगडने लगी । और मस्ती से करहाने लगी ।

सुनिल समझ चुका था सरला बडी खुष है । उसने लंड चुत के मुहाने टीकाया झटके लगाने लगा ।


 सरला- आहहहह आहहहह उममम उममम

सुनिल- जान मजा आ रहा है

सरला- आहहहह आहहहह ईइइ उमम उममम

सुनिल- रानी जो मजा तू देती है वो कोई और नही दे सकता मां

सरला- इइइ सससस आहहह बबबबेटटटटा मै इससस उममममर मे मां बनननन जाउंगी नननना ।

सुनिल- अररररे मेररी जान तेरे ईस पती का लंड तुझे एक बार क्या कई बार अपने बच्चे की मां बनाने की

ताकद

रखता है ।

सरला- ननननही रे मै मममममेरी बबबबात कर रररही हहहहूं आहह धीरररे

सुनिल- अरे कल डाक्टर के पास जाएंगे बहोत नई नई दवाईया आई है उममममहह।

सरला भी इसी जवाब के साथ चिंता छोडकर चुदाई के मजे लेने लगी ।

दुसरे दीन शाम को दोनो डॉक्टर के पास गये । और चेकअप करवाया ।

सुनिल- कहता नही था खांमखां चिंता करती है। डाक्टर ने दवाई दी नां ।

सरला- हुम पर...

सुनिल- पर वर कुछ नही हम दोनो का प्यार बहोत ताकदवर है । बस हमे और प्यार करना होगा । बोल तू

करेगी ना और प्यार

सरला मुस्कुराई और सुनिल का गाल खिंचने लगी ।

दीन बीतते गये प्यार बढता गया । सुनिल की कमाई भी बढने लगी । दोनो की जिंदगी मे खुशीयां बढने लगी ।

अचानक एक दीन सरला को उल्टीयां शुरू हुई । डॉक्टर से चेकअप करवाया । दोनों की मेहनत रंग लाई सरला पेट

से थी । दोनो खुष थे पर सरला कुछ ज्यादा खुश थी ।

सालों बाद सरला मातृत्व का सुखद अनुभव फीर करने वाली थी । सरला और सुनिल की प्यार की निशानी

सरला

की कोख मे पल रही थी । दोनों की रात-रातभर प्यार की बीताई रांते सरला जब याद करती तो शरम के मारे

लाल

हो जाती । सुनिल अब सरला का सबकुछ था दोनों की अजिब सी दास्ता और अजिब सी प्रेम कहानी थी ।

सुनिल थका हुआ शाम घर पहूंचता है । सरला रसोई मे थी ।

सुनिल- अरी ओ रवी की अम्मा कहां हो देखो रवी रो रहां है ।

सरला- हां आई दुधवा की बोतल भर रही हूं।

सरला बोतल लिए दौडती आई

सुनिल रवी को गोद लिए थपथपा रहा था ।

सरला ने रवी को गोद लिया और दुध की बोतल रवी के मुंह मे देने लगी । रवी बोतल झटकने लगा । और बार

-बार सरला की छाती पर मुंह गढाने लगा ।

सरला- वहां नही है बीटवा बोतल से पीले मेरे लल्ला ।

सरला की आंखे नम हो गई । थके रवी ने बोतल मुंह मे भरे दुध पीना शुरू कीया ।

सरला की नम आंखे आंसू बहाने लगी । सुनिल उसकी आंखे पोछते हुए ।

सुनिल- ए रानी क्यू रो रही है ।

सरला- कैसी मां हूं मै रोते बीलगते मेरे बच्चे को अपना दुध तक नही पीला सकती ।

सुनिल सरला की चुचिंया हाथ मे थमाते कहता है

सुनिल- कुछ दीन की बात है मेरी जान फीर तेरी ईस छाती मे दुध भरने लगेगा तेरी ये मोटी मुलायम चुचिंयो मे

गाढा लिटर-लिटर दुध होगा । मेरी दुधारू गाय बनेगी तू हां । रवी पेट भरके दुध पीयेगा अपनी प्यारी मां का ।

घर की

दुधारू गाय बनेगी मेरी रानी फीर तेरे इस पती मत भुल जाना थोडा हमेभी पीला देना दोगी ना ।

सरला के आंसू थम चुके थे वो शरम के मारे लाल हुई थी ।

सरला- सच मे एसा होगा















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