Sunday, February 22, 2015

FUN-MAZA-MASTI नई जिन्दगी--11

FUN-MAZA-MASTI

नई जिन्दगी--11
 सरला- पपपर क्या उससे सब ठीक होगा

सुनिल- हां तो जैसे ही बच्चा ठहरेगा कुछ महीने बाद तुझ मे भी दुध आने लगेगा

बस कुछ महीने रवी को बाहर का दुध देना होगा ।

सरला- पररर मै ईस उमर मे

सुनिल- तो क्या हुआ चाहे तो डॉक्टर से पुछ लेते है, अब तो बहोत सारी दवाईया

आ चुकी है ।

सरला- ठीक है मै रवी के लिए कुछ भी कर सकती हूं चल डाक्टर के पास चलते है

दोनो डॉक्टर के पास जाते है । और अपने समस्या का समाधान पाते है । लौटते

वक्त सरला खुश थी ।

सुनिल- तो देखा ना मैने क्या कहा था डॉक्टर बोला ना बस पाच-छह महीने लगेंगे

और फीर दुध आने लगेगा और रवी को क्या २-३ साल होने तक तू दुध पीला

सकती है और वो ना पीये तो मै हूं ही ।

सरला- हट बेसरम कही का वो तो बस रवी के लिए होगा हां कह देती हूं

सुनिल- अरे जैसी आपकी मर्जी रानी जी मन कीया तो हमे भी चखां देना थोडासा,

पर हां अब हमे देरी नही करनी चाहीये हां , आज रात से ही हम हमारा प्रोग्राम

शूरू करेंगे

सरला को उत्साह और डर दोनो लग रहा था

सुनिल ने रात को यादगार बनाने की तैयारी कर ली

खाना हो जाने के बाद सोने की तैयारी होने लगी आज सुनिल सरला के साथ सोने

वाला था तो सुनिलने बीस्तर बीछा के उसे गुलाब की पंखुडीयो से सजा दीया और

पास मे दुध का भरा हुआ गीलास रखा जीसमे उसने मेडीकल से लाई हुई सेक्स

की गोली मिला दी थी उसने हवा मे परफ्यूम छीडकाया।

सरला रसोई मे सबकुछ समेट कर रख रही थी

रात के साडे बाराह बज गये सुनिलने सरला को आवाज लगाई

सुनिल- आजा मेरी जान अब और मत तडपा

सरला रसोई से बाहर आई फुलों से सजा बीस्तर देख उसने शरमाते हए उंगली

दातों तले दबाई

सरला को देखते ही सुनिल ने उसका हाथ पकडे उसे बीस्तर पर खिंच लिया

आज से सुनिल की रातें रंगीन होने वाली थी सरला रोज रात सुनिल का बीस्तर जो

गरम करने वाली थी दोनो असल मायने मे मिलन करके पति-पत्नि बनने वाले थे

फिर सुनिल ने सरला को बिठाया और पास का दुध का गीलास लीया और उसमे

सरला की उंगली डाली और दुध मे डुबाके हीलाने लगा और फीर उसने वो उंगली

मुंह मे भरे चुसने लगा फीर उसने वो गीलास सरला के मुह को लगाया और उसे

पीलाने लगा आधा दुध सरला को पीलाने के बाद आधा गीलास दुध वो पी गया और

गीलास रखते ही सुनिल सरला के रसिले होट चुमने लगा .... जब वो चुम रहा था

तो सरला भी साथ दे रही थी

फीर सुनिलने उसे लिटा दीया और उस पर फुल बरसाने लगा और फीर उसने

सरला के पल्लू को उसके छाती के उपर से हटा दीया उसके मोटी मोटी चुचिया

लाल चोली में कैद उपर निचे हो रही थी । सुनिल ने अब सरला के चोली पर हाथ

डाला और उसके चोली के हुक खोलने लगा सरला आंखे बंद कीये पडी थी उसकी

तेज धडकनो से उसकी चुचिंया तेजी से उपर निचे हो रही थी दो हुक खोलने के बाद

एक हुक बचा था उसे भी तेजी से सुनिल ने खोल दीया । और सरला के दो कबूतर

फडफडाते चोली से आझाद हुए जैसे सालों की कैद मे हो, दोनो चुचिंया सुनिल के

मुंह के सामने थरथरा रही थी । सुनिल सरला के दोनो आम देख पागल हो गया ।

आजतक उसने इतने सुंदर गोल मुलायम दुध की तरह सफेद, पके हुये आम की

तरह मोटी चुचिंया कभी नही देखी थी । सरीता तो नये जमाने की लडकीयों की

तरह दुबली पतली थी उसकी ना तो चुचिंया मोटी थी नाही चुत्तर । उसे दुसरी

लडकीयां मोटी लगती थी । पर उसे अंदाजा नही था गदराया माल इतना मजेदार

होता है खोलने पर । सरला की चुचिंया बिल्कुल पके हुए आम की तरह मोटी और

रसिली थी, सुनिल को उनके ईतने मुलायम होने पर यकीन नही हो रहा था तो वो

अपनी उंगली दबाके देख रहा था जब हाथ से उठाके छोड देता तो वो दुध की थैली

की तरह हीलने लगते उनपे सजे हुए कोले भुरे दो निप्पल कीसी चोकलेट की तरह

लग रहे थे सुनिल की जीभ लपलपाने लगी सुनिल की सब हरकते सरला आंखे बंद

कीये महसूस कर रही थी सुनिल ने सरला को देखा उसने सरला के माथे पर चुमा,

फीर उसकी बंद आखों पर और फीर उसके थरथराते होटों पर इस तरह वो चुमते

हुए उसकी नजर फीर सरला के तन्नाये हुए दो मनुको पर पडी दो उसने वक्त ना

बरबाद करते हुए मुंह मे लपक लिए और उसे मुंह मे भरके चुसने लगा सरला की

चुप्पी का बांध तुटा उसके मुंह से खामोशी को चिरती सससससस की करहाट

निकली । और वो उत्तेजना मे तकीये को जोर से पकडके खिंचने लगी उसके होंट

काटने लगी, सुनिल तो पागल हो कर उसके दोनो चुचिंयों को आटे के गोले की तरह

गुंदने लगा मसलने लगा।



 सालों बाद कीसी मर्द के हाथो सरला के मस्त गदराए बदन की मालिश हो रही थी उसकी नरम-नरम

चुंचिया मसलने मे सुनिल को बडा मजा आ रहा था पहली बार इतनी मोटी चुचिंया उसके हाथ लगी थी वो बारी

बारी उनके मनुके मुंह मे दबाके चुसता दातों से काटता । उसका हाथ उसके नंगे उठे हुए पेट पर फेर रहा था पुरा

मुलायम उसका पेट सहलाने मे सुनिल को आनंद मिल रहा था उसकी उंगली वो बार-बार उसकी गहरी नाभी मे

डाल कर अंदर दबाता तो

सरला- आहहहहह

करके सिसकने लगती

काम वासना से पागल हुए सुनिल को अब रहा नही गया

उसके सामने उसकी वही औरत लेटी थी जीसे वो इतने साल तक साडी मे लिपटी थी जो उसकी मां थी और

कीस्मत ने ऐसी पलटी मारी की आज वो उसकी पत्नी बन कर आधी नंगी लेटी थी जो कीसी भी वक्त पुरी नंगी

हो सकती थी बस कुछ कपडे उतरने की देर थी । सुनिल तो पागलों की तरह उसे घुरता जा रहा था । उसे बडी

उत्सुकता इस बात की थी की आज वो अपनी मां को नंगी करेगा । उसके हाथ सरला की कमर के निचे साडी की

ओर बढे उसने उसकी साडी की गांठ खिंचकर निकाली और झट से सरला गोल लपेटी हुई साडी वो सरसराती हुई

उसके बदन से अलग करने लगा सारी साडी सरला के बदन से अलग हो गई । सरला अब सिर्फ पेटीकोट मे

उसके सामने लेटी थी आंखे बंद कीये कुछ बडबडा रही थी सुनिल ने सरला के पेटीकोट पर बीच से उंगली फीराते

हुए पैरो तक ले गया तो उसके दो पैरो के बीच दरार बनने लगी सुनिल सरला की साडी मे गदराई दीखने वाली

जांघे सचमे कीतनी मांसल है वह देखना चाहता था । उसे उसकी मांसल जांघे और सरला का वो हीस्सा जीसे

देखने इच्छा हर मर्द को तडपाती है । और जीसे सरला हमेशा अपने लाडले बेटे से छुपा कर रखती थी , उस

हीस्से को आज वो अपने बेटे को अपना सुहाग समझ कर सौपने वाली थी । सुनिल ने सरला की मांसल जांघो

के बीच बने तीकोने हीस्से पर चुम लिया । सुनिलने पेटीकोट का नाडा खिंच दीया और उसका पेटीकोट जो सरला

की मांसल जांघो को चिपका हुआ था जोर-जोर से खिंचने लगा सरला बेचारी सुनिल को दीक्कत होते देख पैर

उपर करके पेटीकोट उतारने मे मदत करने लगी और जैसे ही पेटीकोट हट गया सुनिल तो दंग रह गया सरला की

चिकनी जांघे सफेद रौशनी मे संगमरमर सी चमक रही थी । गुदाज फैली हुई नरम मुलायम जांघे और पीछे छुप

कर बैठे हुए उसके चुत्तर उसकी निक्कर से अपने होने का अहसास उसे करवा रहे थे सुनिल तो पागलों की तरह

बीस्तर पर खडा हो कर अलग अलग जगह से सरला की नंगी जवानी घूर रहा था । अपने कपडे एक-एक करके

उतारने लगा और नंगा हो कर । भुके भेडीये की तरह सरला के नंगे गुदाज बदन पर तुट पडा । और सरला को

चुमने चाटने लगा

सुनिल- आय हाय,आय हाय उममम उममम उममम कहां थी तू ईतने साल कीतना नसिब वाला हूं में उममम

राणी हीरा है तू हीरा , यकीन नही हो रहा है , इतना जबरदस्त माल इतने मेरे सामने था और मेरी नजर तक

नही पडी , बापू ने बडे मजे कीये होंगे तेरे साथ अब मेरी बारी है । उममममममहह

सुनिल की नजर सरला के उस हीस्से को ढके हुई निक्कर पर गीरी ।

सुनिल- आहहह जान ये कीस जमाने की निक्कर पहनती है तू तेरे इस परी से बदन पर ये बिल्कूल धब्बा

लगती है, कल से तू अगर पहनेगी तो नये जमानेकी निक्कर नही तो अंदर नंगी रहेगी कह देता हूं ।

सुनिलने झपटते हुए उसके निक्कर पर हाथ डाला और बेरहमी से उसे उसकी जांघो से खिंच-खिंच कर दूर फेक

दीया । सरला मादरजात नंगी सुनिल के सामने पडी थी शरम और डर के मारे अपना सिर गीराये हाथ से चुत

छीपाने की कोशीश कर रही थी । पर बार-बार सुनिल उसका हाथ हटाता ।

सुनिल- हाय हाय हाय क्या गजब की चुत है तेरी बिल्कूल पाव रोटी सी फुली हुई । अरे छुपा क्यू रही है हाथ हटा

मै कोई पराया थोडी तेरा पति हूं । हर अंग पर मेरा हक है ।

सुनिल ने उसका हाथ चुत से हटाया और उसकी टांगे फैलाई

उसने अपनी लपलपाती जीभ सरला की चुत पर लगाई सरला के बदन मे बीजली दौड गई उसकी चुत गीली हुई

थी उसका पाणी सुनिल चाटने लगा ।

सरला- छी छी नननननही सुननननिल वहा नही

सुनिल- उमममम सससस उमममम

सरला- अ आहहहह आ आ मममम ससस

सुनिल- उमममम आहहह मजा आ गया अब रहा नही जाता

सरला- छी ये क्या कीया तुने बेटा वो तोगंदी जगह है

सुनिल- क्या मतलब बापू ने कभी एसे

सरला ने ना मे सिर हीलाया








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