FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--54
अब आगे
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रश्मि ने जब अपनी बेटी की कुँवारी और सफाचट चूत देखी तो वो उसे देखती ही रह गयी...शायद उसे अपनी जवानी के दिन याद आ रहे थे जब उसकी खुद की चूत भी बिल्कुल वैसी ही थी...बिल्कुल सफाचत...चिकनी सी....गोरी-2 सी...सिर्फ़ एक लंबा सा चीरा ही दिख रहा था उसकी चूत के बीच....जिसके अंदर से गाड़ा और मीठा रस रिस-रिसकर बाहर आ रहा था..
रश्मि से रहा नही गया और उसने झुक कर अपनी जीभ से उस बहते हुए रस को चाट लिया...कुछ देर रुकी और फिर जैसे ही उसके रस की मिठास को महसूस किया वो पागलों की तरह टूट पड़ी उसकी चूत पर...जो स्मूचें उसने उपर के होंठों पर की थी वही स्मूच अब उसके निचले होंठों को करके उसका रस पी रही थी...जो एहसास और मीठापन उसे उपर मिला था वही एहसास उसे नीचे मिल रहा था और वो भी दबा कर..
काव्या की सुलग रही जवानी भी अब भड़ककर आग का शोला बन चुकी थी...उसने भी अपनी टांगे मोड़कर फेला ली और धीरे-2 बुदबुदाने लगी..
''उम्म्म्मममममममम ...... अहह .... ओहोह ..... यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
अब रश्मि को उसके बुदबुदाने से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, उसके हिसाब से तो वो गहरी नींद में थी और शायद कोई सपना देख कर ऐसा कर रही थी..
रश्मि कुछ देर के लिए रुकी और उसने अपना गाउन उतारकर नीचे फेंक दिया...और फिर थोड़ा उपर होकर काव्या की टी शर्ट भी उतार फेंकी...काव्या सोच ही रही थी की अब यही वक़्त है उठने का...नींद से जागने का...ताकि वो भी अपनी माँ की तरह मज़े ले सके...पर वो ये सोच ही रही थी की उसकी माँ ने घूमकर अपनी टांगे उसके सिर के दोनो तरफ कर ली और खुद उसकी चूत के उपर झुककर उसे निगल लिया...और साथ ही साथ अपनी गीली चूत को उसके चेहरे के उपर रखकर ज़ोर से दबा दिया..69 की पोज़िशन में .
और अपनी माँ की चूत को अपने मुँह पर लगते ही काव्या ने भी बिना झिझक के अपना मुँह खोला और उसे चाटने लगी...और यही काम उसकी माँ भी कर रही थी उसके साथ....रश्मि का वजन थोड़ा अधिक था इसलिए वो साइड में लूड़क गयी और उसने बिना अपनी पोज़िशन छोड़े काव्या को पलटाकर अपने उपर कर लिया..और आराम से अपनी फूल जैसी बेटी के शरीर को अपने उपर रखकर चूसने लगी..
रश्मि ने उसकी चूत की परतें खोलकर उसकी उत्तेजित क्लिट को देखा तो उससे रहा नही गया और उसने अपने होंठों से उसे पकड़कर ज़ोर से उमेठ दिया..
और ऐसा होते ही काव्या ज़ोर से चिल्लाई
''ऊऊऊऊओह माँ आआआआआआ ......धीरे करो ना ...........''
इतना सुनते ही रश्मि ने झटककर काव्या को अपने उपर से नीचे उतार दिया और घबराकर खड़ी हो गयी..
''तुमम्म्म ..... तुमम्म्मम जाग रही थी...... ''
काव्या ने अपनी माँ का हाथ पकड़ा और बड़े ही प्यार से बोली : "हाँ माँ ....मैं जाग रही थी...और जो भी आप मेरे साथ कर रही थी वो भी मुझे काफ़ी अच्छा लगा..''
रश्मि का चेहरा आश्चर्य से भर गया...उसे तो अपने पर ग्लानि सी हो रही थी की ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद उसकी बेटी उसके बारे में क्या सोचेगी...पर ऐसा कुछ भी नही था...वो तो खुद इसे एंजाय कर रही थी..पर फिर भी वो अपनी बेटी से नज़रें नही मिला पा रही थी..
रश्मि उसके मन की दुविधा समझ गयी , वो उठी और अपनी माँ का हाथ पकड़कर बड़े ही प्यार से उसे बेड पर बिठाया और फिर खुद जाकर अपनी नंगी माँ की गोद में बैठ गयी..और उसके गले में बाहें डालकर उससे लिपट गयी.
''माँ , मैं जानती हूँ की आप इस समय क्या सोच रही है...पर आपने जो भी किया उससे मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा...इन्फेक्ट मुझे काफ़ी मज़ा आया....मैने पहले भी श्वेता के साथ ऐसे नंगे होकर मज़े लिए हैं पर जो मज़ा मुझे आज मिला वो पहले कभी नही मिला...आज शाम को भी जब आपने पापा के साथ सेक्स करते हुए मुझे स्मूच किया था, तब भी मैं जाग रही थी...पर उस वक़्त मैं आपको एम्बेरस नही करना चाहती थी इसलिए सोने का नाटक करती रही...और अभी भी मैने बहुत कंट्रोल किया पर ऐसी सिचुएशन में आकर आप तो समझ सकती है न की क्या-2 फील होता है...''
अपनी बेटी के मुँह से शाम वाली बात सुनकर रश्मि एक बार फिर से शरमा गयी...यानी काव्या ने वो सब देख लिया था...और ये ख़याल आते ही सबसे पहले उसे समीर के नंगे लंड का ध्यान आया...कहीं उसने समीर यानी अपने बाप को भी तो नंगा नही देख लिया...
पर ये बात वो उससे डाइरेक्ट्ली पूछ भी तो नही सकती थी ना...वो चुपचाप मुँह नीचे किए बैठी रही...अपनी माँ को ऐसे चुपचाप बैठा देखकर काव्या समझ गयी की अब उसे ही कुछ करना होगा...और उसने धीरे से अपनी माँ की ठोडी के नीचे हाथ रखा और उसे उपर किया और बोली : "माँ , प्लीज़ जो शुरू किया है उसे कंप्लीट भी करो ना....मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा है..''
और फिर अपने होंठ नीचे करते हुए उनके होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी..
रश्मि भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी...उसने भी सोच लिया की जब उसकी पोल खुल ही चुकी है और काव्या को भी कोई एतराज नही है तो वो भला क्यों खुद को रोके...उसने भी काव्या का साथ देते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया और साथ ही साथ उसकी छातियों को भी ज़ोर-2 से दबाने लगी..
तभी दरवाजे के पास से आवाज़ आई : "बड़ा प्यार हो रहा है माँ बेटी के बीच...''
और अंधेरे से निकलकर समीर अंदर आ गया, जो शायद काफी देर से वहां खड़ा होकर उनकी रासलीला देख रहा था.
समीर को देखते ही रश्मि को साँप सूंघ गया, उसने तो सोचा भी नही था की समीर वहाँ आ जाएगा, वो काफ़ी थका हुआ था और गहरी नींद में था जब वो काव्या के कमरे में आई थी...और अब समीर वहाँ आ गया.. पर ऐसे मौके पर आया की वो रंगे हाथो पकड़ी गयी,उसने तो सोचा भी नही था..
सुबह से ना जाने उसने कितनी हदें पार की थी आज...पहले विक्की के साथ और फिर समीर के दोस्त लोकेश के साथ...और अब शायद अपनी बेटी के साथ मज़े लेते हुए भी वो यही सोच रही थी की वो पकड़ी नही जाएगी..वैसे भी ये तो इंसान की फ़ितरत है, सिर्फ़ पहला ग़लत काम करने में वो घबराता है, उसके बाद तो उस काम को इतने स्मूथली करता चला जाता है जैसे बरसों से करता आ रहा हो वो..
पर अपने साथ -2 उसने काव्या को भी फँसा दिया था ...समीर उसका बाप है अब, वो भला क्या सोचेगा उसके बारे मे...और रश्मि ने देखा की समीर की नज़रें उसकी बेटी के नंगे जिस्म को ही देख रही है..
उसने तुरंत एक चादर उठा कर काव्या के उपर डाल दी और दूसरी से खुद को ढक कर वो समीर की तरफ आई और बोली : "समीर .....मुझे माफ़ कर दो...प्लीज़ ....ये सब बस....मुझे नही पता की कैसे होता चला गया....प्लीज़ अपने कमरे में चलो, मैं सब बताती हू आपको ....''
समीर ने उसका हाथ झटक दिया और बोला : "जो बोलना और समझना है, यहीं समझाओ...''
और इतना कहते-2 उसने रश्मि के शरीर पर लिपटी चादर को निकाल फेंका और उसे फिर से नंगा कर दिया..
अपने पति के सामने तो वो पहले भी कई बार नंगी हो चुकी थी..पर ऐसे नही जब उसकी खुद की बेटी भी सामने खड़ी हो..उसे सच में काफ़ी शर्म आ रही थी..पर उसकी फिर से हिम्मत नही हुई की वो चादर उठा कर अपने शरीर पर डाल सके.
समीर : "हाँ , अब बताओ मुझे...क्या चल रहा था तुम दोनो के बीच...''
रश्मि कुछ ना बोल पाई...अपने पैरों के नाख़ून से ज़मीन कुरेदने लगी बस..
समीर उसके करीब आ गया और धीरे से बोला : "बोलो ना...क्या चल रा था ये सब...लंड से चुदाई करवाने में अब मज़ा नही आता क्या जो लेस्बियन रिलेशन की तरफ चल पड़ी हो तुम....हम्म्म .. बोलो ''
उसने एकदम से नज़रें उठा कर समीर की तरफ देखा पर उसके गुस्से से भरे चेहरे को देखकर उसकी कुछ भी बोलने की हिम्मत ही नही हुई..
समीर धीरे-2 चलता हुआ काव्या के पास आया और उसकी भी चादर निकाल फेंकी ...वो भी अपनी माँ की तरह नंगी खड़ी थी उसके सामने..
रश्मि ने कुछ बोलना चाहा पर समीर ने उसे उंगली दिखा कर खामोश करवा दिया..
अब वो काव्या के नंगे बदन को घूर-2 कर देख रहा था..और अपनी माँ की तरह काव्या घबरा नही रही थी बल्कि मंद -2 मुस्कुरा रही थी..उसके खड़े हो चुके निप्पल अपने पापा को देखकर कुलबुला रहे थे..उनके मुँह में जाने के लिए छटपटा से रहे थे..पर अभी उसका टाइम नही आया था..
रश्मि ने जब देखा की अब तो बात हदद से आगे निकल रही है क्योंकि समीर उसकी नंगी बेटी के शरीर को आँखे फाड़-2 कर देख रहा था..
रश्मि ने हिम्मत करते हुए कहा : "देखिए....ये ग़लत है...ये आपकी बेटी है...''
समीर उसकी तरफ पलटा,आज तो उसके पास उसकी हर बात का जवाब था, वो पूरी तरह से बहस करने के मूड में आ चुका था...वो बोला : "मुझसे ज़्यादा तो ये तुम्हारी बेटी है...तुम जब इसके साथ लेस्बियन सेक्स करने के लिए तैयार हो गयी तो मुझे ऐसा करने में क्या प्राब्लम है...''
इतना कहते हुए समीर ने अपने एक हाथ से काव्या के स्तन को पकड़कर ज़ोर से भींच दिया..
काव्या दर्द और मज़े के मिश्रण से कराह उठी ..''आआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममम''
अपनी ही आँखो के सामने अपनी बेटी के उपर ऐसा ''अत्याचार'' होते देखकर रश्मि बोखला सी गयी और समीर और काव्या के बीच आकर खड़ी हो गयी.
रश्मि : "आप अपनी हद में रहिए...मेरी बेटी को हाथ लगाने की कोई ज़रूरत नही है...''
वो कुछ और बोलना चाहती थी की उसके कंधे पर काव्या का हाथ आकर लगा और वो बोली : "माँ , आप ऐसा क्यो रिएक्ट कर रही हो...जब आप मेरे बाय्फ्रेंड के साथ मज़े ले रही थी तो मैने क्या आपको कुछ कहा...फिर आप क्यों बीच में आ रही है जब आपके पति मेरे साथ वही मज़े लेना चाहते हैं''
उसकी ये बात तो जैसे रश्मि के कानो में पिघले हुए शीशे जैसी गयी...उसकी खुद की बेटी उसे ऐसा कहेगी उसने तो ये सोचा भी नही था...पर उसे कैसे पता चला की उसकी माँ ने आज सुबह उसके बाय्फ्रेंड के साथ जमकर चुदाई की थी...वो तो वहाँ थी ही नही..
वो भड़कती हुई उसकी तरफ पलटी और चिल्लाई : "ये क्या बकवास कर रही हो काव्या...शरम नही आती तुम्हे अपनी माँ के सामने ऐसी घिनोनी बात करते हुए...''
काव्या अपनी नंगी गांड मटकाती हुई टेबल तक गयी और अपना फोन उठा कर लाई और वही वीडियो चला कर रश्मि की आँखो के सामने लहरा दिया जिसमे वो और विक्की रिसोर्ट के कमरे मे वासना के नंगे नाच में डूबे हुए थे..
काव्या : "क्या आपको शरम आ रही थी आज सुबह, जब आप विक्की के लंड को अपने अंदर लेकर ऐसे कूद रही थी...''
रश्मि की तो हालत खराब हो गयी उस वीडियो को देखकर...जिसमे वो बड़ी ही बेशर्मी से विक्की के लंड को अपनी चूत से रोंदकर उसपर उछल रही थी और ज़ोर-2 से चिल्ला भी रही थी..
यानी उस वक़्त काव्या ने छुपकर उसका ये वीडियो बना लिया था...और अब उसे दिखा भी रही थी..वो भी ऐसे मौके पर जब वो पहले से ही फंसी हुई थी अपनी बेटी के साथ लेस्बियन सेक्स करने के चक्कर में ..
रश्मि ने देखा की समीर भी बड़े गौर से उस वीडियो को देख रहा था...और उसके चेहरे पर आ रहा गुस्सा भी वो साफ़ महसूस कर रही थी.(जो की उसे पता नहीं था की नकली है)
रश्मि एकदम से समीर के कदमों में गिर पड़ी...और रोने लगी
रश्मि : "समीर , मुझे माफ़ कर दो...ये जो भी हुआ आज सुबह उसमे मेरा कोई दोष नही था...विक्की के जाल में फँस चुकी थी मैं ...इन दोनो ने मिलकर ऐसा किया है...मुझे फँसाने के लिए....तुम्हारी नज़रों में गिराने के लिए...''
वो खुद की शादी बचाने के लिए अब रश्मि अपनी ही बेटी की उस साजिश में शामिल होने की बात कर रही थी
अब समीर की बारी थी, उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और वो वीडियो चला कर उसके सामने कर दिया जिसमे वो और उसका दोस्त लोकेश दत्त ड्रॉयिंग रूम में खड़े होकर जंगली जानवरों की तरह चुदाई कर रहे थे...और रश्मि तो ऐसे सेक्स कर रही थी उसके साथ जैसे आज से पहले लंड देखा ही नही था उसने किसी का...उसे अंदर लेते हुए वो उहह आह की ऐसी आवाज़ें निकाल रही थी जिसे फोन में दोबारा सुनकर वो शर्म से पानी -2 हो गयी.
अब तो उसके पास बोलने को कुछ बचा ही नही था...पहले उसकी बेटी ने उसका वीडियो बनाया और घर पर उसके पति ने भी...
अब वो यही सोचने मे लगी थी की इन दोनो ने ऐसा क्यो किया...कहीं दोनो ही मिलीभगत तो नही है ना ये की उसका एम एम एस बना कर बाद में उसे दबाकर रखा जाए...और वो दोनो आपस मे मस्ती करे..पर ये बात खुलकर पूछने की उसकी हिम्मत ही नही हुई...अपने कांड सामने देखकर वो नज़रें नीचे किए बस समीर की बातें सुनती रही.
समीर : "अब बोलो, ज़ुबान पर ताले क्यो लग गये तुम्हारी.....ये वीडियो मैं तुम्हे सिर्फ़ इसलिए दिखा रहा हूँ ताकि तुम जो उंगली मुझपर या काव्या पर उठा रही हो वो पहले खुद पर भी तो उठाओ...मुझे तुम्हारे ऐसे मज़े लेने में कोई प्राब्लम नही है...और ना ही कभी होगी..पर साथ ही साथ मैं ये भी चाहता हूँ की तुम मेरे उपर भी किसी भी तरह की रोक टोक ना करो..और ना ही काव्या पर..''
इतना कहते -२ समीर ने काव्या की कमर पर हाथ रखकर उसके नंगे जिस्म को अपनी तरफ खींच लिय। और काव्य भी बड़े प्यार से अपने प्यारे पापा के साथ मिलकर खड़ी हो गयी
और समीर की ये बात सुनकर रश्मि आश्चर्यचकित रह गयी...उसका खुद का पति उसे पूरी छूट दे रहा था...यानी देखा जाए तो उसका वीडियो बनाकर उसने रश्मि को फँसा लिया था अपनी हर बात मनवाने के लिए...और वो बेचारी अब कोई विरोध भी नही कर सकती थी..
पर समीर की ये बात सुनकर अंदर ही अंदर उसकी चूत में खुशी की एक बूँद और छलक आई , ये सोचकर की अब वो विक्की और लोकेश के साथ खुलकर मज़े ले पाएगी..वो ये बात तो जानती थी की उसका पति खुले विचारों का है पर इतने खुले विचार है उसके की वो अपनी पत्नी को खुद के फ्रेंड के साथ और उसकी बेटी के बाय्फ्रेंड के साथ चुदने की इजाज़त दे रहा है , ये उसने नही सोचा था..
पर साथ ही साथ वो ये भी जान गयी थी की ये सब करके वो अपना रास्ता भी तो साफ़ कर रहा है..उसकी बेटी को भी तो वो उसके सामने ही चोदा करेगा हमेशा से अब...एक तरह से देखा जाए तो उसकी बेटी अब उसकी खुद की सौतन बनकर सामने आ चुकी थी..क्योंकि जिस तरह से वो खुद समीर की तरह बातें करते हुए उसे वो वीडियो दिखा रही थी, ये बात साफ़ थी की वो भी समीर के साथ मज़े लेना चाहती है..
सारे तार उसे जुड़ते हुए दिख गये एक साथ...पर इन सबमें उसकी सबसे बड़ी ग़लती थी...अगर वो ना बहकति तो ऐसा कभी ना होता..पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था..अब तो उसे भी बहते हुए पानी के साथ ही बहना था..
उसने उन दोनों के आगे घुटने टेक दिए और धीरे से बोली : "आप सही कह रहे हैं...मैने अपनी हवस की आग में जलकर ये नही सोचा की मेरी जिंदगी पर इसका क्या असर होगा...मेरी बेटी ...मेरे पति की जिंदगी पर क्या इफ्फेकट आएँगे...ये मेरी ही ग़लती है...और मुझे इसकी सज़ा ऐसे ही मिलनी चाहिए...''
और वो सुबकने लगी..
काव्या एकदम से उसके करीब आई और अपनी माँ से लिपट गयी..
काव्या : "नही माँ ....ऐसा मत बोलो ...ये जो कुछ भी आज हुआ है ये सब हमारे बीच ही रहेगा..और हम सभी को अपनी हर इच्छा पूरी करने का हक़ है...आपने कोई ग़लती नही की..आप ये ना सोचिए की हमने आपको फँसा कर ये सब करने के लिए राज़ी करवाया है, पर जब वो सब करते हुए आपको ग़लत नही लगा तो मुझे और पापा को भी नही लगेगा...वी आर फेमिली ...और हम हमेशा एक साथ ऐसे ही खुशी-2 रहेंगे...''
उसकी समझदारी भरी बात सुनकर रश्मि भी चुप हो गयी...
उन दोनो माँ बेटियों को ऐसे नंगे लिपटे देखकर समीर का लंड खड़ा होने लगा..और उसने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
रश्मि : "मुझे अब अपने कमरे मे जाना चाहिए...आप दोनो को जो करना है, कर लीजिए...''
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रश्मि ने जब अपनी बेटी की कुँवारी और सफाचट चूत देखी तो वो उसे देखती ही रह गयी...शायद उसे अपनी जवानी के दिन याद आ रहे थे जब उसकी खुद की चूत भी बिल्कुल वैसी ही थी...बिल्कुल सफाचत...चिकनी सी....गोरी-2 सी...सिर्फ़ एक लंबा सा चीरा ही दिख रहा था उसकी चूत के बीच....जिसके अंदर से गाड़ा और मीठा रस रिस-रिसकर बाहर आ रहा था..
रश्मि से रहा नही गया और उसने झुक कर अपनी जीभ से उस बहते हुए रस को चाट लिया...कुछ देर रुकी और फिर जैसे ही उसके रस की मिठास को महसूस किया वो पागलों की तरह टूट पड़ी उसकी चूत पर...जो स्मूचें उसने उपर के होंठों पर की थी वही स्मूच अब उसके निचले होंठों को करके उसका रस पी रही थी...जो एहसास और मीठापन उसे उपर मिला था वही एहसास उसे नीचे मिल रहा था और वो भी दबा कर..
काव्या की सुलग रही जवानी भी अब भड़ककर आग का शोला बन चुकी थी...उसने भी अपनी टांगे मोड़कर फेला ली और धीरे-2 बुदबुदाने लगी..
''उम्म्म्मममममममम ...... अहह .... ओहोह ..... यसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
अब रश्मि को उसके बुदबुदाने से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, उसके हिसाब से तो वो गहरी नींद में थी और शायद कोई सपना देख कर ऐसा कर रही थी..
रश्मि कुछ देर के लिए रुकी और उसने अपना गाउन उतारकर नीचे फेंक दिया...और फिर थोड़ा उपर होकर काव्या की टी शर्ट भी उतार फेंकी...काव्या सोच ही रही थी की अब यही वक़्त है उठने का...नींद से जागने का...ताकि वो भी अपनी माँ की तरह मज़े ले सके...पर वो ये सोच ही रही थी की उसकी माँ ने घूमकर अपनी टांगे उसके सिर के दोनो तरफ कर ली और खुद उसकी चूत के उपर झुककर उसे निगल लिया...और साथ ही साथ अपनी गीली चूत को उसके चेहरे के उपर रखकर ज़ोर से दबा दिया..69 की पोज़िशन में .
और अपनी माँ की चूत को अपने मुँह पर लगते ही काव्या ने भी बिना झिझक के अपना मुँह खोला और उसे चाटने लगी...और यही काम उसकी माँ भी कर रही थी उसके साथ....रश्मि का वजन थोड़ा अधिक था इसलिए वो साइड में लूड़क गयी और उसने बिना अपनी पोज़िशन छोड़े काव्या को पलटाकर अपने उपर कर लिया..और आराम से अपनी फूल जैसी बेटी के शरीर को अपने उपर रखकर चूसने लगी..
रश्मि ने उसकी चूत की परतें खोलकर उसकी उत्तेजित क्लिट को देखा तो उससे रहा नही गया और उसने अपने होंठों से उसे पकड़कर ज़ोर से उमेठ दिया..
और ऐसा होते ही काव्या ज़ोर से चिल्लाई
''ऊऊऊऊओह माँ आआआआआआ ......धीरे करो ना ...........''
इतना सुनते ही रश्मि ने झटककर काव्या को अपने उपर से नीचे उतार दिया और घबराकर खड़ी हो गयी..
''तुमम्म्म ..... तुमम्म्मम जाग रही थी...... ''
काव्या ने अपनी माँ का हाथ पकड़ा और बड़े ही प्यार से बोली : "हाँ माँ ....मैं जाग रही थी...और जो भी आप मेरे साथ कर रही थी वो भी मुझे काफ़ी अच्छा लगा..''
रश्मि का चेहरा आश्चर्य से भर गया...उसे तो अपने पर ग्लानि सी हो रही थी की ऐसे रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद उसकी बेटी उसके बारे में क्या सोचेगी...पर ऐसा कुछ भी नही था...वो तो खुद इसे एंजाय कर रही थी..पर फिर भी वो अपनी बेटी से नज़रें नही मिला पा रही थी..
रश्मि उसके मन की दुविधा समझ गयी , वो उठी और अपनी माँ का हाथ पकड़कर बड़े ही प्यार से उसे बेड पर बिठाया और फिर खुद जाकर अपनी नंगी माँ की गोद में बैठ गयी..और उसके गले में बाहें डालकर उससे लिपट गयी.
''माँ , मैं जानती हूँ की आप इस समय क्या सोच रही है...पर आपने जो भी किया उससे मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा...इन्फेक्ट मुझे काफ़ी मज़ा आया....मैने पहले भी श्वेता के साथ ऐसे नंगे होकर मज़े लिए हैं पर जो मज़ा मुझे आज मिला वो पहले कभी नही मिला...आज शाम को भी जब आपने पापा के साथ सेक्स करते हुए मुझे स्मूच किया था, तब भी मैं जाग रही थी...पर उस वक़्त मैं आपको एम्बेरस नही करना चाहती थी इसलिए सोने का नाटक करती रही...और अभी भी मैने बहुत कंट्रोल किया पर ऐसी सिचुएशन में आकर आप तो समझ सकती है न की क्या-2 फील होता है...''
अपनी बेटी के मुँह से शाम वाली बात सुनकर रश्मि एक बार फिर से शरमा गयी...यानी काव्या ने वो सब देख लिया था...और ये ख़याल आते ही सबसे पहले उसे समीर के नंगे लंड का ध्यान आया...कहीं उसने समीर यानी अपने बाप को भी तो नंगा नही देख लिया...
पर ये बात वो उससे डाइरेक्ट्ली पूछ भी तो नही सकती थी ना...वो चुपचाप मुँह नीचे किए बैठी रही...अपनी माँ को ऐसे चुपचाप बैठा देखकर काव्या समझ गयी की अब उसे ही कुछ करना होगा...और उसने धीरे से अपनी माँ की ठोडी के नीचे हाथ रखा और उसे उपर किया और बोली : "माँ , प्लीज़ जो शुरू किया है उसे कंप्लीट भी करो ना....मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा है..''
और फिर अपने होंठ नीचे करते हुए उनके होंठों को मुँह मे लेकर चूसने लगी..
रश्मि भी काफ़ी गर्म हो चुकी थी...उसने भी सोच लिया की जब उसकी पोल खुल ही चुकी है और काव्या को भी कोई एतराज नही है तो वो भला क्यों खुद को रोके...उसने भी काव्या का साथ देते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया और साथ ही साथ उसकी छातियों को भी ज़ोर-2 से दबाने लगी..
तभी दरवाजे के पास से आवाज़ आई : "बड़ा प्यार हो रहा है माँ बेटी के बीच...''
और अंधेरे से निकलकर समीर अंदर आ गया, जो शायद काफी देर से वहां खड़ा होकर उनकी रासलीला देख रहा था.
समीर को देखते ही रश्मि को साँप सूंघ गया, उसने तो सोचा भी नही था की समीर वहाँ आ जाएगा, वो काफ़ी थका हुआ था और गहरी नींद में था जब वो काव्या के कमरे में आई थी...और अब समीर वहाँ आ गया.. पर ऐसे मौके पर आया की वो रंगे हाथो पकड़ी गयी,उसने तो सोचा भी नही था..
सुबह से ना जाने उसने कितनी हदें पार की थी आज...पहले विक्की के साथ और फिर समीर के दोस्त लोकेश के साथ...और अब शायद अपनी बेटी के साथ मज़े लेते हुए भी वो यही सोच रही थी की वो पकड़ी नही जाएगी..वैसे भी ये तो इंसान की फ़ितरत है, सिर्फ़ पहला ग़लत काम करने में वो घबराता है, उसके बाद तो उस काम को इतने स्मूथली करता चला जाता है जैसे बरसों से करता आ रहा हो वो..
पर अपने साथ -2 उसने काव्या को भी फँसा दिया था ...समीर उसका बाप है अब, वो भला क्या सोचेगा उसके बारे मे...और रश्मि ने देखा की समीर की नज़रें उसकी बेटी के नंगे जिस्म को ही देख रही है..
उसने तुरंत एक चादर उठा कर काव्या के उपर डाल दी और दूसरी से खुद को ढक कर वो समीर की तरफ आई और बोली : "समीर .....मुझे माफ़ कर दो...प्लीज़ ....ये सब बस....मुझे नही पता की कैसे होता चला गया....प्लीज़ अपने कमरे में चलो, मैं सब बताती हू आपको ....''
समीर ने उसका हाथ झटक दिया और बोला : "जो बोलना और समझना है, यहीं समझाओ...''
और इतना कहते-2 उसने रश्मि के शरीर पर लिपटी चादर को निकाल फेंका और उसे फिर से नंगा कर दिया..
अपने पति के सामने तो वो पहले भी कई बार नंगी हो चुकी थी..पर ऐसे नही जब उसकी खुद की बेटी भी सामने खड़ी हो..उसे सच में काफ़ी शर्म आ रही थी..पर उसकी फिर से हिम्मत नही हुई की वो चादर उठा कर अपने शरीर पर डाल सके.
समीर : "हाँ , अब बताओ मुझे...क्या चल रहा था तुम दोनो के बीच...''
रश्मि कुछ ना बोल पाई...अपने पैरों के नाख़ून से ज़मीन कुरेदने लगी बस..
समीर उसके करीब आ गया और धीरे से बोला : "बोलो ना...क्या चल रा था ये सब...लंड से चुदाई करवाने में अब मज़ा नही आता क्या जो लेस्बियन रिलेशन की तरफ चल पड़ी हो तुम....हम्म्म .. बोलो ''
उसने एकदम से नज़रें उठा कर समीर की तरफ देखा पर उसके गुस्से से भरे चेहरे को देखकर उसकी कुछ भी बोलने की हिम्मत ही नही हुई..
समीर धीरे-2 चलता हुआ काव्या के पास आया और उसकी भी चादर निकाल फेंकी ...वो भी अपनी माँ की तरह नंगी खड़ी थी उसके सामने..
रश्मि ने कुछ बोलना चाहा पर समीर ने उसे उंगली दिखा कर खामोश करवा दिया..
अब वो काव्या के नंगे बदन को घूर-2 कर देख रहा था..और अपनी माँ की तरह काव्या घबरा नही रही थी बल्कि मंद -2 मुस्कुरा रही थी..उसके खड़े हो चुके निप्पल अपने पापा को देखकर कुलबुला रहे थे..उनके मुँह में जाने के लिए छटपटा से रहे थे..पर अभी उसका टाइम नही आया था..
रश्मि ने जब देखा की अब तो बात हदद से आगे निकल रही है क्योंकि समीर उसकी नंगी बेटी के शरीर को आँखे फाड़-2 कर देख रहा था..
रश्मि ने हिम्मत करते हुए कहा : "देखिए....ये ग़लत है...ये आपकी बेटी है...''
समीर उसकी तरफ पलटा,आज तो उसके पास उसकी हर बात का जवाब था, वो पूरी तरह से बहस करने के मूड में आ चुका था...वो बोला : "मुझसे ज़्यादा तो ये तुम्हारी बेटी है...तुम जब इसके साथ लेस्बियन सेक्स करने के लिए तैयार हो गयी तो मुझे ऐसा करने में क्या प्राब्लम है...''
इतना कहते हुए समीर ने अपने एक हाथ से काव्या के स्तन को पकड़कर ज़ोर से भींच दिया..
काव्या दर्द और मज़े के मिश्रण से कराह उठी ..''आआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममम''
अपनी ही आँखो के सामने अपनी बेटी के उपर ऐसा ''अत्याचार'' होते देखकर रश्मि बोखला सी गयी और समीर और काव्या के बीच आकर खड़ी हो गयी.
रश्मि : "आप अपनी हद में रहिए...मेरी बेटी को हाथ लगाने की कोई ज़रूरत नही है...''
वो कुछ और बोलना चाहती थी की उसके कंधे पर काव्या का हाथ आकर लगा और वो बोली : "माँ , आप ऐसा क्यो रिएक्ट कर रही हो...जब आप मेरे बाय्फ्रेंड के साथ मज़े ले रही थी तो मैने क्या आपको कुछ कहा...फिर आप क्यों बीच में आ रही है जब आपके पति मेरे साथ वही मज़े लेना चाहते हैं''
उसकी ये बात तो जैसे रश्मि के कानो में पिघले हुए शीशे जैसी गयी...उसकी खुद की बेटी उसे ऐसा कहेगी उसने तो ये सोचा भी नही था...पर उसे कैसे पता चला की उसकी माँ ने आज सुबह उसके बाय्फ्रेंड के साथ जमकर चुदाई की थी...वो तो वहाँ थी ही नही..
वो भड़कती हुई उसकी तरफ पलटी और चिल्लाई : "ये क्या बकवास कर रही हो काव्या...शरम नही आती तुम्हे अपनी माँ के सामने ऐसी घिनोनी बात करते हुए...''
काव्या अपनी नंगी गांड मटकाती हुई टेबल तक गयी और अपना फोन उठा कर लाई और वही वीडियो चला कर रश्मि की आँखो के सामने लहरा दिया जिसमे वो और विक्की रिसोर्ट के कमरे मे वासना के नंगे नाच में डूबे हुए थे..
काव्या : "क्या आपको शरम आ रही थी आज सुबह, जब आप विक्की के लंड को अपने अंदर लेकर ऐसे कूद रही थी...''
रश्मि की तो हालत खराब हो गयी उस वीडियो को देखकर...जिसमे वो बड़ी ही बेशर्मी से विक्की के लंड को अपनी चूत से रोंदकर उसपर उछल रही थी और ज़ोर-2 से चिल्ला भी रही थी..
यानी उस वक़्त काव्या ने छुपकर उसका ये वीडियो बना लिया था...और अब उसे दिखा भी रही थी..वो भी ऐसे मौके पर जब वो पहले से ही फंसी हुई थी अपनी बेटी के साथ लेस्बियन सेक्स करने के चक्कर में ..
रश्मि ने देखा की समीर भी बड़े गौर से उस वीडियो को देख रहा था...और उसके चेहरे पर आ रहा गुस्सा भी वो साफ़ महसूस कर रही थी.(जो की उसे पता नहीं था की नकली है)
रश्मि एकदम से समीर के कदमों में गिर पड़ी...और रोने लगी
रश्मि : "समीर , मुझे माफ़ कर दो...ये जो भी हुआ आज सुबह उसमे मेरा कोई दोष नही था...विक्की के जाल में फँस चुकी थी मैं ...इन दोनो ने मिलकर ऐसा किया है...मुझे फँसाने के लिए....तुम्हारी नज़रों में गिराने के लिए...''
वो खुद की शादी बचाने के लिए अब रश्मि अपनी ही बेटी की उस साजिश में शामिल होने की बात कर रही थी
अब समीर की बारी थी, उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और वो वीडियो चला कर उसके सामने कर दिया जिसमे वो और उसका दोस्त लोकेश दत्त ड्रॉयिंग रूम में खड़े होकर जंगली जानवरों की तरह चुदाई कर रहे थे...और रश्मि तो ऐसे सेक्स कर रही थी उसके साथ जैसे आज से पहले लंड देखा ही नही था उसने किसी का...उसे अंदर लेते हुए वो उहह आह की ऐसी आवाज़ें निकाल रही थी जिसे फोन में दोबारा सुनकर वो शर्म से पानी -2 हो गयी.
अब तो उसके पास बोलने को कुछ बचा ही नही था...पहले उसकी बेटी ने उसका वीडियो बनाया और घर पर उसके पति ने भी...
अब वो यही सोचने मे लगी थी की इन दोनो ने ऐसा क्यो किया...कहीं दोनो ही मिलीभगत तो नही है ना ये की उसका एम एम एस बना कर बाद में उसे दबाकर रखा जाए...और वो दोनो आपस मे मस्ती करे..पर ये बात खुलकर पूछने की उसकी हिम्मत ही नही हुई...अपने कांड सामने देखकर वो नज़रें नीचे किए बस समीर की बातें सुनती रही.
समीर : "अब बोलो, ज़ुबान पर ताले क्यो लग गये तुम्हारी.....ये वीडियो मैं तुम्हे सिर्फ़ इसलिए दिखा रहा हूँ ताकि तुम जो उंगली मुझपर या काव्या पर उठा रही हो वो पहले खुद पर भी तो उठाओ...मुझे तुम्हारे ऐसे मज़े लेने में कोई प्राब्लम नही है...और ना ही कभी होगी..पर साथ ही साथ मैं ये भी चाहता हूँ की तुम मेरे उपर भी किसी भी तरह की रोक टोक ना करो..और ना ही काव्या पर..''
इतना कहते -२ समीर ने काव्या की कमर पर हाथ रखकर उसके नंगे जिस्म को अपनी तरफ खींच लिय। और काव्य भी बड़े प्यार से अपने प्यारे पापा के साथ मिलकर खड़ी हो गयी
और समीर की ये बात सुनकर रश्मि आश्चर्यचकित रह गयी...उसका खुद का पति उसे पूरी छूट दे रहा था...यानी देखा जाए तो उसका वीडियो बनाकर उसने रश्मि को फँसा लिया था अपनी हर बात मनवाने के लिए...और वो बेचारी अब कोई विरोध भी नही कर सकती थी..
पर समीर की ये बात सुनकर अंदर ही अंदर उसकी चूत में खुशी की एक बूँद और छलक आई , ये सोचकर की अब वो विक्की और लोकेश के साथ खुलकर मज़े ले पाएगी..वो ये बात तो जानती थी की उसका पति खुले विचारों का है पर इतने खुले विचार है उसके की वो अपनी पत्नी को खुद के फ्रेंड के साथ और उसकी बेटी के बाय्फ्रेंड के साथ चुदने की इजाज़त दे रहा है , ये उसने नही सोचा था..
पर साथ ही साथ वो ये भी जान गयी थी की ये सब करके वो अपना रास्ता भी तो साफ़ कर रहा है..उसकी बेटी को भी तो वो उसके सामने ही चोदा करेगा हमेशा से अब...एक तरह से देखा जाए तो उसकी बेटी अब उसकी खुद की सौतन बनकर सामने आ चुकी थी..क्योंकि जिस तरह से वो खुद समीर की तरह बातें करते हुए उसे वो वीडियो दिखा रही थी, ये बात साफ़ थी की वो भी समीर के साथ मज़े लेना चाहती है..
सारे तार उसे जुड़ते हुए दिख गये एक साथ...पर इन सबमें उसकी सबसे बड़ी ग़लती थी...अगर वो ना बहकति तो ऐसा कभी ना होता..पर अब तो सब कुछ हो ही चुका था..अब तो उसे भी बहते हुए पानी के साथ ही बहना था..
उसने उन दोनों के आगे घुटने टेक दिए और धीरे से बोली : "आप सही कह रहे हैं...मैने अपनी हवस की आग में जलकर ये नही सोचा की मेरी जिंदगी पर इसका क्या असर होगा...मेरी बेटी ...मेरे पति की जिंदगी पर क्या इफ्फेकट आएँगे...ये मेरी ही ग़लती है...और मुझे इसकी सज़ा ऐसे ही मिलनी चाहिए...''
और वो सुबकने लगी..
काव्या एकदम से उसके करीब आई और अपनी माँ से लिपट गयी..
काव्या : "नही माँ ....ऐसा मत बोलो ...ये जो कुछ भी आज हुआ है ये सब हमारे बीच ही रहेगा..और हम सभी को अपनी हर इच्छा पूरी करने का हक़ है...आपने कोई ग़लती नही की..आप ये ना सोचिए की हमने आपको फँसा कर ये सब करने के लिए राज़ी करवाया है, पर जब वो सब करते हुए आपको ग़लत नही लगा तो मुझे और पापा को भी नही लगेगा...वी आर फेमिली ...और हम हमेशा एक साथ ऐसे ही खुशी-2 रहेंगे...''
उसकी समझदारी भरी बात सुनकर रश्मि भी चुप हो गयी...
उन दोनो माँ बेटियों को ऐसे नंगे लिपटे देखकर समीर का लंड खड़ा होने लगा..और उसने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
रश्मि : "मुझे अब अपने कमरे मे जाना चाहिए...आप दोनो को जो करना है, कर लीजिए...''
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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