Thursday, February 5, 2015

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--55

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--55

अब आगे
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 इतना कहकर वो नंगी ही अपने कमरे की तरफ जाने लगी..

काव्या बड़े ही प्यार से बोली : "नही माँ ...आप यहीं रूको...आज मैं आपके सामने अपना कुँवारापन खोना चाहती हू...आप यहाँ रहेंगी तो मुझे भी हिम्मत मिलेगी..''

बेड पर बैठी हुई काव्या ने बड़े ही प्यार से अपनी माँ से रिकवेस्ट की


उसकी ये बात सुनकर समीर भी चोंक गया पर अंदर ही अंदर खुश भी हो गया कुछ सोचकर..

रश्मि : "नही बेटा...ऐसा नही हो सकता...मुझसे ये सब नही देखा जाएगा...मैं चलती हूँ ..''

अब समीर भी बोला : "नही रश्मि...तुम्हे यहीं रुकना पड़ेगा...अपनी बेटी के जीवन के इतने बड़े दिन तुम उसको छोड़कर नही जा सकती...तुम रूको...उसको थोड़ी हिम्मत मिलेगी..''

वैसे तो अंदर ही अंदर रश्मि भी यही चाहती थी की वो वहीं रुक जाए, उसकी बेटी को जो पहली चुदाई का दर्द होगा उसे सहन करने की हिम्मत दे सकेगी वो उसे...और उन दोनो के कहने पर वो चुप सी होकर वहीं सोफे पर बैठ गयी...उनका खेल देखने के लिए...

और खुशी से उछलती हुई काव्या चल दी अपने प्यारे पापा की तरफ....कली से फूल बनने के लिए..


 समीर ने जो सपना संजोया हुआ था इतने समय से, वो सच हो रहा था ... एक ही कमरे में उसकी बीबी और बेटी नंगे थे..और काव्या को उसकी माँ के सामने चोदने के ख़याल भर से ही उसका लंड फटने वाली हालत में आ चुका था..

काव्या नंगी भागती हुई आई और अपनी दोनो बाहें उसने समीर के गले में डाल दी और उसे बुरी तरह से चूमने लगी..

और अपनी बेटी को ऐसे बिना झिझक समीर को चूमते देखकर उसका दिमाग़ झन्ना गया, और उसे ये समझते देर नही लगी की ये उनका पहली बार नही है...

रश्मि तो समझी थी की नयी नवेली लड़की की तरह वो थोड़ा शरमाएगी..सकूचाएगी..और फिर कुछ करेगी..पर ये तो ऐसे कर रही थी जैसे इसका रोज का काम है समीर के साथ...अब तो उसे ये भी शक होने लग गया था की वो कुँवारी भी है या नही...और ये भी बस थोड़ी ही देर मे पता चलने वाला था..

पर समीर के माइंड मे कुछ अलग ही चल रहा था...वो कुछ देर तक तो अपनी बेटी के होंठों का शहद पीता रहा और फिर अलग होते हुए बोला : "पहले मुझे वो सब देखना है जो मेरे आने से पहले यहाँ चल रहा था...''

ऐसा कहते-2 उसने अपनी बीबी रश्मि की तरफ देखा, जो नंगी बैठी उनकी स्मूच को देखकर गर्म हो रही थी.

काव्या ने कुछ नही बोला पर रश्मि ने कहा : "अब आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हो समीर...तुम वो सब छोड़ो और वो करो जो शुरू किया है अभी...''

बेचारी अभी तक अपनी बेटी की चुदाई की बात खुलकर नही बोल पा रही थी.

शायद रश्मि को अब खुलकर अपने पति और बेटी के सामने वो सब करने मे शरम आ रही थी जो वो कुछ देर पहले काव्या को नींद मे सोता हुआ समझ के कर रही थी.

समीर : "नही....वो करके तुम काव्या को ज़्यादा अच्छी तरह से तैयार कर सकती हो नही तो इसे काफ़ी दर्द होगा मेरा लंड अंदर लेते हुए...तुम इसकी चूत चूस्कर अच्छी तरह से अंदर तक गीला कर दो इसे,ताकि इसे ज़्यादा तकलीफ़ ना हो...''

उसकी बात सुनकर रश्मि शर्म से गड़ी जा रही थी, उसका खुद का पति उसे अपनी बेटी की चूत चूसने के लिए कह रहा था ताकि उसे चुदाई करने में ज़्यादा परेशानी ना हो...

वो धीरे से बोली : "आप ये सब क्यो कर रहे है मेरे साथ समीर...आप खुद ही कर लो ना ये भी..मेरी क्या ज़रूरत है आपको...''

समीर : "तुम मुझे अब किसी भी बात के लिए मना नही कर सकती...समझी...अपने यारों से चुदवाने से पहले अगर मुझे बताया होता तो मैं शायद ये दबाव तुमपर नही डालता,पर अब तू मेरी गुलाम है,और तू हर वो काम करेगी जो मैं कहूँगा...चल शुरू हो जा...चूस इसकी चूत को...''

समीर को ऐसे गुस्से में आता देखकर रश्मि के साथ-2 काव्या भी सहम गयी..उसका ये रूप उन दोनो ने पहली बार देखा था..रश्मि तो अंदर तक काँप गयी उसकी बात सुनकर..अगर बाद में समीर उसे किसी और के साथ सेक्स करने के लिए कहेगा तो वो भी उसे करना पड़ेगा..ये तो उसे एक रंडी जैसा बना देगा..खुद अपनी ही बीबी को...

अपनी माँ को ऐसे सहम कर खड़ा हुआ देखकर काव्या उसके पास आई और बोली : "चलो ना माँ ..पापा ठीक ही कह रहे हैं...मुझे कम पैन होगा तो अच्छा ही है ना...और वैसे भी पापा के आने से पहले जो भी आप कर रहे थे उसमे मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, मैं जागी हुई थी और सब महसूस कर रही थी..अब वो सब दोबारा फील करने का मौका मिले तो मैं भला कैसे मना करू...चलो ना...आओ यहाँ ...''

और उसने बड़े ही लाड से अपनी माँ का हाथ पकड़ा और बेड तक ले आई...और उसे वहाँ लिटा दिया.

काव्या : "पहले तो मैं वो जगह देखना चाहती हू जहाँ से मैं इस दुनिया में आई थी...''

और इतना कहते-2 वो अपनी माँ की पनिया रही चूत के उपर झुक गयी...लश्कारे मार रही थी रश्मि की चूत , अपने ही रस मे डूबकर...काव्या कुछ पल तक उसे निहारती रही और अपनी हथेलियो से उस जगह को सहलाती रही..



और फिर धीरे से झुककर उसने वहाँ चूम लिया...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... आआआआआअ .....''


 रश्मि की सिसकी जब काव्या के कानो में पड़ी और उसकी चूत का स्वाद उसके अंदर गया तो उसे काफ़ी मज़ा आया, अगले ही पल उसने अपने मुँह को खोलकर सीधा अपनी माँ की चूत के उपर पूरा चिपका दिया और ज़ोर-2 से सक्क करने लगी,जैसे अंदर से कोई खजाना निकालकर पा लेना चाहती हो..

''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह काव्य्ाआआआआआआ...... म्*म्म्ममममममममममममममममम ''



रश्मि ने उसके रेशमी बालों को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया और अपनी दोनो टाँगों से उसे ऐसे दबोच लिया जैसे कोई जानवर अपने शिकार को दबोचता है...पर यहाँ उसका शिकार बिलबिला नही रहा था बल्कि उसके अमृत को पीकर और अंदर घुसकर मज़े ले रहा था...

काव्या ने तो सोचा भी नही था की चूत से निकलने वाला पानी इतना मीठा भी हो सकता है...उसने सिर्फ़ श्वेता की ही चूत चूसी थी आज से पहले पर उसका स्वाद थोड़ा कसेला था...पर अपनी माँ को चूस्कर उसने जाना की ये चूतें मीठी भी होती है..

उनकी कुश्ती देखकर समीर पूरी तरह से गरमा चुका था...उसने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...और कुछ ही देर में वो भी पूरा नंगा होकर सोफे पर बैठा था , अपने लंड को मसलता हुआ वो उनका खेल देखने लगा..

काव्या को तो अपनी माँ की चूत का स्वाद इतना भाया की उसने चूस चूस्कर वहाँ का सारा रस पी लिया और रश्मि की चूत को पूरी तरह से सूखा दिया...

वो कुछ देर के लिए रुकी और अपने मूँह से थूक निकाल कर उस जगह को थोड़ा गीला किया ताकि चूत से निकल रही चिकनाई बनी रहे...



और फिर से उसे चूस्कर मिला जुला रस निकालने लगी अपने मुँह से..

रश्मि ने शायद सोचा भी नही था की ऐसा दिन भी आएगा जब उसकी इसी चूत से निकली उसकी बेटी वहाँ मुँह लगाकर चूस रही होगी...आज से पहले उसने उसके होंठों को सिर्फ़ अपने स्तनों पर ही महसूस किया था जब वो बचपन मे उसे दूध पिलाया करती थी, तब भी वो शरारत में भरकर उसके निप्पल को काट लिया करती थी...और आज वही काम वो उसकी चूत के साथ भी कर रही है, और अपनी शरारत के अनुसार काव्या ने अपने दाँत से उसकी चूत के रबड़ जैसे होंठों को काट लिया और रश्मि चिल्ला उठी..

''आआआआआआआआअहह नूऊऊऊऊऊऊऊओ बेटा ..............दाँत नही मारो ............. ममा को दर्द होता है.....''

और एक आज्ञाकारी बच्ची की तरह काव्या सिर्फ़ इतना ही बोली : "जी ममा...अब ध्यान रखूँगी .... ''

और एक बार फिर से वो अपने होंठों और जीभ से अपनी माँ की सेवा करने लगी..

अपनी बेटी को इतने प्यार से अपनी चूत चाट्ता हुआ देखकर रश्मि को उसपर बड़ा ही प्यार आया और वो बोली : "बस काव्या ......अब तुम उपर आओ....मुझे भी टेस्ट करना है तुम्हे ....और तैयार भी करना है तुम्हे ,ताकि दर्द काम हो बाद में ''

उसने ये बात समीर की तरफ देखकर बोली थी,ताकि वो बता सके की उसकी पत्नी कितनी आज्ञाकारी है


 काव्या तो कब से तरस रही थी अपनी माँ की इस ''ममता'' के लिए...वो झट से बेड की बेक पर अपनी पीठ लगा कर बैठ गयी...और रश्मि उसकी टाँगो के बीच आकर लेट गयी और धीरे से उसने उसकी चूत की परतों को फेलाया और अपनी गर्म और तजुर्बेकार जीभ से उसके गुलाबी भाग को सहला दिया..



''ऊऊऊऊऊऊऊहह माआआआआआअ उूुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममम .... बड़ी गुदगुदी हो रही है .....''

अब ये उसका पहला मौका तो नही था अपनी चूत चुसवाने का...पर अपनी माँ के कोमल स्पर्श का एहसास कुछ अलग ही था...वो बेचारी सिर्फ़ अपने होंठों को गोल करके लंबी-2 सिसकारियाँ लेती रही...और नीचे लेटी हुई रश्मि उसकी चूत में से निकल रही चाशनी को अपनी जीभ से समेट कर पीने में लगी थी.

रश्मि के लिए भी नया अनुभव था ये...उसने नोट किया की जवान और कमसिन होने की वजह से काव्या की चूत से जो रस निकल रहा है उसका प्रेशर कुछ ज़्यादा ही है...वो तो पूरी कोशिश कर रही थी की उसकी चूत से निकलने वाले रस को नीचे ना गिरने दे,पर पतली-2 धार बनकर वो इधर-उधर से होता हुआ नीचे के बिस्तर को भिगो ही रहा था...

काव्या थोड़ा आगे सरक आई और उसने अपनी माँ के उठे हुए कुल्हों पर हाथ रखकर उन्हे अपनी तरफ दबा लिया, ताकि वो और अच्छी तरह से अंदर तक दबाव बनाकर उसकी चूत को चूस सके...और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर आ रही मुस्कान देखते ही बनती थी, जो सामने बैठा समीर अपना लंड मसलते हुए साफ़ देख पा रहा था.


जब काव्या की नज़रें अपने बाप पर पड़ी और उसके हाथों में वो लंड देखा जो कुछ ही देर मे उसकी चूत के अंदर जाकर धमाल मचाने वाला था तो उसकी हँसी और गहरी हो गयी...आज की रात उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत रात थी...वो हर तरह से इसे महसूस करके जीना चाहती थी.

उसने अपनी माँ की कमर को पकड़ कर उन्हे नीचे की तरफ लिटा दिया और उनके मुँह के उपर सवार हो गयी...


और अपने मुम्मे मसलते हुए अपनी गांड को हिला-हिलाकर अपनी चूत को रश्मि के मुँह पर रगड़ने लगी..

ऐसा करते हुए उसकी नितंबो का कंपन दूर बैठे समीर को ललचा रहा था,उसे तो शुरू से ही काव्या की गोल मटोल और हष्ट - पुष्ट गांड पसंद थी, जिसे वो अपने हाथों की उंगलियों से दबाकर उनकी अकड़ निकालना चाहता था...और शायद एक दिन उसकी गांड भी मारने को मिल ही जाएगी उसे ,उस दिन सही मायनों में वो उसको भोगेगा..
में
रश्मि भी बड़े मज़े ले-लेकर काव्या की चूत को चाट रही थी और साथ ही साथ अपनी चूत की परतों में फंसी शहद की बूंदे इकट्ठा करके उससे अपनी चूत की मसाज कर रही थी.

रश्मि को काव्या की चूत बड़ी स्वादिष्ट लग रही थी..

वो उसके होंठों को अपने दांतो से कचोटती....और फिर अपनी जीभ से उसका टपक रहा रस निगल जाती और एक जोरदार चुंबन करके उसकी चूत को पूरा अपने मुँह के अंदर निगल जाती...



ऐसा करते ही काव्या का शरीर पूरा अकड़ सा गया और वो मस्ती मे सराबोर होकर अपनी माँ के मुँह की घुड़सवारी करने लगी..

''आआआआआआआआआआआआआआअहह माआआआआआआअ .... एसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... ज़ोर से काटो....... अहह ...चूसो .....अंदर तक ...................... ओह ...... बाइट मी ..... ना .माँ आ ......आआआआआआहह ...सक्क मी हार्डरर .................. ...और ज़ोर से .................. करो ना माँआआआआअ ..... उम्म्म्ममममममममममम ...''

उसकी बेटी ऐसी जंगली भी हो सकती है ये शायद रश्मि को आज ही पता चला था.



 कुछ देर तक ऐसे ही उछलती रहने के बाद काव्या को भी तलब उठी अपनी माँ की चूत को दोबारा चाटने की...और वो उसके मुँह से उतर कर फिर से नीचे की तरफ खिसकने लगी..



रश्मि के पूरे शरीर पर अपनी गीली चूत के निशान छोड़ती हुई वो नीचे तक जा रही थी..

और बीच में रुककर काव्या ने रश्मि के मुम्मों से भी खेलना शुरू कर दिया..

उन्हे दबाया, सहलाया..और फिर ज़ोर-2 से चूस्कर उसका दूध भी पिया...

भले ही अब रश्मि की छातियों से दूध नही निकल रहा था पर काव्या की चूसने की ताक़त पहले से काफ़ी बड़ चुकी थी...ऐसे में वो सिर्फ़ उसके बालों में उंगलियाँ फेरने के कुछ नही कर पाई...

और धीरे-2 खिसकते हुए वो नीचे तक पहुँच गयी..और रश्मि की गीली चूत को चूम लिया..

और कुछ देर तक उसे अच्छी तरह से चूसने के बाद वहाँ से निकला ताज़ा रस फिर एकबार पी लिया..

और फिर अपनी लंबी टांगे घुमा कर उसने रश्मि के सिर की तरफ अपनी चूत कर दी...

और धीरे-2 अपनी सेट्टिंग बिठा कर वो 69 की पोज़िशन में आ गयी...और अपनी चूत को माँ के मुंह के हवाले करके और अपनी माँ की चूत पर अपना मुँह लगाकर वो दोनो एकसाथ मज़े लेने लगे..



अब तो आनंद की सीमा था ये आसान..

दोनो एक दूसरे की शहद की डिबिया को चाटकार अमृत का मज़ा ले रहे थे.

और दोनो के मुँह से आनंद भरी सिसकारियाँ निकल रही थी..

''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओह माआआआआआआअ ...... कितनी टेस्टी हो आप ................... उम्म्म्ममममममममममम .... .......... मन करता है बस आपको सक करती रहूँ दिन रात ...........''

रश्मि ने भी बड़ी मुश्किल से अपना मुँह उसकी रसीली चूत से निकाला और बोली : "तो कर लिया कर ना अब.... किसने रोका है ....''

और उन दोनो की ये बात सुनकर समीर पूरी तरह से उत्तेजित होकर उन दोनो के आने वाले दिनों के बारे में सोचने लगा जब वो बिना रोक-टोक के पूरे घर में कहीं भी एक दूसरे की चूतें चूस रही होंगी और ऐसे में उसके कितने मज़े होने वाले थे ये बताने की तो ज़रूरत ही नही थी..

अब दोनो ही झड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी...

काव्या ने 69 का आसान तोड़ दिया और वापिस पलटकर अपनी माँ के उपर आ गयी...और अपनी चूत से उनकी चूत को ज़ोर-2 से रगड़ने लगी...

ऐसे घर्षण से जो आग बीच में से निकल रही थी उसमे सुलग कर दोनो के जिस्म बुरी तरह से हिचकोले खाने लगे...

काव्या कभी अपनी उंगली से और कभी अपनी चूत से रश्मि की चूत की रगदाई करके अपने और उनके ऑर्गॅज़म के निकट पहुँच रही थी..


 और एक पल ऐसा आया जब दोनो बिलखती हुई एक दूसरे के शरीर से घिसाई करते हुए झड़ने लगी..



''आआआआआआआआआआआआआआआअहह माआआआआआआअ आई एम कमिंग ................''


''मैं भी आई मेरी बिटिया ..................मैं भी आई ................''


और दोनो एक साथ झड़ते हुए आनंद सागर में गोते लगाने लगे..

और अंत मे जब दोनो एक दूसरे के होंठ चूम रहे थे तो अचानक समीर उठा और उसने अपने खड़े हुए लंड को उन दोनो के होंठों के बीच फँसा दिया..

और ये तरीका था उसका, ये बताने का की चलो , बहुत हुआ तुम माँ-बेटी का...अब मेरी बारी है..

अपनी प्यारी काव्या की चूत मारने की,.



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