Sunday, February 22, 2015

FUN-MAZA-MASTI नई जिन्दगी--1

FUN-MAZA-MASTI

नई जिन्दगी--1


 सुनिल २८ साल का नौजवान था , सुनिल का बापू की सुनिल १० साल का था तभी मौत हो गई सुनिल के बापू

एक फौजी थे अब सुनिल की मां ही उसका सबकुछ थी । सुनिल की मां सरला सुंदर गदराई औरत थी पर उसके

नसिब मे पति सुख था ही नही । सरला बडी शरमीली औरत थी ,वो सुनिल से भी सहमी-सहमी रहती थी ।

सुनिल एक कंपनी में काम करता था। सुनिल का कॉलेज से सरीता से अफेयर चल रहा था और उसका परीमान

जायज था शादी सुनिल ने सरीता से जॉब लगते ही शादी करली दोनो एक दुसरे से बेतहा प्यार करते थे पर ईनके

आगे की जिन्दगी के बारे मे जो हुआ वो कीसी ने सोचा न था । सरीता और सुनिल की जिन्दगी शादी के बाद

बडी अच्छी गुजर रही थी । सरीता सुंदर लडकी थी और सुंदर औरत पर पराये मर्द हमेशा नजरे टीकाये रहते है।

सुनिल सरीता को काम की वजह से वक्त नही दे पाता था । शादी के १ साल बाद सरीता पेट से हुई उसने एक

लडके को जन्म दीया उसका नाम रवी रखा गया ,रवी लगभग एक साल का होने तक सब ठीक चलता रहा ।

सरीता को रोज फोन आते थे और घंटो बाते चलती सरला के पुछ ने पर वो कॉलेज के दोस्त का कह के टाल देती।

सुनिल को भी शक होने लगा और जीस दीन सुनिल को सरीता के मजनू के बारे मे पता चला तो घर मे झगडे

होने लगे ।

अचानक एक दीन शाम को जब सुनिल देर रात घर आया

सरला- आ गया बेटा

सुनिल- हां मां, सरीता कहा है दीखाई नही देती

सरला- दोपहर कहके गई मायके जा रही है।

सुनिल- क्या कह रही हो मां मुझे बताये बगैर वो भी रवी को यही छोड कर।

सरला- आ जाएगी बेटा तू चिंता मत कर

सुनिल ने भी चिंता छोडी और कुछ देर आराम कर लिया उसने सरीता को फोन लगाना शुरू कीया पर वो

स्वीच ऑफ आने लगा

तभी सुनिल को अलमारी के पास एक चिठ्ठी मीली उसे पढ कर सुनिल कुछ देर खामोश रहा कुछ देर बाद वहा

सरला आई

सरला- बेटा सरीता को फोन लगा

सरला अनपढ थी इसलिए सरला ने सुनिल को हाथ मे थामी चीठ्ठी के बारे मे पुछा

तो सुनिल गालीया देने लगा।

सुनिल- साली कुतिया, चिनाल मुझे पता था वो यही करेगी

सरला डर गई उसे पता नही चला सुनिल क्यू गालीयां दे रहा है ।

सरला- ककक क्या हुआ बेटा

सुनिल- मां वो चिनाल मुझे छोड कर चली गई

सरला- क्या मतलब

सुनिल- उस रंडी का लफडा चल रहा था एक के था उसी के साथ वो भाग गई

सुनिल की आंखे लाल और नम हो गई थी

सरला सुनिल के पास बैठ गई

सरला- हाय राम क्या जमाना आगया है ये आजकल की लडकीया ऐसा कर भी कैसे लेती है

रातभर दोनो सदमे मे हे रहे तकरीबन दो हफ्ते बीत गये सरीता के सुनिल को छोड जाने की खबर मोहल्ले मे

हवा की तरह फैल गई सब तरह की बाते फैलने लगी कुछ लोग दुख जाहीर करने लगे तो कुछ सुनिल एक औरत

को तक संभाल नही सकता तो कुछ सुनिल के नामर्दी की खबरे जो जीसके मुंह मे आये सुनिल के बारे मे बक

देता । ईस सब से सुनिल बडा उब चुका था वो बडी निराशा मे आ चुका था । ईसी के चलते वो दुसरे शहर रहने

लगा और वही काम करने लगा ।

नया शहर नये लोग सुनिल के लिए नये थे ही पर बेचारी सीधी साधी सरला के लिए तो नई दुनिया थी ।

सुनिल की सक्त हीदायत थी सरला को की वो कीसी से दोस्ती ना करे और कीसी को सुनिल की बीवी के बारे मे ना बताये ।



 सरला रवी का सगी मां की तरह खयाल रखती थी । यह देखकर सुनिल को बडा अच्छा लग रहा था पर दुसरी

तरफ उसकी रात की तनहाई शराब ने लेली वो रातभर शराब के नशे मे डुबा रहता ये हालत सरला को असहनिय

थी ।

सरला के लाख समजाने से भी सुनिल शराब ना छोडता

एक दीन सरला घर अकेली थी दोपहर का समय था रवी निंद से जागा जोर जोर से रोने लगा ये देख पडोस की

औरत दरवाजे के पास आई

कवीता- अरे काय झाल कीती रडतय पोर (अरे क्या हुआ कीतना रो रहा है बच्चा)

सरला चुप रही और रवी को लेकर थपथपाने लगी

कवीता- अय्या कीती गोड आहे हा (कीतना सुंदर है बच्चा) ,मै कवीता आपके बाजू ही रहती हूं आपका नाम क्या

है ।

सरला- सरला, सरला है मेरा नाम

कवीता- क्या हुआ बच्चा बडा रो रहा है

सरला- हा वो उसे दुध चाहीये ना

कवीता- आपका बच्चा है ना ये

सरला बडी दुवीधा मे फस गई और सरला के मुह से निकल पडा

सरला- अ हां

कवीता- बडी देर से बच्चा हुआ क्या आपको

सरला- अ हां...

कवीता- अरे कोई बात नही भगवान की मर्जी से ही होता है ये सब

सरला- हुम

कविता- आप बडी चुप चुप हो क्या हुआ, समझ गई दूध नही आया अभी तक अरे एक औरत ही औरत की

तकलिफ समझ सकती है । लाईये मुझे दीजीये मेरी बच्ची अब दूध नही पीती मै आपके बेटे को दूध पीला देती हूं


सरला- बडी मेहरबानी होगी

कविता- अरे मेहरबानी की क्या बात है, कुछ बच्चे तो तीन साल के होने तक दूध पीते है, वैसे भी दूध पीलाना

ही चाहीये बच्चे तंदूरूस्त रहते है ।

कविता ने अपनी चोली के हुक खोलके दूध पीलाने लगी

बेचारी सरला की ईस सब से उदासी बढ गई । कुछ देर बाद सरला कविता से कुछ-कुछ बातचीत करने लगी ।

कविता कुछ देर बाद वहां से चली गई ।

शाम हुई सुनिल थका हारा घर आया सरला कोने मे बैठी खिडकी की ओर कुछ घंटो पहले हुई घटना को याद कर

रही थी । उसकी आंख से आंसू बहने लगे । सुनिल ने ये देख लिया और वो खटीये पर सरला के पास आके बैठ

गया । उसने सरला का हाथ पकड लिया

सुनिल- क्या हुआ मां तेरे आंखो मे आंसू

सरला आंसू पोछती हुये

सरला- हमम क क्या आंसू कहा, कुछ भी तो नही, आ गया तू रूक में तेरे लिये कुछ खाने को लाती हूं ।

सरला रसोई जाती हैं ।

वक्त बीतता जाता है । रात हो जाती है ।

सरला रवी को गोद मे लिए सुलाती है । रवी सरला के चोली पे मुह लगाए चुसते सो जाता है ।

सुनिल ये सब देख रहा था । सुनिल सरला के पास आता है ।

सुनिल- माफ कर दे मां मुझे, मेरी वजह से तुझे तकलिफ हो रही है ।

सरला के आंसूओ का बांध तूटा












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