FUN-MAZA-MASTI
नई जिन्दगी--15
सुनिलने सरला की चुत की फांको को खोल दीया तो कीसी गुलाब की कली की तरह सरला की लाल चुत की
पंखुडीया
एक-एक करते खुलने लगी । सरला का लाल तना हुआ अंगूरदाना उपर निचे हो रहा था । सुनिलने झट से उसे
मुह मे भर लिया ।
सरला- आहहहहहहह उमममममम मां
मदहोश सरला को तो जैसे नशा चढने लगा वो अपने होट हाथों पे रगडने लगी । एक औरत का नाजूक लाल
अंगूरदाना
कीसी मर्द के मुंह मे चुसने पर वो कैसा महसूस कर रही होगी ये तो सरला ही जान सकती है । पर चेहरे पर जो
उत्तेजना के भाव दीखाई दे रहे थे उससे सरला बहोत उत्तेजीत हो रही थी इसका पता चल रहा था । सुनिल तो
मस्ती मे खट्टा मीठा नमकीन स्वाद लेकर उसे चुम रहा था बीच-बीच मे दात से काट रहा था ।
लपलपाती जीभ से सरला के बंद खुले होते रस छोडते छेद को चाटने लगा छेद के अंदर जीभ घुमाने लगा चाटने
लगा
जैसे सरला की चुत के अंदर शहद चिपका हो अंदर की मुलायम गीली चमडी तो मानो जीभ लगते ही शरमा रही
थी ।
लाल हुए जा रही थी , सुनिल का मन अब आम चखने का हुआ । बेचैन मदहोश नशिली आखों से सरला सुनिल
को देख रही थी ।
सरला के दो लंगडा आम हवा मे पेंग मारने लगे काले भुरे मनुके जैसे कहने लगे.... ए नटखट अंगुर का तो
स्वाद चख
लिया तुमने हमे क्यू भुल गये आओ अब हमारा भी तो स्वाद चखो मालकीन को पेट से करो फीर हम भी तुम्हे
गाढा दुध पीलाऐंगे चलो अब हमे मुह मे लिए चुसो और चुचिंया लाल होने तक हमे दातों से खिचो ।
सुनिल फडफाती चुचिंयों को एक-एक कर के मुंह मे कीसी रसिले आम की तरह दबा दबा कर चुसने लगा शायद
बचपन की तरह आज वो उनसे दुध पीने की चाह रखता था ।
मनेके तो दात गढाए बेरहमी से खिंचने लगा पुरे चुचें उपर उठ जाते और सरला चिल्लाई
सरला- उईईई ममममममां धीरररररे
आम चुसकर सुनिल मुखवास लेने के लिए जीभ सरला के मुंह मे छोडता है । सरला की शक्कर घुली लार चुसने
लगता है । आहहह कीतनी मीठी गाढी थी वो लार ।
सुनिलने अपने नाखून सरला के चुत्तर पे गढाने लगा और बेरहमी से मसलने लगा दबोचने लगा ।
सरला- आहहह आ
सरला सिसकाती लेटी रही सुनिलने मुह हटाया सरला हांफने लगी । सुनिलने सरला के पैर फैलाए और जांघो के
बीच बैठ गया ।
सुनिलने अपना लंड सरला के चिरे पर उपर निचे करने लगा ,
सरला- इससससस उमममममहहह
सरला के पुरे बदन मे बीजली दौडने लगी सुनिलने लंड का सुपडा छेद पर टीकाया और जोर से झटका मारा ।
पककक
करती आवाज के साथ सुपडा सरला की चुत मे ही अटक गया
सरला- हअ अ हहह आहहह हह
सुनिलने लंड वैसे ही अटका रहने दीया और हल्के झटके के साथ कुछ इंच अंदर घुसेड डाला और फीर अचानक
जोर से
झटके मारने लगा सरला होंट भींचती झटके सहने लगी सुनिल को दर्द मे भी मजे लेती सरला को देख जोश
बढने लगा और वो सरला के चुत्तर मसल मसल के चुत के जड तक लंड घुसाने लगा ।
सरला- उआहहह आई उईईई माई ररररररे बबबबबेटा धीररररे उहहहह
सुनिल- ररररानी मजजजजे ले जजजीतना दीनननन चुदाई करररे गी उतने ही जजजल्द पेट से होगी
सरला विजय के मुह से ये सुनकर शरमाती है । विजय उसकी शरम से सब समझ जाता है की सरला कीतनी
उत्सुक है आने वाले दीनों के लिए।
सरला- आहहहह आहहह
सुनिल- घुसा जड तक
सरला- इईईई आ इईईईइईईईइईईई ह
सुनिल- बता ना रानी घुसा जड तक
सरला- उमममम आहहहह आ आ इईईईइईईईइईईई
सुनिल- बताती क्यू नही, ये ले झटका अपने आने वाले बच्चे के लिए
सरला- इईईईइईईईइईईई
सुनिल- ले झटका हहहहा
सरला अब जोर जोर से चिल्लाने लगी
सुनिल- ओ ओ ओले मेरी जान दरद हो रहा है सह ले मेरी जान रवी को देख तू उसकी मां है ना उसे भी तो भुक
लगती है तू मीटाएगी ना हमारे बेटे की भुक को मेरी रानी उसी के लिए हम ये कर रहे है मेरी जान उममममह
उममम तू सब मां से बढकर है रानी ।
रोती बीलगती सरला रवी की ओर देख कर शांत हो गई , उसके आंसू थम गये । ममता प्यार लगाव बडे से बडे
आंधी तुफान का सामना करने की ताकद देता ।
सुनिल- मै तुझे फीर औरत होने का एहसास दूंगा रानी तेरी कोख फीर मै खुशींयो से भर दूंगा, तु बनना चाहेगी
ना फीर एक बार मां ।
जो अहसास सरला को मिलन करते समय हो रहा था वो सरला अपने हसिन पलों मे कैद कर रखने लगी । वो
ऐसी यादें थी जो वो बस मन मे कैद कर सकती थी कीसी और औरत को तक बयान नही कर सकती थी । ना
जाने क्यू
पर सुनिल के साथ मिलन को वो हमेशा आतूर रहने लगी उसके पहले पती की यादें धूंदली पडने लगी ।
अब चुदाई के बारे मे सोचती तो सुनिल का लंड ही उसके आंखो के सामने आ जाता । सुनिल मे वो असल मर्द
की छवी देखने लगी । जो उसके प्यासे बदन को पाणी पीला सकता था । मन की गहराई मे दबी चाहते पूरी कर
सकता था ।
सरला झटके सहती रवी को देखकर अपने पुराने मां बनने के दीन याद करने लगी जब सुनिल को उसने जनम
दीया
था और एक आज का दीन था जब वही मां बनने का खास एहसास उसकी कोख से जनमा सुनिल उसे देने जा
रहा था
इसलिए सरला को अपने आप को दुसरी औरतो से अलग होने का एहसास होने लगा ।
दोनो एक दुसरे के बदन का भोग लगा रहे थे आजतक कभी सुनिलने गदराई औरत के बदन का मजा नही चखा
था
इसलिए दो दीन से सरला के मुलायम बदन को भींचते हुए मजे ले रहा था , सरला की भी अजिब दास्तान थी
इतने खुबसुरत बदन की मालकीन सरला जीसकी जवानी बीना पती के सहवास से बीत गई और इतने सालों
बाद उसकी
जवानी को उसी का जवान बेटा आज ताव मार कर मस्ती से चख रहा था जैसे दोनो एक दुसरे के लिए ही बने थे
,दोनो जिस्म प्यासे थे ।
हवस की लपटों मे दोनो बदन जल रहे थे , इसलिए आग दोनो तरफ थी , दस मिनट बाद सुनिल झरने लगा
सरला भी दो बार झड चुकी थी ।
सुनिल- आहहहह ले मेरी रानी सरला तेरे पति का पानी तेरी कोख मे
दोनो एक दुसरे को लिपटे चुमते सो गये।
दीन गुजरने के साथ नजदीकीया और बढने लगी दोनो सच्चे प्रेमी बनने लगे पुराने सारे रीश्ते धुंदले होने लगे ।
दोनो हरदीन एक दुसरे के साथ मिलन को बेचैन रहने लगे ।
वक्त के साथ सरला की शरम भी कम होने लगी उसने सुनिल को अपना सबकुछ मान लिया था । करोडों लोगों
के सपनो के शहर मे हर कीसी का एक आशियाना था, हर कोई एक सपना उनकी उम्मिद से भरी नजरों से
देखता था,
एक आशियाना इन दो परींदो का भी था अनजान शहर मे अनजान गलियों मे दोनों ने अपना छोटा सा सुखी
संसार बना लिया था और वही उम्मिद से भरी नजरों दोनो अपनी नई जिन्दगी का सपना देखने लगे ।
सरला सुनिल को फोन लगाती है । और बडे ही नाजूक शरारती आवाज मे पूछती है । सुनिल तुरंत ऑफीस से
बार आकर फोन उठाता है ।
सरला- ए कहां हो
सुनिल- जान कुछ घंटो की बात है । बडा तडपाती है तू
सरला- उन चल झुटा
सुनिल- झुट क्यू बोलूंगा जान
सरला- काम पे तो बहोत होंगी औरते तेरी चाहने वाली
सुनिल- तेरी कसम राणी जब से तुने तेरा बदन मेरे हवाले कर दीया है । कीसी और औरत को देखता तक नही
मै ।
सरला- हमममम सच
सुनिल- तेरी कसम राणी, सुन ना जरा मेरे प्यारे कबूतरों को जरा दबा
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नई जिन्दगी--15
सुनिलने सरला की चुत की फांको को खोल दीया तो कीसी गुलाब की कली की तरह सरला की लाल चुत की
पंखुडीया
एक-एक करते खुलने लगी । सरला का लाल तना हुआ अंगूरदाना उपर निचे हो रहा था । सुनिलने झट से उसे
मुह मे भर लिया ।
सरला- आहहहहहहह उमममममम मां
मदहोश सरला को तो जैसे नशा चढने लगा वो अपने होट हाथों पे रगडने लगी । एक औरत का नाजूक लाल
अंगूरदाना
कीसी मर्द के मुंह मे चुसने पर वो कैसा महसूस कर रही होगी ये तो सरला ही जान सकती है । पर चेहरे पर जो
उत्तेजना के भाव दीखाई दे रहे थे उससे सरला बहोत उत्तेजीत हो रही थी इसका पता चल रहा था । सुनिल तो
मस्ती मे खट्टा मीठा नमकीन स्वाद लेकर उसे चुम रहा था बीच-बीच मे दात से काट रहा था ।
लपलपाती जीभ से सरला के बंद खुले होते रस छोडते छेद को चाटने लगा छेद के अंदर जीभ घुमाने लगा चाटने
लगा
जैसे सरला की चुत के अंदर शहद चिपका हो अंदर की मुलायम गीली चमडी तो मानो जीभ लगते ही शरमा रही
थी ।
लाल हुए जा रही थी , सुनिल का मन अब आम चखने का हुआ । बेचैन मदहोश नशिली आखों से सरला सुनिल
को देख रही थी ।
सरला के दो लंगडा आम हवा मे पेंग मारने लगे काले भुरे मनुके जैसे कहने लगे.... ए नटखट अंगुर का तो
स्वाद चख
लिया तुमने हमे क्यू भुल गये आओ अब हमारा भी तो स्वाद चखो मालकीन को पेट से करो फीर हम भी तुम्हे
गाढा दुध पीलाऐंगे चलो अब हमे मुह मे लिए चुसो और चुचिंया लाल होने तक हमे दातों से खिचो ।
सुनिल फडफाती चुचिंयों को एक-एक कर के मुंह मे कीसी रसिले आम की तरह दबा दबा कर चुसने लगा शायद
बचपन की तरह आज वो उनसे दुध पीने की चाह रखता था ।
मनेके तो दात गढाए बेरहमी से खिंचने लगा पुरे चुचें उपर उठ जाते और सरला चिल्लाई
सरला- उईईई ममममममां धीरररररे
आम चुसकर सुनिल मुखवास लेने के लिए जीभ सरला के मुंह मे छोडता है । सरला की शक्कर घुली लार चुसने
लगता है । आहहह कीतनी मीठी गाढी थी वो लार ।
सुनिलने अपने नाखून सरला के चुत्तर पे गढाने लगा और बेरहमी से मसलने लगा दबोचने लगा ।
सरला- आहहह आ
सरला सिसकाती लेटी रही सुनिलने मुह हटाया सरला हांफने लगी । सुनिलने सरला के पैर फैलाए और जांघो के
बीच बैठ गया ।
सुनिलने अपना लंड सरला के चिरे पर उपर निचे करने लगा ,
सरला- इससससस उमममममहहह
सरला के पुरे बदन मे बीजली दौडने लगी सुनिलने लंड का सुपडा छेद पर टीकाया और जोर से झटका मारा ।
पककक
करती आवाज के साथ सुपडा सरला की चुत मे ही अटक गया
सरला- हअ अ हहह आहहह हह
सुनिलने लंड वैसे ही अटका रहने दीया और हल्के झटके के साथ कुछ इंच अंदर घुसेड डाला और फीर अचानक
जोर से
झटके मारने लगा सरला होंट भींचती झटके सहने लगी सुनिल को दर्द मे भी मजे लेती सरला को देख जोश
बढने लगा और वो सरला के चुत्तर मसल मसल के चुत के जड तक लंड घुसाने लगा ।
सरला- उआहहह आई उईईई माई ररररररे बबबबबेटा धीररररे उहहहह
सुनिल- ररररानी मजजजजे ले जजजीतना दीनननन चुदाई करररे गी उतने ही जजजल्द पेट से होगी
सरला विजय के मुह से ये सुनकर शरमाती है । विजय उसकी शरम से सब समझ जाता है की सरला कीतनी
उत्सुक है आने वाले दीनों के लिए।
सरला- आहहहह आहहह
सुनिल- घुसा जड तक
सरला- इईईई आ इईईईइईईईइईईई ह
सुनिल- बता ना रानी घुसा जड तक
सरला- उमममम आहहहह आ आ इईईईइईईईइईईई
सुनिल- बताती क्यू नही, ये ले झटका अपने आने वाले बच्चे के लिए
सरला- इईईईइईईईइईईई
सुनिल- ले झटका हहहहा
सरला अब जोर जोर से चिल्लाने लगी
सुनिल- ओ ओ ओले मेरी जान दरद हो रहा है सह ले मेरी जान रवी को देख तू उसकी मां है ना उसे भी तो भुक
लगती है तू मीटाएगी ना हमारे बेटे की भुक को मेरी रानी उसी के लिए हम ये कर रहे है मेरी जान उममममह
उममम तू सब मां से बढकर है रानी ।
रोती बीलगती सरला रवी की ओर देख कर शांत हो गई , उसके आंसू थम गये । ममता प्यार लगाव बडे से बडे
आंधी तुफान का सामना करने की ताकद देता ।
सुनिल- मै तुझे फीर औरत होने का एहसास दूंगा रानी तेरी कोख फीर मै खुशींयो से भर दूंगा, तु बनना चाहेगी
ना फीर एक बार मां ।
जो अहसास सरला को मिलन करते समय हो रहा था वो सरला अपने हसिन पलों मे कैद कर रखने लगी । वो
ऐसी यादें थी जो वो बस मन मे कैद कर सकती थी कीसी और औरत को तक बयान नही कर सकती थी । ना
जाने क्यू
पर सुनिल के साथ मिलन को वो हमेशा आतूर रहने लगी उसके पहले पती की यादें धूंदली पडने लगी ।
अब चुदाई के बारे मे सोचती तो सुनिल का लंड ही उसके आंखो के सामने आ जाता । सुनिल मे वो असल मर्द
की छवी देखने लगी । जो उसके प्यासे बदन को पाणी पीला सकता था । मन की गहराई मे दबी चाहते पूरी कर
सकता था ।
सरला झटके सहती रवी को देखकर अपने पुराने मां बनने के दीन याद करने लगी जब सुनिल को उसने जनम
दीया
था और एक आज का दीन था जब वही मां बनने का खास एहसास उसकी कोख से जनमा सुनिल उसे देने जा
रहा था
इसलिए सरला को अपने आप को दुसरी औरतो से अलग होने का एहसास होने लगा ।
दोनो एक दुसरे के बदन का भोग लगा रहे थे आजतक कभी सुनिलने गदराई औरत के बदन का मजा नही चखा
था
इसलिए दो दीन से सरला के मुलायम बदन को भींचते हुए मजे ले रहा था , सरला की भी अजिब दास्तान थी
इतने खुबसुरत बदन की मालकीन सरला जीसकी जवानी बीना पती के सहवास से बीत गई और इतने सालों
बाद उसकी
जवानी को उसी का जवान बेटा आज ताव मार कर मस्ती से चख रहा था जैसे दोनो एक दुसरे के लिए ही बने थे
,दोनो जिस्म प्यासे थे ।
हवस की लपटों मे दोनो बदन जल रहे थे , इसलिए आग दोनो तरफ थी , दस मिनट बाद सुनिल झरने लगा
सरला भी दो बार झड चुकी थी ।
सुनिल- आहहहह ले मेरी रानी सरला तेरे पति का पानी तेरी कोख मे
दोनो एक दुसरे को लिपटे चुमते सो गये।
दीन गुजरने के साथ नजदीकीया और बढने लगी दोनो सच्चे प्रेमी बनने लगे पुराने सारे रीश्ते धुंदले होने लगे ।
दोनो हरदीन एक दुसरे के साथ मिलन को बेचैन रहने लगे ।
वक्त के साथ सरला की शरम भी कम होने लगी उसने सुनिल को अपना सबकुछ मान लिया था । करोडों लोगों
के सपनो के शहर मे हर कीसी का एक आशियाना था, हर कोई एक सपना उनकी उम्मिद से भरी नजरों से
देखता था,
एक आशियाना इन दो परींदो का भी था अनजान शहर मे अनजान गलियों मे दोनों ने अपना छोटा सा सुखी
संसार बना लिया था और वही उम्मिद से भरी नजरों दोनो अपनी नई जिन्दगी का सपना देखने लगे ।
सरला सुनिल को फोन लगाती है । और बडे ही नाजूक शरारती आवाज मे पूछती है । सुनिल तुरंत ऑफीस से
बार आकर फोन उठाता है ।
सरला- ए कहां हो
सुनिल- जान कुछ घंटो की बात है । बडा तडपाती है तू
सरला- उन चल झुटा
सुनिल- झुट क्यू बोलूंगा जान
सरला- काम पे तो बहोत होंगी औरते तेरी चाहने वाली
सुनिल- तेरी कसम राणी जब से तुने तेरा बदन मेरे हवाले कर दीया है । कीसी और औरत को देखता तक नही
मै ।
सरला- हमममम सच
सुनिल- तेरी कसम राणी, सुन ना जरा मेरे प्यारे कबूतरों को जरा दबा
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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