FUN-MAZA-MASTI
नई जिन्दगी--16
सरला- मतलब
सुनिल- अरे राणी चुचिंया दबा
सरला हल्के अपनी चुचियां दबाती है ।
सुनिल- मजा आया
सरला- हमम
सुनिल- चल एक चुम्मा दे दे जल्दी
सरला- मै नही जा
सुनिल- बडी तडपाती है तू जल्दी दे
सरला- उममममममहहहह
सुनिल- आहहहहा सुनने मे ही इतना मीठा लग रहा है चखने मे तो गजब का मजा आएगा । जान मै आ रहा हू
तेरे
पास दौडे-दौडे तुझे गोदी मे लेने उमममममहहह ।
और फोन रख देता है ।
शाम को बंद कमरे मे सुनिल सरला को गोद मे बीठाये उसके मस्त गदराये बदन को मसल-मसल के मजे ले
रहा था
और गंदे गानों की सीडी लगाकर देख रहा था । सरला नजर झुकाये तीरछी नजरों से टीवी पर चल रहे गानों पर
नजर डाल रही थी लालच भरी निगाहें रोक नही पा रही थी वो ।
दोनो मम्मों को चोली से बाहर निकाल कर सुनिल हीला रहा था । सरला जीभ होटों फेर रही थी होंट काट रही थी
सिसका रही थी, सरला पागल हुई जा रही थी सरला की चुचींया हवा मे पेंग मार रही थी ।
सुनिल अपना हाथ सरला की साडी के अंदर डालकर चुत को जोर जोर से मुठ मे भर कर मसल रहा था ।
सुनिल- आहहहह क्या मस्त नरम गदराई चुत है तेरी राणी
सरला- उमममहहह आहहह छोड ना
सुनिल- ए जान अभी देगी क्या
सरला ना मे सर हीलाए
सरला- उन हू
सुनिल- कुछ मिनट का तो काम है
सरला- ना बाबा अभी नही, रात मे
सुनिल- सोच ले रात मे तेरी बहोत कुटाई होगी हां
सरला सीर झुकाए हसने लगी
सुनिल- अरे मेरी रानी तू इतनी मस्त शरमाती है की तुझे चुसने का मन करता है तेरे ये गाल बिल्कुल सेब की
तरह
लाल हो जाते है । वो टीवी मे देख हीरोईनी को हीरो कैसे बदन मसलवाकर मजे करा रहा है।
सरला शरमाती टीवी की ओर देखने लगी
सुनिल- अरे शरमाती काहे है दोनो प्यार ही तो कर रहे है वो भी चुम्मा-चाटी वाला । कल तो वो वाली सीडी लाने
वाला हूं जो रोज हम रात मे करते है फीर वो कैसे देखेगी ।
अचानक रवी जोर से रोने लगा
सरला- छोडी ना बीटवा रो रहा है ,ओरे रे मेरा बेटा रूक मै आई मेरे सोना।
सरला सुनिल की कैद से आझाद हो कर रवी के पास चली गई रवी को गोद मे सुलाए बोतल मे भरा हुआ दुध
पीलाने लगी । सुनिल खटीया से उठकर सरला के पास जा बैठा रवी के गाल खिंचते हुए कहने लगा ।
सुनिल- क्यू ले बदमाश तेरे पापा को मां के साथ मजे करते देख जलन होती है तुझे, तेरे ही लिए तो तेले पापा
और
मम्मा इतनी मेहनत कर रहे है ताकी तू मम्मा का मीठा मीठा दूदू पी सके ।
सरला- छी हटटट कुछ भी बोलता है
सुनिल ने रवी का हाथ पकडा और चोली के बाहर लटकते सरला के मम्मो पर दबाने लगा
सुनिल- देख बेटा दबाके कीतने नरम मुलायम है तेरे अम्मा के ये दूदू
सरला सुनिल का हाथ हटाने लगी
सरला- छी कुछ भी सीखाता है बच्चे को जा यहां से, रवी को दूध पीलाने दे ।
सुनिल- एक चुम्मा दे फीर चला जाउंगा।
सरला- तु नही मानेगा
सरला ने आंखे बंद कर ली और होट सुनिल की तरफ बढाने लगी, सुनिल सरला के मादक होट देखने लगा।
सरला- अरे जल्दी कर ना
सुनिल ने दोनो होंट झटसे मुंह मे भर लिए और कीसी चाकलेट की तरह चुसने और चबाने लगा । वो बाद मे
उसके होट काटने लगा
सरला- आहहह ई बस ना
सरला ने होट सुनिल से अलग कर दीये
सरला- ईससस आहहहह पुरा खुन निकाल देते हो होट काट के फीर कविता पुछती है दीदी होट कैसे सुज गये
सुनिल- तो बता दे उसे मैने तेरे होट चुस-चुस के सुजा दीये है । वो समझ जाए गी मै तुझ से कीतना ज्यादा
प्यार करता हूं वो।
सरला शरम से लाल हो गई ।
दरवाजे पर ठकठक हुई सरला ने लटकती चुचियां झट से ब्लाउज मे छुपा ली और बीखरी साडी सवांरली सुनिल ने भी कपडे ठीक करके दरवाजा खोल दीया ।
हमेशा की तरह कविता थी । कविता अंदर आई ।
कविता- ईतनी देर लगादी दरवाजा खोलने मे, क्या चल क्या रहा था दोनो का हां ।
सरला- ककक कुछ नही वो रवी को शांत कर रही थी बडा रो रहा था ।
कविता- ओ हो हो रवी को शांत कर रही थी या भैया को
सुनिल सरला की ओर देख आंख मारने लगा ।
सरला- चल हट पगली कुछ भी बोलती रहती है ।
कविता- अरे दीदी मै कोई पराई हू जो छुपा रही हो । कोई गुनाह थोडी ना कर रही थी जो छुपा रही हो आप अपने
पती कोही तो शांत कर रही थी । पती के साथ मस्ती करना कोई गुनाह है क्या । वैसे भी आपके बाल बीखरे है और
ब्लाऊज का बटन भी खुला है । इससे पता चलता है बडे जोरो के मजे चल रहे थे बंद कमरे मे ।
सरला कविता का कहना सुनके चौक गई उसने झट से चोली का बटन लगाया और बाल सवारे ।
कविता- भैया मै बडी नाराज हूं आपसे मेरी बेचारी दीदी को कीतना परेशान करते हो आप देखो कीतना डर गई है ।
सुनिल- वही तो मै उसे कहता हूं । यह शहर है , यहां कौन है हमे रोकने वाला । सारा डर छोड के प्यार करेंगे तो
शहर की जिंदगी का मजा लेंगे तो ये डरती रहती है ।
कविता- अरे दीदी मस्त मजे करो दोनो हर कोई रात को यही तो करता है । मै तो बाबा डाईरेक्ट बोलने वाली
औरत
हूं । अरे दीदी भैया जैसे मस्त पति मिले है आपको जो इतना प्यार करते है आपको आपको तो मजे से रहना
चाहीये
। चलो मैं चलती हूं मजे करते रहो । भैया लगे रहो पर मेरी दीदी को ज्यादा परेशान मत करना हा कह देती हूं ।
सुनिलने दरवाजा लगा दीया , सरला शरम से सर छुकाये बैठी थी । सुनिल उसके पास जा बैठा ।
सुनिल- ए मेरी मधुबाला काहे सरमाती है बैठ मेरी गोदी मे बडा प्यार करेंगे
सरला- हट बेसरम मै नही जा
दोनो कुछ देर प्यार करने के बाद एक ही थाली मे एक दुसरे को अपने हाथों से खाना खिलाने लगे । वक्त की
टीक-टीक थम सी जाती थी दोनों की बाहों मे ।
नजरे नजरों से मानो कह रही हो....
जिन्दगी से ना कोई शिखवा था उन्हे ना कोई शिकायत, बस हर पल को जीना ही उन्हे जिन्दगी ने सिखाया था ,
प्यार की चाहत थी दोनो मे हरपल, अन्धेरे मे बीता हरपल उन्हे रौशनी से मिटाना था । अतित के काले कोहरे मे
सिमट ना जाए जिन्दगी । इस लिए रौशनी का शौक वो रखते थे ।
नम आखों से सपने बडे देखें थे । जो सपने ही रह गये ।
आज एक और सपना ईन प्यासी आंखो को देखने दो । अभी तो रात बस शूरू ही हुई है । सवेरा तो होने दो ।
आधे अधूरे ख्वाब जो पुरे ना हो सके । इस बार फीर इन परींदो को वो ख्वाब पुरे करने दो ।
चाहत बस यही थी जमाने से दोनो की हमें हरपल को जीने दो ।
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नई जिन्दगी--16
सरला- मतलब
सुनिल- अरे राणी चुचिंया दबा
सरला हल्के अपनी चुचियां दबाती है ।
सुनिल- मजा आया
सरला- हमम
सुनिल- चल एक चुम्मा दे दे जल्दी
सरला- मै नही जा
सुनिल- बडी तडपाती है तू जल्दी दे
सरला- उममममममहहहह
सुनिल- आहहहहा सुनने मे ही इतना मीठा लग रहा है चखने मे तो गजब का मजा आएगा । जान मै आ रहा हू
तेरे
पास दौडे-दौडे तुझे गोदी मे लेने उमममममहहह ।
और फोन रख देता है ।
शाम को बंद कमरे मे सुनिल सरला को गोद मे बीठाये उसके मस्त गदराये बदन को मसल-मसल के मजे ले
रहा था
और गंदे गानों की सीडी लगाकर देख रहा था । सरला नजर झुकाये तीरछी नजरों से टीवी पर चल रहे गानों पर
नजर डाल रही थी लालच भरी निगाहें रोक नही पा रही थी वो ।
दोनो मम्मों को चोली से बाहर निकाल कर सुनिल हीला रहा था । सरला जीभ होटों फेर रही थी होंट काट रही थी
सिसका रही थी, सरला पागल हुई जा रही थी सरला की चुचींया हवा मे पेंग मार रही थी ।
सुनिल अपना हाथ सरला की साडी के अंदर डालकर चुत को जोर जोर से मुठ मे भर कर मसल रहा था ।
सुनिल- आहहहह क्या मस्त नरम गदराई चुत है तेरी राणी
सरला- उमममहहह आहहह छोड ना
सुनिल- ए जान अभी देगी क्या
सरला ना मे सर हीलाए
सरला- उन हू
सुनिल- कुछ मिनट का तो काम है
सरला- ना बाबा अभी नही, रात मे
सुनिल- सोच ले रात मे तेरी बहोत कुटाई होगी हां
सरला सीर झुकाए हसने लगी
सुनिल- अरे मेरी रानी तू इतनी मस्त शरमाती है की तुझे चुसने का मन करता है तेरे ये गाल बिल्कुल सेब की
तरह
लाल हो जाते है । वो टीवी मे देख हीरोईनी को हीरो कैसे बदन मसलवाकर मजे करा रहा है।
सरला शरमाती टीवी की ओर देखने लगी
सुनिल- अरे शरमाती काहे है दोनो प्यार ही तो कर रहे है वो भी चुम्मा-चाटी वाला । कल तो वो वाली सीडी लाने
वाला हूं जो रोज हम रात मे करते है फीर वो कैसे देखेगी ।
अचानक रवी जोर से रोने लगा
सरला- छोडी ना बीटवा रो रहा है ,ओरे रे मेरा बेटा रूक मै आई मेरे सोना।
सरला सुनिल की कैद से आझाद हो कर रवी के पास चली गई रवी को गोद मे सुलाए बोतल मे भरा हुआ दुध
पीलाने लगी । सुनिल खटीया से उठकर सरला के पास जा बैठा रवी के गाल खिंचते हुए कहने लगा ।
सुनिल- क्यू ले बदमाश तेरे पापा को मां के साथ मजे करते देख जलन होती है तुझे, तेरे ही लिए तो तेले पापा
और
मम्मा इतनी मेहनत कर रहे है ताकी तू मम्मा का मीठा मीठा दूदू पी सके ।
सरला- छी हटटट कुछ भी बोलता है
सुनिल ने रवी का हाथ पकडा और चोली के बाहर लटकते सरला के मम्मो पर दबाने लगा
सुनिल- देख बेटा दबाके कीतने नरम मुलायम है तेरे अम्मा के ये दूदू
सरला सुनिल का हाथ हटाने लगी
सरला- छी कुछ भी सीखाता है बच्चे को जा यहां से, रवी को दूध पीलाने दे ।
सुनिल- एक चुम्मा दे फीर चला जाउंगा।
सरला- तु नही मानेगा
सरला ने आंखे बंद कर ली और होट सुनिल की तरफ बढाने लगी, सुनिल सरला के मादक होट देखने लगा।
सरला- अरे जल्दी कर ना
सुनिल ने दोनो होंट झटसे मुंह मे भर लिए और कीसी चाकलेट की तरह चुसने और चबाने लगा । वो बाद मे
उसके होट काटने लगा
सरला- आहहह ई बस ना
सरला ने होट सुनिल से अलग कर दीये
सरला- ईससस आहहहह पुरा खुन निकाल देते हो होट काट के फीर कविता पुछती है दीदी होट कैसे सुज गये
सुनिल- तो बता दे उसे मैने तेरे होट चुस-चुस के सुजा दीये है । वो समझ जाए गी मै तुझ से कीतना ज्यादा
प्यार करता हूं वो।
सरला शरम से लाल हो गई ।
दरवाजे पर ठकठक हुई सरला ने लटकती चुचियां झट से ब्लाउज मे छुपा ली और बीखरी साडी सवांरली सुनिल ने भी कपडे ठीक करके दरवाजा खोल दीया ।
हमेशा की तरह कविता थी । कविता अंदर आई ।
कविता- ईतनी देर लगादी दरवाजा खोलने मे, क्या चल क्या रहा था दोनो का हां ।
सरला- ककक कुछ नही वो रवी को शांत कर रही थी बडा रो रहा था ।
कविता- ओ हो हो रवी को शांत कर रही थी या भैया को
सुनिल सरला की ओर देख आंख मारने लगा ।
सरला- चल हट पगली कुछ भी बोलती रहती है ।
कविता- अरे दीदी मै कोई पराई हू जो छुपा रही हो । कोई गुनाह थोडी ना कर रही थी जो छुपा रही हो आप अपने
पती कोही तो शांत कर रही थी । पती के साथ मस्ती करना कोई गुनाह है क्या । वैसे भी आपके बाल बीखरे है और
ब्लाऊज का बटन भी खुला है । इससे पता चलता है बडे जोरो के मजे चल रहे थे बंद कमरे मे ।
सरला कविता का कहना सुनके चौक गई उसने झट से चोली का बटन लगाया और बाल सवारे ।
कविता- भैया मै बडी नाराज हूं आपसे मेरी बेचारी दीदी को कीतना परेशान करते हो आप देखो कीतना डर गई है ।
सुनिल- वही तो मै उसे कहता हूं । यह शहर है , यहां कौन है हमे रोकने वाला । सारा डर छोड के प्यार करेंगे तो
शहर की जिंदगी का मजा लेंगे तो ये डरती रहती है ।
कविता- अरे दीदी मस्त मजे करो दोनो हर कोई रात को यही तो करता है । मै तो बाबा डाईरेक्ट बोलने वाली
औरत
हूं । अरे दीदी भैया जैसे मस्त पति मिले है आपको जो इतना प्यार करते है आपको आपको तो मजे से रहना
चाहीये
। चलो मैं चलती हूं मजे करते रहो । भैया लगे रहो पर मेरी दीदी को ज्यादा परेशान मत करना हा कह देती हूं ।
सुनिलने दरवाजा लगा दीया , सरला शरम से सर छुकाये बैठी थी । सुनिल उसके पास जा बैठा ।
सुनिल- ए मेरी मधुबाला काहे सरमाती है बैठ मेरी गोदी मे बडा प्यार करेंगे
सरला- हट बेसरम मै नही जा
दोनो कुछ देर प्यार करने के बाद एक ही थाली मे एक दुसरे को अपने हाथों से खाना खिलाने लगे । वक्त की
टीक-टीक थम सी जाती थी दोनों की बाहों मे ।
नजरे नजरों से मानो कह रही हो....
जिन्दगी से ना कोई शिखवा था उन्हे ना कोई शिकायत, बस हर पल को जीना ही उन्हे जिन्दगी ने सिखाया था ,
प्यार की चाहत थी दोनो मे हरपल, अन्धेरे मे बीता हरपल उन्हे रौशनी से मिटाना था । अतित के काले कोहरे मे
सिमट ना जाए जिन्दगी । इस लिए रौशनी का शौक वो रखते थे ।
नम आखों से सपने बडे देखें थे । जो सपने ही रह गये ।
आज एक और सपना ईन प्यासी आंखो को देखने दो । अभी तो रात बस शूरू ही हुई है । सवेरा तो होने दो ।
आधे अधूरे ख्वाब जो पुरे ना हो सके । इस बार फीर इन परींदो को वो ख्वाब पुरे करने दो ।
चाहत बस यही थी जमाने से दोनो की हमें हरपल को जीने दो ।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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