Thursday, February 5, 2015

FUN-MAZA-MASTI पापा प्लीज........25

FUN-MAZA-MASTI

 पापा प्लीज........25

 रूपा घर आते ही सीधी अपने रूम में गई... कनक और रूपा दोनों मिल के नई फोन की मां बहन एक करने में लग गई...कुछ देर बाद कनक वहां से निकल ली... और ये भी सुना दी रूपा को कि शाम में तमाचा जैसे ही कोई बात बतलाया मैं कॉल कर दूंगी...

उधर तमाचा लाल पीली कलर की रंग बिरंगी शर्ट और फटे चीटे फैशन वाले जींस पहन, आँखों पर बड़ी सी चश्मे, बाल किसी लहलहाती फसल की तरह बाएं दाएं होती हुई... गले में एक मफलर टाइप फंदे की तरह लपेटा हुआ, और कलाई पर चूड़ी की तरह ढ़ेर सारी चमकता हुआ... बाइक लिए खड़ा इंतजार कर रहा था...

सीमा भाभी के घर की गली 7 की तरह थी...पहले कुछ दूर सीधी चलो, फिर मुड़ो तो मेन रोड पर... तमाचा उस गली के मोड़ पर था... बिना मतलब खड़ा तो रह नहीं रह सकता था तो उसने झूठ मूठ किसी की चाटने फोन लगाया और चाटने लग गया....

इधर सीमा भाभी भी बन ठन गई थी... अब तो ऐसे लग रही थी मानो किसी की शादी में जा रही हो और दुल्हन की बेस्ट फ्रेंड हो... ये अक्सर दिखने को मिल ही जाती है कि दुल्हन से ज्यादा सुंदर उसकी सखी ही हो जाती है और बेचारा दुल्हा मन ही मन गाली देता रहता है,"शाली आज से पहले किस बिल में घुसी थी.. "

डीप लो कट ब्लाउज, जिनमें से एक कबूतर हमेशा की तरह बाहर झांकती हुई... बाल की एक मोटी लट बार बार गाल पर तिपकती जिसे सीमा भाभी अदा से कान पर चढ़ाती रहती... आँखों में पतली सी काजल, पल्लू पीछे तो गई थी पर दूसरे हाथ से पकड़ आगे कर ली ताकि पीछे वाले बड़ी नितम्ब की नागिन डांस देख सके...

होंठो पर चटक लाल रंग की लिपस्टिक, लाल रंग की ही साड़ी नेट वाली वो हल्की कढ़ाई वाली... जिससे अंदर की दूसरी कबूतर के साथ हर चीज साफ साफ झलक रही थी... हाईहील की सैंडल जिसमें नाखून पर लाल रंग नेल पॉलिश साफ साफ दिख रही थी...

एक हाथ चूड़ी से भरी थी जबकि दूसरी में बस एक कंगन... गले में मंगलसूत्र घाटियों के बीच झूल रही थी... सीमा भाभी आखिरी बार आइने रे सामने खड़ी हो खुद को निहारी और चल पड़ी बाहर...छन छन.. छन छन... आज तो लड़के घायल तो होंगे ही पर बुढ़ों का क्या होगा, राम जाने...

घर के कैम्पस से बाहर जैसे ही निकल गली में आगे बढ़ी कि उनकी नजर सीधे तमाचे से भिड़ गई... और तमाचा तो ऐसे चौंका मानों उसने दिन में किसी अद्भूत चीज देख ली हो... वो दूर से देखता ही रह गया... सीमा भाभी उसके नजर को ताड. गई और मन ही मन मुस्का दी कि थैंक गॉड, मेरी मेहनत बेकार नहीं गई...

तमाचा फोन पर बात करना भूल गया था... उधर से बार बार हैलो की आवाज आ रही थी...वो झल्ला कर गाली बकता हुआ फोन काट दिया और वापस नयन सुख करने मुड़ गया...सीमा भाभी अपनी हर अदा बारी बारी से निकाल आगे बढ़ी जा रही थी...

सीमा भाभी जब तमाचा के करीब से गुजरी तो तमाचा बेहोश सा हो बाइक पर लुढ़क गया... शाली इत्र भी क्या गजब की लगाती है... बिल्कुल दसफीटा सेंट है जो दस फीट दूर से अपनी रंगत दिखानी शुरू कर देती है...

तमाचा का मन तो हुआ कि तमाचा खा ले पर कनक की बात याद आ गई... पहले काम... फिर बाद में देखा जाएगा... जब तमाचा बेहोशी से बाहर हो पीथे पलटा तो नागिन की चाल में बलखाती सीमा भाभी मेन रोड तक गई और एक ऑटो में बैठ गई... तमाचा अब तक उन्हें घूरे ही जा रहा था...

जब ऑटो आगे बढ़ने को हुई तो सीमा भाभी वापस तमाचे की तरफ मुड़ी तो अंदर से वो कितनी खुश हुई कि पूछो मत... ये तो अब पक्का गया हुस्न के जाल में... ऑटो तब तक निकल गई...

ऑटो जाते ही तमाचा हड़बड़ा सा गया और "इ पैर भेल बाबू उ पैर लाबू..." की तरह चटपट बाइक नचाया और वापस मेन रोड पर उस ऑटो के पीछे... तमाचा अब ये सोचने पर मजबूर हो गया था कि सिर्फ लौण्डिया ही खूबसूरत नहीं होती... असली माल तो ऐसी भाभी ही है और वो शादी शुदा समझ कभी देखता भी नहीं था...

अब वो ये मिस हो रही चीज को मिस ना करने की ठान ली थी... करीब दस मिनट बाद ऑटो एक दुकान रे पास रूक गई... तमाचा दुकान का नाम पढ़ते थोड़ा आगे बढ़ एक पान की दुकान पर रूक गया... सीमा भाभी स्टूडियो के पास रूकी थी...

वो सीमा भाभी की हरकत पर नजर रख पान वाले से बोला,"राम राम भइया, एक टा सिगरेट दियो..." पान वाले भइया तमाचा की नजर का पीछा करते हुए सिगरेट देते हुए बोला...

पान वाला,"तमाचा भइया, ई गोरकी भौजी तऽ बड़ झक्कास छतिनऽ... कतऽ क छतिन आई पहिल बेर देखलौं हनऽ" तमाचा सिगरेट ले मुंह में डाल हल्के से मुस्कुरा कर बोला साथ में अंदर जाती सीमा भाभी से एक पल के लिए भी नजर नहीं हटाता था...

तमाचा,"कि जानियो भाई, हमरा तऽ इ खुड़खुड़िया में लौकलो... आगा पीछा ऊपर नीचा सगरो देह से रस टप टप गिरै छै... बहिनतोद गजब के माल छियऽ" तमाता पान वाले के साथ सुर ताल में जवाब देने लगा...

पान वाला,"हे रे भाई, तू तऽ कतेक छौड़ी सब कें चोदलै हं त हमर एगो बात मानऽ केहुना तू इ गरम भौजी के पटाउ... किया कि एकर चुची देखहीं बाप रौ कि गजब के एभरेस्ट लागै छै... अउर डांड़, माई गे... मन तऽ होइया एहऽजें बीच रोड पर कुतिया बना कऽ सटासट पेल दौं....बपचोदी के"

पान वाला अपनी बात खत्म कर मुस्कुराता हुआ आंहे भरने लग गया... तमाता सीमा भाभी की सुंदरता सुन हंसे बिना ना रह सका और साथ ही सिगरेट की कश लगाता बार बार उस जगह पर देख रहा था जहाँ से सीमा भाभी बाहर निकलती...

तमाचा,"एकदम सांच कहे छि भाई... हम तऽ बहुते छौड़िअन के सील तोड़ले छी मुदा एहन चीज आई तक नई देखलौं... सील टूटलो के बादोऽ शाली क निहारहि में लंड टनटना गेलौं... रूक, कुछ जोगाड़ लगबे छिऔ..."

पान वाला तमाचा की बात सुनते ही दांत निपोर कर हंसते हुए बोला,"हे भइया, कहीं पइट जेतों ना तऽ तेनके हमरो चिखा दिहा... तोरा जिनगी भर नाम लेबो... मुदा पहिल पहल तू मन भर कऽ खा लिहा..."


 तमाचा उसकी बात सुनते ही गाली देते हुए बोला,"तोरी बहिनी के, मेहनत हम करू आ फल तू खेबाऽ इ सब नई होतौ...तोरा लेल उने ताकऽ आम वाली ताके छौ बुर खोइल कऽ..जो आ घचाक से लौड़ा घुसा दीही..."

पान वाला तमाचा की बात सुनते ही मुंह लटका सा लिया और मायूस सा चेहरा बनाता हुआ बोला,"देख भाई, हम तोरा कतेब बेर कहियो कि उ हमरऽ गांम के बहिन लाछे छै... हम इ सब सोइचऽ नइ सके छियौ..."

तमाचा की नजर तब तक चमक गई...सीमा भाभी दुकान से बाहर आ रही थी...वो वहां से खिसकने की सोच जल्दी से सिगरेट बुझाया और सही जगह उसे फेंक दिया... फिर वो अपनी आखिरी बात कहते हुए बोला...

तमाचा,"देखऽ गांव के न छौ, सगा तऽ नई न छौ... शाला सगरो गांव सँऽ एना रिश्ता भजेबहिं तऽ लौंड़ा काइट कऽ पेटारी में रइख आ... तू बइठ कऽ सोच हम आबे छियौ उ ललकी भौजाई के देखने... उने से एबो तऽ तोरा से मिलबो... कि सोचे छि से कइह दिया...जाई छिऔ..."

तमाचा उसकी कोई बात सुनने से पहले बाइक पर बैठा और हुड़ीबाबा.... पान वाला वासना भरी निगाहों से अब सामने वाली को देखने लग गया... तमाचा सीमा भाभी के ऑटो के ठीक पीछे कुछ हट के चला जा रहा था...

तमाचा सोच रहा कि अब जाएगी... उस समय घर से काम के बहाने निकली होगी तो कुछ काम भी कर ली ताकि कोई घर पर पूछे नहीं... वो साथ ही इस इलाके के हर लौंडियाबाज लड़के,मर्द की सूरत अपने दिमाग में भी छापे जा रहा था कि कौन हो सकता है...

अचानक वो एक झटका सा खा गया... ऑटो वापस उनके गली के सामने रूकी और सीमा भाभी उतर के गली में घुस गई... वो गली के ठीक सामने आ सीमा भाभी को जाते बस देख रहा था... उसके दिमाग ने अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी.. शाली कनक, उल्लू बनाने के लिए मैं ही मिला था...

इसे मेरे से चुदवाने का के चक्कर में थी तो बोल देती सीधा कि पटा लो इन्हें.. फिर तो हमरी थप्पड़ बाबा की जय थी ही... वो टिमटिमाता हुआ बाइक मोड़ा और वापस चल दिया...

शाम हो चुकी थी... सूरज अब ऐसी प्रतीत हो रही थी कि अब डूबी कि तब डूबी... और ये वक्त कनक को काफी लुभाती है... वो जब घर पर होती तो ऐसे समय छत पर जा डूबते सूरज को निहारती रहती.. इस वक्त भी वो छत पर ही थी...

कान में इयरफोन ठूंसी... यो यो की फैन थी तो दूसरा गाना सुन सकती थी क्या...साथ में दूसर छत पर कुछ लड़के मधुमक्खी की तरह मंडराते नैन मटक्का करने की जुगत में था... पर कनक किसी को घास तक नहीं डालती यहाँ... हां थोड़ी सी आँख मिचौली जरूर कर लेती और एकाध बार गलती से मुस्कुरा दी तो फिर तो सबकी पार्टी तय... पार्टी कौन देगा ये कनक पर निर्भर थी कि मुस्कान वो किसे पास करती थी...

तभी कनक की रिंगटोन संगीत छेड़ने लगी... नजर स्क्रीन पर...तमाचा... वो चट से फोन रिसीव की और हैलो बोली...

तमाचा,"शाली रंडी, मैं तेरा जीजा हूँ क्या जो मजाक कर रही थी...बहिनतोद मुफ्त में टाइम वेस्ट करवा दी कुतिया... अब तो बिना तेल डाले गांड़ मारूंगा तेरी..." तमाचा फोन रिसीव होते ही शुरू हो गया...

कनक,"ओए बहन के यार, गांड़ में मिर्ची क्यों लग रही है... पहले बात तो बता आखिर हुआ क्या..."

तमाचा,"अबे यार हूंगा तेरी मां का... शाली जब पता नहीं रहता तो अपने दिमाग से कुछ भी सोच़ लेती है ...वो काम से गई थी और काम कर सीधी घर... समझी ना..."

कनक,"क्या? रूपा तो बताई थी कोई काम नहीं है... मतलब सीमा भाभी कह रही थी कि वो अपने दोस्त से मिलने जा रही है... और वो दोस्त अभी इस शहर में है ही नहीं..."

तमाचा ये सुन थोड़ा चौंका... अगर इसकी बात सही है तो फिर तो गड़बड़ है... वो अबकी कुछ गंभीर स्वर में बोला,"तो मतलब कहीं वो उसी स्टूडियो पर ही किसी से मिली होगी...शाला ये तो मैं सोचा ही नहीं..."

कनक,"शाले तुझे यही बात तो कह रही थी...और तू है कि सिर्फ अपनी ही सुनता है... कभी कभी दिमाग का भी इस्तेमाल कर लिया कर...सब गड़बड़ कर दिया..."

तमाचा अपना माथा पीटते हुए बोला,"अच्छा रूक, मैं कुछ जुगाड़ लगता हूँ..."

कनक एक बार फिर बेहूदगी बात पर बरस पड़ी,"अब खाक जुगाड़ लगाएगा... देखना तभी चाहिए था ना...अब किससे पूछेगा..." आगे तमाचा कुछ बोले कनक के दिमाग ने एक सवाल कर दिया...

कनक,"वो स्टूडियो कौन सा था..."तमाचे ने जैसे ही नाम बताया कनक मुंह खुली की खुली रह गई... ये तो रोहन के मामा की स्टूडियो थी...

कनक की दिमाग चक्करघन्नी बन गई... कैलाश भी है इसमें... वो एक बार तो गुस्से से भर गई पर तमाचा को कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी... वो बोली,"अ़च्छा ठीक है, ज्यादा मत बोलना..."

तमाचा हामी भर फोन रख दिया... कनक अब क्या करे, कैसे करे कुछ मालूम नहीं... बस वो यही सोचती रही कि आखिर कैलाश कैसे... कैलाश से तो डिम्पल भाभी की जान पहचान भी नहीं है... अगर होती तो वो रूपा को जरूर पहचानती या फिर बात को दबाने की वजह से बोले नहीं....

कनक रूपा को फोन की और सारी बात कह डाली... रूपा तो और टेंशन में... ये सब कैसे... अब क्या करे... सीमा भाभी अपना काम तेजी से किए जा रही थी और वो उतनी ही तेजी से बैक हुई जा रही थी...

रूपा उठी और मुंह हाथ धो फ्रेश हुई... फिर बाहर निकल सीमा भाभी के रूम की बढ़ गई...बात कहां तक गई ये भी जानना जरूरी था... कुछ ही देर में वो सीमा भाभी के रूम में थी...

सीमा भाभी अभी भी उसी तरह बनी ठनी थी... वो रूपा को देखती ही खिलक उठी और बोली,"आओ रूपा... मैं तुम्हारी ही इंतजार कर रही थी..."

रूपा टेंशन में होने के बावजूद मुस्कुराती हुई बोली,"बुला भी तो सकती थी... मैं तो रूम में ही थी..." रूपा की बात सुन सीमा भाभी अपने रूम में बढ़ती हुई मुंह बनाती हुई बोली,"हाँ पर मम्मी जी बेकार ही सोचने लग जाती कि आज ये कैसे आ धमकी है..."

रूपा,"तो क्या हुआ, आगे से रोज आना, फिर नहीं सोचेगी..." रूपा सीमा भाभी से बात करती उनके पीछे चल दी... रूम में जाते ही सीमा भाभी रूपा को बैठने बोली और लैपटॉप ले रूपा के बगल में बैठ गई...


 सीमा भाभी लैपटॉप ऑन करती हुई बोली,"रात में ही चैटिंग हुई थी... जब मैं बोली ना कि उसकी और पिक्स दो ना , वो काफी अत्छी लगती हमें... मतलब बहाने रही थी...समझ रही है ना..." सीमा भाभी कहती हुई रूपा से पूछी... रूपा हां में सर हिला सहमति जताई...

सीमा भाभी,"पहले तो वो बोला कि पहले तुम दिखाओ...ही..ही.. मैं तो डर ही गई थी कि अब क्या करूँ... पर फिर वो बोला कि लो देखो और उंगली करो...ही...ही.. " तब तक लैपटॉप ऑन हो गई थी... रूपा की नजर स्क्रीन पर टिक गई...

सीमा भाभी,"पता है मैं भी अभी तक नहीं देखी... सोची रूपा के साथ देखूंगी तो और मजा आएगा...ही...ही...ही... वो सारी चीज बंडल में भेज दिया था और मैं डाउनलोड कर रख ली..."

रूपा मन ही मन सोचने लगी कि कमीनी रात में रहती तब ना देखती... वो तो तुम उस स्टूडियो वाले यहाँ गई थी लेने... और उसका चक्कर क्या है ये मेरी भी समझ में नहीं आ रहा है... खैर देखती हूँ...

तभी सीमा भाभी एक नई फोल्डर ओपेन की और पिक्स पर झट से क्लिक कर दी...ताकि फूल स्क्रीन में दिखे रूपा को... वो कुटील मुस्कान के साथ सोच रही थी कि इसकी डिम्पल भाभी के कारनामे तो दिखे तब पूछती हूँ ना कि कौन अच्छी है वो रंडी या मैं नकचढ़ी...

स्क्रीन पर ज्यों ही तस्वीर उभरी, दोनों भक्क से रह गई... सीमा भाभी तो ये देख ही चुकी थी तो कोई फर्क नहीं पर रूपा के लिए ये सब मुश्किल लग रही थी देखने में ही... तस्वीरें एक काले रंग की विशालकाय लंड की थी...
पूरी स्क्रीन पर वो और भयानक लग रही थी...

रूपा अपनी आँख बंद करती तो कभी हल्के से खोलती... कभी कनखियों से सीमा भाभी की तरफ देखती... सीमा भाभी तो देखते ही मंत्रमुग्ध हो गई थी...मन ही मन जल रही थी कि कमीनी ऐले ऐसे लंड भी खा चुकी है...

फिर रूपा का ध्यान आया तो रूपा की झिझक को हटाती हुई बोली,"अरे ऐसे क्या शर्मा रही है... लेने वाली शर्माई ही नहीं तो हम दोनों को क्या? वो भी सिर्फ फोटो से... अभी देखो कैसे तुमऽहारी प्यारी भाभी इसे घोंटती है पूरी की पूरी..."

सीमा भाभी अगली तस्वीरें निकाली पर ये भी लंड की ही... सीमा भाभी बोली,"अरे वाह! ये पतला पर दस इंची हथियार खा चुकी है... ये सैम्पल है रूपा. . आगे सब की पूरी सेट पिक्चर हैं..."

तीसरी पिक्स, वो भी लंड की ही पर अलग... चौथी... एक और नई लंड की... पाँचवी...अलग प्रजाति की पर थी लंड ही... छठी सातवीं, आठवीं .... सब के सब... करीब पचास तस्वीरें थी पर सब में बस लंड ही लंड...कोई छोटा,कोई मोटा...कोई लम्बा, कोई बौना...

सूमा भाभी के चेहरे पर हवाईया उड़ने लगी कि शाला,कितनी मेहनत से मार्केट गई थी लाने और वो हमें उल्लू बना दिया... पर रूपा से बोल नहीं पा रही थी...रूपा भी ऐसी तस्वीरें देख थोड़ी खुश तो जरूर हुई कि डिम्पल भाभी की तस्वीरें नहीं है...पर टेंशन भी बढ़ गई कि गड़बड़ है कुछ...

सीमा भाभी तरह तरह के लंड देख पहले तो उनकी बूर फुदकने लगी थी पर अगले ही पल जब डिम्पल की तस्वीरे नहीं आई तो बूर से निकली पानी वापस बूर में ही समा गई थी... वो तो अंदर ही अंदर जल रही थी

सीमा भाभी का सारा मजा धरा ही रह गया...कितनी खुश होती जब सामने डिम्पल सी एक से बढ़ कर एक हॉट तस्वीरें आती... पर साला हमें ही चुतिया बना दिया... उन्हें तो चैन नहीं मिल रही थी... तुरंत पिक्चर को बंद की और फोल्डर में गौर से देखने लगी...

अचानक उन्हें एक ऑडियो क्लिप मिली... रूपा की नजर भी वहीं पर थी... दोनों ऑडियो क्लिप देखते ही एक दूसरे की ओर मुड़ नयनों से बात करने लगी कि क्या है ये? सीमा भाभी धड़कते दिल से क्लिप ओपेन की...

"नमस्ते सीमा मैडम, कैसी हैं...अरे पगला गया हूँ मैं भी... इ तऽ ऑडियो मैसेज है तो बेकारे ना हाल चाल पूछ रहे हैं... खैर उम्मीदत: आप ठीक ही होंगी...

अब मुद्दे की बात... आप ये जो कर रही हैं एकदम गलत है मेरे लिए... सो प्लीज अभी से चुपचाप अपने काम से मतलब रखिए...डिम्पल क्या कर रही है, क्या वहीं कर रही है वो सब जाने दीजिए...

ये मेरी लास्ट वॉर्निंग है मैडम, पहली वार्निंग तो मैं देता नहीं... और हाँ दो बात और, पहली ये कि आप सोच रही होंगी कि मैं कौन हूँ... यो ज्यादा दिमाग लगाने सी जरूरत नहीं है... मैं आपके पूरी फैमिली को जानता हूँ और आप सब के नेचर से वाकिफ हूँ...

तो जाहिर है कि आप ये सब डिम्पल सो बदनाम करने के लिए सर रही हैं...और इससे नुकसान मेरा होगा...आप बोलेगी, तो वो कुछ इधर उधर ग्लानि में कर दी तो फिर पुलिस वाले तार से तार जोड़ हम तक पहुँच सकते हैं... मैं ये नहीं चाहता...उम्मीद करता हूँ आप समझ गई होगी...

और अब दूसरी बात, आपको जो ये तस्वीरें भेजी है मैंने ये सब आप ही के लिए है...क्योंकि आप भी तो हसीं हैं, जवां है तो मन तो इधर उधर होता होगा ही और आप रहती भी हैं हिरोइन की तरह... साड़ी पहनना छोड़ दोगी तो कच्ची कली लगोगी अब भी...

और ये सब फोटु हमारे क्लाइंट सबकी हैं जिनमें कुछ देशी हैं और कुछ विदेशी...अगर इच्छा हुई हमारे साथ जुड़ने की तो उस स्टूडियो वाले को जाकर ये मेमोरी कार्ड के साथ एक रूपये का सिक्का दे देना...मैं आपसे मिल लूंगा फिर...

आप हमें एक रूपया दोगी और मैं आपको लाखों दूंगा और साथ में मस्ती भी... सोच समझ कर फैसला लेना... मेरे यहाँ शहर के अमीर से लेकर रिक्शे वाले तक आते हैं... कोई दिक्कत नहीं होगी...

जाते जाते, डिम्पल को मैंने नहीं बहकाया है... मेरा तो ये धंधा है जिसमें मैं बस लड़की देखता हूँ... वो कैसे मेरे निकट तक आने पर मजबूर हुई मुझे नहीं पता... मजबूर इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि वो काफी डरी सहमी थी...

पर इन सब से मुझे क्या लेना देना... उसी समय शाली को भेज दिया काम पर... कोई विदेशी था शायद... शाले ने जम के फाड़ा था... शादी शुदा होने के बावजूद शाली झटके ले कर चल रही थी... कुंवारी भर तो अपने आशिक को खूब मजे दी थी...

खैर, वो सब अलग बात है... अब अपनी बात खत्म कर रहा हूँ...पर आप ये मत भूलना कि अभी से आप इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगी...अगर की तो डिम्पल को तो घरेलू रंडी बना कर रखे हैं ना पर तुम्हें तो बाजारू रंडी बना कर कोठे पर बिठा कर रखेंगे...वो भी इसी शहर में... वो है ना वातानुकूलित कोठा, वहीं..

और हाँ मेरा बाल बांका ना पुलिस कर सकती है और ना तेरा वो ससुर कालीचरण या उसके तीनों बेटे... समझी ना... हर तरह के और बड़े लोगों से नजदीकी बनाए रखता हूँ तो सेफ महसूस करता ही हूँ और साथ मैं भी धीरे धीरे उनकी तरह पैसा वाला बड़ा आदमी हो जाऊंगा...

खुदा हाफिज......"







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