चाचा बड़े जालिम हो तुम--1
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा आपके लिए एक और नई कहानी लेकर आया
हूँ दोस्तो वैसे तो आपको मेरी सभी कहानियाँ आप सब को पसंद आती है लेकिन
मेरा दावा है ये कहानी आपको बहुत पसंद आएगी . दोस्तो ये कहानी एक ऐसी औरत
की है जो अपना वंश चलाने के लिए अपनी बहू को एक सब्जी वाले से ही चुदवा
देती है . तो दोस्तो कहानी कुछ इस तरह से है............रज़िया शाह 28
साल की एक शादी शुदा जवान महिला थी उसकी शादी रहमान के साथ 6 साल पहले
हुई थी . लेकिन अभी तक उनके कोई बच्चा नही हुआ था . डॉक्टर से जाँच कराने
पर रज़िया की रिपोर्ट तो नॉर्मल निकली लेकिन रहमान की रिपोर्ट मे उसके
शुक्राणु बहुत कम थे . रज़िया की सास रेहाना बी 60 साल की थी उनके पति 15
साल पहले गुजर चुके थे . जब उनके बेटे की शादी हुई तो रेहाना बी बहुत खुश
थी लेकिन शादी के कुछ साल बाद भी जब उनकी बहू के कोई बच्चा पैदा नही हुआ
तो उनको चिंता होने लगी . रेहाना बी की चिंता उस दिन और बढ़ गई जब एक दिन
उन्होने अपने बेटे की रिपोर्ट पढ़ ली . रेहाना पूरी तरह से नर्वस हो गई
कि उनका बेटा कभी बाप नही बन पाएगा . रेहाना बी ने इस मामले को अपने हाथ
मे ले लिया उन्होने सारी रिपोर्ट रज़िया को दिखाई . वो किसी भी हाल मे
अपने पोते का मुँह देखना चाहती थी चाहे उसके लिए कुछ भी क्यो ना करना
पड़े
हरी सिंग एक सब्जी बेचने वाला था . वह पिछले 8-10 साल से रेहाना बी के
बंगले के आस पास ही सब्जी बेचता था . हरी सींग की उम्र 40 साल थी वह
रेहाना बी को बहन जी बोलता था और रेहाना बी उसे हरी भाई बोलती थी मुहल्ले
बाकी सब लोग हरी को हरी चाचा कहते थे हरी देखने मे हॅटा केटा और सुंदर था
वो अपने काम के समय शर्ट और धोती पहनता था . दोपहर को हरी रेहाना बी के
बंगले के वरांडे मे सीडियो के पास बैठकर ही खाना खाता था रेहाना बी भी
उसे अक्सर ठंडा पानी दे दिया करती थी . रेहाना बी ने हरी सिंग से बात
करने की शोची लेकिन सवाल ये भी था की अगर हरी मान भी जाता है तो क्या
रज़िया एक सब्जी वाले के साथ सोने को तैयार हो पाएगी . फिर रेहाना बी ने
सोचा की पहले हरी से बात कर ले फिर वो रज़िया से बात करेंगी
अगले दिन रेहाना बी ने रज़िया को बताया की वो किसी काम से बाहर जा रही है
आधे घंटे मे वापस आ जाएँगी दोपहर का समय था काफ़ी लोग रोड पर आ जा रहे थे
. रेहाना बी ने सोचा इस समय वो हरी से फ्री होकर बात कर सकेंगी . रज़िया
पिशाब के लिए फर्स्ट फ्लोर पर बाथरूम गई . उसने देखा उसकी सास हरी सिंग
से बात कर रही है जब 15 मिनट बाद रज़िया वापस आई तो उसने देखा रेहाना बी
अभी तक हरी सिंग से बात कर रही थी . ये ठीक नही था वो जानती थी कि जब भी
रेहाना बी सब्जी खरीदने हरी सिंग के पास आती तो अक्सर बात करती थी .
रज़िया बालकोनी मे आई और वहाँ से दोनो को देखने लगी हरी का मुँह उसकी तरफ
था और रेहाना बी की पीठ उसकी तरफ थी
रेहाना बी हरी की छोटी सी दुकान पर गई . हरी ने उनको नमस्ते किया .
रेहाना बी ने रोड के इधर उधर देखा और कहा , "हरी भाई मुझे तुमसे एक काम
है. काम बड़ा नाज़ुक है, किसी और को मालूम हुआ तो मेरी बड़ी बदनामी होगी.
क्या मैं तुमपे भरोसा कर सकती हूँ?"
हरी ने अपनी आँखो ही आँखो मे भरोसा दिलाया और कहा, "कैसी बात करती हो
बेहन?आप जो कुछ बोलेंगी वो जान जाने तक किसी को नही पता चलेगा , यहा तक
कि आपके बेटे या बहू को भी नही ."
रेहाना बी थोड़ी नर्वस हुई लेकिन फिर उन्होने मन ही मन कुछ सोचा , "हरी
देख काम कुछ ग़लत है,कोई भी सास या मा ये काम करने को किसी गैर मर्द को
नही बोलेगी. हरी तू जानता है की रहमान की शादी को 6 साल हो गये और अभी
उससे औलाद नही हुई. इसमे रज़िया का कोई दोष नही, पूरा दोष रहमान मे है.
हरी मुझे मालूम है तूने मेरी बचपन की दोस्त शांति बेन की बहू की मदद की
थी,मैं चाहती हूँ वैसे ही मदद तू मेरी बहू की कर और मुझे एक प्यारा सा
नाती दे दे उन्होने एक साँस मे ही सारी बात कह दी और हरी के चेहरे की तरफ
देखने लगी .
हरी को अपने कानो पर विश्वास नही हुआ कि रेहाना बी अपनी बहू रज़िया को
चोदने के लिए कह रही है क्या ये एक सपना है या सच मे उन्होने ऐसा ही कहा
है . हाँ ये सच था कि उसने शांति बेन की बहू को चोदा था . आज उसके एक
बेटा था . और वो अपने परिवार मे खुश थी . हरी रेहाना बी के मुँह से
दुबारा सुन कर कानो पर विश्वास करना चाहता था . हरी ने रेहाना बी को देखा
और कहा "बेहन आपको पोता चाहिए और इसलिए आप चाहती है मैं रज़िया के साथ
कुछ करू? मैं हिंदू हूँ और आप मुसलमान, फिर भी आप यह चाहती है? माजी मुझे
उसमे कोई दिक्कत नही पर ग़लती से किसी को पता चला तो क्या होगा आप सोच
लो. क्योंकि मैं एक हिंदू हूँ और आप एक मुसलमान .
हरी ने रेहाना बी को जाबाब देने के बाद हरी ने देखा कि रज़िया बाल्कनी से
उन दोनो को ही देख रही थी
रेहाना बी ने अपने मन मे काफ़ी सोचा फिर बोली , "देख हरी, मेरा ये काम
करने के तुम्हे मैं 25000 देने को तैयार हूँ. पर किसी भी तरह बात बाहर
नही जानी चाहिए ये देखना तेरा काम है. रही बात हिंदू-मुसलमान की तो तुम
तो हमारी मुश्किल जानते हो. मुझे अब तो बस नाती का मुँह देखना है, भले वो
पोता मेरे लड़के से हुआ हो या किसी और से. बिना पोते का मुँह देखके मर
गयी तो उपर जाके रहमान के अब्बू को क्या मुँह दिखाउन्गि. ये लो 5000
अड्वान्स मे और अब आगे का काम कैसे करना है ये तुम जानो. तुम दोनो को
सहूलियत देने के लिए मैं तेरे बोलने पे 15-20 दिन के लिए बेटी के घर
जाउन्गि, जब तक मैं वापस आउ तुम काम कर देना मेरा."
हरी ने सोचा आज का दिन कितना शुभ है उसे 5000 रुपये भी मिल रहे है और एक
सेक्सी औरत भी . वह कभी पैसो को देखता कभी रेहाना बी को और कभी रज़िया को
. उसने रज़िया को छोटी सी स्माइल दी और रेहाना बी से बोला , "वाह बेहन,
पैसा भी और बहू भी, मॅज़ा आएगा. ठीक है बेहन मैं आपको पोता दूँगा पर आगे
कुछ गड़बड़ हुई तो मुझे मत फँसाना. गड़बड़ मतलब आपका पोता मेरे जैसा दिखे
और रहमान ने शक किया और डर की वजह से रज़िया ने अगर आपके लड़के को सब
बताया तो वो मुझे मार डालेगा."
रेहाना मुस्कुराइ और बोली, "अरे हरी, रहमान मे अगर मारने का दम होता तो
क्या मुझे पोता नही देता. उसकी फिकर मत कर, मैं संभाल लूँगी. पर हां, कोई
ज़ोर जबर्जस्ति नही समझे ना? जो भी हो सब राज़ी-खुशी का मामला होना चाहिए
ये याद रखना."
हरी , "उसकी चिंता आप छोड़ो, मैं बड़े प्यार से रज़िया को मनाउन्गा. बस
आप मुझे 8-10 दिन का वक़्त देना और फिर जब मैं आपसे कहु आप 10-15 दिन के
लिए बेटी के घर चली जाना. जब बेटी के घर से आप आओगी तो रज़िया आपको खुश
खबरी देगी ये मेरा वादा है बेहन.
हरी ने रज़िया को देखा और बोला , "बेहन अब आप जाओ, पर पीछे मत देखना.
पिछले 10मिनिट से रज़िया वाहा खड़ी होके हमे गौर से देख रही है." रेहाना
बी घर की तरफ मूडी तो हरी ने रज़िया को स्माइल दी रज़िया ने भी ये जाने
बगैर इन दोनो के बीच क्या बात हुई हैं औपचारिकता वश हरी को स्माइल वापस
दी
जैसे हर दोपहर हरी राज़ी के बंगल के वारंडे मे खाना खाने आता था, आज भी
आया पर आज सिर्फ़ खाने का मक़सद नही था. आज से रज़िया को पटाने की कोशिश
भी करनी थी. रज़िया को पटाके चोद्के उसकी सास को पोता भी देना था हरी को.
उस दिन से हरी रज़िया से ज़्यादा बाते करने लगा. बाते करते-करते वो
रज़िया का बदन भी देखता.28 साल की रज़िया का बदन कसा हुआ था, गोल चहेरा,
बड़ी आँखे, सीने के हिसाब से पतली कमर, पीछे काफ़ी टाइट गांद और सीने पे
सबका ध्यान आकर्षित करते मम्मे. रज़िया का रूप निखारते थे. जब हरी रज़िया
को घूरते देखता पहले तो रज़िया को अजीब लगता था पर हर्दिन उसे ठंडा पानी
देने का काम करना पड़ता. 3-4 दिन नाखुशी से पानी देने के बाद अब रज़िया
की शर्म कम हुई. उसने सोचा मर्द औरत को नही देखेगा तो कौन देखेगा? वैसे
भी हरी सिर्फ़ उसे देखता था तो देखने दो. उसे अपने रूप पे नाज़ भी था. अब
तो पानी देने के बाद रज़िया हॉल मे बैठके हरी से यहा-वाहा की बाते भी
करने लगी. ऐसा करते 10-15 दिन बीत गये और अब उन दोनो मे काफ़ी फ्रीनेस
आया था. यहाँ तक कि अब हरी से बात करते वक़्त रज़िया के कपड़े कैसे भी
होते तो वो शरमाती नही.कई बार पानी देते वक़्त पल्लू ढलता उसका.
पहले-पहले जब पल्लू ढलता तो रज़िया शरमाती थी पर अब पानी की बॉटल रखने के
बाद टर्न किए बिना, हरी के सामने रज़िया अपना पल्लू ठीक करती. उसे डर इस
बात का रहता कि कही रेहानाबी उसे यह सब करते ना देखे. पर अब रेहानाबी
खाना खाने के बाद सोने जाती तो रूम से शाम को ही बाहर आती. हरी का घूर्ना
रज़िया को अच्छा लगने लगा था. जब हरी उसके पूरे जिस्म पे नज़र घुमाता तो
एक बिजली से दौड़ जाती रज़िया के जिस्म मे. अब तो बात यहा तक पहुँच चुकी
थी कि रज़िया जब घर मे काम ना हो तो आके बाल्कनी मे खड़ी होके हरी को
देखती. हरी भी उसे देखके स्माइल करता. कई बार दोनो मे हसी मज़ाक होती थी
और 1-2 बार तो किसी बात पे दोनो ने एक दूसरे को ताली भी दी थी. अपने
मुलायम हाथ पे हरी का बड़ा कड़क हाथ एक अजीब से फीलिंग छोड़ जाता रज़िया
के. हरी अब ओपन्ली रज़िया की गांद, सीना और चूत देखता और इस बात से
रज़िया किसी भी तरह उसे नही रोकती थी सब चलता था. इन सब बातो की रिपोर्ट
हरी रेहानाबी को देता और हरी की बात सुनके रेहानाबी को अच्छा भी लगता.
अब 20-25 दिन हो गये इस बात को. एक हिसाब से रज़िया हर दोपहर को हरी के
लिए रुकती. यह सब अब तो हरी को भी साँझ आ गया और उसने रेहाना को बेटी के
घर जाने कोबोला. उस शाम को रेहाना ने हरी को और 5000 रुपये दिए और रात को
खाने के वक़्त अपना बेटी के घर जाने का प्लान रहमान को बताया. प्लान
सुनके रज़िया को अच्छा लगा क्योंकि अब वो हरी के साथ और फ्रीली बात कर
सकती थी. रज़िया की खुशी रेहाना की आँखो से नही छुपी और उसे अपना प्लान
क़यमाब होता नज़र आया. रहमान के सामने हरी तो ग़रीब ज़रूर था पर शायद जिस
बात मे मर्द अच्छा होना चाहिए उस बात मे वो अच्छा होगा ऐसा अंदाज़ा
रज़िया ने लगाया. दूसरे दिन रेहाना बेटी के घर चली गये. रेहाना बी के
जाने के बाद हरी ने 1-2 दिन ऐसे ही जाने दिए. उसके बाद की एक दोपहर को जब
तो खाना खाने गया उस्दिन रज़िया ने सिंपल पिंक कलर की कॉटन की सारी और
स्लीवेलेस्स ब्लाउस पहना था,ब्लाउस डीप नेकड था, गले मे मंगलसूत्र और
पैरो मे पायल थी. यह उसका हर्दिन का पहनावा था पर आज ना जाने क्यों वो
हरी को ज़्यादा अच्छी लग रही थी.
सच मे हरी को एरेक्षन का मतलब नही मालूम था. पर रहमान मे कुछ प्राब्लम है
और उस वजह से रज़िया मा नही बन सकती यह बात वो समझा. रज़िया के पास खड़े
होते उसका गोरा सीना देखते वो बोला, "बेटी डॉक्टरी जहा काम नही करती वाहा
तजुर्बा काम आता है, कई बार जब डॉक्टरो ने हार मानी तजुर्बे ने जीत
दिलवाई है. और यह तू एरेक….. एलेक्षन क्या बोली? मैं समझा नही, ज़रा मुझे
ठीक से बता."
हरी के सवाल से शरमाते रज़िया बोली, "कुछ नही चाचा.****का अर्थ तो मुझे
भी मालूम नही. डॉक्टर से मैने पूछा था पर उन्होने भी यही बताया था कि
मुझे वो जानने की ज़रूरत नही. और चाचा बोहुत सारे तजुर्बेदार लोगो से इस
इलाज का पूछा है लेकिन सभी ने हाथ उपर कर दिए, इसलिए अब उप्परवाले पे
छोड़ दो."
रज़िया यह कहते पल्लू से छेड़खानी करती है जिससे अब हरी को उसके लो कट
ब्लाउस की नेक से एक चौथाई मम्मा दिखता है. ब्रा का एक स्ट्रॅप पूरा
ब्लाउस के बाहर था और उस ब्रा कप से एक निपल तन के ब्लाउस पे अपनी छाप
दिखा रहा था. बींदास वो निपल देखते हरी बोला, " अरे बेटी यह आजकल के
डॉक्टर पैसे देके सीखे है. इनको क्या मालूम, बड़े - बड़े शब्द इस्तामाल
करके सामने वाले को घबरा देते है. तू चिंता मत कर, देख मेरे पास इसका
इलाज़ है, पर उसके लिए तेरा साथ चाहाए. मेरे पास इलाज़ भी है और तजुर्बा
भी, वो बाजुवाले बिल्डिंग मे जागृति का इलाज़ भी मैने किया था और देख
उसको अब 2 बच्चे है."
क्रमशः.......
chacha bade jaalim ho tum--1
Dosto main yaani aapka dost raj sharma aapke liye ek our nai kahaani
lekar aaya hun dosto vaise to aapko meri sabhi kahaaniyaan pasand aati
hai lekin mera dava hai ye kahaani aapko bahut pasand aayegi . dosto
ye kahaani ek aisi ourat ki hai jo apna vansh chalaane ke liye apni
bahu ko ek sabji waale se hi chudavaa deti hai . to dosto kahaani kuch
is tarah se hai............Raziyaa shaah 28 saal ki ek shaadi shuda
javaan mahila thi uski shaadi rahamaan ke saath 6 saal pahle hui thi .
lekin abhi tak unke koi bachcha nahi hua tha . doctor se jaanch
karaane par raziya ki report to normal nikali lekin rahamaan ki repot
me uske shukraanu bahut kam the . raziya ki saas rehanaa bi 60 saal
ki thi unke pati 15 saal pahle gujar chuke the . jab unke bete ki
shaadi hui to rehaanaa bi bahut khush thi leki shaadi ke kuch saal
baad bhi jab unki bahu ke koi bachcha paidaa nahi hua to unko chita
hone lagi . rehaana bi ki chinta us din our badh gai jab ek din unhone
apne bete ki report padh li . rehaana poori tarah se narvas ho gai ki
unka beta kabhi baap nahi ban paayega . rehana bi ne is maamle ko apne
haath me le liya unhone saari report raziya ko dikhaai . vo kisi bhi
haal me apne pote ka munh dekhna chahati thi chaahe uske liye kuch
bhi kyo na karnaa pade
Hari singh ek sabji bechane waala tha . vah pichle 8-10 saal se
rehaana bi ke bangle ke aas paas hi sabji bechataa tha . hari sing ki
umr 40 saal thi vah rehaanaa bi ko bahan ji bolta tha our rehaana bi
use hari bhai bolti thi muhalle baaki sab log hari ko hari chacha
kahte the hari dekhane me hatta kataa our sundar tha wo apne kaam ke
samay shairt our dhoti pahnataa tha . dopahar ko hari rehaana bi ke
bangle ki sidiyo ke paas baithakar hi khaana khaata tha rehaana bi bhi
use aksar thandaa paani de diya karti thi . rehaana bi ne hari singh
se baat karne ki shochi lekin sawaal ye bhi tha ki agar hari maan bhi
jaata hai to kya raziya ek sabji waale ke saath sone ko taiyaar ho
paayegi . fir rehaana bi ne socha ki pahle hari se baat kar le fir wo
raziya se baat karengi
agle din rehaana bi ne raziya ko bataaya ki wo kisi kaam se baahr jaa
rahi hai aadhe ghante me vaapas aa jaayengi dopahar ka samay tha kaafi
log road par aa jaa rahe the . rehaanaa bi ne socha is samay wo hari
se free hokar baat kar sakengi . rajiya sone ke liye first floor par
baatharoom gai . usne dekha uski saas hari singh se baat kar rahi
hai jab 5 minat baad raziya vaapas aai to usne dekha rehaana bi abhi
tak hari singh se baat kar rahi thi . ye theek nahi tha wo jaanti thi
ki jab bhi rehaana bi sabji kharidane hai ke paas aati to aksar baat
karti thi . raziya balconi me aayi our vahaan se dono ko dekhane lagi
hari ka munh uski taraf tha our rehaana bi ki pith uski taraf thi
rehaana bi hari ki choti si dukaan par gai . hari ne unko namaste kiya
. rehaana bi ne road ke idhar udhar dekha our kahaa , "Hari bhai mujhe
tumse ek kaam hai. Kaam bada nazuk hai, kisi aur ko maalum hua to
meri badi badnaami hogi. Kya main tumpe bharosa rakh sakti hoon?"
hari ne apni aankho hi aankho me bharosa dilaaya our kaha, "Kaisi baat
karti ho behan?Aap jo kuch bolengee wo jaan jane tak kisi ko nahi pata
chalegaa , yaha tak ki aapke bate ya bahu ko bhi nahi ."
rehaana bi thodi narvas hui lekin fir unhone man hi man kuch socha ,
"Hari dekh kaam kuch galat hai,koi bhi saas ya maa ye kaam karne ko
kisi gair mard ko nahi bolegi. Hari tu janta hai ki Rehman ki shadi ko
6 saal ho gaye aur abhi usse oulaad nahi hui. Isme Razia ka koi dosh
nahi, poora dosh mare rahmaan mai hai. Hari mujhe malum hai tune meri
pechaan ki dost Shanti ben ki bahu ki madad ki thi,mai chahati hoon
waise hi madad tu meri bahu ki kare aur mujhe ek pyara sa naati de."
unhone ek saans me hi saari baat kah di our hari ke chehare ki taraf
dekhane lagi .
Hari ko apne kaano par vishwaas nahi hua ki rehaana bi apni bahu
raziya ko chodane ke liye kah rahi hai kya ye ek sapna hai ya sach me
unhone aisa hi kaha hai . han ye sach tha ki usne shaanti ben ki bahu
prabha ko choda tha . aaj prabha ke ek beta tha . our wo apne pariwaar
me khush thi . hari rehaana bi ke munh se dubaara sun kar kaano par
vishwaas karna chaahta tha . hari ne rehaana bi ko dekha our kaha
"Behan aapko pota chahiye aur isliye aap chahati hai mai Razia ke
saath kuch karu? Mai Hindu hoon aur aap Musalmaan, phir bhi aap yeh
chahati hai? Maaji mujhe usme koi dikkat nahi par galati se kissi ko
samjha to kya hoga aap soch lo. kyonki main ek hindu hun our aap ek
musalmaan .
hari ne rehaana bi ko jaabab dene ke baad hari ne dekha ki raziya
balcony se un dono ko hi dekh rahi thi
rehaana bi ne apne man me kaafi socha fir boli , "Dekh Hari, mera ye
kaam karne ke tumhe mai 25000 dene ko taiyaar hoon. Par kisi bhi tarah
baat bahar nahi jaani chahiye ye dekhna tera kaam hai. Rahi baat
Hindu-Musalmaan ki to tum to humari mushkil jante ho. Mujhe ab to bus
naati ka munh dekhna hai, bhale wo pota mare ladke se hua ho ya kisi
aur se. Bina pote ka munh dekhke mar gayee to upar jake Rehman ke abbu
ko kya munh dikhaaungi. Ye lo 5000 advance main aur ab aage ka kaam
kaise karna hai ye tum jaano. Tum dono ko sahulat dene mai tare bolne
pe 15-20 din ke liye beti ke ghar jaaungi, jab tak mai wapas aau tum
kaam kar dena mera."
hari ne socha aaj ka din kitna shubh hai use 5000 rupaye bhi mil rahe
hai our ek sexi ourat bhi . vah kabhi paiso ko dekhta kabhi rehaana bi
ko our kabhi raziya ko . usne rajiya ko chti si smaail di our rehaana
bi se bola , "Wah behan, paisa bhi aur bahu bhi, maaza aayega. Thik
hai behan mai apko pota dunga par aage kuch gadabad hui to mujhe mat
phansaana. Gadbad matlab aapka pota mare jaisa dikhe aur Rehman ne
shak kiya aur dar ki wajah se Razia ne agar aapke ladke ko sab bataya
to wo mujhe maar daalega."
rehaana muskuraai our boli, "are Hari, Rehman mai maarne ka dum hota
to kya mujhe pota nahi deta. Uski fikar mat kar, mai sambhal loongi.
Par haan, koi jor jabarjasti nahi samjhe na? Jo bhi ho sab razi-khushi
ka mamla hona chahiye ye yaad rakhna."
Hari , "Uski chinta aap choro, mai bade pyar se Razia ko manaunga. Bus
aap mujhe 8-10 ka waqt dena aur phir jab mai aapse kahu aap 10-15 din
ke liye beti ke ghar jana. Jab beti ke ghar se aap aaogi to Razia
aapko khush khabri degi ye mera waada hai behan.
hari ne raziya ko dekha our bola , "Behan ab aap jao, par piche mat
dekhna. pichle 10minit se Razia waha khadi hoke hame gour se dekh rahi
hai." Rehana bi ghar ki taraf mudi to hari raziya ko smaail di raziya
ne bhi ye jaane bagair in dono ke bich kya baat hui hain
oupchaarikataa vash hari ko smaail vaapas di
Jaise har doophar Hari Razi ke bungle ke varande mai khana khane aata
tha, aaj bhi aaya par aaj sirf khane ka maqsad nahi tha. Aaj se Razia
ko patane ki koshish bhi karni thi. Razia ko patake chodke uski saas
ko navasa dena tha Hari ko. Usdin se Hari Razia se jyada baate karne
laga. Baate karte-karte woh Razia ka badan bhi dekhta.28 saal ki Razia
ka badan kasa hua tha, gol chehera, badi aankhe, sine ke hisab se
patli kamar, piche kafi tight gaand aur sine pe sabka dhyan akarshit
karte mamme. Razia ka roop nikharte thay. Jab Hari Razia ko ghurte
dekhte to pehle usse kaisa to lagta tha par hardin usse thanda pani
dane ka kaam karna padta. 3-4 din nakhushi se pani dane ke baad ab
Razia ki sharm kam hui. Usne socha mard aurat ko nahi dekhega to kaun
dekhega? Waise bhi Hari sirf usse dekhta tha to dekhne do. Usse apne
roop pe naaz bhi tha. Ab to pani dane ke baad Razia hall mai baithke
Hari se yaha-waha ki baate bhi karne lagi. Aaisa karte 10-15 din beet
gaye aur ab un dono mai kafi freeness aaya tha. Yahan tak ki ab Hari
se baat karte waqt Razia ke kapde kaise bhi hote to woh sharmati
nahi.Kai baar pani date waqt pallu dhalta uska. Pehle-pehle jab pallu
dhalta to Razia sharmati thi par ab pani ki bottle rakhne ke baad turn
kiye bina, Hari ke samne Razia apna pallu thik karti. Usse daar is
baat ka rehta ki kahi Rehanabi usse yeh sab karte na dekhe. Par ab
Rehanabi khana khane ke baad sone jati to room se shyam ko hi bahar
aati. Hari ka ghurna Razia ko accha lagne laga tha. Jab Hari uske
poore jism pe nazar ghumata to ek bijli se daud jati Razia ke jism se.
Ab to baat yaha tak pauchi thi ki Razia jab ghar mai kaam na ho to
aake balcony mai khadi hoke Hari ko dekhti. Hari bhi usse dekhke smile
karta. Kai baar dono mai has mazak hoti thi aur 1-2 baar to kissi baat
pe dono ne ek dusre ko tali bhi di thi. Apne mulayam haath pe Hari ka
bada kadak haath ek ajeeb se feeling choor jata Razia ke. Hari ab
openly Razia ki gaand, sina aur chut dekhta aur is baat se Razia kissi
bhi tarah usse nahi rokti thi bhi chalta tha. Yeh sab baato ki report
Hari Rehanabi ko deta aur Hari ki baat sunke Rehanabi ko accha bhi
lagta.
Ab 20-25 din ho gaye is baat ko. Ek hisab se Razia har doophar ko Hari
ke liye rukti. Yeh sab ab to Hari ko bhi samjha aur usne Rehanabi ko
beti ke ghar jane bola. Us shyam ko Rehanabi ne Hari ko aur 5000 rs
diye aur raat ko khane ke waqt apna beti ke ghar jane ka plan Rehman
ko bataya. Plan sunke Razia ko accha laga kyonki ab woh Hari ke saath
aur freely baat kar sakti thi. Razia ki khushi Rehana ki aankho se
nahi chupi aur usse apna plan qayamab hota nazar aaya. Rehman ke samne
Hari to garib zaroor tha par shayad jis baat mai mard accha hona
chahaye us baat mai woh accha hoga aaisa andaza Razia ne lagaya. Dusre
din Rehanabi beti ke ghar chali gaye. Rehanabi ke jane ke baad Hari ne
1-2 din aaise hi jane diye. ske baad ki ek doophar ko jab to khana
khane gaya usdin Razia ne simple pink colour ki cotten ki sari aur
sleeveless blouse pehna tha,blouse deep necked tha, gale mai
mangalsutra aur pairo mai payal thi. Yeh uska hardin ka pehrav tha par
aaj na jane kyon woh Hari ko jyada acchi lag rahi thi.
Such mai Hari ko erection ka matlab nahi malum tha. Par Rehman mai
kuch problem hai aur us wajah se Razia maa nahi ban sakti yeh baat woh
samajha. Razia ke pass khade hote uska gora sina dekhte woh bola,
"Beti doctori jaha kaam nahi karta waha tajurba kaam aata hai, kai
baar jab doctaro ne haar mani tajurbe ne jeet dilwai hai. Aur yeh tu
erec….. election kya boli? Mai samjha nahi, zara mujhe thik se bata."
Hari ke sawal se sharmate Razia boli, "Kuch nahi Chacha.****ka arth to
mujhe bhi malum nahi. Doctor se maine pucha tha par un hone bhi yahi
bataya tha ki mujhe woh janne ki jaroraat nahi. Aur Chacha bohut sare
tajurbedar logo se iska ilaj ka pucha hai lekin sabhi ne haath upar
kar diye, isliye ab upparwale pe choor do."
Razia yeh kehte pallu se chedkhani karti hai jisse ab Hari ko uske low
cut blouse ki neck se ek chauthi mamma dikhta hai. Bra ke ek strap
poora blouse ke bahar tha aur us bra cup se ek nipple taanke blouse pe
apni chaap dikha raha tha. Bindhast woh nipple dekhte Hari bola, "
Aare beti yeh aajkal ke doctor paise dake sekhe hai. Inko kya malum,
bade - bade shabd istamaal karke samne wale ko ghabra date hai. Tu
chinta mat kar, dekh mare pass iska ilaz hai, par uske liye tera saath
chahaye. Mare pass ilaz bhi hai aur tajurba bhi, woh bajuwale building
mai Jagruti ka ilaz bhi maine kiya tha aur dekh usko ab 2 bacche hai."
kramashah.......
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