Saturday, March 26, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ नयी-नवेली जवानी--4

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

नयी-नवेली जवानी--4
गतान्क से आगे..... .......
करीब आधा घन्टा और बीता कि उस जोड़े की तड़प और बढ़ गई। लड़के के हाथ अब लड़की
की कुर्ती को थोड़ा उपर खिंसका कर उसकी चुचियों को टटोल रहे थे। हम सब से
करीब ५० मीटर दूर था वह जोड़ा, पर हम सब आराम से उस लड़की की सफ़ेद जालीदार
ब्रा को देख पा रहे थे। शुक्र है कि अभी भी उसकी ब्रा नहीं खुली थी और
उसकी चुचियाँ ब्रा के उपर से हीं मसली जा रही थी। मेहता साहब ने जब देखा
कि बच्चे अब अपना खेल भूल कर उस जोड़े की तरफ़ ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं तो
उन्होंने थोड़े मजाकिया लहजे में उनसे कहा-"अरे यार, जवानी सब पर आती है।
पर थोड़ा सब्र भी करो।" हम सब हँस पड़े। तब उस लड़के ने थोड़ा सँकुचा कर
"सौरी" कहा। पर तभी उस लड़की ने उसे प्रस्ताव दिया कि वो दोनों वहीं पास
के एक बड़े से चट्टान के पीछे चल चले, तो पर्दा हो जाएगा। और वो दोनों हम
सब से करीब ८०-१०० मीटर दूर एक चट्टान के पीछे चले गए। वहीं दरी पर लेटने
के बाद उनके पैरों की हल्की झलक हमें मिल जा रही थी, पर फ़िर भी पर्दा तो
था हीं। हमलोगों को यहाँ आए करीब दो घन्टे हो चले थे सो दीदी ही पहले उठी
कि अब चल कर नहा-धो कर खाना-वाना खाया जाए। दीदी वहीं खड़े हो कर अपने
कपड़े उतारने लगी। सलवार-कुर्ता खोल कर एक ब्रा-पैन्टी में वो पानी की तरफ़
बढ़ गई। आज पहली बार पीछे से दीदी को ऐसे देख रहा था। उनका चलना मुझे
एफ़-टीवी के कैटवाक की याद दिला गया। जल्दी हीं मैंने देखा कि रवि और
मेहता साहब भी पीछे हो लिए, अपने अंडरवीयर में। निशा अपना टौप और जीन्स
खोली और एक टौवेल से अपने चुचियों को ढ़क कर पानी की तरफ़ चल दी। रिया ने
अपना फ़्रौक और समीज खोला और मेरे साथ-साथ पानी की तरफ़ चल दी। वहाँ पानी
में जा कर हम सब खेलने लगे। एक-दुसरे पर पानी उछालते।

हम जहाँ थे, वहाँ जल-प्रपात का पानी एक तालाब की शक्ल में था, लगभग
शान्त, एक तरफ़ हल्की गति से बह रहा था। मैं तैरना जानता था, सो मैं तैरने
लगा। रिया को थोड़ा बहुत तैरने आता था, पर इतना नहीं कि वो बीच में जाने
का साहस करे। बाकि सब थोड़ा किनारे के पास हीं थे। लगभग बीच तालाब से मुझे
वह नव-विवाहित जोड़ा साफ़-साफ़ दिखने लगा। लड़का अब उस लड़की के उपर चढ़ा हुआ
था। अचानक मुझे रिया की आवाज सुनाई दी-"मामा जी, एक बार मुझे भी वहाँ तक
घुमा दीजिए प्लीज।" मेरे भीतर का मनचला जोर मारने लगा, और मैं वापस मुड़
गया। उन सब के पास आने पर मैंने देखा कि दीदी की दाहिनी हाथ उसकी पैन्टी
के भीतर है और वो शायद अपने प्राईवेट अंगों को रगड़ कर साफ़ कर रही थी।
निशा भी अपने बदन को अपने उसी टौवेल से रगड़ रही थी। मैंने एक नजर उसकी एक
बड़े सेव की साईज की चुची पर डाली और तभी रिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं
अब उसके हाथ को पकड़ कर फ़िर से बीच की तरफ़ चल दिया। मेरे साथ की वजह से
उसमें थोड़ी हिम्मत आ गई थी। वो ज्यादा पानी की तरफ़ जाते हुए जोश में
किलकारी मार रही थी। बीच के करीब जाते हुए सोचने लगा कि "रिया भी अब उस
जोड़े को देख सकती है। मेरे दिमाग ने फ़िर सोचना शुरु किया कि वो कैसे
रीऐक्ट करेगी? क्या उसने इसके पहले कभी चुदाई देखी है? अगर देखी तो
किसकी? क्या मेहता साहब और दीदी की? या अपने दीदी निशा को देखी है किसी
से चुदाते? तब पहली बार मेरा सोच निशा की तरफ़ गया? क्या निशा कुँवारी है
या चुद गई है? मुझे निशा का बदन जितना दिखा था, लगता था कि वो अभी तक
कुँवारी है।" यही सब सोचते हुए हम वहाँ आ गए, जहाँ से हम दोनों उन जोड़े
को चुदाई करते देख सकते थे, और हम एक असल चुदाई देख रहे हैं, यह कोई जान
नहीं सकता था।

होली के दिन के बाद आज फ़िर रिया का नंगा बदन इतने करीब से देखने का मौका
मुझे मिला था। इन पिछले करीब छः महिनों में रिया का बदन थोड़ा और लमछड़ देख
रहा था। चुचियाँ पहले से थोड़ा ज्यादा विकसित हो गई थी। पर तभी मेरा ध्यान
इस सच की तरफ़ गया कि रिया को तो मैं पानी के बाहर भी देख लुँगा, पर वह
जोड़ा फ़िर नहीं दिखेगा। सो मैं अब अपनी नजर उस चट्टान की पीछे चुदाई का
खेल खेलते उन दोनों की तरफ़ गड़ा दिया। अब लड़की उस लड़के के लन्ड की सवारी
कर रही थी। उपर बैठ कर, उसके लन्ड को अपने चूत में गपा-गप निगल रही थी।
मुझे एक टक एक तरफ़ देखते हुए देख, रिया भी उधर देखी। इस जगह से वो दोनों
५०-६० मीटर दूर रहे होंगे। रिया के लिए यह सब एक अजूबा था। उसने मेरी तरफ़
देखा और मैंने उसकी तरफ़। उसके आँखों में और ज्यादा देखने की चाहत थी।
मैंने खुल कर पुछा, "थोड़ा और आगे चल कर देखना चाहोगी क्या?" उसने हल्के
से सर हिलाया, तो मैंने उसका हाथ पकड़ा और उस जोड़े की तरफ़ तैरने लगा। लड़की
को पता चल गया कि हम दोनों उसे देख रहें हैं, पर उस पर तो जैसे चुदाई का
भूत सवार था। पहले भी उसी ने उस लड़के को चट्टान की पीछे आने को उकसाया
था। रिया चुप-चाप सब देख रही थी, तो मैंने उस से पूछा, "पहले देखी थी
क्या यह सब रिया?" उसने बहुत छोटा जवाब दिया, "ऊँह्ह्ह्ह" और देखने में
मग्न हो गई। मैं एक जवान हो रही एक कली के साथ सामने एक जवान जोड़े की
लाईव चुदाई देख रहा था, लोग १४ साल की कली के साथ ब्लू-फ़िल्म देखने का
ख्वाब हीं देखते रहते हैं। मैं अपने किस्मत पर हैरान था।

५ मिनट की घमासान चुदाई की बाद, साफ़ दिख रहा था कि लड़की थक गई है, सो वह
लन्ड पर से उतर कर निढ़ाल सा नीचे बिछे चादर पर फ़ैल गई। तब लड़का उठा और
घुटने पर बैठ गया उसके पास। हम दोनों जहाँ थे, वहाँ से उसका लन्ड चमकता
हुआ दिख रहा था। दोनों ने अपने गुप्तांगों के बाल बिल्कुल साफ़ किए हुए
थे, सो सब और ज्यादा साफ़ दिख रहा था। जल्द हीं उस लड़के ने लड़की के दोनो
पैरों को एड़ी के पास से पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया और फ़िर उसकी खुली
हुई चूत के भीतर अपने लन्ड को पेल कर उपर से हुमच-हुमच कर चुदाई करने
लगा। लड़की के मुँह से निकल रही सेक्सी आवाजें थोड़ी हल्की ही सही मगर हमें
अब सुनाई दे रही थी। लड़के की नजर हम पर पड़ी तो वो अचकचा कर थोड़ा रुका, पर
मैंने मुस्कुरा कर उसे अपने दाहिने हाथ से वेव किया तो वो सब समझ गया और
फ़िर से दुने जोश से चुदाई करने लगा। मैंने रिया से पूछा, "अब लौटोगी या
देखोगी यह सब? अगर भाई-साहब और दीदी को पता चल गया कि यह सब मैं तुम्हें
दिखा रहा हूँ तो..."। रिया अब होली के दिन की तरह एकदम मासूम नहीं रही
थी। पिछले छः महिने में सिर्फ़ उसका शरीर हीं और जवान नहीं हुआ था, वो भी
दिमागी तौर पर जवान हो गई थी। उसका चेहरा एकदम से लाल भभूका हुआ जा रहा
था, ऐसी चुदाई को देख कर। साली की चूत जरूर गीली हो गई होगी (पर वह तो
देखने का कोई स्कोप वहाँ था नहीं पानी के भीतर)। उसने मेरी तरफ़ एक क्षण
को देखा और फ़िर चुदाई पर नजर गड़ा दी, साथ हीं कहा, "ओह मामा जी, आप भी
देखिए और मुझे भी देखने दीजिए। आज तक सिर्फ़ सुनी थी यह सब, आज पहली बार
देख रहीं हूँ। सच में क्या यह सब इस तरह से भीतर घुस जाता है, मुझे तो
पहले सुन कर विश्वास हीं नहीं होता था।"

मैंने सब समझ लिया। अब इस लौन्डिया पर १४ साल में हीं जवानी चढ़ आई थी,
साली अब शायद अपने १८ साल की होने तक कुँवारी न रहे। खैर उस समय तो मुझे
भी सिर्फ़ वह लाईव शो देखने का मन हो रहा था, मैंने तो उपरी मन से रिया से
पूछा था। पर अब जल्द हीं उस लड़के के लन्ड से अपना माल निकालना शुरु कर
दिया। यह सब उसके चेहरे को देख मैं समझ रहा था। उस लड़के ने अब अपना लन्ड
लदअकी की चूत से बाहर करके उसके बूर के उपर अपना माल निकालने लगा, उसी
जगह पर जहाँ जवान लड़कियों की झाँट होती है। वो देख रहा था कि हम उसे देख
रहे हैं, पर वो बेशर्मी से अपने लन्ड को मसल-मसल कर गाड़ कर आपने वीर्य की
आखिरी बुँद तक निचोड़ रहा था। मैंने भी अब वहाँ से किनारे जाने का मन
बनाया और रिया को वापस चलने को कहा, "अब चलो रिया, अब तो सब खत्म हो गया
है। वैसे भी वहाँ किनारे पर सब हमारे इंतजार कर रहे होंगे।" वो भी अब
चलने को राजी हो गई, पर वापसी में पूछा-"मामा जी, लड़का सब तो वो चीज लड़की
के भीतर में निकालता है, फ़िर वो उसके उपर में क्यों निकाला।" मैंने
समझाया, "अरे मेरी बच्ची, असल में लड़का का वही चीज तो लड़की के भीतर में
निकलने से अंदर जा कर लड़की के पेट में बच्चा बनाता है। ऐसा समझो कि लड़की
जमीन है और लड़का का वो स्पेशल पानी बीज, जो लड़की के पेट में बच्चे पैदा
करता है। अभी उन दोनों की नई-नई शादी हुई है, तो अभी दोनों एक-दो साल जम
कर एक-दूसरे की चुदाई कर के मजा लुटेंगे फ़िर शायद बच्चा पैदा करें। इसका
एक और फ़ायदा है, लड़की जब खुद चुदा लेती है तो उसके बूर का ट्रेनिंग भी
पुरा हो जाता है और वो बच्चा पैदा करते समय ज्यादा खुलता है, तो बच्चा को
पैदा करने में आसानी होती है।" वो सब समझ कर सर हिला रही थी। मैंने आगे
कहा, "अभी देख लो, तुम्हारी कितनी छोटी है, अगर आज तुम किसी से चुदा लो
एक बार और अगर तुम गर्भवती हो जाओ, तो जितनी तुम्हारी छोटी से छेद है,
क्या तुम उस छेद में से एक पुरा बच्चा पैदा कर सकोगी? तुम्हारी नानी मर
जाएगी दर्द से, इसी लिए लड़की को माँ बनने से पहले जितना हो सके अपने को
चुदा लेना चाहिए। वो जितना ज्यादा चुदेगी, उसको बच्चा पैदा करने में उतनी
हीं आसानी होगी।" यही सब कहते सुनते हम किनारे आ गए।

उस नवविवाहित जोड़े की लाईव चुदाई देखने में हम इतने मशगुल हुए कि यहाँ का
के नजारे का कुछ ख्याल हीं नहीं रहा। जब हम लौटे तो देखा कि निशु अपना
टौप पहन ली है और जमीन बिछी दरी पर पालथी मार कर बैठी हुई है। उसकी एक
साईड में उसकी पैन्टी सुखने के लिए फ़ैला कर रही थी। वहीं पर दीदी की
ब्रा-पैन्टी भी सुखने के लिए रखी थी। दीदी अपना सलवार-कुर्ता पहने हुए
थी। साफ़ दिख रहा था कि भीतर उसने अंडरगार्मेन्ट्स नहीं पहनी है। निशु का
टी-शर्ट थोड़ा लम्बा था सो वो उसकी चुतड़ को ढ़्के हुए था। उसने अपने सामने
की तरफ़ चूत के उपर अपना टौवेल डाल रखा था, पर्दे के लिए। मेहता साहब इन
सब की तरफ़ अपना पीठ करके अपने कपड़े उतार कर आराम से अपना कपड़ा बदल लिए।
रवि एक साफ़ सुथरा कुर्ता-पैजामा पहन लिए थे। रवि भी अपने पापा की तरह हीं
वहीं एक साईड हो कर अपना कपड़ा गीला खोल कर जीन्स पहन लिया था। मेरा
बरमुदा वहीं दरी पर रखा था सो मैं उसे लेने दरी के पास आया, तो मैंने
निशु को देखा। मैं जब पास आया तो निशु मुझे देख कर मुस्कुराई। उसकी नजर
मेरे अन्डर्वीयर पर गई थी, जहाँ मेरा लन्ड उसमें एक टेन्ट का आकार बना
रहा था। मैंने उसे ऐसे देखा तो थोड़ा झेंपा, पर उसने ऐसा दिखाया जैसे वो
बिल्कुल सहज है। उसकी गोदी की तौलिए पर अब मैंने नजर डाली तो उसकी खुली
गोरी जाँघों से ज्यादा कुछ न दिखा। मैंने कहा, "मुझे अपना कपड़ा लेना है,
और मैं कपड़े उठाने को नीचे झुका। तभी निशु ने अपने पैरों को हिलाया और
पालथी खोल कर अपने पैर सीधे कर के तानने लगी। फ़िर पुनः जब वो पालथी मरने
लगी तो मुझे उसकी चूत की एक साफ़ झलक मिल गई। हल्के-हल्के झाँटों से भरी
हुई, खुबसुरत गुलाबी फ़ाँक की झलक।
क्रमशः....... ............

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